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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
- बंगाल के 7 विधायकों का निलंबन रद्द
- राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क नीति के मसौदे पर सार्वजनिक परामर्श
सामान्य अध्ययन-III
- भारत वर्ष 2021 में ‘नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों’ में तीसरे स्थान पर
- हरियाणा सरकार द्वारा बीटी कपास किस्म के फील्ड ट्रायल की अनुमति
- क्रिप्टो बाजार में गिरावट के कारण
- भारत में VPN सर्वर बंद होने के निहितार्थ
सामान्य अध्ययन-IV
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं आचारनीति: गूगल का नया चैटबॉट संवेदनशील हो सकता है?
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- अटापका पक्षी अभयारण्य
- मिटिकूल रेफ्रिजरेटर
- आईएमडी का विश्व प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक
- उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल
- लागत मुद्रास्फीति सूचकांक
- मुद्रास्फीतिजनित मंदी का जोखिम
- QHPV
- टोकनाइजेशन
- जस्ट ट्रांजिशन डिवीजन
- तंत्रिका नेटवर्क
- आसियान-भारत बैठक
- काली टाइगर रिजर्व
सामान्य अध्ययन–II
विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।
बंगाल के 7 विधायकों का निलंबन रद्द
संदर्भ:
हाल ही में, पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष ने ‘विपक्ष के नेता’ (नेता प्रतिपक्ष) सहित सात विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया है।
सदन के नियम:
- नियम 53 के अनुसार, “किसी सदस्य द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय का अनुपालन करने से इंकार किए जाने पर, अथवा अध्यक्ष की राय में किसी सदस्य द्वारा पूर्णतयः नियम-विरुद्ध व्यवहार किए जाने पर, अध्यक्ष उस विधायक को तत्काल विधानसभा से बाहर निकल जाने का निर्देश दे सकता है।
- उक्त विधानसभा सदस्य “उस दिन के सत्र की शेष अवधि के दौरान बैठक में भाग नहीं लेगा”।
- यदि किसी सदस्य को एक ही सत्र में दूसरी बार सदन से बाहर निकलने का आदेश दिया जाता है, तो विधानसभा अध्यक्ष, उस सदस्य को “चालू सत्र की शेष अवधि के लिए सदन से अनुपस्थित रहने का निर्देश दे सकता है” इस प्रकार का निर्देश चालू सत्र की अवधि तक ही लागू रहेगा।
संसद सदस्य के निलंबन संबंधी प्रावधान:
(Provisions for Suspension of a Member of Parliament)
- लोकसभा में ‘प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन विषयक नियमों’ के अंतर्गत के नियम 373, 374, और 374A में किसी सदस्य को ‘पूर्णतयः नियम-विरुद्ध आचरण’ करने पर सदन से बाहर निकाले जाने अथवा सदन के नियमों का दुरुपयोग करने या कामकाज में जानबूझकर बाधा उत्पन्न करने पर निलंबित करने संबंधी प्रावधान किए गए हैं।
- इन नियमों के अनुसार, उक्त सदस्यों को अधिकतम “लगातार पांच बैठकों या शेष सत्र के लिए, जो भी कम हो” की अवधि के लिए निलंबित किया जा सकता है।
- राज्यसभा के नियम 255 और 256 के तहत भी निलंबन की अधिकतम सीमा शेष सत्र की अवधि से अधिक नहीं हो सकती है। हाल ही में, कई सदस्यों का निलंबन ‘चालू सत्र के बाद’ समाप्त हो गया है।
- इसी तरह के नियम, राज्य विधानसभाओं और विधान परिषदों में भी लागू होते हैं, जिनके अनुसार, निलंबन की अधिकतम सीमा शेष सत्र की अवधि से अधिक नहीं हो सकती है।
अनुच्छेद 212 (1):
अनुच्छेद 212 (1) के अनुसार, “राज्य के विधान-मंडल की किसी कार्यवाही की विधिमान्यता को, प्रक्रिया की किसी अभिकथित अनियमितता के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा”।
प्रीलिम्स एवं मेन्स लिंक:
- किसी विधायक को कितने समय के लिए निलंबित किया जा सकता है? जानकारी हेतु पढ़िए।
- सदन के अध्यक्ष को तटस्थ रहते हुए राजनीतिक नैतिकता और दबाव से स्वतंत्र रूप से कार्य करना होता है। हम सदन के अध्यक्ष (स्पीकर) की निष्पक्षता की गारंटी किस प्रकार दे सकते हैं?
विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय।
राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क नीति के मसौदे पर सार्वजनिक परामर्श
संदर्भ:
हाल ही में, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास एवं उद्यमिता’ राज्य मंत्री द्वारा भारत में सरकारों और नागरिकों के तीव्र डिजिटलीकरण और आंकड़ों की बढ़ती हुई संख्या पर प्रकाश डाला, जिसके लिए इस डेटा की क्षमता का दोहन करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकता है।
सरकार का उद्देश्य डेटा गवर्नेंस के लिए एक आधुनिक संरचना का निर्माण करना है जो भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।
राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क नीति मसौदा:
(Draft National Data Governance Framework Policy)
- भारतीय डेटासेट कार्यक्रम (Indian Datasets Programme): मसौदा नीति और जिस ठोस आधार पर ‘भारत डेटासेट कार्यक्रम’ का निर्माण किया गया है। इसमें केंद्र सरकार की संस्थाओं द्वारा भारतीय नागरिकों या भारत में रहने वालों से एकत्र किए गए विवरण के गैर-व्यक्तिगत और अनाम डेटासेट शामिल होंगे। इस तरह के डेटा को साझा करने के लिए निजी कंपनियों को “प्रोत्साहित” किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम के तहत उपलब्ध गैर-व्यक्तिगत डेटा स्टार्ट अप और भारतीय शोधकर्ताओं के लिए सुलभ होंगे (गैर-व्यक्तिगत डेटा (non-personal data), वह विवरण है जिसमें व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी नहीं होती है)।
- ‘भारत डेटा प्रबंधन कार्यालय’ (India Data Management Office – IDMO): ड्राफ्ट में ‘भारत डेटा प्रबंधन कार्यालय’ के निर्माण का भी प्रावधान किया गया है, जो भारत डेटासेट प्लेटफॉर्म को डिजाइन और प्रबंधित करने का प्रभारी होगा।
- आईडीएमओ, सभी संस्थाओं (सरकारी और निजी) के लिए अनामीकरण मानकों (Anonymization Standards) सहित नियमों और मानकों को निर्धारित करेगा।
- सुरक्षा और विश्वास के प्रयोजनों के लिए, किसी भी संस्था द्वारा कोई भी ‘गैर-व्यक्तिगत डेटा साझाकरण’ केवल IDMO द्वारा निर्दिष्ट और अधिकृत प्लेटफार्मों के माध्यम से हो सकेगा।
- डेटा की बिक्री पर रोक: इस नए मसौदे में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में, पुराने मसौदे में सबसे विवादास्पद प्रावधान – खुले बाजार में केंद्रीय स्तर पर एकत्र किए गए डेटा की बिक्री – को हटा दिया गया है।
सुझावों में शामिल हैं:
- आईडीएमओ के कामकाज को सूचित करने वाली परामर्शी प्रक्रिया की निरंतरता।
- एकीकृत डेटासेट क्षमता का भविष्य में दोहन करने वाले प्रावधान, और निजी क्षेत्र के लोगों को शामिल करने की प्रक्रिया का स्पष्टीकरण।
- इसके अलावा, भारतीय डेटा प्रबंधन कार्यालय के संचालन की जानकारी और स्पष्टता।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नवाचार के लिए व्याख्या किए गए डेटासेट तक पहुंच, और
- डेटा क्षमता निर्माण करने के लिए निजी क्षेत्र और सामाजिक प्रभाव वाले फर्मों के सक्रिय सहयोग।
मेंस लिंक:
हाल ही में जारी ‘राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क नीति के मसौदे’ के प्रमुख प्रावधानों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन–III
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
भारत वर्ष 2021 में ‘नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों’ में तीसरे स्थान पर
संदर्भ:
‘21 वीं सदी के लिए नवीकरणीय ऊर्जा नीति नेटवर्क’ (Renewable Energy Policy Network for the 21st Century – REN21) द्वारा प्रकाशित एक ‘नवीकरणीय 2022 वैश्विक स्थिति रिपोर्ट’ (Renewable 2022 Global status report) के अनुसार, भारत 2021 में चीन और रूस के बाद ‘नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों’ (renewable energy installations) में तीसरे स्थान पर है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- भारत के संदर्भ में: भारत में वर्ष 2021 के दौरान 15.4 गीगावाट (GW) की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना की गयी।
- भारत, पहली बार जर्मनी (59.2 GW) को पीछे छोड़ते हुए, वर्ष 2021 मे कुल सौर प्रतिष्ठानों (60.4 GW) के साथ चौथे स्थान पर पहुँच गया है।
- वैश्विक संदर्भ में: कुल मिलाकर सभी देशों ने 2021 में लगभग 3,146 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित की गयी- जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 11% अधिक है।
- नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य के संदर्भ में: स्थापित क्षमता में वृद्धि के बावजूद, वैश्विक ऊर्जा उपयोग में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 2021 में स्थिर रही। अब तक हासिल की गई अक्षय ऊर्जा क्षमताएं दुनिया को 2050 तक ‘नेट-जीरो’ उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए आवश्यक लक्ष्यों के करीब नहीं हैं।
- महामारी का प्रभाव: COVID-19 महामारी के प्रभावों के बावजूद, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश और स्थापना दोनों में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई।
- यूक्रेन संकट का प्रभाव: यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने ऊर्जा संकट को और बढ़ा दिया। हालांकि, सरकारों ने जीवाश्म ईंधन के उत्पादन और सब्सिडी को बढ़ाकर इसका प्रत्युत्तर दिया है। इससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में ‘दो अरब टन से अधिक उत्सर्जन’ के साथ 6% की रिकॉर्ड वृद्धि हुई है।
भारत द्वारा किए जा रहे प्रयास:
- भारत ने सौर फोटोवोल्टिक (Photovoltaic) ऊर्जा, पवन और जल विद्युत जैसे स्रोतों के माध्यम से 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य की घोषणा की है।
- वर्तमान में, भारत में लगभग 197 बिलियन डॉलर की परियोजनाएं चल रही हैं।
- भारत ने अपने ‘राष्ट्रीय सौर उत्पादन कार्यक्रम’ का विस्तार किया है, इसके तहत ‘बैटरी निर्माण संयंत्रों’ की स्थापना के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।
- 2021 में, भारत में अपनी ‘नेट मीटरिंग योजना’ (Net Metering Scheme) के तहत ‘सौर फोटोवोल्टिक प्रतिष्ठानों’ पर निर्धारित सीमा को बढ़ा दिया गया, जिसके बाद देश का ‘रूफटॉप पीवी बाजार’ रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया।
- अन्य सरकारी कार्यक्रम: ‘परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव’ (Performance Linked Incentive – PLI) योजना, कचरे से ऊर्जा संयंत्रों द्वारा उत्पादित हरित ऊर्जा का उत्पादन, खरीद और खपत की सुविधा प्रदान करने हेतु ‘ग्रीन ओपन एक्सेस नियम’, ‘ग्रीन टर्म अहेड’ और ‘डे-अहेड मार्केट’ आदि।
REN21 के बारे में:
- ‘21 वीं सदी के लिए नवीकरणीय ऊर्जा नीति नेटवर्क’ (REN21), विज्ञान, सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और उद्योगों के अभिकर्ताओं का एकमात्र ‘वैश्विक अक्षय ऊर्जा समुदाय’ है जो अक्षय क्षेत्र में वैश्विक विकास पर नज़र रखता है।
- लक्ष्य: निर्णय-कर्ताओं को अक्षय ऊर्जा की ओर बदलाव करने में सक्षम बनाना।
- स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 2004 में आयोजित ‘अक्षय ऊर्जा पर बॉन2004 अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के परिणामस्वरूप की गयी थी।
प्रीलिम्स और मेन्स लिंक:
स्रोत: द वायर, REN21
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
हरियाणा सरकार द्वारा बीटी कपास किस्म के फील्ड ट्रायल की अनुमति
संदर्भ:
हरियाणा सरकार ने, हाल ही में, बीटी कपास (BT cotton) की एक खरपतवार- सहनीय और कीट-प्रतिरोधी किस्म, ‘बीजी -2 आरआरएफ’ (BG-2 RRF) पर ‘फील्ड परीक्षण’ करने के लिए एक प्रमुख बीज कंपनी ‘महीको’ (Mahyco) को ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ (NOC) जारी किया है।
‘बीजी-2 आरआरएफ’ अमेरिकी बोलवर्म (American Bollworm) जैसे विनाशकारी कीटों के हमलों से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
इस संदर्भ में सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदम:
- भारत ने देश में बीजी-1 और बीजी-2 जीएम कपास के व्यावसायिक उपयोग की अनुमति दी है, जबकि बीजी-2 आरआरएफ के लिए अनुमोदन विभिन्न चरणों में लंबित है।
- केंद्र सरकार ने पहली बार कुछ प्रकार की ‘जीनोम-संपादित फसलों’ को आनुवंशिक रूप से संशोधित या जीएम फसलों पर लागू कड़े नियमों से छूट दी है, जिससे इन फसलों पर आगे अनुसंधान किए जाने एवं इनके विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
- अन्य देशों में प्रावधान: कई देशों में जीनोम एडिटिंग के माध्यम से विकसित सब्जियों, फलों, तिलहनों और अनाज – जैसे ‘गामा-एमिनोब्यूट्रिक एसिड’ या ‘GABA टमाटर’, ‘हाई ओलिक कैनोला’ (High Oleic Canola) और सोयाबीन, ‘नॉन-ब्राउनिंग मशरूम’ आदि की व्यावसायिक खेती या तो विकसित कर ली हैं या इनको अनुमोदित कर दिया गया है।
- चीन में भी ‘जीनोम एडिटिंग’ के लिए ‘दिशा-निर्देशों’ को मंजूरी दे दी गयी है, इससे अधिक पैदावार और जो कीटों और जलवायु परिवर्तन के लिए प्रतिरोधी फसलों में अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।
प्रीलिम्स और मेन्स लिंक:
बीटी कॉटन के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें।
विषय: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।
क्रिप्टो बाजार में गिरावट के कारण
संदर्भ:
पिछले साल के अंत में एक सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद ‘बिटकॉइन’ और कई अन्य ‘क्रिप्टोकरेंसी’ गिरती जा रही हैं।
क्रिप्टोकरेंसीज़ के क्रैश होने का कारण:
- विश्व भर की सरकारों द्वारा सख्त मौद्रिक नीति: जैसे-जैसे केंद्रीय बैंकों द्वारा बाजार से ‘चल-निधि’ (liquidity) को वापस लिया जाता है, वैसे-वैसे परिसंपत्तियों की खरीद के लिए धन-राशि कम होती जाती है, जिसके कारण संपत्तियों की कीमतें गिरने लगती हैं।
- बुलबुला (Bubble): क्रिप्टोकरेंसीज़ का क्रैश होना, ‘बुलबुले’ के फूटने का भी संकेत दे सकता है, जिसकी वजह से क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें बहुत उच्च स्तर पर पहुंच गयी थी।
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकारों का नजरिया:
- क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrencies) के व्यापक उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए कई देशों द्वारा विभिन्न कदम उठाए गए हैं।
- चीन और रूस जैसे देशों ने ‘क्रिप्टोकरेंसी’ पर एकमुश्त प्रतिबंध लगाने का विकल्प चुना है, वहीं भारत जैसे अन्य देशों ने उन पर भारी कर लगाने और उन्हें विनियमित करने का प्रयास किया है।
- भारत में, जबकि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी पर एकमुश्त प्रतिबंध नहीं लगाया है, हालंकि भारतीय रिजर्व बैंक इनको पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की आवश्यकता के बारे में काफी मुखर रहा है।
इन आभासी मुद्राओं का अंतर्निहित मूल्य:
कागजी मुद्रा या वैध मुद्रा (Fiat currency) के समान, बिटकॉइन (या अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी) भी किसी भी तरह से सोने या चांदी द्वारा समर्थित नहीं होती है, इसलिए इसका कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है। किसी भी मुद्रा का मूल्य ‘राज्य के समर्थन’ और ‘सरकार पर लोगों के विश्वास’ से आता है।
प्रीलिम्स और मेन्स लिंक
- क्रिप्टोकरेंसी संबंधित मूल तथ्य
- क्रिप्टोक्यूरेंसी और संबंधित मुद्दे
- क्रिप्टोकरेंसी क्या है? भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक स्पष्ट, रचनात्मक और अनुकूली नियामक वातावरण तैयार करने की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
भारत में VPN सर्वर बंद होने के निहितार्थ
संदर्भ:
‘वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क’ (Virtual Private Network – VPN) प्रदाताओं को भारतीय सर्वर पर उपयोगकर्ता डेटा स्टोर करने हेतु ‘भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम’ (Indian Computer Emergency Response Team’s – CERT-In’s) द्वारा जारी निर्देशों की वजह से कई VPN प्रदाता अपने स्थानीय सर्वर बंद करने की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं।
CERT-In द्वारा जारी निर्देश:
- वीपीएन प्रदाताओं को विशेष रूप से सत्यापित ग्राहकों के नाम, उनके भौतिक पते, ईमेल आईडी, फोन नंबर और ग्राहक द्वारा वीपीएन का उपयोग करने के कारणों को संग्रहीत करने के लिए निर्देशित किया गया है।
- वीपीएन प्रदाताओं को, उपयोगकर्ता के “स्वामित्व पैटर्न” और ‘वीपीएन’ का उपयोग करने वाली तारीखों तथा उपयोगकर्ता द्वारा रजिस्टर होने के ‘समय’ का रिकॉर्ड और उपयोगकर्ता को प्रत्येक आईपी एड्रेस के निर्दिष्ट वीपीएन का भी विवरण रखना होगा।
वीपीएन कंपनियों के भारत से पलायन करने का कारण:
“नो-लॉगिंग” सेवाएं प्रदान करने वाले ‘वीपीएन’ प्रदाता, यदि वे ऐसे नियमों का पालन करते हैं, तो इस प्रकार की सेवाएँ नहीं दे पाएंगे। इसी वजह से, नॉर्डवीपीएन (NordVPN), सर्फशार्क (Surfshark) और एक्सप्रेसवीपीएन (ExpressVPN) जैसे ‘वीपीएन’ प्रदाता भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र को छोड़ने के लिए अपने सर्वर वापस ले रहे हैं।
भारत सरकार के इस कदम का प्रभाव:
‘वीपीएन प्रदाता’ (VPN providers), दो उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किसी देश में अपने सर्वर स्थापित करते हैं – अपने उपयोगकर्ताओं के करीब होने के लिए, और उन लोकेशंस की संख्या बढ़ाने के लिए जो वे प्रदान कर सकते हैं। भारत से सर्वरों को हटाना, सैद्धांतिक रूप में, एक वीपीएन द्वारा प्रदान की जाने वाली समग्र गति को प्रभावित करता है। हालांकि इससे अपनी लोकेशन को छिपाकर वीपीएन का उपयोग करने वालों के लिए वेब ब्राउज़ करने में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
सरकार का प्रयोजन:
सरकार, घरेलू क्षेत्रों के लिए वीपीएन डेटा तक पहुंच बनाना चाहती है और साथ ही कंपनियों से, , भले ही उनकी भारत में कोई भौतिक उपस्थिति न हो, नए निर्देशों का अनुपालन करने के लिए कह सकती है, क्योंकि उनके “कंप्यूटर सिस्टम” भारतीय साइबर स्पेस के भीतर काम कर रहे हैं।
सरकार का कहना है, कि ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम’ 2000 का उद्देश्य ‘भारतीय साइबरस्पेस’ को विनियमित करने के लिए है और देश की सीमाओं के बाहर से इस तक पहुंच नहीं होनी चाहिए।
स्रोत: लाइव मिंट
सामान्य अध्ययन–IV
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं आचारनीति: गूगल का नया चैटबॉट संवेदनशील हो सकता है?
संदर्भ:
गूगल इंजीनियरों का दावा है कि ‘डायलॉग एप्लिकेशन’ के लिए भाषा मॉडल (Language Models for Dialog Applications – LaMDA) संवेदनशील ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ है।
इनका दावा है, कि सीखने की गहन क्षमता युक्त इस ‘तंत्रिका नेटवर्क’ (Neural Network) में सात या आठ साल के बच्चे का बोध होता है।
इंजीनियरों का तर्क है, कि LaMDA पर प्रयोग चालू करने से पहले सॉफ़्टवेयर से सहमति प्राप्त करनी आवश्यक है।
‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ क्या है?
कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थात आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence – AI), कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है, जोकि कंप्यूटर में ‘बुद्धिमान व्यवहार’ का अनुकरण करने से संबंधित है।
उदाहरण: फेसबुक का ‘फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर’ जो हमारे द्वारा पोस्ट की जाने वाली तस्वीरों में चेहरों की पहचान करता है, ‘वॉयस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर’ जो हमारे द्वारा एलेक्सा को दिए गए कमांड का अनुवाद करता है, आदि हमारे आसपास एआई के कुछ उदाहरण पहले से ही मौजूद हैं।
एआई की बुद्धिमत्ता:
मशीनों की बुद्धि का परीक्षण करने के लिए ‘एलन टर्निंग’ ने एक व्यावहारिक समाधान तैयार किया था। जिसके अनुसार, किसी कंप्यूटर को एक बंद कमरे में और इंसान को दूसरे कमरे में रखा जाए, और यदि मशीन और मानव के साथ वार्तालाप करने वाला एक पूछताछकर्ता उनके बीच भेदभाव नहीं कर सके तो कंप्यूटर को ‘बुद्धिमान’ माना जाना चाहिए।
इसका विरोधी नजरिया:
कोई बच्चा एक भाषा अपने देखभाल-कर्ताओं के साथ घनिष्ठ संपर्क से सीखता है, न कि भारी मात्रा में भाषा डेटा हासिल करके। इसके अलावा, क्या ‘इंटेलिजेंसी’, भावना के जैसी ही होगी, यह अभी तक संदिग्ध है।
क्या ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ तकनीक खतरनाक है?
अनैतिक ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’, ऐतिहासिक पूर्वाग्रह को कायम रखती है और हेट-स्पीच का प्रभाव समाज के लिए वास्तविक खतरे पैदा कर सकता है।
उदाहरण: यदि ‘एआई’ को किसी पर्यवेक्षी भूमिका के लिए उम्मीदवारों का चयन करना है तो महिलाएं और हाशिए के समुदाय शायद ही इसमें शामिल हों सकेंगे, क्योंकि एआई सदियों पुराने डेटा का विश्लेषण करेगा, जो इन वर्गों को बाहर कर देगा क्योंकि उस समय इन समुदायों साथ भेदभाव किया जाता था।
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