[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 22 September 2021 – INSIGHTSIAS

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विषय सूची:

सामान्य अध्ययन-I

1. शंखलिपि लिपि

 

सामान्य अध्ययन-II

1. फोर्टिफाइड राइस कर्नेल्स

2. राजनीतिक दलों को मान्यता देना / मान्यता समाप्त करना

3. हवाना सिंड्रोम

 

सामान्य अध्ययन-III

1. अंतर्राष्ट्रीय ब्लू फ्लैग प्रमाणन

2. वैश्विक नवाचार सूचकांक 2021

3. तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा (BEAMS) कार्यक्रम

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. वर्ष 2020 में नई पादप प्रजातियों की खोज

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

 शंखलिपि


(Shankhalipi)

संदर्भ:

हाल ही में, पुरातत्वविदों को उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक गुप्तकालीन प्राचीन मंदिर की सीढ़ियों पर ‘शंखलिपी’ (Shankhalipi) में उत्कीर्ण शिलालेख मिले है।

इन अभिलेखों में ‘श्री महेन्द्रादित्य’ का उल्लेख किया गया है, जोकि गुप्त वंश के शासक ‘कुमारगुप्त प्रथम’ की उपाधि थी।

नवीनतम खोजों का महत्व:

एटा में स्थित ‘बिल्सड़’ संरक्षित स्थल पर एक दूसरे से सटे हुए दो आलंकारिक / सजावटी स्तंभ प्राप्त हुए हैं, इन स्तंभों पर मानव आकृतियां उत्कीर्ण हैं।

यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि गुप्त-काल में अब तक केवल दो अन्य संरचनात्मक मंदिर- दशावतार मंदिर (देवगढ़) और भितरगांव मंदिर (कानपुर देहात) – पाए गए हैं।

‘कुमारगुप्त प्रथम’ कौन थे?

कुमारगुप्त प्रथम (Kumaragupta I) ने पांचवीं शताब्दी में, उत्तर-मध्य भारत पर 40 वर्षों तक शासन किया था।

  • वह गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय और रानी ध्रुवदेवी के पुत्र थे।
  • कुमारगुप्त ने अपने शासन काल में ‘अश्वमेध यज्ञ’ का आयोजन किया था।
  • उसने संभवतः मध्य भारत के ‘औलिकरों’ (Aulikaras) और पश्चिमी भारत के ‘त्रिकुटकों’ (Traikutakas) को अपने अधीन कर लिया था।
  • भितरी स्तंभ शिलालेख में दिए गए विवरण के अनुसार, उसके उत्तराधिकारी स्कंदगुप्त ने गुप्त वंश की क्षीण हो रही प्रतिष्ठा को पुनः शीर्ष पर पहुँचाया।

प्रशासन:

कुमारगुप्त प्रथम ने ‘महाराज’ की उपाधि धारण की, और अपने साम्राज्य को विभिन्न प्रांतों (भुक्तियों) में विभाजित किया, इन भुक्तियों के लिए राज्यपालों (उपरिकस) की नियुक्ति की, और उपरिकस, राजा के प्रति निष्टावान और उत्तरदायी होते थे।

प्रांत (भुक्ति), जिलों (विषयों) में बंटे हुए होते थे, जिनका प्रशासन जिला मजिस्ट्रेट (विषयपति) द्वारा किया जाता था। विषयपतियों के लिए प्रशासन में सहायता देने के लिए एक सलाहकार परिषद होती थी, जिसमे निम्नलिखित पदाधिकारी शामिल होते थे:

  1. नगर अध्यक्ष या महापौर (नगर-श्रेष्टिन)
  2. व्यापारी संघ (सार्थवाह) के प्रतिनिधि
  3. शिल्पकार संघ का मुखिया (प्रथम-कुलिक)
  4. लेखकों या लिपिकों के संघ के प्रमुख (प्रथम-कायस्थ)

 

‘शंखलिपि’ के बारे में:

‘शंखलिपि’ या “शेल-स्क्रिप्ट” (shell-script), अलंकृत सर्पिल वर्णों / अक्षरों को व्यक्त करती है, इस लिपि में वर्ण ‘शंख’ की तरह दिखते है, और इन्हें ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न माना जाता है।

  • इस लिपि में उत्कीर्ण अभिलेख उत्तर-मध्य भारत में पाए जाते हैं और इन्हें चौथी और आठवीं शताब्दी के बीच का माना जाता है।
  • इन अभिलेखों में वर्णों / अक्षरों की संख्या काफी कम होती है, इससे इस बात का संकेत मिलता है, कि इन शिलालेखों पर शंख लिपि में किसी का नाम अथवा शुभ प्रतीक या दोनों का संयोजन उत्कीर्ण किया गया है।
  • इस लिपि की खोज, अंग्रेजी विद्वान जेम्स प्रिंसेप द्वारा 1836 में उत्तराखंड के बाराहाट में पीतल के त्रिशूल पर की गई थी। जेम्स प्रिंसेप, ‘जर्नल ऑफ द एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल’ के संस्थापक- संपादक थे।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

जेम्स प्रिंसेप ईस्ट इंडिया कंपनी के टकसाल में एक अधिकारी थे। उनके योगदान को प्रारंभिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ माना जाता है। उनके प्रमुख योगदान क्या थे?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. शंखलिपि के बारे में
  2. शंखलिपि बनाम ब्राह्मी लिपि
  3. जेम्स प्रिंसेप के बारे में
  4. नवीनतम खोज का महत्व
  5. कुमारगुप्त प्रथम और उनके प्रशासन के बारे में

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: गरीबी एवं भूख से संबंधित विषय।

फोर्टिफाइड राइस कर्नेल्स (FRK)


संदर्भ:

केंद्र सरकार द्वारा पहली बार संवर्धित चावल भंडार (फोर्टिफाइड राइस स्टॉक्स) की खरीद के मामले में ग्रेड ए की ‘संवर्धित चावल भूसी’ / फोर्टिफाइड राइस कर्नेल्स (Fortified Rice Kernels – FRK) और सामान्य चावल के लिए एकसमान विनिर्देश जारी किए हैं। ये विनिर्देश उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं।

पृष्ठभूमि:

केंद्र सरकार का, वर्ष 2024 तक स्कूलों में ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ (PDS) और ‘मध्याह्न भोजन’ सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत ‘संवर्धित चावल’ (Fortified rice) वितरित किए जाने का कार्यक्रम है।

‘संवर्धित चावल’ की आवश्यकता:

  1. चूंकि, देश में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण का स्तर काफी अधिक है, इसे देखते हुए यह घोषणा काफी महत्वपूर्ण है।
  2. खाद्य मंत्रालय के अनुसार, देश में हर दूसरी महिला रक्ताल्पता से पीड़ित (anaemic) है और हर तीसरा बच्चा अविकसित या नाटेपन का शिकार है।
  3. ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI), भारत, 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर है और इसे भुखमरी से संबंधित ‘गंभीर श्रेणी’ में रखा गया है।
  4. गरीब महिलाओं और गरीब बच्चों में कुपोषण और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, उनके विकास में बड़ी बाधा है।

 

‘खाद्य-संवर्धन’ / ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ क्या होता है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के द्वारा, किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने हेतु उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अर्थात् विटामिन और खनिज तत्वों की मात्रा में वृद्धि की जाती है।

  • इसका उद्देश्य आपूर्ति किए जाने वाले खाद्यान्न की पोषण गुणवत्ता में सुधार करना तथा न्यूनतम जोखिम के साथ उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना है।
  • देश में खाद्य पदार्थों के लिए मानकों का निर्धारण करने वाली संस्था ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण’ (Food Safety and Standards Authority of India – FSSAI) के अनुसार, ‘खाद्य-संवर्धन’ (Food Fortification), ‘किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने के लिए उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अर्थात् विटामिन और खनिज तत्वों, की मात्रा में वृद्धि करने की प्रकिया होती है।
  • यह आहार में सुधार और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का निवारण करने हेतु एक सिद्ध, सुरक्षित और लागत प्रभावी रणनीति है।

 

‘संवर्धित चावल’:

(Fortified rice)

खाद्य मंत्रालय के अनुसार, आहार में विटामिन और खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिए चावल का संवर्धन (fortification) किया जाना एक लागत प्रभावी और पूरक रणनीति है।

  • FSSAI द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार, 1 किलो संवर्धित चावल में आयरन (28 mg-42.5 mg), फोलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम) और विटामिन B-12 (75-1.25 माइक्रोग्राम) होगा।
  • इसके अलावा, चावल को सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ, एकल या संयोजन में, जस्ता (10 मिलीग्राम -15 मिलीग्राम), विटामिन A (500-750 माइक्रोग्राम आरई), विटामिन बी-1 (1 मिलीग्राम-5 मिलीग्राम), विटामिन बी-2 (1.25 mg-1.75 mg), विटामिन B3 (12.5 mg-20 mg) और विटामिन B6 (1.5 mg-2.5 mg) प्रति किग्रा के साथ भी संवर्धित किया जाएगा।

फूड फोर्टिफिकेशन’ के लाभ:

चूंकि, ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के तहत व्यापक रूप से सेवन किए जाने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की वृद्धि की जाती है, अतः आबादी के एक बड़े भाग के स्वास्थ्य में सुधार करने हेतु यह एक उत्कृष्ट तरीका है।

  • ‘फोर्टिफिकेशन’ व्यक्तियों के पोषण में सुधार करने का एक सुरक्षित तरीका है और भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों को मिलाए जाने से लोगों के स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं होता है।
  • इस पद्धति में लोगों की खान-पान की आदतों और पैटर्न में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है, और यह लोगों तक पोषक तत्व पहुंचाने का सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य तरीका है।
  • ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ से भोजन की विशेषताओं-स्वाद, अनुभव, स्वरूप में कोई बदलाव नहीं होता है।
  • इसे जल्दी से लागू किया जा सकता है और साथ ही अपेक्षाकृत कम समय में स्वास्थ्य में सुधार के परिणाम भी दिखा सकते हैं।
  • यदि मौजूदा तकनीक और वितरण प्लेटफॉर्म का लाभ उठाया जाता है तो यह काफी लागत प्रभावी विधि साबित हो सकती है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

जैव संवर्धन (Biofortification) क्या होता है? यह ‘फोर्टिफिकेशन’ से किस प्रकार भिन्न होता है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. जैव फोर्टिफिकेशन बनाम आनुवंशिक परिवर्तन
  2. सूक्ष्म पोषक बनाम वृहद पोषक तत्व
  3. भारत में जैव उर्वरक और जीएम फसलों के लिए स्वीकृति
  4. भारत में अनुमति प्राप्त जीएम फसलें

मेंस लिंक:

किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने से आप क्या समझते हैं? इसके फायदों के बारे में चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।

राजनीतिक दलों को मान्यता देना / मान्यता समाप्त करना


संदर्भ:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने, जनता के पैसे का इस्तेमाल कर गणेश चतुर्थी कार्यक्रम आयोजित करने के लिए, आम आदमी पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग करने से संबंधित याचिका पर, केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और निर्वाचन आयोग से प्रतिक्रिया माँगी है।

संबंधित प्रकरण:

दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका में, याचिकाकर्ता द्वारा ‘संविधान’ और ‘जनप्रतिनिधित्व कानून’ का कथित जानबूझकर उल्लंघन करने के कारण ‘आम आदमी पार्टी’ (AAP) की एक पार्टी के रूप में मान्यता रद्द करने और जनता के हित में, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य मंत्रियों को संवैधानिक पद से हटाने की मांग की गयी है।

राजनीतिक दलों का पंजीकरण:

राजनीतिक दलों का पंजीकरण (Registration of political parties) ‘लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम’ (Representation of the People Act), 1951 की धारा 29A के प्रावधानों के अंतर्गत किया जाता है।

किसी राजनीतिक दल को पंजीकरण कराने हेतु अपनी स्थापना 30  दिनों के भीतर संबंधित धारा के तहत भारतीय निर्वाचन आयोग के समक्ष, निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार आवेदन प्रस्तुत करना होता है। इसके लिए भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 324 और ‘लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम’, 1951 की धारा 29A  द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग दिशा-निर्देश जारी करता है।

भारत के ‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ के लिए पात्रता:

  1. किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु किन्ही भी चार अथवा अधिक राज्यों में होने वाले आम चुनावों अथवा विधानसभा चुनावों में होने वाले कुल मतदान के न्यूनतम छह प्रतिशत वैध मतों को हासिल करना अनिवार्य होता है।
  2. इसके अलावा, इसके लिए किसी भी राज्य अथवा राज्यों से लोकसभा में न्यूनतम चार सीटों पर विजय प्राप्त करना चाहिए।
  3. राजनीतिक दल द्वारा, लोकसभा चुनावों में कुल लोकसभा सीटों की 2 प्रतिशत (543 सदस्य की वर्तमान संख्या में से 11 सदस्य) सीटों पर जीत हासिल की गयी हो तथा ये सदस्य कम-से-कम तीन अलग-अलग राज्यों से चुने गए हों।

 ‘राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के लिए पात्रता:

  1. किसी राजनीतिक दल को ‘राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु, राज्य में हुए लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में होने वाले मतदान के कुल वैध मतों का न्यूनतम छह प्रतिशत हासिल करना अनिवार्य है।
  2. इसके अलावा, इसके लिए संबंधित राज्य की विधान सभा में कम से कम दो सीटों पर जीत हासिल होनी चाहिए।
  3. राजनीतिक दल के लिए, राज्य की विधानसभा के लिये होने वाले चुनावों में कुल सीटों का 3 प्रतिशत अथवा 3 सीटें, जो भी अधिक हो, हासिल होनी चाहिए।

लाभ:

  1. राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी पंजीकृत दल को, संबंधित राज्‍य में अपने उम्‍मीदवारों को दल के लिये सुरक्षित चुनाव चिन्ह आवंटित करने का विशेषाधिकार प्राप्त होता है।
  2. राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी पंजीकृत दल को पूरे भारत में अपने उम्‍मीदवारों को दल के लिये सुरक्षित चुनाव चिन्‍ह आवंटित करने का विशेषाधिकार प्राप्‍त होता है।
  3. मान्‍यता प्राप्‍त राष्‍ट्रीय या राज्‍यस्‍तरीय राजनीतिक दलों के उम्‍मीदवारों को नामांकन-पत्र दाखिल करते वक्‍त सिर्फ एक ही प्रस्‍तावक की ज़रूरत होती है। साथ ही, उन्‍हें मतदाता सूचियों में संशोधन के समय मतदाता सूचियों के दो सेट नि:शुल्क पाने का अधिकार भी होता है तथा आम चुनाव के दौरान इनके उम्‍मीदवारों के लिए मतदाता सूची का एक सेट नि:शुल्क प्रदान की जाती है।
  4. इनके लिए, आम चुनाव के दौरान उन्‍हें आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रसारण की सुविधा प्रदान की जाती है।
  5. मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए आम चुनाव के दौरान स्‍टार प्रचारकों (Star Campaigner) की यात्रा का खर्च उस उम्‍मीदवार या दल के खर्च में नहीं जोड़ा जाता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को प्रतीक चिन्हों का आवंटन किस प्रकार किया जाता हैं?

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राजनीतिक दलों का पंजीकरण
  2. मान्यता प्राप्त बनाम गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल
  3. राज्य बनाम राष्ट्रीय दल
  4. मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए लाभ
  5. स्टार प्रचारक कौन होते है?
  6. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324
  7. ‘लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम’, 1951 की धारा 29A

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

हवाना सिंड्रोम


संदर्भ:

इस महीने की शुरुआत में भारत यात्रा के दौरान, सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स और एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने ‘हवाना सिंड्रोम’ (Havana Syndrome) के लक्षण महसूस किए जाने की रिपोर्ट दी है।

यह भारत में रिपोर्ट की गई इस तरह की घटना का पहला उदाहरण है, और इसके राजनयिक निहितार्थ हो सकते हैं।

‘हवाना सिंड्रोम’ क्या है?

‘हवाना सिंड्रोम’ विभिन्न देशों में अमेरिकी खुफिया और दूतावास के अधिकारियों द्वारा कथित रूप से अनुभव किए जाने मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों को संदर्भित करता है।

इसके लक्षणों में, प्रायः बिना किसी बाहरी शोर के कुछ आवाज़ें सुनायी देना, मतली, चक्कर और सिरदर्द, स्मृति हानि और शारीरिक संतुलन बनाए रखने में समस्याएं आदि शामिल होते हैं।

जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है, कि इस बीमारी की जड़ें हवाना (क्यूबा) में हैं।

  • पहली बार वर्ष 2016 में, क्यूबा की राजधानी हवाना में अमेरिकी राजनयिकों और अन्य सरकारी कर्मचारियों के बीमार पड़ने की खबरें सामने आईं।
  • मरीजों के अनुसार, उन्हें अपने होटल के कमरे या घरों में अजीब आवाजें सुनायी दी और उन्होंने अजीब शारीरिक संवेदनाओं का अनुभव किया। इसके अलावा, इनके लिए मतली, गंभीर सिरदर्द, थकान, चक्कर आना, नींद की समस्या और सुनने की क्षमता में कमी जैसे लक्षण महसूस हुए।
  • इसके बाद, इस रहस्यमय बीमारी को “हवाना सिंड्रोम” कहा जाने लगा।

 

हवाना सिंड्रोम पर अमेरिका की प्रतिक्रिया:

अमेरिका को यकीन है कि इस सिंड्रोम को जानबूझकर सक्रिय किए जाने की “काफी मजबूत संभावना” है।

  • पिछले कुछ वर्षों में, एफबीआई, सीआईए, अमेरिकी सेना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान और रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों द्वारा बिना कुछ निष्कर्ष निकाले इन घटनाओं की जांच की गयी है।
  • कुछ वैज्ञानिकों ने विदेशी मिशनों में होने वाले तनावपूर्ण माहौल के कारण होने वाली “मनोवैज्ञानिक बीमारी” जैसे सिद्धांतों को भी हवा दी है।
  • हालांकि, दिसंबर 2020 में, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमिय (NAS) की एक रिपोर्ट में “निर्देशित ऊर्जा बीम” को हवाना सिंड्रोम का “संभावित” कारण बताया गया था।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. माइक्रोवेव हथियार क्या हैं?
  2. हवाना सिंड्रोम क्या है?
  3. इसके नामकरण के पीछे कारण?
  4. विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का अवलोकन

मैंस लिंक:

हाल ही में, समाचारों में चर्चित ‘हवाना सिंड्रोम’ क्या है? इसके खबरों में होने के कारणों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

 अंतर्राष्ट्रीय ब्लू फ्लैग प्रमाणन


(International Blue Flag Certification)

संदर्भ:

हाल ही में, दो अन्य भारतीय समुद्र तटों (तमिलनाडु में कोवलम और पुदुचेरी में इडेन) को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त और प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय इको-लेबल ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाणन प्रदान किया गया है।

  • भारत में ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाणन वाले समुद्र तटों की संख्या 10 हो गयी है।
  • संसाधनों के समग्र प्रबंधन के जरिये प्राचीन तटीय एवं समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों की रक्षा करने और उसका संरक्षण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मान्यता देते हुए यह प्रमाणन प्रदान किए गए हैं।

पिछले वर्ष ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाणन से सम्मानित समुद्र तटों को दोबारा इस सूची में शामिल किया गया है। ये समुद्र तट है:

  1. शिवराजपुर-गुजरात,
  2. घोघला-दीव,
  3. कासरकोड-कर्नाटक
  4. पदुबिद्री-कर्नाटक,
  5. कप्पड-केरल,
  6. रुशिकोंडा-आंध्र प्रदेश,
  7. गोल्डन-ओडिशा और
  8. राधानगर-अंडमान एवं निकोबार

‘ब्लू फ्लैग प्रमाणन’ क्या है?

‘ब्लू फ्लैग प्रमाणन’ 33 कड़े मानदंडों के आधार पर “डेनमार्क में पर्यावरण शिक्षा के लिए फाउंडेशन” (Foundation for Environment Education in Denmark) द्वारा प्रदान किया जाने वाला, विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ‘इको-लेबल’ होता है।

  • समुद्र तटों तथा मरीना (marinas) के लिए ब्लू फ्लैग कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय, गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन, फाउंडेशन फॉर एनवायरमेंटल एजुकेशन (The Foundation for Environmental EducationFEE) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • इस कार्यक्रम का आरम्भ फ्रांस में वर्ष 1985 में किया गया था तथा वर्ष 1987 से यूरोप में लागू किया गया।
  • वर्ष 2001 से इस कार्यक्रम में दक्षिण अफ्रीका सम्मिलित हुआ, यह इसमें भाग लेने वाला यूरोप के अलावा पहला देश है।
  • साफ़ और स्वच्छ समुद्र तट, तटीय पर्यावरण के अच्छे स्वास्थ्य का एक संकेतक होता है, ‘ब्लू फ्लैग प्रमाणन’ भारत के संरक्षण और सतत विकास प्रयासों के लिए ‘वैश्विक मान्यता’ है।
  • समुद्र तट पर लहराता हुआ “ब्लू फ्लैग”, 33 कड़े मानदंडों 100% अनुपालन और समुद्र तट के अच्छे स्वास्थ्य का संकेत होता है।

ब्लू फ्लैग’ समुद्र तट का तात्पर्य:

‘ब्लू फ्लैग’ समुद्र तट, एक ईको-टूरिज़्म मॉडल है, जो पर्यटकों को नहाने के लिये स्वच्छ जल, सुविधाओं, सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के साथ क्षेत्र के सतत् विकास को बढ़ावा देने वाले समुद्र तटों को चिह्नित करता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

सतत विकास लक्ष्यों में महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग की बात की गयी है। कौन सा लक्ष्य, इस बारे में विशेष रूप से बात करता है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ब्लू फ्लैग प्रमाणीकरण के बारे में
  2. कार्यक्रम किसके द्वारा शुरू किया गया है?
  3. भारत और एशिया का ब्लू फ्लैग टैग पाने वाला का पहला सागर तट
  4. सर्वाधिक ब्लू फ्लैग सागर तटों वाला देश

मेंस लिंक:

ब्लू फ्लैग कार्यक्रम पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।

वैश्विक नवाचार सूचकांक 2021


(Global Innovation Index)

संदर्भ:

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization – WIPO) की ‘वैश्विक नवाचार सूचकांक’- 2021 रैंकिंग में भारत 2 स्थान ऊपर 46 वें स्थान पर आ गया है।

भारत पिछले कई वर्षों में वैश्विक नवाचार सूचकांक (Global Innovation Index – GII) की रैंकिंग में लगातार सुधार कर रहा है और रैंकिंग में 2015 में 81 वें स्थान से वर्ष 2021 में 46 स्थान पर आ गया है।

महत्व:

  • विशाल ज्ञान पूंजी, जीवंत स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम और सार्वजनिक तथा निजी अनुसंधान संगठनों द्वारा किए गए अद्भुत काम के कारण जीआईआई रैंकिंग में लगातार सुधार हुआ है।
  • परमाणु ऊर्जा विभाग; विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग; जैव प्रौद्योगिकी विभाग और अंतरिक्ष विभाग जैसे वैज्ञानिक विभागों ने राष्ट्रीय नवाचार ईकोसिस्टम को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) रैंकिंग – 2021 में शीर्ष 10 देश:

 

वैश्विक नवाचार सूचकांक के बारे में:

‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स’ (GII) देशों की उनकी क्षमता और नवाचार में सफलता के आधार पर तैयार की जाने वाली एक वार्षिक सूचकांक है।

  • यह सूचकांक, कॉर्नेल विश्वविद्यालय, INSEAD और संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी ‘विश्व बौद्धिक संपदा संगठन’ (WIPO) द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित किया जाता है।
  • यह, ‘अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ’ (International Telecommunication Union), विश्व बैंक और ‘विश्व आर्थिक मंच’ सहित कई स्रोतों से प्राप्त व्यक्तिपरक और वस्तुनिष्ठ आंकड़ों पर आधारित होता है।
  • यह इंडेक्स, वर्ष 2007 में INSEAD और ‘वर्ल्ड बिजनेस’ नामक एक ब्रिटिश पत्रिका द्वारा शुरू किया गया था।
  • वैश्विक नवाचार सूचकांक, किसी अर्थव्यवस्था के नवाचार प्रदर्शन को मापने हेतु एक प्रमुख संदर्भ है, और इसका उपयोग आमतौर पर कॉर्पोरेट और सरकारी अधिकारियों द्वारा, नवाचार-स्तर के आधार पर देशों की तुलना करने के लिए किया जाता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप नीति आयोग द्वारा जारी किए जाने वाले ‘इंडिया इनोवेशन इंडेक्स’ के बारे में जानते हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. वैश्विक नवाचार सूचकांक किसके द्वारा जारी किया गया है?
  2. इसका पहला संस्करण कब प्रकाशित किया गया था?
  3. भारत सरकार का प्रदर्शन
  4. वैश्विक प्रदर्शन
  5. सूचकांक में शीर्ष 10 देश

मेंस लिंक:

वैश्विक नवाचार सूचकांक की विशेषताओं तथा महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

 तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा (BEAMS) कार्यक्रम


(Beach Environment and Aesthetics Management Services (BEAMS) program)

संदर्भ:

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारत के तटीय क्षेत्रों के ‘सतत विकास’ के क्रम में एक अत्यधिक प्रशंसित एवं प्रमुख कार्यक्रम ‘तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा’ (Beach Environment and Aesthetics Management Services – BEAMS) कार्यक्रम शुरू किया है।

BEAMS कार्यक्रम के बारे में:

  • यह भारत के तटीय क्षेत्रों के सतत विकास के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ‘एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन’ (Integrated Coastal Zone Management- ICZM) दृष्टिकोण के तहत शुरू की गई एक पहल है।
  • इसका मुख्‍य उद्देश्य संसाधनों के समग्र प्रबंधन के जरिये प्राचीन तटीय एवं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण करना है।

कार्यक्रम के उद्देश्य:

  1. तटीय समुद्र में प्रदूषण को कम करना,
  2. समुद्र तटीय वस्‍तुओं के सतत विकास को बढ़ावा देना,
  3. तटीय पारिस्थितिक तंत्र एवं प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना और
  4. स्थानीय अधिकारियों एवं हितधारकों को समुद्र तट पर जाने वालों के लिए साफ-सफाई, स्वच्छता, एवं सुरक्षा के उच्च मानकों को तटीय पर्यावरण एवं विनियमों के अनुसार बनाए रखने के लिए सख्‍ती से निर्देशित करना।

एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन (ICZM) प्रोजेक्ट क्या है?

ICZM का उद्देश्य तटीय समुदायों की आजीविका में सुधार करना और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण करना है।

  • यह एक विश्व बैंक से सहायता प्राप्त परियोजना है।
  • इसके परियोजना के संदर्भ में ‘सतत् ​​तटीय प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय केंद्र’ (National Centre for Sustainable Coastal Management- NCSCM) ,चेन्नई, वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी प्रदान करेगा।
  • वर्ष 1992 में रियो डी जनेरियो के पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान ICZM की अवधारणा का उद्भव हुआ था।

स्रोत: पीआईबी।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


वर्ष 2020 में नई पादप प्रजातियों की खोज

‘भारतीय वानस्पतिक सर्वेक्षण’ द्वारा हाल ही में प्रकाशित ‘प्लांट डिस्कवरी’ 2020 (Plant Discoveries 2020) में देश की वनस्पतियों में 267 नई पादप प्रजातियां शामिल की गयी हैं।

  • वर्ष 2020 में खोजी गई कुल 267 नई पादप प्रजातियों में, 119 आवृतबीजी / एंजियोस्पर्म (Angiosperms), तीन टेरिडोफाइट्स (Pteridophytes); पांच ब्रायोफाइट्स (Bryophytes), 44 लाइकेन; 57 कवक, 21 शैवाल और 18 रोगाणु शामिल हैं।
  • भारत के विभिन्न हिस्सों से 14 नई वृहत् और 31 नई सूक्ष्म कवक प्रजातियां दर्ज की गई हैं।
  • कुल खोजों में से 22% खोजें पश्चिमी घाटों से की गईं, इसके बाद पश्चिमी हिमालय (15%), पूर्वी हिमालय (14%) और पूर्वोत्तर पर्वतमाला (12%) से खोजें की गयी।

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