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MISSION – 2022: YEARLONG TIMETABLE
सामान्य अध्ययन– I
विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/ उनका योगदान।
1. जब 1914 में प्रथम विश्व युद्ध प्रारम्भ हुआ, भारतीय राष्ट्रवादियों के बीच स्वशासन की मांग में वृद्धि हुई एवं उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरोध में प्रयासों की एकता के महत्व को महसूस किया। 1916 के लखनऊ समझौते के आलोक में टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: अध्याय -14 – आधुनिक भारत का एक संक्षिप्त इतिहास: राजीव अहीर (स्पेक्ट्रम प्रकाशक)
निर्देशक शब्द:
टिप्पणी कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
विभिन्न विचारधाराओं में कांग्रेस के विभाजन का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।
विषय वस्तु:
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान घटित विभिन्न प्रमुख घटनाओं का उल्लेख कीजिए एवं समझाइए कि कैसे ब्रिटिश कैसे फूट डालो और राज करो की राजनीति कर रहे थे।
लखनऊ समझौते की आवश्यकता एवं भारतीयों में स्वशासन की बढ़ती भावना का विवरण दीजिए।
लखनऊ समझौते के भाग के रूप में कांग्रेस-लीग गठबंधन की संयुक्त मांगों का उल्लेख कीजिए।
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय आन्दोलन पर लखनऊ समझौते के प्रभावों को स्पष्ट करते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।
2. किसानों और श्रमिकों के आंदोलनों के लिए गांधी के नेतृत्व ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में उनकी बड़ी भूमिका का मार्ग प्रशस्त किया। दमनकारी रॉलेट एक्ट के बाद, गांधी ने मार्च 1919 में अपना पहला अखिल भारतीय जन सत्याग्रह शुरू किया एवं इसे ब्रिटिश राज के खिलाफ आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। विस्तार से समझाइए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: सरल
सन्दर्भ: अध्याय 14 – भारत का स्वतंत्रता संघर्ष: बिपिन चंद्र।
निर्देशक शब्द:
समझाइए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रश्न से संबंधित सूचना अथवा जानकारी को सरल भाषा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के नेता गांधी एवं उनकी नेतृत्व शैली का संक्षेप में वर्णन करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
मध्यम एवं उच्च वर्ग के बुद्धिजीवियों से मिलकर बने भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय प्रतिभागियों की प्रारंभिक प्रकृति का वर्णन कीजिए।
गांधी के आगमन के बाद हुए परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
राष्ट्रवादी आंदोलनों में जनता की लामबंदी और ऐसे जन नेतृत्व वाले आंदोलनों के परिणामों की प्रकृति पर इसके प्रभाव तथा रॉलेट सत्याग्रह के संबंध में स्वतंत्रता संग्राम में गांधी के उदय का उल्लेख कीजिए और समझाइए कि यह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में कैसे एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
निष्कर्ष:
इस बात पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए कि गांधी ने भारतीय जनसंख्या के बहुमत, जिनका प्रत्यक्ष रुप से अंग्रेजों द्वारा शोषण किया गया था, को स्वतंत्रता संग्राम की मुख्यधारा में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सामान्य अध्ययन– II
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
3. भारत में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के चयन की प्रक्रिया कैसे विकसित हुई है? इसके इतिहास पर प्रकाश डालिए। कॉलेजियम प्रणाली हालांकि कार्यात्मक है लेकिन इसमें भी खामियां हैं। सर्वोच्च न्यायालय में न्याय प्रदान करने के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए सुधारों की आवश्यकता है। जांच कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: सरल
सन्दर्भ: The Hindu , Insights on India
निर्देशक शब्द:
प्रकाश डालिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर लेखन में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह प्रश्न से सम्बंधित प्रासंगिक जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
जांच कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
स्वतंत्रता के बाद से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
तीन न्यायाधीशों के मामले एवं एनजेएसी अधिनियम, 2014 का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उन कारणों के बारे में लिखिए, जो मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली में सुधार की मांग करते हैं।
कॉलेजियम प्रणाली को प्रभावित करने वाले उपरोक्त मुद्दों को दूर करने के लिए सुधारों का सुझाव दीजिए।
निष्कर्ष:
हमारे लोकतंत्र के लिए कुशल, स्वतंत्र एवं सतर्क न्यायपालिका के महत्व का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
4. भारत ने अपने सर्वोत्तम प्रयासों एवं उनसे परे जाकर महामारी से लड़ाई लड़ी। हालांकि, इसका अर्थ यह भी था कि इसने अपने ध्यान एवं संसाधनों को गैर-संचारी रोगों (NCD) से हटा दिया था, जिनकी मृत्यु दर भी अधिक है। इस कथन के आलोक में, विश्लेषण कीजिए कि भारत अपनी गैर-संचारी रोग सेवाओं में व्यवधान से कैसे निपट सकता है। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिए– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
स्वास्थ्य देखभाल कार्यों पर महामारी के कारण होने वाले व्यवधानों का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
गैर-संचारी रोगों (NCD) का उल्लेख कीजिए। गैर-संचारी रोगों (NCD) को महामारी के साथ संबोधित करने की आवश्यकता क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
गैर-संचारी रोगों (NCD) और महामारी दोनों से निपटने के लिए इस समय में आवश्यक उपायों पर प्रकाश डालिए। सामान्य स्थिति बहाल होने के बाद भी दीर्घकालीन आवश्यक कदमों का उल्लेख कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– III
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
5. केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) क्या है? यह कैसे कार्य करती है? केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा धीरे-धीरे विश्व भर में गति तथा स्वीकृति प्राप्त कर रही है। भारत में इसके संभावित लाभों एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: Live Mint
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की व्याख्या करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।
विषय वस्तु:
केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के पीछे की तकनीक की व्याख्या कीजिए।
उन संभावित लाभों के बारे में लिखिए, जो भारत सीबीडीसी से प्राप्त कर सकता है।
सीबीडीसी के संबंध में संभावित चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– IV
विषय: भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों के योगदान।
6 .कांट द्वारा प्रतिपादित निर्णयात्मक रूप से अनिवार्यता (Categorical Imperative) द्वारा किसी व्यक्ति के कर्तव्य का निर्धारण करने का क्या अर्थ है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (150 शब्द)
प्रश्न का स्तर: कठिन
सन्दर्भ: plato.stanford.edu
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
कांट की धर्मशास्त्रीय नैतिकता विचारधारा के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
निर्णयात्मक रूप से अनिवार्यता को विस्तार से समझाइए।
अनिवार्यता के प्रत्येक सूत्र पर प्रकाश डालिए एवं उपयुक्त दृष्टांतों के साथ लिखिए कि कैसे किसी के कर्तव्य को सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए और इससे प्रेरित होना चाहिए।
निष्कर्ष:
कांट के अनुसार कर्तव्य के महत्व को संक्षेप में बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों के योगदान।
7. यदि एकमात्र नैतिक अनिवार्यता सुख की तलाश करना और अपने लिए दुखों से बचना है तो नैतिकता बहुत उथली एवं लगभग अर्थहीन होगी। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (150 शब्द)
प्रश्न का स्तर: कठिन
सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिरुचि के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण: डी.के. बालाजी।
निर्देशक शब्द:
समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तथ्यों को बताते हुए अंत में एक सारगर्भित निष्कर्ष निकालना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
एक नैतिक रूप से उचित कार्रवाई के पीछे सुखवाद के सिद्धांत एवं उसके विचारों पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
स्पष्ट कीजिए कि सिद्धांत के अनुसार, सुख की तलाश करना एवं दुखों से बचना नैतिक रूप से उचित हो सकता है लेकिन इस तरह की नैतिकता का कोई अर्थ नहीं हो सकता है, जो स्वार्थ को बढ़ावा देती है।
उदाहरण सहित, इस बात की पुष्टि कीजिए कि जो एक व्यक्ति के लिए अच्छा या सही हो सकता है, वह जरुरी नहीं कि एक समाज/समुदाय/देश के लिए भी अच्छा हो। अतः इस प्रकार की नैतिकता का कोई अर्थ नहीं है।
निष्कर्ष:
व्यक्तिगत खुशी से परे सोचने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
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