INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 30 June 2021 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

1. संसदीय विशेषाधिकार

2. वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC)

3. सरकार द्वारा सिप्ला को मॉर्डना वैक्सीन आयात करने की मंजूरी

4. ओपेक और तेल की बढ़ती कीमतें

5. श्रीलंका की भारत के साथ 1 बिलियन डॉलर के मुद्रा विनिमय समझौता पर निर्भरता

6. यूरोपीय संघ का नया ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ कार्यक्रम

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. हिमनद झील एटलस

2. कड़कनाथ

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

संसदीय विशेषाधिकार


(Parliamentary Privileges)

संदर्भ:

विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष, कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा समिति की बैठक की कार्यवाही के बारे में “मिथ्या और हानिकारक” रिपोर्टिंग करने हेतु ‘टाइम्स नाउ’ समाचार चैनल के खिलाफ ‘विशेषाधिकार प्रस्ताव’ (Privilege Motion) पेश किया गया है।

संसदीय विशेषाधिकार’ क्या होते हैं?

संसदीय विशेषाधिकार (Parliamentary Privileges), संसद सदस्यों को, व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से, प्राप्त कुछ अधिकार और उन्मुक्तियां होते हैं, ताकि वे “अपने कार्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन” कर सकें।

  • संविधान के अनुच्छेद 105 में स्पष्ट रूप से दो विशेषाधिकारों का उल्लेख किया गया है। ये हैं: संसद में वाक्-स्वतंत्रता और इसकी कार्यवाही के प्रकाशन का अधिकार।
  • संविधान में विनिर्दिष्ट विशेषाधिकारों के अतिरिक्त, सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 में सदन या उसकी समिति की बैठक के दौरान तथा इसके आरंभ होने से चालीस दिन पूर्व और इसकी समाप्ति के चालीस दिन पश्चात सिविल प्रक्रिया के अंतर्गत सदस्यों की गिरफ्तारी और उन्हें निरुद्ध किए जाने से स्वतंत्रता का उपबंध किया गया है।

विशेषाधिकार हनन के खिलाफ प्रस्ताव:

सांसदों को प्राप्त किसी भी अधिकार और उन्मुक्ति की अवहेलना करने पर, इस अपराध को विशेषाधिकार हनन कहा जाता है, और यह संसद के कानून के तहत दंडनीय होता है।

  • किसी भी सदन के किसी भी सदस्य द्वारा विशेषाधिकार हनन के दोषी व्यक्ति के खिलाफ एक प्रस्ताव के रूप में एक सूचना प्रस्तुत की जा सकती है।

लोकसभा अध्यक्ष / राज्य सभा अध्यक्ष की भूमिका:

विशेषाधिकार प्रस्ताव की जांच के लिए, लोकसभा अध्यक्ष / राज्य सभा अध्यक्ष, पहला स्तर होता है।

  • लोकसभा अध्यक्ष / राज्यसभा अध्यक्ष, विशेषाधिकार प्रस्ताव पर स्वयं निर्णय ले सकते हैं या इसे संसद की विशेषाधिकार समिति के लिए संदर्भित कर सकते हैं।
  • यदि लोकसभा अध्यक्ष / राज्यसभा अध्यक्ष, संगत नियमों के तहत प्रस्ताव पर सहमति देते हैं, तो संबंधित सदस्य को प्रस्ताव के संदर्भ में एक संक्षिप्त वक्तव्य देने का अवसर दिया जाता है।

प्रयोज्यता:

  • संविधान में, उन सभी व्यक्तियों को भी संसदीय विशेषाधिकार प्रदान किए गए है, जो संसद के किसी सदन या उसकी किसी समिति की कार्यवाही में बोलने और भाग लेने के हकदार हैं। इन सदस्यों में भारत के महान्यायवादी और केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं।
  • हालांकि, संसद का अभिन्न अंग होने बावजूद, राष्ट्रपति को संसदीय विशेषाधिकार प्राप्त नहीं होते हैं। राष्ट्रपति के लिए संविधान के अनुच्छेद 361 में विशेषाधिकारों का प्रावधान किया गया है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि न्यायमूर्ति एम.एन. वेंकटचलैया की अध्यक्षता में गठित संविधान समीक्षा आयोग द्वारा विधायिकाओं के स्वतंत्र रूप से कामकाज करने हेतु विशेषाधिकारों को परिभाषित और सीमाबद्ध किए जाने की सिफारिश की गई थी? आयोग की गई अन्य सिफारिशों के बारे में अधिक जानने हेतु  देखें:

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. संविधान के कौन से प्रावधान विधायिका के विशेषाधिकारों की रक्षा करते हैं?
  2. विधायिका के विशेषाधिकार के कथित उल्लंघन के मामलों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया क्या है?
  3. संसद और राज्य विधानमंडलों में विशेषाधिकार समितियों की संरचना और कार्य
  4. विधायिका के विशेषाधिकार हनन का दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के लिए क्या सजा है?
  5. क्या राज्य विधानसभाओं के विशेषाधिकार हनन से जुड़े मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप कर सकते हैं?

मेंस लिंक:

विधायिका के विशेषाधिकारों से आप क्या समझते हैं? भारत में समय-समय पर देखी जाने वाली विधायिका विशेषाधिकारों की समस्या पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उद्देश्य, कार्यप्रणाली, सीमाएं, सुधार; बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे; प्रौद्योगिकी मिशन; पशुपालन का अर्थशास्त्र।

वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC)


(One Nation One Ration Card)

संदर्भ:

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ (One Nation One Ration Card) प्रणाली लागू करने का निर्देश दिया है।

‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ (ONORC) क्या है?

ONORC योजना का उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम’, 2013 (National Food Security Act, 2013) के तहत देश में कहीं भी किसी भी उचित मूल्य की दुकान से रियायती राशन सामग्री खरीदने में सक्षम बनाना है।

  • यह योजना अगस्त, 2019 में आरंभ की गई थी।
  • अब तक, ONORC योजना में 32 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में शामिल हो चुके हैं, जिनमें लगभग 69 करोड़ NFSA लाभार्थीयों को कवर किया गया हैं। चार राज्य – असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली और पश्चिम बंगाल- अभी इस योजना में शामिल नहीं हुए हैं।

कार्यान्वयन:

पुरानी ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ (PDS) में सुधार करने को बढ़ावा देने हेतु केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है।

  • यही तक कि, केंद्र सरकार ने, पिछले साल कोविड -19 महामारी के दौरान राज्यों द्वारा अतिरिक्त ऋण लेने के लिए, ONORC योजना लागू करने को एक पूर्व शर्त के रूप में निर्धारित कर दिया था।
  • ONORC सुधार लागू करने वाले 17 राज्यों के लिए 2020-21 में 37,600 करोड़ रुपए का अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति दी गई थी।

ONORC की कार्यविधि:

‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ (ONORC) प्रणाली, एक तकनीक पर आधारित है, जिसमे लाभार्थियों का राशन कार्ड, आधार संख्या और इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ़ सेल (electronic Points of Sale- ePoS) का विवरण होता है।

  • इस प्रणाली में उचित मूल्य की दुकानों पर ePos उपकरणों पर बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से लाभार्थी की पहचान की जाती है।
  • यह प्रणाली, ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन’ (Integrated Management of Public Distribution System: IM-PDS) तथा ‘अन्नवितरण’ (Annavitran) नामक दो पोर्टलों के सहयोग से कार्य करती है। इन पोर्टलों में सभी प्रासंगिक आंकड़े दर्ज रहते है। ,

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013:

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013, भारत सरकार के मौजूदा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए कानूनी अधिकारों में परिवर्तित हो गया है।

  • इसमें ‘मध्याह्न भोजन योजना’, ‘एकीकृत बाल विकास सेवा योजना’ और ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ जैसे कार्यक्रम शामिल है।
  • इस अधिनियम में मातृत्व संबंधी अधिकारों को मान्यता प्रदान की गई है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

हालांकि भारतीय संविधान में ‘भोजन के अधिकार’ के संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, किंतु संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित ‘जीवन के मौलिक अधिकार’ की व्याख्या में ‘मानवीय गरिमा के साथ जीने के अधिकार’ को शामिल किया जा सकता है, जिसमें भोजन का अधिकार और अन्य बुनियादी आवश्यकताएं भी शामिल की जा सकती हैं। अनुच्छेद 21 के अधीन आने वाले अन्य मौलिक अधिकारों के बारे में जानने हेतु पढ़ें: 

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. TPDS के बारे में
  2. योजना के तहत खाद्य सुरक्षा भत्ता किसे प्रदान किया जाता है?
  3. अधिनियम के तहत दंड प्रावधान
  4. मातृत्व लाभ संबंधित प्रावधान
  5. एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना का अवलोकन
  6. मध्याह्न भोजन (MDM) योजना का अवलोकन
  7. योजना के तहत पात्र परिवारों की पहचान

मेंस लिंक:

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

 सरकार द्वारा सिप्ला को मॉर्डना वैक्सीन आयात करने की मंजूरी


संदर्भ:

हाल ही में, भारत के औषधि महानियंत्रक (Drugs Controller General of India DCGI) द्वारा मुंबई स्थित प्रमुख दवा कंपनी ‘सिप्ला’ (CIPLA) को ‘माडर्ना’ (Moderna) की कोरोना वैक्सीन का आयात करने की अनुमति प्रदान की गयी है।

कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक के बाद ‘माडर्ना’ की वैक्सीन भारत में उपलब्ध होने वाली कोरोना की चौथी वैक्सीन होगी।

‘माडर्ना’ की वैक्सीन के बारे में:

इस वैक्सीन को ‘mRNA-1273’ नाम से ‘माडर्ना टीएक्स, इंक’ (Moderna TX, Inc) द्वारा निर्मित की जा रही है, और यह दो खुराक वाली वैक्सीन है, जिनके लिए 28 दिनों के अंतराल दिया जाता है।

  • मैसेंजर RNA टीका, जिसे mRNA वैक्सीन भी कहा जाता है, वैक्सीन का एक नया तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म है।
  • mRNA वैक्सीन, मानव कोशिकाओं को, मानव शरीर के भीतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्प्रेरित करने वाले ‘प्रोटीन’ अथवा ‘वायरल प्रोटीन के एक सूक्ष्म अंश’ का स्वतः उत्पादन करने के लिए सिखाती है।
  • सभी टीकों की तरह, mRNA टीकों का लाभ यह है, टीका लेने वाले लोग, कोविड -19 से बीमार होने और इसके गंभीर परिणामों से सुरक्षित हो जाते हैं।

दवाओं के अनुमोदन हेतु नियमित प्रक्रिया:

टीकों, दवाओं तथा नैदानिक परीक्षणों (Diagnostic Tests) और चिकित्सा उपकरणों को रोगियों पर इस्तेमाल किये जाने से पहले एक विनियामक प्राधिकरण का अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होता है।

  • इसके लिए भारत में विनियामक प्राधिकरण, ‘केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन’ (Central Drugs Standard Control Organization- CDSCO) है।
  • टीकों और दवाओं को, परीक्षणों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर इनकी सुरक्षा और प्रभावशीलता के आकलन के बाद अनुमोदन प्रदान किया जाता है।

‘आपातकालीन उपयोग अधिकार’ (EUA) कब प्रदान किया जा सकता है?

भारत में अमेरिका या ब्रिटेन की विनियामक प्रक्रियाओं की भांति ‘आपातकालीन उपयोग अधिकार’ (EUA) संबधी कोई प्रावधान नहीं है, और इसे हासिल करने की कोई स्पष्ट तथा सुसंगत प्रकिया भी नहीं है।

किंतु, नई ‘औषध एवं चिकित्सीय परीक्षण नियमावली’ (New Drugs and Clinical Trials Rules), 2019 में फार्मास्युटिकल कंपनियों को भारत में नई दवाओं या टीकों के ‘क्लिनिकल ट्रायल’ के लिए मंजूरी हासिल करने संबंधी प्रावधान किया गया है।

  • किसी घोषित आपात स्थिति में, विनियामक, ‘भारत के औषधि महानियंत्रक’ (DCGI), किसी ऐसी दवा या वैक्सीन, जिसकी प्रभावकारिता और सुरक्षा का पूरी तरह से परीक्षण नहीं किया गया है, का उपयोग किए जाने के संबंध में निर्णय ले सकते हैं।
  • यदि किसी दवा या वैक्सीन के बारे में ऐसे साक्ष्य प्राप्त होते हैं कि इससे रोगियों को लाभ हो सकता है, तो विनियामक, ‘आपातकालीन उपयोग अधिकार-पत्र’ जारी करने की शक्ति के तहत, संबंधित चिकित्सीय उत्पाद को व्यापक रूप से उपयोग हेतु उपलब्ध कराए जाने की अनुमति दे सकता है।

मात्र ‘आपातकालीन उपयोग अधिकार’ प्राप्त उत्पादों के उपयोग संबंधी जोखिम:

  • अमेरिकी एफडीए (FDA) के अनुसार, ऐसे उत्पादों के इस्तेमाल से पहले, जनता को यह सूचित किया जाना चाहिए कि, उत्पाद को मात्र ‘आपातकालीन उपयोग अधिकार’ (EUA) दिया गया है तथा इसे पूर्ण अनुमोदन प्राप्त नहीं है।
  • कोविड-19 वैक्सीन के मामले में, उदाहरण के लिए, लोगों को वैक्सीन के ज्ञात और संभावित लाभों और जोखिमों, तथा किस हद तक इसके लाभ या जोखिम अज्ञात है, के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही जनता को ‘वैक्सीन के लिए मना करने संबंधी अधिकार’ के बारे में भी बताया जाना चाहिए।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं, RNA वैक्सीन, निष्क्रिय टीके, लाइव-एटेन्यूएटेड वैक्सीन आदि भी टीकों के अन्य प्रकार होतें है? इनके बारे में जानने हेतु यहाँ पढ़ें, 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. वैक्सीन राष्ट्रवाद क्या है?
  2. कोविड -19 रोग के उपचार में किन दवाओं का उपयोग किया जा रहा है?
  3. SARS- COV 2 का पता लगाने हेतु किए जाने वाले विभिन्न परीक्षण
  4. mRNA क्या है?

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

ओपेक और तेल की बढ़ती कीमतें


(OPEC and rising oil prices)

संदर्भ:

भारत द्वारा तेल निर्यातक देशों को तेल की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए राजी करने पर कार्य किया जा रहा है, साथ ही भारत ने चेतावनी देते हुए कहा है, कि तेल ऊँची कीमतों की वजह से उसके लिए ईरान जैसे वैकल्पिक आयात स्रोतों की ओर रूख करना पड़ सकता है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और उसके सहयोगियों (OPEC+) द्वारा 1 जुलाई को वैश्विक मांग में उछाल को देखते हुए आपूर्ति-कटौती में संभावित ढील देने पर चर्चा किए जाने की संभवना है।

भारत के समक्ष वर्तमान चुनौतियाँ:

  1. कई राज्यों में पेट्रोल की खुदरा कीमतें ₹100 प्रति लीटर को पार चुकी हैं और इसकी मौजूदा कीमत काफी चुनौतीपूर्ण है।
  2. खपत में सुधार होने और मांग के हिसाब से आपूर्ति कम होने की वजह से, हाल के दिनों में, अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतें 75 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गई हैं। यह अप्रैल 2019 के बाद सबसे ज्यादा कीमत है।
  3. तेल की ऊंची कीमतों से मुद्रास्फीति-दबाव में वृद्धि हो रही है।
  4. भारत के द्वारा, तेल की कम कीमतों का फायदा उठाकर पिछले साल तैयार किए गए सामरिक खनिज तेल भंडार ख़त्म हो रहे हैं।
  5. पेट्रोल और डीजल की कीमतों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने का प्रमुख कारण, पेट्रोल और डीजल पर केंद्र और राज्य द्वारा की गयी कर-वृद्धि भी है।
  6. पिछले सात वर्षों में भारत की तेल मांग में भी 25% की वृद्धि हुई है, जोकि किसी भी अन्य प्रमुख खरीदार देश से ज्यादा है।

ओपेक का प्रभाव

सऊदी अरब जैसे ओपेक (OPEC) राष्ट्र, भारत के परंपरागत रूप से प्रमुख तेल स्रोत रहे हैं। किंतु ओपेक और उसके सहयोगी देशों (ओपेक +) द्वारा विश्व के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक अर्थात भारत की आपूर्ति में ढील देने संबंधी मांग को अनदेखा कर दिया गया है।

  • इस वजह से भारत को कच्चे तेल के आयात में विविधता लाने के लिए नए स्रोतों को उपयोग करना पड़ रहा है।
  • इसके परिणामस्वरूप, भारत के तेल आयात में ओपेक की हिस्सेदारी मई में घटकर लगभग 60 प्रतिशत रह गई है, जबकि इसके पिछले महीने के यह 74 प्रतिशत थी।

भारत का तेल आयात:

  1. भारत, कच्चे तेल का विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
  2. इराक के बाद सऊदी अरब, भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश है।

सामरिक खनिज तेल भंडार संबंधी भारत की योजना:

इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स लिमिटेड (ISPRL) द्वारा पूर्वी तट पर विशाखापत्तनम (1.33 MMT) और पश्चिमी तट पर मंगलुरु (1.5 MMT) और पादुर (2.5 MMT) में विशाल भूमिगत शैल कंदराओं में तीन सामरिक पेट्रोलियम भंडार निर्मित किए गए हैं।

  1. ISPRL, पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन ‘तेल उद्योग विकास बोर्ड’ (Oil Industry Development Board OIDB) की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है।
  2. हाल ही में अनुमोदित ये नए पेट्रोलियम भंडार, लगभग 12 दिनों के लिए अतिरिक्त आपूर्ति प्रदान करने में सक्षम हैं।
  3. भारत सरकार द्वारा ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी’ के माध्यम से योजना के दूसरे चरण में चंडीखोल (ओडिशा) और उडुपी (कर्नाटक) में इसी प्रकार के दो और भूमिगत भंडार स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है।
  4. इस प्रकार, ISPR द्वारा 22 दिनों (10+12) तक तेल की आपूर्ति की जा सकेगी।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘ब्रेंट क्रूड कीमत’ (Brent crude price), पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) द्वारा उपयोग की जाने वाली अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क कीमत है, जबकि अमेरिकी तेल की कीमतों के लिए ‘वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट’ (WTI), कच्चे तेल की बेंचमार्क कीमत है? क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर है? इसे पढ़ें: 

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. कच्चे तेल और उसके उपोत्पादों के बारे में
  2. ओपेक क्या है?
  3. ओपेक प्लस के बारे में
  4. ISPRL के बारे में

मेंस लिंक:

सामरिक पेट्रोलियम भंडार पर भारत की योजना पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

श्रीलंका की भारत के साथ 1 बिलियन डॉलर के मुद्रा विनिमय समझौता पर निर्भरता


संदर्भ:

श्रीलंका, इस वर्ष अपने ऋण-चुकौती दायित्वों को पूरा करने और मौजूदा आर्थिक संकट पर काबू पाने के लिए भारत के साथ हुए 1 बिलियन डॉलर के मुद्रा विनिमय (Currency Swap) समझौता पर आश्रित है।

कुछ महीने पूर्व श्रीलंका द्वारा SAARC सुविधा के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक के साथ 400 मिलियन डॉलर का मुद्रा विनिमय किया गया था।

पृष्ठभूमि:

श्रीलंका, अपने ऋण सेवा दायित्वों के साथ-साथ ‘विदेशी मुद्रा संकट’ का सामना कर रहा है।

‘मुद्रा विनिमय समझौता’ क्या होता है?

मुद्रा विनिमय समझौता (Currency Swap Arrangement- CSA), दो मैत्रीपूर्ण संबधो वाले देशों के मध्य  अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने की एक व्यवस्था होती है।

  • इस व्यवस्था के अनुसार, दोनों देश अमेरिकी डॉलर की तरह तीसरे देश की मुद्रा में लाए बिना, पूर्व निर्धारित विनिमय दरों पर आयात और निर्यात व्यापार हेतु भुगतान करते हैं।
  • मुद्रा विनिमय समझौता द्विपक्षीय या बहुपक्षीय हो सकता है।

सार्क देशों के लिए मुद्रा स्वैप व्यवस्था संबंधी आरबीआई की रूपरेखा:

सार्क मुद्रा स्वैप सुविधा (SAARC currency swap facility) 15 नवंबर 2012 को परिचालन में आई थी।

  • 2019-22 के लिए रूपरेखा के तहत, भारतीय रिज़र्व बैंक 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समग्र कोष के भीतर स्वैप की व्यवस्था जारी रखेगा।
  • इसके तहत, मुद्रा स्वैप आहरण अमेरिकी डॉलर, यूरो या भारतीय रुपए में किए जा सकता है। यह रूपरेखा भारतीय रुपए में स्वैप आहरण करने पर कुछ रियायतें प्रदान करती है।
  • मुद्रा स्वैप सुविधा, सभी सार्क सदस्य देशों के लिए, उनके द्विपक्षीय स्वैप समझौतों पर हस्ताक्षर करने पर उपलब्ध होगी।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप ‘करेंसी फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स’ के बारे में जानते हैं? उनका उपयोग विदेशी मुद्रा विनिमय जोखिम से सुरक्षा प्रदान करने हेतु किया जाता है। इसके बारे में अधिक जानने हेतु देखें: 

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘करेंसी स्वैप’ क्या है?
  2. यह किस प्रकार किया जाता है?
  3. सार्क मुद्रा स्वैप सुविधा के बारे में

मेंस लिंक:

‘मुद्रा विनिमय व्यवस्था’ के महत्व की विवेचना कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

 यूरोपीय संघ का नया ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ कार्यक्रम


संदर्भ:

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन को, यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) द्वारा अपने “वैक्सीन पासपोर्ट” कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया है। यह ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ लोगों को मुक्त रूप से यूरोप में आने और इससे बाहर जाने की अनुमति देता है।

इस प्रयोजन के लिए EMA द्वारा अनुमोदित टीके:

यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) की सूची में केवल चार टीकों को शामिल किया गया है:

  1. वैक्सजेवरिया (ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका),
  2. कोमिरनाटी (फाइजर-बायोएनटेक),
  3. स्पाइकवैक्स (मॉडर्ना) और
  4. जेनसेन (जॉनसन एंड जॉनसन)

यूरोपीय संघ में यात्रा प्रतिबंधों को आसान करने वाला ‘ग्रीन पास’ क्या है?

‘ग्रीन पास’ (Green Pass) के रूप में प्रचलित, यूरोपियन यूनियन का ‘डिजिटल कोविड सर्टिफिकेट’ है, इसे जनता की यात्रा संबंधी स्वतंत्रता को बहाल करने और महामारी के कारण विभिन्न देशों में प्रवेश करने पर आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए तैयार किया गया है।

  • यह ‘ग्रीन पास’, कोविड-19 के खिलाफ किसी व्यक्ति के टीकाकरण किए जाने अथवा नकारात्मक टेस्ट रिजल्ट आने या वायरल संक्रमण से ठीक होने का डिजिटल प्रमाण है। यह दस्तावेज़ यूरोपीय संघ के सभी देशों में मान्य है।
  • हालाँकि, ’ग्रीन पास’ का उद्देश्य लोगों के लिए प्रतिबंधों को हटाकर यात्रा-अनुभव को बाधा-रहित बनाना है, फिर भी यह सभी लोगो के लिए अनिवार्य नहीं है।

 

कोविशील्ड’ को इस सूची में क्यों शामिल नहीं किया गया है?

‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ द्वारा अभी तक ‘कोविशील्ड’ को मंजूरी प्रदान करने के लिए आवेदन नहीं किया गया है।

  • हालांकि, वैक्सज़ेवरिया (Vaxzevria) भी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई है, और EMA द्वारा अनुमोदित टीकों में शामिल है, किंतु एस्ट्राजेनेका द्वारा ही विकसित ‘कोविशील्ड’ को EMA की सूची में शामिल नही किया गया है।
  • ऐसा इसलिए है, क्योंकि EMA टीकों को सूची में शामिल करते समय स्थानीय विनिर्माण सुविधाओं को भी ध्यान में रखता है। भले ही वैक्सीन एक ही हो, किंतु एक ही उत्पाद के विभिन्न निर्माताओं को EMA से अनुमोदन हासिल करने हेतु अलग-अलग आवेदन करना आवश्यक होता है।

वैक्सीन पासपोर्ट’ पर भारत का रवैया:

हालांकि यूरोपीय संघ ने यह स्पष्ट कर दिया है, कि “ग्रीन पास” अनिवार्य नहीं होगा, फिर भी इस मुद्दे ने एक बार फिर ‘निजता और नैतिकता’ संबंधी विषयों पर बहस छेड़ दी है।

  • ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ को काफी हद तक ‘स्थिति के सामान्य होने’ का टिकट माना जा रहा है, किंतु इससे घुसपैठ, निजता और मुक्त आवाजाही के अधिकार पर नियंत्रण लगाने संबंधी बड़ी चिंताएं भी उत्पन्न हुई हैं।
  • G7 देशों की हालिया बैठक में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा भारत की ओर से ‘इस समय वैक्सीन पासपोर्ट का कड़ा विरोध’ दर्ज कराया गया था।

बड़ी चिंता का विषय:

विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में, जनसंख्या प्रतिशत के रूप में वैक्सीन कवरेज अभी भी काफी कम है, और इस तरह की पहल अत्यधिक भेदभावपूर्ण साबित हो सकती है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि वैक्सीन पासपोर्ट का इतिहास ‘एडवर्ड जेनर’ द्वारा 1796 में पहली ज्ञात वैक्सीन के विकास से जुड़ा है?  यह टीका ‘चेचक’ की रोकथाम के लिए विकसित किया गया था। इसके बारे में संक्षेप में पढ़ें: 

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. वैक्सीन पासपोर्ट के बारे में।
  2. किन देशों में यह सुविधा शुरू की गई है।

मेंस लिंक:

वैक्सीन पासपोर्ट कार्यक्रमों से जुड़ी चिंताओं पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


हिमनद झील एटलस

(Atlas of glacial lakes)

हाल ही में, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा गंगा नदी घाटी का अद्यतन हिमनद झील एटलस (Glacial Lakes Atlas) जारी किया गया है।

  • इस एटलस में, गंगा बेसिन की लगभग 4,707 हिमनद झीलों का मानचित्रण किया गया है।
  • इस अध्ययन में रिसोर्ससैट-2 (Resourcesat-2) लीनियर इमेजिंग सेल्फ स्कैनिंग सेंसर-IV (LISS-IV) उपग्रह डेटा का उपयोग करके 25 हेक्टेयर से अधिक जल प्रसार क्षेत्र वाली ग्लेशियल झीलों का मानचित्रण किया गया है।
  • यह एटलस, नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC), इसरो के भुवन पोर्टल पर उपलब्ध है।

कड़कनाथ

(Kadaknath)

कड़कनाथ या काली मासी, पश्चिमी मध्य प्रदेश के झाबुआ और धार जिलों से पाई जाने वाले मुर्गों की एक नस्ल है।

  • वर्ष 2017 में इसके लिए GI टैग प्रदान किया गया था।
  • यह अपने काले मांस के लिए काफी लोकप्रिय है और मांस की गुणवत्ता, बनावट, स्वाद और उत्कृष्ट औषधीय मूल्यों के लिए प्रसिद्ध है।
  • इसके मांस में कम कोलेस्ट्रॉल और प्रोटीन की उच्च मात्रा पाई जाती है।


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