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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
1. टीपू सुल्तान
सामान्य अध्ययन-II
1. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ‘दांपत्य अधिकार’
2. मानव तस्करी-रोधी विधेयक का मसौदा
3. मेकेदातु बांध परियोजना
सामान्य अध्ययन-III
1. चीन का ‘ज़ूरॉंग’ रोवर
2. इज़राइली स्पाइवेयर पेगासस
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. कादंबिनी गांगुली
2. बुध ग्रह की ‘कोर’ के संबंध में नई खोजें
सामान्य अध्ययन- I
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
टीपू सुल्तान
संदर्भ:
हाल ही में, मैसूर के शासक ‘टीपू सुल्तान’ का नाम, बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा पूर्वी मुंबई के एक उपनगर गोवंडी में एक उद्यान का नामकरण इसके नाम पर करने के प्रयासों को लेकर विवाद के केंद्र में आ गया है।
संबंधित प्रकरण:
- पूर्वी मुंबई के एक स्थानीय पार्षद द्वारा, टीपू सुल्तान’ को एक “स्वतंत्रता सेनानी” और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ युद्ध करने वाला बताते हुए, हाल ही में विकसित किए गए एक नए उद्यान का नामकरण इसके नाम पर करने के सुझाव दिया गया।
- पार्षद की मांग को BMC प्रशासन द्वारा ‘जून’ में स्वीकार कर लिया गया, और इसकी मंजूरी के लिए 15 जुलाई को ‘मार्केट एंड गार्डन कमेटी’ के पास भेज दिया गया।
- किंतु, BMC के इस निर्णय की विपक्ष द्वारा आलोचना की जा रही है और इसका कहना है कि, टीपू सुल्तान एक हिंदू-विरोधी शासक था और उनके नाम पर उद्यान का नामकरण किए जाने से हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत होंगी।
‘टीपू सुल्तान’ कौन था?
‘टीपू सुल्तान’ मैसूर राज्य का शासक और मैसूर के सुल्तान हैदर अली का सबसे बड़ा पुत्र था।
विस्तृत राष्ट्रीय इतिहास में, टीपू को अब तक कल्पनाशील और साहसी व्यक्ति, तथा प्रतिभाशाली सैन्य रणनीतिकार के रूप में देखा गया है, जिसने अपने 17 वर्षों के छोटे से शासनकाल के दौरान, भारत में ब्रिटिश कंपनी को सबसे गंभीर चुनौती दी।
टीपू सुल्तान के योगदान:
- टीपू सुल्तान ने मात्र 17 साल की उम्र में पहले एंग्लो-मैसूर युद्ध (1767-69) और बाद में, मराठों के खिलाफ और दूसरे एंग्लो-मैसूर युद्ध (1780-84) में भाग लिया।
- उसने 1767-99 के दौरान कंपनी की सेना से चार युद्ध किए और चौथे आंग्ल मैसूर युद्ध में अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए मारा गया।
- टीपू ने नई तकनीक का उपयोग करते हुए यूरोपीय तर्ज पर अपनी सेना को पुनर्गठित किया, और अपनी सेना में पहली बार लड़ाई में काम आने वाले रॉकेट को शामिल किया।
- उसने, विस्तृत सर्वेक्षण और वर्गीकरण के आधार पर एक भू-राजस्व प्रणाली तैयार की, जिसमें करों को सीधे किसानों पर आरोपित किया जाता था, और राज्य के संसाधन-आधार को विस्तृत करते हुए, इन करों को वेतनभोगी एजेंटों के माध्यम से नकदी के रूप में एकत्र किया जाता था।
- उसने, कृषि का आधुनिकीकरण, बंजर भूमि के विकास के लिए कर छूट, सिंचाई हेतु बुनियादी ढांचे का निर्माण और पुराने बांधों की मरम्मत करवाई। कृषि उत्पादों और रेशम उत्पादन को बढ़ावा दिया। व्यापार में सहयोग करने के लिए एक नौसेना का गठन किया।
- उसने, कारखानों की स्थापना के लिए एक “राज्य वाणिज्यिक निगम” का भी गठन किया।
‘टीपू सुल्तान’ के संबंध में विवादों का कारण:
- लगभग हर ऐतिहासिक शख्सियत द्वारा टीपू सुल्तान के प्रति दिलचस्पी दिखाई गई है और लगभग सबका दृष्टिकोण भिन्न रहा है।
- हैदर और टीपू, दोनों अपने राज्य का विस्तार करने की महत्वाकांक्षाएं रखते थे, उन्होंने मैसूर के बाहर राज्यों पर आक्रमण किए और उन पर अपना अधिकार स्थापित किया। इन हमलों के दौरान, उन्होंने छोटे- छोटे कई नगरों कस्बों और गांवों को जला दिया, सैकड़ों मंदिरों और चर्चों को नष्ट कर दिया, और हिंदुओं का जबरन धर्मांतरण करवाया।
- ऐतिहासिक दस्तावेजों में, टीपू द्वारा “काफिरों” को इस्लाम में धर्म परिवर्तिन करने हेतु मजबूर करने उनके पूजा स्थलों को नष्ट करने की शेखी बघारने के संबंध में विवरण दर्ज है।
- टीपू के संबंध में असहमति रखने वाले दो प्रकार के लोग है, एक जो उसे “मैसूर का बाघ” बताते हुए उसे उपनिवेशवाद के खिलाफ एक प्रतिरोध और कर्नाटक के एक महान सपूत के रूप में देखते हैं तथा दूसरे वे, जो उसे मंदिरों को नष्ट करने और हिंदुओं एवं ईसाइयों के जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए कट्टर और अत्याचारी बताते हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि ऐतिहासिक रूप से मैसूर या महिषार का सर्वप्रथम उल्लेख 245 ईसा पूर्व में राजा अशोक के समय में किया गया था? मैसूर राज्य पर शासन करने वाले राजवंशो में बारे में जानिए।
प्रीलिम्स लिंक:
- टीपू सुल्तान के बारे में
- उसके द्वारा लादे गए युद्ध
- उन युद्धों के परिणाम
मेंस लिंक:
टीपू का नाम पर हालिया विवाद के विषय पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन- II
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ‘दांपत्य अधिकार’
(Conjugal rights before Supreme Court)
संदर्भ:
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘हिंदू पर्सनल लॉ’ के तहत ‘दांपत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन’ (Restitution of Conjugal Rights) को अनुमति देने वाले प्रावधान पर एक नई चुनौती पर सुनवाई किए जाने की संभावना है।
‘दांपत्य अधिकार’ क्या हैं?
‘हिंदू विवाह अधिनियम’, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955) की धारा 9 ‘दांपत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन’ से संबंधित है।
- ‘दांपत्य अधिकार’ विवाह से सृजित अधिकार होते हैं, अर्थात जब दो व्यक्ति (पति-पत्नी) परस्पर विवाह करते हैं तो, विवाह संपन्न होने के पश्चात दोनों के एक-दूसरे के प्रति कुछ सामाजिक अधिकार तथा दायित्व उत्पन्न होते हैं।
- देश का क़ानून- विवाह, तलाक आदि से संबंधित ‘निजी कानूनों’ (पर्सनल लॉज़) में और आपराधिक कानून में, पति या पत्नी को भरण-पोषण और गुजारा भत्ता देने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इन सामाजिक अधिकारों तथा दायित्वों को मान्यता देता है।
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 ‘दांपत्य अधिकारों’ के एक पहलू- पति-पत्नी के साहचर्य का अधिकार– को मान्यता देती है और इन अधिकारों के क्रियान्वयन हेतु, पति या पत्नी को अदालत जाने की अनुमति देकर, इनकी रक्षा करती है।
इन अधिकारों को किस प्रकार लागू किया जा सकता है?
- जब पति या पत्नी में से कोई एक, बिना किसी युक्तियुक्त कारण (Reasonable excuse) के दूसरे को छोड़कर चला गया है, तो ऐसी परिस्थिति में पीड़ित पक्षकार जिला अदालत में याचिका के माध्यम से अपील कर सकता है।
- और जब अदालत को इस बात की संतुष्टि हो जाती है, कि याचिका में दिए गए बयानों में सच्चाई है और इस पर सुनवाई नहीं करने का कोई वैधानिक आधार नहीं है, तब अदालत, तदनुसार ‘दांपत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन’ (Restitution of Conjugal Rights) करने का आदेश सुना सकती है।
- इसके अलावा, यदि पति या पत्नी में से कोई एक साथ रहने से इंकार करता है, तो दूसरा पक्ष ‘फैमली कोर्ट’ में साथ रहने के लिए आदेश जारी करने की मांग कर सकता है। अदालत के आदेश का पालन नहीं होने पर, अदालत संबंधित दोषी पक्ष की संपत्ति कुर्क कर सकती है। यद्यपि, अदालत के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है।
इस कानून को चुनौती दिए जाने संबंधी कारण:
इस कानून को चुनौती देने का मुख्य आधार यह है, कि यह ‘निजता के मौलिक अधिकार’ का उल्लंघन करता है।
- यह क़ानून राज्य की ओर से ‘जबरदस्ती किए जाने’ के समान है, और यह किसी की यौनसंबंधी और निर्णय लेने संबंधी स्वायत्तता, तथा ‘निजता और गरिमा’ के अधिकार का उल्लंघन है।
- यह प्रावधान महिलाओं को अनुचित तरीके से प्रभावित करता है। इस प्रावधान के तहत महिलाओं को अक्सर उनके ससुराल-घरों में वापस बुलाया जाता है, और चूंकि क़ानून के तहत, ‘वैवाहिक बलात्कार’ एक अपराध नहीं माना जाता है, अतः इसे देखते हुए महिलाओं को जबरदस्ती साथ रहने के लिए विवश करना, उन्हें असुरक्षित बनाता है।
- इसके अलावा यह सवाल भी उठता है, कि विवाह-संस्था की रक्षा करने में राज्य का इतना कौन सा महत्वपूर्ण हित हो सकता है कि उसको, पति-पत्नी को साथ रखने के लिए एक क़ानून बनाना पड़ा है?
इंस्टा जिज्ञासु:
वर्ष 2019 में, सुप्रीम कोर्ट की नौ-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा ‘निजता के अधिकार’ को ‘मौलिक अधिकार’ के रूप में मान्यता दी गयी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बारे में अधिक जानने हेतु देखें ।
प्रीलिम्स लिंक:
- दांपत्य अधिकार क्या हैं?
- हिंदू पर्सनल लॉ के बारे में
- हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9
मेंस लिंक:
दांपत्य अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मानव तस्करी-रोधी विधेयक का मसौदा
(Draft anti-trafficking Bill)
संदर्भ:
‘मानव तस्करी (रोकथाम, देखभाल और पुनर्वास) विधेयक, 2021’ (Trafficking in Persons (Prevention, Care and Rehabilitation) Bill, 2021) को संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किए जाने की संभावना है।
विधेयक के प्रमुख बिंदु:
- प्रस्तावित विधेयक में अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रस्ताव किया गया है, जिसके तहत भारी जुर्माना और उनकी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है।
- इस विधेयक में महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा देने के साथ-साथ पीड़ितों के रूप में ट्रांसजेंडर या तस्करी के शिकार किसी भी अन्य व्यक्ति को भी शामिल किया गया हैं।
- इस मसौदा में उस प्रावधान को भी समाप्त करने के प्रावधान किया गया है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को ‘पीड़ित’ के रूप में परिभाषित करने के लिए, उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाना आवश्यक होता है।
- ‘शोषण’ की परिभाषा में, दूसरों का वेश्यावृत्ति के रूप में शोषण अथवा पोर्नोग्राफी जैसे यौन शोषण के अन्य स्वरूपों, शारीरिक शोषण का कोई भी कृत्य, बलात श्रम, दासता या दासता जैसी प्रथाओं, गुलामी या अंगो को जबरन हटवाना आदि, को शामिल किया गया है।
प्रयोज्यता:
यह क़ानून निम्नलिखित सभी व्यक्तियों पर लागू होगा –
- भारत की सीमा में और बाहर रहने वाले सभी नागरिक।
- भारत में पंजीकृत किसी भी जहाज या विमान पर सवार व्यक्ति, चाहे वह कहीं भी हो या भारतीय नागरिकों को कहीं भी ले जा रहा हो।
- इस अधिनियम के तहत अपराध करने के समय भारत में निवास करने वाला कोई भी विदेशी नागरिक या राज्य-हीन (स्टेटलेस) व्यक्ति।
- सीमा-पार निहितार्थ वाला मानव-तस्करी का हर अपराध।
- रक्षा कर्मी और सरकारी कर्मचारी, डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ या प्राधिकार-स्थिति धारण करने वाला कोई भी व्यक्ति।
भारत में तस्करी से संबंधित संवैधानिक और विधायी प्रावधान:
- अनुच्छेद 23 (1) के तहत भारत के संविधान के तहत मानव या व्यक्तियों की तस्करी निषिद्ध है।
- अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 (Immoral Traffic (Prevention) Act – ITPA), व्यावसायिक यौन शोषण के लिए तस्करी की रोकथाम हेतु प्रमुख कानून है।
- आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 के अंतर्गत भारतीय दंड संहिता की धारा 370 को धारा 370 और 370A IPC से प्रतिस्थापित किया गया है, जिनमे मानव तस्करी के खतरे का मुकाबला करने हेतु व्यापक प्रावधान किए गए हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप मानव तस्करी की रोकथाम से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के ‘ब्लू हार्ट अभियान’ के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- IPC की धारा 370 और 370A किससे संबंधित है?
- संविधान का अनुच्छेद 23 (1)
- संयुक्त राष्ट्र का ब्लू हार्ट अभियान किससे संबंधित है?
- ‘प्रथम उत्तरदाता’ कौन होते हैं?
- ‘मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस’ के बारे में
मेंस लिंक:
भारत में मानव तस्करी से संबंधित संवैधानिक और विधायी प्रावधानों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मेकेदातु बांध परियोजना
(Mekedatu dam project)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार ने आश्वासन देते हुए कहा है, कि कर्नाटक द्वारा प्रस्तुत की गई ‘विस्तृत परियोजना रिपोर्ट’ (Detailed Project Report – DPR) पर ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण’ (CWMA) द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने तक, कर्नाटक को कावेरी नदी पर स्थित ‘मेकेदातु बांध परियोजना’ पर कोई निर्माण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पृष्ठभूमि:
कावेरी नदी पर प्रस्तावित ‘मेकेदातु बांध परियोजना’ को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच मतभेद चल रहा हैं।
मेकेदातु की अवस्थिति:
मेकेदातु का अर्थ, बकरी की छलांग (goat’s leap) होता है। मेकेदातु एक गहरा खड्ड (gorge) है तथा यह कावेरी और उसकी सहायक अर्कावती नदी के संगम पर स्थित है।
मेकेदातु परियोजना से संबंधित विवाद:
इस परियोजना का उद्देश्य, बेंगलुरू शहर के लिए पीने के प्रयोजन हेतु पानी का भंडारण और आपूर्ति करना है। इस परियोजना के माध्यम से लगभग 400 मेगावाट बिजली उत्पन्न करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
- तमिलनाडु ने यह कहते हुए आपत्ति जताई है, कि इस परियोजना से तमिलनाडु में कावेरी नदी के जल का प्रवाह प्रभावित होगा।
- तमिलनाडु का यह भी कहना है कि यह परियोजना उच्चतम न्यायालय और कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (CWDT) के अंतिम आदेश का उल्लंघन करती है, जिसके अनुसार- अंतर-राज्यीय नदियों के पानी पर कोई भी राज्य विशेष स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता है, और न ही किसी राज्य के लिए अन्य राज्यों को इन नदियों के पानी से वंचित करने का दावा करने अधिकार है।
कावेरी नदी:
- कावेरी नदी का उद्गम दक्षिण-पश्चिमी कर्नाटक राज्य में पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरी पर्वत से होता है। इसे दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है।
- यह नदी बेसिन, तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विस्तृत हैं: तमिलनाडु, 43,868 वर्ग किलोमीटर, कर्नाटक, 34,273 वर्ग किलोमीटर, केरल, 2,866 वर्ग किलोमीटर और पुदुचेरी।
- प्रमुख सहायक नदियाँ: हेमावती, लक्ष्मीतीर्थ, काबिनी, अमरावती, नोयल और भवानी नदियाँ।
- कावेरी नदी पर जलप्रपात: कावेरी नदी पर तमिलनाडु में होगेनक्कल जलप्रपात तथा कर्नाटक राज्य में भारचुक्की और बालमुरी जलप्रपात अवस्थित है।
- बांध: तमिलनाडु में सिंचाई और जल विद्युत प्रयोजन हेतु मेट्टूर बांध का निर्माण किया गया था।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण’ का गठन केंद्र द्वारा ‘अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956’ के प्रावधानों के तहत किया गया था? इसके क्या कार्य हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- कावेरी की सहायक नदियाँ।
- बेसिन में अवस्थित राज्य।
- नदी पर स्थित महत्वपूर्ण जलप्रपात तथा बांध।
- मेकेदातु कहाँ है?
- प्रोजेक्ट किससे संबंधित है?
- इस परियोजना के लाभार्थी।
मेंस लिंक:
मेकेदातु परियोजना पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन- III
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
चीन का ‘ज़ूरॉंग’ रोवर
(China’s ‘Zhurong’ rover)
संदर्भ:
चीन का ‘ज़ूरॉंग’ रोवर (‘Zhurong’ rover) मंगल ग्रह की सतह पर अब तक 509 मीटर की दूरी तय कर चुका है।
ज़ूरॉंग रोवर, मंगल ग्रह के 63 दिनों से, लाल ग्रह पर अपना कार्य कर रहा है। मंगल ग्रह का ‘एक दिन’ पृथ्वी के ‘एक दिन’ से लगभग 40 मिनट लंबा होता है।
पृष्ठभूमि:
- चीन का ‘तियानवेन-1’ (Tianwen-1) मिशन, 23 जुलाई, 2020 को लॉन्च किया गया था। इस मिशन में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर मंगल ग्रह पर भेजे गए हैं।
- रोवर को ले जाने वाला लैंडर, इसी वर्ष 15 मई को मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में अवस्थित ‘यूटोपिया प्लैनिटिया’ (Utopia Planitia) नामक विशाल मैदान के दक्षिणी भाग में उतरा था।
अभियान के पांच प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्य:
- मंगल का भूवैज्ञानिक मानचित्र का निर्माण करना।
- मंगल की मृदा विशेषताओं का परीक्षण करना तथा पानी-बर्फ के संभावित भंडारों की खोज करना।
- मगल ग्रह के सतही पदार्थों की संरचना का विश्लेषण करना।
- मंगल ग्रह के वातावरण और जलवायु की जांच करना।
- मंगल ग्रह के विद्युत-चुम्बकीय तथा गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों का अध्ययन करना।
तियानवेन -1 मिशन का महत्व:
- सबसे पहले, ‘ज़ूरॉंग’ रोवर की सफल लैंडिंग के साथ ही, चीन सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद मंगल ग्रह पर एक सफलता पूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला तीसरा राष्ट्र बन गया है।
- दूसरा, मंगल ग्रह पर किसी रोवर के सफलतापूर्वक परिनियोजन के साथ ही चीन, अमेरिका के बाद मंगल की सतह पर रोवर भेजने वाला दूसरा देश बन गया है।
- तीसरा, चीन मंगल ग्रह पर, अपने पहले मिशन के दौरान ही परिक्रमण, लैंडिंग और भ्रमण संबंधी क्रिया कलाप करने वाला पहला देश बन गया है।
मंगल ग्रह पर भेजे जाने वाले अन्य मिशन:
- नासा का परसेवरेंस रोवर
- संयुक्त अरब अमीरात का होप मार्स मिशन (यूएई का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन)
- भारत का मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) या मंगलयान
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि वर्ष 1971 में मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान भेजने वाला पहला देश सोवियत संघ (USSR) था।
प्रीलिम्स लिंक:
- मिशन के उद्देश्य
- अन्य मंगल मिशन
- भारत का मंगल मिशन
मेंस लिंक:
तियानवेन -1 मिशन के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
इज़राइली स्पाइवेयर पेगासस
(Israeli spyware Pegasus)
संदर्भ:
हाल ही में जारी नवीनतम रिपोर्ट्स में ‘पेगासस स्पाइवेयर’ (Pegasus spyware) का निरंतर उपयोग किए जाने की पुष्टि की गई है। इस ‘स्पाइवेयर’ को एक इजरायली कंपनी द्वारा, विश्व में कई देशों की सरकारों को बेचा जाता है। जिन फोनों को इस ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के द्वारा लक्षित किया जाता है, उनकी तरह ही इस ‘स्पाइवेयर’ को भी अपडेट किया गया है और अब नई जासूसी क्षमताओं से युक्त है।
‘पेगासस’ क्या है?
यह ‘एनएसओ ग्रुप’ (NSO Group) नामक एक इजरायली फर्म द्वारा विकसित एक ‘स्पाइवेयर टूल’ अर्थात जासूसी उपकरण है।
- यह स्पाइवेयर, लोगों के फोन के माध्यम से उनकी जासूसी करता है।
- पेगासस, किसी उपयोगकर्ता के फ़ोन पर एक ‘एक्सप्लॉइट लिंक’ (exploit link) भेजता है, और यदि वह लक्षित उपयोगकर्ता, उस लिंक पर क्लिक करता है, तो उसके फोन पर ‘मैलवेयर’ (malware) या ‘जासूसी करने में सक्षम’ कोड इंस्टॉल हो जाता है।
- एक बार ‘पेगासस’ इंस्टॉल हो जाने पर, हमलावर के पास ‘लक्षित’ उपयोगकर्ता के फोन पर नियंत्रण और पहुँच हो जाती है।
‘पेगासस’ की क्षमताएं:
- पेगासस, “लोकप्रिय मोबाइल मैसेजिंग ऐप से, लक्षित व्यक्ति का निजी डेटा, उसके पासवर्ड, संपर्क सूची, कैलेंडर ईवेंट, टेक्स्ट संदेश, लाइव वॉयस कॉल आदि को हमलावर के पास पहुंचा सकता है”।
- यह, जासूसी के के दायरे का विस्तार करते हुए, फ़ोन के आस-पास की सभी गतिविधियों को कैप्चर करने के लिए लक्षित व्यक्ति के फ़ोन कैमरा और माइक्रोफ़ोन को चालू कर सकता है।
‘जीरो-क्लिक’ अटैक क्या है?
‘जीरो-क्लिक अटैक’ (zero-click attack), पेगासस जैसे स्पाइवेयर को बिना किसी मानवीय संपर्क या मानवीय त्रुटि के, लक्षित डिवाइस पर नियंत्रण हासिल करने में मदद करता है।
- तो, जब लक्षित डिवाइस ही ‘सिस्टम’ बन जाता है, तो ‘फ़िशिंग हमले से कैसे बचा जाए, या कौन से लिंक पर क्लिक नहीं करना है, इस बारे में सभी तरह की जागरूकता व्यर्थ साबित हो जाती है।
- इनमें से अधिकतर ‘जीरो-क्लिक अटैक’ किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा डिवाइस पर प्राप्त हुए डेटा की विश्वसनीयता निर्धारित करने से पहले ही, सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर लेते हैं।
मैलवेयर, ट्रोजन, वायरस और वर्म में अंतर:
मैलवेयर (Malware), कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से अवांछित अवैध कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया सॉफ़्टवेयर होता है। इसे दुर्भावनापूर्ण इरादे वाले सॉफ़्टवेयर के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।
मैलवेयर को उनके निष्पादन, प्रसार और कार्यों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। इसके कुछ प्रकारों की चर्चा नीचे की गई है।
- वायरस (Virus): यह एक प्रोग्राम होता है, जो कंप्यूटर के अन्य प्रोग्रामों को, उनमे अपनी ही एक संभावित विकसित प्रतिलिपि शामिल करके, संशोधित और संक्रमित कर सकता है।
- वर्म्स (Worms): यह कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से प्रसारित होते हैं। यह, कंप्यूटर वर्म्स, वायरस के विपरीत, वैध फाइलों में घुसपैठ करने के बजाय एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में खुद को कॉपी करते हैं।
- ट्रोजन (Trojans): ट्रोजन या ट्रोजन हॉर्स एक ऐसा प्रोग्राम होते है, जो आमतौर पर किसी सिस्टम की सुरक्षा को बाधित करते है। ट्रोजन का उपयोग, सुरक्षित नेटवर्क से संबंधित कंप्यूटरों पर बैक-डोर बनाने के लिए किया जाता है ताकि हैकर सुरक्षित नेटवर्क तक अपनी पहुंच बना सके।
- होक्स (Hoax): यह एक ई-मेल के रूप में होता है, और उपयोगकर्ता को, उसके कंप्यूटर को नुकसान पहुचाने वाले किसी सिस्टम के बारे में चेतावनी देता है। इसके बाद, यह ई-मेल संदेश, उपयोगकर्ता को नुकसान पहुंचाने वाली सिस्टम को ठीक करने के लिए एक ‘प्रोग्राम’ (अक्सर डाउनलोड करने के लिए) चालू करने का निर्देश देता है। जैसे ही यह प्रोग्राम चालू या ‘रन’ किया जाता है, यह सिस्टम पर हमला कर देता है और महत्वपूर्ण फाइलों को मिटा देता है।
- स्पाइवेयर (Spyware): यह कंप्यूटर पर हमला करने वाले प्रोग्राम होते हैं, और, जैसा कि इसके नाम का तात्पर्य है, ये बिना सहमति के उपयोगकर्ता की गतिविधियों पर नज़र रखते है। ‘स्पाइवेयर’ आमतौर पर वास्तविक ई-मेल आईडी, गैर-संदेहास्पद ई-मेल के माध्यम से अग्रेषित किए जाते हैं। स्पाइवेयर, दुनिया भर में लाखों कंप्यूटरों को संक्रमित करते रहते हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने ‘गूगल प्रोजेक्ट ज़ीरो’ के बारे में सुना है?
प्रीलिम्स लिंक:
- स्पाइवेयर के बारे में
- पेगासस के बारे में
- स्पाइवेयर, मैलवेयर और ट्रोजन के बीच अंतर
मेंस लिंक:
‘जीरो-क्लिक अटैक’ क्या है? इसके बारे में चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
कादंबिनी गांगुली
गूगल ने 18 जुलाई को देश की पहली महिला डॉक्टर कादंबिनी गांगुली की 160वीं जयंती पर एक विशेष डूडल बनाकर उन्हें याद किया।
- 18 जुलाई, 1861 को एक ब्रह्मो परिवार में जन्मी कादंबिनी गांगुली, चंद्रमुखी बसु के साथ, कोलकाता के बेथ्यून कॉलेज से भारत की पहली महिला स्नातक बनीं।
- महिलाओं के अधिकारों की समर्थक, कादंबिनी गांगुली वर्ष ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ के 1889 में गठित पहले ‘अखिल महिला प्रतिनिधिमंडल’ के छह सदस्यों में से एक थीं।
बुध ग्रह की ‘कोर’ के संबंध में नई खोजें
मैरीलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा बुध ग्रह की संरचना पर किए गए नवीनतम अध्ययन से पता चला है, कि बुध ग्रह का ‘कोर’ इसके मेंटल के सापेक्ष अधिक बड़े आकार का है।
- इसका मुख्य कारण सूर्य का चुंबकत्व है।
- सौर मंडल के प्रारंभिक गठन के दौरान, जब युवा सूर्य, धूल और गैस के घूमते हुए बादलों से घिरा हुआ था, सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र की वजह से लौह कण, केंद्र की ओर आकर्षित होकर इकट्ठे हो गए थे।
- धूल और गैस गुच्छों से ग्रहों का निर्माण शुरू होने के दौरान, सूर्य के नजदीक बनने वाले ग्रहों की कोर में, दूरस्थ ग्रहों की तुलना में, अधिक मात्रा में लौह कणों का संकेद्रण हुआ।
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