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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7)
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण आकलन 2021 रिपोर्ट
- ‘ड्रग्स पर युद्ध’
सामान्य अध्ययन-III
- वेब 5.0 क्या है?
- वर्चुअल डिजिटल एसेट
- प्रवर्तन निदेशालय
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- पगड़ी दिवस अधिनियम
सामान्य अध्ययन–II
विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33(7)
संदर्भ:
हाल ही में, भारत के निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय विधि मंत्रालय से उन सीटों को सीमित करने पर विचार करने के लिए कहा, जहां से एक उम्मीदवार सिर्फ एक सीट के लिए चुनाव लड़ सकता है।
इस संबंध में शक्ति:
संविधान में संसद को संसद एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव से संबंधित सभी मामलों में प्रावधान करने की अनुमति दी गयी है।
इसके अनुसार, संसद द्वारा निम्नलिखित कानून बनाए गए हैं:
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 (Representation of the People Act 1950)।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951(Representation of the People Act 1951)।
- परिसीमन आयोग अधिनियम 1952 (Delimitation Commission Act of 1952)।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33(7):
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 (7) के तहत, किसी उम्मीदवार को दो निर्वाचन क्षेत्रों से कोई भी चुनाव (संसदीय, राज्य विधानसभा, द्विवार्षिक परिषद, या उप-चुनाव) लड़ने की अनुमति दी गयी है।
- यह प्रावधान 1996 में लागू किया गया था, इसके पहले एक उम्मीदवार के चुनाव लड़ने वाले निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या पर कोई रोक नहीं थी।
- धारा 70, उम्मीदवारों को लोकसभा/राज्य में दो निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने पर रोक लगाती है।
उम्मीदवारों को एक से अधिक सीटों से चुनाव लड़ने से क्यों रोका जाना चाहिए?
- ‘एक व्यक्ति, एक वोट, एक उम्मीदवार और एक निर्वाचन क्षेत्र’ (One person, one vote & one candidate, one constituency) लोकतंत्र की कहावत है। हालाँकि, कानून के अनुसार, जैसा कि आज है, एक व्यक्ति एक ही पद के लिए दो निर्वाचन क्षेत्रों से एक साथ चुनाव लड़ सकता है।
- जब कोई उम्मीदवार दो सीटों से चुनाव लड़ता है, तो वह यदि दोनों सीटों पर जीत हासिल करता है तो उसे अनिवार्यतः दो सीटों में से एक सीट को खाली करना होगा। यह प्रावधान, उप-चुनाव कराने के लिए सरकारी खजाने, सरकारी जनशक्ति और अन्य संसाधनों पर परिणामी अपरिहार्य वित्तीय बोझ के अलावा, जिस निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार छोड़ रहा है उसके निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के साथ भी अन्याय है।
निर्वाचन आयोग द्वारा सुझाया गए विकल्प:
- निर्वाचन आयोग ने वैकल्पिक रूप से सुझाव दिया है कि यदि मौजूदा प्रावधानों को बरकरार रखा जाता है, तो दो सीटों से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को उस सीट के लिए उप-चुनाव का खर्च वहन करना चाहिए जिसे उम्मीदवार दोनों सीटों पर जीत हासिल करने की स्थिति में खाली करने का फैसला करता है।
- ऐसी स्थिति में पुनः चुनाव करने में विधानसभा चुनाव के लिए 5 लाख रुपये और संसद चुनाव के लिए 10 लाख रुपये व्यय हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के विचार:
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2017 में नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। उस समय, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक उम्मीदवार के कई सीटों पर चुनाव लड़ने की प्रथा राजकोष पर एक अतिरिक्त भार है, क्योंकि इस स्थिति में उपचुनाव कराए जाने की आवश्यकता होती है। धारा 33(7) को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई है।
प्रीलिम्स लिंक:
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) की धारा 33(7)
- एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने से संबंधित कानून।
मेंस लिंक:
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: हिंदू।
विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण आकलन 2021 रिपोर्ट
संदर्भ:
हाल ही में, ‘राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण आकलन’ 2021 (National e-Governance Service Delivery Assessment – NeSDA, 2021) का दूसरा संस्करण जारी किया गया।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण आकलन (NeSDA): परिचय
- प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा ई-सरकारी प्रयासों को बढ़ावा देने और डिजिटल सरकारी उत्कृष्टता को जारी रखने संबंधी अपने अधिदेश के तहत 2019 में ‘नेशनल ई-गवर्नेंस सर्विस डिलीवरी असेसमेंट’ या राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण आकलन का गठन किया था।
- यह एक द्विवार्षिक अध्ययन है जो राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों का आकलन करता है, और केंद्रीय मंत्रालयों पर ई-गवर्नेंस सेवा वितरण की प्रभावशीलता पर ध्यान केंद्रित करता है।
मानदंड:
- NeSDA 2021 में सात क्षेत्रों – वित्त, श्रम और रोजगार, शिक्षा, स्थानीय शासन और उपयोगिता सेवाएं, समाज कल्याण, पर्यावरण और पर्यटन क्षेत्रों की सेवाओं को शामिल किया गया हैं।
- आकलन में प्रत्येक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए 56 अनिवार्य सेवाओं और प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों के लिए 27 सेवाओं को शामिल किया गया है।
देश के ई-गवर्नेंस परिदृश्य में सुधार को निम्नलिखित मुख्य बातों में संक्षेपित किया जा सकता है –
- ई-सेवा वितरण में वृद्धि
- ई-सेवाओं के वितरण के लिए एकीकृत/केंद्रीकृत पोर्टलों के उपयोग में वृद्धि
- आकलन पैरामीटर स्कोर में सुधार
विभिन्न राज्यों का प्रदर्शन:
- पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में, मेघालय और नगालैंड सभी मूल्यांकन मानकों में 90 प्रतिशत से अधिक के समग्र अनुपालन के साथ प्रमुख राज्य पोर्टल हैं।
- केंद्र शासित प्रदेशों में, जम्मू और कश्मीर लगभग 90 प्रतिशत के समग्र अनुपालन के साथ सर्वोच्च स्थान पर है।
- शेष राज्यों में, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु, पंजाब, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में 85 प्रतिशत से अधिक का अनुपालन था।
- सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में, केरल का समग्र अनुपालन स्कोर उच्चतम था।
केंद्रीय मंत्रालयों की रैंकिंग:
- केंद्रीय मंत्रालयों में गृह मंत्रालय, ग्रामीण विकास, शिक्षा और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन सभी मूल्यांकन मानकों में 80 प्रतिशत से अधिक के समग्र अनुपालन के साथ प्रमुख मंत्रालय पोर्टल हैं।
- गृह मंत्रालय के पोर्टल का समग्र अनुपालन स्कोर उच्चतम था।
- सेंट्रल पब्लिक प्रोक्योरमेंट पोर्टल, डिजिटल पुलिस पोर्टल, और भविष्य पोर्टल सभी मूल्यांकन मानकों में 85 प्रतिशत से अधिक के समग्र अनुपालन के साथ प्रमुख मंत्रालय सेवा पोर्टल हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण आकलन।
- NeSDA 2021 – मुख्य विशेषताएं।
- NeSDA – मानदंड।
मेंस लिंक:
‘सुशासन’ क्या है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
मादक द्रव्यों के खिलाफ युद्ध
संदर्भ:
अगले वर्ष कनाडा के ‘ब्रिटिश कोलंबिया’ प्रांत द्वारा कुछ अवैध दवाओं की छोटी मात्रा को गैर-अपराध घोषित कर दिया जाएगा, इसके बाद कनाडा ‘नशीली दवाओं के उपयोग के लिए दंड’ को हटाने की दिशा में कदम उठाने वाले देशों की बढ़ती संख्या में शामिल हो जाएगा।
हाल ही में, कनाडा ने फैसला किया है कि 31 जनवरी से ‘ब्रिटिश कोलंबिया’ में वयस्कों के लिए 2.5 ग्राम तक ओपिओइड, कोकीन, मेथामफेटामाइन और MDMA रखने की अनुमति होगी। यह इस बात का संकेत है कि कनाडा द्वारा ‘व्यसन’ (Addiction) को ‘न्यायिक मुद्दे’ के बजाय ‘मानसिक स्वास्थ्य’ के मुद्दे के रूप में माना जाएगा।
पुर्तगाली मॉडल:
- इससे पहले वर्ष 2001 में, हेरोइन ओवरडोज से होने वाली मौतों के संकट का सामना करते हुए, पुर्तगाल सभी अवैध दवाओं के कब्जे और उपयोग को गैर-अपराध घोषित करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था।
- पुर्तगाली मॉडल, नशीली दवाएं रखने पर लोगों को अदालत में भेजने के बजाय शिक्षा, उपचार और हानि में कमी करने पर केंद्रित है।
इस कदम का महत्व:
कनाडा का यह कदम ‘नीतिगत बदलावों’ की श्रृंखला में नवीनतम है। इन ‘नीतिगत बदलावों’ के तहत, वर्तमान में जारी वैश्विक ‘ड्रग्स के खिलाफ युद्ध’ (War on Drugs) में, विभिन्न देशों द्वारा अपनी प्रतिक्रियाओं को फिर से समायोजित करने के लिए विचार किया जा रहा है या उन्हें क्रियान्वित किया जा रहा है।
‘ड्रग्स के खिलाफ युद्ध’ क्या है?
1961 में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘स्वापक औषधियों’ पर एकल अभिसमय (Single Convention on Narcotic Drugs) पारित किया गया था, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विभिन्न पदार्थों के उत्पादन और आपूर्ति को प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी।
- इस अभिसमय के द्वारा अवैध दवाओं के उपयोग और इनके उत्पादन के उन्मूलन हेतु एक वैश्विक अभियान की शुरुआत की गयी, जिसे ‘ड्रग्स के खिलाफ युद्ध’ (War on Drugs) कहा जाता है।
- इस अभियान का मानना था, कि नशीली दवाओं के निषेध से इनके उपभोग / खपत में कमी होगी।
वर्तमान परिदृश्य:
- 2011 की एक रिपोर्ट में, ‘ड्रग पॉलिसी’ पर गठित एक वैश्विक आयोग ने कहा, “ड्रग्स पर वैश्विक युद्ध विफल हो गया है, जिसका विनाशकारी परिणाम दुनिया भर के व्यक्तियों और समाजों के लिए भुगतना पड़ रहा हैं।”
- रिपोर्ट में दावा किया गया, कि जिस दौरान में इस तरह का अभियान चल रहा था, उस दौर में अवैध दवाओं के वैश्विक बाजार में कोई कमी नहीं हुई, बल्कि, वास्तव में इसमें वृद्धि हुई है।
‘वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट’ 2021
(World Drug Report)
- पिछले वर्ष, वैश्विक स्तर पर लगभग 275 मिलियन लोगों द्वारा नशीली दवाओं इस्तेमाल किया गया, और 36 मिलियन से अधिक लोग, नशीली दवाओं के उपयोग संबंधी विकारों से पीड़ित थे।
- अधिकांश देशों में महामारी के दौरान ‘भांग’ के उपयोग में वृद्धि देखी गई है।
- इसी अवधि में फार्मास्युटिकल दवाओं के गैर-चिकित्सा उपयोग में भी वृद्धि हुई है।
- नवीनतम वैश्विक अनुमानों के अनुसार, 15 से 64 वर्ष आयु वर्ग की लगभग 5.5 प्रतिशत आबादी द्वारा पिछले वर्ष के दौरान, कम से कम एक बार नशीली दवाओं का उपयोग किया गया है।
- अनुमान है, कि वैश्विक स्तर पर 11 मिलियन से अधिक लोग दवाओं का इंजेक्शन लगाते हैं – इनमे से आधे लोग ‘हेपेटाइटिस सी’ से पीड़ित हैं।
- नशीली दवाओं के उपयोग के कारण होने वाली बिमारियों के लिये ‘ओपिओइड’ (Opioids) पदार्थ सर्वाधिक जिम्मेदार बने हुए है।
नशीली दवाओं के सेवन के प्रमुख कारण:
- संग-साथ के लोगो द्वारा नशीली दवाओं का सेवन किया जाना
- आर्थिक तनाव में वृद्धि
- सांस्कृतिक मूल्यों में परिवर्तन
- अजमाना / प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल
- नसों पर प्रभाव डालने वाला सुख
- अप्रभावी पुलिसिंग
भारत में नशीली दवाओं के सेवन संबंधी के मामले:
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ‘भारत में अपराध 2020 रिपोर्ट’ के अनुसार, वर्ष 2019 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत कुल 59,806 मामले दर्ज किए गए थे।
- प्राप्त आंकड़ो के अनुसार, वर्ष 2019 में, देश में भांग तथा अफीम का उपयोग करने वालों की संख्या क्रमशः 1 करोड़ तथा 2.3 करोड़ थी।
मादक पदार्थों की तस्करी की समस्या से निपटने हेतु भारत सरकार की नीतियाँ और पहलें:
- विभिन्न स्रोतों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, देश के 272 जिलों में ‘नशा मुक्त भारत अभियान‘ या ‘ड्रग्स-मुक्त भारत अभियान‘ को 15 अगस्त 2020 को हरी झंडी दिखाई गई।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018-2025 की अवधि के लिए ‘नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने हेतु राष्ट्रीय कार्ययोजना’ (National Action Plan for Drug Demand Reduction- NAPDDR) का कार्यान्वयन शुरू किया गया है।
- सरकार द्वारा नवंबर, 2016 में नार्को-समन्वय केंद्र (NCORD) का गठन किया गया है।
- सरकार द्वारा नारकोटिक ड्रग्स संबंधी अवैध व्यापार, व्यसनी / नशेड़ियों के पुनर्वास, और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जनता को शिक्षित करने आदि में होने वाले व्यय को पूरा करने हेतु “नशीली दवाओं के दुरुपयोग नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कोष” (National Fund for Control of Drug Abuse) नामक एक कोष का गठन किया गया है ।
प्रीलिम्स लिंक:
- UNODC के बारे में
- “नारकोटिक्स नियंत्रण के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता” की योजना का अवलोकन
- नार्को-समन्वय केंद्र (NCORD) की संरचना
मेंस लिंक:
भारत, मादक पदार्थों की तस्करी की चपेट में है। इसके कारणों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। नशीली दवाओं की समस्या से निपटने में सरकार की भूमिका पर भी टिप्पणी करिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन–III
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
वेब 5.0
संदर्भ:
ट्विटर के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) जैक डोर्सी ने, हाल ही में, एक नए विकेन्द्रीकृत वेब प्लेटफॉर्म के लिए अपनी परिकल्पना की घोषणा की है। इस नए प्लेटफॉर्म को ‘वेब 5.0’ (Web 5.0) कहा जा रहा है।
इसका उद्देश्य “व्यक्तियों को उनके डेटा और पहचान का स्वामित्व” वापस करना है।
वेब 1.0, वेब 2.0 और वेब 3.0 शब्दों का क्या अर्थ है?
वेब 1.0 (Web 1.0) का अर्थ “केवल पठन हेतु वेब” (read-only Web), ‘वेब 2.0’ (Web 2.0) का अर्थ “सहभागी सोशल वेब” (participative social Web), और ‘वेब 3.0’ (Web 3.0) का अर्थ “पठन, लेखन और निष्पादन वेब’ (read, write, execute Web) है।
- वेब 1.0: वेब 1.0 का संबंध केवल पढ़ने और जानकारी प्राप्त करने से था।
- वेब 2.0 का संबंध पढ़ने, लिखने और निर्माण या सृजन करने से था। इसलिए, उपयोगकर्ता सोशल प्लेटफॉर्म से जुड़ गए, और इस निर्मित सामग्री के कारण ये प्लेटफॉर्म आकार में विस्तारित हो गए।
- वेब 3.0 का संबंध पढ़ने, लिखने और स्वामित्व से है। अतः, इसमें निर्माता और रचनाकार अब एनएफटी (NFTs), टोकन (Tokens) आदि के माध्यम से अपने समुदाय के एक हिस्से के मालिक हो सकते हैं।
‘वेब 5.0’ क्या है?
वेब 5.0 (Web 5.0) को जैक डोर्सी की बिटकॉइन बिजनेस यूनिट, ‘द ब्लॉक हेड’ (The Block Head – TBH) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
- सरल शब्दों में कहें तो, वेब 5.0, वेब 2.0 और वेब 3.0 का जोड़ (Web 2.0 plus Web 3.0) है, अर्थात इसमें ‘वेब 2.0’ और वेब ‘3.0’ दोनों की विशेषताएं शामिल होंगी, जो उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट पर ‘अपनी पहचान पर स्वामित्व रखने’ और ‘अपने डेटा को नियंत्रित करने’ की अनुमति होगी।
- वेब 3.0 और वेब 5.0 दोनों में, सरकारों या बड़ी तकनीक द्वारा सेंसरशिप के खतरे के बिना, और बगैर महत्वपूर्ण कटौती के डर के- इंटरनेट की परिकल्पना की गयी है।
प्रीलिम्स लिंक:
- वेब 5.0 क्या है?
- वेब 1.0, वेब 2.0 और वेब 3.0 के बीच अंतर।
- ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ क्या है?
मेंस लिंक:
वेब 5.0 क्या है? इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
आभासी डिजिटल संपत्ति
संदर्भ:
हाल ही में, सरकार ने स्पष्ट करते हुए जानकारी दी है, कि ‘आभासी डिजिटल संपत्ति’ / ‘वर्चुअल डिजिटल एसेट्स’ (virtual digital assets) पर 1% ‘टीडीएस’ (Tax Deducted at Source – TDS) बना रहेगा।
आयकर विभाग द्वारा यह स्पष्टीकरण, कुछ मीडिया रिपोर्टों में प्रसारित उस जानकारी के बाद दिया गया है, जिसमे कहा गया है कि बजट में पहले घोषित की गई ‘वर्चुअल डिजिटल संपत्ति के लिए टीडीएस दर’ 1% से घटाकर 0.1% कर दी गई है।
‘क्रिप्टो कारोबार पर 1% टीडीएस’ क्या है?
- क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों से होने वाले लाभ पर 30% कराधान के बाद, केंद्र सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2022 से प्रत्येक व्यापार के हस्तांतरण या प्रतिफल पर 1% टीडीएस लागू किया जाएगा।
- उद्योग-भागीदारों द्वारा सरकार के इस कदम को क्रिप्टोकरेंसी कराधान (cryptocurrency taxations) पर सबसे विवादास्पद प्रावधानों में से एक माना जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार का मानना है कि नए ‘टीडीएस तंत्र’ का उपयोग लेनदेन का पता लगाने और कर चोरी को रोकने के लिए किया जा रहा है।
‘टीडीएस’ क्या होता है?
‘टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स’ अर्थात ‘स्रोत पर काटा जाने वाला टैक्स (कर)’, जिसे ‘टीडीएस’ कहा जाता है, जो किसी प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं की ओर से ‘कर’ (टैक्स) जमा करने वाले विनियमों (exchanges) / एक्सचेंजों के खिलाफ लागू एक दायित्व होता है। वर्तमान में, इसकी गणना ‘लेनदेन मूल्य’ के 1% पर की जाती है।
‘आभासी डिजिटल संपत्ति’ से अर्जित आय पर ‘कर’:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2022 भाषण (1 फरवरी) में वर्चुअल डिजिटल संपत्ति से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने की घोषणा की थी।
पिछले कुछ समय में, इस तरह के लेन-देन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और इस प्रकार के लेनदेन के परिमाण और आवृत्ति ने एक ‘विशिष्ट कर व्यवस्था’ को लागू करना अनिवार्य बना दिया है।
‘आभासी डिजिटल संपत्ति’ क्या हैं और ये डिजिटल मुद्रा से कैसे भिन्न हैं?
सरल शब्दों में, ‘आभासी डिजिटल संपत्ति’ (Virtual Digital Assets) का मूल रूप से मतलब, क्रिप्टोकरेंसी, विकेंद्रीकृत वित्त (decentralised finance – DeFi) और ‘अपूरणीय टोकन’ (non-fungible tokens – NFTs) से है।
प्रथम दृष्टया, ‘आभासी डिजिटल संपत्ति’ में डिजिटल सोना, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) या कोई अन्य पारंपरिक डिजिटल संपत्ति शामिल नहीं होती है, और इसलिए इसका उद्देश्य, विशेष रूप से क्रिप्टोकरेंसी पर ‘कर’ लगाना है।
क्या भारत में ‘30% कर’ का मतलब ‘क्रिप्टो संपत्ति’ को वैध कर दिया गया है?
जिस किसी भी विषय को केवल किसी पृथक क़ानून के के माध्यम से ही वैध अथवा अवैध बनाया जा सकता हो, उसके लिए एक ‘कर कानून’ कानूनी या अवैध नहीं बना सकता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के बारे में।
- NFTs क्या हैं?
- भारत में क्रिप्टोकरेंसी और उनका विनियमन।
मेंस लिंक:
ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।
प्रवर्तन निदेशालय
संदर्भ:
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, हाल ही में, नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ (Money Laundering) मामले में पूछताछ के लिए दूसरे दिन ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate) के सामने पेश हुए।
‘प्रवर्तन निदेशालय’ के बारे में:
‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate) एक बहुअनुशासनिक संगठन है जो आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अधिदेशित है।
इस निदेशालय की स्थापना 01 मई, 1956 को हुई थी, जब ‘विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम’, 1947 (FERA, 1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक प्रवर्तन इकाई का गठन का गया था।
- वर्ष 1957 में, इस इकाई का नाम बदलकर ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate) कर दिया गया।
- ‘प्रवर्तन निदेशालय’, वर्तमान में, वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग का एक भाग है।
- इस संगठन का कार्य, दो विशेष राजकोषीय विधियों- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (Foreign Exchange Management Act, 1999 – FEMA) और धनशोधन निवारण अधिनियम,2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002 – PMLA) के प्रावधानों को प्रवर्तित करना है।
संरचना:
प्रवर्तन निदेशालय में, कार्मिकों की सीधी भर्ती के अलावा, विभिन्न जाँच अभिकरणों अर्थात् सीमा-शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आय-कर, पुलिस आदि से प्रतिनियुक्ति के आधार पर अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है।
अन्य कार्य:
- भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भारत से भगोड़े/भगोड़ों के मामलों पर कार्रवाई करना।
- फेमा (FEMA) के उल्लंघनों के संबंध में ‘विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम’, 1974 (COFEPOSA) के तहत निवारक निरोध के प्रायोजक मामले।
विशेष अदालतें:
- ‘धन शोधन निवारण अधिनियम’ (Prevention of Money Laundering Act – PMLA) के तहत की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध की सुनवाई के लिए, केंद्र सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, एक या अधिक सत्र न्यायालय को ‘विशेष न्यायालय’ (Special Court) के रूप में नामित किया जाता है। इन अदालतों को ” PMLA कोर्ट” भी कहा जाता है।
- PMLA अदालत द्वारा पारित किसी भी आदेश के खिलाफ कोई भी अपील सीधे उस क्षेत्राधिकार के उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।
प्रीलिम्स लिंक:
- FEMA क्या है?
- PMLA क्या है?
- COFEPOSA क्या है?
मेंस लिंक:
वर्तमान में ‘प्रवर्तन निदेशालय’ पसंद का हथियार (weapon of choice) किस प्रकार बन गया है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
पगड़ी दिवस अधिनियम
कनाडा के मैनिटोबा राज्य में ‘पगड़ी दिवस अधिनियम’ / ‘टर्बन डे एक्ट’ (Turban Day Act) पारित किया गया है।
- इस अधिनियम के तहत अब हर साल 13 अप्रैल को पूरे राज्य में ‘पगड़ी दिवस’ (Turban Day) के रूप में मनाया जाएगा।
- विधेयक को पेश करते समय राज्य की विधान सभा में कहा गया कि राज्य में, साल में इस तरह का एक दिन मनाया जाना आवश्यक है, क्योंकि ‘पगड़ी’ आधिकारिक तौर पर कनाडा की विविधता और बहुसंस्कृतिवाद को दर्शाती है।
13 अप्रैल को क्यों चुना गया?
सिखों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्यौहार बैसाखी, जो आमतौर पर हर साल 13 या 14 अप्रैल को पड़ता है, खालसा पंथ के जन्म की याद दिलाता है। इसी दिन वर्ष 1699 में दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने अपने अनुयायियों के बीच आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की नींव रखी थी।
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