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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
1. संत कबीर दास जयंती
सामान्य अध्ययन-II
1. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ₹8,441.50 करोड़ की परिसंपत्तियों का बैंकों के लिए हस्तांतरण
2. गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र (GIMAC)
3. ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष के रूप में भारत का कार्यकाल समाप्त
4. FATF की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC):
2. प्रोजेक्ट सीबर्ड
3. चीन द्वारा भारतीय सीमा के नजदीक तिब्बत में पहली बुलेट ट्रेन की शुरुआत
सामान्य अध्ययन- I
विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।
संत कबीर दास जयंती
संदर्भ:
इस वर्ष 24 जून को संत कबीर दास की जयंती मनाई गई। हिंदू चंद्र कैलेंडर (Hindu Lunar Calendar) के अनुसार, कबीर जयंती, ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाई जाती है।
‘संत कबीर’ के बारे में:
- संत कबीर दास, 15 वीं शताब्दी में भारत के एक बहुत प्रसिद्ध संत, कवि और समाज सुधारक थे। उनकी प्रख्यात एवं सम्मानित रचनाओं और कविताओं में परमसत्ता की एकात्मकता और महानता का वर्णन मिलता है।
- वे भक्ति आंदोलन के अग्रणी संतों में शामिल थे।
- वह किसी भी धार्मिक भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे और सभी धर्मों को सहज रूप में स्वीकार कर लेते थे।
- उनके द्वारा ‘कबीर पंथ’ के नाम से एक धार्मिक समुदाय की स्थापना की गई और इसके अनुयायियों को ‘कबीर पंथी’ कहा जाता है।
- कबीर दास की विचारधारा पर वैष्णव संत स्वामी रामानंद का काफी प्रभाव था। रामानंद ने कबीर को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया था।
उनकी प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियाँ:
- बीजक, सखी ग्रंथ, कबीर ग्रंथवाली और अनुराग सागर।
- उनके छंद सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में शामिल गए हैं।
- उनकी कई महत्वपूर्ण रचनाओं का सकलन सिखों के पांचवें गुरु, गुरु अर्जन देव द्वारा किया गया था।
संत कबीरदास के रचनाओं में, उनके दो पंक्तियों वाले दोहे’ सर्वाधिक प्रिसिद्ध हैं, इनके लिए ‘कबीर के दोहे’ के नाम से जाना जाता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि ‘अलवार और नयनार’ दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन के संस्थापक माने जाते हैं? अलवार और नयनार कौन थे? इनके बारे में जानने हेतु पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- कबीर दास के बारे में
- उनकी साहित्यिक कृतियाँ
- भक्ति आंदोलन
- भक्ति आंदोलन में प्रमुख समाज-सुधारक
मेंस लिंक:
भक्ति आंदोलन के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन- II
विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ₹8,441.50 करोड़ की परिसंपत्तियों का बैंकों के लिए हस्तांतरण
संदर्भ:
हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate– ED) द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 22,585.83 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के आरोपी विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कुछ परिसम्पतियों को जब्त कर लिया गया, और इससे हासिल 8,441.50 करोड़ रुपयों को बैंकों के लिए हस्तांतरित कर दिए गए हैं।
संबंधित प्रकरण:
प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा शुरू की गई मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन के एक जटिल जाल का पता चला है, इसके माध्यम से आरोपी व्यक्तियों और उनके सहयोगियों द्वारा विदेशों में जमा की गई संपत्ति का भी खुलासा हुआ है।
- इन आरोपियों द्वारा बैंकों से प्राप्त धन-राशि के आवर्तन और इसे बेईमानी से देश से बाहर भेजने के लिए, अपने नियंत्रण वाली ‘फर्जी कंपनियोँ’ का इस्तेमाल किया गया था।
- इसके उपरांत, तीनों आरोपी विदेश भाग गए।
- धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) के तहत जांच पूरी होने के पश्चात् तीनों आरोपियों के खिलाफ अभियोजन मुकदमें दर्ज किए गए।
प्रत्यर्पण की वर्तमान स्थिति:
- विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश ब्रिटेन के ‘वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट’ द्वारा दिया जा चुका है, और इसकी यूनाइटेड किंगडम के ‘उच्च न्यायालय’ द्वारा पुष्टि भी कर दी गई है। वर्तमान में यह मामला ब्रिटेन के गृह विभाग के पास काफी समय से लंबित है।
- वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा ‘नीरव मोदी’ के भारत प्रत्यर्पण का आदेश भी दिया जा चुका है।
- हाल ही में, मेहुल चोकसी को डोमिनिका में हिरासत में लिए गया था।
‘प्रवर्तन निदेशालय’ के बारे में:
इस निदेशालय की उत्पत्ति, 1 मई, 1956 को, ‘विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम’, 1947 (FERA ’47) के तहत विनिमय नियंत्रण कानून के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग में एक ‘प्रवर्तन इकाई’ का गठन किए जाने के साथ हुई थी।
- वर्ष 1957 में, इस इकाई का नाम बदलकर ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate) कर दिया गया।
- ‘प्रवर्तन निदेशालय’, वर्तमान में, वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग का एक भाग है।
- इस संगठन का कार्य, दो विशेष राजकोषीय विधियों- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के प्रावधानों को प्रवर्तित करना है।
संरचना:
यह निदेशालय कार्मिकों की सीधी भर्ती के अलावा, विभिन्न जाँच अभिकरणों अर्थात् सीमा-शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आय-कर, पुलिस आदि से अधिकारियों को भी प्रतिनियुक्ति पर रखता है।
अन्य कार्य:
- भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भारत से भगोड़े/भगोड़ों के मामलों पर कार्रवाई करना।
- FEMA का उल्लंघन करने पर ‘विदेशी मुद्रा संरक्षण तथा तस्करी गतिविधि निवारण अधिनियम’, 1974 (COFEPOSA) के मामलों को प्रत्यायोजित करना।
विशेष अदालतें:
- PMLA की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध की सुनवाई के लिए, केंद्र सरकार (उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से), एक या अधिक सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में गठित कर सकती है। इन अदालतों ” PMLA कोर्ट” भी कहा जाता है।
- PMLA अदालत द्वारा पारित किसी भी आदेश के खिलाफ कोई भी अपील सीधे उस क्षेत्राधिकार के लिए उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी कब कहा जा सकता है? समझने के लिए इसे पढ़ें।
प्रीलिम्स लिंक:
- FEMA क्या है?
- PMLA क्या है?
- COFEPOSA क्या है?
- ‘प्रवर्तन निदेशालय’ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- इसे किस विभाग द्वारा प्रशासित किया जाता है?
मेंस लिंक:
‘प्रवर्तन निदेशालय’ आज पसंदीदा हथियार कैसे बन गया है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।
गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र (GIMAC)
(Gujarat International Maritime Arbitration Centre)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘गुजरात मैरीटाइम यूनिवर्सिटी’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण’ (International Financial Services Centres Authority- IFSCA) के मध्य, ‘गिफ्ट सिटी’ (GIFT City) में ‘गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र’ (GIMAC) की स्थापना करने हेतु एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
यह मध्यस्थता केंद्र, गांधीनगर स्थित ‘गिफ्ट सिटी’ में ‘गुजरात मैरीटाइम बोर्ड’ (GMB) द्वारा स्थापित किया कए जा रहे एक ‘मैरीटाइम क्लस्टर’ का एक भाग होगा।
GIMAC के कार्य:
‘गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र’ (GIMAC), समुद्री और शिपिंग क्षेत्र से संबंधित विवादों में मध्यस्थता-कार्यवाही का प्रबंधन करने हेतु, देश में अपनी तरह का पहला केंद्र होगा।
GIMAC की स्थापना का कारण:
इसका उद्देश्य, भारत में कारोबार करने वाली कंपनियों के बीच वाणिज्यिक और वित्तीय विवादों को हल करने में मदद करने हेतु, समुद्री और शिपिंग विवादों पर केंद्रित एक विश्व स्तरीय मध्यस्थता केंद्र स्थापित करना है।
- वर्तमान में, भारत में 35 से अधिक मध्यस्थता केंद्र हैं, लेकिन इसमें से कोई भी विशेष तौर पर समुद्री क्षेत्र के विवादों का निपटारा करने से संबंधित नहीं है।
- अभी तक, भारतीय पक्षों से जुड़े मध्यस्थता मामलों की सुनवाई सिंगापुर मध्यस्थता केंद्र में की जाती है।
‘गिफ्ट सिटी’ क्या है?
गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (Gujarat International Finance Tec-City: GIFT City), गुजरात में अहमदाबाद के समीप स्थित एक व्यापारिक जिला है।
- यह भारत का पहला क्रियाशील ‘ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी’, और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है। इसके लिए गुजरात सरकार द्वारा ‘ग्रीनफील्ड परियोजना’ के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है।
- यह शहर, साबरमती नदी के तट पर स्थित है।
‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र’ (IFSC) क्या है?
(International Financial Services Centres)
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) घरेलू अर्थव्यवस्था के अधिकार क्षेत्र से बाहर के ग्राहकों की वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- IFSC, सीमा-पारीय वित्त प्रवाह, वित्तीय उत्पादों और सेवाओं से संबंधित होते हैं।
- लंदन, न्यूयॉर्क और सिंगापुर को वैश्विक वित्तीय केंद्रों के रूप में गिना जा सकता है।
IFSC द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं:
- व्यक्तियों, निगमों और सरकारों के लिए फंड जुटाने हेतु सेवाएं।
- पेंशन फंड्स, इंश्योरेंस कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स द्वारा परिसंपत्ति प्रबंधन (Asset management) और ग्लोबल पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन (Global Portfolio Diversification)।
- धन प्रबंधन (Wealth management)।
- वैश्विक कर प्रबंधन और सीमा-पार कर देयता अनुकूलन (Cross-Border Tax Liability Optimization), जो वित्तीय बिचौलियों, लेखाकारों और कानूनी फर्मों के लिए एक व्यावसायिक अवसर प्रदान करते है।
- वैश्विक और क्षेत्रीय कॉरपोरेट ट्रेजरी प्रबंधन संचालन, जिसमें, फंड जुटाना, तरलता निवेश और प्रबंधन और परिसंपत्ति-देयता मिलान करना सम्मिलित होता है।
- बीमा और पुनर्बीमा जैसे जोखिम प्रबंधन कार्य।
- अंतर-राष्ट्रीय निगमों के मध्य विलय और अधिग्रहण संबंधी गतिविधियाँ।
इंस्टा जिज्ञासु:
- क्या आप जानते हैं, कि ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण’ (IFSCA), अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण अधिनियम, 2019 के तहत आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय के अधीन पहला और एकमात्र वैधानिक एकीकृत नियामक निकाय है। इस अधिनियम कानून के बारे में अधिक जानें, Click here
- ग्रीनफील्ड बनाम ब्राउनफील्ड निवेश में क्या अंतर है? इसे पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘मैरीटाइम क्लस्टर’ क्या होते हैं?
- IFSCs क्या होते हैं?
- क्या IFSC को SEZ में स्थापित किया जा सकता है?
- भारत का पहला IFSC
- IFSC द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं?
- IFSC की सीमाएं
मेंस लिंक:
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSC) के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष के रूप में भारत का कार्यकाल समाप्त
संदर्भ:
हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation – ILO) की ‘गवर्निंग बॉडी’ (शासी निकाय) के अध्यक्ष के रूप में भारत का कार्यकाल (अक्टूबर 2020- जून 2021) समाप्त हो गया।
पिछले वर्ष, भारत ने 35 वर्षों के अंतराल के बाद अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के शासी निकाय की अध्यक्षता ग्रहण की थी।
‘गवर्निंग बॉडी’ के बारे में:
यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का शीर्ष कार्यकारी निकाय है। यह नीतियों, कार्यक्रमों, एजेंडा, बजट का निर्धारण तथा महानिदेशक का चुनाव करती है। इसकी बैठक जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में होती है।
ILO के बारे में:
- ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) की स्थापना, प्रथम विश्व युद्ध के बाद ‘लीग ऑफ़ नेशंस’ के लिए एक एजेंसी के रूप में की गयी थी।
- इसे वर्ष 1919 में ‘वर्साय की संधि’ (Treaty of Versailles) द्वारा स्थापित किया गया था।
- ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’, वर्ष 1946 में ‘संयुक्त राष्ट्र’ (United Nations– UN) की पहली विशिष्ट एजेंसी बन गया।
- वर्ष 1969 में इसके लिए ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
- यह संयुक्त राष्ट्र की ऐसी एकमात्र त्रिपक्षीय एजेंसी है, जिसमे सरकारें, नियोक्ता और श्रमिक एक साथ शामिल होते है।
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
इसके द्वारा प्रकाशित प्रमुख रिपोर्ट्स:
- विश्व रोजगार और सामाजिक आउटलुक (World Employment and Social Outlook)
- वैश्विक वेतन रिपोर्ट (Global Wage Report)
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि भारत द्वारा ILO के आठ प्रमुख अभिसमयों में से छह पर पुष्टि कर चुका है? इनमे से किन अभिसमयों पर भारत ने पुष्टि नहीं की है? यहां पढ़ें:
प्रीलिम्स लिंक:
- ILO के बारे में
- शासी निकाय
- ILO द्वारा प्रमुख रिपोर्ट
- ILO के आठ प्रमुख अभिसमयों
- वर्साय की संधि के बारे में
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारतीय और उसके पड़ोस। महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
FATF की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान
संदर्भ:
हाल ही में, ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ (Financial Action Task Force- FATF) ने पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ (Grey List) से बाहर निकालने से इनकार कर दिया है। FATF के अनुसार, पाकिस्तान 26/11 के आरोपी हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के प्रमुख मसूद अजहर जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने में विफल रहा है।
पृष्ठभूमि:
वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (FATF) द्वारा जून 2018 में पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल किया गया था। उस समय से ही पाकिस्तान, इस सूची से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है।
पाकिस्तान ने, वर्ष 2018 में 27 एक्शन पॉइंट लागू करने के लिए एक समयसीमा निर्धारित की गई थी, जिसमे से यह अभी तक 26 एक्शन पॉइंट को लागू कर चुका है।
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के बारे में:
- FATF का गठन 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था। यह एक अंतर-सरकारी निकाय है।
- यह एक ‘नीति-निर्माणक निकाय’ है जो विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर विधायी एवं नियामक सुधार करने हेतु आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति उत्पन्न करने के लिए कार्य करता है।
- इसका सचिवालय पेरिस में ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (Economic Cooperation and Development- OECD) मुख्यालय में स्थित है।
भूमिका एवं कार्य:
- शुरुआत में FATF को मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने संबंधी उपायों की जांच करने तथा इनका विकास करने के लिए स्थापित किया गया था।
- अक्टूबर 2001 में, FATF द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने संबंधी प्रयासों को शामिल करने हेतु अपने अधिदेश का विस्तार किया गया।
- अप्रैल 2012 में, इसके द्वारा सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार हेतु वित्तपोषण पर रोक लगाने को अपने प्रयासों में सम्मिलित किया गया।
संरचना:
‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ / फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) वर्त्तमान में 39 सदस्य सम्मिलित हैं। इसके सदस्य विश्व के अधिकांश वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें 2 क्षेत्रीय संगठन – गल्फ ऑफ कोऑपरेशन कौंसिल (GCC) तथा यूरोपियन कमीशन (EC)- भी सम्मिलित हैं।
इसमें पर्यवेक्षक और सहयोगी सदस्य भी शामिल होते हैं।
ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट:
ब्लैक लिस्ट (Black List): आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों का समर्थन करने वाले तथा इन गतिविधियों पर रोक लगाने संबंधी वैश्विक प्रावधानों के साथ सहयोग नहीं करने वाले देशों (Non-Cooperative Countries or Territories- NCCTs) को ‘ब्लैक लिस्ट’ में रखा जाता है।
FATF द्वारा नियमित रूप से ब्लैकलिस्ट में संशोधन किया जाता है, जिसमे नयी प्रविष्टियों को शामिल किया जाता है अथवा हटाया जाता है।
ग्रे लिस्ट (Grey List): जिन देशों को आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों के लिए सुरक्षित माना जाता है, उन्हें FATF द्वारा ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया जाता है।
‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल देशों को निम्नलिखित स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है:
- आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी से आर्थिक प्रतिबंध।
- आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी और अन्य देशों से ऋण प्राप्त करने में समस्या।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कमी।
- अंतर्राष्ट्रीय बहिष्कार।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप FATF की तरह कार्य करने वाली एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संस्था ‘एशिया/पैसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग’ (APG) के बारे में जानते हैं? इसके उद्देश्यों और कार्यों के बारे में जानें: Click here
प्रीलिम्स लिंक:
- जी-7, जी-8 तथा जी- 20 में अंतर
- ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट
- क्या FATF के निर्णय सदस्य देशों पर बाध्यकारी हैं?
- FATF का प्रमुख कौन है?
- इसका सचिवालय कहाँ है?
मेंस लिंक:
फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) का अधिदेश तथा उद्देश्य क्या हैं? भारत – पाकिस्तान संबंधों के लिए FATF के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC):
‘समुद्री राज्य विकास परिषद’ (Maritime State Development Council), समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए एक शीर्ष सलाहकार निकाय है और इसका उद्देश्य प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के एकीकृत विकास को सुनिश्चित करना है।
- इसका गठन, मई 1997 में राज्य सरकारों के परामर्श से संबंधित समुद्री राज्यों द्वारा या तो सीधे या कैप्टिव यूजर और निजी भागीदारी के माध्यम से मौजूदा और नए छोटे बंदरगाहों के भविष्य के विकास का आकलन करने के लिए किया गया था।
- इसके अलावा, एमएसडीसी समुद्री राज्यों में छोटी बंदरगाहों, कैप्टिव बंदरगाहों और निजी बंदरगाहों के विकास की निगरानी भी करता है।
प्रोजेक्ट सीबर्ड
(Project Seabird)
यह भारत की सबसे बड़ी नौसैनिक बुनियादी ढांचा परियोजना है।
- इस परियोजना का उद्देश्य, भारत के पश्चिमी तट पर कारवार में एक नौसैनिक अड्डे का निर्माण करना है।
- इस परियोजना के पूरा होने के बाद कारवार नौसैनिक अड्डा, पश्चिमी तट पर भारत का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा और स्वेज नहर के पूर्व में सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा बन जाएगा।
- यह सशस्त्र बलों की सैन्य अभियान सम्बंधी तैयारी को और मजबूत करेगा और व्यापार, अर्थव्यवस्था और मानवीय सहायता अभियानों को बढ़ाने में मदद करेगा।
चीन द्वारा भारतीय सीमा के नजदीक तिब्बत में पहली बुलेट ट्रेन की शुरुआत
- चीन ने तिब्बत के सुदूर हिमालयी क्षेत्र में अपनी पहली पूर्ण विद्युतीकृत बुलेट ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया है।
- यह बुलेट ट्रेन, तिब्बती प्रांत की राजधानी ल्हासा और अरुणाचल प्रदेश के करीब रणनीतिक रूप से स्थित न्यिंगची शहर को जोड़ती है।
- यह रेलवे लाइन ‘सिचुआन-तिब्बत रेलवे’ का एक खंड है।
- यह रेल लाइन ब्रह्मपुत्र नदी (यारलुंग जांगबो) को 16 बार पार करती है।
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