[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 24 May 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

सामान्य अध्ययन-I

1. WHO द्वारा आशा कार्यकर्ताओं का सम्मान

 

सामान्य अध्ययन-II

1. मानहानि का मामला

2. उइगर

 

सामान्य अध्ययन-III

1. अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन द्वारा “वर्ल्ड ऑफ़ वर्क” की निगरानी

2. भारत एवं अमेरिका के बीच ‘निवेश प्रोत्साहन समझौता’ पर हस्ताक्षर

3. फ्रंट-रनिंग क्या है?

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. नए कार्स्ट घोलरंध्र
  2. माया पिट वाइपर
  3. केंद्र सरकार के लापता कर्मचारियों के लिए पारिवारिक पेंशन नियम
  4. विनय कुमार सक्सेना
  5. संगीत कलानिधि पुरस्कार

 


सामान्य अध्ययनI


 

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

WHO द्वारा आशा कार्यकर्ताओं का सम्मान


संदर्भ:

हाल ही में, 75वीं ‘विश्व स्वास्थ्य सभा’ के आयोजन के दौरान भारत की ‘आशा’ कार्यकर्ताओं अर्थात ‘मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (Accredited Social Health ActivistASHA)  को ‘ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’-2022 (Global Health Leaders Award-2022) प्रदान किया गया है।

इस पुरुस्कार को पाने वालों में आठ स्वयंसेवी पोलियो कार्यकर्ता भी शामिल हैं। इन स्वयंसेवी पोलियो कार्यकर्ताओं की इस साल फरवरी में अफगानिस्तान के तखर और कुंदुज प्रांतों में सशस्त्र बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

आशा कार्यकर्ताओं (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के बारे में:

आशा कार्यकर्ता, समुदाय के भीतर काम करने वाली स्वयंसेवक होती हैं, जिन्हें सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के लाभ उठाने हेतु लोगों को जानकारी प्रदान करने और सहायता करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

  • ये हाशिए पर रहने वाले समुदायों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, उप-केंद्रों और जिला अस्पतालों जैसी सुविधाओं से जोड़ने वाले सेतु के रूप में कार्य करती हैं।
  • इन ‘सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवकों’ की भूमिका पहली बार ‘राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन’ (NRHM) के तहत वर्ष 2005 में स्थापित की गई थी।

 

पात्रता:

आशा कार्यकर्ताओं के रूप में कार्य करने के लिए स्वयंसेविका के पास अच्छा व्यवहार, संप्रेषण और नेतृत्व कुशल होना चाहिए; इसके अलावा, कार्यक्रम के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यकर्ताओं के लिए कक्षा 8 तक की औपचारिक शिक्षा प्राप्त होना आवश्यक है।

देश में आशा कार्यकर्ता:

वर्तमान में, देशभर में करीब 10.4 लाख आशा कार्यकर्ता कार्यरत हैं।

  • आशा कार्यकर्ताओं की सर्वाधिक संख्या उच्च आबादी वाले राज्यों – उत्तर प्रदेश (63 लाख), बिहार (89,437), और मध्य प्रदेश (77,531)- में है।
  • गोवा, देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां कोई आशा कार्यकर्ता नहीं हैं।

आशा कार्यकर्ता- भूमिकाएं एवं कार्य:

  1. अपने निर्दिष्ट क्षेत्रों में घर-घर जाकर बुनियादी पोषण, स्वच्छता प्रथाओं और उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना।
  2. महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच कराने, गर्भावस्था के दौरान पोषण-युक्त आहार लेने, स्वास्थ्य सुविधा-केंद्रों में प्रसव कराने को सुनिश्चित करना और जन्म के बाद स्तनपान कराने तथा बच्चों के पूरक पोषण के लिए प्रसूताओं को प्रशिक्षण देने पर ध्यान देना।
  3. गर्भ निरोधकों और यौन संचारित संक्रमणों के बारे में महिलाओं को परामर्श देना।
  4. बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित करना।
  5. राष्ट्रीय कार्यक्रम के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण के तहत टीबी रोगियों को प्रतिदिन दवाएं उपलब्ध कराना।

 

आशा कार्यकर्ताओं को कितना भुगतान किया जाता है?

  • चूंकि उन्हें “स्वयंसेवक” माना जाता है, इसलिए सरकारें उन्हें वेतन देने के लिए बाध्य नहीं हैं। और, अधिकांश राज्य इनके लिए कोई वेतन नहीं देते हैं।
  • उनकी आय, विभिन्न योजनाओं के तहत दिए जाने वाले प्रोत्साहनों पर निर्भर करती है। ये प्रोत्साहन ‘आशा कार्यकर्ताओं’ को एक संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करवाने या बच्चे का टीकाकरण करवाने जैसे कार्यों के लिए प्रदान किए जाते हैं। इन सब कार्यो के लिए, इनको मात्र 6,000 रुपये से 8,000 रुपये तक प्रति माह मिलते है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. आशा कार्यकर्ता – पात्रता
  2. भूमिकाएं और कार्य
  3. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के बारे में

मेंस लिंक:

सामुदायिक संयोजक, कार्यकर्ता और प्रथम संपर्क देखभाल प्रदाता की विविध भूमिकाओं को वास्तव में एकीकृत करने के लिए ‘आशा कार्यकर्ताओं’ को सशक्त बनाने से जमीनी स्तर पर समग्र विकासात्मक परिणाम सुनिश्चित होंगे। चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

मानहानि का मामला


संदर्भ:

हाल ही में, बीजेपी नेता किरीट सोमैया की पत्नी मेधा ने शिवसेना के संजय राउत के खिलाफ ‘दीवानी मानहानि का मुकदमा’ (Civil Defamation Suit) दायर किया है.

  • मेधा सोमैया ने अदालत से संजय राउत को उनके लिए 100 करोड़ रुपये का भुगतान करने अथवा यह राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने हेतु निर्देश देने की मांग की है।
  • उन्होंने दावा किया कि संजय राउत ने उनके और उनके पति के खिलाफ बार-बार मानहानिकारक सार्वजनिक बयान दिए हैं।

 

मानहानि’ क्या होती है?

‘मानहानि’ (Defamation), किसी व्यक्ति, व्यवसाय, उत्पाद, समूह, सरकार, धर्म अथवा राष्ट्र की प्रतिष्ठा को हानि पहुचाने वाले गलत व्यक्तव्यों का संप्रेषण होती है।

  • भारत में, मानहानि सिविल और आपराधिक (क्रिमिनल) दो प्रकार की होती है। मानहानि के दोनों प्रकारों में अंतर उनके उद्देश्यों में निहित होता है।
  • सिविल प्रकार की मानहानि में अपराधी को निवारण के रूप में क्षतिपूर्ति देनी पड़ती है तथा क्रिमिनल / आपराधिक प्रकार की मानहानि के सन्दर्भ में अपराधी को दण्डित किया जाता है, और इस प्रकार दूसरों को इस तरह का कार्य न करने का संदेश दिया जाता है।

विधिक प्रावधान:

आपराधिक मानहानि को, विशेष रूप से, भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code – IPC) की धारा 499 के तहत अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है।

सिविल मानहानि, अपकृत्य क़ानून (Tort law) पर आधारित है। अपकृत्य क़ानून, कानून का वह क्षेत्र है, जो किसी गलती को परिभाषित करने के लिए किसी विधान अथवा क़ानून पर निर्भर नहीं होता है, परन्तु, ‘क्या करना गलत हो सकता है?’ इसकी व्याख्या करने के लिए विभिन्न कानूनों का उपयोग करता है।

  • IPC की धारा 499 के अनुसार, मानहानि, बोले गए अथवा पढ़े जाने योग्य शब्दों के माध्यम से, संकेतों के माध्यम से तथा दृश्यमान अभिव्यक्ति के माध्यम से भी हो सकती है।
  • धारा 499 में अपवादों का भी हवाला दिया गया है। इनमें ‘लोक हित’ में आवश्यक ‘सत्य बात का लांछन’ लगाया जाना या प्रकाशित किया जाना मानहानि के अंतर्गत नहीं आता है।
  • मानहानि के लिए सजा के संबंध में आईपीसी की धारा 500, के अनुसार, किसी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति की मानहानि करने पर, दो वर्ष तक का साधारण कारावास या जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

मानहानि कानून का दुरुपयोग तथा संबंधित चिंताएँ:

  • इसके अंतर्गत, आपराधिक प्रावधानों को प्रायः विशुद्ध रूप से उत्पीड़न के माध्यम में रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
  • भारतीय विधिक प्रक्रियाओं की बोझिल प्रकृति को देखते हुए, मामले की गंभीरता पर ध्यान दिए बिना ही, प्रक्रिया ही सजा के समान हो जाती है।
  • आलोचकों का तर्क है कि मानहानि कानून वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों से टकराते हैं।
  • आपराधिक मानहानि का समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है: उदाहरण के लिए, राज्य इसे, मीडिया और राजनीतिक विरोधियों को आलोचना करने से रोकने तथा अनुचित संयम अपनाने के लिए विवश करता है।

उच्चत्तम न्यायालय द्वारा की गयी टिप्पणियाँ:

  • सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ मामले 2014 में, न्यायालय द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) की संवैधानिक वैधता की अभिपुष्टि की गयी तथा यह कहा गया कि, किसी व्यक्ति के ‘गरिमा तथा सम्मान के साथ जीने के अधिकार’ को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा मात्र इसलिए भंग नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसको स्वतंत्रता प्राप्त है।
  • अगस्त 2016 में, न्यायालय ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता पर ‘लोकतंत्र का दम घोटने’ के लिए आपराधिक मानहानि कानून का दुरुपयोग करने के लिए सख्त आलोचना करते हुए कहा कि ‘सार्वजनिक हस्तियों’ को आलोचनाओं का सामना करना चाहिए।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. आपराधिक और सिविल मानहानि के मध्य अंतर
  2. आईपीसी की धारा 499 और 500 किससे संबंधित हैं?
  3. अपकृत्य क़ानून (Tort law) क्या है?
  4. इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय
  5. धारा 499 के तहत अपवाद

मेंस लिंक:

क्या आपको लगता है कि भारत में मानहानि को गैर-अपराध घोषित किया जाना चाहिए? क्या मानहानि तथा अवमानना कानून पुराने समय के क़ानून हो चुके है? उपयुक्त उदाहरणों सहित उचित साबित कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

उइगर


संदर्भ:

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ‘मिशेल बेशलेट’ (Michelle Bachelet) झिंजियांग क्षेत्र का दौरा कर रही हैं, इस क्षेत्र में बीजिंग पर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का दमन करने का आरोप लगाया गया है। चीन ने कहा है, कि उसे उम्मीद है- मानवाधिकार उच्चायुक्त की यह यात्रा उसके बारे में फैलाई जा रही “गलत जानकारी को स्पष्ट कर सकती है।”

 

संबंधित प्रकरण:

कई देशों ने ‘शिनजियांग प्रांत’ में ‘मुस्लिम उइगर समुदाय’ के लिए, चीन से “कानून के शासन का पूर्ण सम्मान सुनिश्चित करने” की मांग की है।

विश्वसनीय रिपोर्टों से संकेत मिलता है, कि शिनजियांग में एक लाख से अधिक लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है तथा उइगरों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को अनुचित रूप से लक्षित करते हुए व्यापक निगरानी की जा रही है, और उइघुर संस्कृति तथा मौलिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित किया गया है।

चीन की प्रतिक्रिया:

पर्याप्त सबूतों के बावजूद, चीन, उइगरों के साथ दुर्व्यवहार से इंकार करता है और जोर देकर, केवल चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किए गए “व्यावसायिक प्रशिक्षण” केंद्र चलाने की बात करता है।

उइगर कौन हैं?

उइगर (Uighurs) मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्की नृजातीय समूह हैं, जिनकी उत्पत्ति के चिह्न ‘मध्य एवं पूर्वी एशिया’ में खोजे जा सकते हैं।

  • उइगर समुदाय, तुर्की भाषा से मिलती-जुलती अपनी भाषा बोलते हैं, और खुद को सांस्कृतिक और नृजातीय रूप से मध्य एशियाई देशों के करीब मानते हैं।
  • चीन, इस समुदाय को केवल एक क्षेत्रीय अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता देता है और इन्हें देश का मूल-निवासी समूह मानने से इंकार करता है।
  • वर्तमान में, उइगर जातीय समुदाय की सर्वाधिक आबादी चीन के शिनजियांग क्षेत्र में निवास करती है।
  • उइगरों की एक बड़ी आबादी पड़ोसी मध्य एशियाई देशों जैसे उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान में भी पाई जाती है।

दशकों से उइगर मुसलमानों पर चीनी सरकार द्वारा आतंकवाद और अलगाववाद के झूठे आरोपों के तहत, उत्पीड़न, जबरन हिरासत, गहन-जांच, निगरानी और यहां तक ​​​​कि गुलामी जैसे दुर्व्यवहार किये जा रहे हैं।

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप चीन की ‘वन कंट्री टू सिस्टम पॉलिसी’ के बारे में जानते हैं? इस नीति के तहत किन क्षेत्रों का प्रशासन किया जाता है?  

प्रीलिम्स लिंक:

  1. उइघुर / उइगर कौन हैं?
  2. शिनजियांग कहाँ है?
  3. हान चीनी कौन हैं?
  4. शिनजियांग प्रांत की सीमा से लगे भारतीय राज्य।

मेंस लिंक:

उइघुर कौन हैं? हाल ही में इनके समाचारों में होने संबंधी कारणों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययनIII


 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन द्वारा “वर्ल्ड ऑफ़ वर्क” की निगरानी


(ILO Monitor on the “world of work”)

संदर्भ:

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (International Labour Organization – ILO) द्वारा “वर्ल्ड ऑफ़ वर्क” रिपोर्ट (“World of Work” Report)का नवीनतम संस्करण जारी किया गया है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  1. 2021 की अंतिम तिमाही और 2022 की पहली तिमाही के बीच 11.2 करोड़ नौकरियों के समाप्त होने का अनुमान है।
  2. निम्न-मध्यम आय वाले देशों में, 2020 की दूसरी तिमाही में ‘काम के घंटों’ के संदर्भ में लैंगिक-अंतराल में गिरावट देखी गयी है।
  3. महिलाओं की नौकरी छूटना: रिपोर्ट में विचार की गई पूरी अवधि के दौरान, महामारी से पहले काम पर जाने वाली हर 100 महिलाओं में औसतन 12.3 महिलाओं की नौकरी छूट गयी है।
  4. पुरुषों की नौकरी छूटना: इसी अवधि में, महामारी से पहले काम करने वाले प्रति 100 पुरुषों में औसतन 7.5 पुरुषों की नौकरी छूट गयी है।
  5. “अमीर और गरीब अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक भारी और बढ़ती भिन्नता” अर्थव्यवस्था हालातों में सुधार की ‘विशेषता’ बनी हुई है।

 

वर्तमान प्रवृत्ति के कारण:

  • कुल मिलाकर, महामारी ने देश में रोजगार भागीदारी में पहले से ही पर्याप्त ‘लैंगिक-असंतुलन’ को और बढ़ा दिया है।
  • अन्य कारण: चीन में हालिया लॉकडाउन, यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष, और खाद्य और ईंधन की कीमतों में वैश्विक वृद्धि।

भारत में रोजगार – रिपोर्ट के महत्वपूर्ण निष्कर्ष:

  • लैंगिक अंतराल (जेंडर गैप): 2020 की दूसरी तिमाही में ‘काम के घंटों’ के संबंध में ‘जेंडर गैप’ में गिरावट आई है।
  • अधिकांश लोग बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के ‘अनुबंध’ के आधार पर काम कर रहे हैं।

आवश्यकता:

  • स्थिति से निपटने के लिए मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।
  • श्रमिकों की क्रय क्षमता में सुधार किया जाना चाहिए।

 

भारत के समक्ष चुनौतियां:

  • 2019 में पारित ‘वेतन संहिता’ (Code on Wages) अभी तक लागू नहीं हुई है।
  • 1948 में ‘वेतन समिति’ ने सरकार से न्यूनतम मजदूरी, निर्वाह मजदूरी और उचित मजदूरी को लागू करने के लिए कहा था। औद्योगिक समुदाय द्वारा इस सिफारिश का विरोध किया जाता है।
  • लॉकडाउन के दौरान 30% -60% श्रमिकों – लगभग पांच करोड़ लोग – की नौकरी छूट गयी थी, इन लोगों को अभी तक कोई काम नहीं मिल पाया है।
  • MSME संघों के एक सर्वेक्षण के अनुसार, एक तिहाई ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों’ (MSMEs) को कभी भी पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. विश्व आर्थिक मंच के बारे में
  2. “वर्ल्ड ऑफ़ वर्क” के बारे में
  3. ILO और उसकी रिपोर्ट के बारे में

मेंस लिंक:

‘बेरोजगारी शिक्षितों में अधिक और गरीब, अकुशल और अर्धकुशल लोगों में कम पायी गयी है’। इस कथन को स्पष्ट करते हुए नवीनतम आँकड़ों के अनुसार भारत में नौकरियों में तीव्र गिरावट के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले।

भारत एवं अमेरिका के बीच ‘निवेश प्रोत्साहन समझौता’ पर हस्ताक्षर

संदर्भ:

हाल ही में, भारत और अमेरिका के बीच ‘निवेश प्रोत्साहन समझौते’ (Investment Incentive Agreement – IIA) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

इस समझौते से व्यापक क्षेत्रों में ‘अमेरिका के विकास वित्त संस्थान’ से निवेश सहयोग में वृद्धि होने की उम्मीद है।

महत्वपूर्ण:

  • यह समझौता, वर्ष 1997 में भारत और अमेरिका की सरकारों के बीच हस्ताक्षरित एक अन्य समान समझौते का स्थान लेगा।
  • यह समझौता ‘यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन’ (DFC) द्वारा भारत में निवेश सहायता प्रदान करना जारी रखने के लिए एक कानूनी आवश्यकता है।
  • इस समझौते के तहत प्रदान की जाने वाली सेवाओं में ऋण, इक्विटी निवेश, निवेश गारंटी, निवेश बीमा या पुनर्बीमा, संभावित परियोजनाओं और अनुदानों के लिए व्यवहार्यता अध्ययन शामिल हैं।

 

‘निवेश प्रोत्साहन समझौते’ (IIA) का महत्व:

  • ‘डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन’ (DFC) या इसकी पूर्ववर्ती एजेंसियां ​​1974 से भारत में सक्रिय हैं और इनके द्वारा 5.8 बिलियन डॉलर की निवेश सहायता प्रदान की जा चुकी है, और जिसमें से 2.9 बिलियन डॉलर की निवेश सहायता अभी भी बकाया हैं।
  • यह उम्मीद की जाती है कि ‘निवेश प्रोत्साहन समझौते’ (IIA) पर हस्ताक्षर करने से भारत में DFC द्वारा प्रदान की जाने वाली निवेश सहायता में वृद्धि होगी, जिससे भारत के विकास में और मदद मिलेगी।
  • एजेंसी द्वारा कोविड -19 टीकों का निर्माण, स्वास्थ्य संबंधी वित्तपोषण, नवीकरणीय ऊर्जा, एसएमई का वित्तपोषण, वित्तीय समावेशन और बुनियादी ढाँचा, जैसे विकास से संबंधित क्षेत्रों में निवेश सहायता प्रदान की गयी है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. निवेश प्रोत्साहन समझौते (IIA) के बारे में
  2. यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) – कार्य
  3. भारत-अमेरिका के बीच विभिन्न समझौते

मेंस लिंक:

अमेरिकी अर्थव्यवस्था उपभोग से संचालित होती है और चीनी अर्थव्यवस्था उत्पादन से संचालित होती है, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था व्यापार और सेवाओं से संचालित होती है। भारतीय स्टार्ट-अप किस श्रेणी से संबंधित हैं? इनकी ताकत और कमजोरियों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स।

 

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

फ्रंट-रनिंग


(Front-Running)

संदर्भ:

हाल ही में, म्युचुअल फंड कारोबार में ‘फ्रंट रनिंग’ (Front-Running) का मामला सामने आया था।

इसलिए, भविष्य में इसी तरह की होने वाली गतिविधियों की संभावना के बारे में चिंतित होकर, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा कठोर कार्रवाई किए जाने की उम्मीद है, जिसमें ‘फंड हाउस’ के शीर्ष कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है।

 

‘फ्रंट-रनिंग’ क्या होती है?

फ्रंट-रनिंग (Front-running) एक संदेहात्मक बाजार-प्रथा है, जिसमें किसी डीलर, व्यापारी या कर्मचारी को किसी फंड या बड़े निवेशक द्वारा शेयरों को खरीदने या बेचने के लिए एक बड़े ऑर्डर के बारे में संकेत मिलता है, और इसके बाद वे इस सौदे के सामने (In Front) आ जाते हैं।

  • ‘बड़े ऑर्डर’ आमतौर पर ‘स्टॉक’ की कीमतों को बढ़ा देते हैं।
  • फ्रंट-रनर अपनी अग्रिम जानकारी से, बड़े ऑर्डर के बाजार में आने से ठीक पहले शेयर खरीदकर, और कीमत बढ़ने के बाद उन्हें बेचकर अवैध लाभ अर्जित करते हैं।

संबंधित चिंताएं:

अंदरूनी सूत्रों द्वारा फ्रंट-रनिंग करने वालों के द्वारा, निवेशकों को स्टॉक खरीदने या बेचने के लिए कीमतों की बोली बढाकर या कीमतों को कम करके उन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला जा सकता है।

इस प्रकार की प्रथाओं को रोकने के लिए नियम:

सेबी (प्रतिभूति बाजार से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं का निषेध) विनियम, 2003 के तहत, फ्रंट-रनिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, और इसे धोखाधड़ी और अनुचित व्यवहार के रूप में परिभाषित करता है। SEBI द्वारा इस क़ानून को फ्रंट-रनर के खिलाफ आदेश पारित करने के लिए कई बार लागू किया गया है।

सेबी द्वारा प्रस्तावित कार्रवाई:

  • प्राथमिक बाजार के मोर्चे पर, नियामक द्वारा नए जमाने की प्रौद्योगिकी कंपनियों की लिस्टिंग के लिए प्रकटीकरण और अनुपालन अनिवार्यताओं में वृद्धि करने पर विचार किया जा रहा है।
  • द्वितीयक बाजार सहभागियों के लिए, SEBI द्वारा जिम्मेदार निवेश के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यवाही की जा रही है क्योंकि बहुत सारे नए ग्राहक ‘सट्टा कारोबार’ (speculative trading) की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं।

इस प्रथा को रोकने के लिए और क्या किया जाना चाहिए?

  • स्टॉक एक्सचेंजों के निगरानी तंत्र, ‘फ्रंट-रनिंग’ के उदाहरणों को उजागर करने के लिए सबसे उपयोगी तंत्र हैं।
  • बाजार में रीयल-टाइम ट्रेडों को ट्रैक करने वाले ‘निगरानी सॉफ्टवेयर’, बड़े निवेशकों और व्यक्तियों के बीच समान कारोबार पैटर्न को खोजने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित है, और यह नियामक द्वारा ‘फ्रंट-रनिंग जांच’ का आधार बन सकते हैं।
  • जांच में गड़बड़ी के कठोर सबूत मिलने पर, SEBI को सूचना वाहकों और फ्रंट-रनर्स के लिए और अधिक कठोर दंडों पर भी विचार करने की आवश्यकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 नए कार्स्ट घोलरंध्र

‘नए कार्स्ट घोलरंध्र’ (New Karst sinkhole) दक्षिणी चीन के ‘गुआंग्शी ज़ुआंग’ स्वायत्त क्षेत्र में है।

  • हाल ही में खोजकर्ताओं द्वारा इन ‘नए कार्स्ट घोलरंध्रों’ की खोज की गयी थी।
  • इस ‘घोलरंध्र’ / सिंकहोल की लंबाई 306 मीटर, चौड़ाई 150 मीटर और गहराई 192 मीटर है, और इसका विस्तार-क्षेत्र लगभग 5 मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक है।
  • ‘दक्षिणी चीन’ में ‘कार्स्ट स्थलाकृति’ काफी मात्रा में पाई जाती है, यह क्षेत्र नाटकीय घोलरंध्रों और अन्य विशेष प्रकार की गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है।

सिंकहोल’ या ‘घोलरंध्र’ क्या होते हैं?

  • जब किसी भूमिगत कक्ष/ कोष्ठ की छत विस्तारित होकर ढह जाती है तो वह ‘सिंकहोल’ या ‘घोलरंध्र’ में परिवर्तित हो जाती है। वर्षा का पानी जब आधारशिलाओं की दरारों से होकर प्रवाहित होता है,  तब ये दरारें सुरंगों और खाली जगहों में बदल जाती हैं।
  • सिंकहोल का निर्माण प्राकृतिक प्रक्रियाओं या मानवीय गतिविधियों दोनों के कारण हो सकता है। ‘सिंकहोल’, आमतौर पर “कार्स्ट” क्षेत्रों में पाए जाते हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह के नीचे की चट्टान को भूजल द्वारा आसानी से घुलित किया जा सकता है।

 

माया पिट वाइपर

  • हाल ही में मेघालय ‘उमरोई मिलिट्री स्टेशन’ में ‘ट्राइमेरेसुरस मायाई’ (Trimeresurus Mayaae) या ‘माया पिट वाइपर’ (Maya’s Pit viper) नाम के एक नए ज़हरीले हरे साँप की प्रजाति देखी गई है।
  • इस सांप-प्रजाति का नाम कर्नल यशपाल सिंह राठी की दिवंगत मां – ‘माया’ के सम्मान में रखा गया है।
  • यह नई प्रजाति मेघालय, मिजोरम और गुवाहाटी (असम) में भी अपेक्षाकृत आम रूप से पाई जाती है।

क्या आप जानते हैं?

मेघालय को ‘पौराणिक दुष्ट आत्मा की भूमि’ (land of the mythical evil spirit) कहा जाता है, जो ‘यू थलेन’ (U Thlen) नामक विशाल नाग का रूप धारण कर लेती है।

 

केंद्र सरकार के लापता कर्मचारियों के लिए पारिवारिक पेंशन नियम

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) द्वारा हाल ही में, केंद्र सरकार के लापता कर्मचारियों के लिए परिवार पेंशन नियमों में छूट दी गयी है।

  • पहले के नियम के अनुसार, किसी कर्मचारी के लापता होने पर उसके परिजनों को पारिवारिक पेंशन नहीं मिलती थी और जब तक लापता व्यक्ति को सरकार के कानून के अनुसार मृत घोषित नहीं कर दिया जाता या जब से वह लापता हुआ है तब से सात साल हो जाने तक पारिवारिक पेंशन का भुगतान नहीं किया जाएगा।
  • नए कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, उन सभी मामलों में जहां एनपीएस योजना के अंतर्गत शामिल किया गया एक सरकारी कर्मचारी सेवा के दौरान लापता हो जाता है, तो पारिवारिक पेंशन का लाभ लापता सरकारी कर्मचारी के परिवार को तुरंत भुगतान किया जाएगा और सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित होने का इंतजार नहीं करना होगा।

महत्व:

यह निर्णय, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के साथ-साथ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेवारत सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत प्रदान करेगा।

विनय कुमार सक्सेना

  • राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने हाल ही में ‘विनय कुमार सक्सेना’ को दिल्ली का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया है।
  • ‘विनय कुमार सक्सेना’, पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल की जगह लेंगे।

दिल्ली के उपराज्यपाल तथा  दिल्ली सरकार की तुलना में उपराज्यपाल की शक्तियों के बारे में अधिक जानकरी के लिए पढ़िए।

 

संगीत कलानिधि पुरस्कार

हाल ही में, ‘संगीत अकादमी’ द्वारा वर्ष 2020, 2021 और 2022 के लिए ‘संगीत कलानिधि पुरस्कार’ (Sangita Kalanidhi award) विजेताओं की घोषणा की गयी है।

  • यह पुरस्कार ‘मद्रास संगीत अकादमी’ द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • इसे ‘कर्नाटक संगीत’ के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है।
  • इस पुरस्कार में विजेताओं को एक ‘स्वर्ण पदक’ और एक ‘बिरुडु पत्र’ (Citation) प्रदान किया जाता है।

मद्रास संगीत अकादमी:

मद्रास में आयोजित ‘अखिल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन’ (1927) के साथ आयोजित ‘संगीत सम्मेलन’ में मद्रास ‘संगीत अकादमी’ की स्थापना का विचार रखा गया था।

  • इस प्रकार यह INC मद्रास अधिवेशन, 1927 की एक शाखा है।
  • यह अकादमी, कर्नाटक संगीत को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

संदर्भ:

सन्तनगोपालन को वर्ष 2020 के लिए संगीत कलानिधि पुरस्कार विजेता चुना गया है, जबकि भक्तवत्सलम को वर्ष 2021 के लिए पुरस्कार के लिए चुना गया है।

 

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