INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 1 July 2021 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

सामान्य अध्ययन-I

1. घरेलू हिंसा के मामलों से निपटने हेतु संरक्षण अधिकारी

 

सामान्य अध्ययन-II

1. संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान

 

सामान्य अध्ययन-III

1. गगनयान

2. साइबर सुरक्षा सूचकांक 2020

3. हिमस्खलन के कारण चमोली आपदा

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. इंद्रजाल

2. NATRAX

3. सरल संचार पोर्टल

4. अनुबंध प्रवर्तन पोर्टल / एनफोर्सिंग कॉन्ट्रेक्ट पोर्टल

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

घरेलू हिंसा के मामलों से निपटने हेतु संरक्षण अधिकारी


(Protection Officers in addressing Domestic Violence)

संदर्भ:

हाल ही में, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) के सहयोग से राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) द्वारा घरेलू हिंसा संबंधी मामलों को निपटाने को लेकर संरक्षण अधिकारियों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है।

उद्देश्य:

प्रशिक्षण का उद्देश्य पुलिस, कानूनी सहायता सेवाओं, स्वास्थ्य प्रणाली, सेवा प्रदाताओं, आश्रय सेवाओं, ‘वन स्टॉप सेंटर’ आदि सहित अधिनियम के तहत विभिन्न हितधारकों/सेवा प्रदाताओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना है।

‘संरक्षण अधिकारियों’ के बारे में:

‘संरक्षण अधिकारियों’ (Protection Officers) की नियुक्ति ‘घरेलू हिंसा अधिनियम’ (Domestic Violence Act) के तहत की जाती है और ये पीड़ित महिला और अदालत के मध्य एक समन्वयक के रूप में कार्य करते हैं।

कार्य:

संरक्षण अधिकारी पीड़ित महिला को राहत प्राप्त करने के लिए शिकायत दर्ज कराने और मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन करने के अलावा चिकित्सकीय सहायता, कानूनी सहायता, परामर्श, सुरक्षित आश्रय और अन्य जरूरी सहायता प्राप्त करने में मदद करता है।

पात्रता:

अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित नियमों के अनुसार, राज्य सरकारों के लिए प्रत्येक न्यायिक मजिस्ट्रेट के क्षेत्राधिकार में कम से कम एक संरक्षण अधिकारी की नियुक्ति करना आवश्यक है।

  • किसी सरकारी या गैर-सरकारी संगठनों के सदस्य को संरक्षण अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, किंतु इसने पास सामजिक क्षेत्र में न्यूनतम तीन साल कार्य करने का अनुभव होना आवश्यक है।
  • अधिनियम के नियमानुसार, संरक्षण अधिकारी के रूप में अधिमानतः महिलाओं की नियुक्ति की जानी चाहिए।

संरक्षण अधिकारियों के कामकाज में आने वाली चुनौतियां / समस्याएं:

  1. हालांकि ‘घरेलू हिंसा अधिनियम’ को लागू किए हुए 12 साल का समय हो गया है, लेकिन इसके प्रावधानों का पूरे देश में समान रूप से कार्यान्वयन नहीं किया गया है।
  2. कई राज्यों में, अधिनियम लागू होने के वर्षों बाद भी संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की गई है।
  3. वर्तमान में, संरक्षण अधिकारियों की योग्यता से लेकर उनकी नियुक्तियों की प्रकृति तक, सब कुछ अलग-अलग राज्यों में भिन्न है।
  4. ‘संरक्षण अधिकारियों (Protection Officers- POs) की संख्या भी विभिन्न राज्यों में भिन्न है। कुछ राज्यों में काफी ज्यादा संख्या में लोगों को ‘PO’ की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि अन्य राज्यों में ये संख्या काफी कम है।
  5. ‘घरेलू हिंसा अधिनियम’ के तहत, संरक्षण अधिकारी पूर्णकालिक कार्यकर्ता होते हैं। दिल्ली, इस नियम का उल्लंघन करने वाला एकमात्र राज्य नहीं है।
  6. कई राज्यों में, मौजूदा सरकारी अधिकारियों के लिए ‘संरक्षण अधिकारी’ का अतिरिक्त प्रभार सौपा गया है।
  7. अधिकांश लोगों को इन ‘संरक्षण अधिकारियों’ के होने के बारे में कोई जानकारी भी नहीं है।
  8. कुछ संरक्षण अधिकारियों के लिए खुद ही कानून के तहत प्रक्रियाओं के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

  1. क्या आप जानते हैं, कि पुलिस मामले के बिना भी, घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत की गयी शिकायत पर, कोई महिला, भरण-पोषण, बच्चों की कस्टडी, मुआवजे और “साझा परिवार” का अधिकार हासिल कर सकती है? Read here
  2. क्या आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, ‘घरेलू हिंसा अधिनियम’ के तहत महिलाओं को ससुराल में रहने का अधिकार है? इस बारे में संक्षेप से पढ़ें

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. घरेलू हिंसा अधिनियम के बारे में
  2. प्रमुख प्रावधान
  3. संरक्षण अधिकारी कौन होते हैं?
  4. अधिनियम के तहत महिलाओं के अधिकार

मेंस लिंक:

‘घरेलू हिंसा अधिनियम’ के महत्व की विवेचना कीजिए।

स्रोत: पीआईबी।

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

 संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान


(UN Peacekeeping)

संदर्भ:

अभी तक, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में, 1 जुलाई से शुरू होने वाले वर्ष के लिए शांति सुरक्षा बजट (Peacekeeping Budget) पर सहमति नहीं हो सकी है। यदि इस मामले में शीघ्र ही कोई समाधान नहीं खोजा गया तो वर्तमान में जारी ‘सभी संयुक्त राष्ट्र शांति सुरक्षा अभियानों‘ को रोकना पड़ सकता है।

शांति सुरक्षा बजट पर यह अवरोध, चीन और अफ्रीकी देशों द्वारा अंतिम समय में किए जाने वाले कई अनुरोधों की वजह से उत्पन्न हुआ है।

संबंधित प्रकरण:

संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक शांति अभियानों का सालाना बजट लगभग 6.5 बिलियन डॉलर के बराबर होता है, और इसका वित्तीय वर्ष 1 जुलाई से आरंभ होता है। विदित हो, वर्तमान में, पूरे विश्व में संयुक्त राष्ट्र के लगभग 20 शांति अभियान जारी है, जिनमे लगभग 100,000 शांति-सैनिक, जिन्हें ब्लू हेलमेट (Blue Helmets) भी कहा जाता है, तैनात हैं।

इस वर्ष, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश, शांति सुरक्षा बजट पर सहमत होने में विफल रहे हैं।

निहितार्थ:

  • जब तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा बजट पर निर्णय नहीं लिया जाता है, उस समय तक इन अभियानों को सफलतापूर्वक जारी रखने में कड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है और ये मात्र अपने कर्मियों के लिए सुरक्षा उपायों पर व्यय करने के लिए प्रतिबंधित होंगे।
  • कार्यक्रम संचालन में कटौती किए जाने से, अभियानों की अपने अधिदेशों, जैसे कि, कोविड से निपटने में तैनाती वाले देशों की सहायता, नागरिकों की सुरक्षा करना, आदि को कार्यान्वित करने की क्षमता सीमित हो जाएगी।

संयुक्त राष्ट्र शांति सुरक्षा अभियानों का वित्त पोषण किस प्रकार किया जाता है?

  • यद्यपि, शांति सुरक्षा अभियानों को शुरू करने, जारी रखने या विस्तार करने के बारे में निर्णय, सुरक्षा परिषद द्वारा लिए जाते हैं, किंतु इन संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों का वित्तपोषण, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों की सामूहिक जिम्मेदारी होती है।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 17 के प्रावधानों के अनुसार, प्रत्येक सदस्य राष्ट्र शांति अभियानों के लिए निर्धारित राशि का भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है।

वर्ष 2020-2021 के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों हेतु आकलन किए गए योगदान के शीर्ष 5 प्रदाता देश निम्नलिखित हैं:

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका (27.89%)
  2. चीन (15.21%)
  3. जापान (8.56%)
  4. जर्मनी (6.09%)
  5. यूनाइटेड किंगडम (5.79%)

‘शांति अभियान’ क्या है?

संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान, ‘डिपार्टमेंट ऑफ़ पीस ऑपरेशन’ तथा ‘डिपार्टमेंट ऑफ़ ऑपरेशनल सपोर्ट’ का एक संयुक्त प्रयास है।

प्रत्येक ‘शांति सुरक्षा अभियान’ को ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ द्वारा मंजूरी प्रदान की जाती है।

संरचना:

  • संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षकों में सैनिक, पुलिस अधिकारी और नागरिक कर्मी सम्मिलित हो सकते हैं।
  • सदस्य देशों द्वारा स्वैच्छिक आधार पर शांति सैनिको का योगदान दिया जाता है।
  • शांति अभियानों के नागरिक कर्मचारी, अंतर्राष्ट्रीय सिविल सेवक होते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र सचिवालय द्वारा भर्ती और तैनात किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान तीन बुनियादी सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होते है:

  1. पक्षकारों की सहमति
  2. निष्पक्षता
  3. अधिदेश की सुरक्षा और आत्मरक्षा के अलावा बल प्रयोग नहीं किया जाएगा।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि 2007 में, भारत, संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में ‘महिला दल’ को तैनात करने वाला पहला देश था?  वर्तमान में जारी 13 शांति अभियानों के बारे में जानिए, Read here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. शांति अभियानों का वित्त पोषण किसके द्वारा किया जाता है?
  2. UNSC की भूमिका
  3. शांतिरक्षकों की संरचना?
  4. शांति सैनिकों को ब्लू हेल्मेट क्यों कहा जाता है?
  5. संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के मार्गदर्शक सिद्धांत
  6. वर्तमान में जारी शांति अभियान

मेंस लिंक:

संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान और उसके महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

गगनयान


(Gaganyaan)

संदर्भ:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा, दिसंबर में पहला ‘मानव रहित मिशन’ अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है। यह मिशन, मानव-सहित अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ का एक भाग होगा।

  • इसरो के अनुसार, कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण ‘गगनयान’ कार्यक्रम गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। महामारी के चलते देश के विभिन्न हिस्सों में बार-बार लगाए गए लॉकडाउन की वजह से विभिन्न उपकरणों की आपूर्ति बाधित हुई है।
  • ‘गगनयान’ कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, मानवयुक्त मिशन भेजने की आद्योपान्त (end-to-end) क्षमता का परीक्षण करने हेतु पहले मानव-रहित दो अंतरिक्ष उड़ानों को भेजने की योजना है।

गगनयान कार्यक्रम की घोषणा कब की गई थी?

  • गगनयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान की थी।
  • इसरो का लक्ष्य, भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पहले, 15 अगस्त, 2022 तक अपने पहले मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन, गगनयान को लॉन्च करना है।

उद्देश्य:

गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य, भारतीय प्रक्षेपण यान पर मानव को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता प्रदर्शित करना है।

तैयारियां और प्रक्षेपण:

  1. गगनयान कार्यक्रम के एक भाग के रूप में चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री-उम्मीदवार पहले ही रूस में सामान्य अंतरिक्ष उड़ान प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
  2. इस मिशन के लिए, इसरो के हैवी-लिफ्ट लॉन्चर ‘जी.एस.एल.वी. मार्क III’ (GSLV Mk III) को चिह्नित किया गया है।

भारत के लिए मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन की प्रासंगिकता:

उद्योगों को प्रोत्साहन: अत्यधिक मांग वाले अंतरिक्ष अभियानों में भागीदारी के माध्यम से भारतीय उद्योग को बड़े अवसर प्राप्त होंगे। गगनयान मिशन में प्रयुक्त लगभग 60% उपकरणों को भारतीय निजी क्षेत्र द्वारा निर्मित किया जाएगा।

रोजगार: इसरो प्रमुख के अनुसार, गगनयान मिशन 15,000 नए रोजगार के अवसर सृजित करेगा, उनमें से 13,000 रोजगार निजी उद्योग में होंगे। इसके अलावा, अंतरिक्ष संगठन के लिए 900 व्यक्तियों की अतिरिक्त श्रमशक्ति की आवश्यकता होगी।

प्रौद्योगिकी विकास: मानव सहित अंतरिक्ष उड़ानें, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे आगे हैं। मानव-सहित अंतरिक्ष उड़ानों से मिलने वाली चुनौतियां और इन मिशनों को स्वीकार करने से भारत को काफी लाभ होगा और भारत में तकनीकी विकास के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

अनुसंधान और विकास में प्रोत्साहन: इससे, अच्छे अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा मिलेगा। उचित उपकरणों सहित बड़ी संख्या में शोधकर्ताओं के शामिल होने से मानव सहित अंतरिक्ष उड़ानों (Human Space flights- HSF) से खगोल-जीव विज्ञान, संसाधन खनन, ग्रह रसायन विज्ञान, ग्रह कक्षीय अभिकलन और कई अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुसंधानों का विस्तार होगा।

प्रेरणा: मानव-सहित अंतरिक्ष उड़ान, राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य लोगों के साथ-साथ युवाओं को प्रेरणा प्रदान करेगी। यह, युवा पीढ़ी को उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने के लिए प्रेरित करेगी और उन्हें भविष्य के कार्यक्रमों में चुनौतीपूर्व भूमिका निभाने में सक्षम करेगी।

प्रतिष्ठा: भारत, मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन शुरू करने वाला चौथा देश होगा। गगनयान न केवल देश में प्रतिष्ठा लाएगा, बल्कि अंतरिक्ष उद्योग में एक प्रमुख भागीदार के रूप में भारत की भूमिका भी स्थापित करेगा।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

PSLV (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) और GSLV (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) दोनों ही इसरो द्वारा विकसित सैटेलाइट-लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) हैं। लेकिन, इनमे क्या अंतर हैं? Read here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. गगनयान के बारे में
  2. उद्देश्य
  3. जीएसएलवी के बारे में

मेंस लिंक:

गगनयान मिशन भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI) 2020


(Global Cyber Security Index)

संदर्भ:

हाल ही में, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी – अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union – ITU) द्वारा ‘वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक’ (Global Cyber Security Index – GCI) 2020 जारी किया गया है।

सूचकांक के बारे में:

‘वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक’, वैश्विक स्तर पर साइबर सुरक्षा के प्रति देशों की प्रतिबद्धता को मापने वाला एक विश्वसनीय संकेतक है।

  • इस सूचकांक के तहत, देशों का पांच स्तंभों – ‘विधिक, तकनीकी और संगठनात्मक उपायों, क्षमता विकास और समग्र अंकों का निर्माण करने हेतु सहयोग- के आधार पर आंकलन किया जाता है।
  • इसके अंतर्गत, विभिन्न देशों से 82 प्रश्न पूछे गए, जिनके आधार पर 20 संकेतकों को मापा गया।

सूचकांक में भारत और इसके पड़ोसियों का प्रदर्शन:

  1. ‘वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक-2020’ में भारत को 10वें स्थान पर रखा गया है। वर्ष 2019 तथा 2018 में भारत को 47वें स्थान पर रखा गया था।
  2. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत को चौथा स्थान हासिल हुआ है।
  3. पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान को क्रमश: 33 और 79वें स्थान पर रखा गया है।

सूचकांक में शीर्ष 5 स्थानों पर देश:

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. ब्रिटेन और सऊदी अरब
  3. एस्टोनिया
  4. दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और स्पेन
  5. रूस, संयुक्त अरब अमीरात और मलेशिया

देशों के समक्ष साइबर सुरक्षा संबंधी सामान्य चुनौतियां:

  1. राष्ट्रों के मध्य डिजिटल अंतराल, साइबर क्षेत्र में एक अरक्षणीय वातावरण का निर्माण करता है।
  2. कोविड महामारी के बाद के युग में बढ़ती डिजिटल निर्भरता ने डिजिटल असमानताओं को उजागर कर दिया है, इसे क्षमता निर्माण के माध्यम से समतल किया जाना चाहिए।
  3. आतंकवादियों द्वारा अपनी विचारधारा का प्रचार करने और घृणा फ़ैलाने के लिए साइबर स्पेस का कुशलता से उपयोग किया जाता है।

साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने हेतु भारत द्वारा किए जा रहे उपाय:

  1. भारत अपनी ‘पहली साइबर सुरक्षा रणनीति’ पर कार्य कर रहा है।
  2. कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (Computer Emergency Response Teams- CERT), राष्ट्रीय या सरकारी स्तर पर कंप्यूटर सुरक्षा संबंधी घटनाओं पर प्रतिक्रिया के समन्वय और सहयोग करने के लिए जिम्मेदार एजेंसी है।
  3. हाल ही में, एक ‘ऑनलाइन साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ शुरू किया गया है। इस पोर्टल पर कोई भी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी / बाल यौन शोषण सामग्री, बलात्कार/सामूहिक बलात्कार के चित्रों या यौन-प्रदर्शन करने वाली सामग्री से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट कर सकता है।
  4. देश में साइबर अपराध से संबंधित मुद्दों को व्यापक और समन्वित तरीके से निपटाने हेतु ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (Indian Cyber Crime Coordination Centre – I4C) की जा रही है।
  5. देश में महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचनाओं के संरक्षण हेतु ‘राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र’ (National Critical Information Infrastructure Protection Centre – NCIIPC) की स्थापना की गई है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप ‘राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र’ (National Cyber Coordination Centre-NCCC) द्वारा भारतीय आंकड़ा सुरक्षा परिषद (Data Security Council of India-DSCI) की साझेदारी में भारत की साइबर तकनीकी क्षमता को बढ़ाने के लिये लांच किए गए ‘टेकसागर’ ऑनलाइन पोर्टल के बारे मी जानते हैं? Read here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के बारे में
  2. राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC)
  3. CERT- In
  4. साइबर स्वच्छता केंद्र

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन।

हिमस्खलन के कारण चमोली आपदा


(Chamoli disaster due to avalanche)

संदर्भ:

उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी को अचानक आई भयंकर बाढ़ में कम से कम 72 लोगों की जान चली गई और कम से कम 200 लोग लापता हो गए थे।

हाल ही में, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India – GSI) द्वारा आपदा के कारणों पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी गई है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

  1. अचानक आई भयंकर बाढ़ का कारण, रौंती गढ़ घाटी (Raunthi Garh valley) के तलहटी में लटकती हुई चट्टानों के टूट कर गिरने और भारी मात्रा में बर्फ और शैलों का हिमस्खलन था।
  2. हिमस्खलन के प्रभाव से चट्टानों, हिम और बर्फ का संयोजन चूर-चूर हो गया, जिसके परिणामस्वरूप रौंती गढ़ की निचली धारा के बहाव तेज हो गया और ऋषिगंगा घाटी में बाढ़ आ गई।
  3. इस क्षेत्र में असामान्य रूप से गर्म मौसम भी इस आपदा का सहायक कारक था।
  4. इस घटना के पीछे ‘ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड’ (GLOF) का कोई प्रमाण नहीं मिला है।

7 फरवरी की आपदा:

7 फरवरी को उत्तराखंड में चमोली जिले के तपोवन-रेनी क्षेत्र में एक हिमनद टूटने से धौली गंगा और अलकनंदा नदियों में भीषण बाढ़ आई थी, जिसकी वजह से मकानों और निकट स्थित ऋषिगंगा विद्युत् परियोजना को काफी नुकसान पहुंचा था।

हिमनद झील के फटने से उत्पन्न बाढ़ (GLOF):

आमतौर पर, हिमनद झील पर बने हुए बाँध के विफल होने की स्थित में ‘हिमनद झील के फटने से उत्पन्न बाढ़’ /ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड’ (Glacial Lake Outburst FloodGLOF) की उत्त्पत्ति होती है।

GLOF की तीन प्रमुख विशेषताएं होती हैं:

  1. इस प्रकार की बाढ़ में, अचानक और कभी-कभी क्रमिक रूप से पानी छोड़ा जाता है।
  2. ये बहुत तीव्रता से घटित होती है, तथा इनकी अवधि कुछ घण्टों से लेकर कुछ दिनों तक होती है।
  3. इनके कारण बड़ी नदियों के निचले भागों में जल का बहाव अति तीव्र हो जाता है, और इसमें, बहुधा जल के परिमाण के अनुसार वृद्धि होती रहती है।

हिमनद विखंडन के कारण:

  1. अपरदन (Erosion)
  2. जल दबाव में वृद्धि
  3. हिम हिमस्खलन अथवा चट्टानों का अधवाह
  4. हिम के अधःस्तर में भूकंपीय घटनाएं
  5. किसी निकटवर्ती हिमनद के हिमनदीय झील में समाहित हो जाने पर भारी मात्रा में जल का विस्थापन।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

धौली गंगा, जोशीमठ के निकट विष्णुप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती है। क्या आप उत्तराखंड में स्थित अन्य प्रयागों के बारे में जानते हैं? Read here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. GLOF के बारे में
  2. अलकनंदा नदी के बारे में
  3. धौली गंगा के बारे में
  4. ऋषिगंगा नदी परियोजना के बारे में

मेंस लिंक:

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) से उत्पन्न आपदाओं के प्रति भारत की तैयारियों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


इंद्रजाल

हैदराबाद स्थित एक ‘प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास फर्म’ ग्रेने रोबोटिक्स (Grene Robotics) द्वारा भारत का “इंद्रजाल” (Indrajaal) नामक पहला स्वदेशी ‘ड्रोन प्रतिरक्षा गुंबद’ (Drone Defence Dome) डिजाइन और विकसित किया गया है।

विशेषताएं: यह ‘ड्रोन प्रतिरक्षा गुंबद’, मानव रहित हवाई वाहनों (UAV), युद्धक हथियारों को गिराए जाने और लो-रडार क्रॉस सेक्शन (Low- Radar Cross Section – RCS) जैसे हवाई खतरों का आकलन और स्वतः  कार्रवाई करते हुए 1000-2000 वर्ग किमी के क्षेत्र को हवाई खतरों से बचाने में सक्षम है।

NATRAX

नेशनल ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक्स (NATRAX) एक हाई स्पीड ट्रैक (HST) है, जिसे  इंदौर में तैयार किया गया है।

  • यह एशिया का सबसे लंबा ट्रैक है। इसकी लंबाई 3 किमी है। यह विश्व का पांचवां ‘हाई स्पीड टेस्ट ट्रैक’ भी है।
  • इसे ‘भारी उद्योग मंत्रालय’ के ‘नेशनल ऑटोमोटिव टेस्टिंग एंड रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट’ (NATRIP) के अंतर्गत बनाया गया है।
  • NATRAX, दुपहिया वाहनों से लेकर भारी ट्रैक्टर ट्रेलरों तक की व्यापक श्रेणी के वाहनों के लिए सभी प्रकार के उच्च गति प्रदर्शन परीक्षणों के लिये वन स्टॉप सॉल्यूशन है।

सरल संचार पोर्टल

हाल ही में, दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा ‘सरल संचार पोर्टल’ (Saral Sanchar Portal) का विस्तार किया गया है।

‘सरल संचार’ (Simplified Application for Registration and Licenses- SARAL) विभिन्न प्रकार के लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक वेब आधारित पोर्टल है।

इस पोर्टल से निम्नलिखित प्रकार के लाइसेंस/प्राधिकरण जारी किए जाएंगे:

  1. एकीकृत लाइसेंस
  2. एकीकृत लाइसेंस-वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर
  3. WPC लाइसेंस (वायरलेस योजना और समन्वय)

अनुबंध प्रवर्तन पोर्टल / एनफोर्सिंग कॉन्ट्रेक्ट पोर्टल

(Enforcing Contracts Portal)

  • हाल ही में, विधि और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग द्वारा एक विशिष्ट “एनफोर्सिंग कॉन्ट्रेक्ट्स पोर्टल” लॉन्च किया गया है।
  • यह पोर्टल “अनुबंध प्रवर्तन” (Contracts Enforcing) के पैमाने के मद्देनजर विधायी और नीतिगत सुधारों के सम्बंध में सूचना का समग्र स्रोत बनेगा।

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