INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 14 July 2021 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 सामान्य अध्ययन-I

1. आकाशीय बिजली का गिरना

 

सामान्य अध्ययन-III

1. आरबीआई द्वारा ‘खुदरा प्रत्यक्ष योजना’ का आरंभ

2. भूटान में भारत के ‘भीम- भीम-यूपीआई’ की शुरुआत

3. लद्दाख में भारत की पहली हरित हाइड्रोजन परिवहन परियोजना

4.पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघनकर्ताओं हेतु आम माफ़ी योजना

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. मानद महावाणिज्य दूत

2. भारत का पहला क्रिप्टोगैमिक गार्डन

3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वितीय सेवा मंच (ITFS)

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान आदि।

आकाशीय बिजली का गिरना


संदर्भ:

पिछले 24 घंटों के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में आकाशीय बिजली (lightning) गिरने की अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 30 लोग मारे गए। इनमे से अधिकांश घटनाएँ राजस्थान, उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश  में हुई हैं।

बिजली गिरने से होने वाले मौतें:

आकाशीय बिजली गिरने से देश में अक्सर मौतें होती रही हैं। पिछले साल जुलाई में, बिहार में दो अलग-अलग घटनाओं में आकाशीय बिजली गिरने से 40 लोगों की मौत हो गई थी।

  • कुल मिलाकर, भारत में हर साल औसतन 2,000-2,500 मौतें, बिजली गिरने से होती हैं।
  • साथ ही, प्राकृतिक कारणों से होने वाली आकस्मिक मौतों में से सर्वाधिक आकाशीय बिजली गिरने से होती हैं।

चुनौतियां और चिंताएं:

भारत में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं को ट्रैक नहीं किया जाता है, और वैज्ञानिकों के पास इस पर शोध अध्ययन करने हेतु पर्याप्त आंकड़े नहीं है। अक्सर, बिजली गिरने के खिलाफ किए जाने वाले सुरक्षा उपायों और सावधानियों को, भूकंप जैसी अन्य प्राकृतिक आपदाओं की भांति, प्रचार नहीं मिलता है।

आकाशीय बिजली (तड़ित) क्या होती है?

आकाशीय बिजली अथवा तड़ित (lightning), वातावरण में बिजली का एक तीव्र तथा व्यापक निस्सरण होती है। इसका कुछ भाग पृथ्वी की ओर निर्देशित होता है।

आकाशीय बिजली किस प्रकार उत्पन्न होती है?

  1. आकाशीय बिजली उत्पन्न करने वाले बादलों का आधार पृथ्वी की सतह से लगभग 1-2 किमी. ऊपर होता है तथा उनका शीर्ष लगभग 10-12 किमी. की ऊँचाई तक होता है। इन बादलों के शीर्ष पर तापमान -35 डिग्री सेल्सियस से -45 डिग्री सेल्सियस तक होता है।
  2. जैसे ही, जलवाष्प इन बादलों में ऊपर की उठता है, तापमान में कमी के कारण इसका संघनन हो जाता है। इस प्रक्रिया में ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिससे जल के अणु और ऊपर की ओर गति करते हैं।
  3. जैसे-जैसे वे शून्य से कम तापमान की ओर बढ़ते हैं, जल की बूंदें छोटे बर्फ के क्रिस्टल में बदल जाती हैं। इन जल कणों की ऊपर की ओर गति जारी रहती है, जिससे उनके द्रव्यमान में भी वृद्धि होती है। अंत में भारी होकर पृथ्वी की ओर गिरना शुरू कर देते हैं।
  4. इस प्रकार एक प्रक्रिया का निर्माण हो जाता है, जिसमे बर्फ के छोटे क्रिस्टल ऊपर की ओर जबकि बड़े क्रिस्टल नीचे की ओर गति करते हैं।
  1. इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप, इन कणों के मध्य टकराव होता है जिससे इलेक्ट्रॉन निर्मुक्त होते हैं, यह प्रक्रिया विद्युत स्पार्क की उत्पत्ति के समान कार्य करती है। गतिमान मुक्त इलेक्ट्रॉनों में परस्पर अधिक टकराव होता है, तथा नए इलेक्ट्रॉनों का निर्माण होता हैं; इस प्रकार एक चेन रिएक्शन का आरंभ होता है।
  2. इस प्रक्रिया से एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जिसमें बादलों की ऊपरी परत धनात्मक रूप से आवेशित तथा मध्य परत नकारात्मक रूप से आवेशित होती है। इन दोनों परतों के मध्य विद्युत-विभव में कई बिलियन वोल्ट का अंतर विद्यमान होता है। इससे कुछ ही समय में ही दोनों परतों के मध्य एक विशाल विद्युत धारा (लाखों एम्पीयर) का प्रवाह होने लगता है।
  3. परिणामस्वरूप भारी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती है जिससे बादल की दोनों परतों के मध्य वायु-स्तंभ का तापमान बढ़ जाता है। इस ऊष्मा के कारण बिजली कड़कने के दौरान वायु-स्तंभ का रंग लाल नजर आता है। गर्म वायु के विस्तारित होने से प्रघाती तरंगे (shock waves) उत्पन्न होती है, जिसके परिणामस्वरूप गड़गड़ाहट की आवाज़ आती है।

यह पृथ्वी पर किस प्रकार गिरती है?

पृथ्वी, बिजली की अच्छी संवाहक होत्ती है, तथा विद्युतीय रूप से तटस्थ होती है। हालांकि, बादलों की मध्य परत की तुलना में, यह धनात्मक रूप से आवेशित हो जाती है। परिणामस्वरूप, लगभग 15% -20% बिजली का प्रवाह, पृथ्वी की ओर निर्देशित हो जाता है। यह विद्युत प्रवाह पृथ्वी पर, जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुँचाता है।

lighting

 

इंस्टा जिज्ञासु:

पेड़ों, ऊँचे टावरों या इमारतों जैसी ऊँची वस्तुओं पर, आकाशीय बिजली गिरने की अधिक संभावना होती है। इस बारे में अधिक जानने हेतु पढ़ें

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. पृथ्वी पर बिजली किस प्रकार गिरती है?
  2. मेगाफ्लैश क्या हैं?
  3. क्या पृथ्वी बिजली की एक सुचालक है?
  4. बादलों के प्रकार
  5. भारत में बिजली गिरने की घटनाएँ

मेंस लिंक:

आकाशीय बिजली की घटनाओं पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

आरबीआई द्वारा ‘खुदरा प्रत्यक्ष योजना’ का आरंभ


(RBI unveils retail direct scheme)

संदर्भ:

हाल ही में, आरबीआई द्वारा ‘खुदरा प्रत्यक्ष योजना’ (Retail Direct Scheme) योजना शुरू की गई है।

इस योजना के तहत, खुदरा निवेशकों को भारतीय रिज़र्व बैंक में ‘खुदरा प्रत्यक्ष गिल्ट’ खाते (Retail Direct Gilt RDG) खोलने की अनुमति होगी।

इस योजना का संचालन / क्रियाविधि:

  • योजना के तहत, एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को सरकारी प्रतिभूतियों के प्राथमिक निर्गमन और ‘निगोशिएटेड डीलिंग सिस्टम-ऑर्डर मैचिंग सिस्टम’ (NDS-OM) तक पहुंच प्रदान की जाएगी। (NDS-OM, रिज़र्व बैंक के स्‍वामित्‍व में सरकारी प्रतिभूतियों के द्वितीयक बाजार में सौदे करने के लिए स्क्रीन-आधारित एक इलेक्‍ट्रानिक ऑर्डर मिलान सिस्‍टम है।
  • आरडीजी (RDG) खाता खोलने और उसके प्रबंधन पर खुदरा निवेशकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

योजना का उद्देश्य:

सरकारी प्रतिभूति बाजार- प्राथमिक और द्वितीयक दोनों तक ऑनलाइन माध्यम से खुदरा निवेशकों की पहुंच में सुधार करना।

योजना का महत्व:

यह योजना व्यक्तिगत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों (G-secs) में निवेश की सुविधा के लिए वन-स्टॉप समाधान है।

उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध निवेश-प्रकार:

  1. भारत सरकार ट्रेजरी बिल
  2. भारत सरकार दिनांकित प्रतिभूतियां
  3. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB)
  4. राज्य विकास ऋण (SDLs)।

आपके जानने योग्य विवरण:

  1. ‘गिल्ट खाते’ क्या होते हैं?
  2. ‘खुदरा निवेशक’ कौन होते हैं?
  3. ‘जी-सेक’ क्या हैं?

‘गिल्ट खाता’ क्या होता है?

गिल्ट खाते (Gilt Account) की तुलना किसी बैंक खाते से की जा सकती है, अंतर बस इतना होता है कि, जहाँ बैंक खाते में पैसे जमा और निकाले जाते हैं, वहीं गिल्ट खाते में ट्रेजरी बिल या सरकारी प्रतिभूतियों को जमा और आहरित किया जाता है।

दूसरे शब्दों में, यह सरकारी प्रतिभूतियों को रखने के लिए एक खाता होता है।

‘खुदरा निवेशक’ कौन होते हैं?

पारंपरिक या ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्मों या अन्य प्रकार के निवेश खातों के माध्यम से इक्विटी शेयर, कमोडिटी कॉन्ट्रैक्ट्स, म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETFs) के क्रय-विक्रय करने वाले को ‘खुदरा निवेशक’ (retail investor) कहा जाता है।

‘जी-सेक’ क्या हैं?

‘सरकारी प्रति‍भूति‍यों’ (G-Secs) के बारे में जानने हेतु पढ़ें

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सरकारी प्रति‍भूति‍यां (G-Secs) क्या होती हैं?
  2. अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रतिभूतियां
  3. G-Secs जारी करने के लिए केंद्र और राज्यों की शक्तियां
  4. RBI की भूमिका।
  5. इन प्रतिभूतियों की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक

मेंस लिंक:

सरकारी प्रति‍भूति‍यां (G-Secs) क्या होती हैं? इनके महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

भूटान में भारत के ‘भीम भीम-यूपीआई’ की शुरुआत


(Bhutan adopts India’s BHIM-UPI)

संदर्भ:

हाल ही में, भूटान अपने ‘त्वरित प्रतिक्रिया’ (Quick Response – QR) कोड अर्थात ‘क्यूआर कोड’ के लिए भारत के ‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ (Unified Payment Interface – UPI) मानकों को अपनाने वाला पहला देश बन गया है। भूटान, व्यापारिक स्थलों (Merchant Locations) पर BHIM- UPI स्वीकार करने वाला, सिंगापुर के बाद, दूसरा देश भी है।

इसके साथ ही, भूटान, रुपे कार्ड (RuPay Cards) जारी करने और स्वीकार करने के साथ-साथ BHIM- UPI को स्वीकार करने वाला एकमात्र देश बन जाएगा।

भीम (BHIM) क्या है?

भारत इंटरफेस फॉर मनी (BHIM), ‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ (UPI) के माध्यम से काम करने वाला भारत का एक ‘डिजिटल पेमेंट एप्लिकेशन’ है। ‘यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI) सिस्टम में कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन से संचालित किया जा सकता है।

  • BHIM एप्प को ‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम’ (National Payments Corporation of India – NPCI) द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह रियल-टाइम धन-अंतरण किए जाने की सुविधा प्रदान करता है।
  • इसे दिसंबर, 2016 में लॉन्च किया गया था।

UPI क्या है?

‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ या ‘यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI) एक त्वरित रियल-टाइम भुगतान प्रणाली है। यह प्रणाली, उपयोगकर्त्ताओं को अपने बैंक खाते का विवरण दूसरे पक्ष को बताए बिना कई बैंक खातों में रियल-टाइम आधार पर धन-अंतरण करने की अनुमति देती है।

BHIM ऐप में प्रमाणीकरण के तीन स्तर होते हैं:

  1. पहला, यह ऐप किसी डिवाइस की आईडी और मोबाइल नंबर से जुड़ जाती है।
  2. दूसरा, उपयोगकर्ता को लेन-देन करने के लिए बैंक खाते (UPI या गैर- UPI सक्षम) को समकालिक (sync) करना होगा।
  3. तीसरा, किसी उपयोगकर्ता से अपनी डिवाइस में BHIM ऐप शुरू करते समय एक ‘PIN’ बनाने के लिए कहा जाता है, यह ‘PIN’ ऐप में ‘लॉग इन’ करने के लिए आवश्यक होती है। उपयोगकर्ता के लिए कोई लेनदेन करने हेतु अपने बैंक खाते से जुडी ‘UPI PIN’ का उपयोग करना आवश्यक है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम’ (National Payments Corporation of India – NPCI) भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन हेतु एक अम्ब्रेला संस्था है। इसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा भारत में भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (The Payment and Settlement Systems Act, 2007) के प्रावधानों के तहत एक मज़बूत भुगतान और निपटान अवसंरचना के विकास हेतु स्थापित किया गया है। क्या आप इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में जानते हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. देश में एटीएम को कौन नियंत्रित करता है?
  2. UPI क्या है?
  3. नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) क्या है?
  4. राष्ट्रीय वित्तीय स्विच क्या है?
  5. BHIM ऐप में प्रमाणीकरण के तीन स्तर

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

लद्दाख में भारत की पहली हरित हाइड्रोजन परिवहन परियोजना


(India’s first green Hydrogen Mobility project in Ladakh)

संदर्भ:

एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (NTPC REL) द्वारा लद्दाख में देश की पहली हरित हाइड्रोजन परिवहन परियोजना (India’s first green Hydrogen Mobility project) शुरू की जा रही है।

एनटीपीसी आरईएल, एनटीपीसी की 100 प्रतिशत अनुषंगी (Subsidiary) कंपनी है।

हरित हाइड्रोजन / ग्रीन हाइड्रोजन क्या होता है?

नवीकरणीय / अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके ‘विद्युत अपघटन’ (Electrolysis) द्वारा उत्पादित हाइड्रोजन को ‘हरित हाइड्रोजन’ (Green Hydrogen) के रूप में जाना जाता है। इसमें कार्बन का कोई अंश नहीं होता है।

  • वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले हाइड्रोजन को जीवाश्म ईंधनों से निर्मित किए जाता है, जोकि ईंधन के प्रमुख स्रोत हैं।
  • रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से हाइड्रोजन को मुक्त करने के लिए जीवाश्म ईंधन और बायोमास जैसी जैविक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।

ग्रीन हाइड्रोजन का महत्व:

  • भारत के लिए अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (Nationally Determined Contribution- INDC) लक्ष्यों को पूरा करने तथा क्षेत्रीय और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, पहुंच और उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ ऊर्जा काफी महत्वपूर्ण है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा के अंतराल को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
  • परिवहन के संदर्भ में, शहरों के भीतर या राज्यों के मध्य लंबी दूरी की यात्रा या माल ढुलाई के लिए, रेलवे, बड़े जहाजों, बसों या ट्रकों आदि में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग किया जा सकता है।

ग्रीन हाइड्रोजन के अनुप्रयोग:

  1. अमोनिया और मेथनॉल जैसे हरित रसायनों का उपयोग सीधे मौजूदा ज़रूरतों जैसे उर्वरक, गतिशीलता, बिजली, रसायन, शिपिंग आदि में किया जा सकता है।
  2. व्यापक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए CGD नेटवर्क में 10 प्रतिशत तक ग्रीन हाइड्रोजन मिश्रण को अपनाया जा सकता है।

लाभ:

  • ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा भंडारण के लिए खनिजों और दुर्लभ-पृथ्वी तत्व-आधारित बैटरी पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।
  • जिस अक्षय ऊर्जा को ग्रिड द्वारा संग्रहीत या उपयोग नहीं किया जा सकता है, उसका हाइड्रोजन-उत्पादन करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

हरित हाइड्रोजन के उत्पादन हेतु भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  1. फरवरी 2021 में बजट भाषण के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अक्षय स्रोतों से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन शुरू करने की घोषणा की गई थी।
  2. उसी महीने, राज्य के स्वामित्व वाली ‘इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन’ द्वारा हाइड्रोजन पर उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence on Hydrogen: CoE-H) स्थापित करने हेतु ‘ग्रीनस्टैट नॉर्वे’ (Greenstat Norway) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
  3. इसके तहत, नॉर्वेजियन और भारतीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों/विश्वविद्यालयों के बीच ‘ग्रीन’ और ‘ब्लू हाइड्रोजन’ के उत्पादन के लिए अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
  4. हाल ही में, भारत और अमेरिका ने वित्त जुटाने और हरित ऊर्जा विकास को गति देने हेतु ‘सामरिक स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी’ (Strategic Clean Energy Partnership SCEP) के तत्वावधान में एक टास्क फोर्स का गठन किया है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

हाइड्रोजन ईंधन को विभिन्न पद्धतियों से उत्पादित किया जा सकता है। इनके बारे में जानने हेतु पढ़ें

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में
  2. इसका उत्पादन किस प्रकार किया जाता है?
  3. अनुप्रयोग
  4. लाभ
  5. हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के बारे में

मेंस लिंक:

ग्रीन हाइड्रोजन के लाभों की विवेचना कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघनकर्ताओं हेतु आम माफ़ी योजना


(Amnesty scheme for violators of environment norms)

संदर्भ:

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा ‘पर्यावरण मंजूरी मानदंडों’ का उल्लंघन करने वाली बुनियादी ढांचा और औद्योगिक परियोजनाओं के लिए एक ‘आम माफ़ी योजना’ (Amnesty Scheme) तैयार की गयी है।

पृष्ठभूमि:

हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ (National Green Tribunal) द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन यह ‘मानक संचालन प्रक्रिया’ (Standard Operating Procedure- SOP) तैयार की गयी है। विदित हो कि, इस साल की शुरुआत में, NGT ने पर्यावरण मंत्रालय को हरित प्रावधानों का उल्लंघन करने पर ‘दंड’ और एक ‘मानक संचालन प्रक्रिया’ (SOP) लागू करने का निर्देश दिया था।

मंत्रालय द्वारा निर्धारित की गयी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP):

  1. नए SOP के अनुसार, जिन परियोजनाओं द्वारा आवश्यक अनुमति लिए बगैर अपनी उत्पादन क्षमता में विस्तार किया गया है, उनके लिए पुनर्मूल्यांकन होने तक अपनी पुरानी उत्पादन सीमा पर वापस लौटना होगा।
  2. यदि किसी परियोजना के लिए ‘पूर्व पर्यावरण मंजूरी’ (Environment Clearance – EC) लेने की आवश्यकता नहीं थी, किंतु अद्यतन मानदंडों के तहत अब इसे आवश्यक कर दिया गया है, तो उस परियोजना के लिए अपनी उत्पादन को उस सीमा तक सीमित करना होगा, जिसके लिए, दोबारा सूचित किए जाने तक, ‘पूर्व पर्यावरण मंजूरी’ (Prior EC) लेने की आवश्यकता नहीं है।
  3. पर्यावरण मानकों का पूर्ण उल्लंघन करने वाली परियोजनाओं और जो परियोजनाएं ‘पर्यावरण मंजूरी’ के लिए कभी भी पात्र नहीं थीं, उन्हें नष्ट या बंद कर दिया जाएगा।
  4. पर्यावरणीय मानदंडों का उल्लंघन करने वाली किंतु ‘उचित एवं स्वीकार्य’ परियोजनाओं द्वारा की जाने वाली ‘पर्यावरणीय-क्षति’ का आंकलन किया जाएगा और एक सुधारात्मक योजना तैयार की जाएगी। इन परियोजनाओं को केंद्र या राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष, ‘उपचार योजना’ (remediation plan) तथा ‘प्राकृतिक एवं सामुदायिक संसाधन वृद्धि योजना’ के बराबर बैंक गारंटी जमा करनी होगी।
  5. मंत्रालय के ज्ञापन में, केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और ‘राज्य पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्राधिकरणों’ जैसी सरकारी एजेंसियों को इस प्रकार के उल्लंघनों की पहचान करने और उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है।

संबंधित चिंताएं / मुद्दे:

  • विशेषज्ञों का कहना है कि, नई माफी योजना के प्रावधान, पर्यावरणीय मानदंडों के उल्लंघन से संबंधित मसौदा ‘पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना’ 2020 (Environment Impact Assessment Notification 2020) के प्रावधानों के समान हैं। पिछले वर्ष जारी किए गए इस मसौदे में ‘कार्योत्तर अनुमोदन’ (post-facto clearances) के प्रावधान पर लोगों द्वारा व्यापक आलोचना की गयी थी।
  • मंत्रालय द्वारा जारी ज्ञापन में “उल्लंघन के बाद इनका विनियमन” (post facto regularisation of violations) को सामान्य बना दिया गया है – जिसमें, परियोजना द्वारा पहले पर्यावरणीय मानदंडों का उल्लंघन किया जाता है, और बाद में परियोजना के प्रस्तावक ‘पर्यावरण मंजूरी’ के लिए आवेदन करते हैं और उन्हें ‘जुर्माना भरने के बाद छोड़ दिया जाता है’।
  • साथ ही, इसमें प्रदूषण करने वाले द्वारा ‘भुगतान मानदंड’ के आधार पर उल्लंघनों का संस्थागतकरण कर दिया गया है।
  • इस SOP में उल्लंघनकर्ता और अपराध का निर्धारण करने में मंत्रालय को “अत्यधिक शक्ति” दी गयी है। इससे उल्लंघन करने वालों, विशेष रूप से बड़े व्यवसायियों को मंत्रालय के साथ बातचीत करने की गुंजाइश मिलती है।

‘पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना’ 2020 के मसौदा में विवादास्पद प्रावधान:

  1. मसौदा अधिसूचना के अनुच्छेद 14 (2) और 26 के तहत, रासायन उत्पादन और पेट्रोलियम उत्पाद; भवन, निर्माण और क्षेत्र विकास; अंतर्देशीय जलमार्ग और राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार या चौड़ीकरण, आदि जैसे कई बड़े उद्योगों और परियोजनाओं को ‘पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्रक्रिया’ के हिस्से के रूप में ‘सार्वजनिक परामर्श’ से छूट दी गयी है।
  2. मसौदे में, केंद्र सरकार द्वारा परियोजनाओं को ‘रणनीतिक’ श्रेणी में रखे जाने हेतु मानदंडों के संबंध में स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है और इसकी कई व्यापक व्याख्याएं की जा सकती हैं।
  3. मसौदे में, आवश्यक पर्यावरणीय मंजूरी या अनुमति प्राप्त किए बिना शुरू की गयी परियोजनाओं के लिए एक ‘कार्योत्तर अनुमोदन’ (post-facto clearances) का प्रावधान किया गया है।
  4. इसमें सार्वजनिक परामर्श सुनवाई की अवधि घटाकर अधिकतम 40 दिन कर दिया गया है।
  5. मसौदे में पर्यावरण मंजूरी लेने के लिए किसी आवेदन पर सार्वजनिक सुनवाई के दौरान जनता को अपनी प्रतिक्रियाएं देने की अवधि 30 दिनों से घटाकर 20 दिन की गयी है।
  6. खनन परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी वैधता (30 वर्ष से बढाकर 50 वर्ष) तथा नदी घाटी परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी वैधता (10 वर्ष से बढाकर 15 वर्ष) किए जाने से, परियोजनाओं के कारण होने वाले अपरिवर्तनीय पर्यावरणीय, सामाजिक और स्वास्थ्य संबधी खतरों में वृद्धि होने की संभावना है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि, भारत में, पहली बार ‘पर्यावरण प्रभाव आकलन’ (Environment Impact Assessment- EIA) मानदंड वर्ष 1994 में ‘पर्यावरण संरक्षण अधिनियम’, 1986 के तहत अधिसूचित किए गए थे?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. EIA प्रक्रिया
  2. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986- मुख्य प्रावधान
  3. मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के बारे में
  4. संविधान का अनुच्छेद 253
  5. संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक कौन हैं?
  6. ड्राफ्ट ईआईए अधिसूचना 2020 में मुख्य प्रावधान।

मेंस लिंक:

भारतीय संदर्भ में पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) प्रक्रिया के महत्व को समझाइए। इसके साथ जुड़ी चिंताओं पर प्रकाश डालिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


मानद महावाणिज्य दूत

(Honorary Consul General)

हाल ही में, बेंगलुरु के उद्योगपति एन.एस. श्रीनिवास मूर्ति को वियतनाम में कर्नाटक का मानद महावाणिज्य दूत (Honorary Consul General in India) नियुक्त किया गया है।

यह भारत से वियतनाम के पहले और विश्व में 19वें मानद महावाणिज्य दूत हैं

मानद महावाणिज्य दूत कौन होते हैं?

  1. ‘मानद महावाणिज्य दूत’, भारतीय राजनयिक मिशनों के साथ मिलकर, अन्य देशों के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देते है।
  2. ये अशासकीय व्यक्ति होते हैं, और बगैर पारिश्रमिक के अंशकालिक आधार पर अपने कार्यों को पूरा करते हैं।
  3. ‘मानद महावाणिज्य दूत’ पासपोर्ट आवेदनों को स्वीकार नहीं करते हैं और न ही वे वीजा या निवास परमिट से संबंधित मामलों को संभालते हैं।
  4. ये न्यायिक कार्यवाही में, कानूनी सलाहकार के रूप में या वकील के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं।

honorary

 

भारत का पहला क्रिप्टोगैमिक गार्डन

(India’s first cryptogamic garden)

हाल ही में, उत्तराखंड में देहरादून के चकराता शहर में भारत के पहले ‘क्रिप्टोगैमिक गार्डन’ (Cryptogamic Garden) का उद्घाटन किया गया।

  • इस उद्यान में लाइकेन, फर्न और कवक (इन्हें सामूहिक रूप से क्रिप्टोगेमिक के रूप में जाना जाता है) की लगभग 50 प्रजातियाँ पाई जायेंगी।
  • इस जगह को, इन प्रजातियों के विकास के लिए अनुकूल, निम्न प्रदूषण स्तर और आर्द्र जलवायु परिस्थितियों के कारण चुना गया है।

क्रिप्टोगैम (Cryptogams) क्या होते हैं?

पादप जगत को, दो उप-जगतों यथा, क्रिप्टोगैम (Cryptogams) और फ़ैनरोगैम (phanerogams) में विभाजित किया जा सकता है।

  • क्रिप्टोगैम समूह में ‘बीज रहित पौधे’ (seedless plants) और ‘पादपों के समान जीव’ (plant-like organisms) होते हैं जबकि फ़ैनरोगैम समूह में ‘बीज वाले पौधे’ (seed-bearing plants) होते हैं।
  • फ़ैनरोगैम को आगे दो वर्गों, यथा, जिम्नोस्पर्म (gymnosperms) और एंजियोस्पर्म (angiosperms) में विभाजित किया जाता है।
  • “क्रिप्टोगेम” शब्द का अर्थ ‘अप्रत्यक्ष प्रजनन’ होता है, अर्थात ये पौधे किसी भी प्रजनन संरचना, बीज या फूल का उत्पादन नहीं करते हैं।
  • क्रिप्टोगैम पादप, जैसे कि शैवाल, लाइकेन, काई और फर्न, बीजाणुओं की मदद से प्रजनन करते हैं।

 

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वितीय सेवा मंच (ITFS)

हाल ही में, ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण’ (IFSCA) द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों’ (IFSCs) में व्यापार संबंधी वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वितीय सेवा मंच’ (International trade finance services platform – ITFS) प्लेटफॉर्म की स्थापना और उसके संचालन के संबंध में एक रूपरेखा जारी की है।

  • यह रूपरेखा निर्यातकों और आयातकों को ITFS जैसे एक समर्पित इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के जरिए अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्रम में लेनदेन के लिए प्रतिस्पर्धी शर्तों पर विभिन्न प्रकार की व्यापार संबंधी वित्तीय सुविधाओं का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगी।
  • इससे उनकी व्यापारिक प्राप्य राशियों को लिक्विड फंड में बदलने और अल्पकालिक वित्त पोषण (फंडिंग) प्राप्त करने की उनकी क्षमता में मदद मिलेगी।

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