[ad_1]
विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
1. भारतीय स्मार्ट सिटी पुरस्कार 2020
2. प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)
सामान्य अध्ययन-II
1. गुजरात निषेध अधिनियम, 1949
2. अफ्रीकन स्वाइन फीवर
3. परमाणु स्थलों की तस्वीरें IAEA के साथ साझा नहीं की जाएंगी: ईरान
सामान्य अध्ययन-III
1. कारोबार और ऋण हेत उच्च सीमा से छोटी और मझोली कंपनियों को लाभ
2. सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास में भारत के समक्ष चुनौतियां
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. ड्रैगन मैन
2. बंगाल मॉनिटर
3. बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
सामान्य अध्ययन- I
विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।
भारतीय स्मार्ट सिटी पुरस्कार 2020
(India Smart Cities Awards)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वार ‘भारतीय स्मार्ट सिटी पुरस्कार’ (India Smart Cities Awards – ISCA) 2020 की सूची जारी की गई।
इन पुरस्कारों की घोषणा, शहरी विकास को बढ़ावा देने हेतु शरू की गई केंद्र सरकार की तीन पहलों के छह साल पूरे होने के उपलक्ष्य में की गई थी:
- स्मार्ट सिटीज मिशन (SCM)
- अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (AMRUT)
- प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U)
विभिन्न राज्यों और शहरों का प्रदर्शन:
- उत्तर प्रदेश, सभी राज्यों में शीर्ष पर रहा, इसके बाद मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का स्थान रहा।
- इंदौर (मध्य प्रदेश) और सूरत (गुजरात) ने इस साल अपने समग्र विकास के लिए संयुक्त रूप से शहरी पुरस्कार जीता है।
- अहमदाबाद के लिए ‘स्मार्ट सिटीज लीडरशिप अवार्ड’ प्रदान किया गया, और ‘केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ के लिए पुरस्कार दिया गया और जबकि इंदौर को “इनोवेटिव आइडिया अवार्ड” हासिल हुआ।
रैंकिंग हेतु प्रयुक्त मानदंड:
- सरकार द्वारा ये रैंकिंग, सामाजिक पहलुओं, प्रशासन, संस्कृति, शहरी पर्यावरण, स्वच्छता, अर्थव्यवस्था, पानी, शहरी परिवहन जैसे कई मानकों के आधार पर तय की गई थी।
- महामारी के साल में, कोविड -19 प्रबंधन हेतु एकीकृत कमांड तथा नियंत्रण केंद्रों (Integrated Command and Control Centres – ICCCs) के संधारणीय व्यापार मॉडल, और कोविड -19 प्रबंधन में नवाचारों संबंधी अतिरिक्त मानदंडो को भी पुरस्कारों के लिए गणना में शामिल किया गया था।
स्मार्ट सिटी मिशन:
भारत सरकार द्वारा ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ की शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी।
- इसका उद्देश्य, शहरी कार्यों को एकीकृत करना, दुर्लभ संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग करना और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- यह एक ‘केंद्र प्रायोजित योजना’ है।
स्मार्ट सिटी में चार स्तंभों की परिकल्पना की गई है:
- सामाजिक अवसंरचना (Social Infrastructure)
- भौतिक अवसंरचना (Physical Infrastructure)
- संस्थागत अवसंरचना (प्रशासन सहित) (Institutional Infrastructure)
- आर्थिक अवसंरचना (Economic Infrastructure)
इंस्टा जिज्ञासु:
- क्या आप 100 स्मार्ट शहरों में विकसित किए जा रहे ‘एकीकृत कमांड तथा नियंत्रण केंद्र’ (ICCC) के बारे में जानते हैं? इनके बारे में जानने हेतु देखें:
- क्या आप आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए ‘सिटी इनोवेशन एक्सचेंज’ (CiX) के बारे में जानते हैं? इसके लिए पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- स्मार्ट सिटीज मिशन के बारे में।
- इंडिया स्मार्ट सिटी अवार्ड्स (ISCA)- नवीनतम संस्करण
- रैंकिंग हेतु प्रयुक्त मानदंड
- AMRUT मिशन के बारे में
मेंस लिंक:
स्मार्ट सिटीज मिशन के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)
Pradhan Mantri Awas Yojana (URBAN)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘प्रधानमंत्री आवास योजना– शहरी’ (PMAY-U) के 6 वर्ष पूरे होने पर आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
इस योजना को 25 जून, 2015 को शुरू किया गया था।
योजना के बारे में:
- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) को ‘आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय’ (Ministry of Housing and Urban Poverty Alleviation – MoHUPA) द्वारा मिशन मोड में शुरू किया गया था।
- इसके तहत, राष्ट्र की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने पर वर्ष 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ की परिकल्पना की गयी है।
इस मिशन का उद्देश्य, निम्नलिखित कार्यक्रम- घटकों के माध्यम से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों सहित शहरी गरीबों की आवास आवश्यकता को पूरा करना है:
- संसाधन के रूप में भूमि का उपयोग करते हुए निजी विकासकर्ताओं (developers) की भागीदारी से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों निवासियों का ‘स्लम पुनर्वास’।
- ‘क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी’ के माध्यम से दुर्बल वर्ग के लिए किफायती आवासों को बढ़ावा देना।
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के साथ साझेदारी में किफायती आवासों का निर्माण।
- लाभार्थी द्वारा बनवाए जाने वाले निजी आवास के निर्माण/विस्तार के लिए सब्सिडी।
‘क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी’ घटक को ‘केंद्रीय क्षेत्र की योजना’ के रूप में लागू किया जाएगा, जबकि अन्य तीन घटकों को केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के रूप में लागू किया जाएगा।
मकानों का स्वामित्व:
- योजना के तहत निर्मित आवास को परिवार की वयस्क महिला सदस्य के नाम या संयुक्त नाम से आवंटित किया जाएगा।
- सभी घरों में शौचालय तथा पेयजल की सुविधा, और बिजली की आपूर्ति उपलब्ध होगी।
- योजना के अंतर्गत, विकलांग व्यक्तियों, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और ट्रांसजेंडर को वरीयता दी जाती है।
उपलब्धियां:
प्रधान मंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत अभी तक, 1.12 करोड़ घरों को स्वीकृति दी जा चुकी है, जिनमें से 82.5 लाख घरों के आधार तैयार किए जा चुके हैं और 48 लाख से ज्यादा घरों का निर्माण पूरा हो चुका है।
इंस्टा जिज्ञासु:
- क्या आप जाने हैं, प्रधान मंत्री आवास योजना (शहरी) का कार्यान्वयन आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा तथा ‘प्रधान मंत्री आवास योजना’ (ग्रामीण) को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है? Click here
- केंद्र प्रायोजित योजनाओं और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के मध्य अंतर? जानने हेतु पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- प्रधान मंत्री आवास योजना (शहरी) बनाम ‘प्रधान मंत्री आवास योजना’ (ग्रामीण)
- प्रमुख विशेषताएं
- कार्यान्वयन
- पात्रता
मेंस लिंक:
प्रधान मंत्री आवास योजना (शहरी) पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन- II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
गुजरात निषेध अधिनियम, 1949
(Gujarat Prohibition Act)
संदर्भ:
हाल ही में, शराब बंदी से संबंधित ‘गुजरात निषेध अधिनियम’ (Gujarat Prohibition Act), 1949 को इसके लागू होने के सात दशक से अधिक समय के बाद ‘गुजरात उच्च न्यायालय’ के समक्ष चुनौती दी गई है। विदित हो, कि इस अधिनियम को वर्ष 1949 में ‘बॉम्बे निषेध अधिनियम’ (Bombay Prohibition Act) के रूप में लागू किया गया था।
‘गुजरात निषेध अधिनियम’, 1949 के बारे में:
नशीली दवाओं तथा मादक द्रव्यों के पूर्ण निषेध से संबंधित कानूनों में सुधार करने हेतु, तत्कालीन बॉम्बे प्रांत द्वारा ‘बॉम्बे निषेध अधिनियम’ (Bombay Prohibition Act), 1949 लागू किया गया था।
- यह, बॉम्बे प्रांत में शराबबंदी को बढ़ावा देने और लागू करने से संबंधित क़ानून है।
- वर्ष 1960 में बॉम्बे प्रांत को महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में विभाजित कर दिया गया था।
- गुजरात राज्य ने वर्ष 1960 में पहले से जारी शराबबंदी नीति को अपनाया और बाद में इसे और अधिक कठोरता के साथ लागू करने का फैसला किया।
- वर्ष 2011 में, इस अधिनियम का नाम परिवर्तित कर ‘गुजरात निषेध अधिनियम’ कर दिया गया।
कृपया ध्यान दें, शराब के निषेध संबंधी पहला संकेत ‘बॉम्बे आबकारी अधिनियम’, 1878 में मिलता है। इस अधिनियम में अन्य प्रावधानों के अलावा मादक द्रव्यों पर शुल्क लगाने का प्रावधान भी था और वर्ष 1939 और 1947 में इस अधिनियम में संशोधन किए गए थे।
इस कानून के पीछे तर्क:
राज्य सरकार के अनुसार, वह “महात्मा गांधी के आदर्शों और सिद्धांतों का पालन करने हेतु प्रतिबद्ध है और मद्य-पान संबंधी बुराइयों का अंत करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।”
इस अधिनियम को किस प्रकार लागू किया जाता है?
- अधिनियम के तहत, शराब खरीदने, अपने पास रखने, उपभोग करने या परोसने के लिए परमिट लेना अनिवार्य है।
- यह अधिनियम, पुलिस को, किसी व्यक्ति के लिए बिना परमिट के शराब खरीदने, पीने या परोसने पर, गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान की गई है, और तीन महीने से लेकर पांच साल तक के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
शराबबंदी के खिलाफ और शराबबंदी के पक्ष में किन मुख्य आधारों को प्रस्तुत किया गया है?
- यह, सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2017 में पुट्टास्वामी फैसले में पुष्टि किए गए ‘निजता के अधिकार’ का उल्लंघन है। यह अधिकार, नागरिकों के अपनी पसंद के अनुसार खाने-पीने के अधिकार से जुड़ा हुआ है।
- स्पष्ट मनमानी का विषय (Ground of manifest arbitrariness): इस कानून में, राज्य के बाहर से आने वाले पर्यटकों को स्वास्थ्य परमिट और अस्थायी परमिट दिए जाने का प्रावधान है। दायर की गई याचिका के अनुसार, इस तरह से राज्य द्वारा बनाए गए वर्गों में, शराब पीने वालों और नहीं पीने वालों के मध्य को कोई स्पष्ट अंतर नहीं है, और यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन भी है।
इंस्टा जिज्ञासु:
विधायिका द्वारा किए जाने वाले ‘स्वेच्छाचारी, तर्कहीन और/या पर्याप्त निर्धारक सिद्धांतों के बगैर तथा हद से ज़्यादा और असंगत’ कृत्यों को अनिवार्य रूप से ‘स्पष्ट मनमानी’ (Manifest arbitrariness) समझा जाएगा’। इस विषय पर के.एस. पुट्टास्वामी फैसले में सुप्रीम कोर्ट के विचार जानने हेतु देखें:
प्रीलिम्स लिंक:
- प्रमुख प्रावधान
- अपवाद
- दंड
- शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने वाले अन्य राज्य
मेंस लिंक:
‘गुजरात निषेध अधिनियम’, 1949 से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर
(African Swine Fever)
संदर्भ:
हाल ही में, मिजोरम के चार जिलों को ‘अफ्रीकी स्वाइन फीवर’ (African swine fever- ASF) का केंद्र घोषित किया गया है।
दिसंबर 2020 में, अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) को पहली बार मणिपुर में दर्ज किया गया था और तब से इस बीमारी से संबंधित कोई मामला सामने नहीं आया है। राज्य के पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने, सूअरों के अवैध आयात से राज्य में संक्रमण फैलने का संदेह वयक्त किया है।
अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) के बारे में:
- ASF एक अत्यधिक संक्रामक और घातक पशु रोग है, जो घरेलू और जंगली सूअरों को संक्रमित करता है। इसके संक्रमण से सूअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार (Hemorrhagic Fever) से पीड़ित होते है।
- इसे पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था।
- इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है, और इस बुखार का कोई इलाज नहीं है।
- इसके लिए अभी तक कोई मान्यता प्राप्त टीका नहीं खोजा गया है, इसी वजह से, संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए, संक्रमित जानवरों को मार दिया जाता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप अफ्रीकन स्वाइन फीवर और क्लासिकल स्वाइन फीवर में अंतर जानते हैं? यहां पढ़ें।
प्रीलिम्स लिंक:
- क्या स्वाइन फीवर मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है?
- क्या यह एक वायरल बीमारी है?
- इसकी खोज सबसे पहले कहाँ हुई थी?
- 2020 में कौन से देश इससे प्रभावित हुए हैं?
- क्या इसके खिलाफ कोई टीका उपलब्ध है?
मेंस लिंक:
अफ्रीकी स्वाइन स्वाइन फीवर, लक्षण और इसके प्रसरण पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
परमाणु स्थलों की तस्वीरें IAEA के साथ साझा नहीं की जाएंगी: ईरान
संदर्भ:
हाल ही में, ईरान की संसद ने कहा है, कि चूंकि ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ (International Atomic Energy Agency – IAEA) के साथ किया गया ‘निगरानी समझौता’ (monitoring agreement) समाप्त हो गया है, अतः ईरान के कुछ परमाणु स्थलों की आंतरिक तस्वीरें IAEA को कभी नहीं सौंपी जाएंगी।
पृष्ठभूमि:
फरवरी में, ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ और तेहरान के मध्य एक तीन महीने के निगरानी समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे। 24 मई को इस समझौते के लिए एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया था।
निहितार्थ / चिंताएं:
- इस घोषणा के बाद, वर्ष 2015 के ईरान परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए छह प्रमुख शक्तियों और ईरान के बीच जारी वार्ता और जटिल हो सकती है।
- तीन साल पहले, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अमेरिका को समझौते से अलग करने और प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के बाद से ईरान ने विश्व शक्तियों के साथ 2015 के समझौते की शर्तों को धीरे-धीरे तोड़ना शुरू कर दिया था।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बारे में:
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की स्थापना, वर्ष 1957 में संयुक्त राष्ट्र संघ भीतर ‘वैश्विक शांति के लिए परमाणु’ (Atoms for Peace) के रूप की गयी थी।
- यह एक अंतरराष्ट्रीय स्वायत संगठन है।
- IAEA, संयुक्त राष्ट्र महासभा तथा सुरक्षा परिषद दोनों को रिपोर्ट करती है।
- इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में स्थित है।
प्रमुख कार्य:
- IAEA, अपने सदस्य देशों तथा विभिन्न भागीदारों के साथ मिलकर परमाणु प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित, सुदृढ़ और शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।
- इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना तथा परमाणु हथियारों सहित किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिए इसके उपयोग को रोकना है।
IAEA द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम:
- कैंसर थेरेपी हेतु कार्रवाई कार्यक्रम (Program of Action for Cancer Therapy- PACT)
- मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम
- जल उपलब्धता संवर्धन परियोजना
- नवोन्मेषी परमाणु रिएक्टरों और ईंधन चक्र पर अंतर्राष्ट्रीय परियोजना, 2000
वर्ष 2015 का परमाणु समझौता:
- वर्ष 2015 में ईरान के द्वारा, विश्व के छह देशों (P5+1 समूह)– अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी के साथ, अपने परमाणु कार्यक्रम पर एक दीर्घकालिक समझौते पर सहमति व्यक्त की गई थी।
- इस समझौते को ‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’ (Joint Comprehensive Plan of Action- JCPOA) का नाम दिया गया और आम बोलचाल में इसे ‘ईरान परमाणु समझौता कहा जाता है।
- समझौते के तहत, ईरान, अपने ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने और वैश्विक व्यापार तक पहुंच प्रदान किए जाने के बदले में अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने पर सहमत हुआ था।
- इस समझौते के तहत, ईरान के लिए अनुसंधान कार्यों हेतु अल्प में यूरेनियम के भंडारण हेतु अनुमति दी गई किंतु रिएक्टर ईंधन और परमाणु हथियार बनाने में प्रयुक्त होने वाले, यूरेनियम के संवर्धन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
- ईरान को भारी पानी चालित रिएक्टर को फिर से डिजाइन करने के लिए कहा गया, क्योंकि, इसमें प्रयुक्त होने वाले ईधन के अपशिष्ट में बम निर्माण के लिए उपयुक्त ‘प्लूटोनियम’ का उत्सर्जन हो सकता है। इसके अलावा, ईरान से ‘अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण’ की अनुमति देने के लिए भी कहा गया था।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं, कि वैश्विक परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और परमाणु हथियारों के प्रसार के खिलाफ अन्य संधियों के तहत IAEA को परमाणु निरीक्षणाकर्ता की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं? IAEA सुरक्षा उपायों के बारे में जानने के लिए यहाँ पढ़ें।
प्रीलिम्स लिंक:
- IAEA क्या है? संयुक्त राष्ट्र के साथ संबंध
- IAEA के सदस्य
- IAEA के कार्यक्रम।
- बोर्ड ऑफ गवर्नर- संरचना, मतदान और कार्य
- यूरेनियम संवर्धन क्या है?
मेंस लिंक:
ईरान परमाणु समझौते को फिर से लागू करने संबंधी आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन- III
विषय: समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।
कारोबार और ऋण हेत उच्च सीमा से छोटी और मझोली कंपनियों को लाभ
संदर्भ:
कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा ‘लघु और मध्यम आकार की कंपनियों’ (Small and Medium sized Companies – SMC) के लिए कारोबार और ऋण सीमा का विस्तार किया गया है।
नवीनतम परिवर्तन:
- कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा ‘छोटी और मझोली कंपनियों’ (SMCs) कारोबार की सीमा को 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये तथा ऋण सीमा को 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया है।
- छोटी फर्मों के लिए विनियामक फाइलिंग की जटिलता को कम करने के लिए SMC को ‘कंपनी (लेखा मानक) नियमों’ (Company (Accounting Standards) Rules) 2021 के तहत कई छूटों का लाभ उठाने की अनुमति दी गई है।
अपवाद:
- बैंकों, मौद्रिक प्रतिष्ठानों, बीमा कंपनियों और सूचीबद्ध फर्मों को ‘लघु और मध्यम आकार की कंपनियों’ (SMC) के रूप में दर्ज नहीं किया जा सकता है।
- कोई फर्म, यदि किसी ‘गैर- छोटी और मझोली कंपनी’ (Non- SMCs) संगठन की होल्डिंग और सहायक फर्म दोनों है, तो उसे SMCs के रूप में दर्ज नहीं किया जा सकता है।
इस निर्णय का महत्व:
यह निर्णय, ‘छोटी और मझोली कंपनियों’ (SMCs) की परिभाषा में आने वाली फर्मों के लिए व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देगा।
‘छोटी और मझोली कंपनियों’ के लिए उपलब्ध छूटें:
- SMC को नकदी प्रवाह विवरण दाखिल करने और अनिवार्य फाइलिंग में अपने वित्तीय प्रदर्शन का खंडीय विवरण देने से पूर्णतयः छूट दी गई है।
- इनके लिए, कर्मचारी लाभ दायित्वों, जैसेकि पेंशन, पर रिपोर्टिंग सहित, कुछ क्षेत्रों में आंशिक रिपोर्टिंग छूट का लाभ भी दिया गया है।
- इनके लिए, कर्मचारियों के लिए लाभ दायित्वों का विस्तृत विश्लेषण देने से छूट दी गई है, किंतु कर्मचारियों के प्रति कंपनी के दायित्वों के मूल्यांकन में प्रयुक्त होने वाले बीमांकिक अनुमान पेश करना अभी भी अनिवार्य है।
- SMC के लिए अपनी बैलेंस शीट में दर्ज परिसंपत्तियों में लगी अनुमानित कीमत के बारे में जानकारी देने की भी अनुमति है, और परिसंपत्तियों में लगी कीमत का निर्धारण करने हेतु वर्तमान कीमत तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है।
- इनके लिए, अपनी फाइलिंग में ‘तनुकृत प्रति शेयर आय’ (diluted Earnings Per Share -EPS) को रिपोर्ट करने से भी छूट दी गई है।
भारत में MSME की हिस्सेदारी:
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises- MSMEs) ने हमेशा भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- भारत के 6.3 करोड़ MSME, न केवल देश के सकल घरेलू उत्पाद में एक तिहाई योगदान करते हैं बल्कि समाज के बड़े वर्ग को रोजगार भी प्रदान करते हैं।
- इसके अलावा, यह क्षेत्र आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और लगभग 110 मिलियन रोजगार प्रदान करता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि MSME को अब ‘उद्यम’ (Udyam) कहा जाता है और इनकी पंजीकरण प्रक्रिया को उद्यम पंजीकरण (Udyam Registration) कहा जाता है? साथ ही, MSME वर्गीकरण के लिए बुनियादी मानदंड, इनमे लगे संयंत्र, मशीनरी और उपकरण और कारोबार में निवेश पर आधारित है? इसके बारे में विस्तार से जानने हेतु पढ़ें।
प्रीलिम्स लिंक:
- भारत के सकल घरेलू उत्पाद और निर्यात में MSME क्षेत्र का हिस्सा।
- MSME वर्गीकरण के लिए बुनियादी मानदंड
- MSME का वर्गीकरण
- वी-आकार की रिकवरी क्या है?
- MSME हेतु सतत विकास लक्ष्य
मेंस लिंक:
भारत के MSME क्षेत्र में क्या संभावनाएं हैं? भारत में MSME क्षेत्र के विकास से जुड़ी चुनौतियों और चिंताओं पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास में भारत के समक्ष चुनौतियां
संदर्भ:
भारत सरकार द्वारा ‘एकल-उपयोग प्लास्टिक’ (single-use plastic) को पूर्णतयः ख़त्म करने के लिए, इसे चरणबद्ध तरीके से हटाने की योजना बनाई जा रही है। किंतु इसके लिए, ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ के विकल्पों तथा प्लास्टिक कचरा प्रबंधन प्रणालियों की उपलब्धता संबंधी चिंताएं सामने आ रही है।
पृष्ठभूमि:
वर्ष 2019 में, केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक भारत को ‘एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक’ से मुक्त करने के लिए, देश भर में ‘एकल-उपयोग प्लास्टिक’ के उपयोग को हतोत्साहित करने हेतु एक बहु-मंत्रालयी योजना तैयार की गयी थी।
रणनीति:
एक सरकारी समिति द्वारा ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ (SUP) निर्मित वस्तुओं को, उनकी उपयोगिता और पर्यावरणीय प्रभाव सूचकांक के आधार पर, प्रतिबंधित करने के लिए चिह्नित किया गया है। समिति ने इसके लिए तीन चरणों में प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव पेश किया है:
- चरणबद्ध तरीके से हटाये जाने हेतु प्रस्तावित ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ निर्मित वस्तुओं की पहली श्रेणी में, गुब्बारे, झंडे, कैंडी, आइसक्रीम और ‘इअर बड्स’ (ear buds) में प्रयुक्त प्लास्टिक की डंडियां तथा सजावट में प्रयुक्त होने वाले थर्मोकोल को शामिल किया गया है।
- दूसरी श्रेणी में, प्लेट, कप, गिलास और छुरी-काँटा, चम्मच, स्ट्रॉ और ट्रे जैसी कटलरी; मिठाई के डिब्बों की पैकिंग में प्रयुक्त झिल्लियों (films); निमंत्रण पत्र; सिगरेट के पैकेट और 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैनर शामिल होंगे। इस श्रेणी की वस्तुओं को 1 जुलाई, 2022 से प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- प्रतिबंधित ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ की तीसरी श्रेणी में, 240 माइक्रोन से कम मोटाई के गैर-बुनाई दार थैलियों को शामिल किया गया है। इसे अगले साल सितंबर से शुरू करने का प्रस्ताव है।
आने वाली चुनौतियां:
- संपूर्ण भारत में प्रति दिन लगभग 26,000 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जिसमे से 10,000 टन से अधिक कचरे को एकत्र नहीं किया जाता है; इसे देखते हुए ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ को प्रतिबंधित करना, कोई आसान काम नहीं होगा।
- काफी बड़ी मात्रा में प्लास्टिक को नदियों, महासागरों और अपशिष्ट भरावक्षेत्र में फेंक दिया जाता है।
आवश्यकता:
- सरकार के लिए इससे निपटने हेतु, पहले आर्थिक और पर्यावरणीय लागत-लाभ का संपूर्ण विश्लेषण करना चाहिए।
- इस पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध की सफलता के लिए योजना को सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को ध्यान में रखना चाहिए।
- चूंकि, हमारे पास संसाधनों कमी है, अतः हमें बेहतर पुनर्चक्रण नीतियों की आवश्यकता है और इसके अलावा, एक व्यापक रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (PWM) नियम, 2011 में लागू की गई और PWM 2016 में पुनर्परिभाषित की गई ‘विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व’ (Extended Producer Responsibility- EPR) योजना के बारे में जानते हैं? Click here
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘सिंगल यूज प्लास्टिक’ क्या होती है?
- उपयोग
- भारत का लक्ष्य
- ‘सिंगल यूज प्लास्टिक’ के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की योजना बना रहे अन्य देश
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
ड्रैगन मैन
(Dragon Man)
- हाल ही में, चीन के शोधकर्ताओं द्वारा एक प्राचीन मानव खोपड़ी की खोज करने का दावा किया गया है। यह मानव खोपड़ी, पूरी तरह से मनुष्यों की एक नई प्रजाति से संबंधित हो सकती है।
- यह खोपड़ी, उत्तर-पूर्व चीन के हार्बिन शहर में पायी गई है।
- इसे “ड्रैगन मैन” या होमो लोंगी (Homo longi) का नाम दिया गया है। यह नाम, चीन के हेइलोंगजियांग (Heilongjiang) प्रांत में ‘लॉन्ग जियांग’ (Long Jiang) या ‘ड्रैगन नदी’ से लिया गया है। इसी प्रांत में ‘हार्बिन शहर’ स्थित है।
- यह मानव खोपड़ी 146,000 वर्ष से अधिक पुरानी हो सकती है।
बंगाल मॉनिटर
(Bengal monitor)
- बंगाल मॉनिटर या आम ‘भारतीय मॉनिटर’ (Varanus bengalensis) या ‘गोह’ एक बड़े आकार की छिपकली प्रजाति है जो मुख्यतः भूमि पर निवास करती है।
- मॉनिटर छिपकली / ‘गोह’, प्रायः मांसाहारी और गैर-विषैले होते हैं।
- इसके लिए ‘वन्य जीव संरक्षण अधिनियम’ की अनुसूची I के तहत संरक्षित किया गया है, किंतु इसके मांस, रक्त और तेल के लिए लगातार इसका शिकार किया जा रहा है।
- इस प्रजाति को ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ’ (IUCN) की रेड लिस्ट में ‘संकटमुक्त’ (Least Concern) श्रेणी के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, एक महान बंगाली कवि और लेखक थे।
- उन्होंने भारत के राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की रचना की।
- उनका प्रसिद्द उपन्यास आनंदमठ – सन्यासी विद्रोह (18 वीं शताब्दी के अंत में हुआ विद्रोह) की पृष्ठभूमि पर आधारित – को बंगाल के राष्ट्रवाद पर प्रमुख कृतियों में से एक माना जाता है।
- उनका पहला बंगाली उपन्यास वर्ष 1865 में प्रकाशित ‘दुर्गेश नंदिनी’ है।
- उन्होंने वर्ष 1866 में कपालकुंडला, 1869 में मृणालिनी, 1873 में विषवृक्ष, 1877 में चंद्रशेखर, 1877 में रजनी, 1881 में राजसिम्हा और 1884 में देवी चौधुरानी जैसे अन्य प्रसिद्ध उपन्यासों की रचना की।
- उन्होंने 1872 में बंगदर्शन नामक एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया।
- उनका पहला प्रकाशित उपन्यास अंग्रेजी भाषा में लिखित ‘राजमोहन की पत्नी’ था।
Join our Official Telegram Channel HERE for Motivation and Fast Updates
Subscribe to our YouTube Channel HERE to watch Motivational and New analysis videos
[ad_2]