[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 21 February 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-I

1. गुरु रविदास

 

सामान्य अध्ययन-II

1. भारत और संयुक्त अरब अमीरात के मध्य ‘व्यापक व्यापार समझौता’

 

सामान्य अध्ययन-III

1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

2. प्लास्टिक पैकेजिंग पर ‘विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व’

3. UNEP फ्रंटियर्स रिपोर्ट

4. इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम प्रोजेक्ट

 

प्रारंभिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट

2. REWARD परियोजना

3. लक्ष्य जीरो डंपसाइट

4. तारापुर नरसंहार

5. फ़ॉकलैंड आइलैंड

6. क्रायोडैक्टाइलस एक्सर्सिटस

7. ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट

 


सामान्य अध्ययन-I


 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

गुरु रविदास


(Guru Ravidas)

संदर्भ:

पंजाब में दलितों की कुल आबादी में से करीब 21 फीसदी आबादी रविदासिया समुदाय की है। इस आबादी की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि 16 फरवरी को संत रविदास जयंती के कारण पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीख 14 फरवरी से बदलकर 20 फरवरी कर दी गई थी।

रविदासिया कौन हैं?

रविदासिया (Ravidassias), एक दलित समुदाय हैं, जिनमें से अधिकांशतः – लगभग 12 लाख – पंजाब के दोआब क्षेत्र में रहते हैं। बाबा संत पीपल दास द्वारा 20 वीं शताब्दी में डेरा सचखंड बल्लां (Dera Sachkhand Ballan) की स्थापना की गयी थी, जोकि इनका सबसे बड़ा डेरा है और पूरे विश्व में इसके 20 लाख से अधिक अनुयायी हैं।

  • पहले इस डेरा के सिख धर्म के साथ घनिष्ट संबंध थे, फिर वर्ष 2010 में डेरा ने इन दशकों पुराने संबंधों को तोड़ दिया, और ‘रविदासिया धर्म’ का पालन करने की घोषणा की थी। डेरा सचखंड बल्लां द्वारा यह घोषणा वाराणसी में गुरु रविदास जयंती के अवसर पर की थी।
  • वर्ष 2010 से, डेरा सचखंड बल्लां ने रविदासिया मंदिरों और गुरुद्वारों में ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के स्थान पर अपने स्वयं के ग्रंथ, ‘अमृतबानी’ (Amritbani) का पठन-पाठन करना आरंभ कर दिया। ‘अमृतबानी’ में गुरु रविदास के 200 भजन संकलित हैं।

Current Affairs

 

गुरु रविदास’ के बारे में:

  • ‘गुरु रविदास’ भक्ति आंदोलन के उत्तर भारतीय रहस्यवादी कवि थे।
  • जबकि उनके जन्म का सही वर्ष ज्ञात नहीं है, ऐसा माना जाता है कि संत का जन्म 1377 ई. में हुआ था। हिंदू कैलेंडर माह के अनुसार, प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा के दिन ‘गुरु रविदास जयंती’ मनाई जाती है।
  • गुरु रविदास की साहित्यिक रचनाओं के दो सबसे पुराने प्रलेखित स्रोत, सिखों के ‘आदि ग्रंथ’ तथा ‘पंचवाणी’ हैं।
  • संत रविदास, एक अश्पृश्य / अछूत मानी जाने वाली जाति से संबंधित थे और इसके परिणामस्वरूप उन्हें बहुत सारे अत्याचारों का सामना करना पड़ा।
  • फिर भी, संत रविदास ने आध्यात्मिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने का मार्ग चुना और कई भक्ति गीतों की रचना की, जिन्होंने 14 वीं से 16 वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान भक्ति आंदोलन में एक बड़ा प्रभाव डाला।
  • उन्हें, भक्ति संत-कवि रामानंद का शिष्य और भक्ति संत-कवि कबीर का समकालीन माना जाता है।
  • मीराबाई उनके प्रसिद्ध शिष्यों में से एक थीं।
  • रविदास की नैतिक और बौद्धिक उपलब्धियां “बेगमपुरा” की अवधारणा परिलक्षित होती हैं, इसकी कल्पना एक ऐसे नगर के रूप में की गयी हैं जिसमे किसी को कोई दुख नहीं है; और एक ऐसा समाज है, जहां जाति और वर्ग का कोई महत्व नहीं रह गया है।

Current Affairs

 

गुरु रविदास के उपदेश:

  • गुरु रविदास ने जाति विभाजन के खिलाफ बात की और समाज में एकता को बढ़ावा देने के लिए इसे दूर करने पर जोर दिया। उनकी शिक्षाओं का लोगों पर काफी गंभीर प्रभाव पड़ा, और उनकी शिक्षाओं के आधार पर एक धर्म का जन्म हुआ जिसे रविदासिया धर्म या रविदासिया धर्म कहा जाता है।
  • उन्होंने ईश्वर की सर्वव्यापीता के बारे में शिक्षा दी और मानव की आत्मा को ईश्वर का एक अंश बताया। संत रविदास ने इस विचार को खारिज कर दिया कि निचली जाति के लोग भगवान से नहीं मिल सकते। उन्होंने अपनी शिक्षाओं में कहा कि ईश्वर से मिलने का एकमात्र तरीका मन को द्वैत से मुक्त करना है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. संत रविदास के बारे में
  2. उनकी शिक्षाएँ
  3. संत रविदास का दार्शनिक मत
  4. रविदासिया समुदाय

मेंस लिंक:

वर्तमान में गुरु रविदास की शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।

भारत और संयुक्त अरब अमीरात के मध्य ‘व्यापक व्यापार समझौता


संदर्भ:

हाल ही में, भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने एक ‘व्यापक आर्थिक व्यापार समझौते’ (Comprehensive Economic Cooperation Agreement – CECA) पर हस्ताक्षर किए हैं।

Current Affairs

 

‘व्यापक आर्थिक व्यापार समझौते’ एवं ‘मुक्त व्यापार समझौते’ में भिन्नता:

‘व्यापक आर्थिक व्यापार समझौता’ (CECA) एक प्रकार का ‘मुक्त व्यापार अनुबंध’ (Free Trade Pact)  होता है, जिसमें सेवाओं और निवेश में व्यापार तथा आर्थिक साझेदारी के अन्य क्षेत्रों पर समझौता वार्ताओं को शामिल किया जाता है।

  • CECA के तहत, व्यापार सुविधाओं और सीमा शुल्क सहयोग, प्रतिस्पर्धा और बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे क्षेत्रों पर बातचीत के विषय में भी विचार किया जा सकता है।
  • साझेदारी समझौते या सहयोग समझौते, ‘मुक्त व्यापार समझौतों’ (Free Trade AgreementsFTAs) की तुलना में अधिक व्यापक होते हैं।
  • ‘व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता’ (Comprehensive Economic Partnership Agreement – CEPA), व्यापार के नियामक पहलू को भी देखता है, और इसके तहत नियामक मुद्दों को कवर करने वाले समझौते भी शामिल किए जाते हैं।

भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हस्ताक्षरित CEPA के अनुसार:

  • भारत के 90% निर्यात की संयुक्त अरब अमीरात तक ‘शुल्क मुक्त’ पहुंच प्राप्त होगी।
  • इस निर्यात में वस्तुएं, सेवाएं और डिजिटल व्यापार शामिल होंगे।

लाभ:

  • यह द्विपक्षीय व्यापार समझौता, इस क्षेत्र में भारत का पहला और एक दशक में किसी भी देश के साथ पहला ‘व्यापक व्यापार समझौता’ है।
  • CEPA से लगभग 26 बिलियन डॉलर मूल्य के भारतीय उत्पादों को लाभ होने की संभावना है, इन उत्पादों पर वर्तमान में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा 5% आयात शुल्क लगाया जाता है। UAE, अमेरिका और चीन के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है।
  • इस CEPA से आगामी 5 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में मौजूदा $60 बिलियन से $100 बिलियन तक वृद्धि होने की संभवना है।
  • इस समझौते के माध्यम से, भारतीय निर्यातकों को भी अरब और अफ्रीका के विस्तृत बाजारों तक पहुंच प्राप्त होगी।

Current Affairs

 

 इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि भारत 2019 में UAE’s का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य, और दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार देश था, और अब तक लगभग 11 बिलियन डॉलर के संचयी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ आठवां सबसे बड़ा निवेशक देश है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता’ (CECA) के बारे में
  2. ‘व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता’ (CEPA) के बारे में
  3. अन्य देशों के साथ भारत के ‘मुक्त व्यापार समझौते’ (FTAs)।

मेंस लिंक:

भारत- संयुक्त अरब अमीरात ‘व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता’ (CECA) के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना


(Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana)

संदर्भ:

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana – PMFBY), आगामी खरीफ 2022 सीज़न के साथ अपने कार्यान्वयन के 7वें वर्ष में सफलतापूर्वक प्रवेश कर चुकी है।

इस योजना की घोषणा 18 फरवरी, 2016 को मध्य प्रदेश के सीहोर में की गयी थी, इसके बाद से योजना के कार्यान्वयन के छह साल पूरे हो गए हैं।

‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ का आरंभ:

PMFBY के सातवें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर आयोजित समारोह के भाग के रूप में, इस योजना को लागू करने वाले सभी राज्यों में किसानों को ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ (Meri Policy Mere Hath) के लिए ‘फसल बीमा पॉलिसी’ प्रदान करने के लिए डोर-टू-डोर वितरण अभियान शुरू किया जाएगा।

  • अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी किसान पीएमएफबीवाई के तहत अपनी नीतियों, भूमि अभिलेखों, दावे की प्रक्रिया और शिकायत निवारण के बारे में संपूर्ण जानकारी से अच्छी तरह अवगत हैं।
  • अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है, कि सभी किसान PMFBY के तहत अपनी नीतियों, भूमि अभिलेखों, दावे की प्रक्रिया और शिकायत निवारण के बारे में सभी जानकारी से अच्छी तरह से अवगत और तैयार हैं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रदर्शन:

  1. अब तक, इस योजना के तहत 29.16 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदनों (साल-दर-साल आधार पर 5.5 करोड़ किसानों के आवेदन) का बीमा किया गया है।
  2. पांच वर्षों की अवधि में 8.3 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदनों ने इस योजना का लाभ उठाया है।
  3. इसके अलावा, 20,000 करोड़ रुपये के किसानों की हिस्सेदारी की एवज में 95,000 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के बारे में:

जनवरी 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत, खराब मौसमी परिघटनाओं के कारण फसलों को होने वाले नुकसान के लिए बीमा सुरक्षा प्रदान की जाती है।

  • इस योजना में, पूर्ववर्ती ‘राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना’ (NAIS) और ‘संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना’ (MNAIS) का विलय कर दिया गया है।

प्रीमियम:

इस योजना के तहत, सभी रबी फसलों के लिए किसानों को प्रीमियम का 1.5% तथा सभी खरीफ फसलों के लिए 1.5% भुगतान करना होता हैं, और शेष राशि का भुगतान राज्य और केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में किसानों के लिए 5% प्रीमियम दर निर्धारित है।

उद्देश्य:

  1. प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और रोगों के परिणामस्वरूप, अधिसूचित फसलों में से किसी भी फसल के नष्ट होने की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  2. खेती में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आय को स्थिर करना।
  3. किसानों को नवीन और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  4. कृषि क्षेत्र को ऋण का प्रवाह सुनिश्चित करना।

योजना के अंतर्गत कवरेज:

इस योजना में, सभी खाद्य और तिलहन फसलों और वार्षिक वाणिज्यिक / बागवानी फसलों को शामिल किया गया है, जिसके लिए पिछले उपज के आंकड़े उपलब्ध है और  जिनके लिए, सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (General Crop Estimation Survey- GCES) के तहत फसल कटाई प्रयोगों (Crop Cutting Experiments- CCEs) का अपेक्षित संख्या संचालन किया जा रहा है।

PMFBY से PMFBY 2.0 (पीएमएफबीवाई में बदलाव):

पूर्णतया स्वैच्छिक: वर्ष 2020 के खरीफ सीजन से सभी किसानों के लिए नामांकन को शत प्रतिशत स्वैच्छिक बनाने का निर्णय लिया गया है।

सीमित केंद्रीय सब्सिडी: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस योजना के तहत गैर-सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये बीमा किस्त की दरों पर केंद्र सरकार की हिस्सेदारी को 30% और सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये 25% तक सीमित करने का निर्णय लिया गया है।

राज्यों के लिये अधिक स्वायत्तता: केंद्र सरकार द्वारा राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने के लिये व्यापक छूट प्रदान की गयी है और साथ ही उन्हें बुवाई, स्थानिक आपदा, फसल के दौरान मौसम प्रतिकूलता, और फसल के बाद के नुकसान आदि किसी भी अतिरिक्त जोखिम कवर/ सुविधाओं का चयन करने का विकल्प भी दिया गया है।

निर्णय में देरी होने पर दंड: संशोधित PMFBY में, एक प्रावधान शामिल किया गया है, जिसमें राज्यों द्वारा खरीफ सीजन के लिए 31 मार्च से पहले और रबी सीजन के लिए 30 सितंबर से पहले अपना हिस्सा जारी नहीं करने पर, उन्हें बाद के फसल सीजनों में योजना के तहत भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों में निवेश: अब इस योजना के तहत बीमा कंपनियों द्वारा एकत्र किये गए कुल प्रीमियम का 0.5% सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य किया गया है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

देश में कई राज्यों द्वारा अपनी बीमा योजनाएं भी चलायी जा रही हैं। इनके बारे में संक्षिप्त जानकारी हेतु पढ़िए।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की प्रमुख विशेषताएं
  2. लाभ
  3. पात्रता
  4. PMFBY 0

मैंस लिंक:

PMFBY 2.0 के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

प्लास्टिक पैकेजिंग पर ‘विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व


(Extended Producers Responsibility on plastic packaging)

संदर्भ:

हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा ‘प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम’, 2016 के तहत प्लास्टिक पैकेजिंग पर ‘विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व’ (Extended Producer Responsibility – EPR) संबंधी दिशानिर्देश अधिसूचित किए गए हैं। ये दिशानिर्देश 1 जुलाई 2022 से प्रभावी होंगे।

नए दिशानिर्देशों का अवलोकन:

नए दिशानिर्देशों के तहतप्लास्टिक पैकेजिंग’ की चार श्रेणियां निर्दिष्ट की गयी हैं:

  1. श्रेणी एक में सख्त प्लास्टिक पैकेजिंग शामिल होगी।
  2. श्रेणी दो में सिंगल लेयर या मल्टीलेयर की नरम प्लास्टिक पैकेजिंग (विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक के साथ एक से अधिक परत), प्लास्टिक शीट और प्लास्टिक शीट से बने कवर, कैरी बैग, प्लास्टिक पाउच या पाउच शामिल होंगे।
  3. श्रेणी तीन में मल्टीलेयर / बहुस्तरीय प्लास्टिक पैकेजिंग (प्लास्टिक की कम से कम एक परत और प्लास्टिक के अलावा अन्य सामग्री की कम से कम एक परत) शामिल होगी।
  4. श्रेणी चार में प्लास्टिक शीट या पैकेजिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान के साथ-साथ कम्पोस्टेबल प्लास्टिक से बने कैरी बैग शामिल होंगे।

नए दिशानिर्देशों में निम्नलिखित को भी शामिल किया गया है:

  • पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण, पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक सामग्री के उपयोग और गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक पैकेजिंग के उपयोग-उपरांत निपटान हेतु विनिर्देश।
  • 31 मार्च तक प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे के उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करणकर्ताओं द्वारा पंजीकरण के साथ-साथ वार्षिक रिटर्न दाखिल करने हेतु ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ (CPCB) द्वारा एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल की स्थापना करना।
  • प्लास्टिक पैकेजिंग के उत्पादकों को 2021-22 में, अर्थात पहले चरण में कुल कचरे के 35% का एकत्रण एवं प्रबंधन करना होगा। पहले चरण के अपशिष्ट उत्पादन की गणना पिछले दो वर्षों में बेची गई प्लास्टिक पैकेजिंग सामग्री और पूर्व-उपभोक्ता प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे के औसत वजन को जोड़कर और ब्रांड मालिकों को आपूर्ति की जाने वाली प्लास्टिक पैकेजिंग की वार्षिक मात्रा को घटाकर की जाती है।
  • ‘विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व’ (EPR) लक्ष्य को 2022-23 में 70% और 2023-24 से 100% तक बढ़ाया जाएगा।
  • 2024-25 में सख्त प्लास्टिक के लिए उत्पादकों का पुनर्चक्रण दायित्व 50%, 2025-26 में 60%, 2026-27 में 70% और 2027-28 से 80% होगा।
  • पर्यावरण की गुणवत्ता-रक्षा और सुधार करने तथा पर्यावरण प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के उद्देश्य से उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों द्वारा EPR लक्ष्यों को पूरा न करने के संबंध में, ‘प्रदूषक भुगतान सिद्धांत’ के आधार पर पर्यावरणीय मुआवजा लगाया जाएगा।
  • दिशानिर्देशों में, पहली बार ‘अधिशेष विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व’ प्रमाणपत्रों की बिक्री और खरीद की अनुमति दी गयी है। इस प्रकार, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक बाजार तंत्र स्थापित किया जाएगा।

महत्व:

चिह्नित की गई ‘एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं’ के निषेध सहित नए दिशानिर्देशों के निम्नलिखित उद्देश्य होंगे:

  • प्लास्टिक अपशिष्ट के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करना।
  • प्लास्टिक के नए विकल्पों के विकास को बढ़ावा देना।
  • व्यवसायों को टिकाऊ प्लास्टिक पैकेजिंग की ओर बढ़ने के लिए एक रोडमैप प्रदान करना।
  • प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे की ‘सर्कुलर अर्थव्यवस्था’ को मजबूत करने के लिए एक ढांचा प्रदान करना।
  • प्लास्टिक कचरा प्रबंधन क्षेत्र को औपचारिक रूप देने और आगे के विकास को बढ़ावा देना।

‘प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम’ के बारे में:

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा 18 मार्च 2016 को ‘प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम’ (Plastic Waste Management Rules) और 8 अप्रैल को ‘ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम’ अधिसूचित किए गए थे।

  • चूंकि, प्लास्टिक कचरा, ‘ठोस कचरे’ का भाग होता है, इसलिए दोनों नियम देश में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन पर लागू होते हैं।
  • ‘प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम’ प्लास्टिक अपशिष्ट के उत्पादन को कम करने, कूड़े से बचने, स्रोत पर कचरे का अलग भंडारण सुनिश्चित करने और इसे सौंपने का आदेश देते हैं।
  • इन नियमों में ‘प्लास्टिक कचरे’ के प्रबंधन हेतु स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायतों, कचरा पैदा करने वालों, खुदरा विक्रेताओं और रेहड़ी-पटरी वालों की जिम्मेदारियों को भी निर्धारित किया गया है।
  • नियमों के तहत, उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों पर ‘विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व’ (EPR) लागू किया गया है। ‘विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व’ पूर्व-उपभोक्ता और उपभोक्ता-उपरांत प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे दोनों पर लागू होगी।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि पर्यावरण मंत्रालय द्वारा ‘प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम’, 2021 (Plastic Waste Management Amendment Rules, 2021) को पिछले साल अगस्त में अधिसूचित किया गया था।

  • ये नियम कम उपयोगिता वाले, किंतु अधिक कचरे की क्षमता वाले उत्पादों के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित करते हैं।
  • प्लास्टिक बैग की अनुमत मोटाई 31 दिसंबर, 2022 से बढ़ाकर 120 माइक्रोन कर दी जाएगी।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सिंगल यूज प्लास्टिक के बारे में।
  2. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के बारे में।
  3. नवीनतम संशोधन।
  4. विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व क्या है?
  5. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के बारे में।

मेंस लिंक:

‘प्लास्टिक प्रदूषण’ को मात देने संबंधी भारत के प्रयासों पर टिप्पणी कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की ‘फ्रंटियर्स रिपोर्ट’


(UNEP Frontiers report)

संदर्भ:

हाल ही में, ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (United Nations Environment Programme – UNEP) द्वारा अपनी नवीनतम वार्षिक ‘फ्रंटियर्स रिपोर्ट’ (UNEP Frontiers report) जारी की गयी है।

  • फ्रंटियर्स रिपोर्ट का यह चौथा संस्करण है। इस रिपोर्ट को पहली बार 2016 में, COVID-19 महामारी के प्रकोप से चार साल पहले, जूनोटिक रोगों के बढ़ते जोखिम के प्रति चेतावनी के साथ प्रकाशित किया गया था।
  • रिपोर्ट में सरकार और जनता का ध्यान आकर्षित करने और कार्रवाई करने हेतु आवश्यक तीन पर्यावरणीय मुद्दों की पहचान की गयी है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

केंद्रीय क्षेत्र:

शहरी ध्वनि प्रदूषण, वनाग्नि और घटनाविज्ञानी परिवर्तन (Phenological shifts) – फ्रंटियर्स रिपोर्ट के तीन विषय – ऐसे मुद्दे हैं, जो पृथ्वी ग्रह के तीन संकटों – जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता क्षति-  का समाधान करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करते हैं।

प्रमुख चिंताएं:

  • आगामी वर्षों और दशकों में ‘वनाग्नि’ (Wildfires) के और विकराल होने का अनुमान है। वायुमंडलीय ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती सांद्रता और वनाग्नि जोखिम कारकों की सहवर्ती घटना में वृद्धि के कारण अधिक खतरनाक ‘अग्नि-मौसम’ स्थितियों की प्रवृत्ति में वृद्धि होने की संभावना है।
  • संवेदनशील क्षेत्र: हाल के दशकों में कई क्षेत्रों में शहरों का वन क्षेत्रों की ओर तेजी से विस्तार हुआ है। यह वन्य भूमि-शहरी इंटरफ़ेस वह क्षेत्र है जहां ‘वनाग्नि’ का जोखिम सबसे अधिक स्पष्ट होता है। उदाहरण के लिए, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘वनाग्नि’ की बढ़ती घटनाएँ।
  • बिजली गिरना और प्रदूषण: ‘वनाग्नि’ की बढ़ती घटनाओं के साथ, दुनिया में बिजली गिरने की अधिक घटनाएं देखे जाने की संभावना है।
  • अग्नि से प्रेरित झंझावात: बढ़ती ‘वनाग्नि’ घटनाओं से ‘अग्नि से प्रेरित झंझावात’ (Fire-induced thunderstorms) आना एक नया खतरा बन गया है। ये ‘झंझावात’ जमीन पर आग फैलने के लिए अधिक खतरनाक स्थितियों में योगदान करते हैं।
  • शहरों में ध्वनि प्रदूषण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा: सड़क यातायात, रेलवे, या अवकाश गतिविधियों से अवांछित, लंबी और उच्च-स्तरीय आवाज़ें मानव स्वास्थ्य और सेहत को प्रभावित करती हैं।
  • घटनाविज्ञानी परिवर्तन (Phenological shifts): प्रजातियों द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारण बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रत्युत्तर में ‘जीवन चक्र’ के चरणों के समय में बदलाव किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप ‘घटनाविज्ञानी / फेनोलॉजिकल परिवर्तन’ होते हैं। चिंता की बात यह है, कि एक पारिस्थितिकी तंत्र में परस्पर अभिक्रिया करने वाली प्रजातियां हमेशा समय को एक ही दिशा में या एक ही दर पर स्थानांतरित नहीं करती हैं।
  • जलवायु परिवर्तन की वजह से तेजी से भंग हो रहे ‘फीनोलॉजिकल बदलाव’, पौधों और जानवरों को उनकी प्राकृतिक लय के साथ अनुकूलता से बाहर धकेल रहे हैं और बेमेल परिस्थितियों की ओर ले जा रहे हैं। जैसे कि, शाकाहारी जीवों की तुलना में पौधे जीवन चक्र के चरणों में तेजी से बदलाव करते हैं।

रिपोर्ट में की गयी प्रमुख सिफारिशें:

  1. शहरी वातावरण में वनस्पति की वृद्धि की जानी चाहिए।
  2. साउंडस्केप प्लानिंग योजनाओं का निर्माण किया जाना चाहिए (स्थान की प्रासंगिक विशेषताओं पर विचार किया जाए, जिसमें कथित ध्वनिक पैरामीटर, भौतिक विशेषताएं, प्राकृतिक कारक, उद्देश्य, उपयोग और उपयोगकर्ता समुदाय शामिल हैं)।
  3. राजमार्गों या रेलवे के साथ ‘शोर अवरोधक’ प्रणालियाँ स्थापित की जाएँ।
  4. संवेदनशील समूहों को शामिल करके निवारक दृष्टिकोण अपनाई जानी चाहिए। स्वदेशी अग्नि प्रबंधन तकनीकों को प्रोत्साहन दिया जाए और उन्हें अपनाया जाए।
  5. लंबी दूरी के मौसम पूर्वानुमान, और उपग्रहों जैसी सुदूर संवेदन क्षमताओं पर ध्यान दिया जाए।
  6. आवास गलियारों के माध्यम से पारिस्थितिक संपर्क में वृद्धि की जानी चाहिए।
  7. आनुवंशिक विविधता को बढ़ावा दिया जाएऔर सफल अनुकूलन की संभावना में वृद्धि की जानी चाहिए।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

घटनाविज्ञान / फेनोलॉजी (Phenology), पर्यावरण बलों द्वारा संचालित तथा एक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर, परस्पर क्रिया करने वाली प्रजातियां बदलती परिस्थितियों के जवाब देने पर निर्भर, आवर्ती जीवन चक्र चरणों का समय होता है। स्थलीय, जलीय और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में पौधे और जानवर तापमान, दिन की लंबाई या वर्षा का उपयोग, अपनी पत्ती, फूल, फल, नस्ल, घोंसला, परागण, प्रवास या अन्य तरीकों में बदलाव करने हेतु, संकेत के रूप में करते हैं।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)- उद्देश्य, शक्तियां और अधिदेश

मेंस लिंक:

पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (UNEP) के महत्व और इसकी भूमिका पर प्रकाश डालिए।

स्रोत: डाउन टू अर्थ।

 

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

अंतर-संचालन योग्य (इंटर-ऑपरेबल) आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना


(Inter-Operable Criminal Justice System Project)

संदर्भ:

हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा ‘अंतर-संचालन योग्य (इंटर-ऑपरेबल) आपराधिक न्याय प्रणाली  परियोजना’ / ‘इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) परियोजना’ (Inter-Operable Criminal Justice System Project) को गृह मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किये जाने की मंजूरी प्रदान की गयी है।

  • इसके लिए 2022-23 से 2025-26 तक की अवधि के दौरान कुल 3,375 करोड़ रुपये का परिव्यय मंजूर किया गया है।
  • इस परियोजना को केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लागू किया जाएगा।

‘इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम प्रोजेक्ट’ क्या है?

‘इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS), मुख्य आईटी प्रणाली के एकीकरण हेतु एक राष्ट्रीय प्लेटफार्म है, जिसका उपयोग निम्न पांच स्तंभों के माध्यम से देश में ‘आपराधिक न्याय’ को लागू करने के लिए किया जाता है-

  1. पुलिस (अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग और नेटवर्क प्रणाली),
  2. फोरेंसिक लैब के लिए ई-फोरेंसिक,
  3. न्यायालयों के लिए ई-कोर्ट,
  4. लोक अभियोजकों के लिए ई-प्रासक्यूशन
  5. जेलों के लिए ई-जेल।

कार्यान्वयन:

ICJS प्रणाली को उच्च गति की संपर्क सुविधा (कनेक्टिविटी) के साथ एक समर्पित और सुरक्षित क्लाउड-आधारित अवसंरचना के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।

  • राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से परियोजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) पर होगी।
  • इस परियोजना को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से लागू किया जाएगा।

Current Affairs

 

परियोजना का महत्व:

‘अंतर-संचालन योग्य (इंटर-ऑपरेबल) आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना’, प्रभावी और आधुनिक पुलिस व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में आगे की ओर एक कदम होगी।

  • ICJS प्रणाली, आपराधिक न्याय रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ करके और इसे कानून प्रवर्तन एजेंसियों, प्रयोगशालाओं और अदालतों के लिए सुलभ बनाकर इस क्षेत्र में एक बड़ी छलांग है।
  • इसके शुरू होने पर, दोषी व्यक्तियों के लिए अपने कृत्यों का परिणाम भुगतने से बचना और अधिक कठिन हो जाएगा, यह प्रणाली यह भी सुनिश्चित करेगी कि -दोषी या निर्दोष- किसी को भी भुलाया नहीं जाएगा और सभी को समान रूप से न्याय मिलेगा।
  • इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि यह सिस्टम को और अधिक मजबूत बनाएगी तथा अपराधियों को ट्रैक करने, अपराधों को सुलझाने और भारत को एक सुरक्षित जगह बनाने में मदद करेगी।

Current Affairs

 

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट

पिछले महीने, दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित ‘टोंगा’ (Tonga) के एक द्वीप पर एक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ है, जिसकी वजह से प्रशांत महासागर में ‘सुनामी लहरें’ उठी रही हैं।

  • यह, हुंगा-हापाई (Hunga-Ha’apai) और हुंगा-टोंगा (Hunga-Tonga) नामक दो छोटे निर्जन द्वीपों से मिलकर बना एक ‘समुद्र के भीतर होने वाला ज्वालामुखी विस्फोट’ (Undersea Volcanic Eruption) है।
  • टोंगा द्वीप समूह, ‘रिंग ऑफ फायर’ में अवस्थित है। यह ज्वालावृत्त प्रशांत महासागर के बेसिन के चारो ओर विस्तारित उच्च जवालामुखीय एवं भूकंपीय गतिविधियों की परिधि है।

चर्चा का कारण:

  • नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाली राख के कण, उपग्रहों द्वारा देखे गए सबसे ऊंचे स्तर तक पहुँच चुके हैं।
  • 15 जनवरी को हुए विस्फोट से निकले राख के कण वायुमंडल के ‘मध्यमंडल’ (Mesosphere) तक पहुँच चुके हैं। विदित हो कि, वायुमंडल के इसी ‘मध्यमंडल’ में तारे टूटने की घटनाएँ घटित होती हैं।

Current Affairs

REWARD परियोजना

हाल ही में, भारत सरकार, कर्नाटक और ओडिशा की राज्य सरकारों तथा विश्व बैंक के मध्य $115 मिलियन की लागत के ‘नवोन्मेषी विकास कार्यक्रम के माध्यम से कृषि अनुकूलन हेतु वाटरशेड कायाकल्प’ कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

  • रिवार्ड (REWARD) का तात्पर्य ‘नवोन्मेषी विकास कार्यक्रम के माध्यम से कृषि अनुकूलन हेतु वाटरशेड कायाकल्प’ (Rejuvenating Watersheds for Agricultural Resilience through Innovative Development – REWARD) करना है।
  • इस परियोजना का उद्देश्य, जलवायु परिवर्तन के प्रति किसानों की अनुकूलता बढ़ाने, उच्च उत्पादकता और बेहतर आय को बढ़ावा देने में सहयोग करने हेतु, राष्ट्रीय और राज्य संस्थानों को बेहतर वाटरशेड प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने में मदद करना है।

महत्व:

भारत सरकार ने 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करने और 2023 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है। प्रभावी वाटरशेड प्रबंधन, अधिक अनुकूल खाद्य प्रणाली का निर्माण करते हुए, वर्षा आधारित क्षेत्रों में आजीविका बढ़ाने में मदद कर सकता है।

लक्ष्य जीरो डंपसाइट

(Lakshya Zero Dumpsite)

भारत सरकार द्वारा, हाल ही में, पुराने ठोस अपशिष्ट डंप यार्ड को खत्म करने की पहल के तहत, आंध्र प्रदेश के 235 करोड़ रुपये के ‘पुराने अपशिष्ट उपचार’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी है।

  • आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, राज्य सरकार द्वारा “लक्ष्य जीरो डंपसाइट” के तहत प्रस्तुत 235 करोड़ रुपये के प्रस्ताव के लिए 77.7 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करेगा।
  • अब तक पांच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 260 से अधिक शहरों ने, कचरा मुक्त शहर दृष्टिकोण के एक हिस्से के रूप में ‘पुराने अपशिष्ट उपचार’ के लिए अपनी कार्य योजना प्रस्तुत की है।
  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 अक्टूबर को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत भारतीय शहरों को कचरा मुक्त बनाने की योजना की घोषणा की गयी थी और मिशन के तहत प्रमुख उद्देश्यों में, लगभग 15,000 एकड़ सिटी लैंड पार्सल पर बिखरे 16 करोड़ टन पुराने कचरे के डंपसाइट को समाप्त करना शामिल है, इस मिशन को ‘लक्ष्य जीरो’ डंपसाइट कहा गया है।

परियोजना का महत्व:

विरासती डंपसाइट पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करते हैं और वे वायु प्रदूषण एवं जल प्रदूषण को बढाते हैं। वर्षों पुराने कचरे के इन पहाड़ों को साफ करना न केवल देश के शहरी परिदृश्य को बदलने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संबंधी चिंताओं के मुद्दे को भी निपटाना आवश्‍यक है।

 

तारापुर नरसंहार

(Tarapur Massacre)

बिहार में 15 फरवरी को तारापुर (1932) में अंग्रेजों द्वारा मारे गए 34 स्वतंत्रता सेनानियों की याद में “शहीद दिवस” ​​​​के रूप में मनाया गया।

  • यह जलियांवाला बाग हत्याकांड (अमृतसर, 1919) के बाद, अंग्रेजों द्वारा किया गया सबसे बड़ा नरसंहार था।
  • यह नरसंहार, युवा स्वतंत्रता सेनानियों के एक समूह ने एक विरोध के दौरान थाना भवन में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने की योजना बनाए जाने के दौरान किया गया था।

विरोध के कारण:

  • गांधी-इरविन पैक्ट (1932) के विफल होने के बाद महात्मा गांधी की गिरफ्तारी।
  • लाहौर में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी (1931)।
  • नेहरू, पटेल और राजेंद्र प्रसाद की गिरफ्तारी।

 

फ़ॉकलैंड आइलैंड

(Falkland Islands)

चीन ने ब्रिटेन के नियंत्रण वाले ‘फ़ॉकलैंड द्वीप समूह’ (Falkland Islands) पर अर्जेंटीना के दावे का समर्थन किया है।

अवस्थिति:

  • फ़ॉकलैंड द्वीप, दक्षिण अमेरिका के सबसे दक्षिणी बिंदु पर दक्षिण-पश्चिम अटलांटिक महासागर में स्थित, ‘यूनाइटेड किंगडम’ का एक ‘विदेशी क्षेत्र’ (Overseas Territory) है।
  • यह द्वीप समूह पृथ्वी के दक्षिणी और पश्चिमी दोनों गोलार्द्धों में विस्तारित है।
  • इन्हें ‘माल्विनास द्वीप समूह’ (Malvinas Islands) भी कहा जाता है।

अर्जेंटीना का दावा:

  • 1765 में, वेस्ट फ़ॉकलैंड को बसाने वाले पहले व्यक्ति ब्रिटिश थे, लेकिन 1770 में स्पेनिश लोगों द्वारा इन्हें खदेड़ दिया गया था।
  • युद्ध की धमकी के बाद 1771 में वेस्ट फ़ॉकलैंड पर ब्रिटिश चौकी को बहाल कर दिया गया था, लेकिन फिर फ़ॉकलैंड पर अपने दावे को त्यागे बिना, आर्थिक कारणों से ब्रिटिश 1774 में द्वीप से हट गए।
  • स्पेन ने 1811 तक पूर्वी फ़ॉकलैंड (जिसे इसे सोलेदाद द्वीप कहा जाता है) में एक बस्ती पर अपना नियंत्रण बनाए रखा।
  • 1816 में स्पेन से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा करने के पश्चात् अर्जेंटीना सरकार ने 1820 में फ़ॉकलैंड पर अपनी संप्रभुता की घोषणा की।

युद्धों और संयुक्त राष्ट्र में चर्चाओं के बावजूद, फ़ॉकलैंड द्वीपसमूह पर संप्रभुता का मुद्दा विवाद का विषय बना हुआ है।

Current Affairs

 

क्रायोडैक्टाइलस एक्सर्सिटस

(Crytodactylus Exercitus)

हाल ही में पशु चिकित्सकों की एक टीम ने मेघालय के उमरोई मिलिट्री स्टेशन के एक जंगली हिस्से में ‘बेंट-टोड गेको’ (Bent-Toed Gecko) छिपकली की एक नई प्रजाति की खोज की है।

  • इस प्रजाति का वैज्ञानिक नाम ‘क्रायोडैक्टाइलस एक्सर्सिटस’ (Crytodactylus Exercitus) है और इसका अंग्रेज़ी नाम ‘इंडियन आर्मी बेंट-टोड गेको’ (Indian Army’s Bent-Toed Gecko) है।
  • भारत में अब ‘बेंट-टोड गेको’ की 40 प्रजातियां देखी जा चुकी हैं, जिनमें से 16 प्रजातियां उत्तर-पूर्व में पाई जाती हैं।

Current Affairs

 

ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट

(Great Backyard Bird Count)

ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट (Great Backyard Bird Count – GBBC) एक वैश्विक आयोजन है, और 18 फरवरी से 21 तक दुनिया भर में चार दिनों के लिए आयोजित किया जा रहा है, और इसके तहत एकत्रित किए गए डेटा को ‘संरक्षण’ कार्यों हेतु उपयोग किया जाएगा।

  • यह एक ऑनलाइन ‘नागरिक विज्ञान’ या ‘सामुदायिक विज्ञान’ परियोजना है जिसे पहली बार 1998 में ‘कॉर्नेल लैब ऑफ ऑर्निथोलॉजी’ और ‘नेशनल ऑडबोन सोसाइटी’ द्वारा शुरू किया गया था।
  • भारत में इसका समन्वय ‘ई-बर्ड इंडिया’ और ‘बर्डकाउंट-इंडिया’ द्वारा किया जा रहा है।
  • यह कार्यक्रम पक्षी आबादी की एक तस्वीर प्रदान करने में मदद करता है और पक्षियों के लिए सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रकाश डालता है।

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