[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 16 February 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-II

1. मॉब लिंचिंग रोधी विधेयक

2. इस्लामिक सहयोग संगठन

3. रूस-यूक्रेन संकट

 

सामान्य अध्ययन-III

1. स्वामित्व योजना

2. सरकार द्वारा चीन की अन्य ऐप्स पर प्रतिबंध

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. मेदारम जातरा 2022

2. डॉक्सिंग

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

मॉब लिंचिंग रोधी विधेयक


(Anti-mob lynching Bills)

संदर्भ:

पिछले चार वर्षों में, कम से कम चार राज्यों द्वारा ‘मॉब लिंचिंग’ (Mob Lynching) के खिलाफ पारित विधेयकों को अभी तक लागू नहीं किया गया है, क्योंकि केंद्र सरकार का मानना है कि ‘भारतीय दंड संहिता’ (IPC) के तहत लिंचिंग को अपराध के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है।

‘मॉब लिंचिंग’ के खिलाफ विधेयक पारित करने वाले राज्यों में झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मणिपुर शामिल हैं।

विधेयकों के पारित होने में देरी का कारण:

2019 में, गृह मंत्रालय ने लोकसभा को सूचित करते हुए बताया, कि मंत्रालय को ‘राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित तथा राष्ट्रपति के विचारार्थ राज्यपाल द्वारा सुरक्षित रखे गए विधेयक प्राप्त हुए हैं।

  • राष्ट्रपति को इस प्रकार के कानून संबंधी मामले में मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सलाह के अनुरूप कार्य करना होता है। इन मामलों में मंत्रिपरिषद का प्रतिनिधित्व गृह मंत्रालय करता है।
  • गृह मंत्रालय द्वारा राज्य द्वारा पारित विधेयकों की तीन आधारों – केंद्रीय कानूनों से असंगति, राष्ट्रीय या केंद्रीय नीति से विचलन और कानूनी एवं संवैधानिक वैधता – पर जांच की जाती है।

मॉब लिंचिंग की हालिया घटनाएं:

  • दिसंबर 2021 में, सिख संगत (सिख धर्म के भक्तों) द्वारा अमृतसर के श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा (स्वर्ण मंदिर) में सिख धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का अनादर करने का कथित रूप से प्रयास करने पर एक व्यक्ति की ‘पीट-पीटकर हत्या’ (Lynching) कर दी गई।
  • 2021 में, असम में एक 23 वर्षीय छात्र नेता की भीड़ ने कथित तौर पर हत्या कर दी थी।
  • अक्टूबर 2021 में, एक व्यक्ति की कथित रूप से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई, उसके अंगों को काट दिया गया और ‘तीन कृषि कानूनों’ के खिलाफ किसानों के विरोध स्थल, सिंघू बॉर्डर पर उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया।
  • अगस्त 2021 में, इंदौर में एक चूड़ी विक्रेता को कथित तौर पर अपनी पहचान छिपाने पर भीड़ ने पीटा था। वह व्यक्ति किसी तरह जीवित बच गया और बाद में उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
  • मई 2021 में, गुरुग्राम के एक 25 वर्षीय व्यक्ति दवा खरीदने के लिए बाहर गया था, उसी दौरान कथित तौर पर उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।

‘लिंचिंग’ का तात्पर्य:

धर्म, जाति, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, खान-पान, यौन-अभिरुचि, राजनीतिक संबद्धता, जातीयता अथवा किसी अन्य संबंधित आधार पर भीड़ द्वारा नियोजित अथवा तात्कालिक हिंसा या हिंसा भड़काने वाले कृत्यों आदि को मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) कहा जाता है।

इसमें अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी दोषी को उसके किये अपराध के लिये या कभी-कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही बिना अपराध किये भी तत्काल सज़ा दी जाए अथवा उसे पीट-पीट कर मार डाला जाता है।

इस प्रकार के मामलों से किस प्रकार निपटा जाता है?

  • मौजूदा ‘भारतीय दंड-विधान संहिता’ (IPC) के तहत, इस प्रकार घटनाओं के लिए “कोई अलग” परिभाषा नहीं है। लिंचिंग की घटनाओं से ‘आईपीसी’ की धारा 300 और 302 के तहत निपटा जाता है।
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के अनुसार, जो कोई भी किसी व्यक्ति की हत्या करता है, तो उसे मृत्यु दंड या आजीवन कारावास और साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा। ‘हत्या करना’ एक गैर-जमानती, संज्ञेय और गैर-शमनीय अपराध है।

इस संबंध में उच्चत्तम न्यायालय के दिशानिर्देश:

  1. लिंचिंग एक ‘पृथक अपराध’ होगा तथा ट्रायल कोर्ट अभियुक्तों को दोषी ठहराए जाने पर अधिकतम सजा का प्रावधान कर मॉब लिंचिंग करने वाली भीड़ के लिए कड़ा उदहारण स्थापित करें।
  2. राज्य सरकारें, प्रत्येक ज़िले में मॉब लिंचिंग और हिंसा को रोकने के उपायों के लिये एक सीनियर पुलिस अधिकारी को प्राधिकृत करें। राज्य सरकारें उन ज़िलों, तहसीलों, गाँवों को चिन्हित करें जहाँ हाल ही में मॉब लिंचिंग की घटनाएँ हुई हैं।
  3. नोडल अधिकारी मॉब लिंचिंग से संबंधित ज़िला स्तर पर समन्वय के मुद्दों को राज्य के DGP के समक्ष प्रस्तुत करेगें।
  4. केंद्र तथा राज्य सरकारों को रेडियो, टेलीविज़न और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह प्रसारित कराना होगा कि किसी भी प्रकार की मॉब लिंचिंग एवं हिंसा की घटना में शामिल होने पर विधि के अनुसार कठोर दंड दिया जा सकता है।
  5. केंद्र और राज्य सरकारें, भीड़-भाड़ और हिंसा के गंभीर परिणामों के बारे में रेडियो, टेलीविजन और अन्य मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित करेंगी।
  6. राज्य पुलिस द्वारा किए गए उपायों के बावजूद, मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएँ होने पर संबंधित पुलिस स्टेशन तुरंत एफआईआर दर्ज करेगा।
  7. राज्य सरकारें मॉब लिंचिंग से प्रभावित व्यक्तियों के लिये क्षतिपूर्ति योजना प्रारंभ करेगी।
  8. यदि कोई पुलिस अधिकारी या जिला प्रशासन का कोई अधिकारी अपने कर्तव्य को पूरा करने में विफल रहता है, तो यह जानबूझकर की गई लापरवाही माना जाएगा।

समय की मांग:

  • प्रत्येक बार ऑनर किलिंग, घृणा-अपराधों, डायन-हत्या अथवा मॉब लिंचिंग की घटनाओं के होने पर  इन अपराधों से निपटने के लिए विशेष कानून की मांग उठायी जाती हैं।
  • लेकिन, तथ्य यह है कि यह  अपराध हत्याओं के अलावा और कुछ नहीं हैं तथा IPC और सीआरपीसी (CrPC) के तहत मौजूदा प्रावधान ऐसे अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त हैं।
  • पूनावाला मामले में निर्धारित दिशा-निर्देशों के साथ, हम मॉब लिंचिंग से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम हैं। इन अपराधों से निपटने के लिए मौजूदा कानूनों और प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘हेट स्पीच’ पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘रणनीति’ और ‘कार्य योजना’ जैसा कोई उपाय किया गया है? इस बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. मॉब लिंचिंग के विरुद्ध किन राज्यों कानून पारित किये हैं?
  2. ’पूनावाला मामला’ क्या है?
  3. आईपीसी के तहत मॉब लिंचिंग के खिलाफ कौन से प्रावधान उपलब्ध हैं?

मेंस लिंक:

मॉब लिंचिंग भारत में एक अक्सर होने वाली घटना बन गई है जो धार्मिक और जातिगत अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हुए नफरत व हिंसा को बढ़ा रही है। इसके कारक- कारणों को समझाएं तथा  इससे निपटने के तरीके सुझाइए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

इस्लामिक सहयोग संगठन


(Organisation of Islamic Cooperation)

संदर्भ:

हाल ही में, भारत ने ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ (Organisation of Islamic Cooperation – OIC) द्वारा दिए गए “अभिप्रेरित और भ्रामक बयान” की निंदा की है। ओआईसी ने अपने बयान में कथित रूप से ‘भारत में मुसलमानों पर लगातार होने वाले हमलों’ पर गहरी चिंता व्यक्त की थी और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आवश्यक उपाय करने की मांग की थी।

संबंधित प्रकरण:

‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ (OIC) ने उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार में ‘हिंदुत्व’ समर्थकों द्वारा सार्वजनिक रूप से ‘मुसलमानों का नरसंहार करने के लिए’ किए जाने वाले आह्वान, और सोशल मीडिया साइटों पर मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाओं के साथ-साथ, कर्नाटक राज्य में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की थी।

भारत की प्रतिक्रिया:

‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ के बयान पर भारत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, भारत में सभी मुद्दों पर हमारे संवैधानिक ढांचे और तंत्र के साथ-साथ लोकतांत्रिक लोकाचार और राजनीति के अनुसार विचार एवं समाधान किया जाता है।

इस प्रकार की टिप्पणियों पर चिंता:

‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ द्वारा भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी किए जाने की यह पहली घटना नहीं है।

OIC ने 76वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान, तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले को वापस लेने के लिए भी भारत से कहा था।

इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC)  के बारे में:

  • OIC, वर्ष 1969 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, वर्तमान में इसमें 57 सदस्य देश सम्मिलित हैं।
  • यह संयुक्त राष्ट्र संघ के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है।
  • इस संगठन का कहना है कि यह “मुस्लिम विश्व की सामूहिक आवाज” है।
  • इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना और साथ ही दुनिया के मुस्लिम समुदायों के हितों की रक्षा और संरक्षण हेतु कार्य करना है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ और यूरोपीय संघ में OIC के स्थायी प्रतिनिधिमंडल हैं।
  • इसका स्थायी सचिवालय सऊदी अरब के जेद्दा में स्थित है।

भारत के लिए OIC का महत्व:

हाल के दिनों में भारत और OIC के मध्य आर्थिक और ऊर्जा संबंधी परस्पर निर्भरता में वृद्धि विशेष रूप महत्वपूर्ण हो गई है।

  • व्यक्तिगत रूप से, भारत के OIC के लगभग सभी सदस्य देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। हाल के वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के साथ संबंधों में विशेष रूप से उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
  • OIC में भारत के दो करीबी पड़ोसी, बांग्लादेश और मालदीव शामिल हैं।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. OIC- उद्देश्य
  2. कार्य
  3. सदस्य
  4. सहायक संगठन

मेंस लिंक:

इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC)  पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

रूस-यूक्रेन संकट


(Russia-Ukraine crisis)

संदर्भ:

हाल ही में, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने ‘16 फरवरी’ को “राष्ट्रीय एकता” दिवस घोषित किए जाने के बारे में जानकारी दी। अमेरिकी अधिकारियों द्वारा इस दिन को यूक्रेन पर संभावित रूसी हमले की तारीख बताया गया था।

हालांकि, रूस ने स्पष्ट करते हुए कहा है, कि यूक्रेन पर आक्रमण करने की उसकी कोई योजना नहीं है।

रूस अब क्या चाहता है?

  • उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization – NATO) के विस्तार पर पश्चिमी देशों द्वारा की गई पिछली प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन पर चर्चा करने हेतु वार्ता।
  • सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् बने नए देशों से NATO सैनिकों की वापसी।
  • यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनाए जाने हेतु वचनबद्धता।
  • भविष्य के लिए सुरक्षा गारंटी।

अमेरिका और नाटो के यूरोपीय सदस्य देश क्या चाहते हैं?

  • यूक्रेन की सीमाओं से रूसी सैनिकों की वापसी।
  • रूस द्वारा बेलारूस जैसे पड़ोसी देशों में जारी युद्ध के खेल का अंत।
  • एक स्पेनिश अखबार को लीक किए गए एक पत्र के अनुसार- अमेरिका और नाटो के यूरोपीय सदस्य सुरक्षा गारंटी पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन स्वतंत्र राष्ट्रों के नाटो में शामिल होने पर कोई प्रतिबद्धता नहीं।
  • अमेरिका और यूरोपीय देशों की रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण नहीं करने की गारंटी की मांग- रूस ने कहा है कि उसका हमला करने का कोई इरादा नहीं है-लेकिन यूक्रेन की सीमा पर सैनिकों का जमावड़ा चिंताजनक है।

भारत की सबसे बड़ी चिंताएं:

  • विश्व युद्ध का परिदृश्य (World War scenario): अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी देशों एवं रूस के मध्य होने वाले किसी भी संघर्ष का ‘आर्थिक एवं सुरक्षा की दृष्टि से’ पूरे विश्व पर प्रभाव पड़ेगा, और चूंकि भारत – जोकि मास्को और वाशिंगटन दोनों का साझेदार है – को या तो किसी का पक्ष लेना पड़ेगा, या दोनों पक्षों की नाराजगी से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
  • S-400 डिलीवरी और अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट: यह संकट ठीक उसी समय उत्पन्न हो रहा है, जब भारत द्वारा रूसी S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद की जा रही है- और नई दिल्ली को इस पर अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट की उम्मीद है। ऐसी स्थिति में, ये संघर्ष मिसाइल सिस्टम की सुपुर्दगी और प्रतिबंधों से अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दी जाने वाली छूट की संभावना, दोनों के लिए मुश्किल खड़ी करेगा।
  • चीन पर से विश्व का ध्यान हटना: जिस तरह से हाल ही में, अमेरिका और यूरोप द्वारा अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा था और जिसमे भारत को केंद्रीय-मंच पर रखा गया है, तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के आक्रमण और अनाधिकृत रूप से जमीन पर कब्ज़ा एवं भारत-चीन सीमा के दोनों ओर 100,000 से अधिक सैनिकों की तैनाती आदि से दुनिया का ध्यान चीन से हटकर रूस की तरफ हो गया है।
  • रूस और चीन के बीच नजदीकी: मौजूदा संकट, मास्को को चीन जैसे दोस्तों पर और अधिक निर्भर बना देगा, और एक क्षेत्रीय समूह का निर्माण करेगा, और भारत जिसका हिस्सा नहीं होगा। हाल ही में, भारत ने बीजिंग में होने वाले ओलंपिक खेलों के राजनयिक और राजनीतिक बहिष्कार की घोषणा की गयी, जबकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन, अन्य मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रपति और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान, शी जिनपिंग के साथ एकजुटता दर्शाते हुए बीजिंग में मौजूद रहे है।
  • ऊर्जा संकट (Energy crisis): यूरोप को यह चिंता सता रही है, कि किसी भी संघर्ष की स्थिति में, रूस यूरोप के लिए गैस और तेल की आपूर्ति को बंद कर देगा- जिससे ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि होगी। पहले से ही जारी तनाव की वजह से पिछले एक महीने में तेल की कीमतों को 14% तक वृद्धि हुई है और विश्लेषकों का कहना है कि अगर स्थिति का समाधान नहीं हुआ तो इसकी कीमतें 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।

संबंधित विवाद:

पूर्ववर्ती सोवियत संघ के भाग रह चुके ‘यूक्रेन’ और ‘रूस’, दोनों देशों के मध्य तनाव की स्थिति,  वर्ष 2013 के अंत में ‘यूरोपीय संघ के साथ एक ऐतिहासिक राजनीतिक और व्यापार समझौते’ को लेकर बढ़ गई। ‘यूक्रेन’ के रूस-समर्थक तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच द्वारा समझौता वार्ता स्थगित कर दिए जाने के पश्चात, राजधानी कीव में हफ़्तों तक विरोध प्रदर्शन हुए जो बाद में हिंसा में बदल गए।

  • फिर, मार्च 2014 में, रूस ने अपने हितों और रूसी भाषी नागरिकों की सुरक्षा का बहाना करते हुए, दक्षिणी यूक्रेन में अपने ताकतवर वफादारों की सहायता से, एक स्वायत्त प्रायद्वीप ‘क्रीमिया’ पर कब्जा कर लिया।
  • इसके तुरंत बाद, यूक्रेन के ‘डोनेट्स्क’ और ‘लुहान्स्क’ क्षेत्रों में रूसी समर्थक अलगाववादियों ने ‘कीव’ से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी, जिसके पश्चात महीनों तक भारी लड़ाई जारी रही। वर्ष 2015 में, फ्रांस और जर्मनी की मध्यस्थता में ‘मिंस्क’ में ‘कीव’ और ‘मॉस्को’ के मध्य शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, इसके बावजूद ‘यूक्रेन’ और ‘रूस’ के बीच बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन होता रहा है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

जर्मनी ने रूस को चेतावनी दी है, कि अगर यूक्रेन पर आक्रमण किया गया तो नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन (Nord Stream pipeline) को रोक दिया जाएगा। नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन कहाँ है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. नाटो- स्थापना एवं मुख्यालय
  2. नाटो ‘एलाइड कमांड ऑपरेशन’ क्या है?
  3. ‘नाटो’ का सदस्य बनने हेतु शर्ते?
  4. वाशिंगटन संधि का अवलोकन।
  5. ‘उत्तरी अटलांटिक महासागर’ के आसपास के देश।
  6. नाटो में शामिल होने वाला अंतिम सदस्य।

मेंस लिंक:

नाटो के उद्देश्यों और महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।

स्वामित्व योजना


(SWAMITVA scheme)

संदर्भ:

सरकार द्वारा प्रदान की गयी जानकारी के अनुसार, देश के सभी 6,00,000 गांवों के डिजिटल मानचित्र तैयार करने की योजना बनाई जा रही है, और स्वामित्व (SVAMITVA) योजना के तहत 100 शहरों के लिए अखिल भारतीय 3D मानचित्र तैयार किए जाएंगे।

  • अब तक किए गए ड्रोन सर्वेक्षणों में करीब 1,00,000 गांवों को कवर किया किया जा चुका है और 77,527 गांवों के मानचित्र राज्यों को सौंपे जा चुके हैं।
  • स्वामित्व योजना के तहत लगभग 27,000 गांवों में संपत्ति कार्ड वितरित भी जा चुके हैं।

तात्कालिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से गाँवों का सर्वेक्षण एवं ग्रामीण क्षेत्रों का मानचित्रण योजना / स्वामित्व योजना (Survey of Villages and Mapping with Improvised Technology in Village Areas – SVAMITVA) का अवलोकन:

इस योजना की शुरुआत ‘पंचायती राज दिवस’ (24 अप्रैल, 2020) को की गयी थी। शुरुआत में इसे सिर्फ 9 राज्यों के लिए लॉन्च किया गया था। पिछले वर्ष इस योजना को सभी राज्यों में लागू किया गया था।

  • इस योजना के तहत, ड्रोन जैसी उन्नत तकनीकों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रिहायशी ज़मीनों के स्वामित्व का मानचित्रण किया जाएगा।
  • इस योजना का उद्देश्य भारत में ‘संपत्ति रिकॉर्ड रखरखाव’ में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।
  • यह योजना ‘पंचायती राज मंत्रालय’ द्वारा संचालित की जा रही है।
  • इस योजना के तहत, गांवों में आवासीय भूमि का गैर-विवादित रिकॉर्ड दर्ज करने के लिए, ड्रोन का उपयोग करते हुए भूमि को मापा जाएगा।
  • राज्यों द्वारा ड्रोन-मैपिंग द्वारा सटीक मापों का उपयोग करते हुए गाँव की प्रत्येक संपत्ति के लिए प्रॉपर्टी कार्ड तैयार किए जाएंगे। ये कार्ड संपत्ति मालिकों को सौंप दिए जाएंगे और इन्हें भूमि राजस्व रिकॉर्ड विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त होगी।

इस योजना के लाभ:

  • इस योजना के तहत प्राप्त आधिकारिक प्रमाण पत्र के माध्यम से संपत्ति मालिक अपनी संपत्ति के ऊपरर बैंक ऋण और संपत्ति से जुड़ी अन्य योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
  • गाँव की संपत्तियों से संबंधित ये रिकॉर्ड पंचायत स्तर भी बनाए रखे जाएंगे, जिससे संपत्ति-स्वामियों से संबद्ध करों का संग्रह किया जा सकेगा। इन स्थानीय करों से प्राप्त धन का उपयोग ग्रामीण अवसंरचनाओं और सुविधाओं के निर्माण के लिए किया जाएगा।
  • भूमि तथा आवासीय संपत्तियों को भू-स्वामित्व विवादों से मुक्त करने और एक आधिकारिक रिकॉर्ड तैयार करने के परिणामस्वरूप, संपत्तियों के बाजार मूल्य में वृद्धि होने की संभावना है।
  • करों के संग्रह, नई भवन एवं अवसंरचना निर्माण योजनाओं, परमिट जारी करने और संपत्ति पर अवैध कब्ज़ा करने संबंधी प्रयासों को विफल करने, आदि के लिए परिशुद्ध संपत्ति रिकॉर्ड का उपयोग किया जा सकता है।

योजना की आवश्यकता एवं महत्व:

ग्रामीण क्षेत्रों में कई ग्रामीणों के पास अपनी भूमि के स्वामित्व को साबित करने वाले कागजात नहीं होते है, इसे देखते हुए, इस योजना की आवश्यकता तब महसूस की गई।

अधिकांश राज्यों में, गांवों में संपत्तियों के सत्यापन /प्रमाणन के उद्देश्य से आबादी वाले क्षेत्रों का सर्वेक्षण और मापन नहीं किया गया है। यह नई योजना, संपत्तियों की वजह से होने वाली कलह के कारण सामाजिक संघर्ष को कम करने, सशक्तिकरण और हकदारी के लिए एक उपकरण बनने में सक्षम है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. पंचायती राज दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
  2. योजना के अनुसार, संपत्ति कार्ड कौन जारी करता है?
  3. योजना के तहत विभिन्न लाभ
  4. योजना को लागू करने के लिए नोडल मंत्रालय

मेंस लिंक:

स्वामित्व योजना की आवश्यकता और महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

सरकार द्वारा चीन की अन्य ऐप्स पर प्रतिबंध


संदर्भ:

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा चीन-निर्मित या चीन से जुडी हुई 54 अन्य ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

इन ऐप्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होने के कारण प्रतिबंधित किया गया है।

इस संबंध में प्रावधान:

‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69’ (Section 69 of the Information Technology Act) के तहत आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करते हुए सरकार ने इन नए ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें से अधिकांश ऐप, सरकार द्वारा पहले प्रतिबंधित किए जा चुके ऐप्स के क्लोन या शैडो ऐप के रूप में कार्य कर रहे थे।

सरकार द्वारा पूर्व में किन अन्य ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया गया था?

आईटी मंत्रालय द्वारा अब तक कुल मिलाकर करीब 300 ऐप्स और उनके प्रॉक्सी पर प्रतिबंध लगाया  जा चुका है।

मंत्रालय द्वारा इन ऐप्स को “भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए नुकसानदेह” बताया गया था।

आवश्यकता (सरकार की दलीलें):

  • सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को विभिन्न स्रोतों से कई प्रकार की शिकायतें प्राप्त हुई हैं कि एंड्रॉइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कई मोबाइल ऐप उनके डाटा का दुरुपयोग कर रहे हैं, इनमें विभिन्‍न प्रकार की रिपोर्टें भी शामिल हैं। उनका दुरुपयोग चोरी करने के लिए और उपयोगकर्ताओं के डेटा को अनधिकृत तरीके से उन सर्वरों पर प्रसारित करने के लिए किया जा रहा है जो भारत के बाहर स्थित हैं।
  • इन आंकड़ों का संकलन और इनकी माइनिंग एवं प्रोफाइलिंग उन तत्वों द्वारा किया जा रहा है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत की रक्षा के लिए खतरनाक हैं।
  • इस प्रकार से, उसका प्रभाव अंततः भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए नुकसानदेह है। यह बहुत ही गंभीर मामला है और यह तत्काल चिंता का विषय है जिसके लिए तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • गृह मंत्रालय के अधीन भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने भी इन दुर्भावनापूर्ण ऐप्स को ब्‍लॉक करने से संबंधित विस्तृत सिफारिशें भेजी है।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 A:

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 A, केंद्र सरकार को, भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की सुरक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों से मित्रवत संबंधों के ल‌िए या सार्वजनिक व्यवस्‍था के लिए हानिकारक ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने और साइबर अपराधी को गिरफ्तार करने का अधिकार देती है। यह कानून भारत में साइबर-अपराध और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के मुद्दों से निपटने के लिए प्रमुख कानून है।

इस कदम के निहितार्थ:

सौ से अधिक चीनी मोबाइल एप्लिकेशन को अवरुद्ध करने से पता चलता है, कि भारत सरकार यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट करना चाहती है, कि वह संभावित खतरनाक भू-राजनीतिक मुद्दों से निपटने में प्रौद्योगिकी के लिए एक विशाल बाजार के रूप में अपनी स्थिति का लाभ उठाने से नहीं कतराएगी।

प्रतिबंध पर चीन की प्रतिक्रिया:

चीन का कहना है, भारत की इस प्रकार की कार्यवाही ‘विश्व व्यापार संगठन’ (WTO) के नियमों का उल्लंघन हो सकती हैं।

चीनी सरकार ने कहा है, “भारत द्वारा अस्पष्ट और अवास्तविक आधारों पर चुनिंदा और भेदभावपूर्ण तरीके से कुछ चीनी ऐप्स पर की जाने वाली कार्रवाई, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के खिलाफ है, तथा राष्ट्रीय सुरक्षा अपवादों का दुरुपयोग करती है और विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन करने वाली प्रतीत होती है।”

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 A किससे संबंधित है?
  2. भारतीय साइबर अपराध समन्वयन केंद्र- प्रशासनिक संरचना तथा कार्य।
  3. वास्तविक नियंत्रण रेखा क्या है।
  4. LAC बनाम LOC
  5. चुशूल घाटी कहाँ है?

मेंस लिंक:

केंद्र द्वारा हाल ही में 59 चीनी ऐप्स पर लगाये गए प्रतिबंध से ‘राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम डिजिटल अधिकार’ जैसे उलझे हुए सवाल फिर से सामने आ गए हैं। आप की इस विषय पर क्या राय है?

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


मेदारम जातरा 2022

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने ‘मेदारम जातरा’ 2022 (Medaram Jathara 2022) से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के लिए ₹2.26 करोड़ मंजूर किए गए हैं।

  • ‘मेदारम जातरा’, कुंभ मेले के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है, जो तेलंगाना के दूसरे सबसे बड़े जनजातीय समुदाय- कोया जनजाति द्वारा चार दिनों तक मनाया जाता है।
  • त्योहार के आगमन और इसके शुभ महत्व को ध्यान में रखते हुए, ‘जातरा’ को 1996 में एक राज्य महोत्सव घोषित किया गया था।
  • जतारा को ‘सम्मक्का सरलम्मा जातरा’ (Sammakka Saralamma Jatara) के नाम से भी जाना जाता है।
  • एशिया का सबसे बड़ा जनजातीय मेला होने के नाते, मेदारम जातरा’ देवी सम्माक्का और सरलम्मा के सम्मान में आयोजित किया जाता है।
  • यह आदिवासी त्योहार अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ शासकों के साथ एक मां और बेटी -सम्मक्का और सरलाम्मा- की लड़ाई में आयोजित किया जाता है।
  • मेदारम एतुर्नगरम वन्यजीव अभयारण्य में एक दूरस्थ स्थान है, जो दंडकारण्य का एक हिस्सा है और जो इस क्षेत्र का सबसे बड़ा जीवित वन क्षेत्र है।

 

डॉक्सिंग

दुर्भावनापूर्ण इरादे से इंटरनेट पर दूसरों की व्यक्तिगत जानकारी को प्रकाशित और विश्लेषण करना ‘डॉक्सिंग’ (Doxxing) कहलाता है। इस तरह के कार्य किसी व्यक्ति की वास्तविक पहचान को प्रकट कर सकते है और उन्हें उत्पीड़न और साइबर हमलों का शिकार बना सकते हैं।

मेटा (META) के निरीक्षण बोर्ड ने फेसबुक और इंस्टाग्राम को ‘डॉक्सिंग’ संबंधी सख्त नियम बनाने का सुझाव दिया है।


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