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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. भारत में ‘भुलाए जाने का अधिकार’
2. अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक
3. विशेष इस्पात हेतु ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना’
4. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
सामान्य अध्ययन-III
1. डिजिटल व्यापार सुविधा पर 143 अर्थव्यवस्थाओं का वैश्विक सर्वेक्षण
2. स्वच्छ गंगा निधि
3. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चुनाव
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. अलेक्जेंडर डेलरिम्पल पुरस्कार
2. आर्मेक्स-21
सामान्य अध्ययन- II
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
भारत में ‘भुलाए जाने का अधिकार’
(The ‘Right to be Forgotten’ in India)
संदर्भ:
हाल ही में, एक मशहूर टेलीविजन हस्ती ‘आशुतोष कौशिक’ ने इंटरनेट से अपने वीडियो, तस्वीरें और लेख हटाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इसके लिए उन्होंने अपने ‘भुलाए जाने का अधिकार’’ (Right to be Forgotten) का हवाला दिया है।
याचिका में की गई मांगे:
- कौशिक की याचिका में ‘इंटरनेट पर उससे संबंधित पोस्ट और वीडियो’ का उल्लेख किया गया है, जिनकी वजह से याचिकाकर्ता को उसके द्वारा एक दशक पहले गलती से किए गए छोटे-मोटे कृत्यों के लिए लगातार मनोवैज्ञानिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है।
- याचिका में यह भी कहा गया है, कि याचिकाकर्ता के अपने निजी जीवन में गलतियाँ हो चुकी है और आगामी पीढ़ियों के लिए सार्वजनिक रूप से जानकारी में है, और इसलिए वर्तमान मामले में, ‘यह पहलू’ माननीय अदालत के समक्ष विधिक सुनवाई के लिए एक घटक के रूप में प्रस्तुत है।
भारतीय संदर्भ में ‘भुलाए जाने का अधिकार’:
‘भुलाए जाने का अधिकार’ (Right to be Forgotten), व्यक्ति के ‘निजता के अधिकार’ के दायरे में आता है।
वर्ष 2017 में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने एक ऐतिहासिक फैसले (पुत्तुस्वामी मामले) में ‘निजता के अधिकार’ को एक ‘मौलिक अधिकार’ (अनुच्छेद 21 के तहत) घोषित कर दिया गया था।
इस संदर्भ में ‘निजी डेटा सुरक्षा विधेयक’ के अंतर्गत किए गए प्रावधान:
‘निजता का अधिकार’, ‘निजी डेटा सुरक्षा विधेयक’ (Personal Data Protection Bill) द्वारा प्रशासित होता है, यद्यपि यह विधेयक अभी संसद में लंबित है।
- इस ‘विधेयक’ में विशिष्ट रूप से “भुलाए जाने का अधिकार” के बारे में बात की गई है।
- मोटे तौर पर, ‘भुलाए जाने के अधिकार’ के तहत, उपयोगकर्ता ‘डेटा न्यासियों’ (data fiduciaries) द्वारा जमा की गई अपनी व्यक्तिगत जानकारी को डी-लिंक या सीमित कर सकते है तथा इसे पूरी तरह से हटा भी सकते है या जानकारी को सुधार के साथ दिखाए जाने के लिए इसे सही भी कर सकते हैं।
विधेयक में इस प्रावधान से संबंधित विवाद:
- इस प्रावधान के साथ मुख्य मुद्दा यह है, कि व्यक्तिगत डेटा और जानकारी की संवेदनशीलता को संबंधित व्यक्ति द्वारा स्वतंत्र रूप से निर्धारित नहीं किया जा सकता है, बल्कि ‘डेटा संरक्षण प्राधिकरण’ (Data Protection Authority – DPA) द्वारा इसका निरीक्षण किया जाएगा।
- इसका मतलब यह है, कि हालांकि मसौदा विधेयक में किए गए प्रावधान के अनुसार, उपयोगकर्ता अपने निजी डेटा को इंटरनेट से हटाने की मांग कर सकता है, लेकिन उसका यह अधिकार ‘डेटा संरक्षण प्राधिकरण’ (DPA) के लिए काम करने वाले न्यायनिर्णायक अधिकारी की अनुमति के अधीन होगा।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि यूरोपीय संघ के वर्ष 2018 में लागू किए गए एक क़ानून ‘सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (General Data Protection Regulation- GDPR) भी ‘भुलाए जाने का अधिकार’ संबंधी प्रावधान किया गया है?
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘भुलाए जाने का अधिकार’ के बारे में।
- ‘निजता का अधिकार’ क्या है?
- ‘निजी डेटा संरक्षण विधेयक’ की मुख्य विशेषताएं।
मेंस लिंक:
‘भुलाए जाने का अधिकार’ के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक
(Essential Defence Services Bill)
संदर्भ:
हाल ही में, सरकार द्वारा लोकसभा में ‘अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक’, 2021 (Essential Defence Services Bill, 2021) पेश किया गया।
इसका उद्देश्य, सरकारी स्वामित्व वाले आयुध कारखानों (Ordnance Factories) के कर्मचारियों द्वारा हड़ताल करने पर रोक लगाना है।
विधेयक के प्रमुख बिंदु:
- यह विधेयक, “अनिवार्य रक्षा सेवाओं को जारी रखने हेतु, ताकि राष्ट्र की सुरक्षा और अधिकांश जन-जीवन और संपत्ति को सुरक्षित रखने और इससे संबद्ध या आनुषांगिक विषयों के सबंध में प्रावधान करता है।
- विधेयक में, सरकार को इसमें उल्लिखित सेवाओं को ‘अनिवार्य रक्षा सेवाओं’ के रूप में घोषित करने की शक्ति प्रदान की गई है।
- इसमें, “अनिवार्य रक्षा सेवाओं में संलग्न किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान या इकाई” में हड़ताल और तालाबंदी पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
नवीनतम परिवर्तन:
कुछ समय पूर्व तक, ‘आयुध निर्माणी बोर्ड’ (Ordnance Factory Board), सीधे रक्षा उत्पादन विभाग के अधीन आता था और सरकार के एक अंग के रूप में कार्य करता था। किंतु, जून, 2021 में केंद्र सरकार द्वारा इसका ‘निगमीकरण’ करने संबंधी घोषणा की जा चुकी है।
- इस योजना के अनुसार, सशस्त्र बलों को गोला-बारूद और अन्य उपकरणों की आपूर्ति करने वाले 41 कारखाने, सरकारी स्वामित्व वाली सात कॉर्पोरेट संस्थाओं का हिस्सा बन जाएंगे।
- सरकार के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य इन कारखानों की दक्षता और जवाबदेही में सुधार करना है।
- हालांकि, सरकार के इस फैसले के बाद, कई संघों द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने की घोषणा की गई थी।
- और, इस पर रोक लगाने के लिए सरकार द्वारा 30 जून को ‘अनिवार्य रक्षा सेवा अध्यादेश’ (Essential Defence Services Ordinance) लागू कर दिया गया।
इस विधेयक का प्रभाव:
यह विधेयक, देश भर के 41 आयुध कारखानों के लगभग 70,000 कर्मचारियों पर प्रत्यक्ष रूप से असर डालेगा। ये कार्मिक ‘आयुध निर्माणी बोर्ड’ (OFB) का ‘निगमीकरण’ किए जाने से असंतुष्ट है, और इनको आशंका है कि इससे उनकी सेवा और सेवानिवृत्ति की शर्तों पर प्रभाव पड़ेगा।
आवश्यकता:
आयुध कारखाने, रक्षा मशीनरी और उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन हेतु एक समेकित आधार हैं, और इनका प्रधान उद्देश्य सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक युद्धक्षेत्रक उपकरणों से लैस करना है।
अतः, अनिवार्य रक्षा सेवाओं को जारी रखने हेतु, ताकि राष्ट्र की सुरक्षा और अधिकांश जन-जीवन और संपत्ति को सुरक्षित रखने और इससे संबद्ध या आनुषांगिक विषयों के लिए एक क़ानून बनाना आवश्यक है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप निजीकरण और विनिवेश में अंतर जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘आयुध निर्माणी बोर्ड’ (OFB) क्या है?
- विधेयक के प्रमुख बिंदु
मेंस लिंक:
‘आयुध निर्माणी बोर्ड’ (OFB) के निगमीकरण से जुड़ी चिंताओं पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
विशेष इस्पात हेतु ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना’
(PLI Scheme for Specialty Steel)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘विशेष इस्पात’ (Specialty Steel) के लिए उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना को मंजूरी दी दी गई है।
योजना के प्रमुख बिंदु और महत्व:
- ‘विशेष इस्पात हेतु उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना’ की अवधि वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक पांच वर्षों की होगी।
- इसका उद्देश्य, देश में उच्च ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
- इस योजना के तहत पीएलआई प्रोत्साहन के 3 स्लैब निर्धारित किए गए हैं। निम्नतम स्लैब 4% और उच्चतम 12% है,जोकि इलैक्ट्रिकल स्टील (CRGO) के लिए दिया जाएगा।
- इस योजना का बजटीय परिव्यय ₹6322 करोड़ है।
- इस योजना से लगभग 40,000 करोड़ रूपए का निवेश होने और विशेष इस्पात के लिए 25 मिलियन टन क्षमता का संवर्धन होने की उम्मीद है।
- इस योजना से लगभग 5,25000 लोगों को रोजगार मिलेगा जिसमें से 68,000 प्रत्यक्ष रोजगार होगा।
कवरेज:
उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना में चुनी गई विशेष इस्पात की पांच श्रेणियां निम्नलिखित हैं:
- कोटेड/प्लेटेड इस्पात उत्पाद
- हाई स्ट्रेंथ/ वियररेजिस्टेंटस्टील
- स्पेशियलटी रेल
- अलॉय स्टील उत्पाद और स्टील वॉयर
- इलेक्ट्रिकल स्टील
‘स्पेशलिटी स्टील’ क्या है?
‘विशेष इस्पात’ या ‘स्पेशलिटी स्टील’ (Specialty steel), मूल्य-वर्धित इस्पात होता है। साधारण रूप से तैयार इस्पात को उच्च-मूल्य वर्धित इस्पात में परिवर्तित करने हेतु, कोटिंग, प्लेटिंग, हीट ट्रीटमेंट आदि के माध्यम से विकसित किया जाता है।
इस स्टील का इस्तेमाल, ऑटोमोबाइल क्षेत्र, विशिष्ट पूंजीगत वस्तुओं के अलावा रक्षा, अंतरिक्ष, विद्युत् जैसे विभिन्न रणनीतिक अनुप्रयोगों में किया जा सकता है।
‘पीएलआई योजना’ हेतु ‘स्पेशलिटी स्टील’ को क्यों चुना गया?
- वर्ष 2020-21 में 102 मिलियन टन इस्पात के उत्पादन में से देश में मूल्य-वर्धित इस्पात/विशेष इस्पात के केवल 18 मिलियन टन का उत्पादन हुआ था।
- इसके अलावा, इसी अवधि में 7 मिलियन टन के आयात में से, करीब 4 मिलियन टन आयात केवल विशेष इस्पात का ही था, जिसके परिणामस्वरूप करीब 30,000 करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा का व्यय हुआ।
- विशेष इस्पात के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनकर, भारत इस्पात की मूल्य श्रृंखला मे उन्नति करेगा और कोरिया और जापान जैसे उन्नत इस्पात विनिर्माणक देशों के समकक्ष आएगा।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप कार्बन स्टील और मिश्र धातु इस्पात के बीच अंतर जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- स्पेशलिटी स्टील क्या है?
- अनुप्रयोग
- महत्व
- योजना के बारे में
- पात्रता
मेंस लिंक:
विशेष इस्पात हेतु ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना’ के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
यूनेस्को ‘विश्व धरोहर स्थल’
(UNESCO world heritage sites)
संदर्भ:
हाल ही में, यूनेस्को द्वारा ‘लिवरपूल मैरीटाइम मर्केंटाइल सिटी’ (Liverpool Maritime Mercantile City) को अपनी ‘विश्व विरासत सूची’ से हटाने के लिए मतदान किया गया है।
“संपत्ति के उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य को अभिव्यक्त करने वाली विशेषताओं की अपरिवर्तनीय क्षति” होने के कारण यूनेस्को की समिति द्वारा ‘वाटरफ्रंट’ से ‘विश्व धरोहर स्थल’ का दर्जा वापस ले लिया गया था।
‘विश्व धरोहर स्थल’ क्या होते हैं?
‘विश्व धरोहर स्थल’ या ‘विश्व विरासत स्थल’ (World Heritage site), को अंतर्राष्ट्रीय महत्व तथा विशेष सुरक्षा की आवश्यकता वाले प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित क्षेत्रों या संरचनाओं के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- इन स्थलों को ‘संयुक्त राष्ट्र’ (UN) तथा ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ (UNESCO) द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त होती है।
- यूनेस्को, विश्व धरोहर के रूप में वर्गीकृत स्थलों को मानवता के लिए महत्वपूर्ण मानता हैं, क्योंकि इन स्थलों का सांस्कृतिक और भौतिक महत्व होता है।
- वर्ष 1972 में यूनेस्को द्वारा अपनाई गई ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित अभिसमय’ नामक एक अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत ‘विश्व धरोहर स्थलों’ का संरक्षण किया जाता है।
प्रमुख तथ्य:
- विश्व धरोहर स्थलों की सूची, यूनेस्को की ‘विश्व विरासत समिति’ द्वारा प्रशासित ‘अंतर्राष्ट्रीय विश्व धरोहर कार्यक्रम’ द्वारा तैयार की जाती है। इस समिति में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा निर्वाचित यूनेस्को के 21 सदस्य देश शामिल होते है।
- प्रत्येक विश्व धरोहर स्थल, जहाँ वह अवस्थित होता है, उस देश के वैधानिक क्षेत्र का भाग बना रहता है, और यूनेस्को, इसके संरक्षण को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हित में मानता है।
- विश्व विरासत स्थल के रूप में चयनित होने के लिए, किसी स्थल को पहले से ही भौगोलिक एवं ऐतिहासिक रूप से विशिष्ट, सांस्कृतिक या भौतिक महत्व वाले स्थल के रूप में अद्वितीय, विशिष्ट स्थल चिह्न अथवा प्रतीक के रूप में वर्गीकृत होना चाहिए।
विश्व धरोहर स्थलों के प्रकार:
- ‘सांस्कृतिक विरासत स्थल’ (Cultural heritage sites): इसके अंतर्गत ऐतिहासिक इमारतें और नगर स्थल, महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल और स्मारकीय मूर्तिकला या पेंटिंग आदि शामिल होते हैं।
- ‘प्राकृतिक विरासत स्थल’ (Natural heritage sites): यह प्राकृतिक क्षेत्रों तक ही सीमित होते हैं।
- ‘मिश्रित विरासत स्थल’ (Mixed heritage sites): इसके अंतर्गत शामिल ‘धरोहर स्थलों’ में प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व दोनों के तत्व होते हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं, कि हाल ही में, यूनेस्को द्वारा ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ (Great Barrier Reef) को ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ (In Danger World Heritage Sites) सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई थी। ‘संकटग्रस्त विश्व धरोहर स्थल’ क्या होते हैं?
हाल ही में, भारत की ‘यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों’ की संभावित सूची में छह नए स्थलों को जोड़ा गया है। ये कौन से स्थल हैं? और भारत में कितने विश्व धरोहर स्थल हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- किसी स्थल को ‘विश्व धरोहर स्थल’ किसके द्वारा घोषित किया जाता है?
- ‘संकटापन्न सूची’ (endangered list) क्या है?
- संभावित सूची (tentative list) क्या है?
- भारत में ‘विश्व धरोहर स्थल’ और उनकी अवस्थिति
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन- III
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
डिजिटल व्यापार सुविधा पर 143 अर्थव्यवस्थाओं का वैश्विक सर्वेक्षण
(Global Survey of 143 economies on Digital Trade Facilitation)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘एशिया प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग’ (United Nation’s Economic and Social Commission for Asia Pacific’s – UNESCAP) द्वारा ‘डिजिटल और सतत व्यापार सुविधा’ (Digital and Sustainable Trade Facilitation) पर अपने नवीनतम वैश्विक सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की गई है।
- डिजिटल एवं सतत व्यापार सुविधा पर वैश्विक सर्वेक्षण हर दो साल में UNESCAP द्वारा आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य अपने संबंधित सदस्य देशों में व्यापार सुविधा सुधारों में प्रगति की समीक्षा करना है।
- यह सर्वेक्षण वर्ष 2015 से, पांच संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय आयोगों (United Nations Regional Commissions – UNRCs) – ECA, ECE, ECLAC, ESCAP और ESCWA द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
- वर्ष 2021 के सर्वेक्षण में ‘विश्व व्यापार संगठन’ के ‘व्यापार सुविधा समझौते’ (Trade Facilitation Agreement) में शामिल 58 व्यापार सुविधा उपायों का आकलन भी शामिल किया गया है।
भारत का प्रदर्शन:
- भारत ने वर्ष 2019 में 78.49 प्रतिशत की तुलना में 90.32 प्रतिशत अंक हासिल किए है।
- भारत का समग्र स्कोर भी फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, नॉर्वे, फिनलैंड आदि कई ओईसीडी देशों के मुकाबले अधिक पाया गया है और इसका समग्र स्कोर यूरोपीय संघ के औसत स्कोर से अधिक है।
- दक्षिण एवं दक्षिण पश्चिम एशिया क्षेत्र (63.12 प्रतिशत) और एशिया प्रशांत क्षेत्र (65.85 प्रतिशत) की तुलना में भारत सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला देश है।
पांच प्रमुख संकेतकों पर भारत का प्रदर्शन:
- पारदर्शिता: 100 प्रतिशत
- औपचारिकताएं: 95.83 प्रतिशत
- संस्थागत व्यवस्था एवं सहयोग: 88.89 प्रतिशत
- कागज रहित व्यापार: 96.3 प्रतिशत
- सीमा पार कागज रहित व्यापार: 66.67 प्रतिशत
भारत सरकार द्वारा दिन-प्रतिदिन के प्रशासन में पारदर्शिता लाने हेतु तकनीकी हस्तक्षेप के लिए विभिन्न उपायों को लागू किया है। इसमें शामिल है:
- AEBAS – ‘आधार- समर्थकृत बायोमेट्रिक उपस्थिति’ (Aadhar Enabled Biometric Attendance- AEBAS), से कर्मचारियों की उपस्थिति की रियल-टाइम और सटीक निगरानी करना सुगम हो जाएगा, जिससे कर्मचारियों में समय की पाबंदी सुनिश्चित की जा सकेगी।
- ‘ई-ऑफिस’ (e-Office) का उद्देश्य अधिक कुशल, प्रभावी और पारदर्शी अंत:सरकारी (inter-government) और अंतर-सरकारी (intra-government) विनिमय और प्रक्रियाओं की शुरुआत करना है।
- ‘गवर्नमेंट ई-मार्केट’ (GeM) के माध्यम से, वस्तु एवं सेवाओं की अलग-अलग श्रेणियों के लिए विस्तृत सूचीवद्ध उत्पाद, पारदर्शिता एवं खरीद में आसानी, तथा आपूर्ति और भुगतान और खरीद की निगरानी हेतु उपयोगकर्ता के अनुकूल एक डैश बोर्ड का प्रावधान किया गया है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के बारे में सुना है? इसके द्वारा कौन सी रिपोर्ट्स प्रकाशित की जाती हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘डिजिटल और सतत व्यापार सुविधा’ पर वैश्विक सर्वेक्षण के बारे में।
- मानदंड
- भारत का प्रदर्शन
- अन्य देशों का प्रदर्शन
मेंस लिंक:
नवीनतम सर्वेक्षण में भारत के प्रदर्शन के बारे में चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
स्वच्छ गंगा निधि
(Clean Ganga Fund)
संदर्भ:
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, मार्च 2021 तक स्वच्छ गंगा निधि (Clean Ganga Fund – CGF) में 450 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा हो चुके है।
‘स्वच्छ गंगा निधि’ (CGF) के बारे में:
- इसे ‘भारतीय न्यास अधिनियम’, 1882 (Indian Trust Act, 1882) के तहत एक ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है।
- इसके अंतर्गत, भारत के निवासियों, अनिवासी भारतीयों (NRIs) और भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIOs), कॉरपोरेट्स (सार्वजनिक और निजी क्षेत्र) को गंगा नदी के संरक्षण हेतु योगदान करने की अनुमति दी गई है।
- ‘स्वच्छ गंगा निधि’ में किया गया अंशदान ‘कंपनी अधिनियम’, 2013 की अनुसूची VII में परिभाषित ‘कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व’ (Corporate Social Responsibility – CSR) गतिविधि के दायरे में आता है।
‘कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व’ (CSR) के अंतर्गत निम्नलिखित गतिविधियों को शामिल किया जाता है:
- घाट निर्माण/संशोधन/विस्तार
- घाटों की सफाई
- महत्वपूर्ण घाटों पर सुविधाएं उपलब्ध कराना
- श्मशान निर्माण / संशोधन / विस्तार
- गंगा ग्राम
- नालों और नालियों का जैवोपचार / बायोरेमेडिएशन (Bioremediation)
- सूचना शिक्षा संचार (IEC) गतिविधियां
- कचरा स्किमर्स का उपयोग करके नदी की सतह की सफाई
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
- वृक्षारोपण
‘स्वच्छ गंगा निधि’ का महत्व:
- यह गंगा के प्रति लोगों के उत्साह का उपयोग करने और उन्हें गंगा के करीब लाने और स्वामित्व की भावना पैदा करने की एक पहल है।
- इसमें, गंगा कोष’ में योगदान देने के लिए आगे आने वाले प्रमुख संगठनों और आम जनता को शामिल किया गया है, जिससे स्वच्छ और स्वस्थ गंगा के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मिशन को मजबूती मिलेगी।
प्रीलिम्स लिंक:
- CGF के बारे में।
- NMCG क्या है?
- NGRBA के बारे में।
मेंस लिंक:
गंगा नदी संरक्षण हेतु भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चुनाव
(The election in Pakistan Occupied Kashmir)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ (Pakistan Occupied Kashmir – PoK) में 53 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में करीब 20 लाख मतदाता भाग लेंगे।
‘पाक अधिकृत कश्मीर’ की वर्तमान स्थिति:
- ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ (PoK) को पाकिस्तान में “आजाद जम्मू और कश्मीर” (संक्षेप में “AJK”) कहा जाता है।
- भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1949 के हुए युद्धविराम के बाद ‘PoK’ अपने अस्तित्व में आया था।
- इस क्षेत्र में, तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य के कुछ हिस्से शामिल हैं, जिन पर वर्ष 1949 में पाकिस्तानी सेना का कब्जा था।
- ‘पीओके’ पर पाकिस्तान की संवैधानिक स्थिति यह है, कि यह देश का हिस्सा नहीं है, बल्कि कश्मीर का “विमुक्त” हिस्सा है।
हालाँकि, पाकिस्तान के संविधान का अनुच्छेद 257 में कहा गया है. कि “जब जम्मू और कश्मीर राज्य के लोग पाकिस्तान में शामिल होने का निर्णय लेंगे, तब पाकिस्तान और राज्य के बीच संबंध, उस राज्य के निवासियों की इच्छा के अनुसार निर्धारित किए जाएंगे।”
‘पाक अधिकृत कश्मीर’ की राजनीतिक संरचना और इसका प्रशासन:
पाकिस्तान के संविधान में देश के चार प्रांतों – पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा को सूचीबद्ध किया गया है।
- सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए, ‘पीओके’ को पाकिस्तान सरकार द्वारा पूर्णतः शक्तिमान ‘कश्मीर परिषद’ के माध्यम से प्रशासित किया जाता है। कश्मीर परिषद्, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में 14 नामित सदस्यों का एक निकाय है।
- ‘पीओके’ की विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का होता है। विधायकों द्वारा इस क्षेत्र के लिए एक “प्रधान मंत्री” और “राष्ट्रपति” का चुनाव किया जाया है।
- प्रत्यक्षतः ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ (PoK) एक स्वायत्त, स्वशासी क्षेत्र है, किंतु वास्तविक रूप में, कश्मीर के सभी मामलों पर अंतिम निर्णय पाकिस्तानी सेना द्वारा लिए जाते है।
पीओके पर भारत का रुख:
- ‘पीओके’ भारत का एक अभिन्न अंग है, यह तथ्य वर्ष 1947 से लगातार हमारी नीति का भाग रहा है।
- भारत ने दुनिया को यह भी स्पष्ट कर दिया है, कि पीओके से जुड़ा कोई भी मामला भारत का आंतरिक मामला है।
- कृपया ध्यान दें, कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) नव निर्मित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का हिस्सा है, और गिलगित-बाल्टिस्तान, भारत सरकार द्वारा जारी नवीनतम मानचित्रों में केंद्र शासित प्रदेश ‘लद्दाख’ का भाग है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप गिलगित बाल्टिस्तान के बारे में जानते हैं? यह ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ के उत्तर में फैले एक पहाड़ी क्षेत्र और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पूर्व में अवस्थित है। यह PoK से किस प्रकार भिन्न है?
प्रीलिम्स लिंक:
- पीओके की अवस्थिति
- इससे होकर बहने वाली नदियाँ
- इसके निकटवर्ती देश / राज्य
- विलय के दस्तावेज
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
अलेक्जेंडर डेलरिम्पल पुरस्कार
(Alexander Dalrymple award)
भारत के प्रमुख हाइड्रोग्राफर वाइस एडमिरल विनय बधवार को ब्रिटिश उच्चायुक्त द्वारा हाइड्रोग्राफी और नॉटिकल कार्टोग्राफी के क्षेत्रों में उनके कार्यों के लिए प्रतिष्ठित अलेक्जेंडर डेलरिम्पल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- ‘अलेक्जेंडर डेलरिम्पल पुरस्कार’ का नामकरण एडमिरल्टी के पहले हाइड्रोग्राफर के नाम पर रखा गया है और इसे 2006 में स्थापित किया गया था।
- इस पुरस्कार के विजेता का चयन यूके हाइड्रोग्राफिक ऑफिस के मुख्य समिति द्वारा विश्व भर में हाइड्रोग्राफी, कार्टोग्राफी और नेविगेशन के मानकों को बढ़ाने के प्रयासों के लिए किया जाता है।
आर्मेक्स-21
(ARMEX-21)
यह भारतीय सेना का एक स्कीइंग अभियान है।
- आर्मेक्स-21 का आयोजन देश व भारतीय सेना में साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हिमालयी क्षेत्र की पर्वत श्रृंखलाओं में किया गया था।
- इस अभियान को 10 मार्च को लद्दाख के काराकोरम दर्रे पर रवाना किया गया था और 6 जुलाई को उत्तराखंड के मलारी में यह समाप्त हुआ।
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