INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 2 July 2021 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

सामान्य अध्ययन-I

1. फ्रेट स्मार्ट सिटीज

2. उत्तरी अमेरिका के कुछ भागों में तापमान को रिकॉर्ड स्तर पर पहुचाने वाला ‘हीट डोम’

 

सामान्य अध्ययन-II

1. राष्ट्रपति शासन

2. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन / G20 टैक्स समावेशी समझौता

 

सामान्य अध्ययन-III

1. फसल बीमा सप्ताह

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

फ्रेट स्मार्ट सिटीज


(Freight Smart Cities)

संदर्भ:

हाल ही में, वाणिज्य मंत्रालय के लॉजिस्टिक्स डिवीजन द्वारा ‘फ्रेट स्मार्ट सिटीज’ / ‘माल-ढुलाई स्मार्ट शहर’ (Freight Smart Cities)  बनाने हेतु एक योजना प्रस्तुत की गई है।

इसका उद्देश्य, शहरी माल ढुलाई की दक्षता में सुधार और लॉजिस्टिक की लागत घटाने के अवसर पैदा करना है।

कार्यान्वयन:

  • ‘फ्रेट स्मार्ट सिटीज’ पहल के तहत, ‘शहर स्तर पर लॉजिस्टिक्स समितियों’ (City-Level Logistics Committees) का गठन किया जायेगा।
  • इन समितियों में संबंधित सरकारी विभाग और स्थानीय स्तर की एजेंसियां, राज्य और प्रतिक्रिया देने वाले केंद्रीय मंत्रालय और एजेंसियां शामिल होंगी।
  • इनमें लॉजिस्टिक्स सेवाओं से जुड़ा निजी क्षेत्र और साथ ही लॉजिस्टिक्स सेवाओं के उपयोगकर्ता भी शामिल होंगे।
  • ये समितियां स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन सुधारने के उपायों को लागू करने के लिए संयुक्त रूप से शहर के लिए लॉजिस्टिक्स योजनाओं को तैयार करेंगी।

आवश्यकता:

  • वर्तमान में, भारतीय शहरों में ग्राहकों तक सामान पहुंचाने के अंतिम चरण में माल ढुलाई गतिविधियों की लागत भारत की बढ़ती ई-कॉमर्सआपूर्ति श्रृंखला की कुल लागत का 50 प्रतिशत है।
  • शहरों के लॉजिस्टिक्स में सुधार, माल ढुलाई गतिविधियों को और भी बेहतर बनायेगा और लागत में कमी से अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा।
  • इसके अलावा, अगले 10 वर्षों में शहरी माल ढुलाई की मांग में 140 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।

योजना के अंतर्गत आने वाले शहर:

योजना के अंतर्गत, तत्काल आधार पर पहले चरण में दस शहरों को कवर किया जाएगा।

  • अगले चरण में सूची को 75 शहरों तक विस्तारित करने की योजना है, जिसके बाद इसका विस्तार पूरे देश में किया जायेगा जिसमें सभी राज्यों की राजधानियों और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहर शामिल होंगे।
  • हालांकि, शहरों की चुनी जाने वाली सूची को राज्य सरकारों के परामर्श से अंतिम रूप दिया जायेगा।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाने वाले ‘विश्व शहर दिवस’ के बारे में जानते है?  Click here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘फ्रेट स्मार्ट सिटीज’ पहल के बारे में
  2. कार्यान्वयन
  3. संबंधित मंत्रालय

मेंस लिंक:

‘फ्रेट स्मार्ट सिटीज’ पहल के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान।

उत्तरी अमेरिका के कुछ भागों में तापमान को रिकॉर्ड स्तर पर पहुचाने वाला ‘हीट डोम’


संदर्भ:

कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ हिस्से, ‘हीट डोम’ (Heat Dome) की वजह से भीषण गर्म-लहरों (Heatwave) का सामना कर रहे हैं।

‘हीट डोम’ क्या है?

वायुमंडल द्वारा गर्म समुद्री हवा को किसी ढक्कन की तरह कैद कर लेने पर ‘हीट डोम’ की घटना घटित होती है।

  • इस ‘ऊष्मीय गुंबद’ / ‘हीट डोम’ में चिलचिलाती गर्मी पाई जाती है
  • वातावरण में उच्च दाब परिसंचरण, सतह पर उष्मा को कैद करके ‘गर्म-लहरों / ‘हीट वेव्स’ के निर्माण हेतु उपयुक्त स्थितियां बनाता है और किसी गुंबद या ढक्कन की भांति कार्य करता है।

कारण:

  • हीट डोम की स्थिति, सशक्त व उच्च दाब युक्त वायुमंडलीय परिस्थितियों के ‘ला नीना’ (La Niña) के प्रभाव में आने पर निर्मित होती है।
  • इसकी वजह से विस्तृत क्षेत्र प्रचंड गर्मी उत्पन्न होती है, जो उच्च दाब वाले “गुंबद” के नीचे कैद होकर रह जाती है।
  • इसका एक मुख्य कारण, उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में पश्चिम से पूर्व की ओर समुद्र के तापमान में तीव्र परिवर्तन (प्रवणता) भी होती है।

यह किस प्रकार निर्मित होता है?

  • संवहन प्रक्रिया में तापमान प्रवणता की वजह से, समुद्र की सतह से अधिक वायु गर्म होकर ऊपर की ओर उठती है।
  • यह गर्म हवाएं, पश्चिमी प्रशांत महासागर से ऊपर उठती है और पूर्व की ओर गति करती हुई ‘मध्य और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र’ में नीचे उतरती हैं।
  • जैसे ही प्रचलित हवाएँ, गर्म हवाओं को पूर्व की ओर ले जाती हैं, जेट स्ट्रीम का उत्तरी भाग इन हवाओं को अपने साथ मिला लेता है।
  • जेट स्ट्रीम के साथ बहती हुई यह गर्म हवाएं स्थल की ओर बढ़ती हैं और वहां नीचे उतरती हैं, जिसके परिणामस्वरूप गर्म लहरों का जन्म होता है।

उष्मा गुंबद का प्रभाव:

  1. अत्यधिक गर्मी जनित स्थितियों के कारण होने वाली मौतों में अचानक वृद्धि।
  2. गर्मी के फंसने से फसलों को भी नुकसान हो सकता है, वनस्पति सूख सकती है और इसके परिणामस्वरूप सूखा पड़ सकता है।
  3. गर्मी की चपेट में आने से, फसलों को भी नुकसान हो सकता है, वनस्पति सूख सकती है और इसके परिणामस्वरूप सूखा पड़ सकता है।
  4. गर्म लहरों की वजह से ऊर्जा-मांग, विशेष रूप से बिजली की मांग में वृद्धि होगी, जिस कारण इसकी दरों में इजाफा होगा।
  5. ‘हीट डोम’ वनाग्नि के लिये ईंधन के रूप में भी काम कर सकते हैं। ‘वनाग्नि’ के कारण हर साल अमेरिका में बहुत सारा स्थलीय क्षेत्र बर्बाद हो जाता है।
  6. ‘हीट डोम’ के कारण बादलों को निर्माण भी बाधित होता है, जिससे सूर्य-विकिरण अधिक मात्रा में पृथ्वी की सतह पर पहुँचता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

‘हीट डोम’ की भांति, विश्व के कुछ हिस्सों में ‘शीत गुंबद’ अर्थात ‘कोल्ड डोम’ भी बनते हैं। ये किन कारणों से निर्मित होते हैं?  Click here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ला नीना के बारे में
  2. अल नीनो
  3. हीट डोम क्या है?
  4. कारण
  5. प्रभाव

मेंस लिंक:

‘ऊष्मा गुम्बदों’ के प्रभावों की विवेचना कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

राष्ट्रपति शासन


(President’s Rule)

संदर्भ:

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय, राज्य में चुनाव बाद हिंसा की कथित घटनाओं पर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने हेतु केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है।

याचिका में लगाए गए आरोप:

  1. हिंसा के दौरान, सरकार और प्रशासन मूकदर्शक बने रहे और पीड़ितों को कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की गई।
  2. दोषियों के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे महिलाओं और बच्चों का जीवन, स्वतंत्रता, सम्मान तथा हिंदू निवासियों का भविष्य खतरे में है।

पृष्ठभूमि:

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा 21 जून को पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं की जांच हेतु कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में NHRC के एक सदस्य राजीव जैन की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है।

भारतीय संदर्भ में राष्ट्रपति शासन:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत, भारत के राष्ट्रपति को, यह समाधान होने पर कि, ‘राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें उस राज्य का शासन संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है’, राज्य सरकार को निलंबित करने और देश के किसी भी राज्य के राष्ट्रपति शासन लगाने की शक्ति प्रदान की गयी है।

इसके लिए राज्य आपातकाल’ (State Emergency) या संवैधानिक आपातकाल’ (Constitutional Emergency) के रूप में भी जाना जाता है।

निहितार्थ:

  • राष्ट्रपति शासन लागू होने पर कोई मंत्रिपरिषद नहीं होती है। इस दौरान विधान सभा या तो स्थगित या भंग हो जाती है।
  • राज्य की सरकार केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण में आ जाती है और राज्यपाल भारत के राष्ट्रपति का प्रतिनिधित्व करते हुए कार्यवाही जारी रखते हैं।

संसदीय स्वीकृति और अवधि:

  • राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए संसद के दोनों सदनों की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
  • अनुमोदित होने के बाद किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन छह महीने की अवधि तक लागू रह सकता है।
  • राष्ट्रपति शासन को अधिकतम तीन साल तक के लिए लगाया जा सकता है और इसके लिए प्रति छह महीने के बाद संसद के दोनों सदनों से अनुमोदन लेना आवश्यक होता है।

राज्यपाल की रिपोर्ट:

अनुच्छेद 356 के तहत,  राष्ट्रपति को राज्यपाल से रिपोर्ट प्राप्त करने अथवा इस तथ्य से संतुष्ट होने पर कि,  राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है, कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार शासन नहीं चला पा रही है, राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है।

निरसन (Revocation)

राष्ट्रपति शासन को राष्ट्रपति द्वारा एक घोषणा के बाद किसी भी समय निरसित किया जा सकता है। इस तरह की उद्घोषणा को संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

भारतीय संविधान के तहत, राष्ट्रीय आपातकाल और वित्तीय आपातकाल जैसी अन्य प्रकार की आपात स्थितियों के बारे में पढ़िए। Click here

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राष्ट्रपति शासन क्या होता है?
  2. राष्ट्रपति शासन कब और किस प्रकार लागू किया जाता है?
  3. संबंधित प्रावधान
  4. राज्यपाल की रिपोर्ट
  5. संसदीय अनुमोदन और अवधि
  6. राष्ट्रपति शासन का निरसन
  7. राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य विधायिका की स्थिति

मैंस लिंक:

राष्ट्रपति शासन क्या है, इससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन / G20 टैक्स समावेशी समझौता


(OECD/G20 Inclusive Framework tax deal)

संदर्भ:

हाल ही में, भारत, ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ / G20 टैक्स संबंधी समावेशी समझौते’ (OECD-G20 inclusive framework deal) में सम्मिलित हो गया है।

  • इस समझौते का उद्देश्य, अंतरराष्ट्रीय कर-नियमों में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है, कि बहुराष्ट्रीय उद्यमों द्वारा, जिस स्थान पर ये कारोबार करते हैं, उसके लिए उचित करों का भुगतान किया जाए।
  • इस समझौते पर, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 90% से अधिक का प्रतिनिधित्व करने वाले 130 देशों और अधिकार-क्षेत्रों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं।

प्रस्तावित फ्रेमवर्क के दो घटक:

  1. अंतरराष्ट्रीय और डिजिटल कंपनियों के साथ काम करना। पहला घटक यह सुनिश्चित करता है, कि डिजिटल कंपनियों सहित बड़े बहुराष्ट्रीय उद्यमों द्वारा कारोबार करने व लाभ अर्जित करने वाले स्थान पर करों का भुगतान किया जाए।
  2. लाभ का सीमा-पार अंतरण और ‘ट्रीटी शॉपिंग’ (treaty shopping) का समाधान करने करने हेतु निम्न-कर क्षेत्राधिकारों से निपटना। इस घटक का उद्देश्यवैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर-दर’ के माध्यम से देशों के बीच प्रतिस्पर्धा-स्तर निर्धारित करना है। वर्तमान में प्रस्तावित ‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर-दर’ (global minimum corporate tax rate) 15% है।

अपेक्षित परिणाम:

यदि यह समझौता लागू किया जाता है, तो नीदरलैंड और लक्ज़मबर्ग जैसे देशों, जहाँ करों की दर काफी कम है और बहामास और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह जैसे तथाकथित टैक्स हेवन की चमक फीकी पड़ सकती है।

भारत पर प्रभाव / निहितार्थ:

इस प्रकार की वैश्विक कर व्यवस्था लागू होने पर, भारत के लिए गूगल, अमेज़न और फेसबुक जैसी कंपनियों पर लगाए जाने वाली ‘समकारी लेवी’ (Equalisation Levy) को वापस लेना होगा।

‘समकारी लेवी’ क्या है?

(Equalisation Levy)

यह विदेशी डिजिटल कंपनियों पर लगाया जाने वाला एक ‘कर’ है। यह कर वर्ष 2016 से लागू है।

  • गूगल और अन्य विदेशी ऑनलाइन विज्ञापन सेवा प्रदाताओं पर ऑनलाइन विज्ञापनों हेतु प्रति वर्ष 1 लाख रुपये से अधिक के भुगतान पर 6% समकारी लेवी लागू है।
  • वित्त अधिनियम, 2020 में संशोधन के पश्चात समकारी लेवी के दायरे का विस्तार किया गया है, अब इसे वस्तुओं की ऑनलाइन बिक्री तथा ऑनलाइन सेवा प्रदान करने वाली अनिवासी ई-कॉमर्स कंपनियों तक विस्तारित किया गया है।
  • इन कंपनियों पर 2% की दर से समकारी लेवी वसूल की जायेगी तथा यह 1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी है।

BEPS क्या होता है?

‘आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण’ (Base Erosion and Profits Shifting – BEPS) का तात्पर्य, बहुराष्ट्रीय उद्यमों द्वारा उपयोग की जाने वाली ऐसी कर- नियोजन रणनीतियों से है, जिनके तहत ये कंपनियां, कर-भुगतान से बचने के लिए, कर-नियमों में अंतर और विसंगतियों का लाभ उठाती हैं

  • विकासशील देशों के कॉर्पोरेट आयकर पर अधिक निर्भर होने की वजह से, इन्हें ‘आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण’ ( BEPS) से अनुचित नुकसान उठाना पड़ता है।
  • BEPS पद्धति की वजह से देशों को सालाना 100-240 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने ‘देश-दर-देश’ (Country-by-Country: CbC) रिपोर्ट के बारे में सुना है? इसके बारे में जानने हेतु पढ़ें, Click here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. OECD – सदस्यों की भौगोलिक स्थिति के उद्देश्य, संरचना और अवलोकन।
  2. OECD बनाम WEF
  3. किसी समझौते पर हस्ताक्षर (signing) और अनुसमर्थन (ratification) के बीच अंतर।
  4. BEPS क्या है?

मेंस लिंक:

‘देश-दर-देश’ (Country-by-Country: CbC) रिपोर्ट क्या हैं? इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

फसल बीमा सप्ताह


(Crop Insurance Week)

संदर्भ:

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री द्वारा ‘फसल बीमा सप्ताह’ (1 से 7 जुलाई तक) के दौरान ‘फसल बीमा योजना जागरूकता अभियान’ का आरंभ किया गया है।

PMFBY का प्रदर्शन:

  1. अब तक, इस योजना के तहत 16 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदनों (साल-दर-साल आधार पर 5.5 करोड़ किसानों के आवेदन) का बीमा किया गया है।
  2. पांच वर्षों की अवधि में 3 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदनों ने इस योजना का लाभ उठाया है।
  3. इसके अलावा, 20,000 करोड़ रुपये के किसानों की हिस्सेदारी की एवज में 95,000 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के बारे में:

जनवरी 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), खराब मौसमी परिघटनाओं के कारण फसलों को होने वाले नुकसान के लिए बीमा सुरक्षा प्रदान करती है।

  • इस योजना में, पूर्ववर्ती ‘राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना’ (NAIS) और ‘संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना’ (MNAIS) का विलय कर दिया गया है।
  • इस योजना उद्देश्य किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम करना और पूर्ण बीमित राशि के लिए फसल बीमा दावे का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करना है।

योजना के अंतर्गत कवरेज:

इस योजना में, सभी खाद्य और तिलहन फसलों और वार्षिक वाणिज्यिक / बागवानी फसलों को शामिल किया गया है, जिसके लिए पिछले उपज के आंकड़े उपलब्ध है और  जिनके लिए, सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (General Crop Estimation Survey- GCES) के तहत फसल कटाई प्रयोगों (Crop Cutting Experiments- CCEs) का अपेक्षित संख्या संचालन किया जा रहा है।

PMFBY से PMFBY 2.0:

पूर्णतया स्वैच्छिक: वर्ष 2020 के खरीफ सीजन से सभी किसानों के लिए नामांकन को शत प्रतिशत स्वैच्छिक बनाने का निर्णय लिया गया है।

सीमित केंद्रीय सब्सिडी: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस योजना के तहत गैर-सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये बीमा किस्त की दरों पर केंद्र सरकार की हिस्सेदारी को 30% और सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये 25% तक सीमित करने का निर्णय लिया गया है।

राज्यों के लिये अधिक स्वायत्तता: केंद्र सरकार द्वारा राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने के लिये व्यापक छूट प्रदान की गयी है और साथ ही उन्हें बुवाई, स्थानिक आपदा, फसल के दौरान मौसम प्रतिकूलता, और फसल के बाद के नुकसान आदि किसी भी अतिरिक्त जोखिम कवर/ सुविधाओं का चयन करने का विकल्प भी दिया गया है।

निर्णय में देरी होने पर दंड: संशोधित PMFBY में, एक प्रावधान शामिल किया गया है, जिसमें राज्यों द्वारा खरीफ सीजन के लिए 31 मार्च से पहले और रबी सीजन के लिए 30 सितंबर से पहले अपना हिस्सा जारी नहीं करने पर, उन्हें बाद के फसल सीजनों में योजना के तहत भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों में निवेश: अब इस योजना के तहत बीमा कंपनियों द्वारा एकत्र किये गए कुल प्रीमियम का 0.5% सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य किया गया है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. PMFBY की प्रमुख विशेषताएं
  2. लाभ
  3. पात्रता
  4. PMFBY 0

मैंस लिंक:

PMFBY 2.0 के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस

  • 1 जुलाई को डॉ बिधान चंद्र रॉय की स्मृति में ‘राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस’ (National Doctors’ Day) के रूप में मनाया जाता है। 1 जुलाई, को उनकी जयंती और पुण्यतिथि दोनों होती हैं।
  • बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रॉय, अपनी निस्वार्थ सेवा के लिए जाने जाते हैं।
  • उन्होंने कई चिकित्सा संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उन्हें भारतीय उपमहाद्वीप में पहले चिकित्सा सलाहकार के रूप में भी जाना जाता है।
  • वर्ष 1961 में डॉ बिधान चंद्र रॉय को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।

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