[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 20 September 2021 – INSIGHTSIAS

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विषय सूची:

सामान्य अध्ययन-II

1. राष्ट्रीय न्यास

2. दूरसंचार क्षेत्र के लिए सरकारी राहत पैकेज

 

सामान्य अध्ययन-III

1. कृषि अवसंरचना कोष एवं प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों का सशक्तिकरण

2. आइसोथर्मल फोर्जिंग तकनीक

3. पाकिस्तान द्वारा गिलगित-बाल्टिस्तान में यूरेनियम समृद्ध क्षेत्र का दोहन

4. पार्कर सोलर प्रोब

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. जी-33 समूह

2. हम्बोल्ट पेंगुइन

3. स्टेबलकॉइन

4. विश्व का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे

5. जनरल शेरमेन

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

 राष्ट्रीय न्यास


(National Trust)

संदर्भ:

हाल ही में, ‘सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय’ के ‘दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग’ के तहत गठित ‘राष्ट्रीय न्यास’ (National Trust) द्वारा ‘राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999’ (National Trust Act, 1999) के कार्यान्वयन हेतु, जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख केन्द्र–शासित प्रदेशों के अधिकारियों, गैर-सरकारी संगठनों, माता-पिता और पेशेवरों के साथ बैठकों का आयोजन किया गया।

पृष्ठभूमि:

स्वलीनता / ऑटिज्म (Autism), प्रमस्तिष्क पक्षाघात / सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy), मानसिक मंदता (Mental Retardation) और बहु-विकलांगता (Multiple Disabilities) से पीड़ित व्यक्तियों के कल्याण हेतु ‘राष्ट्रीय न्यास अधिनियम’, 1999’ की स्थापना की गयी थी।

इस अधिनियम में एक ‘राष्ट्रीय न्यास’ (National Trust) को गठित किए जाने का प्रावधान किया गया है।

‘राष्ट्रीय न्यास’ के बारे में:

राष्ट्रीय न्यास, सामाजिक न्याय एंव अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है।

  • इसकी स्थापना स्वलीनता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु –निःशक्तताग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण हेतु ‘राष्ट्रीय न्यास अधिनियम’, 1999’ के तहत की गई है।
  • ‘राष्ट्रीय न्यास’ (नेशनल ट्रस्ट) को मुख्यतः दो मूलभूत कर्तव्यों – ‘विधिक’ और ‘कल्याणकारी’- के निर्वहन लिए स्थापित किया गया है।

‘राष्ट्रीय न्यास’ के लक्ष्य एवं उद्देश्य:

राष्ट्रीय न्यास के विशेष उद्देश्य निम्नलिखित हैं: –

  1. समावेषी समाज का निर्माण करना जिसमें मानवीय विविधताओं का मान होता हो तथा निःशक्तताग्रस्ति व्यक्तियों को स्वतंत्रतापूर्वक सम्मान के साथ, अधिकारों एवं अवसरों में पूर्ण सहभागिता हेतु अधिकार प्राप्त कराना।
  2. निःशक्तताग्रस्ति व्यक्तियों के लिए समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और समाज में पूर्ण भागीदारी को सुनिश्चित करना।
  3. निःशक्तताग्रस्ति व्यक्तियों की आवश्यकताओं पर आधारित सेवाएं प्रदान करने के लिए पंजीकृत संगठनों को समर्थन प्रदान करना; और
  4. निःशक्तताग्रस्ति व्यक्तियों के अभिभावकों की नियुक्ति तथा न्यासी प्रक्रिया को विकसित करना।

current affairs

‘राष्ट्रीय न्यास अधिनियम’ (NTA) के अंतर्गत विकलांगता:

‘राष्ट्रीय न्यास’, निम्नलिखित चार विकलांगतों में से किसी एक से ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण के लिए कार्य करता है:

  1. स्वलीनता (Autism),
  2. प्रमस्तिष्क पक्षाघात (Cerebral Palsy),
  3. मानसिक मंदता (Mental Retardation) और
  4. बहु-विकलांगता (Multiple Disabilities)

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राष्ट्रीय न्यास के बारे में
  2. उद्देश्य
  3. कार्य
  4. ‘राष्ट्रीय न्यास अधिनियम’, 1999 के बारे में

मेंस लिंक:

राष्ट्रीय न्यास की भूमिकाओं और कार्यों के बारे में चर्चा करें।

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

 दूरसंचार क्षेत्र हेतु सरकारी राहत पैकेज


संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नकदी संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत पैकेज को मंजूरी दी गयी थी।

‘राहत पैकेज’ के बारे में:

  • सरकार द्वारा गिये जाने वाले राहत पैकेज में, दूरसंचार कंपनियों को वैधानिक देय राशि के भुगतान के लिए चार साल की मोहलत दी गयी है, और साथ ही दूरसंचार क्षेत्र में, स्वचालित मार्ग के माध्यम से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की भी अनुमति दी गयी है।
  • विस्तृत उपायों में, बकाया राशि को चुकाने के लिए मोहलत, समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue – AGR) को उत्‍तरव्यापी प्रभाव से पुनर्परिभाषित करने, और ‘स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क’ में कटौती के माध्यम से ‘बीमार’ चल रहे दूरसंचार क्षेत्र में सुधार शामिल हैं।

‘राहत पैकेज’ में दूरसंचार क्षेत्र के लिए सहायता:

इसमें, दूरसंचार कंपनियों वोडाफोन आइडिया, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के लिए बहुत जरूरी छूटें प्रदान की गयी।

  • इन छूटों से, रोजगार सृजन और रोजगार सुरक्षा, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन, उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा, दूरसंचार क्षेत्र में तरलता बढ़ाने, निवेश को प्रोत्साहित करने और ‘दूरसंचार सेवा प्रदाताओं’ (TSPs) पर नियामक-भार के कम होने की संभवना है।
  • समायोजित सकल राजस्व (AGR) से संबंधित बकाया राशि पर मोहलत देने से, नकदी की तंगी से जूझ रही फर्मों को अपने कारोबार में सुधार करने का अवसर और बकाया चुकाने के लिए अधिक समय मिलेगा।
  • ‘गैर-दूरसंचार राजस्व’ को को ‘करों’ के दायरे से बाहर रखने के लिए ‘समायोजित सकल राजस्व’ की परिभाषा बदल दी गई है। अब, ‘गैर-दूरसंचार’ गतिविधियों से अर्जित राजस्व को ‘AGR’ में शामिल नहीं किया जाएगा।

current affairs

‘दूरसंचार कंपनियों की वित्तीय स्थिति’ ख़राब किस प्रकार हुई?

आइए, इसे तीन आसान चरणों में समझते हैं:

  1. इसकी शुरुआत, कुल मिलाकर ‘समायोजित सकल राजस्व’ (AGR) की अलग-अलग कानूनी व्याख्या किए जाने साथ हुई। इसे ठीक से समझने के लिए वर्ष 1999 में वापस जाना होगा, जब सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए, एक ‘निर्धारित राजस्व-साझाकरण मॉडल’ में बदलाव करने का निर्णय लिया था। नए मॉडल में, टेलीकॉम कंपनियों के लिए दूरसंचार और गैर-दूरसंचार राजस्व से अर्जित अपने ‘समायोजित सकल राजस्व’ का एक निश्चित प्रतिशत, ‘लाइसेंस और स्पेक्ट्रम शुल्क के रूप में’ भुगतान करना निर्धारित किया गया था।
  2. वर्ष 2003 में, दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से AGR भुगतान की मांग की गयी। दूरसंचार विभाग के अनुसार, ‘समायोजित सकल राजस्व’ की गणना में दूरसंचार कंपनियों द्वारा अर्जित कुल राजस्व के आधार पर गैर-दूरसंचार स्रोतों जैसे जमाराशियों पर ब्याज तथा परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्त होने वाली आय शामिल की जाएगी।
  3. टेलीकॉम कंपनियों ने इसके खिलाफ ‘दूरसंचार विवाद निपटान अपीलीय अधिकरण (Telecom Disputes Settlement Appellate Tribunal – TDSAT) में अपील की, जिस पर अधिकरण ने जुलाई 2006 में फैसला देते हुआ कहा कि इस मामले को नए सिरे से परामर्श के लिए ‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण’ (TRAI) को वापस भेजा जाना चाहिए। TDSAT ने सरकार की दलील को खारिज कर दिया, और इसके बाद केंद्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। मामला अभी विचारधीन ही था, कि इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने, वर्ष 2012 में, 2-जी घोटाला मामले में 122 दूरसंचार लाइसेंस रद्द कर दिए। इसकी वजह से एक नया सुधार लागू किया गया, जिसमें अब स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के माध्यम से होने लगा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

वर्ष 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पहला फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि दूरसंचार विभाग (DoT)  द्वारा निर्धारित की गयी ‘समायोजित सकल राजस्व’ (AGR) परिभाषा सही थी, और टेलीकॉम कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व’ और ब्याज का भुगतान करना होगा और भुगतान न करने पर जुर्माना देना होगा।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि भारत में स्पेक्ट्रम की नीलामी किस प्रकार की जाती है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. समायोजित सकल राजस्व (AGR) क्या है? इसकी गणना कैसे की जाती है?
  2. इस विवाद पर उच्चत्तम नयायालय का क्या फैसला था?
  3. TRAI की संरचना?
  4. भारत में स्पेक्ट्रम का आवंटन कैसे किया जाता है?

मेंस लिंक:

वर्तमान में भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के समक्ष मौजूद चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। टेलीकॉम सेक्टर को बचाने के लिए भारत सरकार को क्या करना चाहिए?

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

कृषि अवसंरचना कोष एवं प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों का सशक्तिकरण


संदर्भ:

केंद्र सरकार द्वारा ‘कृषि अवसंरचना कोष’ (Agriculture Infrastructure Fund – AIF) की शुरुआत किए जाने के एक वर्ष पश्चात्, यह कोष, ग्रामीण स्तर पर ऋण-प्रणाली की जीवन रेखा कही जाने वाली ‘प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों’ (Primary Agricultural Cooperative Societies – PACS) के सशक्तिकरण में बड़ी भूमिका निभा रहा है।

  • पिछले महीने राज्यसभा को उपलब्ध कराए गए कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, ‘कृषि अवसंरचना कोष’ (AIF) के तहत ₹4,503 की लागत वाली कुल 6,524 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
  • इसमें से 76 प्रतिशत (4,963) परियोजनाएं ‘प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों’ (PACS) को दी गई हैं। अर्थात, योजना के तहत 65 फीसदी राशि PACS परियोजनाओं के लिए जारी की गयी है।

current affairs

‘कृषि अवसंरचना कोष’ योजना में किए गए नवीनतम संशोधन:

  1. योजना के तहत, पात्रता को विस्तारित करते हुए इसमें, राज्य एजेंसियों / APMCs, राष्ट्रीय और राज्य सहकारी समितियों के परिसंघों, किसान उत्पादक संगठनों के परिसंघों (FPOs) तथा स्वयं सहायता समूहों के परिसंघों (SHGs) को भी शामिल किया गया है।
  2. कृषि उपज बाजार समितियों (Agricultural Produce Market Committee – APMC) के लिए एक ही बाजार आहाता के भीतर विभिन्न अवसंरचनाओं जैसे कोल्ड स्टोरेज, सार्टिंग,ग्रेडिंग और परख इकाइयों, कोठों (साइलो) आदि की प्रत्येक परियोजना के लिए 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर ब्याज सहायता प्रदान की जाएगी।
  3. कृषि और किसान कल्याण मंत्री के लिए, योजना में किसी लाभार्थी को शामिल करने या हटाने के संबंध में आवश्यक परिवर्तन करने की शक्ति प्रदान की गई है।
  4. वित्तीय सुविधा की अवधि 4 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष अर्थात 2025-26 तक कर दी गई है और इस योजना की कुल अवधि 10 से बढ़ाकर 13 अर्थात 2032-33 तक कर दी गई है।

‘कृषि अवसंरचना कोष’ के बारे में:

  • ‘कृषि अवसंरचना फंड / कोष’, ब्याज छूट तथा ऋण गारंटी के जरिये फसल उपरांत प्रबंधन अवसंरचना तथा समुदाय खेती के लिए व्यावहार्य परियोजनाओं में निवेश करने के लिए एक मध्यम-दीर्घ अवधि ऋण वित्तपोषण सुविधा है।
  • इस योजना के तहत, सालाना 3 प्रतिशत की ब्याज छूट के साथ ऋण के रूप में बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों द्वारा 1 लाख करोड़ रुपये तथा 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए CGTMSE के तहत क्रेडिट गारंटी कवरेज उपलब्ध कराई जाएगी।

पात्र लाभार्थी:

इस योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों में, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PAC), विपणन सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), स्वयं सहायता समूहों (SHGs), किसानों, संयुक्त देयता समूहों (Joint Liability Groups- JLG), बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, कृषि उद्यमियों, स्टार्टअपों, और केंद्रीय/राज्य एजेंसी या स्थानीय निकाय प्रायोजित सार्वजनिक-निजी साझीदारी परियोजनाएं आदि को शामिल किया गया है।

ब्याज में छूट:

इस वित्तपोषण सुविधा के अंतर्गत, सभी प्रकार के ऋणों में प्रति वर्ष 2 करोड़ रुपये की सीमा तक ब्याज में 3% की छूट प्रदान की जाएगी। यह छूट अधिकतम 7 वर्षों के लिए उपलब्ध होगी।

क्रेडिट गारंटी:

  • 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ‘क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज’ (CGTMSE) योजना के अंतर्गत इस वित्तपोषण सुविधा के माध्यम से पात्र उधारकर्ताओं के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज भी उपलब्ध होगा।
  • इस कवरेज के लिए सरकार द्वारा शुल्क का भुगतान किया जाएगा।
  • FPOs के मामले में, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (DACFW) के FPO संवर्धन योजना के अंतर्गत बनाई गई इस सुविधा से क्रेडिट गारंटी का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

‘कृषि अवसंरचना कोष का प्रबंधन:

  • ‘कृषि अवसंरचना कोष का प्रबंधन और निगरानी ऑनलाइन ‘प्रबंधन सूचना प्रणाली’ (MIS) प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाएगी।
  • सही समय पर मॉनिटरिंग और प्रभावी फीडबैक की प्राप्ति को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर मॉनिटरिंग कमिटियों का गठन किया जाएगा।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने ‘असममित संक्षोभ’ या एसिमेट्रिक शॉक (Asymmetric shock) के बारे में सुना है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘कृषि अवसंरचना निधि’ के बारे में
  2. FPOs क्या हैं?
  3. सहकारी समितियां क्या होती हैं? संवैधानिक प्रावधान
  4. CGTMSE के बारे में
  5. केंद्रीय क्षेत्रक तथा केंद्र प्रायोजित योजनाएं

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

आइसोथर्मल फोर्जिंग तकनीक


(Isothermal Forging Technology)

संदर्भ:

हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा ‘एयरोइंजन’ के लिए ‘क्रिटिकल नियर आइसोथर्मल फोर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (Critical near Isothermal Forging Technology) अर्थात ‘क्रांतिक तापमान के नजदीक ‘समतापमान’ पर किसी धातु को किसी सांचे में ढालने की तकनीक’ विकसित की गयी है।

current affairs

‘आइसोथर्मल फोर्जिंग’ क्या होती है?

‘आइसोथर्मल फोर्जिंग’ (Isothermal forging) एक ‘बंद सांचे’ / ‘क्लोज-डाई’ (Closed-Die) से संबंधित प्रक्रिया होती है, जिसमें वर्कपीस (एक निश्चित आकार में ढाला जाने वाला धातु का कोई टुकड़ा) को इसके तापमान में कोई कमी हुए बिना नए आकार में ढालने के लिए, डाई (सांचे) और ‘वर्कपीस’ को एक ही तापमान पर गर्म किया जाता है।

  • यह, जेट-इंजन और अन्य एयरोस्पेस घटकों में प्रयुक्त होने वाले, उच्च घनत्व वाली हल्के मिश्र धातुओं से निर्मित अभियांत्रिक भागों को बनाने के लिए एक अधिमान्य और प्रचलित प्रक्रिया है।
  • इस प्रक्रिया में, वर्कपीस को एक नया आकार देने के लिए धीमी गति से और गर्म डाई के लगभग बराबर तापमान पर गर्म किया जाता है।
  • वर्कपीस को वांछित आकार देने में लगने वाले लंबे समय और डाई द्वारा लगाए जाने वाले अन्य बल, लगभग एकदम ‘उपयोग के लिए तैयार’ घटक बनाने में मदद करते हैं, और इसमें किसी अन्य सहायक मशीनरी की न्यूनतम आवश्यकता होती है।

current affairs

 महत्व:

  • एयरोइंजन प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है।
  • इसके साथ ही भारत ऐसे महत्वपूर्ण एयरोइंजन घटकों की निर्माण क्षमता रखने के लिए सीमित वैश्विक इंजन विकास करने वालों की लीग में शामिल हो गया है।

इंस्टा जिज्ञासु:

हाल ही में, रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला’ (DRDO) द्वारा क्वांटम कुंजी वितरण (Quantum Key Distribution– QKD) प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया गया था। इसके बारे में अधिक जानकारी हेतु यहां पढ़ें।

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।

पाकिस्तान द्वारा गिलगित-बाल्टिस्तान में यूरेनियम समृद्ध क्षेत्र का दोहन


संदर्भ:

अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन करते हुए, पाकिस्तान, पाक-अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में यूरेनियम समृद्ध क्षेत्र का दोहन कर रहा है, जिसकी स्थानीय लोगों और इस क्षेत्र के राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने पुष्टि भी की है।

भारत के लिए चिंता का विषय:

इससे पहले भी, पाकिस्तान द्वारा चीनी खनन कंपनियों को गिलगित-बाल्टिस्तान में प्राकृतिक संसाधनों को लूटने की खुली छूट देने की खबरें आती रही हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान के कब्जे वाले ‘गिलगित बाल्टिस्तान’ और ‘खैबर पख्तूनख्वा’ क्षेत्रों में सोने, यूरेनियम और मोलिब्डेनम के खनन के लिए चीनी फर्मों को 2,000 से अधिक पट्टे अवैध रूप से दिए जाने की जानकारी भी मिली है।

‘यूरेनियम’ के बारे में:

यूरेनियम (Uranium) की उपस्थिति: यह प्राकृतिक रूप से, निम्न मात्रा में मृदा, चट्टानों तथा जल में पाया जाता है, तथा व्यवसायिक रूप से, यूरेनियम के अंश वाले खनिजों से इसका निष्कर्षण किया जाता है

अनुप्रयोग:

  1. चांदी के सदृश धूसर धातु के समान दिखने वाला यूरेनियम, अपनी अद्वितीय परमाण्विक विशेषताओं के कारण मुख्यतः परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में उपयोग किया जाता है।
  2. रेडियोधर्मी पदार्थो के परिवहन के दौरान तथा ‘विकिरण चिकित्सा’ (Radiation Therapy) का उपयोग करने वाली चिकित्सा प्रक्रियाओं के दौरान विकरण से बचने के लिए ‘अवक्षयित यूरेनियम’ (Depleted uranium) का उपयोग किया जाता है।
  3. यद्यपि यह खुद एक रेडियोधर्मी तत्व होता है, परंतु यूरेनियम का उच्च घनत्व, विकिरण को अवरुद्ध करने में इसे प्रभावी बनाता है।
  4. इसका उच्च घनत्व, विमानों और औद्योगिक मशीनरी में प्रतिसंतुलन (Counterweights) के रूप में भी इसे उपयोगी बनाता है।

भारत में यूरेनियम खनन:

  • भारत में, यूरेनियम के निक्षेप धारवाड़ की चट्टानों में पाए जाते है।
  • यूरेनियम, झारखंड की सिंहभूमि तांबा पट्टी (Singbhum Copper belt), राजस्थान के उदयपुर, अलवर और झुंझुनू जिले, छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले, महाराष्ट्र के भंडारा और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पाया जाता है।
  • हाल ही में, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में शेषाचलम वनों और श्रीशैलम के मध्य (आंध्र प्रदेश के दक्षिणी छोर से तेलंगाना के दक्षिणी किनारे तक), पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम के भंडारों की खोज हुई है।

‘यूरेनियम संवर्धन’ का लक्ष्य:

  • यूरेनियम में U-235 नामक एक दुर्लभ रेडियोधर्मी समस्थानिक (Radioactive Isotope) होता है, जिसका उपयोग, निम्न संवर्द्धन स्तर पर परमाणु रिएक्टरों के ईंधन और उच्च संवर्द्धन स्तर पर परमाणु बमों के ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
  • यूरेनियम संवर्धन का लक्ष्य U-235 के प्रतिशत स्तर में वृद्धि करना होता है, जिसे अक्सर सेंट्रीफ्यूज (Centrifuges) के माध्यम से किया जाता है। अपकेन्द्रण यंत्र (Centrifuges), अपरिष्कृत यूरेनियम के एक रूप को उच्च गति पर घुमाने वाली मशीनें होती हैं।

centrifuge

 

इंस्टा जिज्ञासु:

हाल ही में, पाकिस्तान सरकार ने ‘पंज तीरथ’ नामक हिंदू धार्मिक स्थल को राष्ट्रीय विरासत घोषित किया था? इस तीर्थ स्थल का क्या महत्वहै?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. रेडियोधर्मी तत्व बनाम गैर-रेडियोधर्मी तत्व।
  2. तत्व का अर्ध-जीवनकाल क्या होता है? इसे किस प्रकार मापा जाता है?
  3. भू-पर्पटी में पाए जाने वाले प्रचुर तत्व
  4. यूरेनियम, भूजल को किस प्रकार दूषित करता है?
  5. BIS तथा WHO द्वारा निर्धारित यूरेनियम सीमा।

मेंस लिंक:

हाल की एक रिपोर्ट में भारत के भूजल में यूरेनियम संदूषण को उजागर किया गया था। इस मुद्दे को हल करने के तरीकों, इसके कारणों और प्रभावों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

पार्कर सोलर प्रोब


संदर्भ:

नासा के ‘पार्कर सोलर प्रोब’ (Parker Solar Probe) के डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने ‘अंतरिक्ष धूल’ (Space Dust) के विशालकाय बादल की आंतरिक संरचना और व्यवहार संबंधी, अब तक की सर्वाधिक जानकारी एकत्रित कर ली है। पूरे सौर मंडल में भ्रमण करने वाले ‘अंतरिक्ष धूल’ के इस विशाल गुबार को ‘राशिचक्रीय मेघ’ / ज़ोडिअकल क्लाउड (Zodiacal Cloud) के रूप में जाना जाता है।

वैज्ञानिकों को इस बादल में धूल की तीन परतों की जानकारी मिली है-

  1. पहली परत में, अधिकांश धूल-कण धीरे-धीरे सूर्य (अल्फा-उल्कापिंड) की ओर खिंचे जा रहे हैं।
  2. भंवरयुक्त बादल में धूल-कणों के टकराने से धूल की एक दूसरी परत का निर्माण होता है, इस परत में धूल-कण इतने महीन हो जाते हैं कि वे सौरप्रकाश (बीटा-उल्कापिंड) के दबाव से, सभी दिशाओं में सौर मंडल से बाहर की ओर धकेल दिए जाते हैं।
  3. धूल की एक तीसरी परत का निर्माण, संभवतः धूमकेतीय मलबे की “ट्यूब” और पहली दो परतों के धूल-कणों के टकराने से होता है। टकराव के पश्चात्, इस परत में धूल-कण एक विशिष्ट खूंटी के आकार में बिखर जाते है।

‘राशिचक्रीय मेघ’ (Zodiacal Cloud) क्या होते हैं?

राशि चक्रीय मेघों / ‘अंतरग्रहीय धूल कणों’ (Interplanetary Dust Particles – IDPs) के स्रोतों में, प्रायः क्षुद्रग्रह टकराव, धूमकेतु गतिविधियां और आंतरिक सौर मंडल में इनके टकराव, कुइपर बेल्ट टकराव (Kuiper belt collisions) से निर्मित, और अंतर-तारकीय मध्यम आकर के धूलकण आदि शामिल होते हैं।

  • राशि चक्रीय मेघ, सूर्य के प्रकाश का इस तरह से प्रकीर्णन करते हैं, कि इसे नग्न आंखों से भी देखा जा सकता है। किंतु, राशि चक्रीय मेघ को केवल बहुत अंधेरी और स्वच्छ रातों में ही देखा जा सकता है, क्योंकि चांदनी रात या शहरों से आने वाली रोशनी की चमक इसके प्रकाश से कहीं अधिक होती है, अतः ऐसे में ये नग्न आँखों से नहीं देखे जा सकते।
  • ये सूर्य के नजदीक सबसे मोटे आकार में और सौर मंडल के किनारों पर सर्वाधिक महीन आकार के होते हैं। नग्न आंखों से देखने पर राशि चक्रीय मेघ, सपाट और चमकीले दिखाई देते हैं, किंतु अवरक्त तरंगो के माध्यम से देखने पर इनमे चमकीली धारियाँ दिखाई स्पष्ट दिखती हैं। इन धारियों से उनके स्रोत धूमकेतु और क्षुद्रग्रहों का पता लगाया जा सकता है।

‘पार्कर सोलर प्रोब मिशन’ के बारे में:

  • नासा का ऐतिहासिक पार्कर सोलर प्रोब मिशन सूर्य के बारे में अब तक ज्ञात जानकारी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, जहाँ पर बदलती हुई परिस्थितियां, पृथ्वी तथा अन्य दुनियाओं को प्रभावित करती हुई संपूर्ण सौर प्रणाली में प्रसारित होती है।
  • पार्कर सोलर प्रोब, किसी भी अंतरिक्ष यान की तुलना में, अत्याधिक ताप एवं विकिरण का सामना करते हुए सूर्य की सतह से सर्वाधिक नजदीक से होकर सूर्य के वायुमंडल से गुजरेगा और अंततः मानवता के लिए तारे का अब तक सबसे निकटतम पर्यवेक्षण प्रदान करेगा।

पार्कर सोलर प्रोब की यात्रा:

  • सूर्य के वातावरण के रहस्यों को उजागर करने के क्रम में, पार्कर सोलर प्रोब लगभग सात वर्षों में सात परिभ्रमणों के दौरान शुक्र के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करेगा तथा धीरे-धीरे अपनी कक्षा को सूर्य के नजदीक स्थापित करेगा।
  • पार्कर सोलर प्रोब अंतरिक्ष यान, सूर्य की सतह से 9 मिलियन मील की दूरी पर और बुध ग्रह की कक्षा के भीतर से से होकर सूर्य के वायुमंडल से गुजरेगा।

मिशन का लक्ष्य:

पार्कर सोलर प्रोब के तीन विस्तृत वैज्ञानिक उद्देश्य हैं:

  1. सौर कोरोना और सौर हवा को गर्म करने और गति प्रदान करने वाली ऊर्जा के प्रवाह का पता लगाना।
  2. सौर हवा के स्रोतों पर प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र की संरचना और गतिशीलता का निर्धारण करना।
  3. ऊर्जा कणों को गति प्रदान करने और इनका परिवहन करने वाली प्रणाली का अन्वेषण करना।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. पार्कर सोलर प्रोब के बारे में
  2. सोलर फ्लेयर्स क्या हैं?
  3. सूर्य का कोरोना
  4. पृथ्वी और शुक्र ग्रह की संरचना में अंतर
  5. रेडियो तरंगें क्या होती हैं?

मेंस लिंक:

सोलर फ्लेयर्स पृथ्वी के पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? चर्चा कीजिए।

स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


जी-33 समूह

  • G-33 (कृषि में विशेष उत्पादों के मित्र) विकासशील देशों का एक गठबंधन है। इसकी स्थापना वर्ष 2003 में आयोजित ‘कैनकन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन’ से पहले की गयी थी। ‘विश्व व्यापार संगठन’ की दोहा दौर वार्ता के दौरान इस सम्मलेन को विशेष रूप से कृषि के संबंध में चर्चा के लिए समन्वयित किया गया था।
  • वर्तमान में G33 समूह में 47 सदस्य शामिल हैं।
  • विश्व व्यापार संगठन वार्ताओं के संबंध में, यह समूह, कृषि के संबंध में “रक्षात्मक” रवैया रखता है, और विकासशील देशों के लिए जरूरी बाजार खोलने की सीमा को सीमित करने का प्रयास करता है।
  • यह समूह, “विशेष उत्पादों” के लिए छूट के प्रावधान की हिमायत करता है, जिसमें यह, विकासशील देशों के लिए ‘कुछ उत्पादों पर शुल्क में कटौती से छूट देने की अनुमति पर रोक लगाने’ और आयात में होने वाली वृद्धि के प्रत्युत्तर में एक “विशेष सुरक्षा तंत्र” स्थापित करने की मांग करता है।
  • भारत, इस समूह का सदस्य है।

current affairs

हम्बोल्ट पेंगुइन

पिछले हफ्ते, मुंबई के भायखला चिड़ियाघर द्वारा इस साल दो नए हम्बोल्ट पेंगुइन चूजों को शामिल करने की घोषणा की गयी थी। दोनों चूजे, भायखला चिड़ियाघर में पहले से रहने वाले सात वयस्क हम्बोल्ट पेंगुइन में शामिल हो गए हैं।

  • हम्बोल्ट पेंगुइन (Humboldt penguin), पेंगुइन की लगभग 17 प्रजातियों में से एक, मध्यम आकार की प्रजाति है।
  • हम्बोल्ट पेंगुइन की औसत ऊंचाई मात्र 2 फीट तक होती है (पेंगुइन प्रजातियों में, ‘एम्परर पेंगुइन’ सबसे बड़ा और आकार में 4 फीट से अधिक लंबा होता है)।
  • हम्बोल्ट पेंगुइन (स्फेनिस्कस हम्बोल्टी- Spheniscus humboldti), आमतौर पर ‘बैंडेड’ समूह के रूप में वर्गीकृत एक जीनस से संबंधित है (पेंगुइन को छह वंशों / जीनस में विभाजित किया जाता है)।
  • हम्बोल्ट पेंगुइन, चिली और पेरू के प्रशांत महासागरीय तटों पर स्थानिक रूप से पाई जाती हैं।
  • चूंकि, इनका प्राकृतिक आवास ‘हम्बोल्ट धारा’, ठंडे पानी की विशाल महासागरीय धारा के समीप होता है, इसीलिये इनके हम्बोल्ट पेंगुइन के नाम से जाना जाता है।
  • IUCN रेड लिस्ट में यह प्रजाति ‘असुरक्षित’ के रूप में वर्गीकृत है।

current affairs

स्टेबलकॉइन

‘स्टेबलकॉइन’ (Stablecoin) एक प्रकार की ‘क्रिप्टोकरेंसी’ (Cryptocurrency) होती है, जो आम तौर पर सरकार समर्थित मौजूदा मुद्रा से जुड़ी होती है।

  • वर्तमान में प्रचलित दर्जनों ‘स्टेबलकॉइन’ से अधिकांश, डॉलर को अपनी बेंचमार्क संपत्ति के रूप में उपयोग करते हैं, लेकिन कई ‘स्टेबलकॉइन’, ‘यूरो’ और ‘येन’ जैसी सरकारों द्वारा जारी की गई अन्य साख मुद्राओं से भी जुड़े हुए हैं।
  • नतीजतन, बिटकॉइन और एथेरियम जैसी हाई-प्रोफाइल क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत, ‘स्टेबलकॉइन’ की कीमत में बहुत कम उतार-चढ़ाव होता है।
  • ‘स्टेबलकॉइन’ काफी उपयोगी होते हैं क्योंकि वे पुरानी दुनिया की मुद्रा और नई दुनिया की क्रिप्टोकरेंसी के बीच एक सेतु बनाते हैं।
  • सबसे पहला ‘स्टेबलकॉइन’ ‘टेथर’ (Tether) था, जिसे वर्ष 2014 में बनाया गया था। इसके बाद कई अन्य ‘स्टेबलकॉइन’ बनाए जा चुके हैं।

 

विश्व का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे

दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात से गुजरने वाला, 1380 किलोमीटर लंबा और आठ-लेन वाला दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली और मुंबई के बीच के बीच यात्रा के समय को घटाकर 12 घंटे कर देगा।

  • यह एक्सप्रेसवे वर्ष 2023 में शुरू होगा।
  • यातायात की मात्रा के आधार पर आठ-लेन वाले एक्सप्रेसवे को 12-लेन एक्सप्रेसवे तक विस्तारित किया जा सकता है।
  • इस राजमार्ग के किनारे, दो मिलियन से अधिक पेड़ और झाड़ियाँ लगाये जाने की भी योजना है।
  • यह एशिया में पहला और दुनिया में दूसरा ऐसा एक्सप्रेसवे है, जिसमें वन्यजीवों की अप्रतिबंधित आवाजाही को सुविधाजनक बनाने हेतु जानवरों के लिए ओवरपास बनाए गए हैं।

 

जनरल शेरमेन

  • जनरल शेरमेन (General Sherman) नामक यह पेड़ अपने आकार के मामले में विश्ब का सबसे बड़ा वृक्ष है और ‘सिकोइया ग्रोव’ नेशनल पार्क के विशाल वन में स्थित है। हाल के अनुमानों के अनुसार, जनरल शेरमेन की आयु लगभग 2,200 वर्ष है।
  • यह वृक्ष 275 फीट (पीसा की झुकी हुई मीनार से ऊँचा) ऊँचा है और आधार पर इसका व्यास 36 फीट है।
  • जनरल शेरमेन वृक्ष, अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में स्थित है।

चर्चा का कारण:

कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग से जनरल शेरमेन वृक्ष को खतरा है।


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