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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. वीर बाल दिवस
2. जल्लीकट्टू
सामान्य अध्ययन-II
1. नागरिकता संशोधन अधिनियम विनियमन
2. मेकेदातु विवाद
3. एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. आईएसी विक्रांत
2. स्कोच पुरस्कार
3. पारस्परिक अभिगम्यता समझौता
4. SAAR कार्यक्रम
सामान्य अध्ययन-I
विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।
वीर बाल दिवस
संदर्भ:
हाल ही में, प्रधानमंत्री मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों की स्मृति में 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ (Veer Baal Diwas) के रूप में मनाने संबंधी सरकार के फैसले की घोषणा की है।
यह साहिबजादों की साहस और न्याय के प्रति उनके संकल्प के लिए उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी।
‘साहिबजादे’ कौन थे?
- गुरु गोबिंद सिंह जी के चार बेटे थे- साहिबजादा अजीत सिंह, साहिबजादा जुझार सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह।
- उनके चारों बेटों को ‘खालसा’ पंथ की दीक्षा दी गई थी और 19 साल की आयु से पहले ही मुगल सैनिकों के हाथों शहीद हो गए थे।
- सिख धर्म में की जाने वाली अरदास में गुरु गोबिंद सिंह जी के इन चारों राजकुमार खालसा योद्धाओं को, इनकी की वीरता और बलिदान के लिए ‘चार साहिबजादे’ के रूप में सम्मानित किया जाता है।
इस दिन का महत्व:
‘वीर बाल दिवस’ 26 दिसंबर को मनाया जायेगा। 26 दिसंबर 1705 को साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी ने शहादत प्राप्त की थी, उन्हें एक दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था।
- इन चारो भाइयों को उनकी दादी – गुरु गोबिंद सिंह की मां- माता गुजरी के साथ कैद कर लिया गया था।
- मुग़ल बादशाह औरंगजेब के क्रूर आदेश पर मुगल सैनिकों ने उन्हें जीवित ही चुनवा दिया और दम घुटने से उनकी मौत हो गयी।
- शहादत के समय जोरावर सिंह और फतेह सिंह की आयु क्रमशः 9 वर्ष और 6 वर्ष थी।
- साहबजादों के इस बलिदान को, भारतीय इतिहास में किसी भी युवा बालक द्वारा धर्म के लिए सबसे बहादुर बलिदान के रूप में देखा जाता है।
‘गुरु गोबिंद सिंह’ के बारे में:
‘गुरु गोबिंद सिंह’ सिखों के 10वें गुरु थे।
- उनका जन्म 22 दिसंबर, 1666 को पटना, बिहार में हुआ था। उनका जन्मदिन कभी-कभी दिसंबर या जनवरी या ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार दोनों महीनों में पड़ता है। गुरु के जन्मदिन का वार्षिक उत्सव नानकशाही कैलेंडर पर आधारित होता है।
- अपने पिता, सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर’ के निधन के बाद, गोबिंद सिंह नौ वर्ष की आयु में ‘सिखों के दसवें गुरु बन गए।
- उन्हें सिख धर्म में कई महत्वपूर्ण योगदान किए। उन्होंने ही सिर और बालों को ढकने के लिए ‘पगड़ी’ पहने की परंपरा का आरंभ किया था।
- उन्होंने खालसा तथा ‘पंच ककार (Five ‘K’s) – केश, कच्छ, कृपाण, कड़ा और कंघा – के सिद्धांतों की स्थापना की।
- उन्हें सिख समुदाय में सर्वोच्च सत्ता स्थापित करने के लिए भी जाना जाता है।
- उन्होंने बाद में 1705 में मुगलों के खिलाफ ‘मुक्तसर’ की लड़ाई लड़ी।
- औरंगजेब की मृत्यु के एक साल बाद, 1708 में एक मुगल हत्यारे ने गुरु गोबिंद सिंह की हत्या कर दी थी।
उन्होंने खालसा एवं सिखों के धार्मिक ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को अगले गुरु के रूप में घोषित किया।
इंस्टा जिज्ञासु:
गुरु नानक देव और उनके प्रमुख योगदानों के बारे में जानकारी हेतु पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- गुरु गोबिंद सिंह
- गुरु गोबिंद सिंह- प्रमुख योगदान
- आदि ग्रंथ
- गुरु ग्रंथ साहिब
- गुरु नानक
- गुरु नानक जयंती
- वीर बाल दिवस
- चार साहिबजादे
- 1705 में मुक्तसर का युद्ध
मेंस लिंक:
वीर बाल दिवस के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।
जल्लीकट्टू
संदर्भ:
कोविड-19 संक्रमण के मामलों में प्रतिदिन हो रही भारी वृद्धि को देखते हुए, तमिलनाडु के वेल्लोर, तिरुवन्नामलाई, रानीपेट और तिरुपत्तूर जिलों में प्रशासन ने सुरक्षा उपायों के तहत ‘पोंगल त्योहार’ से पहले ‘जल्लीकट्टू’ (Jallikattu) कार्यक्रमों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
‘जल्लीकट्टू’ क्या है?
यह सांडों पर काबू पाने वाला एक पारंपरिक खेल है, जो मदुरै, तिरुचिरापल्ली, थेनी, पुदुक्कोट्टई और डिंडीगुल जिलों में लोकप्रिय है, इस क्षेत्र को जल्लीकट्टू पट्टिका अथवा जल्लीकट्टू बेल्ट भी कहा जाता है।
- जल्लीकट्टू को जनवरी के दूसरे सप्ताह में, तमिलनाडु के फसली त्यौहार ‘पोंगल’ के दौरान मनाया जाता है।
- जल्लीकट्टू एक 2,000 साल से अधिक पुरानी परंपरा और एक प्रतिस्पर्धी खेल है, साथ ही इसमें सांडो के मालिकों को भी सम्मानित किया जाता है। ये सांड गर्भाधान कराने के लिए पाले जाते हैं।
- यह एक हिंसात्मक खेल है जिसमें प्रतियोगी पुरस्कार जीतने के लिए सांडों पर काबू पाने की कोशिश करते हैं; यदि वे इसमें असफल हो जाते है, तो सांड का मालिक विजयी घोषित किया जाता है।
तमिल संस्कृति में जल्लीकट्टू क्यों महत्वपूर्ण है?
- जल्लीकट्टू के लिए, कृषक समुदाय द्वारा अपने शुद्ध नस्लों के सांडों को संरक्षित करने का एक पारंपरिक तरीका, समझा जाता है।
- संरक्षणवादियों और किसानों का तर्क है, अक्सर कृत्रिम प्रक्रिया द्वारा पशु प्रजनन कराए जाने के ज़माने में, जल्लीकट्टू, इन नर पशुओं के संरक्षण का तक तरीका है, क्योंकि ये जानवर, यदि जुताई के काम नहीं आते हैं तो इनका उपयोग केवल मांस के लिए किया जाता है।
जल्लीकट्टू, कानूनी लड़ाई का विषय क्यों बन रहा है?
- वर्ष 2007 में, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और पशु अधिकार समूह ‘पेटा’ (PETA) द्वारा ‘जल्लीकट्टू’ तथा ‘बैलगाड़ी दौड़’ के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी, इसी के साथ ‘जल्लीकट्टू’ पहली बार कानूनी जांच के दायरे में आया।
- हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने 2009 में एक कानून पारित करके इन खेलों पर लगाए गए प्रतिबंधो से बाहर निकलने का तरीका खोज निकला, इस कानून पर राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
- वर्ष 2011 में, केंद्र में UPA शासन काल के दौरान सांडो को ‘प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन’ निषिद्ध सूची के अंतर्गत आने वाले जानवरों में शामिल कर दिया गया।
- मई 2014 में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका पर निर्णय देने के दौरान, वर्ष 2011 की अधिसूचना का हवाला देते हुए, सांडो पर काबू पाने वाले (बुल-टैमिंग) खेल पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
जल्लीकट्टू के संबंध में वर्तमान वैधानिक स्थिति:
- जनवरी 2017 में, जल्लीकट्टू पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ पूरे तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान चेन्नई शहर में 15 दिन का जल्लीकट्टू-विद्रोह भी हुआ।
- उसी वर्ष, तमिलनाडु सरकार द्वारा केंद्रीय क़ानून में संशोधन करते हुए एक अध्यादेश जारी किया गया और राज्य में जल्लीकट्टू के लिए अनुमति दी गयी; बाद में इस अध्यादेश पर राष्ट्रपति द्वारा सहमति प्रदान कर दी गई।
- ‘पेटा’ द्वारा इस अध्यादेश को असंवैधानिक बताते हुए राज्य के इस फैसले को चुनौती दी गयी अनुच्छेद 29 (1)।
- वर्ष 2018 में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा जल्लीकट्टू मामले पर एक संविधान पीठ गठित की गयी, जहाँ यह मामला अभी लंबित है।
प्रीलिम्स लिंक:
- जल्लीकट्टू के बारे में।
- संविधान का अनुच्छेद 29।
- अनुच्छेद 142 किससे संबंधित है?
- पशु क्रूरता निवारण अधिनियम- अवलोकन।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन-II
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम नियम
संदर्भ:
हाल ही में, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के विनियमन संबंधी नियमों को अधिसूचित करने हेतु ‘गृह मंत्रालय’ (MHA) एक बार फिर से निर्धारित ‘समय सीमा’ से चूक गया है। अधिनियम पारित होने के बाद, नियमों को अधिसूचित करने के लिए तीसरी बार समय सीमा में विस्तार किया गया था।
9 जनवरी ‘गृह मंत्रालय’ द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में दो संसदीय समितियों से नियम बनाने हेतु मांगी गई समय सीमा का अंतिम दिन था।
संबंधित मुद्दा:
नियमों को अधिसूचित किए बिना कानून को लागू नहीं किया जा सकता है।
पृष्ठभूमि:
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (Citizenship (Amendment) Act – CAA), 12 दिसंबर, 2019 को अधिसूचित किया गया था और इसे 10 जनवरी, 2020 से लागू किया गया।
इस अधिनियम के माध्यम से ‘नागरिकता अधिनियम’, 1955 में संशोधन किया गया है।
- नागरिकता अधिनियम, 1955 में नागरिकता प्राप्त करने हेतु विभिन्न तरीके निर्धारित किये गए हैं।
- इसके तहत, भारत में जन्म के आधार पर, वंशानुगत, पंजीकरण, प्राकृतिक एवं क्षेत्र समाविष्ट करने के आधार पर नागरिकता हासिल करने का प्रावधान किया गया है।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के बारे में:
CAA का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई – उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
- इन समुदायों के, अपने संबंधित देशों में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का सामना करने वाले जो व्यक्ति 31 दिसंबर 2014 तक भारत में पलायन कर चुके थे, उन्हें अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
- अधिनियम के एक अन्य प्रावधान के अनुसार, केंद्र सरकार कुछ आधारों पर ‘ओवरसीज़ सिटीज़न ऑफ इंडिया’ (OCI) के पंजीकरण को भी रद्द कर सकती है।
अपवाद:
- संविधान की छठी अनुसूची में शामिल होने के कारण यह अधिनियम त्रिपुरा, मिजोरम, असम और मेघालय के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होता है।
- इसके अलावा बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत अधिसूचित ‘इनर लिमिट’ के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों भी इस अधिनियम के दायरे से बाहर होंगे।
इस कानून से संबंधित मुद्दे:
- यह क़ानून संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। इसके अंतर्गत धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों की पहचान की गयी है।
- यह क़ानून स्थानीय समुदायों के लिए एक जनसांख्यिकीय खतरा समझा जा रहा है।
- इसमें, धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों को नागरिकता का पात्र निर्धारित किया गया है। साथ ही इससे, समानता के अधिकार की गारंटी प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।
- यह किसी क्षेत्र में बसने वाले अवैध प्रवासियों की नागरिकता को प्राकृतिक बनाने का प्रयास करता है।
- इसके तहत, किसी भी कानून के उल्लंघन करने पर ‘ओसीआई’ पंजीकरण को रद्द करने की अनुमति गी गई है। यह एक व्यापक आधार है जिसमें मामूली अपराधों सहित कई प्रकार के उल्लंघन शामिल हो सकते हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
- ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ (National Register of Citizens- NRC), नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) से किस प्रकार भिन्न है? क्या दोनों में कोई समानता है?
क्या आप जानते हैं, कि संसदीय कार्य नियमावली के अनुसार, यदि कोई कानून पारित होने के बाद, संबधित मंत्रालय/विभाग छह महीने की निर्धारित अवधि के भीतर नियम बनाने में सक्षम नहीं हो पाता है, तो वे कारण बताते हुए ‘अधीनस्थ विधान संबंधी समिति’ से समय बढ़ाने हेतु मांग कर सकते हैं। इस तरह की समय-सीमा में, एक बार में, अधिकतम तीन महीने की अवधि का विस्तार किया जा सकता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के बारे में
- प्रमुख विशेषताएं
- अधिनियम में किन धर्मों को शामिल किया गया है?
- अधिनियम कवर किए गए देश?
- अपवाद
मेंस लिंक:
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मेकेदातु विवाद
तमिलनाडु द्वारा ‘मेकेदातु बांध’ (Mekedatu dam) के मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए हर मौके का लाभ उठाया जाता रहा है। राज्य सरकार, पड़ोसी राज्य कर्नाटक के साथ अपनी सीमा के पास निर्माणाधीन परियोजना का विरोध किया जा रहा है, और कावेरी जल पर अपने अधिकारों की रक्षा हेतु सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया गया है।
- हालांकि, कर्नाटक अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगाते हुए यह दावा करता है कि इस परियोजना से उसे बेंगलुरु में पानी की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी।
- कर्नाटक में विपक्षी कांग्रेस पार्टी भी 90 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शुरू करके ‘रामनगर जिले’ में मेकेदातु जलाशय के निर्माण के लिए समर्थन जुटाने के लिए जन-मत तैयार कर रही है।
संबंधित प्रकरण एवं परियोजना में देरी का कारण:
तमिलनाडु द्वारा ‘मेकेदातु’ (Mekedatu) में कावेरी नदी पर कर्नाटक द्वारा जलाशय बनाने के कदम का विरोध किया जा रहा है। कर्नाटक, 67 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (tmc ft) की भंडारण क्षमता वाले जलाशय से ‘पीने के पानी के रूप में’ 4.75 हजार मिलियन क्यूबिक फीट जल का उपयोग करना चाहता है, जोकि तमिलनयह राज्य के लिए “मंजूर नहीं” है।
हालांकि, कर्नाटक सरकार का कहना है, कि ‘मेकेदातु परियोजना’ से कोई “खतरा” नहीं है और राज्य द्वारा इस परियोजना को शुरू किया किया जाएगा।
कर्नाटक और तमिलनाडु के मध्य जल बंटवारा:
बंटवारे के अनुसार, कर्नाटक द्वारा कावेरी नदी के पानी को तीन स्रोतों से छोड़ा जाना अपेक्षित है:
- एक, काबिनी नदी के निचले प्रवाह क्षेत्रों में बहने वाला जल, कृष्णराजसागर जलाशय के जलग्रहण क्षेत्र, शिमशा, अर्कावती, और सुवर्णावती नदियों की उप-घाटी, और छोटी नदियों का पानी।
- दूसरा, काबिनी बांध से।
- तीसरा कृष्णराजसागर बांध से।
दूसरे और तीसरे स्रोतों के मामले में – जोकि कर्नाटक के नियंत्रण में हैं- राज्य के उपयोग हेतु पर्याप्त पानी जमा करने के बाद ही तमिलनाडु को पानी छोड़ा जाता है।
- चूंकि, पहले स्रोत के मामले में कोई बांध शामिल नहीं है, इसलिए इन क्षेत्रों का पानी, बिना किसी रोक-टोक के स्वतंत्र रूप से तमिलनाडु में बह रहा है।
- किंतु अब, तमिलनाडु राज्य सरकार को लगता है, कि कर्नाटक इस स्रोत को भी मेकेदातु बांध के माध्यम से अवरुद्ध करने की “साजिश” कर रहा है।
- मेकेदातु क्षेत्र, उस अंतिम मुक्त बिंदु का प्रतिनिधित्व करता है जहां से कावेरी की ऊपरी धारा का पानी कर्नाटक से तमिलनाडु राज्य में अप्रतिबंधित प्रवाहित होता है।
समाधान हेतु उपाय:
केंद्र सरकार का कहना है, कि इस परियोजना के लिए ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण’ (the Cauvery Water Management Authority – CWMA) की अनुमति लेना आवश्यक है।
- कर्नाटक द्वारा भेजी गई ‘विस्तृत परियोजना रिपोर्ट’ (Detail Project Report – DPR) को अनुमोदन के लिए CWMA के समक्ष कई बार पेश किया चुका है, किंतु संबधित राज्यों, कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकी है।
- साथ ही, ‘कावेरी जल विवाद प्राधिकरण’ (Cauvery Water Dispute Tribunal) के अंतिम निर्णय, जिसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संशोधित किया गया था, के अनुसार, ‘जल शक्ति मंत्रालय’ द्वारा ‘विस्तृत परियोजना रिपोर्ट’ (DPR) पर विचार करने के लिए पहले CWMA की स्वीकृति लेना आवश्यक है।
चूंकि, यह परियोजना एक अंतर-राज्यीय नदी के पार प्रस्तावित की गई है, अतः इसे ‘अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम’ (Interstate Water Dispute Act) के अनुसार, परियोजना के लिए नदी के निचले तटवर्ती राज्यों की मंजूरी लेना भी आवश्यक है।
‘मेकेदातु परियोजना’ के बारे में:
‘मेकेदातु’ एक बहुउद्देशीय (जल एवं विद्युत्) परियोजना है।
- परियोजना के तहत, कर्नाटक के रामनगर जिले में कनकपुरा के पास एक ‘संतोलन जलाशय’ (Balancing Reservoir) का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।
- इस परियोजना का उद्देश्य, बेंगलुरू शहर और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों के लिए पीने के प्रयोजन हेतु पानी (75 टीएमसी) का भंडारण और आपूर्ति करना है। इस परियोजना के माध्यम से लगभग 400 मेगावाट बिजली उत्पन्न करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
- परियोजना की अनुमानित लागत 9,000 करोड़ रुपये है।
तमिलनाडु द्वारा इस परियोजना का विरोध करने के कारण:
- तमिलनाडु का कहना है, कि ‘उच्चतम न्यायालय’ और ‘कावेरी जल विवाद अधिकरण’ (CWDT) के अनुसार ‘कावेरी बेसिन में उपलब्ध मौजूदा भंडारण सुविधाएं, जल भंडारण और वितरण के लिए पर्याप्त है, अतः कर्नाटक का यह प्रस्ताव पूर्व-दृष्टया असमर्थनीय है और इसे सीधे खारिज कर दिया जाना चाहिए।
- तमिलनाडु के अनुसार- प्रस्तावित जलाशय का निर्माण केवल पीने के पानी के लिए नहीं किया जा रहा है, बल्कि इसके द्वारा सिंचाई की सीमा बढाया जाएगा, जोकि ‘कावेरी जल विवाद निर्णय’ का स्पष्ट उल्लंघन है।
अधिकरण तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय:
‘कावेरी जल विवाद अधिकरण’ (CWDT) का गठन वर्ष 1990 में की गयी थी और वर्ष 2007 में दिए गए अपने अंतिम फैसले में, तमिलनाडु को 419 टीएमसी फीट, कर्नाटक को 270 टीएमसी फीट, केरल को 30 टीएमसी फीट और पुडुचेरी को 7 टीएमसी फीट पानी का बटवारा किया था। अधिकरण ने, बारिश की कमी वाले वर्षों में, सभी राज्यों के लिए जल-आवंटन की मात्रा कम कर दी जाएगी।
- हालांकि, तमिलनाडु और कर्नाटक दोनों द्वारा इस बटवारे पर अप्रसन्नता व्यक्त की और जल बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों में विरोध और हिंसा के प्रदर्शन हुए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले पर सुनवाई की गई और वर्ष 2018 के फैसले में, बंटवारा करते हुए तमिलनाडु के पूर्व निर्धारित हिस्से में से 75 टीएमसी फीट पानी कर्नाटक को दे दिया।
- इस प्रकार, नया बटवारे के अनुसार, तमिलनाडु के लिए 25 टीएमसी फीट पानी मिला और कर्नाटक को 284.75 टीएमसी फीट पानी दिया गया। केरल और पुडुचेरी का हिस्सा अपरिवर्तित रहा।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि 2018 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के लिए ‘कावेरी प्रबंधन योजना’ अधिसूचित करने का निर्देश दिया था? इस योजना के प्रमुख घटक कौन से हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- कावेरी की सहायक नदियाँ।
- बेसिन में अवस्थित राज्य।
- नदी पर स्थित महत्वपूर्ण जलप्रपात तथा बांध।
- मेकेदातु कहाँ है?
- प्रोजेक्ट किससे संबंधित है?
- इस परियोजना के लाभार्थी।
मेंस लिंक:
मेकेदातु परियोजना पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’
(Asian Infrastructure Investment Bank)
संदर्भ:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर ‘उर्जित पटेल’ को बीजिंग स्थित ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ (Asian Infrastructure Investment Bank – AIIB) का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
श्री पटेल, इस बहुपक्षीय विकास बैंक के ‘पांच उपाध्यक्षों में से एक’ के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा करेंगे।
AIIB के बारे में:
‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ / एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) एक बहुपक्षीय विकास बैंक है। यह एशिया और उसके बाहर के सामाजिक और आर्थिक परिणामों में सुधार हेतु एक मिशन के रूप में कार्य करता है।
- शुरुआत में, समझौते में शामिल पक्षकार (57 संस्थापक सदस्य) देश इस बैंक के सदस्य थे।
- इसका मुख्यालय बीजिंग में है।
- बैंक के अधिकृत पूंजी स्टॉक में प्रारंभिक तौर पर कुल 50% हिस्सा रखने वाले 10 सदस्य देशों द्वारा अनुसमर्थन दिए जाने के उपरांत, 25 दिसंबर 2015 को ‘समझौते’ के लागू होने के बाद AIIB का परिचालन आरंभ हुआ था।
उद्देश्य:
इसका उद्देश्य, स्थायी बुनियादी ढाचों और अन्य उत्पादक क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से, लोगों, सेवाओं और बाजारों को परस्पर सम्बद्ध करना है, जिससे, समय के साथ अरबों व्यक्तियों का जीवन प्रभावित होगा तथा एक बेहतर भविष्य का निर्माण होगा।
सदस्यता:
- वर्तमान में इसके 103 अनुमोदित सदस्य हैं।
- फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूनाइटेड किंगडम सहित G-20 समूह के चौदह देश ‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक’ के सदस्यों में शामिल हैं।
मताधिकार:
- ‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक’ में चीन की शेयरधारिता सर्वाधिक है, इसके पास 61% वोटिंग शेयर है, इसके बाद भारत (7.6%), रूस (6.01%) और जर्मनी (4.2%) शेयरों के साथ सबसे बड़े शेयरधारक है।
- बैंक में, क्षेत्रीय सदस्यों की कुल मतदान शक्ति 75% हैं।
‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक’ के विभिन्न अंग:
बोर्ड ऑफ गवर्नर्स: गवर्नर्स बोर्ड में प्रत्येक सदस्य देश द्वारा नियुक्त एक गवर्नर तथा एक वैकल्पिक गवर्नर होते हैं।
निदेशक मंडल: बैंक के सामान्य संचालन के लिए गैर-निवासी निदेशक मंडल (Non-resident Board of Directors) जिम्मेदार होता है, इस निदेशक मंडल को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा सभी शक्तियां प्रदान की जाती है। इनके कार्यों में बैंक की रणनीति बनाना, वार्षिक योजना और बजट को मंजूरी देना, नीति-निर्माण; बैंक संचालन से संबंधित निर्णय लेना; और बैंक के प्रबंधन और संचालन की देखरेख और एक निगरानी तंत्र स्थापित करना आदि सम्मिलित है।
अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति: AIIB द्वारा बैंक की रणनीतियों तथा नीतियों के साथ-साथ सामान्य परिचालन मुद्दों पर बैंक के अध्यक्ष और शीर्ष प्रबंधन की सहायता हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति (International Advisory Panel- IAP) का गठन किया गया है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि अमेरिका और जापान ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ (AIIB) के 104 सदस्यों में शामिल नहीं हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- AIIB बनाम ADB बनाम विश्व बैंक
- एआईआईबी के सदस्य
- शीर्ष शेयरधारक
- मतदान की शक्तियां
- भारत में एआईआईबी समर्थित परियोजनायें
मेंस लिंक:
एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
आईएसी विक्रांत
INS विक्रांत (IAC-I) भारत में निर्मित पहला विमानवाहक पोत है, तथा साथ ही भारतीय नौसेना के लिए कोच्चि, केरल में कोचीन शिपयार्ड (CSL) द्वारा निर्मित विक्रांत श्रेणी का पहला विमानवाहक पोत भी है।
- इसे भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय (DND) द्वारा डिजाइन किया गया है, और इसे जहाजरानी मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड ‘कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड’ (CSL) में निर्मित किया जा रहा है।
- स्वदेश निर्मित सबसे बड़े युद्धपोत IAC-1 की कुल लंबाई 263 मीटर और चौड़ाई 63 मीटर है।
- यह लड़ाकू जेट और हेलीकाप्टरों सहित 30 विमानों को ले जाने में सक्षम है।
स्कोच पुरस्कार
छह महीने से पांच साल की उम्र तक के बच्चों में कुपोषण से निपटने हेतु ‘मिशन परवरिश’ नामक परियोजना ने दक्षिणी असम के कछार जिले के लिए ‘स्कोच’ (SKOCH) अवार्ड अर्जित किया है।
- यह कार्यक्रम वर्ष 2020 में “पोषण माह” के दौरान शुरू किया गया था।
- इस कार्यक्रम में गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के कुपोषित बच्चों के लिए एक ‘समन्वित सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण’ अपनाया गया था।
- ऐसे बच्चों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने हेतु सरकारी एजेंसियों, स्थानीय निकाय, गैर सरकारी संगठन और व्यवसायियों द्वारा एक साथ प्रयास किया गया था।
SKOCH अवार्ड्स के बारे में:
वर्ष 2003 में स्थापित, यह किसी स्वतंत्र संगठन द्वारा प्रदान किया जाने वाला देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
- यह पुरस्कार भारत को बेहतर राष्ट्र बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने वाले व्यक्तियों, परियोजनाओं तथा संस्थानों को प्रदान किया जाता है।
- यह पुरस्कार डिजिटल, वित्तीय और सामाजिक समावेशन; प्रशासन; समांवेशी विकास; प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों में उत्कृष्टता; परिवर्तन प्रबंधन; कॉर्पोरेट नेतृत्व; निगम से संबंधित शासन प्रणाली; नागरिक सेवा; क्षमता निर्माण; सशक्तिकरण आदि क्षेत्रों में दिया जाता है।
- यह पुरस्कार ‘संस्थानों / संगठनों’ और व्यक्तियों, दोनों को प्रदान किया जाता है।
पारस्परिक अभिगम्यता समझौता
हाल ही में, बढ़ती चीनी सैन्य और आर्थिक ताकत की पृष्ठभूमि के खिलाफ सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए ‘ऑस्ट्रेलिया और जापान’ के बीच ‘पारस्परिक अभिगम्यता समझौते’ / रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट (Reciprocal Access Agreement – RAA) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
जापान का, किसी भी देश के साथ पहला ‘पारस्परिक अभिगम्यता समझौता’ (RAA) है। यह समझौता ऑस्ट्रेलियाई और जापानी सेनाओं को रक्षा और मानवीय कार्यों पर एक-दूसरे के साथ निर्बाध रूप से काम करने की अनुमति देगा।
SAAR कार्यक्रम
हाल ही में, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) के स्मार्ट सिटी मिशन द्वारा “स्मार्ट सिटी एंड एकेडेमिया टुवार्ड्स एक्शन एंड रिसर्च” (Smart cities and Academia Towards Action & Research – SAAR) कार्यक्रम शुरू किया गया है।
- यह कार्यक्रम आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA) और देश के अग्रणी भारतीय शैक्षणिक संस्थानों की एक संयुक्त पहल है।
- यह पहल, देश भर में आजादी का अमृत महोत्सव (AKAM) समारोह के एक भाग के रूप में शुरू की गई है।
- कार्यक्रम के तहत, देश के 15 प्रमुख वास्तुकला और योजना संस्थान स्मार्ट सिटी के साथ मिलकर स्मार्ट सिटी मिशन द्वारा शुरू की गई ऐतिहासिक परियोजनाओं का दस्तावेजीकरण करेंगे।
- इन दस्तावेजों में सर्वोत्तम परंपराओं से सीखने, छात्रों को शहरी विकास परियोजनाओं पर जुड़ाव के अवसर प्रदान करने और शहरी चिकित्सकों तथा शिक्षाविदों के बीच तत्काल सूचना के प्रसार के उपायों का उल्लेख किया जाएगा।
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