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विषयसूची
सामान्य अध्ययन–II
1. संसद सत्र
2. मुल्लापेरियार बांध विवाद
3. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग
4. डेंगू बुखार
5. जीका वायरस
6. यूनेस्को रचनात्मक शहरों का नेटवर्क
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव
सामान्य अध्ययन–I
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
संसद सत्र
(Sessions of Parliament)
संदर्भ:
हाल ही में, संसदीय मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Parliament Affairs – CCPA) ने संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक आयोजित करने की सिफारिश की है।
विदित हो कि, कोविड-19 महामारी के चलते पिछले साल संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं किया जा सका था और बजट सत्र तथा मॉनसून सत्र को भी छोटा कर दिया गया था।
संसद सत्रों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
अनुच्छेद 85 के अनुसार, संसद के दो सत्रों के मध्य ‘छह महीने से अधिक’ का अंतराल नहीं होना चाहिए।
- कृपया ध्यान दें, संविधान यह निर्दिष्ट नहीं करता है, कि संसद का सत्र कब या कितने दिनों के लिए होना चाहिए।
- संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल छह महीने से अधिक नहीं हो सकता है। अर्थात, एक वर्ष में कम से कम दो बार संसद की बैठक होना अनिवार्य है।
- संसद का ‘सत्र’, सदन की पहली बैठक और उसके सत्रावसान के मध्य की अवधि होती है।
‘सत्र’ किसके द्वारा आहूत किया जाता है?
सैद्धांतिक तौर पर, राष्ट्रपति समय-समय पर, संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा। किंतु,
- व्यवहारिक तौर पर, संसद की बैठक की तारीखों के संबंध में ‘संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति, जिसमें वरिष्ठ मंत्री शामिल होते हैं, निर्णय लेती है और फिर इसे राष्ट्रपति को अवगत कराती है।
- अतः, प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में कार्यपालिका के पास, राष्ट्रपति को संसद सत्र आहूत करने की सलाह देने की शक्ति होती है।
संसदीय सत्र का महत्व:
- विधि-निर्माण अर्थात क़ानून बनाने के कार्य संसदीय सत्र के दौरान किए जाते है।
- इसके अलावा, सरकार के कामकाज की गहन जांच और राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श केवल संसद के दोनों सदनों में जारी सत्र के दौरान ही किया जा सकता है।
- एक अच्छी तरह से काम कर रहे लोकतंत्र के लिए संसदीय कार्य-पद्धति का पूर्वानुमान होना आवश्यक होता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप सदन के सदस्यों के निलंबन के संबंध में अध्यक्ष और सभापति की शक्तियों में अंतर जानते हैं? इस बारे में जानकारी हेतु पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- संसद सत्र को आहूत करने की शक्ति किसे प्राप्त है?
- अनुच्छेद 85
- ‘अनिश्चित काल के लिए स्थगन’ क्या होता है?
- एक वर्ष में संसद को कितने दिनों तक बैठक करना अनिवार्य है?
- संसद के संयुक्त सत्र की अध्यक्षता कौन करता है?
मेंस लिंक:
संसदीय सत्र के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
मुल्लापेरियार बांध विवाद
(Mullaperiyar Dam Issue)
संदर्भ:
हाल ही में, केरल सरकार द्वारा बाँध के ढाँचे को मजबूत करने के प्रयासों के तहत, मुल्लापेरियार जलाशय पर ‘बेबी बांध’ (Baby Dam) के निचले हिस्से में 15 पेड़ों को काटने हेतु तमिलनाडु के लिए अनुमति देने का अपना निर्णय वापस ले लिया गया है। राज्य सरकार ने कहा कि इस कदम को मंजूरी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वर्तमान विवाद:
कृपया ध्यान दें, बाँध के ढाँचे की स्थिरता को लेकर केरल व तमिलनाडु, दोनों राज्यों में तकरार रहती है। केरल एक नया बांध बनाए जाने की मांग कर रहा है और तमिलनाडु का कहना है, कि नए बाँध की कोई जरूरत नहीं है। इसके अलावा, केरल द्वारा ढाँचे की स्थिरता का हवाला देते हुए बांध में जल-स्तर बढ़ाने का विरोध किया जा रहा है।
पृष्ठभूमि:
पिछले महीने, केरल में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ‘मुल्लापेरियार बांध’ (Mullaperiyar dam) में अधिकतम जल स्तर बनाए रखने संबंधी विषय पर ‘पर्यवेक्षी समिति’ (Supervisory Committee) को तत्काल और ठोस निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 में, मुल्लापेरियार बांध से संबंधित सभी मामलों का निरीक्षण करने हेतु एक स्थायी ‘पर्यवेक्षी समिति’ का गठन किया था। यह बांध तमिलनाडु और केरल के बीच टकराव का एक कारण है।
जलाशय में अधिकतम जल स्तर संबंधी विवाद:
केरल का कहना है कि, बाँध में ‘जल स्तर’ 139 फीट से ऊपर नहीं जाना चाहिए। जब वर्ष 2018 में राज्य बाढ़ की चपेट में था, उस समय 24 अगस्त, 2018 को अदालत ने भी अधिकतम जल-स्तर 139 फीट रखे जाने का आदेश दिया था। इसकी वजह यह है, कि यदि बाँध के जल स्तर में इससे अधिक की वृद्धि की जाती है, तो इससे 50 लाख लोगों की जान को खतरा हो सकता है।
हालांकि, तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए पिछले फैसलों का हवाला देते हुए, केरल के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2006 और 2014 में दिए गए फैसलों में अधिकतम जल स्तर 142 फीट तय किया गया था।
मुल्लापेरियार बांध– महत्वपूर्ण तथ्य:
यद्यपि, मुल्लापेरियार बांध केरल में स्थित है, किंतु, वर्ष 1886 में त्रावणकोर के महाराजा तथा भारत के राज्य सचिव के मध्य, पेरियार सिंचाई कार्यों के लिए 999 वर्षों के लिए पट्टा अनुबंधपत्र (lease indenture), जिसे ‘पेरियार लेक लीज एग्रीमेंट’ भी कहा जाता है, पर हस्ताक्षर करने के बाद से इसका परिचालन तमिलनाडु द्वारा किया जाता है।
- इसका निर्माण वर्ष 1887 और 1895 के मध्य किया गया था, इस बाँध से अरब सागर की बहने वाली नदी की धारा को मोड़कर बंगाल की खाड़ी की ओर प्रवाहित किया गया था, इसका उद्देश्य मद्रास प्रेसीडेंसी में मदुरई शुष्क वर्षा क्षेत्र को सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराना था।
- यह बांध केरल के इडुक्की ज़िले में मुल्लायार और पेरियार नदियों के संगम पर स्थित है।
तमिलनाडु का पक्ष:
तमिलनाडु का कहना है कि, बाँध को बांध को मजबूत करने के उपाय किए जा चुके हैं, किंतु केरल सरकार जलाशय के जल स्तर को बढ़ाने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न कर रही है, जिससे मदुरै के किसानों को नुकसान हो रहा है।
केरल का पक्ष:
केरल, बाँध के प्रवाह की दिशा में स्थिति इडुक्की के भूकंप-प्रवण जिले के निवासियों द्वारा तबाही की आशंकाओं को लेकर चिंतित है।
वैज्ञानिकों का कहना है, कि इस क्षेत्र में रिक्टर पैमाने पर छह माप से ऊपर भूकंप आने पर, तीन मिलियन से अधिक लोगों का जीवन गंभीर खतरे में पड़ जाएगा।
इंस्टा जिज्ञासु:
‘रुल कर्व’ क्या होता है?
‘रुल कर्व’ (rule curve), किसी बांध के जलाशय में उतार-चढ़ाव के स्तर को तय करता है। बांध के गेट खोलने का कार्यक्रम ‘रुल कर्व’ पर आधारित होता है। यह किसी बांध के ‘मुख्य सुरक्षा’ तंत्र का हिस्सा होता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- मुल्लायार और पेरियार नदियो की अवस्थिति
- मुल्लापेरियार बांध की अवस्थिति?
- बांध का प्रबंधन कौन करता है?
- पेरियार लेक लीज एग्रीमेंट, 1886 के बारे में।
- अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 (IRWD अधिनियम) के बारे में।
मेंस लिंक:
मुल्लापेरियार बांध का मुद्दा तमिलनाडु और केरल के बीच विवाद का कारण क्यों बन गया है, परीक्षण कीजिए। क्या केंद्र सरकार इस मुद्दे को हल करने में मदद कर सकती है? परीक्षण कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग
संदर्भ:
निष्पक्ष व्यापार नियामक ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ (Competition Commission of India – CCI) द्वारा अपने द्वारा किए गए बाजार अध्ययन के निष्कर्षों का विश्लेषण करने के पश्चात दवाओं की वहनीयता सुनिश्चित करने हेतु देश के फार्मास्युटिकल क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने संबंधी उपायों को चिह्नित किया जाएगा।
आवश्यकता:
‘उपभोक्ताओं के लिए प्रभावी विकल्पों के अभाव’ जैसे मुद्दों को देखते हुए ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ (CCI) द्वारा बाजार का एक अध्ययन शुरू किया गया है।
वर्तमान में ऐसा प्रतीत होता है कि, जब दवाओं की बात आती है, तो प्रतिस्पर्धा कीमतों के आधार पर होने की बजाय मुख्य रूप से ब्रांडों के आधार पर होती है। ‘प्रतिस्पर्धा आयोग’ का यह अध्ययन दवाओं की वहनीयता सुनिश्चित करने हेतु ‘प्रतिस्पर्धा’ बढ़ाने संबंधी उपायों की पहचान करेगा।
- भारत को वैश्विक फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल है तथा भारत वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है।
- भारतीय दवा उद्योग, विभिन्न टीकों की वैश्विक मांग का 50%, अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की मांग का 40% तथा यूनाइटेड किंगडम की दवा संबंधी कुल माँग के 25% भाग की आपूर्ति करता है।
- वर्तमान में, विश्व स्तर पर AIDS (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) से निपटने के लिए प्रयोग की जाने वाली 80% से अधिक एंटीरेट्रोवाइरल दवाईयां, भारतीय दवा कंपनियों द्वारा की जाती है।
- भारतीय फार्मास्यूटिकल्स बाजार, मात्रा के संदर्भ में विश्व का तीसरा और कीमतों के संदर्भ में तेरहवां सबसे बड़ा बाजार है। भारत, फार्मा क्षेत्र में एक वैश्विक विनिर्माण और अनुसंधान केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका है।
- भारत ने दवाओं की विनिर्माण लागत, अमेरिका की तुलना में कम और यूरोप की तुलना में लगभग आधी तथा विश्व में सबसे कम है।
भारतीय फार्मा उद्योग के समक्ष चुनौतियां:
- निर्भरता: भारतीय दवा उद्योग, दवाओं हेतु कच्चे माल के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर है। इन कच्चे माल को ‘सक्रिय औषधीय सामग्री’ (Active Pharmaceutical Ingredients- API) कहा जाता है, तथा इसे बल्क ड्रग्स के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय दवा निर्माता, अपनी कुल थोक दवा आवश्यकताओं का लगभग 70% चीन से आयात करते हैं।
- भारत में दवा कंपनियों की महंगी दवाइयों वाले ब्रांडों के नकली संस्करण: इन कंपनियों के व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव डालते है और यह एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा, नकली दवाइयों से अंतिम उपभोक्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न होता है।
भारत द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदम:
आत्मनिर्भरता का आह्वान: जून में, फार्मास्युटिकल्स विभाग द्वारा देश में तीन बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने के लिए एक योजना की घोषणा की गयी।
- बल्क ड्रग पार्क में, विशिष्ट रूप से सक्रिय दवा संघटकों (APIs), मध्यवर्ती दवाओं (DIs) और मुख्य शुरुआती सामग्री (KSM) के निर्माण हेतु सामूहिक अवस्थापना सुविधाओं सहित एक संस्पर्शी क्षेत्र निर्धारित किया जायेगा, इसके अलावा इसमें एक सामूहिक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली भी होगी।
- इन पार्कों से देश में बल्क ड्रग्स की विनिर्माण लागत कम होने और घरेलू बल्क ड्रग्स उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की उम्मीद है।
‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ के बारे में:
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI), भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है। इसकी स्थापना प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 (Competition Act, 2002) के तहत अधिनियम के प्रशासन, कार्यान्वयन और प्रवर्तन के लिए की गई थी और मार्च 2009 में इसका विधिवत गठन किया गया था। इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
प्रतिस्पर्धा आयोग के कार्य:
- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का कार्य, प्रतिस्पर्द्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले अभ्यासों को समाप्त करना, प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना और उसे जारी रखना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना तथा भारतीय बाज़ारों में व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है।
- आयोग, किसी क़ानून के तहत स्थापित किसी सांविधिक प्राधिकरण से प्राप्त संदर्भ पर प्रतिस्पर्द्धा संबंधी विषयों पर परामर्श प्रदान करता है, तथा प्रतिस्पर्द्धा की भावना को संपोषित करता है।
- इसके अतिरिक्त, आयोग द्वारा सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने संबंधी कार्य एवं प्रतिस्पर्द्धा के विषयों पर प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।
प्रतिस्पर्धा अधिनियम:
(The Competition Act)
राघवन समिति की सिफारिशों पर ‘एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार पद्धति अधिनियम’, 1969 (Monopolies and Restrictive Trade Practices Act, 1969) अर्थात MRTP एक्ट को निरस्त कर, इसके स्थान पर ‘प्रतिस्पर्धा अधिनियम’, 2002 लागू किया गया था।
प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 का संशोधित स्वरूप ‘प्रतिस्पर्धा (संशोधन) अधिनियम’, 2007, प्रतिस्पर्धा-रोधी करारों, उद्यमों द्वारा प्रभावी स्थिति के दुरूपयोग का निषेध करता है तथा संयोजनों (अधिग्रहण, नियंत्रण तथा M&A की प्राप्ति) को विनियमित करता है; इन संयोजनों के कारण भारत में प्रतिस्पर्धा पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है अथवा उसके पड़ने की संभावना हो सकती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा नेटवर्क’ के बारे में जानते हैं? कार्टेल, बाजार में ‘एकाधिकार’ प्रणाली से भी बदतर कैसे हो सकते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के बारे में
- प्रतिस्पर्धा अधिनियम की मुख्य विशेषताएं और इसमें संशोधन।
- NCLT और उसके अधिकार क्षेत्र के बारे में
- कार्टेलाइजेशन क्या है?
मेंस लिंक:
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिकाओं और कार्यों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
डेंगू बुखार
संदर्भ:
दिल्ली में डेंगू के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे है, नवंबर के पहले सप्ताह में डेंगू बुखार (Dengue fever) के कुल 1,171 मामले दर्ज किए गए थे। अक्टूबर महीने में राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू के मामलों की संख्या 1,196 थी।
किए जा रहे उपाय:
पूरी दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मामलों में वृद्धि को देखते हुए स्थानीय निकायों और अधिकारियों द्वारा अपने धूम्रीकरण / फॉगिंग (Fogging) और छिड़काव अभियान को तेज किया जा रहा है। नागरिकों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जा रहा है, कि उनके घरों के भीतर या आस-पास पानी का जमाव नहीं हो। पानी का जमा होना इन बीमारियों के लिए प्रजनन की जगह प्रदान करता है।
‘डेंगू’ के बारे में:
‘डेंगू वायरस (Dengue virus), मादा एडीज़ मच्छरों (Aedes mosquito) के काटने से फैलता है।
- एडीज़ मच्छर केवल दिन के समय काटते है, और अधिकतम 400 मीटर की दूरी तक उड़ने में सक्षम होते हैं।
- हालांकि मादा एडीज़ के काटने से आमतौर पर हल्की बीमारी ही होती है, लेकिन डेंगू का गंभीर संक्रमण कभी-कभी घातक साबित हो सकता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि हर साल 100-400 मिलियन डेंगू संक्रमण की वार्षिक घटनाएं होती हैं, इसकी वैश्विक घटनाओं में “हाल के दशकों में” नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है।
डेंगू की स्थिति:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हालिया दशकों के दौरान दुनिया भर में डेंगू संबंधी घटनाओं में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है, जिसमें से अधिकांश मामलों की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।
- WHO का अनुमान है कि डेंगू वायरस संक्रमण के प्रति वर्ष 39 करोड़ मामले होते हैं, जिनमें से 9.6 करोड़ मामलों में लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
- राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Vector-Borne Disease Control Programme – NVBDCP) के अनुसार, भारत में वर्ष 2018 में डेंगू के 1 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए जबकि वर्ष 2019 में इनकी संख्या 1.5 लाख से अधिक थी।
बैक्टीरिया में माध्यम से डेंगू पर नियंत्रण:
हाल ही में ‘वर्ल्ड मॉस्किटो प्रोग्राम’ (World Mosquito Program) के शोधकर्ताओं द्वारा इंडोनेशिया में डेंगू को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के लिए ‘वल्बाचिया बैक्टीरिया’ (Wolbachia bacteria) से संक्रमित मच्छरों का इस्तेमाल किया गया।
- वैज्ञानिकों ने कुछ मच्छरों को ‘वल्बाचिया बैक्टीरिया’ से संक्रमित किया और फिर उन्हें शहर में छोड़ दिया, जहां इन संक्रमित मच्छरों ने स्थानीय मादा मच्छरों के साथ प्रजनन किया, परिणामस्वरूप क्षेत्र के लगभग सभी मच्छर वल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित हो गए। इस पद्धति को ‘आबादी प्रतिस्थापन रणनीति’ (Population Replacement Strategy) कहा जाता है।
- 27 महीनों के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन क्षेत्रों में वल्बाचिया-संक्रमित मच्छरों को छोड़ा गया था, वहां अन्य क्षेत्रों की तुलना में, डेंगू के मामलों में 77% की गिरावट देखी गई।
इंस्टा जिज्ञासु:
- क्या आप जानते हैं, कि 16 डिग्री से कम तापमान पर डेंगू के मच्छर प्रजनन नहीं कर सकते हैं।
- क्या आपने डेंगू बुखार की घटनाओं को काफी कम करने के लिए उपयोगी “वल्बाचिया पद्धति” (Wolbachia method) के बारे में सुना है?
प्रीलिम्स लिंक:
- डेंगू- कारण, लक्षण और प्रसार
- ‘वोल्बाचिया पद्धति’ किससे संबंधित है?
- हाल ही में इस पद्धति का परीक्षण कहाँ किया गया था?
- ‘वर्ल्ड मॉस्किटो प्रोग्राम’ (WMP) के बारे में
मेंस लिंक:
हाल ही में चर्चित “वल्बाचिया पद्धति” पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
जीका वायरस
संदर्भ:
उत्तर प्रदेश में ‘जीका वायरस’ (Zika Virus) के मामलों की संख्या में हो रही वृद्धि को देखते हुए डॉक्टरों ने लोगों को, जिन क्षेत्रों में इस वायरस के मामले देखे गए हैं, उन स्थानों पर गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह दी जा रही है। वर्तमान में, राज्य में 90 के करीब व्यक्ति ‘जीका वायरस’ से संक्रमित पाए जा चुके हैं, जिनमे 17 बच्चे भीशामिल है।
चिंता का विषय:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी सूचना के अनुसार, जीका वायरस रोग से संक्रमित अधिकांश (80% तक) व्यक्ति या तो लक्षणहीन रहते हैं या उनमे बुखार, दाने, नेत्रश्लेष्मलाशोथ, शरीर में दर्द, जोड़ों के दर्द जैसे हल्के लक्षण दीखते हैं।
‘जीका वायरस’ के बारे में:
- ‘जीका वायरस’ (Zika virus) मुख्य रूप से एडीज प्रजाति (Aedes genus) के संक्रमित मच्छरों, मुख्यतः एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) के द्वारा फैलता है। इन एडीज मच्छरों की वजह से डेंगू, चिकनगुनिया और ‘पीला बुखार’ (Yellow Fever) भी फैलता है।
- इस वायरस को सबसे पहले वर्ष 1947 में युगांडा के बंदरों में देखा गया था।
संचरण:
मच्छरों के अलावा, यह वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के द्वारा भी फैल सकता है। जीका वायरस, किसी गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में, यौन संपर्क से, रक्त एवं रक्त उत्पादों के आधान (Transfusion) से और अंग प्रत्यारोपण के माध्यम से भी फ़ैल सकता है।
लक्षण:
- इसके लक्षणों में, आम तौर पर, बुखार, दाने, आँखों में जलन और सूजन (conjunctivitis) , मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द या सिरदर्द की शिकायत होती है। यह लक्षण दो से सात दिनों तक रहते हैं। कभी-कभी संक्रमित होने वाले अधिकांश लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं होते हैं।
- गर्भावस्था के दौरान ‘जीका वायरस ‘के संक्रमण से शिशु ‘माइक्रोसेफली’ (Microcephaly अर्थात ‘शिशु के सिर का आकार सामान्य से छोटा’) और अन्य जन्मजात विकृतियों के साथ पैदा हो सकते हैं। इनके लिए जन्मजात जीका सिंड्रोम कहा जाता है।
- जीका वायरस का अभी कोई इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है। WHO द्वारा इस बीमारी से शीघ्र से ठीक होने के लिए दर्द और बुखार की दवाओं के साथ-साथ बहुत सारे तरल पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि 2019 में ब्राजील के कुछ इलाकों में ट्रांसजेनिक मच्छरों को छोड़ा गया था। इस प्रयोग का उद्देश्य क्या था?
प्रीलिम्स लिंक:
- जीका वायरस के बारे में
- प्रसार
- लक्षण
- रोकथाम
स्रोत: द हिंदू।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
यूनेस्को रचनात्मक शहरों का नेटवर्क
(UNESCO creative cities network – UCCN)
संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने ‘शिल्प और लोक कला श्रेणी’ (Crafts and Folk Arts category) के अंतर्गत ‘रचनात्मक शहर नेटवर्क’ के हिस्से के रूप में श्रीनगर को 49 शहरों में शामिल किया है।
श्रीनगर को ‘कला और शिल्प के लिए’ रचनात्मक शहर नेटवर्क में शामिल किए जाने से, शहर के लिए यूनेस्को के माध्यम से वैश्विक स्तर पर अपने हस्तशिल्प का प्रतिनिधित्व करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
‘रचनात्मक शहर नेटवर्क’ के बारे में:
यूनेस्को के रचनात्मक शहर नेटवर्क (UNESCO creative cities network – UCCN) का गठन वर्ष 2004 में, सतत शहरी विकास के लिए एक रणनीतिक कारक के रूप में ‘रचनात्मकता’ को पहचान बनाने वाले शहरों के साथ और उनके बीच सहयोग को बढ़ावा देने हेतु के लिए किया गया था।
उद्देश्य: रचनात्मकता और सांस्कृतिक उद्योगों को स्थानीय स्तर पर उनकी विकास योजनाओं के केंद्र में रखना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रूप से सहयोग करना।
नेटवर्क में सात रचनात्मक क्षेत्रों को शामिल किया गया हैं: शिल्प एवं लोक कला, मीडिया कला, फिल्म, डिजाइन, गैस्ट्रोनॉमी, साहित्य और संगीत।
नेटवर्क से जुड़ने के पश्चात्, शहर, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के साथ-साथ ‘नागरिक समाज’ को शामिल करते हुए निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करने हेतु अपनी सर्वोत्तम पद्धतियों और विकासशील भागीदारी को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं:
- सांस्कृतिक गतिविधियों, वस्तुओं और सेवाओं के निर्माण, उत्पादन, वितरण और प्रसार को मजबूत करना;
- रचनात्मकता और नवाचार के केंद्र विकसित करना और सांस्कृतिक क्षेत्र में रचनाकारों और पेशेवरों के लिए अवसरों का विस्तार करना;
- विशेष रूप से हाशिए पर या कमजोर समूहों और व्यक्तियों के लिए सांस्कृतिक जीवन तक पहुंच और भागीदारी में सुधार;
- सतत विकास योजनाओं में संस्कृति और रचनात्मकता का पूरी तरह से एकीकरण।
नवंबर, 2019 तक, यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (UCCN) में शामिल पांच भारतीय शहर निम्नलिखित हैं:
- जयपुर-शिल्प और लोक कला (2015)
- वाराणसी-रचनात्मक संगीत का शहर (2015)
- चेन्नई-क्रिएटिव सिटी ऑफ म्यूजिक (2017)
- मुंबई – फिल्म (2019)
- हैदराबाद – गैस्ट्रोनॉमी (2019)
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं, कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर को ‘विश्व शहर दिवस’ (World Cities Day) के रूप में नामित किया है?
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव
- गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव- 2021 (Goa Maritime Conclave – GMC) के तीसरे संस्करण की मेजबानी नेवल वॉर कॉलेज, गोवा के तत्वावधान में की जा रही है।
- GMC के इस वर्ष के संस्करण “मेरीटाइम सिक्योरिटी एंड इमर्जिंग नॉन ट्रेडिशनल थ्रैट्स: ए केस फ़ॉर प्रोएक्टिव रोल फ़ॉर आईओआर नेवीज़” है, जिसे समुद्री क्षेत्र में ‘हर रोज़ शांति’ की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
- जीएमसी 2021 में, हिंद महासागर क्षेत्र के 12 देशों के नौसेना प्रमुखों/समुद्री बलों के प्रमुखों ने सम्मेलन में भाग लिया।
‘गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव’ एक बहुराष्ट्रीय मंच है, जहाँ अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा प्रदाताओं का सामूहिक जानकारी व अनुभव का आदान-प्रदान किया जाता है। कॉन्क्लेव के प्रतिभागी, विषय विशेषज्ञों और प्रख्यात वक्ताओं के साथ वार्ता से लाभान्वित होते हैं।
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