[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 14 February 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-I

1. श्री माधवाचार्य

2. भूचुंबकीय तूफान

 

सामान्य अध्ययन-II

1. मदरसों, वैदिक स्कूलों को ‘शिक्षा के अधिकार’ के दायरे में लाए जाने संबंधी याचिका खारिज

2. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन

3. CAATSA

 

सामान्य अध्ययन-III

1. विश्व खाद्य कार्यक्रम

2. फ्लाई ऐश पर एनजीटी का आदेश

3. पार्कर सोलर प्रोब

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. कोआला

2. कम्युनिटी इनोवेटर फेलोशिप

 


सामान्य अध्ययन-I


 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

श्री माधवाचार्य


(Sri Madhvacharya)

संदर्भ:

हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने माधव नवमी के अवसर पर श्री माधवाचार्य को श्रद्धांजलि दी।

Current Affairs

 

श्री माधवाचार्य के बारे में:

  • श्री माधवाचार्य का जन्म दक्षिण भारत में उडुपी के निकट तुलुव क्षेत्र के वेलीग्राम नामक स्थान पर विजया दशमी के दिन हुआ था, और उनका नाम वासुदेव रखा गया था।
  • वे वेदों और पुराणों के युग के बाद भारतीय विचारों को प्रभावित वाले दार्शनिकों की त्रिमूर्ति में से तीसरे (अन्य दो शंकराचार्य और रामानुजाचार्य) थे।
  • उन्होंने द्वैत (Dwaita) या द्वैतवाद (Dualism) के दर्शन को प्रतिपादित किया।
  • अच्युतप्रेक्ष (Achyutapreksha) ने ही उन्हें ‘माधव’ की उपाधि दी, और वे इसी नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए।

साहित्यिक रचनाएँ: उन्होंने विभिन्न ग्रंथ लिखे, जिनमे उनके तत्ववाद दर्शन की विस्तृत व्याख्या की गयी है। ‘तत्ववाद’ को लोकप्रिय रूप से ‘द्वैत दर्शन’ के रूप में जाना जाता है। गीता भाष्य, ब्रह्म सूत्र भाष्य, अनु भाष्य, कर्म निर्णय और विष्णु तत्त्व निर्णय उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।

‘द्वैत दर्शन’ के बारे में:

  • द्वैत दर्शन (Dvaita philosophy) का मूल सिद्धांत श्री शंकर के मायावाद का खंडन है। द्वैत दर्शन में इस बात पर जोर दिया गया है कि दुनिया केवल एक भ्रम मात्र नहीं है, बल्कि एक हकीकत है।
  • आत्मा, अज्ञान के माध्यम से इस संसार से बंधी है।
  • आत्मा के लिए इस बंधन से मुक्त होने का तरीका, श्री हरि की कृपा प्राप्त करना है।
  • श्री हरि तक पहुंचने के लिए भक्ति करनी पड़ती है, इसके अलावा कोई और उपाय नहीं है।
  • भक्ति का अभ्यास करने के लिए ध्यान की आवश्यकता होती है।
  • ध्यान करने के लिए पवित्र ग्रंथों का अध्ययन करके मन को साफ करना और वैराग्य प्राप्त करना आवश्यक है।

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान।

भूचुंबकीय तूफान


(Geomagnetic Storms)

संदर्भ:

हाल ही में, एलोन मस्क के ‘स्टारलिंक सॅटॅलाइट इंटरनेट कान्स्टलैशन’ के 40 उपग्रह नष्ट हो गए। यह सभी उपग्रह लॉन्च होने के एक दिन बाद ही एक ‘भू-चुंबकीय तूफान’ (Geomagnetic Storms) में फंस गए थे।

हालांकि, इन उपग्रहों की वजह से कोई अंतरिक्ष मलबा नहीं बना है, क्योंकि उपग्रहों को पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने पर जल कर नष्ट हो जाने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

‘जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म’ क्या होते हैं?

जब सौर-लपटों (solar flares) जैसी घटनाओं की वजह से पृथ्वी की ओर होने वाले सौर विकिरण की मात्रा सामान्य स्तर से अधिक हो जाती है, तब ‘भू-चुंबकीय तूफान’ (Geomagnetic storms) की उत्पत्ति होती है। यह विकिरण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ परस्पर अभिक्रिया करता है जिसके परिणामस्वरूप भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न होते हैं।

कारण:

चुंबकीय तूफान का कारण, संभवतः ‘सूर्य के कोरोना से होने वाला द्रव्य उत्क्षेपण’ (solar coronal mass ejection -CME) या कोरोना के केंद्र से उत्पन्न होने वाली सौर-पवनों की तीव्र गति वाली धाराओं का ‘सह-घूर्णन अंतःक्रिया क्षेत्र’ (co-rotating interaction region – CIR) हो सकता है।

भू-चुंबकीय तूफानों के प्रभाव:

भू-चुंबकीय तूफान के प्रभाव की वजह से ‘उतरी धुर्वीय ज्योति’ / दक्षिणी धुर्वीय ज्योति (AURORAS) की घटनाएँ होने से लेकर, उच्च विकिरण के कारण संचार प्रणालियों में व्यवधान, आदि तक हो सकते हैं। इनकी वजह से पृथ्वी पर दूसरों के साथ संवाद करना मुश्किल हो सकता है।

भू-चुंबकीय तूफानों का वर्गीकरण:

भू-चुंबकीय तूफानों को तूफानों के प्रभाव-मापक पैमाने के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है।

  1. अपने सबसे सुरक्षित स्तर पर भू-चुंबकीय तूफान -1 (G1), हल्की अस्थिरता के कारण बिजली ग्रिड को प्रभावित कर सकता है, तथा उपग्रह संचालन पर मामूली प्रभाव, और उत्तरी और दक्षिणी ज्योति की घटना का कारण बन सकते हैं।
  2. अपने सबसे चरम पर, भू-चुंबकीय तूफान -5 (G5), कुछ ग्रिड सिस्टम के नष्ट होने या ब्लैकआउट के साथ वोल्टेज नियंत्रण समस्याओं, रेडियो तरंगें के संचार में एक से दो दिनों का अवरोध, कम आवृत्ति वाले रेडियो का कार्य में कुछ घंटों की बाधा का कारण बन सकते हैं, और इसके अलावा पांचवें स्तर के तूफान की स्थिति में सामान्य से निचले अक्षांशों पर धुर्वीय ज्योति की घटनाएँ भी देखी जा सकती हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

‘स्टारलिंक’ क्या है?

  • स्टारलिंक (Starlink) एलोन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी के नेतृत्व में एक परियोजना है। इसके अंतर्गत अपनी कक्षाओं में परिभ्रमण करने वाले हजारों की संख्या में उपग्रहों के एक समूह से एक ब्रॉडबैंड नेटवर्क का निर्माण किया जा रहा है।
  • स्टारलिंक नेटवर्क, अंतरिक्ष से डेटा संकेतों को भेजने के लिए वर्तमान में जारी कई प्रयासों में से एक है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘सोलर फ्लेयर्स’ क्या हैं?
  2. ‘सनस्पॉट’ क्या हैं?
  3. ‘सौर लपटें’ पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  4. सूर्य का ‘11 वर्ष का चक्र’ क्या है?

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

मदरसों, वैदिक स्कूलों को ‘शिक्षा के अधिकार’ के दायरे में लाए जाने संबंधी याचिका खारिज


संदर्भ:

सुप्रीम कोर्ट ने ‘शिक्षा के अधिकार अधिनियम’, 2009 की धाराओं को चुनौती देने वाली याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। इस अधिनियम में वैदिक पाठशालाओं, मदरसों और धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।

अदालत के अनुसार, इन संस्थानों को विशेष रूप से अगस्त 2012 के संशोधन द्वारा 2009 के अधिनियम में शामिल नहीं किया गया था और, इस क़ानून के लागू होने के पिछले एक दशक में कभी भी कोई विवाद नहीं हुआ है।

संबंधित प्रकरण:

याचिकाकर्ता के अनुसार, ‘बच्चे के अधिकार’ को केवल मुफ्त शिक्षा तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि बच्चे की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के आधार पर भेदभाव के बिना समान गुणवत्ता वाली शिक्षा तक बढ़ाया जाना चाहिए।

इसलिए, अदालत द्वारा 2009 के अधिनियम की धारा 1(4) और 1(5) को मनमाना और तर्कहीन घोषित किया जाना चाहिए।

2009 के अधिनियम की धारा 1(4) और 1(5):

  • अधिनियम की धारा 1(5) में कहा गया है, “इस अधिनियम में निहित प्रावधान, मदरसों, वैदिक पाठशालाओं और प्राथमिक रूप से धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाले शैक्षणिक संस्थानों पर लागू नहीं होंगे”।
  • धारा 1(4) के अनुसार, “संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के प्रावधानों के अधीन, इस अधिनियम के प्रावधान बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार प्रदान करने पर लागू होंगे।
  • संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 में अल्पसंख्यकों और अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित संस्थानों के अधिकारों को सुरक्षित करने वाले प्रावधान उल्लखित हैं।

अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के संबंध में संवैधानिक प्रावधान:

अनुच्छेद 30(1) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों को मान्यता देता है, लेकिन इसमें नस्ल, जातीयता पर आधारित अल्पसंख्यकों को मान्यता नहीं दी गयी है।

  • इसमें, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के अधिकार को मान्यता दी गयी है, वास्तव में, अनुच्छेद 30(1), विशिष्ट संस्कृति के संरक्षण में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका को मान्यता देता है।
  • बहुसंख्यक समुदाय द्वारा भी शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन किया जा सकता है लेकिन इनके लिए अनुच्छेद 30(1)(a) के तहत विशेष अधिकार प्राप्त नहीं होंगे।

धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थानों को प्राप्त विशेष अधिकार:

  1. अनुच्छेद 30(1)(a), के तहत, अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों (MEI) को ‘शिक्षा का अधिकार’ मौलिक अधिकार के रूप में प्राप्त है। यदि किसी कारणवश, किसी अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान की परिसंपत्तियों का राज्य द्वारा अधिग्रहण किया जाता है, तो संस्था को अन्यत्र स्थापित करने के लिए उचित मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए।
  2. अनुच्छेद 15(5) के तहत, अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों (MEI) में आरक्षण संबंधी प्रावधान लागू नहीं होते हैं।
  3. ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ के तहत, ‘अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों’ को समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित 25% नामांकन के तहत 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रवेश देने की आवश्यकता नहीं होती है।
  4. ‘सेंट स्टीफंस’ बनाम ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ मामले, 1992 में, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, ‘अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों’ में अल्पसंख्यकों के लिए 50% सीटें आरक्षित हो सकती हैं।
  5. वर्ष 2002 के ‘टीएमए पई और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य’ मामले में, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, ‘अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों’ में निष्पक्षता, पारदर्शिता और योग्यता आधारित एक अलग प्रवेश प्रक्रिया हो सकती है। ये संस्थान अपनी ‘शुल्क संरचना’ भी अलग से निर्धारित कर सकते हैं लेकिन इसमें कैपिटेशन शुल्क शामिल नहीं होना चाहिए।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं, कि धर्म या भाषा के आधार पर सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार होता है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (NCPCR) – संरचना और कार्य।
  2. आरटीई अधिनियम के तहत NCPCR की शक्तियां।
  3. आरटीई अधिनियम की मुख्य विशेषताएं।
  4. आरटीई के दायरे में आने वाले बच्चे।
  5. ‘अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों’ के लिए उपलब्ध अधिकार
  6. अल्पसंख्यक बनाम अन्य संस्थाओं के अधिकार
  7. क्या राज्य द्वारा इनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया जा सकता है?

मेंस लिंक:

भारत में अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन


(National Digital Health Mission)

संदर्भ:

हाल ही में, ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण’ द्वारा अपने प्रमुख कार्यक्रम ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ (Ayushman Bharat Digital Mission) को आरोग्य सेतु ऐप (Aarogya Setu app) के साथ एकीकृत करने की घोषणा की गयी है। इसके पश्चात्, उपयोगकर्ता ऐप के माध्यम से अपना 14-अंकीय अद्वितीय आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता संख्या बना सकते हैं।

मिशन के बारे में:

‘आयुष्मान भारत राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन’ (Ayushman Bharat Digital Mission) में सभी व्यक्तियों के लिए एक डिजिटल स्वास्थ्य आईडी (Digital Health ID) प्रदान की जाएगी, जिसमे व्यक्ति के पूरा स्वास्थ्य रिकॉर्ड दर्ज रहेगा।

मिशन की विशेषताएं:

  1. ‘आयुष्मान भारत राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन’ एक डिजिटल स्वास्थ्य पारितंत्र है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक भारतीय नागरिक को एक यूनिक स्‍वास्‍थ्‍य पहचान पत्र दिया जायेगा जिसमे व्यक्ति के सभी डॉक्टरों के साथ-साथ नैदानिक परीक्षण और निर्धारित दवाओं का अंकीकृत स्वास्थ्य रिकॉर्ड (Digitised Health Records) सम्मिलित होगा।
  2. यह नई योजना आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत शुरू की जायेगी।
  3. इस योजना के छह प्रमुख घटक हैं – स्‍वास्‍थ्‍य पहचान पत्र (HealthID), डिजीडॉक्टर (DigiDoctor), स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री, व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड, ई-फार्मेसी और टेलीमेडिसिन।
  4. देश में इस मिशन के डिजाइन, निर्माण, तथा कार्यान्वयन का दायित्व राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority) को सौंपा गया है।
  5. मिशन के मुख्य घटकों, हेल्थ आईडी, डिजीडॉक्टर और स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री को भारत सरकार के स्वामित्व में रखा जाएगा तथा इनके संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी भी भारत सरकार की होगी।
  6. निजी साझेदारों को बाजार के लिए अपने उत्पादों का निर्माण करने व समन्वय करने के लिए समान अवसर दिया जाएगा। हालांकि, मुख्य गतिविधियों तथा सत्यापन प्रक्रिया का अधिकार केवल सरकार के पास रहेगा।
  7. राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत, प्रत्येक भारतीय को एक हेल्थ आईडी कार्ड दिया जाएगा जो हेल्थ अकाउंट के रूप में कार्य करेगा जिसमें व्यक्ति की पिछली चिकित्सा स्थितियों, उपचार और निदान के बारे में भी जानकारी सम्मिलित होंगी।
  8. ‘हेल्थ आईडी’ एक यादृच्छिक ढंग से उत्पन्न 14 अंकों की संख्या होगी,जिसका उपयोग विशिष्ट रूप से व्यक्तियों की पहचान करने, उन्हें प्रमाणित करने और उनके स्वास्थ्य रिकॉर्ड (केवल उनकी सहमति के साथ) को कई प्रणालियों और हितधारकों को देने के लिए किया जाएगा।
  9. परामर्श हेतु अस्पताल जाने पर, नागरिक अपने डॉक्टरों और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के लिए इस डेटा के अवलोकन की अनुमति दे सकेंगे।

मिशन की आवश्यकता:

इस मिशन का उद्देश्य नागरिकों के लिए सही डॉक्टरों को खोजने, मुलाकात के समय, परामर्श शुल्क का भुगतान करने, चिकत्सीय नुख्सों के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाने से मुक्ति दिलाना है। इसके साथ ही यह लोगों के लिए सर्वोत्तम संभव स्वास्थ्य सुविधायें प्राप्त करने के लिए एक सुविज्ञ निर्णय लेने में सक्षम बनायेगा।

Current Affairs

इंस्टा जिज्ञासु:

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को राष्ट्रव्यापी पर ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण’ द्वारा ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (PM-JAY) की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर शुरू किया जा रहा है। PM-JAY के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का अवलोकन
  2. मिशन के घटक
  3. प्रस्तावित राष्ट्रीय स्वास्थ्य पहचान पत्र
  4. स्वास्थ्य पहचान पत्र कौन जारी कर सकता है?
  5. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की प्रमुख बिंदु।

मेंस लिंक:

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

CAATSA


संदर्भ:

एस-400 रक्षा प्रणाली की खरीद को नई दिल्ली के सुरक्षा हित में बताते हुए, भारत में नव नियुक्त रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा है, कि भारत के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकी दोनों देशों के बीच सैन्य-तकनीकी सहयोग को प्रभावित नहीं करेगी।

हालांकि, अमेरिका द्वारा बार-बार भारत को इस सौदे से पीछे हटने के लिए कहा जाना यह दर्शाता है कि रूसी एस-400 सिस्टम, ‘अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को प्रतिबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधिनियम‘ (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act – CAATSA) के तहत प्रतिबंधों को लागू कर सकता है।

संबंधित चिंताएं:

वर्ष 2016 में भारत के द्वारा रूस के साथ इस सौदे की घोषणा किए जाने के बाद से वाशिंगटन में बेचैनी बनी हुई है। रूस अभी भी नई दिल्ली का सबसे बड़ा रक्षा भागीदार बना हुआ है।

S-400 सौदे पर अमेरिका के CAATSA कानून के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। अमेरिका इसी तरह की खरीद पर पहले भी चीन और तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है।

S-400 वायु रक्षा प्रणाली एवं भारत के लिए इसकी आवश्यकता:

S-400 ट्रायम्फ (Triumf) रूस द्वारा डिज़ाइन की गयी एक मोबाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (surface-to-air missile system- SAM) है।

  • यह विश्व में सबसे खतरनाक, आधुनिक एवं परिचालन हेतु तैनात की जाने वाली लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली SAM (MLR SAM) है, जिसे अमेरिका द्वारा विकसित, ‘टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस’ (Terminal High Altitude Area Defence – THAAD) से काफी उन्नत माना जाता है।

Current Affairs

 

CAATSA क्या है?

‘अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को प्रतिबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधिनियम’ (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act- CAATSA) का प्रमुख उद्देश्य दंडात्मक उपायों के माध्यम से ईरान, उत्तर कोरिया और रूस को प्रत्युत्तर देना है।

  • यह क़ानून वर्ष 2017 में अधिनियमित किया गया था।
  • इसके तहत, रूस के रक्षा और ख़ुफ़िया क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लेनदेन करने वाले देशों के खिलाफ लगाए जाने वाले प्रतिबंधो को शामिल किया गया है।

Current Affairs

 

लगाये जाने वाले प्रतिबंध:

  1. अभिहित व्यक्ति (sanctioned person) के लिए ऋणों पर प्रतिबंध।
  2. अभिहित व्यक्तियों को निर्यात करने हेतु ‘निर्यात-आयात बैंक’ सहायता का निषेध।
  3. संयुक्त राज्य सरकार द्वारा अभिहित व्यक्ति से वस्तुओं या सेवाओं की खरीद पर प्रतिबंध।
  4. अभिहित व्यक्ति के नजदीकी लोगों को वीजा से मनाही।

Current Affairs

 

सौदे का महत्व:

S-400 रक्षा प्रणाली समझौते संबंधी निर्णय इस बात का एक बहुत सशक्त उदाहरण है, कि अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को चुनने के लिए, विशेषकर राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की बात आती है, तब हमारी रक्षा और रणनीतिक साझेदारी कितनी उन्नत है, और भारतीय संप्रभुता कितनी मजबूत है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप ‘बुनियादी समझौतों’ (Foundational Agreements) के बारे में जानते हैं? तीन समझौतों को ‘बुनियादी समझौता’ कहा जाता है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. CAATSA किससे संबंधित है?
  2. CAATSA के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति की शक्तियां।
  3. लगाये जाने वाले प्रतिबंधों के प्रकार।
  4. भारत और रूस के बीच महत्वपूर्ण रक्षा सौदे।
  5. ईरान परमाणु समझौते का अवलोकन।

मेंस लिंक:

CAATSA की विशेषताओं और महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

विश्व खाद्य कार्यक्रम


(World Food Programme)

संदर्भ:

हाल ही में, भारत ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता भेजने के लिए की गयी प्रतिबद्धता के तहत, संयुक्त राष्ट्र के ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ (World Food Programme – WFP) के साथ 50,000 मीट्रिक टन गेहूं के वितरण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए है।

  • समझौता-ज्ञापन के अनुसार, गेहूं को पाकिस्तान के रास्ते अफगान सीमा पार ले जाया जाएगा और 22 फरवरी से कंधार में ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ (WFP) अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा।
  • गेहूं को अंततः 10,000 मीट्रिक टन के पांच बैचों में विभाजित किया जाएगा, जिसे देश भर में WFP द्वारा चलाए जा रहे लगभग 200 ट्रकों से वितरित किया जाएगा।

संयुक्त राष्ट्र का विश्व खाद्य कार्यक्रम:

विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme – WFP) संयुक्त राष्ट्र की खाद्य सहायता शाखा है, और यह दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है जो भुखमरी संबंधी समस्या का समाधान करता है और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देता है।

  • 1961 में शुरू, ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ भूख और कुपोषण को मिटाने का प्रयास करता है, और इसका अंतिम लक्ष्य ‘खाद्य सहायता की आवश्यकता को समाप्त करना’ है।
  • यह कर्यक्रम, ‘संयुक्त राष्ट्र विकास समूह’ (United Nations Development Group) का सदस्य है और इसकी कार्यकारी समिति का एक भाग है।
  • WFP खाद्य सहायता, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से लड़ने, बाल मृत्यु दर को कम करने, मातृ स्वास्थ्य में सुधार और एचआईवी और एड्स सहित बीमारी से लड़ने के लिए भी प्रदान की जाती है।

विश्व भुखमरी मानचित्र:

(World Hunger Map)

अलीबाबा ग्रुप की क्लाउड कंप्यूटिंग शाखा ‘अलीबाबा क्लाउड’ (Alibaba Cloud) द्वारा डिजिटल “वर्ल्ड हंगर मैप”/ डिजिटल विश्व भुखमरी मानचित्र विकसित करने के लिए ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ (WFP) के साथ कार्य किया जा रहा है।

  • यह मानचित्र, संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख सतत विकास लक्ष्यों में से एक- 2030 तक वैश्विक भूखमरी और इस अभिशाप को मिटने हेतु चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर नजर रखने में मदद करेगा।
  • इसका उद्देश्य हस्तक्षेपों की दक्षता को बढ़ावा देना और आपातकालीन प्रतिक्रिया समय को कम करना है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ द्वारा अफगानिस्तान में अपना स्वयं का ‘लोजिस्टिक्स नेटवर्क’ चलाया जा रहा है, और नागरिक समाज समूहों की साझेदारी में कुपोषण का सामना कर रही आबादी – अनुमानित आबादी आधी या 22 मिलियन अफगान- के लिए पर्याप्त भोजन और सहायता के लिए एक वैश्विक अभियान शुरू किया जा रहा है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ की शुरुआत
  2. उद्देश्य?
  3. विश्व भूखमरी मानचित्र
  4. संयुक्त राष्ट्र विकास समूह के सदस्य
  5. नोबेल शांति पुरस्कार के बारे में

मेंस लिंक:

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

फ्लाई ऐश


(Fly Ash)

संदर्भ:

हाल ही में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा ‘फ्लाई ऐश कुप्रबंधन’ और 2013 और 2020 के बीच दर्ज की गयी दुर्घटनाओं पर चल रहे आठ मामलों पर एक साथ सुनवाई करने का फैसला किया गया है।

NGT का निर्णय देश में ‘फ्लाई ऐश संकट’ की एक महत्वपूर्ण स्वीकृति है, और इस तरह के बुनियादी ढांचे को नियंत्रित करने के लिए बेहतर नियमों की शुरूआत कर सकता है।

फ्लाई ऐश प्रबंधन एवं उपयोग अभियान:

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फ्लाई ऐश के प्रबंधन और निपटान के संबंध में सभी मुद्दों की निगरानी और समन्वय को कारगर बनाने हेतु, ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ (NGT) ने केंद्र सरकार को पर्यावरण एवं कोयला मंत्रालयों के सचिवों तथा दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को शामिल करते हुए एक ‘फ्लाई ऐश प्रबंधन और उपयोग मिशन’ (Fly Ash Management and Utilisation Mission) का गठन करने का निर्देश दिया है।

  • मिशन के अधिदेश में, फ्लाई ऐश के भंडारण, प्रबंधन, प्रबंधन और उपयोग में बड़े अंतर को पाटने सहित विभिन्न समितियों (दुर्घटनाओं को देखने के लिए गठित) के निष्कर्षों के आधार पर एक कार्य योजना तैयार करना शामिल है।
  • मिशन को CSR फंड के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा, और यह प्रभावित लोगों के लिए राहत मुआवजे के लिए जिम्मेदार एक पर्यावरणीय बहाली और मुआवजा कोष के रूप में भी कार्य करेगा।

फ्लाई ऐश’ क्या होती है?

इसे आमतौर ‘चिमनी की राख’ अथवा ‘चूर्णित ईंधन राख’ (Pulverised Fuel Ash) के रूप में जाना जाता है। यह कोयला दहन से निर्मित एक उत्पाद होती है।

फ्लाई ऐश का संयोजन:

यह कोयला-चालित भट्टियों (Boilers) से निकलने वाले महीन कणों से निर्मित होती है।

  • भट्टियों में जलाये जाने वाले कोयले के स्रोत तथा उसकी संरचना के आधार पर, फ्लाई ऐश के घटक काफी भिन्न होते हैं, किंतु सभी प्रकार की फ्लाई ऐश में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2), एल्यूमीनियम ऑक्साइड (Al2O3) और कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
  • फ्लाई ऐश के सूक्ष्म घटकों में, आर्सेनिक, बेरिलियम, बोरोन, कैडमियम, क्रोमियम, हेक्सावलेंट क्रोमियम, कोबाल्ट, सीसा, मैंगनीज, पारा, मोलिब्डेनम, सेलेनियम, स्ट्रोंटियम, थैलियम, और वैनेडियम आदि पाए जाते है। इसमें बिना जले हुए कार्बन के कण भी पाए जाते है।

स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संबंधी खतरे:

  • विषाक्त भारी धातुओं की उपस्थति: फ्लाई ऐश में पायी जाने वाली, निकल, कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम, लेड, आदि सभी भारी धातुएं प्रकृति में विषाक्त होती हैं। इनके सूक्ष्म व विषाक्त कण श्वसन नालिका में जमा हो जाते हैं तथा धीरे-धीरे विषाक्तीकरण का कारण बनते रहते हैं।
  • विकिरण: परमाणु संयंत्रो तथा कोयला-चालित ताप संयत्रों से समान मात्रा में उत्पन्न विद्युत् करने पर, परमाणु अपशिष्ट की तुलना में फ्लाई ऐश द्वारा सौ गुना अधिक विकिरण होता है।
  • जल प्रदूषण: फ्लाई ऐश नालिकाओं के टूटने और इसके फलस्वरूप राख के बिखरने की घटनाएं भारत में अक्सर होती रहती हैं, जो भारी मात्रा में जल निकायों को प्रदूषित करती हैं।
  • पर्यावरण पर प्रभाव: आस-पास के कोयला आधारित विद्युत् संयंत्रों से उत्सर्जित होने वाले राख अपशिष्ट से मैंग्रोव का विनाश, फसल की पैदावार में भारी कमी, और कच्छ के रण में भूजल के प्रदूषण को अच्छी तरह से दर्ज किया गया है।

फ्लाई ऐश के उपयोग:

  1. कंक्रीट उत्पादन, रेत तथा पोर्टलैंड सीमेंट हेतु एक वैकल्पिक सामग्री के रूप में।
  2. फ्लाई-ऐश कणों के सामान्य मिश्रण को कंक्रीट मिश्रण में परिवर्तित किया जा सकता है।
  3. तटबंध निर्माण और अन्य संरचनात्मक भराव।
  4. सीमेंट धातुमल उत्पादन – (चिकनी मिट्टी के स्थान पर वैकल्पिक सामग्री के रूप में)।
  5. नरम मिट्टी का स्थिरीकरण।
  6. सड़क निर्माण।
  7. ईंट निमार्ण सामग्री के रूप में।
  8. कृषि उपयोग: मृदा सुधार, उर्वरक, मिट्टी स्थिरीकरण।
  9. नदियों पर जमी बर्फ पिघलाने हेतु।
  10. सड़कों और पार्किंग स्थलों पर बर्फ जमाव नियंत्रण हेतु।

Current Affairs

 

इंस्टा जिज्ञासु:

कोयला दहन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसों के साथ बड़ी मात्रा में राख का निर्माण होता है। इन गैसों के साथ ऊपर उठने वाली महीन कणों वाली राख को फ्लाई या फ्लू ऐश के रूप में जाना जाता है, जबकि भारी कणों वाली राख, जो ऊपर नहीं उठती है उसे बॉटम ऐश कहा जाता है; सामूहिक रूप से इनके लिए ‘कोयले की राख’ के रूप में जाना जाता है। इस प्रक्रिया के बारे अधिक जानकारी के लिए पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. फ्लाई ऐश क्या है?
  2. स्रोत
  3. प्रदूषक
  4. संभावित अनुप्रयोग

मेंस लिंक:

फ्लाई ऐश क्या होती है? मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

पार्कर सोलर प्रोब


(Parker Solar Probe)

संदर्भ:

इतिहास में पहली बार, हम नासा पार्कर सोलर प्रोब की बदौलत शुक्र ग्रह का रंगीन चित्र देख सकते हैं।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के ‘वाइड-फील्ड इमेजर फॉर पार्कर सोलर प्रोब’ (WISPR) ने शुक्र की सतह पर स्थित महाद्वीपों, मैदानों, पठारों और यहां तक ​​कि ऑक्सीजन की एक परत को दिखाते हुए आश्चर्यजनक तस्वीरें लेने में कामयाबी हासिल की है।

सूर्य के बाहरी वातावरण के माध्यम से उड़ान भरने वाला पहला अंतरिक्ष यान:

नासा (NASA) द्वारा प्रक्षेपित, ‘पार्कर सोलर प्रोब’ (Parker Solar Probe) सूर्य के बाहरी वातावरण- ‘कोरोना’ (CORONA) से होकर उड़ान भरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन गया है।

हाल ही में, अंतरिक्ष यान ने कोरोना से होकर उड़ान भरी और उसके चुंबकीय क्षेत्र और कणों के नमूने एकत्र किए।

महत्व:

यह उपलब्धि वैज्ञानिकों को सूर्य और हमारे सौर मंडल पर इसके प्रभाव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने में मदद करेगी।

Current Affairs

 

मिशन के बारे में:

2018 में प्रक्षेपित किया गया, ‘पार्कर सोलर प्रोब’ सूर्य के वायुमंडल से होकर यात्रा करेगा। इससे पहले कोई अन्य अंतरिक्ष यान, अत्याधिक उष्मा और विकिरण स्थितियों का सामना करते हुए सूर्य की सतह के इतने नजदीक से नहीं गुजरा है। इस प्रकार, अंततः ‘पार्कर सोलर प्रोब’ मानव समुदाय के लिए किसी तारे का सबसे नज़दीकी विवरण प्रदान करेगा।

पार्कर सोलर प्रोब की यात्रा:

  • सूर्य के वातावरण के रहस्यों को उजागर करने के क्रम में, पार्कर सोलर प्रोब लगभग सात वर्षों में सात परिभ्रमणों के दौरान शुक्र के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करेगा तथा धीरे-धीरे अपनी कक्षा को सूर्य के नजदीक स्थापित करेगा।
  • पार्कर सोलर प्रोब अंतरिक्ष यान, सूर्य की सतह से 9 मिलियन मील की दूरी पर और बुध ग्रह की कक्षा के भीतर से से होकर सूर्य के वायुमंडल से गुजरेगा।

मिशन का लक्ष्य:

पार्कर सोलर प्रोब के तीन विस्तृत वैज्ञानिक उद्देश्य हैं:

  1. सौर कोरोना और सौर हवा को गर्म करने और गति प्रदान करने वाली ऊर्जा के प्रवाह का पता लगाना।
  2. सौर हवा के स्रोतों पर प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र की संरचना और गतिशीलता का निर्धारण करना।
  3. ऊर्जा कणों को गति प्रदान करने और इनका परिवहन करने वाली प्रणाली का अन्वेषण करना।

कोरोना’ के अध्ययन का कारण:

कोरोना का तापमान, सूर्य की सतह से बहुत अधिक है। कोरोना, सौर प्रणाली में आवेशित कणों के निरंतर प्रवाह अर्थात सौर हवाओं को जन्म देता है। ये अप्रत्याशित सौर हवाएं हमारे ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र में गड़बड़ी का कारण बनती हैं और पृथ्वी पर संचार तकनीक को नष्ट करने में सक्षम होती हैं। नासा को उम्मीद है कि इन निष्कर्षों से वैज्ञानिकों के लिए पृथ्वी के अंतरिक्ष वातावरण में होने वाले बदलाव का पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलेगी।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

सूर्य की सतह के संबंध में चुंबकीय पुन: संयोजन (Magnetic Reconnection) क्या है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. पार्कर सोलर प्रोब के बारे में
  2. सोलर फ्लेयर्स क्या हैं?
  3. सूर्य का कोरोना
  4. पृथ्वी बनाम शुक्र
  5. रेडियो तरंगें

मेंस लिंक:

सोलर फ्लेयर्स पृथ्वी के पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


कोआला

(Koala)

ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी राज्यों में यूकेलिप्टस पेड़ों पर रहने वाले शिशुधानीस्तनी प्राणी / ‘मार्सुपियल्स’(Marsupials) के आवासों पर बढ़ते दबाव को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने ‘कोआला’ (Koala) को एक लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में नामित किया है।

  • कोआला एक शाकाहारी शाकाहारी शिशुधानीस्तनी और ऑस्ट्रेलिया का मूल निवासी जीव है। यह फास्कोलार्क्टिडे (Phascolarctidae) परिवार का एकमात्र मौजूदा प्रतिनिधि है। वोम्बैटिडे (Vombatidae) परिवार के वोमबैट्स (wombats) इसके निकटतम जीवित संबंधी हैं।
  • इस प्रजाति को क्वींसलैंड, न्यू साउथ वेल्स और ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र में भी 10 साल के लिए ‘सवेदनशील’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
  • ‘कोआला’ के लिए संकटग्रस्त दर्जे (Endangered status) का अर्थ है, प्रजातियों और उनके वन्य-आवासों को ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय पर्यावरण कानून के अनुसार अधिक से अधिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इससे न केवल ‘कोआला’ बल्कि उनके साथ रहने वाली कई अन्य प्रजातियों की सुरक्षा होगी।

Current affairs

कम्युनिटी इनोवेटर फेलोशिप

अटल नवाचार मिशन (AIM), नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (AIM) के सहयोग से “विज्ञान में महिलाओं और बालिकाओं के अंतर्राष्ट्रीय दिवस” के उपलक्ष्य में ‘कम्युनिटी इनोवेटर फेलोशिप’ (Community Innovator FellowshipCIF) का शुभारंभ किया है।

  • इस फेलोशिप को ‘प्री-इनक्यूबेशन मॉडल’ के रूप में विकसित किया गया है जो युवाओं को सामुदायिक मुद्दों को हल करने के लिए सतत विकास लक्ष्य (SDG) आधारित समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने सामाजिक उद्यम स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगी।
  • यह एक साल की अवधि तक चलने वाला गहन फेलोशिप कार्यक्रम होगा, जिसे सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि पर ध्यान दिए बिना महत्वाकांक्षी सामुदाय नवप्रवर्तक के लिए तैयार किया गया है।

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