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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
- पुरी हेरिटेज कॉरिडोर
- महिलाओं के लिए विवाह की उम्र में वृद्धि
सामान्य अध्ययन-II
- जीएसटी परिषद के प्रस्ताव केंद्र एवं राज्यों पर बाध्यकारी नहीं: सुप्रीम कोर्ट
- पैंगोंग त्सो झील
- चीन-तिब्बत विवाद
- न्यू डेवलपमेंट बैंक
सामान्य अध्ययन-III
- अर्बन हीट आइलैंड
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- वडनगर
- राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद
- सेंट विनसेंट व ग्रेनाडीन्स
- रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस
- औरंगजेब का मकबरा
सामान्य अध्ययन–I
विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।
पुरी हेरिटेज कॉरिडोर
संदर्भ:
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अनुसार, ओडिशा राज्य सरकार द्वारा ‘स्मारकों के संरक्षित और नियंत्रित क्षेत्रों’ में उचित लाइसेंस के बिना ‘पुरी हेरिटेज कॉरिडोर’ (Puri heritage corrido) का निर्माण किया जा रहा है।
‘हेरिटेज कॉरिडोर’ प्रस्ताव के खिलाफ अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें ‘पुरी के जगन्नाथ मंदिर’ की संरचनागत सुरक्षा पर इसके प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की गयी है।
‘पुरी हेरिटेज कॉरिडोर’ परियोजना के बारे में:
- वर्ष 2016 में परिकल्पित, इस परियोजना का उद्देश्य धार्मिक शहर ‘पुरी’ को एक अंतरराष्ट्रीय धरोहर स्थल में रूपांतरित करना है।
- इस परियोजना में ‘पुरी झील’ का पुनर्विकास और ‘मूसा नदी’ का जीर्णोद्धार योजना भी शामिल है।
‘जगन्नाथ पुरी मंदिर’ के बारे में:
यह ओडिशा के तटवर्ती शहर ‘पुरी’ में स्थित, भगवान् श्रीकृष्ण के एक स्वरूप ‘जगन्नाथ’ को समर्पित, वैष्णव संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण मंदिर है।
- माना जाता है, कि इस मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में पूर्वी गंग राजवंश के राजा अनन्तवर्मन चोडगंग देव द्वारा करवाया गया था।
- जगन्नाथ पुरी मंदिर को ‘यमनिका तीर्थ’ (Yamanika Tirtha) भी कहा जाता है, जहां हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण ‘पुरी’ में मृत्यु के देवता ‘यम’ की शक्ति समाप्त हो जाती है।
- इस मंदिर को “श्वेत देवालय” / “सफेद पैगोडा” (White Pagoda) भी कहा जाता है और यह ‘चार धाम तीर्थ’ (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) का एक भाग है।
- जगन्नाथ पुरी मंदिर, अपनी वार्षिक रथ यात्रा या ‘रथ उत्सव’ के लिए प्रसिद्ध है। इस रथ-यात्रा में में तीन मुख्य देवताओं को विशाल और विस्तृत रूप से सजाए गए मंदिर के आकार में निर्मित रथों पर बिठाकर यात्रा कराई जाती है, इन विशाल रथों को भक्तों द्वारा खींचा जाता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि जगन्नाथ की प्रतिमा ‘काष्ठ-निर्मित’ होती है और प्रति बारह से उन्नीस वर्षों में पवित्र वृक्षों की लकड़ी का उपयोग करके इसे औपचारिक रूप से बदल दिया जाता है?
प्रीलिम्स लिंक:
- जगन्नाथ मंदिर, पुरी के बारे में
- नागर वास्तुकला
- पुरी रथ यात्रा
- पुरी हेरिटेज कॉरिडोर
मेंस लिंक:
पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।
महिलाओं के लिए विवाह की उम्र में वृद्धि
(Raising marriage age of women)
संदर्भ:
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाली एक संस्था ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फोरम’ (India Child Protection Forum – ICPF) द्वारा सरकार के ‘महिलाओं के लिए विवाह की उम्र बढ़ाने’ संबंधी कदम का विरोध किया आ रहा है।
- ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फोरम’ (ICPF), नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा शुरू किए गए ‘बाल अधिकार संगठनों’ का एक अम्ब्रेला निकाय है।
- हाल ही में, ICPF महिलाओं के लिए विवाह की आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने संबंधी विधेयक का अध्ययन कर रहे ‘संसदीय पैनल’ के समक्ष पेश हुआ था।
‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फोरम’ द्वारा ‘विवाह की आयु’ में वृद्धि किए जाने वाले विरोध का कारण:
- क्योंकि, महिलाओं के लिए विवाह की आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करने से युवा वयस्कों – विशेषकर जो अपने माता-पिता की सहमति के विरुद्ध विवाह करते हैं – द्वारा वैवाहिक बंधन में बंधना अपराध हो जाएगा।
- इसके अलावा यह क़ानून, “अपनी पसंद से विवाह करने संबंधी महिलाओं की स्वायत्तता” के खिलाफ पितृसत्तात्मक हिंसा को मजबूत करेगा।
बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021:
(The Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill 2021)
इस विधेयक में महिलाओं के लिए विवाह हेतु विधिक उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया है। हाल ही में इस विधेयक की समीक्षा के लिए गठित ‘संसदीय स्थायी समिति’ की बैठक हुई थी।
यह विधेयक निम्नलिखित कानूनों में भी संशोधित करेगा:
- भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1972
- पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936
- मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955
- विदेशी विवाह अधिनियम, 1956
इस संदर्भ में वैधानिक प्रावधान:
वर्तमान में, कानून के अनुसार, पुरुष तथा महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु क्रमशः 21 और 18 वर्ष निर्धारित है।
विवाह हेतु निर्धारित न्यूनतम आयु, व्यस्क होने की आयु से भिन्न होती है। वयस्कता, लैंगिक रूप से तटस्थ होती है।
- भारतीय वयस्कता अधिनियम, 1875 के अनुसार, कोई व्यक्ति 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर ‘व्यस्क’ हो जाता है।
- हिंदुओं के लिए, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 (iii), में वधू न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा वर के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है। बाल विवाह गैरकानूनी नहीं है किंतु विवाह में किसी नाबालिग (वर अथवा वधू) के अनुरोध पर विवाह को शून्य घोषित किया जा सकता है।
- इस्लाम में, नाबालिग के यौवन प्राप्त कर लेने के पश्चात विवाह को मुस्लिम पर्सनल लॉ, के तहत वैध माना जाता है।
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अंतर्गत क्रमशः महिलाओं और पुरुषों के लिए विवाह के लिए सहमति की न्यूनतम आयु के रूप में 18 और 21 वर्ष निर्धारित की गयी है।
इस कानून पर फिर से पुनर्विचार क्यों किया जा रहा है है? इससे संबंधित मुद्दों के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- जया जेटली समिति का गठन किस उद्देश्य के लिए किया गया था?
- भारत में पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु से संबंधित कानूनी प्रावधान
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के प्रमुख प्रावधान
- बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 का अवलोकन
- संसदीय समिति तथा मंत्रिमंडलीय समिति के मध्य अंतर
- स्थायी बनाम तदर्थ बनाम वितीय समितियां
- इन समितियों के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- मात्र लोकसभा सदस्यों से गठित की जाने वाली समितियां
- सदन के अध्यक्ष द्वारा अध्यक्षता की जाने वाली समितियां
मेंस लिंक:
क्या आपको लगता है कि पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु सीमा में वृद्धि की जानी चाहिए? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन–II
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
जीएसटी परिषद के प्रस्ताव केंद्र एवं राज्यों पर बाध्यकारी नहीं: सुप्रीम कोर्ट
संदर्भ:
गुजरात उच्च न्यायालय ने एक फैसला सुनाते हुए कहा था, कि केंद्र सरकार द्वारा भारतीय आयातकों से समुद्री माल पर ‘एकीकृत माल और सेवा कर’ (Integrated Goods and Services Tax – IGST) नहीं लगाया जा सकता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय के इस फैसले को बरकरार रखा है।
शीर्ष अदालत द्वारा की गयी टिप्पणियाँ:
- जीएसटी परिषद (GST Council) की सिफारिशों की प्रवृत्ति ‘प्रत्ययकारी’ (Persuasive) होती है और ये सिफारिशें केंद्र और राज्य सरकारों पर बाध्यकारी नहीं होती हैं।
- अनुच्छेद 246A के अनुसार, संसद और राज्य विधानसभाओं के पास ‘जीएसटी’ पर कानून बनाने के लिए “समान, समकालिक और अद्वितीय शक्तियां” हैं।
इस फैसले के निहितार्थ:
- शीर्ष अदालत के इस फैसले का कई अन्य मामलों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा, जिनमे राज्य सरकार ‘जीएसटी परिषद’ के फैसले से, खासकर जून में समाप्त होने वाली ‘मुआवजे की अवधि’ के आलोक में, सहमत नहीं हैं।
- इस फैसले में जीएसटी परिषद की भूमिका – ‘जीएसटी मुद्दों पर सलाह देने और सिफारिश करना’- को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। जीएसटी परिषद की सलाह को स्वीकार करना और कानून में उचित संशोधन पारित करना स्पष्ट रूप से केंद्र और राज्य विधानसभाओं का अधिकार क्षेत्र है।
जीएसटी (GST) क्या है?
- ‘वस्तु एवं सेवा कर’ (Goods and Services Tax – GST) अर्थात जीएसटी, निर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला एकल कर है।
- यह वर्तमान ‘कराधान योजना’ के विपरीत एक ‘गंतव्य आधारित’ (Destination Based) कर है।
जीएसटी के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के लिए पढ़िए।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘वस्तु एवं सेवा कर’ क्षतिपूर्ति अर्थात जीएसटी क्षतिपूर्ति (GST compensation) के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- जीएसटी क्या है?
- SGST और IGST क्या हैं?
- संबंधित संवैधानिक प्रावधान।
- GST के दायरे से बाहर वस्तुएं।
- उपकर क्या होता है?
- अधिभार (Surcharge) क्या होता है?
- क्षतिपूर्ति उपकर निधि क्या होती है?
मेंस लिंक:
जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील
संदर्भ:
भारत द्वारा ‘पूर्वी लद्दाख’ में ‘पैंगोंग त्सो’ (Pangong Tso) झील पर चीन द्वारा एक पुल का निर्माण किए जाने की बारीकी से निगरानी की जा रही है।
संबंधित प्रकरण:
‘पैंगोंग त्सो’ झील के उत्तरी तट पर चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ (People’s Liberation Army – PLA) ‘कुर्नाक फोर्ट’ में और झील के दक्षिण तट पर ‘मोल्दो’ (Moldo) नामक जगह पर एक गैरिसन (मोर्चाबंदी) है, और दोनों मोर्चों के बीच की दूरी लगभग 200 किमी है।
- ‘पैंगोंग त्सो’ झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों किनारों पर निकटतम बिंदुओं के बीच की दूरी लगभग 500 मीटर है, और इसी के बीच चीन एक नया पुल बना रहा है, जिसके बनने के बाद दोनों सेक्टरों के बीच आवाजाही का लगभग 12 घंटे का समय घटकर मात्र तीन या चार घंटे का रह जाएगा।
- इससे ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ (PLA) के लिए दोनों मोर्चों के बीच सैनिकों और उपकरणों को स्थानांतरित करने में काफी कम समय लगेगा।
- यह पुल वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगभग 25 किमी आगे स्थित है।
पैंगोंग त्सो के बारे में
पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) का शाब्दिक अर्थ “संगोष्ठी झील” (Conclave Lake) है। लद्दाखी भाषा में पैंगोंग का अर्थ है, समीपता और तिब्बती भाषा में त्सो का अर्थ झील होता है।
- पैंगोंग त्सो, लद्दाख में 14,000 फुट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित एक लंबी संकरी, गहरी, स्थलरुद्ध झील है, इसकी लंबाई लगभग 135 किमी है।
- इसका निर्माण टेथीज भू-सन्नति से हुआ है।
- यह एक खारे पानी की झील है।
- काराकोरम पर्वत श्रेणी, जिसमे K2 विश्व दूसरी सबसे ऊंची चोटी सहित 6,000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली अनेक पहाड़ियां है तथा यह ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन और भारत से होती हुई पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर समाप्त होती है।
- इसके दक्षिणी तट पर भी स्पंगुर झील (Spangur Lake) की ओर ढलान युक्त ऊंचे विखंडित पर्वत हैं।
- इस झील का पानी हालाँकि, एकदम शीशे की तरह स्वच्छ है, किंतु ‘खारा’ होने की वजह से पीने योग्य नहीं है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control– LAC) – सामान्यतः यह रेखा पैंगोंग त्सो की चौड़ाई को छोड़कर स्थल से होकर गुजरती है तथा वर्ष 1962 से भारतीय और चीनी सैनिकों को विभाजित करती है। पैंगोंग त्सो क्षेत्र में यह रेखा पानी से होकर गुजरती है।
- दोनों पक्षों ने अपने क्षेत्रों को चिह्नित करते हुए अपने- अपने क्षेत्रों को घोषित किया हुआ है।
- भारत का पैंगोंग त्सो क्षेत्र में 45 किमी की दूरी तक नियंत्रण है, तथा झील के शेष भाग को चीन के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
फिंगर्स क्या हैं?
पैंगोंग त्सो झील में, ‘चांग चेन्मो रेंज’ (Chang Chenmo range) की पहाड़ियां आगे की ओर निकली हुई (अग्रनत) हैं, जिन्हें ‘फिंगर्स’ (Fingers) कहा जाता है।
इनमे से 8 फिंगर्स विवादित है। इस क्षेत्र में भारत और चीन के बीच LAC को लेकर मतभेद है।
- भारत का दावा है कि LAC फिंगर 8 से होकर गुजरती है, और यही पर चीन की अंतिम सेना चौकी है।
- भारत इस क्षेत्र में, फिंगर 8 तक, इस क्षेत्र की संरचना के कारण पैदल ही गश्त करता है। लेकिन भारतीय सेना का नियंत्रण फिंगर 4 तक ही है।
- दूसरी ओर, चीन का कहना है कि LAC फिंगर 2 से होकर गुजरती है। चीनी सेना हल्के वाहनों से फिंगर 4 तक तथा कई बार फिंगर 2 तक गश्त करती रहती है।
पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण का कारण:
पैंगोंग त्सो झील रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चुशूल घाटी (Chushul Valley) के नजदीक है। वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान चीन द्वारा मुख्य हमला चुशूल घाटी से शुरू किया गया था।
- चुशूल घाटी का रास्ता पैंगोंग त्सो झील से होकर जाता है, यह एक मुख्य मार्ग है, चीन, इसका उपयोग, भारतीय-अधिकृत क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए कर सकता है।
- चीन यह भी नहीं चाहता है, कि भारत LAC के आस पास कहीं भी अपने बुनियादी ढांचे को विस्तारित करे। चीन को डर है, कि इससे अक्साई चिन और ल्हासा-काशगर (Lhasa-Kashgar) राजमार्ग पर उसके अधिकार के लिए संकट पैदा हो सकता है।
- इस राजमार्ग के लिए कोई खतरा, लद्दाख और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में चीनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं के लिए बाधा पहुचा सकता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने लद्दाख के ‘बर्फ के स्तूपों’ (Ice Stupas of Ladhak) के बारे में सुना है?
प्रीलिम्स लिंक:
- दोनों सेनाओं के बीच विवादित सभी क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति
- इन क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएं, जैसे: नदियाँ, पर्वत घाटियाँ आदि।
मेंस लिंक:
2020 में हुए सीमा तनाव को कम करने के लिए चीन और भारत द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: भारत के हितों, भारतीय प्रवासी पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
चीन-तिब्बत विवाद
(China – Tibet issue)
संदर्भ:
तिब्बत पर अमेरिकी विशेष समन्वयक ‘उजरा ज़ेया’ (Uzra Zeya) ने हाल ही में, धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) की सार्वजनिक यात्रा पर ‘सिक्योंग’ या स्वयंभू केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के नेता ‘पेनपा त्सेरिंग’ (Penpa Tsering) और अन्य अधिकारियों तथा तिब्बती समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
इस यात्रा को भारत सरकार की ओर से चीन के लिए एक मजबूत संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। चीन द्वारा ‘तिब्बत’ संबंधी मामलों में किसी बाहरी “दखल” का विरोध किया जाता है, और अमेरिकी विशेष समन्वयक की इस यात्रा को नई दिल्ली द्वारा सुसाध्य बनाया गया था।
तिब्बत की अवस्थिति:
- तिब्बत (TIBET), एशिया में तिब्बती पठार पर लगभग 24 लाख वर्ग किमी विस्तारित एक भूभाग है, तथा आकार में यह चीन के कुल क्षेत्रफल का लगभग एक चौथाई है।
- यह तिब्बती आबादी के साथ-साथ कुछ अन्य जातीय समूहों की पारंपरिक मातृभूमि है।
तिब्बत पर चीन ने किस प्रकार अपना अधिकार स्थापित किया?
‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ द्वारा किए जा रहे दावे के अनुसार, मंगोलों के नेतृत्व वाले ‘युआन राजवंश’ के बाद से तिब्बत चीन का हिस्सा रहा है।
- वर्ष 1951 में तिब्बती नेताओं को चीन द्वारा निर्देशित एक संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था।
- इस संधि को “सत्रह सूत्री समझौते” (Seventeen Point Agreement) के रूप में जाना जाता है और इसमें तिब्बती स्वायत्तता की गारंटी और बौद्ध धर्म का सम्मान करने का वचन दिया गया है, लेकिन साथ ही, इसमें ‘ल्हासा’ (तिब्बत की राजधानी) में चीनी नागरिक और सैन्य मुख्यालय की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है।
- हालांकि, दलाई लामा सहित तिब्बती आबादी इस संधि को ‘अमान्य’ (invalid) मानते हैं, और इनका कहना कि इस संधि पर दबाव में हस्ताक्षर करवाए गए थे।
- तिब्बत पर चीन के कब्जे को अक्सर तिब्बती लोगों द्वारा एक ‘सांस्कृतिक नरसंहार’ के रूप में बताया जाता है।
विदेशों में तिब्बती:
पूरे भारत में 1 लाख से अधिक तिब्बती बसे हुए हैं, जबकि शेष तिब्बती संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, कोस्टा रिका, फ्रांस, मैक्सिको, मंगोलिया, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, स्विटजरलैंड और कई अन्य देशों में बसे हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
- क्या आप तिब्बती निर्वासित-संसद (Tibetan Parliament-in-Exile – TPiE) के बारे में जानते हैं?
- निर्वासित तिब्बती संसद (TPiE) का मुख्यालय हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के धर्मशाला में स्थित है।
- 16वीं TPiE में विभिन्न प्रांतों, बौद्ध धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले 45 सदस्य शामिल थे।
- तिब्बती लोगों का केंद्रीय प्रशासन, तिब्बती सरकार के संविधान के आधार पर कार्य करता है जिसे ‘निर्वासित तिब्बतियों का चार्टर’ (The Charter of the Tibetans in Exile) कहा जाता है।
‘कशाग’ (Kashag) एवं सिक्योंग (Sikyong) कौन है?
कशाग (मंत्रिमंडल) केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का सर्वोच्च कार्यकारी कार्यालय होता है और इसमें सात सदस्य होते हैं।
- कशाग (कैबिनेट) केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का सर्वोच्च कार्यकारी कार्यालय होता है और इसमें सात सदस्य शामिल होते हैं।
- सिक्योंग (Sikyong) अर्थात राजनीतिक नेता, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (कशाग) का नेतृत्व करता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- सिक्योंग कौन है?
- कशाग क्या है?
- निर्वासित तिब्बतियों का चार्टर
- निर्वासित तिब्बती संसद (TPiE) के बारे में।
मेंस लिंक:
तिब्बती निर्वासित संसद (TPiE) क्या है? इसे किस प्रकार आधिकारिक मान्यता दी जाती ? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
न्यू डेवलपमेंट बैंक
संदर्भ:
न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank- NDB) द्वारा भारत और बांग्लादेश में जारी अवसंरचना परियोजनाओं के वित्तपोषण और निगरानी के लिए भारत के गुजरात प्रांत में एक ‘क्षेत्रीय कार्यालय’
न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के बारे में:
- यह ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका – BRICS) देशों द्वारा संचालित एक बहुपक्षीय विकास बैंक है।
- वर्ष 2013 में, दक्षिण अफ्रीका के डरबन में आयोजित 5 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स नेताओं द्वारा ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ की स्थापना करने के संबंध में सहमति व्यक्त की गई थी।
- इसकी स्थापना वर्ष 2014 में, ब्राजील के फोर्टालेजा में आयोजित 6 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- इस बैंक की स्थापना का उद्देश्य, पांच उभरते हुए बाजारों में वित्तीय और विकास सहयोग को बढ़ावा देना है।
- इसका मुख्यालय: शंघाई, चीन में स्थित है।
वर्ष 2018 में, ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ को, संयुक्त राष्ट्र के साथ सक्रिय और लाभप्रद सहयोग करने हेतु एक सशक्त आधार तैयार करने पर, संयुक्त राष्ट्र महासभा में पर्यवेक्षक का दर्जा प्रदान किया गया।
मतदान:
विश्व बैंक, जिसमे पूंजी शेयर के आधार पर ‘वोट’ का निर्धारण होता है, के विपरीत ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ में प्रत्येक भागीदार देश को एक ‘वोट’ निर्धारित किया जाता है, तथा किसी भी देश के पास ‘वीटो पावर’ नहीं होती है।
भूमिकाएँ एवं कार्य:
‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’, वैश्विक वृद्धि और विकास हेतु बहुपक्षीय और क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों के मौजूदा प्रयासों में सहायता करने हेतु ब्रिक्स देशों, अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाने का कार्य करता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) – सदस्य और मतदान शक्तियाँ।
- NDB द्वारा कहां निवेश किया जा सकता है?
- भारत में NDB द्वारा वित्त पोषित परियोजनाएं कौन सी हैं?
- फोर्टालेजा घोषणा किससे संबंधित है?
- NDB की स्थापना कब की गई थी?
- NDB बनाम World Bank बनाम AIIB
मेंस लिंक:
न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के उद्देश्यों और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: रॉयटर्स।
सामान्य अध्ययन–III
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
अर्बन हीट आइलैंड
संदर्भ:
वर्तमान में, देश के कई हिस्से अत्यधिक तापमान का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से शहरों की स्थिति, ग्रामीण स्थानों की तुलना में काफी गर्म हैं। इसका कारण ‘शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव’ / ‘अर्बन हीट आइलैंड इफ़ेक्ट’ (Urban Heat Island Effect) नामक एक परिघटना बताई जाती है।
‘शहरी ऊष्मा द्वीप’ / ‘अर्बन हीट आइलैंड’ के बारे में:
‘शहरी ऊष्मा द्वीप’ (Urban Heat Island), एक स्थानिक और अस्थायी परिघटना होती है। जब किसी शहर के कुछ हिस्सों में उसी दिन शहर के बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक उष्मा प्राप्त होती है, तब यह परिघटना घटित होती है।
- एक ही शहर में विभिन्न जगहों के तामपान में अंतर, मुख्य रूप से कंक्रीट के जंगलों से मिलते-जुलते वातावरण में ऊष्मा के फंस जाने / अवरोधित हो जाने के कारण होता है।
- ये तापमान भिन्नता 3 से 5 डिग्री सेल्सियस के बीच हो सकती है।
‘अर्बन हीट आइलैंड’ बनने के कारण:
- शहरों में इमारतों के निर्माण के लिए ‘डामर’ (Asphalt) और ‘कंक्रीट’ जैसी कार्बन-अवशोषक सामग्री की आवश्यकता होती है। इन सामग्रियों से निर्मित अवसंरचनाओं में काफी मात्रा में ‘उष्मा’ फस/अवशोषित जाती है, जिससे शहरों का सतहीय औसत तापमान बढ़ जाता है।
- शहरी क्षेत्रों की कई संरचनाओं की बाहरी परते या सतहें ‘गहरे रंग’ की होती है, इन सतहों से ऊष्मा का परावर्तन या ‘एल्बीडो’ कम और उष्मा का अवशोषण अधिक होता है।
- शहरों की ऊंची इमारतें और आमतौर पर इनके साथ लगी हुई छोटी सड़कें, वायु के संचरण को बाधित करती हैं, हवा की गति को कम करती हैं, और परिणामतः किसी भी ‘प्राकृतिक शीतलन प्रभाव’ को कम करती हैं। इस प्रभाव को ‘शहरी घाटी प्रभाव’ (Urban Canyon Effect) के रूप में जाना जाता है।
- जीवाश्म ईंधन का उपयोग भी गर्मी / उष्मा के प्रभाव को बढ़ाता है।
- वृक्षाच्छादन और हरित क्षेत्रों में कमी भी ‘अर्बन हीट आइलैंड’ बनने का एक मुख्य कारण है।
‘अर्बन हीट आइलैंड्स’ को किस प्रकार कम किया जा सकता है?
- हरित आवरण के अंतर्गत क्षेत्र में वृद्धि की जानी चाहिए।
- ऊष्मा को परावर्तित करने और इसके अवशोषण को रोकने के लिए, छतों और चबूतरों को सफेद या हल्के रंगों से रंगा जाना चाहिए।
- ‘किचन गार्डनिंग’ और ‘बरामदों में पेड़-पौधे’ लगाए जाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
प्रीलिम्स लिंक:
- अर्बन हीट आइलैंड
- ग्रीन हाउस गैसें
- ग्रीन हाउस प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन और उसका प्रभाव
- नासा का इकोसिस्टम स्पेसबोर्न थर्मल रेडियोमीटर एक्सपेरिमेंट (Ecostress)
मेंस लिंक:
‘अर्बन हीट आइलैंड’ के कारणों और प्रभावों के बारे में चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
वडनगर
लुंबिनी में भाषण देने के दौरान भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वडनगर’ (Vadnagar) का उल्लेख करते हुए कहा, कि गुजरात में स्थित उनका गृहनगर ‘वडनगर’ सदियों पहले बौद्ध अध्ययन का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
यहाँ पर कुछ बौद्ध अवशेष और लगभग 20,000 कलाकृतियाँ पाई गई हैं, जिनमें से कुछ दूसरी शताब्दी की हैं।
उत्खनन के दौरान मिली अन्य कलाकृतियाँ: स्तूप के अवशेष और टेराकोटा की मुहर लगे हुए कटोरे जिन पर ‘नमस्सर्वग्याया’ (Namassarvagyaya) उत्कीर्ण है, तथा चेहरे के आकार का पेंडेंट जिस पर ‘त्रितत्व चिन्ह’ (tritatva symbol) बना हुआ है।
राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद
हाल ही में, ‘राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद’ (National Startup Advisory Council – NSAC) की चौथी बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई।
- ‘राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद’ (NSAC) का गठन ‘उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग’ (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा किया गया है।
- भूमिका: इसका कार्य, सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करने हेतु, देश में नवाचार और स्टार्टअप्स को विकसित करने के लिए एक सशक्त परिवेश का निर्माण करने हेतु आवश्यक उपायों पर सलाह देना है।
- अध्यक्ष: ‘राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद’ की अध्यक्षता ‘वाणिज्य और उद्योग मंत्री’ द्वारा की जाती है।
सेंट विनसेंट व ग्रेनाडीन्स
- सेंट विनसेंट व ग्रेनाडीन्स (Saint Vincent and the Grenadines) कैरेबियन में अवस्थित एक द्वीपीय देश है।
- यह ‘कैरेबियन सागर की पूर्वी सीमा के दक्षिणी छोर पर वेस्ट इंडीज में स्थित ‘लेसर एंटिल्स’ के दक्षिण-पूर्वी विंडवर्ड द्वीप समूह में अवस्थित है।
संदर्भ:
भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने हाल ही में ‘सेंट विनसेंट व ग्रेनाडीन्स’ का दौरा किया है।
रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस
‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक नए अनुमान के अनुसार, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (Respiratory Syncytial Virus – RSV) के कारण होने वाली श्वांस संबंधी बीमारी के कारण 2019 में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में 1,00,000 से अधिक मौतें हुईं।
- रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV) छोटे बच्चों में तीव्र ‘निचले श्वसन संक्रमण’ (lower respiratory infection) का सबसे आम कारण है।
- यह वायरस नाक, गले, फेफड़े और श्वास मार्ग को संक्रमित करता है।
- RSV किसी संक्रमित व्यक्ति की सांस (खांसने, छींकने या चूमने) के संपर्क में आने से फैलता है।
गंभीर आरएसवी बीमारी को रोकने के लिए पालिविज़ुमाब (Palivizumab) नामक एक एंटीवायरल दवा उपलब्ध है।
औरंगजेब का मकबरा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाल ही में, मुगल बादशाह औरंगजेब के मकबरे पर जाने पर पांच दिनों के लिए रोक लगा दी है।
- औरंगजेब (1618-1707), छठे मुग़ल बादशाह ने आधी सदी तक अधिकांश भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया था।
- औरंगजेब ने आलमगीर, विश्व विजेता की उपाधि धारण की थी।
- वह नक्शबंदी सूफी संप्रदाय से प्रभावित था।
औरंगजेब के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए।
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