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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
- ई-श्रम पोर्टल का ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना के साथ एकीकरण
सामान्य अध्ययन-III
- संवर्धित / फोर्टिफाइड चावलों का आदिवासियों पर दुष्प्रभाव: विशेषज्ञ
- 5Gi क्या है?
- सियोल वन घोषणा
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002 में परिवर्तन
- प्रभावी ऊर्जा संक्रमण प्रोत्साहन 2022 रिपोर्ट
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- ला रीयूनियन
- थॉमस कप
- बर्ड काउंट इंडिया
- सूरत और उदयगिरि
सामान्य अध्ययन–II
विषय: सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उद्देश्य, कार्यप्रणाली, सीमाएं, सुधार; बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे; प्रौद्योगिकी मिशन; पशुपालन का अर्थशास्त्र।
ई-श्रम पोर्टल का ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना के साथ एकीकरण
(Integration of e-Shram portal with One Nation One Ration Card scheme)
संदर्भ:
केंद्र सरकार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के ई-श्रम पोर्टल (e-Shram portal) को ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ / ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना के साथ एकीकृत करने की प्रक्रिया में है।
आवश्यकता:
ई-श्रम पोर्टल पर दर्ज ‘स्थायी पते’ संबंधी विवरण और मौजूदा लोकेशन के विवरण की तुलना करने पर ‘ई-श्रम’ के तहत कार्य कर रहे प्रवासी श्रमिकों की पहचान करने में सहायता मिलेगी।
‘ई-श्रम पोर्टल’ के बारे में:
- ई-श्रम पोर्टल (e-Shram portal) को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा अगस्त 2021 में लॉन्च किया गया था।
- यह असंगठित कामगारों को पंजीकृत करने हेतु एक राष्ट्रीय डेटाबेस है।
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिए जाने के बाद इस पोर्टल की शुरुआत की गयी।
- इसके तहत, प्रत्येक पंजीकृत कामगार को एक पहचान पत्र जारी किया जाएगा, जिसका उपयोग पूरे देश में सरकार द्वारा घोषित किसी भी लाभ का लाभ उठाने के लिए किया जा सकता है।
‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ के बारे में:
‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ (One Nation One Ration Card – ONORC) योजना का उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम’, 2013 (National Food Security Act, 2013) के अंतर्गत देश में कहीं भी किसी भी उचित मूल्य की दुकान से रियायती राशन खरीदने की सुविधा प्रदान करना है।
- ONORC योजना को अगस्त, 2019 में लॉन्च किया गया था।
- कार्यान्वयन एजेंसी: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के अंतर्गत ‘राशन कार्डों की राष्ट्रव्यापी सुवाह्यता विभाग’ (Department for the nation-wide portability of ration cards)।
- पात्रता: गरीबी रेखा से नीचे (BPL) श्रेणी में शामिल कोई भी नागरिक देश भर में इस योजना का लाभ पाने के लिए पात्र है।
इंस्टा जिज्ञासु:
विश्व व्यापार संगठन की शब्दावली में, सामान्य रूप से ‘सब्सिडी’ की पहचान “बॉक्स” द्वारा की जाती है, जिन्हें ट्रैफिक लाइट के रंग दिए जाते हैं: हरा (अनुमति), तृणमणि या एम्बर (धीमा – यानी कम करने की आवश्यकता), लाल (निषिद्ध)। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- TPDS के बारे में
- योजना के तहत खाद्य सुरक्षा भत्ता किसे प्रदान किया जाता है?
- अधिनियम के तहत दंड प्रावधान
- मातृत्व लाभ संबंधित प्रावधान
- एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना का अवलोकन
- मध्याह्न भोजन (MDM) योजना का अवलोकन
- योजना के तहत पात्र परिवारों की पहचान
मेंस लिंक:
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन–III
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।
संवर्धित / फोर्टिफाइड चावलों का आदिवासियों पर दुष्प्रभाव: विशेषज्ञ
संदर्भ:
विशेषज्ञों का मानना है कि ‘संवर्धित / फोर्टिफाइड चावलों’ (Fortified rice) से आदिवासियों के बीच दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं।
- एक रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड जैसे स्थानों में एनीमिया /रक्ताल्पता को दूर करने के लिए ‘लौह तत्व से संवर्धित’ (आयरन फोर्टिफाइड) चावल का अब वितरण नहीं किया जाना चाहिए।
- इन राज्यों में ‘सिकल सेल रोग’ (sickle cell disease), थैलेसीमिया और तपेदिक से पीड़ित सर्वाधिक जनजातीय आबादी निवास करती है। इनके आहार में ‘लौह तत्व’ की अधिकता से उपरोक्त बीमारियाँ और तीक्ष्ण हो सकती हैं।
पृष्ठभूमि:
- आबादी के एक बड़े हिस्से के बीच ‘भूख और खराब स्वास्थ्य परिणामों’ से निपटने के लिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 8 अप्रैल को सरकार द्वारा संचालित खाद्य कार्यक्रमों के माध्यम से ‘संवर्धित चावलों’ (Fortified rice) वितरित करने के लिए एक कार्यक्रम को मंजूरी दी गयी थी।
- यह निर्णय, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अपने 2021 के स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान किए गए वादे के अनुपालन में किया गया था। जिसमे प्रधान मंत्री ने कहा था, उनकी सरकार 2024 तक सभी खाद्य पहलों में केवल फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराएगी।
‘खाद्य-संवर्धन’ / ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ क्या है?
‘खाद्य-संवर्धन’ (Food Fortification), ‘किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने के लिए उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अर्थात् विटामिन और खनिज तत्वों, की मात्रा में वृद्धि करने की प्रकिया होती है।
संवर्धित चावल (Fortified rice):
खाद्य मंत्रालय के अनुसार, आहार में विटामिन और खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिए चावल का संवर्धन (fortification) किया जाना एक लागत प्रभावी और पूरक रणनीति है।
- FSSAI द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार, 1 किलो संवर्धित चावल में आयरन (28 mg-42.5 mg), फोलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम) और विटामिन B-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम) होगा।
- इसके अलावा, चावल को सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ, एकल या संयोजन में, जस्ता (10 मिलीग्राम -15 मिलीग्राम), विटामिन A (500-750 माइक्रोग्राम आरई), विटामिन बी-1 (1 मिलीग्राम-5 मिलीग्राम), विटामिन बी-2 (1.25 mg-1.75 mg), विटामिन B3 (12.5 mg-20 mg) और विटामिन B6 (1.5 mg-2.5 mg) प्रति किग्रा के साथ भी संवर्धित किया जाएगा।
‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के लाभ:
चूंकि, ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के तहत व्यापक रूप से सेवन किए जाने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की वृद्धि की जाती है, अतः आबादी के एक बड़े भाग के स्वास्थ्य में सुधार करने हेतु यह एक उत्कृष्ट तरीका है।
- ‘फोर्टिफिकेशन’ व्यक्तियों के पोषण में सुधार करने का एक सुरक्षित तरीका है और भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों को मिलाए जाने से लोगों के स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं होता है।
- इस पद्धति में लोगों की खान-पान की आदतों और पैटर्न में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है, और यह लोगों तक पोषक तत्व पहुंचाने का सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य तरीका है।
- ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ से भोजन की विशेषताओं-स्वाद, अनुभव, स्वरूप में कोई बदलाव नहीं होता है।
- इसे जल्दी से लागू किया जा सकता है और साथ ही अपेक्षाकृत कम समय में स्वास्थ्य में सुधार के परिणाम भी दिखा सकते हैं।
- यदि मौजूदा तकनीक और वितरण प्लेटफॉर्म का लाभ उठाया जाता है तो यह काफी लागत प्रभावी विधि साबित हो सकती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
जैव संवर्धन (Biofortification) क्या होता है? यह ‘फोर्टिफिकेशन’ से किस प्रकार भिन्न होता है?
प्रीलिम्स लिंक:
- जैव फोर्टिफिकेशन बनाम आनुवंशिक परिवर्तन
- सूक्ष्म पोषक बनाम वृहद पोषक तत्व
- भारत में जैव उर्वरक और जीएम फसलों के लिए स्वीकृति
- भारत में अनुमति प्राप्त जीएम फसलें
मेंस लिंक:
किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने से आप क्या समझते हैं? इसके फायदों के बारे में चर्चा कीजिए।
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स।
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
5Gआई
(5Gi)
संदर्भ:
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारत के पहले 5G टेस्टबेड (5G testbed) का उद्घाटन किया। यह 5G टेस्टबेड ‘स्टार्ट-अप’ और औद्योगिक कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं पर निर्भरता को समाप्त करते हुए, स्थानीय स्तर पर अपने उत्पादों का परीक्षण करने की अनुमति देगा।
प्रधान मंत्री ने इस अवसर के दौरान कहा, कि “5जीआई के रूप में जो भारत का अपना 5जी स्टैंडर्ड बनाया गया है, वो देश के लिए बहुत गर्व की बात है। ये देश के गांवों में 5जी टेक्नॉलॉजी पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।”
5जीआई क्या है?
5G रेडियो इंटरफेस टेक्नोलॉजी, जिसे 5Gi कहा जाता है, एक स्थानीय रूप से डिज़ाइन किया गया दूरसंचार नेटवर्क है जिसे आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी मद्रास और ‘वायरलेस टेक्नोलॉजी में उत्कृष्टता केंद्र’ (Centre of Excellence in Wireless Technology) द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
- यह तकनीक, वैश्विक 5जी मानकों का विकल्प होगी।
- 5Gi तकनीक, 5G के विपरीत, कम आवृत्ति पर अधिक रेंज प्रदान करती है। 5G तकनीक 700 मेगाहर्ट्ज से 52,000 मेगाहर्ट्ज बैंड के बीच काम करती है, तथा इसकी रेंज अपेक्षाकृत कम होती है।
5Gi के लाभ:
- 5Gi मानक का उपयोग करने से देश में दूरसंचार कंपनियां गांवों में 5G कनेक्टिविटी का विस्तार कर सकेंगी।
- यह तकनीक लागत प्रभावी है।
- 5Gi यह सुनिश्चित करेगी, कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे शहरों और देश के ग्रामीण हिस्सों में 5Gi की प्रगति के बीच कोई अंतराल न हो।
5Gi के समक्ष चुनौतियाँ:
- यह तकनीक टेलीकॉम कंपनियों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। 5Gi मानक पर कार्य करने हेतु उनके लिए मौजूदा सेटअप को फिर से तैयार करना होगा। और इससे उन्हें एक बार फिर बहुत सारा पैसा खर्च करना पड़ेगा।
- 5G तकनीक से 5Gi तकनीक में परिवर्तन करना काफी ‘लागत-गहन’ होगा और इस तकनीक को अपनाने पर स्थानीय बैंड ‘वैश्विक नेटवर्क’ के साथ ‘असंगत’ होने की भी काफी संभावना है, क्योंकि 5Gi तकनीक वैश्विक 5G मानक – जोकि 3GPP तकनीक पर आधारित है – के साथ काम नहीं कर सकती।
क्या भारत 5G के रोल-आउट के लिए तैयार है? इस बारे में जानकारी हेतु पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- 5जी क्या है?
- 3जी, 4जी और 5जी में अंतर।
- अनुप्रयोग
- स्पेक्ट्रम क्या है?
मेंस लिंक:
5जी तकनीक के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
‘विश्व वानिकी कांग्रेस’ में ‘सियोल वन घोषणा’ को स्वीकृति
(World Forestry Congress adopts Seoul Forest Declaration)
संदर्भ:
‘सियोल वन घोषणा’ (Seoul Forest Declaration), हाल ही में दक्षिण कोरिया के ‘सियोल’ शहर में संपन्न हुई ‘पंद्रहवी विश्व वानिकी कांग्रेस’ (XV World Forestry Congress) में हुई चर्चाओं का परिणाम है।
यह ‘विश्व वानिकी कांग्रेस’ एशिया में आयोजित होने वाली दूसरी कांग्रेस (महासभा) थी। इससे पहले एशिया में, वर्ष 1978 में इंडोनेशिया की मेजबानी में यह कांग्रेस आयोजित की गयी थी।
‘विश्व वानिकी कांग्रेस’ के बारे में:
- ‘विश्व वानिकी कांग्रेस’ (World Forestry Congress – WFC) लगभग हर छह साल में एक बार आयोजित की जाती है।
- पहली ‘विश्व वानिकी कांग्रेस’ 1926 में इटली में आयोजित की गई थी।
- वर्ष 1954 से, ‘खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा मेजबान देशों को इस कांग्रेस के आयोजन में मदद की जाती है।
- हर कांग्रेस के आयोजन और वित्तीयन की जिम्मेदारी ‘मेजबान देश’ की होती है।
- ‘विश्व वानिकी कांग्रेस’ 2022 के लिए थीम: वनों के साथ एक हरे, स्वस्थ और अनुकूलित भविष्य का निर्माण (Building a Green, Healthy and Resilient Future with Forests)।
विश्व वानिकी कांग्रेस (WFC) से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
- ‘विश्व वानिकी कांग्रेस’ कोई अंतरसरकारी महासभा या बैठक नहीं है; इसका कोई औपचारिक निर्वाचन क्षेत्र नहीं है और न ही इसमें देश के प्रतिनिधिमंडल होते हैं।
- यह महासम्मेलन या कांग्रेस, वनों एवं वानिकी के सभी पहलुओं पर विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच है, जहाँ राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर लागू होने वाली व्यापक सिफारिशें तैयार की जा सकती हैं।
सियोल वन घोषणा:
- ‘सियोल वन घोषणा’ (Seoul Forest Declaration) में एक हरे, स्वस्थ और अनुकूलित भविष्य की ओर ले जाने की क्षमता वाले अग्रणी क्षेत्रों की पहचान की गयी है।
- इसमें आग्रह किया गया है, कि वनों की जिम्मेदारी को संस्थानों, क्षेत्रों और हितधारकों के बीच साझा और एकीकृत किया जाना चाहिए।
- विश्व स्तर पर वन और परिदृश्य बहाली में निवेश, वर्ष 2030 तक तीन गुना करने की आवश्यकता है।
- एक ‘वृत्ताकार जैव-अर्थव्यवस्था’ (Circular Bioeconomy) और ‘जलवायु तटस्थता’ (Climate Neutrality) की ओर अग्रसर होंना चाहिए।
‘पंद्रहवीं विश्व वानिकी कांग्रेस’ के अन्य परिणाम:
महाम्मेलन में, निम्नलिखित क्षेत्रों में नई साझेदारी शुरू की गई हैं:
- वनों के भविष्य के बारे में आश्वासन सहित एकीकृत जोखिम प्रबंधन (Assuring the Future of Forests with Integrated Risk Management – AFFIRM) तंत्र।
- वन पारिस्थितिकी तंत्र की प्रचुरता को बनाए रखना (Sustaining an Abundance of Forest Ecosystems – SAFE) पहल।
‘वन परिदृश्य बहाली’ क्या है?
- ‘वन परिदृश्य बहाली’ (Forest landscape Restoration – FLR), वनों की कटाई या अवक्रमित वन परिदृश्यों में पारिस्थितिक कार्यक्षमता को पुनः प्राप्त करने और मानव कल्याण में वृद्धि करने हेतु जारी प्रक्रिया होती है।
- ‘वन परिदृश्य बहाली’ (FLR) का तात्त्पर्य सिर्फ पेड़ लगाने से कहीं अधिक है – इसके तहत वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने, और समय के साथ कई लाभ प्रदान करने और इस्तेमाल योग्य भूमि उपलब्ध करने के लिए एक पूरे परिदृश्य को बहाल किया जाता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘वन परिदृश्य बहाली’ (FLR) क्या है?
- विश्व वानिकी कांग्रेस (WFC) क्या है?
- ‘सियोल वन घोषणा’ के बारे में।
- AFFIRM तंत्र।
- SAFE पहल।
मेंस लिंक:
‘वन बहाली / वन प्रत्यावर्तन’ (Forest restoration) जलवायु शमन रणनीतियों के प्रमुख तत्वों में से एक है। इस संदर्भ में, भारत में अवक्रमित वन परिदृश्य को बहाल करने के लिए किए गए उपायों की जांच कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
जैविक विविधता अधिनियम, 2002 में परिवर्तन
(Changes to Biological Diversity Act, 2002)
संदर्भ:
केंद्र सरकार द्वारा दिसंबर 2021 में लोकसभा में ‘जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 (Biological Diversity (Amendment) Bill, 2021) पेश किया गया था। यह विधेयक ‘संयुक्त संसदीय समिति’ के अधीन विचार-विमर्श के अंतिम चरण में है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ‘जयराम रमेश’ ने विधेयक के कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की है। जिनमे निम्नलिखित प्रावधान शामिल है:
- ‘आयुष चिकित्सकों’ को इस कानून के प्रावधानों से छूट दी गई है। इस छूट से ‘कानून’ का दुरुपयोग होने की संभावना है।
- इस कानून में, ‘उपजाई गई जैव विविधता’ (Cultivated Biodiversity) और ‘वन आधारित जैव विविधता’ (Forest-Based Biodiversity) के बीच भेद किया गया है।
- ‘राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण’ (National Biodiversity Authority – NBA) में भारत सरकार के सोलह पदेन अधिकारियों की नियुक्ति, प्राधिकरण के प्रभाव को कमजोर करती है।
- क़ानून में, ‘राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण’ का अनुमोदन केवल पेटेंट के व्यावसायीकरण के समय अनिवार्य किया गया है, जबकि पेटेंट के लिए आवेदन करते समय इसकी अनिवार्यता नहीं है।
विधेयक के प्रमुख बिंदु:
- विधेयक में औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित करके ‘जंगली औषधीय पौधों’ पर दबाव को कम करने का प्रयास किया गया है।
- विधेयक में, अनुसंधान में तेजी लाने, पेटेंट आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाने, कुछ गतिविधियों को गैर-अपराध घोषित करने की सुविधा का प्रावधान किया गया है।
- इसमें राष्ट्रीय हितों से समझौता किये बिना जैव संसाधनों, अनुसंधान, पेटेंट और वाणिज्यिक उपयोग की श्रृंखला में अधिक विदेशी निवेश लाने पर जोर दिया गया है।
- विधेयक में इस पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जैविक संसाधनों और ज्ञान का उपयोग कौन कर सकता है तथा उपयोग पर निगरानी किस प्रकार की जाएगी।
जैव विविधता अधिनियम 2002 (Biological Diversity Act, 2002) में संशोधन का कारण:
- आयुष चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों द्वारा सरकार से सहयोगात्मक अनुसंधान और निवेश हेतु एक अनुकूल वातावरण बनाने के लिए ‘अनुपालन-प्रक्रिया भार’ को सरल, सुव्यवस्थित और कम करने का आग्रह किया जा रहा था।
- इनके द्वारा पेटेंट आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाने, पहुंच के दायरे को विस्तृत करने तथा स्थानीय समुदायों के साथ लाभ-साझाकरण की भी मांग की गयी थी।
पर्यावरणविद इस विधेयक का विरोध क्यों कर रहे हैं?
- यह विधेयक ‘पूर्व विधायी परामर्शक नीति’ (Pre-Legislative Consultative Policy) के तहत अनिवार्य, जनता की राय मांगे बगैर, पेश किया गया है।
- ‘प्रस्तावित संशोधन’ में ‘जैव विविधता के संवहनीय उपयोग और संरक्षण’ में स्थानीय समुदायों की हिस्सेदारी की रक्षा, संरक्षण या वृद्धि करने के संदर्भ में प्रावधान अस्पष्ट हैं।
- कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह संशोधन केवल ‘आयुष मंत्रालय’ को “लाभ” पहुचाने के लिए किए गए हैं।
- विधेयक में, ‘जैव-उपयोग’ (Bio-utilization) शब्द को बाहर कर दिया है, जोकि अधिनियम का एक महत्वपूर्ण तत्व है। ‘जैव उपयोग’ शब्द का प्रयोग नहीं किए जाने से, वाणिज्यिक उद्देश्य से महत्वपूर्ण- वर्गीकरण, प्रोत्साहन और जैव-परख जैसी गतिविधियां छूट जाएगी।
- विधेयक में, कृषित औषधीय पौधों को भी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है, लेकिन यह पता लगाना व्यावहारिक रूप से असंभव है कि कौन से पौधे उगाए जाते हैं और कौन से जंगली पौधे हैं।
जैविक विविधता अधिनियम, 2002:
‘जैव विविधता अधिनियम’ 2002 (Biological Diversity Act, 2002) को जैव विविधता के संरक्षण, इसके अवयवों के सतत उपयोग और जैव संसाधनों के निहित लाभों में उचित एवं साम्य बंटवारा करने तथा उससे संबंधित विषयों का उपबंध करने के लिये अधिनियमित किया गया था।
- इस कानून का मुख्य उद्देश्य, भारत की समृद्ध जैव विविधता और संबंधित ज्ञान को विदेशी व्यक्तियों द्वारा इसका उपयोग किए जाने से बचाना है।
- इसमें, केंद्रीय और राज्य बोर्डों और स्थानीय समितियों की त्रिस्तरीय संरचना के माध्यम से जैव-चोरी की जांच, जैविक विविधता और स्थानीय उत्पादकों की रक्षा करने का प्रावधान किए गए हैं।
- अधिनियम में ‘स्थानीय निकायों’ में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (National Biodiversity Authority), राज्य जैव विविधता बोर्ड (State Biodiversity Boards) और जैव विविधता प्रबंधन समितियों (Biodiversity Management Committees) की स्थापना किए जाने का प्रावधान किया गया है।
- राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) को दीवानी न्यायालय के समान शक्ति प्रदान की गयी है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने नागोया प्रोटोकॉल (Nagoya Protocol) के बारे में सुना है?
प्रीलिम्स लिंक:
- जैव विविधता अधिनियम के बारे में
- जैव विविधता (संशोधन) विधेयक
- राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण
- नागोया प्रोटोकॉल
- बायोपाइरेसी क्या है?
मेंस लिंक:
‘बायोवर्सिटी इंटरनेशनल’ संगठन द्वारा किए जा रहे कार्यों का अधिदेश और महत्व क्या है? यह भारत के राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण से किस प्रकार भिन्न है? परीक्षण कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
प्रभावी ऊर्जा परिवर्तन प्रोत्साहन 2022 रिपोर्ट
(Fostering Effective Energy Transition 2022)
‘प्रभावी ऊर्जा परिवर्तन / संक्रमण प्रोत्साहन’ 2022 रिपोर्ट (Fostering Effective Energy Transition 2022), विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum – WEF) द्वारा प्रकशित की जाने वाली वार्षिक रिपोर्ट है।
प्रमुख निष्कर्ष:
- रिपोर्ट के अनुसार, ‘ऊर्जा संक्रमण’ परिवर्तन की बढ़ती ज़रूरत से मेल नहीं खा रहा है।
- ऊर्जा की वहनीयता (Affordability), ऊर्जा सुरक्षा और संधारणीयता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है।
- ऊर्जा की वहनीयता अर्थात, उर्जा की कीमतों में वृद्धि निष्पक्ष और न्यायपूर्ण ऊर्जा परिवर्तन के लक्ष्य के लिए खतरा है।
- ऊर्जा विविधता का अभाव है।
प्रमुख सिफारिशें:
- रिपोर्ट में अनुकूलित ऊर्जा संक्रमण सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों द्वारा तत्काल कार्रवाई किए जाने का आह्वान किया गया है।
- दीर्घकालिक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उचित समयरेखा के साथ एक व्यापक दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।
- सरकारों को ‘सभी के लिए सस्ती ऊर्जा तक पहुंच’ को प्राथमिकता देनी चाहिए। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) और अन्य सहयोगी उपायों की मदद से ‘ऊर्जा इक्विटी’ सुनिश्चित की जा सकती है।
- विविधता लाने के लिए, आयात पर निर्भर देशों को कई देशों से ऊर्जा आयात करने का प्रयास करना चाहिए और कुछ देशों पर अधिक निर्भर नहीं रहना चाहिए।
- घरेलू ऊर्जा को ‘कम कार्बन वाले विकल्पों’ का इस्तेमाल करके विविधतापूर्ण बनाया जा सकता है, ये विकल्प देशों को आत्मनिर्भर बनाते हैं और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
- स्वच्छ ऊर्जा में निवेश आकर्षित करने और प्रतिबद्धताओं को कानूनी रूप से बाध्यकारी ढांचे में बदलने के लिए नियामक ढांचे को मजबूत बनाने की जरूरत है।
- ‘ऊर्जा संक्रमण’ के लिए ‘डीकार्बोनाइजिंग उद्योग’ महत्वपूर्ण हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने ‘महा पुन:नियोजन’ / ‘ग्रेट रीसेट’ (Great Reset) के बारे में सुना है?
प्रीलिम्स लिंक:
- विश्व आर्थिक मंच (WEF) – संरचना, उद्देश्य और रिपोर्ट।
- ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) – शीर्ष प्रदर्शन करने वाले और सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश।
- भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत
- भारत में ऊर्जा उत्पादन- स्रोत
- भारत में नवीकरणीय बनाम गैर- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत
मेंस लिंक:
स्वच्छ ऊर्जा प्रणाली की दिशा में भारत के संक्रमण में आने वाली बाधाओं का परीक्षण कीजिए। साथ ही उन्हें दूर करने के उपाय भी सुझाएं।
स्रोत: बिजनेस स्टैंडर्ड।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
ला रीयूनियन
हाल ही में, भारत और फ्रांस की नौसेनाओं द्वारा दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर में अवस्थित फ्रांसीसी द्वीप ‘ला रीयूनियन’ (La Reunion) में अपनी दूसरी संयुक्त गश्त का आयोजन किया।
उद्देश्य: “संयुक्त निगरानी और गश्त संचालन” क्षमताओं का प्रदर्शन करना।
‘ला रीयूनियन’ के बारे में:
- यह हिंद महासागर में अवस्थित एक द्वीप है और यह फ्रांस के एक विदेशी विभाग और विदेशी क्षेत्र है।
- यह द्वीप, मेडागास्कर द्वीप से लगभग 950 किमी पूर्व और मॉरीशस द्वीप से 175 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है।
- ला रीयूनियन (La Réunion), यूरोपीय संघ का सबसे बाहरी क्षेत्र है और यूरोज़ोन का एक भाग है।
- ‘रीयूनियन’ तथा इसके साथ ‘मयोत्ते फ्रांसीसी विदेशी विभाग’ (French overseas department of Mayotte) दक्षिणी गोलार्ध में स्थित एकमात्र ‘यूरोज़ोन क्षेत्र’ हैं।
थॉमस कप
- भारत की पुरुष बैडमिंटन टीम ने पहली बार इंडोनेशिया को हराकर ‘थॉमस कप’ (Thomas Cup) का खिताब जीता है।
- यह टूर्नामेंट बैंकॉक (थाईलैंड) में आयोजित किया गया था।
- ‘थॉमस कप’ प्रतियोगिता में यह 16 देशों की टीमे (बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (BWF) के सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली टीमें) भाग लेती हैं।
- यह चैंपियनशिप वर्ष 1982 से हर दो साल में आयोजित की जाती रही है।
- इसकी शुरुआत इंग्लैंड के खिलाड़ी ‘सर जॉर्ज एलन थॉमस’ ने की थी।
बर्ड काउंट इंडिया
बर्ड काउंट इंडिया (Bird Count India) भारत के पक्षियों के दस्तावेजीकरण और निगरानी में रुचि रखने वाले संगठनों और समूहों की एक अनौपचारिक साझेदारी है।
- यह पहल, पक्षी देखने वालों को पक्षी अवलोकन के लिए एक वैश्विक मंच eBird (ebird.org/india) पर अपनी ‘पक्षी सूची’ अपलोड करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- भारत में, यह आयोजन लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तर पश्चिम बंगाल और अरुणाचल प्रदेश तक ही सीमित है।
प्रमुख निष्कर्ष:
- उत्तराखंड में पक्षियों की प्रजातियों की सबसे अधिक संख्या 293 दर्ज की गई।
- सर्वाधिक 192 चेकलिस्ट (पक्षी अवलोकन-कर्ताओं द्वारा देखे और सुने जाने वाले पक्षियों की सूची), जम्मू और कश्मीर से अपलोड की गई थी।
सूरत और उदयगिरि
- हाल ही में, दो स्वदेशी फ्रंटलाइन युद्धपोतों – आईएनएस सूरत (गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर) और आईएनएस उदयगिरी (स्टील्थ फ्रिगेट) का मझगांव डॉक्स लिमिटेड, मुंबई में जलावतरण किया गया।
- आईएनएस सूरत पी15बी श्रेणी का चौथा निर्देशित मिसाइल विध्वंसक है, जबकि आईएनएस उदयगिरि पी17ए क्लास का दूसरा स्टील्थ फ्रिगेट है।
- प्रोजेक्ट 15बी श्रेणी के जहाज भारतीय नौसेना की अगली पीढ़ी के स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर हैं, जिन्हें मझगांव डॉक्स लिमिटेड, मुंबई में बनाया जा रहा है।
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