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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
- संत तुकाराम
सामान्य अध्ययन-II
- राष्ट्रीय ई-विधान अनुप्रयोग (NeVA) परियोजना
- मानव तस्करी रोधी विधेयक का मसौदा
- बाल श्रम दिवस
- FATF ग्रे लिस्ट
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- पैरालिथेरिज़िनोसॉरस जपोनिकस
- शिलोनोयडिस फैंटास्टिकस
- रामसे हंट सिंड्रोम
- क्षेत्रीय अंग्रेजी भाषा कार्यालय
- राष्ट्रीय राजमार्ग 53
- सीआईएसएस एप्लिकेशन
- भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र
सामान्य अध्ययन–I
विषय: भारतीय संस्कृति प्राचीन से आधुनिक काल तक कला रूपों, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलुओं को कवर करेगी।
संत तुकाराम
संदर्भ:
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, शीघ्र ही ‘पुणे’ जिले में स्थित मंदिरों के नगर ‘देहू’ में संत तुकाराम शिला मंदिर का उद्घाटन करेंगे।
संत तुकाराम: जीवन परिचय
- संत तुकाराम (Sant Tukaram), छत्रपति महाराज शिवाजी के समकालीन थे।
- उन्हें सबसे महान मराठा भक्ति सुधारक माना जाता है।
- संत तुकाराम ने ‘विठोबा’ पंथ को लोकप्रिय बनाया।
- उन्होंने विट्ठलस्वामी भक्ति गीतों की रचना की, जिन्हें ‘अभंग’ कहा जाता है।
- उन्होंने समानता और सार्वभौमिक भाईचारे का संदेश दिया।
- संत तुकाराम और उनकी रचनाएँ एवं कार्य, पूरे महाराष्ट्र में फैले ‘वारकरी संप्रदाय’ के केंद्र में हैं।
- संत तुकाराम को ‘वारी तीर्थयात्रा’ (Wari Pilgrimage) शुरू करने का श्रेय दिया जाता है।
- भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत चैतन्य महाप्रभु उनके गुरु थे।
समाजिक सुधार:
- संत तुकाराम ने बिना किसी लैंगिक भेदभाव के शिष्यों और भक्तों को स्वीकार किया।
- तुकाराम ने शिक्षा दी कि “जाति के अभिमान ने कभी किसी को पवित्र नहीं बनाया”, “वेदों और शास्त्रों में कहा गया है कि ईश्वर की सेवा के लिए जातियाँ मायने नहीं रखती”, “जाति मायने नहीं रखती, जो मायने रखता है वह भगवान का नाम है”।
प्रीलिम्स लिंक:
- संत तुकाराम के बारे में।
- महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियाँ।
- भक्ति आंदोलन के बारे में।
मेंस लिंक:
भक्ति आंदोलन के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन–II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
राष्ट्रीय ई-विधान अनुप्रयोग (NeVA) परियोजना
संदर्भ:
हाल ही में, गुजरात के विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कागज रहित कार्यवाही हेतु ‘नयी तरह की ‘ई-विधान प्रणाली’ (e-Vidhan system) के बारे में जानने के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा का दौरा किया। उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा द्वारा इस प्रणाली को कुछ समय पहले ही अपनाया गया था।
‘ई-विधान प्रणाली’ के बारे में:
- यह केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘डिजिटल इंडिया प्रोग्राम’ के तहत एक ‘मिशन मोड प्रोजेक्ट’ (MMP) है।
- संसदीय कार्य मंत्रालय (MoPA), सभी 31 राज्यों/ विधानमंडल युक्त ‘संघ राज्य क्षेत्रों’ में इस प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन हेतु ‘नोडल मंत्रालय’ है।
- ‘ई-विधान’ का वित्त पोषण ‘संसदीय कार्य मंत्रालय’ द्वारा एवं तकनीकी सहायता ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ (MietY) द्वारा प्रदान की जाती है।
- ‘राष्ट्रीय ई-विधान अनुप्रयोग’ (National e-Vidhan Application – NeVA) का वित्त पोषण ‘केंद्रीय प्रायोजित योजना’ अर्थात मैदानी क्षेत्र के राज्यों हेतु 60:40, पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों के लिए 90:10 और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% के माध्यम से होता है।
परियोजना का उद्देश्य: देश की सभी विधानसभाओं को एक साथ एक मंच पर लाना, जिससे कई अनुप्रयोगों की जटिलता के बगैर एक विशाल डेटा डिपॉजिटरी तैयार की जा सके।
प्रमुख बिंदु:
- पेपरलेस असेंबली या ई-असेंबली, विधानसभा के कामकाज को सुविधाजनक बनाने हेतु ‘इलेक्ट्रॉनिक माध्यम’ का अनुप्रयोग किए जाने संबंधी एक अवधारणा है।
- यह पद्धति, कानून बनाने की संपूर्ण प्रक्रिया, निर्णयों और दस्तावेजों की ट्रैकिंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान आदि कार्यों को स्वचालित बनाती है।
- इस तकनीक में, ‘क्लाउड टेक्नोलॉजी’ (मेघराज) के माध्यम से, परिनियोजित डेटा को किसी भी समय कहीं भी एक्सेस किया जा सकता है।
- हिमाचल प्रदेश, पहले से ही ‘देश का पहला डिजिटल विधानमंडल’ बन चुका है।
ई-विधान के कार्यान्वयन में राज्य सरकार की भूमिका:
- राज्य सरकार द्वारा राज्य विधानमंडल में ई-विधान कार्यान्वयन हेतु ‘नोडल अधिकारी’/’प्रतिनिधि’ के रूप में एक सचिव स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।
- तीन वर्ष बाद, ई-विधान प्रोजेक्ट को ‘मिशन मोड प्रोजेक्ट’ में चलाने के लिए आवश्यक धनराशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
- राज्य सरकार ‘ई-विधान एमएमपी मॉड्यूल’ के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए क्षमता निर्माण सुनिश्चित करेगी।
- राज्य सरकार/विधायिका द्वारा तीन वर्ष के बाद आईसीटी उपकरणों के रखरखाव और प्रतिस्थापन किया जाएगा।
प्रीलिम्स लिंक:
- राष्ट्रीय ई-विधान परियोजना।
- ‘मेघराज’ क्या है?
- ‘क्लाउड कंप्यूटिंग’ क्या है?
मेंस लिंक:
राष्ट्रीय ई-विधान परियोजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय:सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मानव तस्करी रोधी विधेयक का मसौदा
संदर्भ:
देश के विभिन्न हिस्सों के कार्यकर्ता राष्ट्रीय राजधानी पहुचने और ‘मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक’, 2021 (Trafficking in Persons (Prevention, Care and Rehabilitation) Bill, 2021) को पारित करने हेतु दबाव बनाने की योजना बना रहे हैं।
विधेयक के प्रमुख बिंदु:
- प्रस्तावित विधेयक में अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रस्ताव किया गया है, जिसके तहत भारी जुर्माना और उनकी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है।
- इस विधेयक में महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा देने के साथ-साथ पीड़ितों के रूप में ट्रांसजेंडर या तस्करी के शिकार किसी भी अन्य व्यक्ति को भी शामिल किया गया हैं।
- इस मसौदा में उस प्रावधान को भी समाप्त करने के प्रावधान किया गया है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को ‘पीड़ित’ के रूप में परिभाषित करने के लिए, उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाना आवश्यक होता है।
- ‘शोषण’ की परिभाषा में, दूसरों का वेश्यावृत्ति के रूप में शोषण, अथवा पोर्नोग्राफी जैसे यौन शोषण के अन्य स्वरूपों, शारीरिक शोषण का कोई भी कृत्य, बलात श्रम, दासता या दासता जैसी प्रथाओं, गुलामी या अंगो को जबरन निकलवाना आदि, को शामिल किया गया है।
प्रयोज्यता:
यह क़ानून निम्नलिखित सभी व्यक्तियों पर लागू होगा –
- भारत की सीमा में और बाहर रहने वाले सभी नागरिक।
- भारत में पंजीकृत किसी भी जहाज या विमान पर सवार व्यक्ति, चाहे वह कहीं भी हो या भारतीय नागरिकों को कहीं भी ले जा रहा हो।
- इस अधिनियम के तहत अपराध करने के समय भारत में निवास करने वाला कोई भी विदेशी नागरिक या राज्य-हीन (स्टेटलेस) व्यक्ति।
- सीमा-पार निहितार्थ वाला मानव-तस्करी का हर अपराध।
- रक्षा कर्मी और सरकारी कर्मचारी, डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ या प्राधिकार-स्थिति धारण करने वाला कोई भी व्यक्ति।
भारत में तस्करी से संबंधित संवैधानिक और विधायी प्रावधान:
- अनुच्छेद 23 (1) के तहत भारत के संविधान के तहत मानव या व्यक्तियों की तस्करी निषिद्ध है।
- अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 (Immoral Traffic (Prevention) Act – ITPA), व्यावसायिक यौन शोषण के लिए तस्करी की रोकथाम हेतु प्रमुख कानून है।
- आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 के अंतर्गत भारतीय दंड संहिता की धारा 370 को धारा 370 और 370A IPC से प्रतिस्थापित किया गया है, जिनमे मानव तस्करी के खतरे का मुकाबला करने हेतु व्यापक प्रावधान किए गए हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- IPC की धारा 370 और 370A किससे संबंधित है?
- संविधान का अनुच्छेद 23 (1)
- संयुक्त राष्ट्र का ब्लू हार्ट अभियान किससे संबंधित है?
- ‘प्रथम उत्तरदाता’ कौन होते हैं?
- ‘मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस’ के बारे में
मेंस लिंक:
भारत में मानव तस्करी से संबंधित संवैधानिक और विधायी प्रावधानों पर चर्चा कीजिए।
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
बाल श्रम दिवस / बाल मजदूर दिवस
संदर्भ:
हर साल 12 जून को ‘संयुक्त राष्ट्र’ द्वारा विश्व भर में ‘बाल श्रम’ कुप्रथाओं की ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु ‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ (World Day Against Child Labour) के रूप में मनाया जाता है।
बाल श्रम के खिलाफ इस वैश्विक मुद्दे से निपटने हेतु ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (International Labour Organisation – ILO) द्वारा वर्ष 2002 में इस दिन की शुरुआत की गयी थी।
‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ 2022 की थीम: ‘बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण’ (Universal Social Protection to End Child Labour)।
बाल श्रम पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट:
- पूरे विश्व में 160 मिलियन बालक अभी भी बाल श्रम में लगे हुए हैं, जिनमे से कुछ की उम्र मात्र पाँच वर्ष ही है।
- 2020 की शुरुआत में, विश्व भर में पांच साल और उससे अधिक आयु के प्रति दस बालकों में से एक बच्चा ‘बाल श्रम’ में लगा हुआ था।
- 2000 और 2020 के बीच ‘बाल श्रम’ में संलग्न बालकों की संख्या में 85.5 मिलियन यानी 16% से 9.6% तक कमी हुई है।
- वैश्विक स्तर पर, बालकों के लिए सामाजिक सुरक्षा पर राष्ट्रीय व्यय ‘सकल घरेलू उत्पाद’ का मात्र 1.1% है।
- अफ्रीका, कुल जनसंख्या में बच्चों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी वाला क्षेत्र है।
इस मुद्दे पर ILO कन्वेंशन:
बाल श्रम के सबसे खराब रूपों से संबंधित ‘ILO कन्वेंशन नंबर 182’ (ILO Convention No. 182), तथा ‘रोजगार के लिए न्यूनतम आयु’ से संबंधित ‘ILO कन्वेंशन नंबर 138’ (ILO Convention No. 138), इस मुद्दे पर दो मुख्य ‘वैश्विक अभिसमय’ हैं।
इस संबंध में भारतीय संविधान के प्रावधान:
- अनुच्छेद 21(A) और अनुच्छेद 45 – बालकों को ‘शिक्षा का अधिकार’ प्राप्त है, अर्थात राज्य छह से 14 साल की उम्र के बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगा।
- अनुच्छेद 24 – इसके प्रावधानों के अनुसार- 14 वर्ष से कम उम्र के बालक को किसी खदान, कारखाने या खतरनाक कार्यस्थल में नियोजित नहीं किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 39(f) – इसके अनुसार, बालकों को स्वतंत्र और गरिमामय वातावरण में स्वस्थ विकास के अवसर और सुविधाएँ दी जाएँ और बालकों और अल्पवय व्यक्तियों की शोषण से तथा नैतिक और आर्थिक परित्याग से रक्षा की जाए।
भारत में बाल श्रम उन्मूलन के लिए किए गए सरकारी उपाय:
‘बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम’, 1986 (Child Labour (Prohibition and Regulation) Act, 1986): कुछ रोजगारों में बालकों के नियोजन पर रोक लगाने और कुछ अन्य रोजगारों में बालकों के काम की शर्तों को विनियमित करने हेतु।
बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 (Child Labour (Prohibition and Regulation) Amendment Act, 2016): यह संशोधन अधिनियम 14 वर्ष से कम उम्र के बालकों के रोजगार-नियोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाता है।
‘राष्ट्रीय बाल श्रम नीति’, 1987 (National Policy on Child Labour, 1987): इसमें रोकथाम के बजाय खतरनाक व्यवसायों और प्रक्रियाओं में काम कर रहे बालकों के पुनर्वास पर अधिक ध्यान दिया गया है।
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2000 और ‘जेजे अधिनियम में संशोधन’, 2006: इसमें उम्र या व्यवसाय के प्रकार की किसी सीमा के बगैर, काम करने वाले बालकों को ‘देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता’ वाले बालकों की श्रेणी में शामिल किया गया है।
पेंसिल (Pencil): सरकार द्वारा बाल श्रम कानूनों के प्रभावी प्रवर्तन को सुनिश्चित करने और बाल श्रम को समाप्त करने के लिए ‘pencil.gov.in’ नामक एक समर्पित प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया गया है।
‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ 2009: इस क़ानून के तहत, राज्य के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य कर दिया है कि छह से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चे स्कूल में हों और मुफ्त शिक्षा प्राप्त करें।
प्रीलिम्स लिंक:
- बाल मजदूर दिवस
- पेंसिल प्लेटफॉर्म
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम
मेंस लिंक:
राष्ट्रीय बाल श्रम नीति की आवश्यकता और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
वित्तीय कार्रवाई कार्यबल
संदर्भ:
अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’ / ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (Financial Action Task Force – FATF) द्वारा अपने पूर्ण सत्र से पहले बर्लिन में बैठकें शुरू की जाएगी, जिसमे पाकिस्तान कुछ राहत की उम्मीद कर रहा है।
पृष्ठभूमि:
पेरिस स्थित ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’ (FATF) द्वारा जून 2018 में पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल किया गया था। उस समय से ही पाकिस्तान, इस सूची से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है।
पाकिस्तान ने, वर्ष 2018 में 27 एक्शन पॉइंट लागू करने के लिए एक समयसीमा निर्धारित की गई थी, जिसमे से यह अभी तक 26 एक्शन पॉइंट को लागू कर चुका है।
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के बारे में:
- FATF का गठन 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था। यह एक अंतर-सरकारी निकाय है।
- यह एक ‘नीति-निर्माणक निकाय’ है जो विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर विधायी एवं नियामक सुधार करने हेतु आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति उत्पन्न करने के लिए कार्य करता है।
- इसका सचिवालय पेरिस में ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (Economic Cooperation and Development- OECD) मुख्यालय में स्थित है।
भूमिका एवं कार्य:
- शुरुआत में FATF को मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने संबंधी उपायों की जांच करने तथा इनका विकास करने के लिए स्थापित किया गया था।
- अक्टूबर 2001 में, FATF द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने संबंधी प्रयासों को शामिल करने हेतु अपने अधिदेश का विस्तार किया गया।
- अप्रैल 2012 में, इसके द्वारा सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार हेतु वित्तपोषण पर रोक लगाने को अपने प्रयासों में सम्मिलित किया गया।
संरचना:
‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ / फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) वर्त्तमान में 39 सदस्य सम्मिलित हैं। इसके सदस्य विश्व के अधिकांश वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें 2 क्षेत्रीय संगठन – गल्फ ऑफ कोऑपरेशन कौंसिल (GCC) तथा यूरोपियन कमीशन (EC)- भी सम्मिलित हैं।
इसमें पर्यवेक्षक और सहयोगी सदस्य भी शामिल होते हैं।
ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट:
ब्लैक लिस्ट (Black List): आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों का समर्थन करने वाले तथा इन गतिविधियों पर रोक लगाने संबंधी वैश्विक प्रावधानों के साथ सहयोग नहीं करने वाले देशों (Non-Cooperative Countries or Territories- NCCTs) को ‘ब्लैक लिस्ट’ में रखा जाता है।
FATF द्वारा नियमित रूप से ब्लैकलिस्ट में संशोधन किया जाता है, जिसमे नयी प्रविष्टियों को शामिल किया जाता है अथवा हटाया जाता है।
ग्रे लिस्ट (Grey List): जिन देशों को आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों के लिए सुरक्षित माना जाता है, उन्हें FATF द्वारा ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया जाता है।
‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल देशों को निम्नलिखित स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है:
- आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी से आर्थिक प्रतिबंध।
- आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी और अन्य देशों से ऋण प्राप्त करने में समस्या।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कमी।
- अंतर्राष्ट्रीय बहिष्कार।
प्रीलिम्स लिंक:
- जी-7, जी-8 तथा जी- 20 में अंतर
- ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट
- क्या FATF के निर्णय सदस्य देशों पर बाध्यकारी हैं?
- FATF का प्रमुख कौन है?
- इसका सचिवालय कहाँ है?
मेंस लिंक:
फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) का अधिदेश तथा उद्देश्य क्या हैं? भारत – पाकिस्तान संबंधों के लिए FATF के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
पैरालिथेरिज़िनोसॉरस जपोनिकस
- ‘पैरालिथेरिज़िनोसॉरस जपोनिकस’ (Paralitherizinosaurus Japonicus) दो पैरों वाला एक डायनासोर है।
- एक नए अध्ययन से पता चला है कि यह डायनासोर 66 मिलियन से 145 मिलियन वर्ष पूर्व (क्रेटेशियस काल) के बीच एशिया के तटों पर भ्रमण करता था।
- इसकी पहचान, जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो में पाए गए जीवाश्म अवशेषों से की गई थी। एशिया में ‘समुद्री तलछटो’ में पाया जाने वाला पहला जीवाश्म है।
- यह डायनासोर ‘थेरिज़िनोसॉर’ (Therizinosaurs) – द्विपाद और मुख्य रूप से शाकाहारी तीन-पैर वाले डायनासोर- के नाम से ज्ञात समूह से संबंधित था।
- इस प्रजाति का सबसे उल्लेखनीय पहलू यह है कि इसके पंजे तलवार जैसे होते थे।
शिलोनोयडिस फैंटास्टिकस
- ‘शिलोनोयडिस फैंटास्टिकस’ (Chelonoidis phantasticus) एक विशाल कछुआ प्रजाति है जिसे एक सदी से भी अधिक समय से विलुप्त माना जाता था।
- अब, इस प्रजाति का एक जीवित सदस्य ‘फर्नांडीना द्वीप’ (गैलापागोस द्वीप समूह, इक्वाडोर) में पाया गया है।
- आमतौर पर इसे ‘फर्नांडीना द्वीप गैलापागोस विशाल कछुआ’ कहा जाता है। इस प्रजाति को अब तक 1906 में देखे गए केवल एक कछुए से ही जाना जाता था।
रामसे हंट सिंड्रोम
‘रामसे हंट सिंड्रोम’ (Ramsay Hunt Syndrome) – नामक एक वायरल बीमारी ने पॉप सनसनी ‘जस्टिन बीबर’ के चेहरे को एक तरफ अस्थायी रूप से पंगु बना दिया है।
- रामसे हंट सिंड्रोम एक स्नायविक रोग (Neurological Disease) है, जिसमें ‘वैरीसेला जोस्टर’ (Varicella Zoster Virus – VZV) नामक एक वायरस की वजह से चेहरे की गतिविधियों में शामिल नसों में सूजन आ जाती है।
- ‘वैरीसेला जोस्टर’ वही वायरस है जो चिकनपॉक्स और दाद का कारण बनता है।
- जब चेहरे की नसों में सूजन हो जाती है, तो वे कार्य करने की क्षमता खो देती हैं, जिससे अस्थायी रूप से चेहरा पक्षाघात का शिकार हो जाता है।
- इस वायरस संक्रमण के लक्षणों में, कान के अंदर और आसपास दर्द, लाल चकत्ते और छाले और चेहरे के एक तरफ का पक्षाघात शामिल हैं।
- इसका इलाज एंटी-वायरल दवाओं, स्टेरॉयड और फिजियोथेरेपी का उपयोग करके किया जाता है।
क्षेत्रीय अंग्रेजी भाषा कार्यालय
हाल ही में, ‘क्षेत्रीय अंग्रेजी भाषा कार्यालय’ (Regional English Language Office – RELO), वाशिंगटन डीसी की देखरेख में अंग्रेजी शिक्षकों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
- RELO भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास की एक शाखा है, जिसे 2005 में इसके ‘सार्वजनिक कूटनीति अनुभाग’ के एक भाग के रूप में स्थापित किया गया था।
- उद्देश्य: अंग्रेजी सीखने में सहयोग करके भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करना।
- मुख्यालय: इसका मुख्यालय, नई दिल्ली में स्थित अमेरिकी दूतावास कार्यालय में है।
- RELO का मिशन “अमेरिका और देशों के बीच आपसी समझ को बढ़ाते हुए अफगानिस्तान, भूटान और भारत में अंग्रेजी के प्रभावी शिक्षण और सीखने का समर्थन करना” है।
- RELO, शिक्षक प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम विकास और अन्य अंग्रेजी भाषा प्रशिक्षण परियोजनाओं में इन देशों का सहयोग करने के लिए राज्य सरकार और शैक्षणिक संस्थानों के साथ कार्य करता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 53
- हाल ही में, राज्य के स्वामित्व वाले निकाय ‘भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण’ (NHAI) ने महाराष्ट्र में अमरावती और अकोला जिलों के बीच ‘राष्ट्रीय राजमार्ग’ पर 105 घंटे और 33 मिनट में 75 किलोमीटर की सबसे लंबी लगातार ‘बिटुमिनस लेन’ बिछाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग 53 कोलकाता, रायपुर, नागपुर और सूरत जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण गलियारा है।
सीआईएसएस एप्लिकेशन
- हाल ही में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने बाल स्वराज पोर्टल के तहत सड़क पर रहने वाले बच्चों (Children in Street Situations – CiSS) के पुनर्वास की प्रक्रिया में सहायता करने के लिए एक “सीआईएसएस एप्लिकेशन” (CiSS application) का शुभारंभ किया है।
- CiSS एप्लिकेशन, का उपयोग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से “सड़क पर रहने की स्थिति में बच्चे (चिल्ड्रन इन स्ट्रीट सिचुएशन)” के डेटा प्राप्त करने, उनके बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया पर नज़र रखने के लिए किया जाता है।
- यह पहल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशन में शुरू की गई है।
- ‘बाल स्वराज’, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा शुरू किया गया ‘देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों की ऑनलाइन ट्रैकिंग’ और डिजिटल रीयल-टाइम निगरानी तंत्र हेतु एक पोर्टल है।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र
हाल ही में, प्रधानमंत्री मोदी ने अहमदाबाद के ‘बोपल’ में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (Indian National Space Promotion and Authorisation Centre: IN-SPACe) के मुख्यालय का उद्घाटन किया।
- IN-SPACe की स्थापना की घोषणा जून 2020 में की गई थी।
- यह केंद्र, अंतरिक्ष विभाग में एक स्वायत्त और एकल खिड़की नोडल एजेंसी है।
- इसकी स्थापना सरकारी और निजी दोनों संस्थाओं की अंतरिक्ष गतिविधियों के प्रचार, प्रोत्साहन और विनियमन हेतु की गयी है।
- यह केंद्र, निजी संस्थाओं द्वारा ‘इसरो की सुविधाओं’ के उपयोग की सुविधा भी प्रदान करता है।
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