[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 27 October 2021 – INSIGHTSIAS

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विषय सूची:

सामान्य अध्ययन-II

1. ड्रोन यातायात प्रबंधन हेतु फ्रेमवर्क

2. 4.2: कोविड डेल्टा स्ट्रेन का उप-संस्करण

3. आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन

5. ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’

6. दक्षिण चीन सागर विवाद

 

सामान्य अध्ययन-III

1. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर

2. विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

ड्रोन यातायात प्रबंधन हेतु फ्रेमवर्क


संदर्भ:

हाल ही में, नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा ‘ड्रोन यातायात प्रबंधन फ्रेमवर्क’ (Traffic Management Framework for Drones) सबंधी अधिसूचना जारी की गयी है।

यह फ्रेमवर्क, ‘ड्रोन नियम 2021’ के तहत जारी किया गया है।

फ्रेमवर्क / रूपरेखा का अवलोकन:

  1. सार्वजनिक और निजी तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाता 1,000 फुट के नीचे हवाई क्षेत्र में ‘ड्रोन’ की आवाजाही का प्रबंधन करेंगे।
  2. फ्रेमवर्क में, तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं को पंजीकरण, उड़ान संबंधी योजना और मौसम, इलाके एवं मानवयुक्त विमानों की स्थिति जैसे पूरक आंकड़ों तक पहुंच उपलब्ध कराने जैसी सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी गयी है।
  3. इसके अलावा इस फ्रेमवर्क के तहत, पूरक सेवा प्रदाताओं के एक समूह को ‘मानव रहित विमान प्रणाली’ (Unmanned Aircraft System – UAS) और ‘यातायात प्रबंधन’ (Unmanned Traffic Management – UTM) पारितंत्र के सहयोग के लिए बीमा और आंकड़ों के विश्लेषण जैसी सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी जाएगी।
  4. सभी ड्रोन (हरित क्षेत्र में संचालित नैनो ड्रोन को छोड़कर) को नेटवर्क के माध्यम से प्रत्यक्ष तौर पर या तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं के जरिए अपनी मौजूदा स्थिति की जानकारी अनिवार्य रूप से केंद्र के साथ साझा करनी होगी।
  5. तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं को पहले छोटे भौगोलिक क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा जिन्हें धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।
  6. इसके अलावा, इन सेवा प्रदाताओं को ड्रोन संचालकों से सेवा शुल्क लेने की अनुमति होगी और इसका एक छोटा हिस्सा ‘भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण’ (Airports Authority of India AAI) के साथ साझा करना पड़ सकता है, जो एटीएम का प्रबंधन करता है।

ड्रोन के लिए एक अलग फ्रेमवर्क तैयार किए जाने की आवश्यकता:

वर्तमान हवाई यातायात प्रबंधन (Air Traffic Management – ATM) प्रणालियों को ‘मानव रहित विमानों’ के यातायात को संभालने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है।

  • इसके अलावा, पारंपरिक साधनों का उपयोग करते हुए मानव रहित विमानों को भारतीय हवाई क्षेत्र में एकीकृत करने के लिए भारी और महंगे हार्डवेयर से लैस करने की आवश्यकता हो सकती है, जो न तो संभव है और न ही उचित है।
  • साथ ही, मानवयुक्त विमानों के लिए ‘हवाई यातायात नियंत्रकों’ (Air Traffic Controllers – ATCs) द्वारा प्रदान की जाने वाली पारंपरिक यातायात प्रबंधन सेवाओं को ड्रोन यातायात के प्रबंधन के लिए विस्तार देना संभव नहीं है, क्योंकि पारंपरिक ‘हवाई यातायात प्रबंधन’ (ATM) हस्तचालित है और इसमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

भारत में ड्रोन प्रबंधन:

  • 15 सितंबर को केंद्र सरकार द्वारा तीन वित्तीय वर्षों में 120 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करते हुए ‘ड्रोन’ और ‘ड्रोन घटकों’ के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (Production-Linked IncentivePLI) योजना को मंजूरी दी गयी थी।
  • 25 अगस्त को मंत्रालय द्वारा ‘ड्रोन नियम, 2021’ अधिसूचित किए गए। जिसके तहत भारत में ड्रोन संचालन के नियमन को आसान बनाते हुए, संचालन-अनुमति के लिए भरे जाने वाले फॉर्मों की संख्या को 25 से घटाकर 5 कर दी गयी और ऑपरेटर से वसूले जाने वाले 72 प्रकार के शुल्कों कम करके चार प्रकार का कर दिया गया।

 

कड़े नियमों और विनियमन की आवश्यकता:

  • हाल ही में, जम्मू में वायु सेना स्टेशन के तकनीकी क्षेत्र में विस्फोट किया गया था। इसके लिए विस्फोटकों को गिराने में पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था।
  • पिछले दो वर्षों में, भारतीय क्षेत्र में हथियारों, गोला-बारूद और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए पाकिस्तान स्थित संगठनों द्वारा नियमित रूप से ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है।
  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 में पाकिस्तान से लगी सीमा पर 167 ड्रोन देखे गए और वर्ष 2020 में 77 ड्रोन देखे गए।
  • हालिया वर्षों के दौरा ‘ड्रोन प्रौद्योगिकी’ के तेजी से प्रसार और वैश्विक बाजार इसका तीव्र विकास होने से, विश्व के सबसे सुरक्षित शहरों में भी ड्रोन हमले की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
  • वर्तमान में ड्रोन, विशेष रूप से, उन संघर्ष क्षेत्रों में जहां ‘गैर-राज्य अभिकर्ता’ (Non State Actors – NSA) सक्रिय हैं और प्रौद्योगिकी तक आसान पहुंच रखते हैं, सुरक्षा के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि विश्व में कुछ देशों के पास खुद के सशस्त्र बल नहीं हैं? इन देशों के बारे में जानने हेतु पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. नए नियमों का अवलोकन
  2. नए नियम बनाम पुराने नियम
  3. छूट
  4. लाइसेंस की आवश्यकता

मेंस लिंक:

नए ड्रोन नियमों के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

AY.4.2: कोविड डेल्टा स्ट्रेन का उप-संस्करण


संदर्भ:

AY.4.2 कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट / संस्करण का नया रूप है। भारत में ‘डेल्टा वैरिएंट’, जिसे B.1.617.2 के नाम से भी जाना जाता है, को पहली बार अक्टूबर 2020 में चिह्नित किया गया था।

AY.4.2 को ‘डेल्टा प्लस’ भी कहा जा रहा है, और ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (UKHSA) द्वारा इसका नामकरण ‘VUI-21OCT-01’ किया गया है। AY.4.2 वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में ‘A222V’ और ‘Y145H2’ दो उत्परिवर्तन (Mutations) होते हैं।

प्रसार:

वर्तमान में, AY.4.2 के कुल मामलों में से 96 प्रतिशत मामले यूनाइटेड किंगडम में दर्ज किए जा चुके हैं, इसके बाद डेनमार्क और जर्मनी में, प्रत्येक में 1 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए है। अमेरिका, इज़राइल और रूस में भी इस वैरिएंट के पाए जाने की सूचना मिली है।

भारत के मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में AY.4.2 संक्रमण मामलों का पता चला है।

AY.4.2 कितना खतरनाक है?

UKHSA के अनुसार, हालांकि AY.4.2 के संबंध में विभिन्न जानकारियाँ सामने आ रही हैं, लेकिन अभी यह अधिक गंभीर बीमारियों का कारण नहीं दिखता है। कोविड-19 टीकाकरण के संदर्भ में, यह सबवैरिएंट मौजूदा टीकों में से किसी को भी निष्प्रभावी या कम-प्रभावी नहीं कर रहा है।

वायरस का रूपांतरण / उत्परिवर्तन किस प्रकार और क्यों होता है?

  1. वायरस के प्रकारों में एक या एक से अधिक उत्परिवर्तन (Mutations) होते हैं, जो इस नए रूपांतरित प्रकार को, माजूदा अन्य वायरस वेरिएंटस से अलग करते हैं।
  2. दरअसल, वायरस का लक्ष्य एक ऐसे चरण तक पहुंचना होता है जहां वह मनुष्यों के साथ रह सके, क्योंकि उसे जीवित रहने के लिए एक पोषक (Host) की जरूरत होती है।
  3. विषाणुजनित RNA में होने वाली त्रुटियों को उत्परिवर्तन कहा जाता है, और इस प्रकार उत्परिवर्तित वायरस को ‘वेरिएंट’ कहा जाता है। एक या कई उत्परिवर्तनों से निर्मित हुए ‘वेरिएंट’ परस्पर एक-दूसरे से भिन्न हो सकते हैं।

current affairs

 

उत्परिवर्तिन’ क्या होता है?

  • उत्परिवर्तन अथवा ‘म्युटेशन’ (Mutation) का तात्पर्य, जीनोम अनुक्रमण में होने वाला परिवर्तन होता है।
  • SARS-CoV-2 के मामले में, जोकि एक राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस है, उत्परिवर्तन का अर्थ, उसके अणु-क्रम संयोजन व्यवस्था में बदलाव होता है।
  • आरएनए वायरस में उत्परिवर्तन, प्रायः वायरस द्वारा स्व-प्रतिलिपियाँ (copies of itself) बनाते समय गलती करने के कारण होता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

कोरोना वायरस के ‘डेल्टा वेरिएंट’ को ‘वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न’ (VOC) के रूप में वर्गीकृत किया गया है? इस प्रकार का वर्गीकरण कैसे और किसके द्वारा किया जाता है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. कोविड-19 क्या है?
  2. उत्परिवर्तन क्या है?
  3. mRNA क्या है?
  4. RT- PCR टेस्ट क्या है?
  5. जीनोम अनुक्रमण क्या है?

मेंस लिंक:

कोविड- 19 वायरस के उत्परिवर्तन से संबंधित चिंताओं पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन


संदर्भ:

हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सबसे बड़ी अखिल भारतीय योजनाओं में से एक, ‘आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन’ (Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission) का शुभारंभ किया।

इस योजना के बारे में:

  • इस योजना का उद्देश्य, देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
  • इस मिशन का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में, ‘गंभीर देखभाल सुविधाओं’ और ‘प्राथमिक देखभाल’ के बीच के अंतराल को भरना है।
  • इसके माध्यम से, देश के पांच लाख से अधिक आबादी वाले सभी जिलों में विशिष्ट ‘क्रिटिकल केयर अस्पताल ब्लॉक’ के माध्यम से ‘क्रिटिकल केयर सेवाएं’ उपलब्ध होंगी, जबकि शेष जिलों को रेफरल सेवाओं के माध्यम से कवर किया जाएगा।
  • देश भर में प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के माध्यम से लोगों को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में ‘नैदानिक ​​सेवाओं’ के पूर्ण विस्तार तक पहुंच प्राप्त होगी।
  • ब्लॉक, जिला, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के माध्यम से एक आईटी-सक्षम ‘रोग निगरानी प्रणाली’ स्थापित की जाएगी।
  • सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को ‘एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल’ के माध्यम से जोड़ा जाएगा, जिसका विस्तार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा।

योजना के अंतर्गत स्थापित किए जाने वाले संस्थान:

इस योजना के तहत, ‘एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान’, चार नए ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’, विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र हेतु एक क्षेत्रीय अनुसंधान मंच, जैव सुरक्षा स्तर- III सहित नौ प्रयोगशालाएं और रोग नियंत्रण के लिए पांच नए क्षेत्रीय राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

योजना के लाभ और महत्व:

‘आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन’, विशेष ध्यान दिए जाने रहे 10 राज्यों में 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के लिए सहायता प्रदान करेगा। इसके अलावा, सभी राज्यों में 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

भारत में ‘स्वास्थ्य अवसंरचनाओं’ का संक्षिप्त विवरण:

भारत को लंबे समय से एक देशव्यापी स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जा रही है। नीचे एक नवीनतम सर्वेक्षण के निष्कर्ष दिए गए हैं:

  • सर्वेक्षण किए गए, 70 प्रतिशत स्थानों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध थी। तथापि, शहरी क्षेत्रों (87 प्रतिशत) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (65 प्रतिशत) में इन सेवाओं की उपलब्धता कम थी।
  • 45 प्रतिशत स्थानों पर, लोग पैदल चलकर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सकते थे, जबकि 43 प्रतिशत स्थानों में उन्हें परिवहन का उपयोग करने की जरूरत पड़ती थी।

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया, कि शहरी इलाकों में नजदीकी स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता अधिक थी: 64 प्रतिशत प्रगणकों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में लोग पैदल चलकर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सकते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 37 प्रतिशत को ही अपने नजदीक में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध थीं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

हाल ही में, प्रधान मंत्री ने एक अन्य योजना, ‘आयुष्मान भारत राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन’ (ABDM) की शुरुआत की थी। इस मिशन में सभी व्यक्तियों के लिए एक डिजिटल स्वास्थ्य आईडी (Digital Health ID) प्रदान की जाएगी, जिसमे व्यक्ति के पूरा स्वास्थ्य रिकॉर्ड दर्ज रहेगा। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

 ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’


संदर्भ:

हाल ही में, ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ (Asian Infrastructure Investment Bank – AIIB) ने आगामी वर्षों में, भारत में ‘सामाजिक’ और ‘जलवायु-संवेदी बुनियादी ढांचे’ दोनों को वित्त पोषित करने के लिए हामी भरी है।

इस बीच, AIIB ने भारत से भौतिक बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों जैसी सामाजिक अवसंरचनाओं के मध्य संतुलन बनाने के लिए भी कहा है।

AIIB के बारे में:

‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ / एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) एक बहुपक्षीय विकास बैंक है। यह एशिया और उसके बाहर के सामाजिक और आर्थिक परिणामों में सुधार हेतु एक मिशन के रूप में कार्य करता है।

  • शुरुआत में, समझौते में शामिल पक्षकार (57 संस्थापक सदस्य) देश इस बैंक के सदस्य थे।
  • इसका मुख्यालय बीजिंग में है।
  • AIIB में जनवरी 2016 से कार्य करना शुरू किया था।

उद्देश्य:

इसका उद्देश्य, स्थायी बुनियादी ढाचों और अन्य उत्पादक क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से, लोगों, सेवाओं और बाजारों को परस्पर सम्बद्ध करना है, जिससे, समय के साथ अरबों व्यक्तियों का जीवन प्रभावित होगा तथा एक बेहतर भविष्य का निर्माण होगा।

सदस्यता:

  • वर्तमान में इसके 103 अनुमोदित सदस्य हैं।
  • फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूनाइटेड किंगडम सहित G-20 समूह के चौदह देश ‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक’ के सदस्यों में शामिल हैं।

मताधिकार:

  • ‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक’ में चीन की शेयरधारिता सर्वाधिक है, इसके पास 26.61% वोटिंग शेयर है, इसके बाद भारत (7.6%), रूस (6.01%) और जर्मनी (4.2%) शेयरों के साथ सबसे बड़े शेयरधारक है।
  • बैंक में, क्षेत्रीय सदस्यों की कुल मतदान शक्ति 75% हैं।

एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के विभिन्न अंग:

बोर्ड ऑफ गवर्नर्स: गवर्नर्स बोर्ड में प्रत्येक सदस्य देश द्वारा नियुक्त एक गवर्नर तथा एक वैकल्पिक गवर्नर होते हैं।

निदेशक मंडल: बैंक के सामान्य संचालन के लिए गैर-निवासी निदेशक मंडल (Non-resident Board of Directors) जिम्मेदार होता है, इस निदेशक मंडल को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा सभी शक्तियां प्रदान की जाती है। इनके कार्यों में बैंक की रणनीति बनाना, वार्षिक योजना और बजट को मंजूरी देना, नीति-निर्माण; बैंक संचालन से संबंधित निर्णय लेना; और बैंक के प्रबंधन और संचालन की देखरेख और एक निगरानी तंत्र स्थापित करना आदि सम्मिलित है।

अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति: AIIB द्वारा बैंक की रणनीतियों तथा नीतियों के साथ-साथ सामान्य  परिचालन मुद्दों पर बैंक के अध्यक्ष और शीर्ष प्रबंधन की सहायता हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति (International Advisory Panel- IAP) का गठन किया गया है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. AIIB बनाम ADB बनाम विश्व बैंक
  2. एआईआईबी के सदस्य
  3. शीर्ष शेयरधारक
  4. मतदान की शक्तियां
  5. भारत में AIIB समर्थित परियोजनायें

मेंस लिंक:

एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

दक्षिण चीन सागर विवाद


संदर्भ:

चीन ने ‘आसियान देशों’ से ‘दक्षिण चीन सागर’ (South China Sea) के लिए ‘आचार संहिता’ की रूपरेखा पर बातचीत तेज करने को कहा है।

पृष्ठभूमि:

अगले साल, ‘दक्षिणी चीन सागर में पक्षकारों के बरताव पर घोषणा’ (Declaration on the Conduct of Parties in the South China Sea – DOC) पर हस्ताक्षर किए जाने की 20वीं वर्षगांठ है। चीन, इस अवसर को स्मरणीय गतिविधियों के साथ मनाने हेतु ‘आसियान देशों’ के साथ काम करने का इच्छुक है।

इस घोषणा के बारे में:

नवंबर 2002 में, चीन और आसियान समूह के दस राष्ट्रों ने ‘दक्षिणी चीन सागर’ में पक्षकारों के बरताव पर एक गैर-बाध्यकारी घोषणा (DoC) पर हस्ताक्षर किए थे।

  • इस दस्तावेज़ में सभी ग्यारह पक्षकारों द्वारा एक बाध्यकारी आचार संहिता तैयार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्ज की गयी थी।
  • दस्तावेज़ के अनुसार, “दक्षिणी चीन सागर में एक आचार संहिता अपनाए जाने से इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता को और बढ़ावा मिलेगा।”

समग्र प्रकरण:

दक्षिणी चीन सागर में, बीजिंग द्वारा कई दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के साथ अतिव्यापी क्षेत्रीय दावा किया जाता रहा है।

  • दक्षिणी चीन सागर पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम अपना दावा करते हैं, जबकि चीन, संसाधन-समृद्ध लगभग पूरे समुद्रीय क्षेत्र पर अपना प्रतिस्पर्धी दावा करता है। विदित हो कि, अरबों डॉलर सालाना का व्यापार करने वाले जहाज इस क्षेत्र से होकर गुजरते हैं।
  • बीजिंग पर जहाज-रोधी मिसाइलों और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों सहित सैन्य उपकरण तैनात करने का भी आरोप लगाया गया है। इसके अलावा, चीन द्वारा वर्ष 2016 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए के एक फैसले को भी अनदेखा किया गया है, जिसमे चीन द्वारा अधिकांश जल-क्षेत्र पर किए जा रहे ऐतिहासिक दावे को बिना आधार के घोषित किया गया था।

 

‘दक्षिण चीन सागर’ की अवस्थिति:

दक्षिण चीन सागर, दक्षिण पूर्व एशिया में पश्चिमी प्रशांत महासागर की एक शाखा है।

  • यह, चीन के दक्षिण, वियतनाम के पूर्व और दक्षिण, फिलीपींस के पश्चिम और बोर्नियो द्वीप के उत्तर में अवस्थित है।
  • यह, ताइवान जलडमरूमध्य द्वारा ‘पूर्वी चीन सागर’ और ‘लूजॉन स्ट्रेट’ के माध्यम से ‘फिलीपीन सागर’ से जुड़ा हुआ है।
  • सीमावर्ती देश और भू-भाग: जनवादी चीन गणराज्य, चीन गणराज्य (ताइवान), फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, सिंगापुर और वियतनाम।

सामरिक महत्व:

  • ‘दक्षिणी चीन सागर’ अपनी अवस्थिति के कारण सामरिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, यह हिंद महासागर और प्रशांत महासागर (मलक्का जलसन्धि) के बीच संपर्क-कड़ी है।
  • ‘संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास अभिसमय’ (United Nations Conference on Trade And DevelopmentUNCTAD) के अनुसार, वैश्विक नौपरिवहन का एक-तिहाई भाग ‘दक्षिणी चीन सागर’ से होकर गुजरता है, जिसके द्वारा अरबों का व्यापार होता है। इस कारण भी यह एक महत्वपूर्ण भूराजनीतिक जल निकाय है।

दक्षिणी चीन सागर में अवस्थित द्वीपों पर विभिन्न देशों के दावे:

  • पारसेल द्वीप समूह’ (Paracels Islands) पर चीन, ताइवान और वियतनाम द्वारा दावा किया जाता है।
  • स्प्रैटली द्वीप समूह’ (Spratley Islands) पर चीन, ताइवान, वियतनाम, ब्रुनेई और फिलीपींस द्वारा दावा किया जाता है।
  • स्कारबोरो शोल (Scarborough Shoal) पर फिलीपींस, चीन और ताइवान द्वारा दावा किया जाता है।
  • वर्ष 2010 से, चीन द्वारा निर्जन टापुओं को, ‘यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ द सी’ (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) के अंतर्गत लाने के लिए, कृत्रिम टापुओं में परिवर्तित किया जा रहा है। (उदाहरण के लिए, हेवन रीफ, जॉनसन साउथ रीफ और फेरी क्रॉस रीफ)।

current affairs

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप ‘सात सागर’ (The Seven Seas) वाक्यांश का अर्थ जानते हैं?

क्या आपने समुद्रों के नामकरण और उनसे जुड़ी समस्याएं के बारे में सोचा है? इस बारे में जानकारी हेतु संक्षेप में पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘दक्षिणी चीन सागर’ में पक्षकारों के बरताव पर घोषणा के बारे में।
  2. विवाद में शामिल देश
  3. नाइ-डैश लाइन क्या है?
  4. इस क्षेत्र में स्थित महत्वपूर्ण खाड़ियाँ, मार्ग एवं सागर
  5. विवादित द्वीप और उनकी अवस्थिति
  6. UNCLOS क्या है?
  7. ताइवान स्ट्रेट और लूजॉन स्ट्रेट की अवस्थिति

मेंस लिंक:

दक्षिण चीन सागर विवाद पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।

 राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर


संदर्भ:

भारत के महापंजीयक (Registrar General of India) के अधीन एक समिति द्वारा संकलित एक दस्तावेज के अनुसार, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register NPR) के नवीनतम प्रारूप में संभवतः “मातृभाषा, पिता और माता का जन्म स्थान और निवास का अंतिम स्थान” जैसे विवादास्पद प्रश्नों को बरकरार रखा गया है।

संबंधित प्रकरण:

‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ को पहली बार वर्ष 2010 में संकलित किया गया और फिर 2015 में इसे अद्यतन किया गया था। सितंबर 2019 में 30 लाख उत्तरदाताओं से संबधित एक परीक्षण प्रक्रिया में कुछ नए सवाल जोड़े गए थे।

चूंकि, ‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ (NPR) नागरिकता नियम, 2003 के अनुसार, ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ (National Register of Citizens- NRC)  के संकलन की दिशा में पहला कदम है, इसलिए देश में कई राज्यों और नागरिक समूहों द्वारा इस परीक्षण प्रक्रिया का विरोध किया गया जा रहा है।

‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ और ‘जनगणना’ में अंतर:

  • राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का उद्देश्य देश के प्रत्येक आम नागरिक की विस्तृत पहचान का डेटाबेस तैयार करना है, और भारत के प्रत्येक ‘सामान्य निवासी’ के लिये ‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ में पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है।
  • यद्यपि, जनगणना (Census) के माध्यम से भी समान विवरण एकत्र किया जाता है, किंतु ‘जनगणना अधिनियम’, 1948 की धारा 15 के अनुसार, जनगणना में एकत्र की गई सभी व्यक्तिगत स्तर की जानकारी गोपनीय होती है और “एकत्रित डेटा को केवल विभिन्न प्रशासनिक स्तरों पर जारी किया जाता है।”

‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ की आलोचनाएं:

प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ (NRC) और लागू किए जाने वाले ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (CAA) के साथ ‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ (NPR) के संबधों को देखते हुए कई विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा शासित राज्यों द्वारा NPR की अद्यतन प्रक्रिया का विरोध किया जा रहा है।

वर्ष 2003 में बनाए गए नागरिकता नियमों के अनुसार, ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’, भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) के संकलन की दिशा में पहला कदम है।

‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ क्या है?

‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ (NPR), देश के सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर होता है, जिसमे गांव स्तर तक स्थान आदि का विवरण दर्ज किया जाता है। “जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण होने वाले परिवर्तनों को शामिल करने के लिए” समय-समय पर इसे अद्यतन किया जाता है।

‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ के अगले चरण को वर्ष 2021 में किए जाने वाले ‘मकान-सूचीकरण’ और मकान-गणना के साथ अपडेट किया जाना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था।

सामान्य निवासी’ कौन है?

गृह मंत्रालय के अनुसार, ‘देश का सामान्य निवासी’ को निम्नलिखित रूप से परिभाषित किया गया है- वह व्यक्ति, जो कम-से-कम पिछले छह महीनों से किसी स्थानीय क्षेत्र में रहता है अथवा अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक के लिये किसी विशेष स्थान पर रहने का इरादा रखता है।

current affairs

 

इंस्टा जिज्ञासु:

  1. क्या आप जानते हैं कि ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ की अद्यतन प्रक्रिया भारत के महापंजीयक और पदेन जनगणना आयुक्त के तत्वावधान में की जाएगी? ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ के बारे में जानने हेतु पढ़िए
  2. क्या आप आधार पीवीसी कार्ड’ की सुरक्षा विशेषताओं से अवगत हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. नागरिकता से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
  2. NPR डेटा के घटक
  3. सामान्य निवासी कौन है?
  4. NPR कौन तैयार करता है?
  5. कोई व्यक्ति भारतीय नागरिकता कैसे प्राप्त कर सकता है?
  6. क्या एक भारतीय नागरिक दोहरी नागरिकता रख सकता है?
  7. दीर्घकालीन वीजा क्या हैं?
  8. नागरिकता अधिनियम में नवीनतम संशोधन

मेंस लिंक:

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के तहत डेटा संग्रह के लिए राज्यों द्वारा विरोध क्यों किया जा रहा है। चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।

विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम


संदर्भ:

हाल ही में हुए T20 विश्व कप क्रिकेट मैच में, भारत पर पाकिस्तान की जीत के जश्न मनाने वाले छात्रों पर श्रीनगर में ‘विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ (Unlawful Activities (Prevention) Act) लगाया जाएगा।

छात्रों को पुलिस रिकॉर्ड में भारत विरोधी संगठनों के ‘ओवरग्राउंड वर्कर’ (OGWs) के रूप में भी चिह्नित किया जाएगा और भविष्य में सरकार द्वारा वित्त पोषित सभी लाभों से वंचित किया जाएगा।

सरकार द्वारा अपने इस निर्णय के पक्ष में दिए जा रहे तर्क:

किसी अच्छे बल्लेबाज की राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना, उसकी जय-जयकार करने में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन किसी भारतीय संस्था के परिसर में पाकिस्तान का राष्ट्रगान गाना राष्ट्रविरोधी कृत्य है।

विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम के बारे में:

1967 में पारित, विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act-UAPA) का उद्देश्य भारत में गैरकानूनी गतिविधि समूहों की प्रभावी रोकथाम करना है।

  • यह अधिनियम केंद्र सरकार को पूर्ण शक्ति प्रदान करता है, जिसके द्वारा केंद्र सरकार किसी गतिविधि को गैरकानूनी घोषित कर सकती है।
  • इसके अंतर्गत अधिकतम दंड के रूप में मृत्युदंड तथा आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

UAPA के तहत, भारतीय और विदेशी दोनों नागरिकों को आरोपित किया जा सकता है।

  • यह अधिनियम भारतीय और विदेशी अपराधियों पर समान रूप से लागू होता है, भले ही अपराध भारत के बाहर विदेशी भूमि पर किया गया हो।
  • UAPA के तहत, जांच एजेंसी के लिए, गिरफ्तारी के बाद चार्जशीट दाखिल करने के लिए अधिकतम 180 दिनों का समय दिया जाता है, हालांकि, अदालत को सूचित करने के बाद इस अवधि को और आगे बढ़ाया जा सकता है।

वर्ष 2019 में किए गए संशोधनों के अनुसार:

  • यह अधिनियम राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के महानिदेशक को, एजेंसी द्वारा मामले की जांच के दौरान, आतंकवाद से होने वाली आय से निर्मित संपत्ति पाए जाने पर उसे ज़ब्त करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • यह अधिनियम राज्य में डीएसपी अथवा एसीपी या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी के अतिरिक्त, आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच करने हेतु ‘राष्ट्रीय जाँच एजेंसी’ के इंस्पेक्टर या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों को जांच का अधिकार प्रदान करता है।
  • अधिनियम में किसी व्यक्ति को आतंकवादी के रूप में अभिहित करने का प्रावधान भी शामिल है।

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा परिभाषित UAPA की रूपरेखा:

जून 2021 में, विधिविरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act- UAPA), 1967 की एक अन्य रूप से “अस्पष्ट” धारा 15 की रूपरेखा को परिभाषित करते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा, अधिनियम की धारा 18, 15, 17 को लागू करने पर कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत निर्धारित किए गए थे।

UAPA की धारा 15, 17 और 18:

  1. अधिनियम की धारा 15, ‘आतंकवादी कृत्यों’ से संबंधित अपराधों को आरोपित करती है।
  2. धारा 17 के तहत आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाने पर दण्डित करने का प्रावधान किया गया है।
  3. धारा 18, के अंतर्गत ‘आतंकवादी कृत्य करने हेतु साजिश आदि रचने’ या आतंकवादी कृत्य करने हेतु तैयारी करने वाले किसी भी कार्य’ संबंधी अपराधों के लिए आरोपित किया जाता है।

अदालत द्वारा की गई प्रमुख टिप्पणियां:

  1. “आतंकवादी अधिनियम” (Terrorist Act) को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
  2. अदालत ने ‘हितेंद्र विष्णु ठाकुर मामले’ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि, ‘आतंकवादी गतिविधियां’ वे होती है, जिनसे निपटना, सामान्य दंड कानूनों के तहत कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता से बाहर होता है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. विधिविरूद्ध क्रियाकलाप की परिभाषा
  2. अधिनियम के तहत केंद्र की शक्तियां
  3. क्या ऐसे मामलों में न्यायिक समीक्षा लागू है?
  4. 2004 और 2019 में संशोधन द्वारा किए गए बदलाव।
  5. क्या विदेशी नागरिकों को अधिनियम के तहत आरोपित किया जा सकता है?

मेंस लिंक:

क्या आप सहमत हैं कि विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन अधिनियम मौलिक अधिकारों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है? क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्वतंत्रता का बलिदान करना न्यायसंगत है? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक

  • वर्ष 2014 में, प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक’ (National Cyber Security Coordinator – NCSC) का पद सृजित किया गया था।
  • NCSC कार्यालय साइबर सुरक्षा मामलों के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न एजेंसियों के साथ समन्वय करता है।

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