[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 19 May 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

  1. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142
  2. “प्रतिभाशाली बच्चा” – एआईसीटीई द्वारा अहर्ता मानदंड

 

सामान्य अध्ययन-III

  1. आरएफआईडी टैग
  2. पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण तीन वर्षों में 20% तक बढाए जाने की योजना
  3. NGT शक्तियों के अतिरिक्त प्रत्यायोजन का मामला नहीं है: सुप्रीमकोर्ट
  4. NHRC द्वारा मानवाधिकारों पर प्रदूषण के प्रभाव के बारे में चेतावनी

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. ओलिव बार्ब्स, फिलामेंट बार्ब्स, हाईफिन बार्ब और कर्नाटक क्रेप
  2. मल्टी एजेंसी सेंटर
  3. श्रेष्ठ-जी परियोजना
  4. वर्ष 2021: रिकॉर्ड स्तर पर सात सबसे गर्म वर्षों में से एक
  5. अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 2022
  6. गौतम बुद्ध का जन्मस्थान: लुंबिनी

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142


संदर्भ:

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 (Article 142) के तहत, पूर्ण न्याय करने के लिए अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में सजायाफ्ता एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया है।

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इसकी आवश्यकता:

  • अदालत ने पेरारीवलन की लगभग 30 वर्षों की विस्तारित कैद पर विचार करने के बाद उसकी स्वतंत्रता का आदेश दिया है।
  • अपराधी द्वारा क्षमा याचिका प्रस्तुत किए जाने के बाद काफी लंबी प्रतीक्षा और क्षमा याचिका पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल की अनिच्छा के कारण, शीर्ष अदालत को अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करना पड़ा है।

अनुच्छेद 142 के बारे में:

1989 में ‘यूनियन कार्बाइड मामले’ से लेकर 2019 में अयोध्या राम मंदिर के फैसले तक, शीर्ष अदालत ने कई बार संविधान के ‘अनुच्छेद 142’ के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया है।

अनुच्छेद 142 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय को पक्षकारों के मध्य ‘पूर्ण न्याय’ करने की अद्वितीय शक्ति प्रदान की गई है, अर्थात, जब कभी स्थापित नियमों एवं कानूनों के तहत कोई समाधान नहीं निकल पाता है, तो ऐसे में अदालत, मामले से संबंधित तथ्यों के मुताबिक़ विवाद पर ‘अंतिम फैसला’ सुना सकती है।

संविधान सभा द्वारा संविधान में ‘अनुच्छेद 142 को शामिल करने की आवश्यकता क्यों महसूस की गयी?

  • संविधान सभा ने संविधान में इस तरह के एक अनुच्छेद को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया।
  • संविधान के रचनाकारों का मानना ​​था, कि यह प्रावधान ‘आवश्यक उपचार प्रदान करने में कानूनी व्यवस्था की प्रतिकूल स्थिति के कारण पीड़ित होने के लिए मजबूर व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति एवं राज्यपाल की क्षमादान शक्तियों में अंतर:

  • अदालत ने केंद्र के इस तर्क को खारिज कर दिया, कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या की सजा) के तहत किसी मामले में केवल ‘राष्ट्रपति’ को क्षमादान देने की शक्ति है और इस प्रकार के मामले में राज्यपाल के पास क्षमादान की शक्ति नहीं है।
  • क्योंकि, यह सरकार का यह तर्क ‘अनुच्छेद 161’ को “प्रभावहीन” घोषित कर देगा, जिसके परिणामस्वरूप एक असाधारण स्थिति उत्पन्न हो जाएगी जिसमें 70 साल पहले की हत्या के मामलों में राज्यपालों द्वारा दिए गए क्षमादान को अमान्य कर दिया जाएगा।

क्षमादान शक्तियों, प्रासंगिक संवैधानिक प्रावधानों और मतभेदों के बारे में अधिक जानकारी हेतु पढ़िए।

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि अनुच्छेद 142, जो अनुच्छेद 118 के मसौदे के रूप में शुरू हुआ था, संविधान सभा द्वारा 27 मई, 1949 को अपनाया गया था?

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 142 का प्रयोग करने के उदाहरण
  2. उच्च न्यायालयों को प्राप्त इस प्रकार की समान शक्तियाँ
  3. मूल आधिकारिता बनाम अपीलीय आधिकारिता
  4. सदन के अध्यक्ष के निर्णयों की न्यायिक समीक्षा।

मेंस लिंक:

“अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपनी विस्तृत शक्तियों का उपयोग किये जाने से कई वंचित वर्गों के लिए बहुत अच्छा हुआ है। हालांकि, यह नियंत्रण और संतुलन स्थापित करने का समय है।” चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

“प्रतिभाशाली बच्चा” – एआईसीटीई द्वारा अहर्ता मानदंड


(“Gifted Child”- Qualifying Criteria By AICTE)

संदर्भ:

पिछले महीने, ‘अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद’ (All India Council for Technical Education – AICTE) ने कहा है, कि सभी संस्थानों को “प्रतिभाशाली बच्चा” श्रेणी (“Gifted Child” Category) के तहत दो अतिरिक्त सीटें अलग रखने की अनुमति दी जाएगी।

हाल ही में, ‘अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद’ द्वारा इसके लिए मानदंड जारी किए गए हैं।

“प्रतिभाशाली बच्चा” श्रेणी में शामिल होने के लिए मानदंड:

  1. सरकार या किसी मान्यता प्राप्त निजी निकाय द्वारा आयोजित कम से कम एक राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का पुरस्कार विजेता।
  2. अभिनव एवं मौलिक परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए किसी सरकारी एजेंसी से वित्तीय सहायता प्राप्त की हो।
  3. अभ्यर्थी का मुख्य लेखक के रूप में कोई उच्च गुणवत्ता वाला मौलिक शोध-लेख किसी समकक्ष- समीक्षित पत्रिका में प्रकाशित हो चुका हो।
  4. भारतीय या अंतरराष्ट्रीय पेटेंट कार्यालय द्वारा दिए गए किसी पेटेंट का मुख्य धारक हो।
  5. अभ्यर्थी,गूगल/एप्पल/ विंडोज स्टोर पर किसी ऐप का मालिक हो, या बाजार में एक प्रौद्योगिकी आधारित अभिनव उत्पाद लॉन्च करने की प्रक्रिया में हो या लॉन्च कर चुका हो, जिसके 10,000 से अधिक डाउनलोड किए जा चुके हो।

इस श्रेणी में शामिल होने वाले छात्रों के लिए लाभ:

इस योजना के तहत, छात्रों को प्रवेश देने वाले संस्थान प्रवेशित छात्रों को पूरी तरह से ट्यूशन-शुल्क से छूट देने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।

जागरूकता की जरूरत:

  • कई प्रतिभाशाली छात्र ‘उच्च उपलब्धि हासिल करने वाले के रूप में’ पहचान नहीं बना पाते हैं क्योंकि उन्हें उपयुक्त मंच नहीं मिल पाता है।
  • उनकी गणना शायद ‘स्कूल में खराब स्कोर करने’ के कारण नहीं की जाती है, लेकिन वे संभावित रूप से उच्च उपलब्धि हासिल करने वाले हो सकते हैं।
  • दो आरक्षित अतिरिक्त सीटों के प्रावधान का उद्देश्य, उन छात्रों की जन्मजात क्षमता को अधिकतम करना है जिन्होंने कम अंक प्राप्त किए हैं या प्रवेश परीक्षा नहीं दी है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. AICTE
  2. प्रतिभाशाली बच्चा – मानदंड

मेंस लिंक:

कई प्रतिभाशाली छात्र ‘उच्च उपलब्धि हासिल करने वाले के रूप में’ पहचान नहीं बना पाते हैं क्योंकि उन्हें उपयुक्त मंच नहीं मिल पाता है। टिप्पणी कीजिए।

स्रोत: द प्रिंट।

 


सामान्य अध्ययनIII


 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

RFID टैग


संदर्भ:

अब अमरनाथ तीर्थयात्रियों को ट्रैक करने के लिए ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन’ (Radio Frequency Identification – RFID) टैग का इस्तेमाल किया जाएगा।

यह निर्णय तीर्थयात्रा के दौरान सुरक्षा खतरों में वृद्धि को देखते हुए लिया गया है।

RFID के बारे में:

‘रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन’ (RFID), एक ‘टैग’ और ‘रीडर’ से बना एक ‘वायरलेस ट्रैकिंग सिस्टम’ है।

  • इस ‘ट्रैकिंग सिस्टम’ में वस्तुओं या लोगों की जानकारी/पहचान को संप्रेषित करने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है।
  • इसमें प्रयुक्त ‘टैग’ में एन्क्रिप्टेड जानकारी, सीरियल नंबर और संक्षिप्त विवरण दर्ज किए जा सकते हैं।

प्रकार – निष्क्रिय और सक्रिय RFID टैग:

  1. सक्रिय आरएफआईडी (Active RFIDs) अपने स्वयं के उर्जा स्रोत, ज्यादातर बैटरी का उपयोग करते हैं।
  2. निष्क्रिय आरएफआईडी (Passive RFIDs) को, पाठक के माध्यम से ‘विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा’ प्रसारण का उपयोग करके सक्रिय किया जाता है।

कार्यविधि:

  • आरएफआईडी टैग कई अलग-अलग आवृत्तियों – निम्न आवृत्ति (low frequency), उच्च आवृत्ति (High Frequency – HF) और अल्ट्रा-उच्च आवृत्ति (ultra-high frequency – UHF) – पर रेडियो तरंगों का उपयोग करके ‘रीडर’ (पाठक) के साथ संवाद करने के लिए एक एकीकृत सर्किट और एंटीना का उपयोग करते हैं।
  • ‘टैग’ द्वारा ‘रेडियो तरंगों’ के रूप में वापस भेजे गए संदेश को डेटा में अनुवादित किया जाता है और इसका होस्ट कंप्यूटर सिस्टम द्वारा विश्लेषण किया जाता है।
  • बारकोड के विपरीत, RFID को वस्तुओं की पहचान करने के लिए ‘सीधी दृष्टि’ की आवश्यकता नहीं होती है।

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘ऑप्टिकल संचार’ रेडियो फ़्रीक्वेंसी सिस्टम की तुलना में बैंडविड्थ को 10 से 100 गुना अधिक बढ़ाने में मदद कर सकता है?

प्रीलिम्स लिंक:

  1. RFID के बारे में
  2. रेडियो फ्रीक्वेंसी
  3. ऑप्टिकल संचार प्रणाली
  4. संचार प्रणाली संबंधित नासा के मिशन

मेंस लिंक:

नासा के LCRD के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण तीन वर्षों में 20% तक बढाए जाने की योजना


संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति’ – 2018 (National Policy on Biofuels-2018 : NBP-2018) में संशोधन को मंजूरी दे दी है।

 

संशोधनों के अनुसार:

  • ईंधन फर्मों के लिए गैसोलीन में इथेनॉल का अनुपात 20% तक बढ़ाने के लिए वर्ष 2025 तक की समय सीमा निर्धारित की गयी है।
  • 20% इथेनॉल शुरू करने की नीति 1 अप्रैल, 2023 से लागू होगी।

20% इथेनॉल सम्मिश्रण के लाभ (नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार):

  1. प्रति वर्ष विदेशी मुद्रा की ₹30,000 करोड़ की बचत।
  2. ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि।
  3. कार्बन उत्सर्जन में कमी।
  4. बेहतर वायु गुणवत्ता।
  5. आत्मनिर्भरता।
  6. ख़राब हो चुके खाद्यान्नों का बेहतर उपयोग।
  7. किसानों की आय में वृद्धि और निवेश के अधिक अवसर।

 

इथेनॉल सम्मिश्रण – भारत का अब तक का सफर :

13 मार्च, 2022 तक, भारत में 9.45 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया था। वित्तीय वर्ष 2022 के समापन तक, यह इथेनॉल मिश्रण 10% तक पहुँचने की संभावना है।

चुनौतियां:

  • ईंधन के रूप में, पेट्रोल में 10% तक इथेनॉल मिश्रण का इस्तेमाल करने के लिए, वाहन के इंजन में बड़े परिवर्तन करने की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन 20% मिश्रण के लिए कुछ परिवर्तनों की आवश्यकता हो सकती है और जिससे वाहन की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
  • अधिक सम्मिश्रण का एक अर्थ यह भी हो सकता है कि गन्ने जैसी ‘जल-गहन’ फसलों के लिए अधिक भूमि का उपयोग किया जाएगा, जिसके लिए वर्तमान में सरकार सब्सिडी देती है।
  • 2025 तक 16 बिलियन लीटर इथेनॉल की मांग: इसके लिए 2025 तक प्रति वर्ष 60 लाख टन चीनी और 16.5 मिलियन टन अनाज की आवश्यकता होगी।
  • इस हेतु भूमि विनियोजन में वृद्धि, पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिलाने से होने वाले उत्सर्जन में वास्तविक कमी पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।

इथेनॉल के बारे में:

इथेनॉल (Ethanol), एथिल अल्कोहल नामक एक कार्बनिक यौगिक है जो बायोमास से निर्मित किया जाता है। यह मादक पेय पदार्थों में प्रयुक्त होने वाला एक घटक भी है।

  • गैसोलीन की तुलना में इथेनॉल की ‘ऑक्टेन संख्या’ (octane number) अधिक होती है, इसलिए इसके मिश्रण से पेट्रोल की ऑक्टेन संख्या में सुधार होता है।
  • चूंकि इथेनॉल में ‘ऑक्सीजन’ होता है, इसलिए यह ईंधन के पूर्ण दहन में मदद करता है, जिसके परिणामस्वरूप कम उत्सर्जन होता है।

स्रोत: इथेनॉल का उत्पादन स्टार्च की उच्च मात्रा वाली फसलों, जैसे कि गन्ना, मक्का, गेहूँ आदि से किया जा सकता है।

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप फ्लेक्स ईंधन वाहनों के बारे में जानते हैं?

प्रीलिम्स लिंक:

  1. इथेनॉल क्या है? इसका उत्पादन किस प्रकार किया जाता है?
  2. इथेनॉल और शीरे के बीच अंतर?
  3. ’इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम’ क्या है?
  4. ‘इथेनॉल सम्मिश्रण’ के लाभ?

मेंस लिंक:

वर्ष 2013 के इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

NGT शक्तियों के अतिरिक्त प्रत्यायोजन का मामला नहीं है: सुप्रीमकोर्ट


(NGT not a case of extra delegation of powers: SC)

संदर्भ:

सुप्रीम कोर्ट ने, हाल ही में सुनाए गए एक फैसले में ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम’ (National Green Tribunal Act – NGT Act) के विभिन्न प्रावधानों को बरकरार रखा है।

संबंधित प्रकरण:

कुछ समय पूर्व, ‘मध्य प्रदेश हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन’ ने ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम’ के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाया गया फैसला:

  • एनजीटी अधिनियम (NGT Act) की धारा 3 के संबंध में: यह केंद्र सरकार को बहुत अधिक शक्ति दिए जाने का मामला नहीं है। इस प्रावधान के तहत, केंद्र सरकार को ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ (NGT) का गठन करने संबंधी अधिकार दिया गया है। इसलिए, ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ की न्याययिक पीठों को अत्यावश्यकताओं के अनुसार गठित किया जा सकता है और हर राज्य में इनका गठन करना आवश्यक नहीं है।
  • एनजीटी अधिनियम की धारा 14 और 22 के तहत ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ का क्षेत्राधिकार, संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में बाधा नहीं डालता है, क्योंकि दोनों आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के बारे में:

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT)  की स्थापना 18 अक्तूबर, 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी।

  • इसकी स्थापना, पर्यावरण बचाव और वन संरक्षण और अन्य प्राकृतिक संसाधन सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन और इससे जुडे़ हुए मामलों का प्रभावी एवं त्वरित निपटान करने हेतु की गयी है।
  • यह अधिकरण सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत निर्धारित प्रक्रिया से बाध्य नहीं है, तथा यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों से निर्देशित होगा।
  • अधिकरण के लिए, आवेदनों और याचिकाओं को, उनके दायर किये जाने से 6 माह के भीतर, निपटान करने का अधिदेश दिया गया है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना के साथ ही, भारत ‘विशेष पर्यावरण न्यायाधिकरण’ स्थापित करने वाला विश्व में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बाद तीसरा देश तथा पहला विकासशील देश बन गया है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण की संरचना:

  1. राष्ट्रीय हरित अधिकरण, में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और न्यूनतम 10 तथा अधिकतम 20 पूर्णकालिक न्यायिक एवं विशेषज्ञ सदस्य होते हैं।
  2. अध्यक्ष: इस अधिकरण का प्रशासनिक प्रमुख होता है तथा वह न्यायिक सदस्य के रूप में भी कार्य करता है। अध्यक्ष पद पर नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति के लिए उच्च न्यायालय का सेवारत अथवा सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश होना आवश्यक है।

सदस्यों का चयन:

  1. राष्ट्रीय हरित अधिकरण के सदस्यों का चयन, एक चयन समिति (भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की अध्यक्षता में) द्वारा किया जाता है। यह समिति सभी आवेदनों की समीक्षा करती है और साक्षात्कार आयोजित करती है।
  2. न्यायिक सदस्यों के रूप में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या सेवानिवृत्त न्यायाधीशों का चयन किया जाता है।
  3. विशेषज्ञ सदस्यों के रूप में चयनित होने क लिए आवेदकों को, भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव या उससे ऊपर के पद पर कार्यरत अथवा सेवानिवृत नौकरशाह; राज्य सरकार के अधीन सेवारत प्रधान सचिव पद पर कार्यरत अथवा सेवानिवृत नौकरशाह तथा पर्यावरणीय मामलों से निपटने का न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए। अथवा विशेषज्ञ सदस्य सदस्यों के पास संबंधित क्षेत्र में डॉक्टरेट डिग्री होना चाहिए।

इंस्टा जिज्ञासु:

  1. क्या आप जानते हैं कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और ‘अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम’, 2006 को NGT के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है?
  2. चूंकि, वन अधिकार का महत्वपूर्ण मुद्दा सीधे पर्यावरण से जुड़ा हुआ होता है, अतः यह दोनों कानून, ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण’ के अधिकार क्षेत्र को प्रतिबंधित करते हैं और कभी-कभी इसके कामकाज में बाधा भी उत्पन्न करते है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. NGT के बारे में
  2. संरचना
  3. कार्य
  4. प्रमुख निर्णय

मेंस लिंक:

राष्ट्रीय हरित अधिकरण की भूमिकाओं और कार्यों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द प्रिंट।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

NHRC द्वारा मानवाधिकारों पर प्रदूषण के प्रभाव के बारे में चेतावनी


संदर्भ:

प्रदूषण और स्वास्थ्य पर ‘लैंसेट’ (Lancet)  द्वारा प्रकाशित एक नवीनतम रिपोर्ट में, भारत में मानव स्वास्थ्य पर बढ़ते प्रदूषण के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है।

इसके बाद, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण के मानवाधिकारों पर पड़ने वाले प्रभावों को रोकने, कम करने और समाप्त करने के लिए एक सलाह जारी की है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

भारत विशिष्ट निष्कर्ष-

  1. 2019 के दौरान भारत में वायु प्रदूषण की वजह से 16.7 लाख मौतें हुई थी, जोकि उस वर्ष देश में कुल मौतों का 17.8% थी।
  2. यह किसी भी देश में वायु प्रदूषण से संबंधित मौतों की सबसे बड़ी संख्या है।
  3. इनमे से 9.8 लाख मौतें PM5 प्रदूषण के कारण और अन्य 6.1 लाख मौतें घरेलू वायु प्रदूषण के कारण हुई थी।
  4. अत्यधिक गरीबी से जुड़े प्रदूषण स्रोत (जैसे इनडोर वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण): इन प्रदूषण स्रोतों की संख्या में कमी हुई है; लेकिन, यह कमी औद्योगिक प्रदूषण (जैसे परिवेशी वायु प्रदूषण और रासायनिक प्रदूषण) के कारण होने वाली मौतों में वृद्धि से संतुलित हो जाती है।
  5. सबसे बुरी तरह प्रभावित स्थान: सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या सबसे गंभीर है। इस क्षेत्र में नई दिल्ली और कई सबसे प्रदूषित शहर आते हैं।
  6. कारण: घरों में जव ईंधन (बायोमास) का जलना भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण है, इसके बाद कोयले का दहन और फसल जलाना का स्थान है।
  7. सीसा-विषाक्तता: 27.5 करोड़ बच्चों में रक्त में सीसा (Lead) की मात्रा 5 माइक्रोग्राम/डेसीलीटर (5 µg/dL) से अधिक होने का अनुमान है।
  8. भारत में 2000 और 2019 के बीच जीडीपी के अनुपात के रूप में प्रदूषण के आधुनिक रूपों के कारण आर्थिक नुकसान में वृद्धि हुई है, जोकि जीडीपी का 1 फीसदी है।

वैश्विक निष्कर्ष:

  1. विश्व स्तर पर, केवल वायु प्रदूषण से 66.7 लाख मौते होती है।
  2. कुल मिलाकर, 2019 में प्रदूषण के कारण अनुमानित 90 लाख मौतें (विश्व भर में प्रति छह मौतों में से एक) हुई थी।
  3. अनुमान है, कि 80 करोड़ से अधिक बच्चों में रक्त में ‘सीसे की सांद्रता’ 5 माइक्रोग्राम/डेसीलीटर से अधिक है।
  4. इसके लिए जिम्मेदार कारकों में, परिवेशी वायु प्रदूषण में वृद्धि, बढ़ते रासायनिक प्रदूषण, बढ़ती आबादी और प्रदूषण के संपर्क में आने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि, शामिल है।
  5. जीवाश्म ईंधन वायु प्रदूषण की वैश्विक लागत, लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति दिन होने का अनुमान है।

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे प्रयास:

भारत ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निम्नलिखित कार्यक्रमों की शुरुआत की है:

  1. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना कार्यक्रम।
  2. क्यू राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (Q National Clean Air Programme)।
  3. 2019 में, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का गठन।

आगे की चुनौतियां:

  1. भारत की ‘वायु प्रदूषण नियंत्रण पहल’ किसी एक केंद्रीकृत प्रशासनिक संगठन द्वारा निर्देशित नहीं है।
  2. वायु की सामान्य गुणवत्ता में बहुत धीरे-धीरे और असमान रूप से सुधार हुआ है।

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘ग्रीनपीस’ (Greenpeace) ने मार्च में जारी अपनी ‘विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट’ 2021 में ‘पीएम 2.5’ के मामले में नई दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी के रूप में दर्ज किया था।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भारत में प्रदूषण
  2. प्रदूषण के प्रकार
  3. नवीनतम रिपोर्ट
  4. रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
  5. प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार की विभिन्न पहलें

मेंस लिंक:

भारत में वायु प्रदूषण की निगरानी में महत्वपूर्ण निवेश किया गया है, तथापि, समस्या को हल करने के लिए संदर्भ-विशिष्ट समाधान खोजने की दिशा में आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है, क्या आप सहमत हैं? टिप्पणी कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 ओलिव बार्ब्स, फिलामेंट बार्ब्स, हाईफिन बार्ब और कर्नाटक क्रेप

ये सब मीठे पानी में पायी जाने वाली मछली प्रजातियां हैं, और व्यापक रूप से इदमालयार बांध, भूतथनकेट्टू और केरल के त्रिशूर जिले के ‘कोल’ (Kol) क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

  • हालांकि, अंधाधुंध मत्स्यन और आवास-परिस्थितियों में बदलाव की वजह से ये प्रजातियां, विशेष रूप से ‘कुरुवा पराल’ प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी हैं।
  • इनके संरक्षण के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) -इंडिया हाई रेंज लैंडस्केप परियोजना’ के तहत उपाय किए जा रहे हैं।
  • ‘UNDP -इंडिया हाई रेंज लैंडस्केप परियोजना’ जनवरी 2020 में शुरू की गई थी।
  • इसका उद्देश्य, आदिवासियों में प्रशिक्षित ‘एक्वाकल्चरिस्ट’ को इन मीठे पानी की प्रजातियों की खेती करने के लिए सहयोग करना है।

चर्चा का कारण:

केरल के वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा इन मछलियों की प्रजातियों के कृत्रिम प्रजनन के लिए तकनीकों का मानकीकरण किया गया है।

 

मल्टी एजेंसी सेंटर

(Multi Agency Centre – MAC)

  • यह इंटेलिजेंस ब्यूरो के तहत एक सामान्य आतंकवाद-रोधी ग्रिड है जिसे कारगिल युद्ध के बाद 2001 में शुरू किया गया था।
  • रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW), सशस्त्र बल और राज्य पुलिस सहित 28 संगठन इस मंच का हिस्सा हैं।
  • विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां मल्टी एजेंसी सेंटर (​Multi Agency Centre – MAC) पर रीयल-टाइम इंटेलिजेंस इनपुट साझा करती हैं।

संदर्भ:

इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को मल्टी एजेंसी सेंटर (MAC) के “प्रौद्योगिकी उन्नयन” के लिए गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा 138.48 करोड़ का अनुदान दिया गया है।

 

.श्रेष्ठ-जी परियोजना

(SRESTHA-G project)

  • विश्व बैंक ने गुजरात के “सिस्टम रिफॉर्म एंडेवर्स फॉर ट्रांसफॉर्मेड हेल्थ अचीवमेंट” (SRESTHA-G) पहल के लिए 350 मिलियन अमरीकी डालर प्रदान किए हैं।
  • इस परियोजना का उद्देश्य, गुजरात में प्रमुख स्वास्थ्य वितरण प्रणालियों को बदलना है।
  • यह ‘रोग निगरानी प्रणाली’ की क्षमता पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।

 

वर्ष 2021: रिकॉर्ड स्तर पर सात सबसे गर्म वर्षों में से एक  

विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा संकलित छह प्रमुख विश्वव्यापी डेटासेट के अनुसार- इस तथ्य के बावजूद कि 2020-2022 की ‘ला-निनो’ परिघटना की वजह से वैश्विक औसत तापमान कम हो गया है, किंतु 2021 अभी भी रिकॉर्ड पर सात सबसे गर्म वर्षों में से एक है।

औसत वैश्विक तापमान:

  • 2021 में औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) स्तरों से लगभग 1.11 (± 13) डिग्री सेल्सियस अधिक था।
  • 2021 लगातार 7वां वर्ष (2015-2021) है जहां वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा है।

औसत ग्लोबल वार्मिंग के कारण:

  • 2016 में एक असाधारण रूप से सशक्त ‘अल नीनो’ परिघटना हुई थी, जिसने ‘वैश्विक औसत वार्मिंग’ को रिकॉर्ड स्तर पर पहुचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
  • 2015 के बाद से सात सबसे गर्म साल रहे हैं, जिनमे वर्ष 2016, 2019 और 2020 शीर्ष तीन में शामिल हैं।
  • कारण: तापमान, ‘जलवायु परिवर्तन’ के संकेतकों में से एक है। तापमान वृद्धि के अन्य संकेतकों में ग्रीनहाउस गैस सांद्रता, महासागरीय ताप सामग्री, महासागर पीएच, वैश्विक औसत समुद्र स्तर, हिमनद द्रव्यमान और समुद्री बर्फ सीमा शामिल हैं।

 

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 2022

  • प्रतिवर्ष 18 मई को ‘अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस’ (International Museum Day) मनाया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस’ 2022 के लिए थीम: संग्रहालयों की शक्ति (The Power of Museums)।

पृष्ठभूमि:

इस दिवस की स्थापना 1977 में ‘अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद’ (International Council of Museums – ICOM) द्वारा की गई थी।

  • ICOM एक सदस्यता संघ और एक गैर-सरकारी संगठन है जो संग्रहालय गतिविधियों के लिए पेशेवर और नैतिक मानकों को स्थापित करता है।
  • यह ‘संग्रहालय’ के क्षेत्र में एकमात्र वैश्विक संगठन है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1946 में हुई थी और इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में है।
  • ICOM, संग्रहालय पेशेवरों के नेटवर्क (138 से अधिक देशों में 40,000 से अधिक सदस्य) के रूप में कार्य करता है।

अनुच्छेद 49: राष्ट्रीय महत्व के घोषित किए गए कलात्मक या ऐतिहासिक हितों के स्मारकों, स्थानों और वस्तुओं की रक्षा करना।

 

गौतम बुद्ध का जन्मस्थान: लुंबिनी

16 मई को बुद्ध जयंती के अवसर पर, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष शेर बहादुर देउबा ने नेपाल के लुंबिनी में भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र की आधारशिला रखी।

लुंबिनी के बारे में:

  • लुंबिनी, नेपाल के ‘लुंबिनी प्रांत’ के रूपनदेही जिले में स्थित है।
  • इसे शाक्य राजकुमार ‘सिद्धार्थ गौतम’ का जन्मस्थान माना जाता है।
  • इसे बौद्ध साहित्य में ‘प्रदीमोक्ष-वन’ (पाप मुक्त वन) के रूप में वर्णित किया गया है।
  • इसे कोलिय वंश के राजा अंजना ने अपनी रानी रूपादेवी या रुम्मिनदेई के लिए बनवाया था।

बौद्ध साहित्य के अनुसार, लुंबिनी कपिलवस्तु (वर्तमान स्थान अनिश्चित), कुशीनगर (आधुनिक उत्तर प्रदेश में), और वैशाली, पाटलिपुत्र, नालंदा और राजगृह (आज के बिहार में सभी) से गुजरने वाले एक प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित थी।

 

 

 

 

 

 

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