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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
- रूस का विजय दिवस
- चक्रवात असानी
सामान्य अध्ययन-II
- दिल्ली की नई स्टार्टअप नीति
सामान्य अध्ययन-III
- गेहूं की कम खरीद – कारण और प्रभाव
- धान की सीधी बिजाई
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- एना जार्विस
- पवई साइक्लिंग ट्रैक परियोजना
- मार्तंड सूर्य मंदिर
- पैंटानल आर्द्रभूमि
- प्राप्ति पोर्टल
- ऑपरेशन दुधी
सामान्य अध्ययन–I
विषय: विश्व के इतिहास में 18वीं सदी तथा बाद की घटनाएँ यथा औद्योगिक क्रांति, विश्व युद्ध, राष्ट्रीय सीमाओं का पुनःसीमांकन, उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद की समाप्ति, राजनीतिक दर्शन जैसे साम्यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद आदि शामिल होंगे, उनके रूप और समाज पर उनका प्रभाव।
रूस का विजय दिवस
(Victory Day)
विषय:
द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी की नाजी सेनाओं पर सोवियत संघ की जीत के उपलक्ष्य में रूस में हर साल 9 मई को ‘विजय दिवस’ (Victory Day) मनाया जाता है।
‘विजय दिवस’ के बारे में:
विजय दिवस, वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तथा मित्र राष्ट्रों की जीत का प्रतीक है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम समय में एडोल्फ हिटलर ने 30 अप्रैल को खुद को गोली मार ली थी।
- हिटलर की मौत के पश्चात, जर्मन सैनिकों ने 7 मई को आत्मसमर्पण कर दिया, जिसे अगले दिन औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया, तथा यह 9 मई को प्रभावी हुआ।
- अधिकांश यूरोपीय देशों में इसे 8 मई को मनाया जाता है, और इसे ‘यूरोप की जीत दिवस’ (Victory in Europe Day) कहा जाता है।
रूस में ‘विजय दिवस’ 9 मई को मनाए जाने का कारण:
इसका कारण यह है, आत्मसमर्पण के दस्तावेजों पर 7 मई को हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके अनुसार 8 मई को बर्लिन समयानुसार 23:01 बजे से लड़ाई बंद हो जायेगी।, चूंकि, मास्को का समय यूरोपीय समय से एक घंटा आगे होता है, अतः युद्धविराम 9 मई को प्रभावी हुआ।
- आत्मसमर्पण के शुरुआती दस्तावेजों पर फ़्रांस की रीम्स (Reims) में 7 मई को हस्ताक्षर किए गए थे।
- लेकिन, रूस का तर्क है, कि कुछ जर्मन सैनिकों ने ‘रीम्स दस्तावेजों’ को केवल पश्चिमी देशों के गठबंधन के समक्ष आत्मसमर्पण माना है, तथा इसके बाद भी पूर्वी यूरोप में, विशेषकर प्राग में युद्ध जारी रहा।
- अतः, सोवियत संघ ने एक अन्य आत्मसमर्पण की मांग की।
- इसके पश्चात, दूसरा आत्मसमर्पण समारोह देर रात 8 मई को बर्लिन के बाहरी इलाके में स्थित एक किले में हुआ, उस समय मॉस्को में 9 मई की तारीख लग चुकी थी।
- दोनों दस्तावेजों के अनुसार, जर्मनी के नियंत्रण वाले सभी सैन्य बल 11:01 बजे बर्लिन समय से सभी कार्यवाहियां बंद कर देंगे।
इस प्रकार, सोवियत संघ के अनुसार, जर्मनी के सशस्त्र बलों के प्रमुख ने 9 मई को जोसेफ स्टालिन के प्रतिनिधि के समक्ष व्यक्तिगत रूप से आत्मसमर्पण कर दिया तथा उसी दिन के शुरुआती घंटों में आत्मसमर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए।
इस वर्ष ‘विजय दिवस’ की प्रासंगिकता:
- इस साल के भाषण में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन को ‘नाजीकरण से मुक्त करना’ (Denazification), इस देश में जारी अपने “विशेष सैन्य अभियान” के मुख्य उद्देश्यों में से एक बताया है।
- क्रेमलिन द्वारा जिन शब्दों का चयन किया गया है, वह द्वितीय विश्व युद्ध में ‘नाजीवाद’ के खिलाफ सोवियत संघ के रुख के समान है।
- रूस द्वारा अपनी सैन्य कार्यवाईयों को ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ के दौरान की गयी कार्रवाईयों के समान बताए जाने से, 2022 के विजय दिवस पर रूस की कार्रवाइयों के बारे में अटकलें बढ़ती जा रही हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘प्रथम विश्व युद्ध’ (WWI) और ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ (WWII) के बीच महत्वपूर्ण अंतरों के बारे में जानते हैं? जानकारी के लिए पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- धुरी राष्ट्र तथा मित्र राष्ट्र
- WW2 के कारण
- WW2 के परिणाम
- विश्व में विजय दिवस समारोह की तारीखें अलग-अलग क्यों हैं?
- रूस द्वारा 9 मई को विजय दिवस के रूप में क्यों चुना गया?
मेंस लिंक:
रूस द्वारा मनाए जाने वाले ‘विजय दिवस’ पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान आदि।
चक्रवात असानी
(Cyclone Asani)
संदर्भ:
‘असानी’ (Asani), बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होने वाला एक ‘चक्रवाती तूफान’ है, जिसके भारत के पूर्वी तटीय मैदानों- मुख्य रूप से ओडिशा और आंध्र प्रदेश के – क्षेत्रों की ओर तेजी से आगे बढ़ने की संभावना है।
‘चक्रवात असानी’ – प्रमुख तथ्य:
- इसका नामकरण: श्रीलंका द्वारा। सिंहली भाषा में ‘असानी’ का अर्थ ‘क्रोध’ होता है।
- उत्पत्ति: बंगाल की खाड़ी में।
- ‘चक्रवात असानी’ इस मौसम में आने वाला पहला चक्रवाती तूफान होगा।
अगले चक्रवात का नाम क्या होगा?
‘असानी’ के बाद आने वाले ‘चक्रवात’ का नाम ‘सितरेंग’ (Sitrang) रखा जाएगा, और इस नाम का सुझाव ‘थाईलैंड’ द्वारा दिया गया है।
‘उष्णकटिबंधीय चक्रवात’ (Tropical Cyclones) क्या होते हैं? इनका नामकरण किस प्रकार किया जाता है? इस बारे में जानकारी के लिए पढ़िए।
चक्रवातों का नामकरण:
दुनिया भर के प्रत्येक महासागर बेसिन में आने वाले चक्रवातों का नामकरण (Naming of Cyclones), ‘क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों’ (Regional Specialised Meteorological Centres- RSMCs) और ‘उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्रों’ (Tropical Cyclone Warning Centres -TCWCs) द्वारा किया जाता है।
‘भारतीय मौसम विज्ञान विभाग’ (IMD) तथा पांच उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्रों सहित, विश्व भर में कुल छह ‘क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र’ (RSMC) हैं।
- एक ‘क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र’ (RSMC) के रूप में ‘भारतीय मौसम विभाग’ (IMD) द्वारा मानक प्रक्रिया का पालन करने के बाद, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर सहित उत्तर हिंद महासागर में विकसित होने वाले चक्रवातों का नामकरण किया जाता है।
- IMD द्वारा चक्रवातों और तूफानों की उत्पत्ति और विकास पर हिंद महासागर क्षेत्र के 12 अन्य देशों को परामर्श भी जारी किए जाते हैं।
- इन बारह देशों में बांग्लादेश, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, यमन शामिल हैं।
नामकरण का महत्व:
चक्रवातों का नामकरण किए जाने से, वैज्ञानिक समुदाय, मीडिया और आपदा प्रबंधकों को इसके विकास के बारे में जानकारी प्रदान करने में सहायता मिलती है, ताकि जिन क्षेत्रों में कई तरह की ‘चक्रवात प्रणालियाँ’ विकसित होती है, उन क्षेत्रों में ‘सामुदायिक तैयारियों’ में तेजी लाने के लिए चेतावनियों का शीघ्रता तेजी से प्रसार किया जा सके और भ्रम को दूर किया जा सके।
चक्रवातों के नामों की नवीनतम सूची:
2020 में जारी चक्रवातों के नामों की नवीनतम सूची में 169 नाम शामिल हैं, जिसमे 13 देशों द्वारा – हर एक देश ने – 13 नाम सुझाए गए हैं।
- इससे पहले आठ देशों ने 64 नाम सुझाए थे।
- भारत से जिन नामों का सुझाव दिया गया है, उनमें ‘गति’ (Gati), ‘मेघ’ (Megh), ‘आकाश’ (Megh) शामिल हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं, कि जब तूफान की हवा की गति इस निश्चित सीमा तक पहुँच जाती है या उसे पार कर जाती है, तो उसे तूफान/चक्रवात/तूफान में वर्गीकृत किया जाता है? तूफान, चक्रवात और टाइफून में क्या अंतर है? इस बारे में जानकारी के लिए पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- चक्रवातों के निर्माण के लिए उत्तरदायी कारक
- विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में चक्रवातों का नामकरण
- भारत के पूर्वी तट पर अधिक चक्रवात आने का कारण
- कोरिओलिस बल क्या है?
- संघनन की गुप्त ऊष्मा क्या है?
मेंस लिंक:
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण के लिए उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन–II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
दिल्ली सरकार की नई स्टार्टअप नीति
(Delhi’s new startup policy)
संदर्भ:
हाल ही में, दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल द्वारा एक महत्वाकांक्षी ‘दिल्ली स्टार्टअप नीति’ (Delhi Startup Policy) पारित की गयी है।
नीति की प्रमुख विशेषताएं और घटक:
- कॉलेज स्तर पर ‘उद्यमिता कक्षाएं’ (Entrepreneurship classes) और एक “बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम” (Business Blasters Program) शुरू किए जाएंगे, और दिल्ली सरकार व्यावसायिक विचारों पर काम करने वाले कॉलेज के छात्रों की हर संभव तरीके से सहायता करेगी।
- दिल्ली सरकार ‘स्टार्टअप्स’ को ‘संपार्श्विक-मुक्त ऋण’ (collateral-free loans) प्राप्त करने में मदद करेगी, जिस पर एक वर्ष तक कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा।
- स्टार्टअप्स को मुफ्त में सहायता देने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा ‘चार्टेड अकाउंटेंटस’, वकीलों और विशेषज्ञों का पैनल बनाएगी; और इनका सेवा शुल्क सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
- दिल्ली के सरकारी कॉलेजों में पढ़ाई के दौरान ‘स्टार्टअप’ बनाने वाले छात्र 1-2 साल की छुट्टी भी ले सकेंगे।
कार्यान्वयन:
नीति के कार्यान्वयन और शासन के लिए तीन समितियों का गठन किया जाएगा:
- स्टार्टअप नीति निगरानी समिति (Startup Policy Monitoring Committee): इसकी अध्यक्षता दिल्ली सरकार के वित्त मंत्री करेंगे, और इसमें शैक्षणिक संस्थानों और निजी क्षेत्र के सदस्य शामिल होंगे।
- स्टार्टअप टास्क फोर्स (Startup Task Force)।
- एक नोडल एजेंसी (Nodal Agency)।
स्टार्टअप नीति के पीछे का विचार:
- राज्य सरकार का इरादा ‘दिल्ली स्टार्टअप नीति’ के तहत 2030 तक 15,000 स्टार्टअप को प्रोत्साहित, सुविधा और सहायता प्रदान करना है।
- इस परियोजना का उद्देश्य, दिल्ली के युवाओं में से उद्यमी और कारोबारी नेता तैयार करना है।
‘स्टार्टअप हब’ के रूप में दिल्ली:
- 2022 में, दिल्ली ने भारत की स्टार्टअप राजधानी बनने के लिए ‘बेंगलुरु’ को पीछे छोड़ दिया है।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, अप्रैल 2019 और दिसंबर 2021 के बीच, दिल्ली में 5,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप दर्ज किए गए, जबकि बेंगलुरु में 4,514 स्टार्टअप जोड़े गए।
इंस्टा जिज्ञासु:
- ‘स्टार्ट-अप इंडिया योजना’ (Start-up India scheme) के बारे में जानने के लिए पढ़िए।
- क्या आप ‘स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना’ के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- दिल्ली स्टार्ट-अप नीति के बारे में
- स्टार्टअप इंडिया योजना क्या है?
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) के बारे में
- पात्रता
- लाभ
मेंस लिंक:
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन–III
विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।
गेहूं की कम खरीद – कारण और प्रभाव
(Low wheat procurement – causes and effects)
संदर्भ:
सरकारी एजेंसियों द्वारा ‘गेहूं की खरीद’ (Wheat procurement) चालू विपणन सत्र में, पिछले साल के सर्वकालिक उच्च स्तर से घटकर 15 साल के निचले स्तर पर आने की संभावना है।
आंकड़े:
- चालू विपणन सत्र में गेहूं की संभावित खरीद: 18.5 मिलियन टन (mt)।
- यह पहली बार होगा, कि नई फसल (18.5 मिलियन टन) का खरीदा गया गेहूं विपणन सत्र (19 मिलियन टन) की शुरुआत में मौजूद ‘सार्वजनिक स्टॉक’ से कम है।
- साथ ही, यह पिछले 15 साल में ‘गेहूं की खरीद’ का सबसे निचला स्तर है। यह, इससे पहले वर्ष 2007-08 में 11.1 मिलियन टन ‘गेहूं की खरीद’ किए जाने बाद सबसे कम है।
इस साल गेहूं की कम खरीद का कारण:
- निर्यात मांग में वृद्धि: मुख्य रूप से ‘रूस-यूक्रेन युद्ध’ की वजह से गेहूं की निर्यात मांग में वृद्धि हुई है। युद्ध के कारण वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं और विश्व में भारतीय अनाज की मांग में और वृद्धि हुई है। किसानों को अब निर्यात करना अधिक लाभदायक लगता है।
- कम उत्पादन: मार्च के अंतिम पखवाड़े में – जब फसल ‘दाने-भरने’ की अवस्था में थी और गेहूं के दानों में स्टार्च, प्रोटीन और अन्य शुष्क पदार्थ संग्रहीत हो रहे थे – तापमान में हुई अचानक वृद्धि से पैदावार काफी प्रभावित हुई है।
उपलब्धता पर प्रभाव:
- गेहूं की कम खरीद का सरकारी एजेंसियों के ‘न्यूनतम परिचालन स्टॉक-सह-रणनीतिक भंडार’ पर प्रभाव पड़ेगा।
- इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मध्याह्न भोजन और अन्य नियमित कल्याणकारी योजनाओं पर भी असर पड़ेगा।
क्या इससे किसानों को फायदा होगा?
- इस परिदृश्य से किसानों को निश्चित रूप से लाभ होगा क्योंकि उन्हें ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ से अधिक कीमत की पेशकश की जा रही है। रूस-यूक्रेन संकट के बीच, भारत के लिए इजरायल, मिस्र, तंजानिया और मोजाम्बिक जैसे देशों में नए बाजार खुल गए हैं।
- हालांकि, दूसरी ओर, यदि निजी व्यापारी भी गेहूं को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ से ऊपर खरीदना जारी रखते हैं, तो इससे अंततः मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है।
गेहूं के बारे में:
गेहूं (Wheat), भारत में चावल के बाद अनाज की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है।
- गेहूँ ‘रबी’ की फसल है जिसे पकने के समय ठंडी और तेज धूप की आवश्यकता होती है।
- तापमान: तेज धूप के साथ 10-15°C (बुवाई का समय) और 21-26°C (पकने और कटाई) के बीच।
- वर्षा: लगभग 75-100 सेमी।
- मिट्टी का प्रकार: अच्छी तरह से सिचाई-युक्त उपजाऊ दोमट और चिकनी दोमट (गंगा-सतलुज मैदान और दक्कन की काली मिट्टी क्षेत्र)।
भारत में गेहूँ की खेती में वृद्धि करने वाले कारक:
- हरित क्रांति की सफलता ने रबी फसलों, विशेषकर गेहूँ के विकास में योगदान दिया।
- गेहूं की खेती में सहयोग करने के लिए सरकार द्वारा ‘कृषि का वृहत प्रबंधन मोड’, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और ‘राष्ट्रीय कृषि विकास योजना’ पहलों का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि भारत, दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है? गेहूं के उत्पादन में चीन शीर्ष स्थान पर है, तथा रूस विश्व का तीसरा सबसे बड़ा, तथा यूक्रेन आठवां सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है?
प्रीलिम्स लिंक:
- भारत में गेहूं की खेती
- भारत में गेहूं का उत्पादन
- शीर्ष गेहूं उत्पादक राज्य
- गेहूं की फसल के बारे में
- गेहूं की खेती के लिए योजनाएं
- हरित क्रांति
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।
धान का सीधा बीजारोपण
(Direct seeding of rice)
संदर्भ:
हाल ही में, पंजाब सरकार द्वारा ‘धान के सीधे बीजारोपण/ बिजाई’ (Direct seeding of rice – DSR) का विकल्प चुनने वाले किसानों के लिए प्रति एकड़ 1,500 रुपये प्रोत्साहन दिए जाने की घोषणा की गयी।
पृष्ठभूमि:
पिछले साल, राज्य में कुल चावल क्षेत्र के 18% (5.62 लाख हेक्टेयर) में ‘धान का सीधा बीजारोपण’ (DSR) किया गया, जबकि सरकार ने 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इस तकनीक से ‘बिजाई’ किए जाने का लक्ष्य रखा गया था।
आवश्यकता:
वर्ष 2021-22 में, 31.45 लाख हेक्टेयर (3.1 मिलियन हेक्टेयर से अधिक) क्षेत्र में धान की फसल लगायी गयी थी, जिसमे गैर-बासमती चावल के तहत 26.60 लाख हेक्टेयर और ‘बासमती’ के तहत 4.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र शामिल था। वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 31.49 लाख हेक्टेयर और 2019-20 में 31.42 लाख हेक्टेयर था।
- एक किलो चावल उगाने के लिए-‘धान की किस्म’ (Paddy Variety) के आधार पर- लगभग 3,600 लीटर से 4,125 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
- ‘धान का सीधा बीजारोपण’ (DSR) तकनीक, पानी बचाने वाली तकनीक है, इसलिए इसे सरकार की ओर से बढ़ावा दिया जा रहा है।
- DSR तकनीक, 15% से 20% पानी बचाने में मदद कर सकती है। कुछ मामलों में, पानी की बचत 22% से 23% तक पहुंच सकती है।
‘धान की सीधी बुवाई’ या ‘धान के सीधे बीजारोपण’ (DSR) के बारे में:
- इस तकनीक में पहले से अंकुरित बीजों को ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन द्वारा सीधे खेत में गड्ढा करके गाड़ दिया जाता है।
- इस पद्धति में कोई नर्सरी तैयार नहीं की जाती है और न ही रोपाई की जाती है। किसानों को केवल अपने खेत को समतल करना होता है और एक बुवाई से पहले सिंचाई करनी होती है।
यह तकनीक पारंपरिक तरीकों से किस प्रकार भिन्न है?
- पारंपरिक तरीके में, धान की रोपाई के लिए किसान पहले ‘नर्सरी’ तैयार करते हैं, जिसके लिए पहले धान के बीज को बोया जाता है और युवा पौधों के रूप में उगाया जाता है।
- ये ‘नर्सरी बीज क्यारी’ क्षेत्रफल में रोपित किए जाने वाले क्षेत्र का 5-10% होती है। फिर इन बीजीय-पौधों को उखाड़कर 25-35 दिन बाद जल से भरे हुए खेत में लगा दिया जाता है।
डीएसआर तकनीक का लाभ:
- पानी की बचत: ‘धान की सीधी बुवाई’ (DSR) के तहत पहली सिंचाई (बुवाई पूर्व रौनी के अलावा), बुवाई के 21 दिन बाद ही जरूरी होती है। जबकि रोपे गए धान में, पहले तीन हफ्तों तक खेत को जलमग्न रखने के लिए व्यावहारिक रूप से लगभग हर दिन पानी देना पड़ता है।
- श्रम में कमी: लगभग 2400 रुपये प्रति एकड़ की दर से एक एकड़ धान की बुवाई के लिए लगभग तीन मजदूरों की आवश्यकता होती है।
- डीएसआर के तहत शाकनाशी की लागत 2,000 रुपये प्रति एकड़ से अधिक नहीं होती है।
- खेत को कम समय तक जलमग्न रखने की वजह से ‘मीथेन उत्सर्जन’ में कमी होती है और धान-रोपण की तुलना में मृदा की संरचना में कम विखंडन होता है।
सीमाएं:
- शाकनाशी की अनुपलब्धता।
- डीएसआर के लिए अधिक बीज की आवश्यकता होती है। इस तकनीक में 8-10 किग्रा/एकड़ बीज की जरूरत होती है, जबकि रोपाई-पद्धति में 4-5 किग्रा/एकड़ बीज का इस्तेमाल किया जाता है।
- इसके अलावा, डीएसआर पद्धति में ‘लेजर लैंड लेवलिंग’ अर्थात खेत का अति-समतल करना जरूरी होता है। जबकि रोपण-पद्धति में ऐसा नहीं है।
- बुवाई ठीक समय पर करनी होती है, ताकि मानसून की बारिश आने से पहले पौधे ठीक से निकल आएं।
प्रीलिम्स लिंक:
- डीएसआर तकनीक
- शाकनाशी क्या हैं?
- भारत का सबसे बड़ा चावल उत्पादक राज्य
- चावल के लिए उपयुक्त जलवायु परिस्थितियाँ
- एमएसपी की घोषणा कौन करता है?
- हरित क्रांति क्या है?
मेंस लिंक:
धान की सीधी बुवाई (डीएसआर) पद्धति के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
एना जार्विस
(Anna Jarvis)
एना जार्विस (1 मई, 1864 – 24 नवंबर, 1948) एक अमेरिकी कार्यकर्ता थीं। इन्होने वर्ष 1908 में “सभी माताओं” और ‘माँ की भूमिका निभाने वाली’ महिलाओं को सम्मानित करने के लिए ‘मदर्स डे’ की स्थापना की थी।
- ‘मदर्स डे’ हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, किंतु इसकी तारीख हर साल बदलती रहती है।
- एना जार्विस के अथक प्रयासों के कारण, अधिकांश अमेरिकी राज्यों ने 1911 तक ‘मातृ दिवस’ / ‘मदर्स डे’ का सम्मान करने हेतु इसे ‘क्षेत्रीय अवकाश’ के रूप में घोषित करना शुरू कर दिया था। जार्विस का गृह राज्य ‘वेस्ट वर्जीनिया’ वर्ष 1910 में ‘मदर्स डे’ घोषित करने वाला पहला राज्य था।
पवई साइक्लिंग ट्रैक परियोजना
‘मुंबई नगर निकाय’ को झटका देते हुए, बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘पवई झील’ (Powai Lake) के आसपास साइकिल और जॉगिंग ट्रैक के निर्माण को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई किए जाने की अनुमति दे दी है और इस साइकिल ट्रैक को अवैध बताया है।
‘पवई झील’ के बारे में:
एक आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता प्राप्त, मुंबई के पूर्वी उपनगरों में विस्तारित मानव निर्मित ‘पवई झील’ का निर्माण 1891 में किया गया था।
- चूंकि इसका पानी पीने के लिए अनुपयुक्त घोषित किया जा चुका है, किंतु इसका उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।
- 2021 में, बीएमसी ने शहर भर में साइकिल ट्रैक रखने की अपनी योजना के एक हिस्से के रूप में ‘पवई झील’ के चारों ओर 10 किलोमीटर के साइकलिंग ट्रैक का निर्माण करने का प्रस्ताव रखा था।
परियोजना का विरोध:
- साइकलिंग ट्रैक का निर्माण, आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियमों का उल्लंघन होगा।
- झील में पाए जाने वाले ‘भारतीय दलदली मगरमच्छों’ के आवास पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- इस परियोजना से झील के आसपास विकास के लिए जगह खाली की जाएगी।
मार्तंड सूर्य मंदिर
‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण’ (ASI) द्वारा संरक्षित अनंतनाग में स्थित ‘मार्तंड सूर्य मंदिर’ (Martand Sun Temple) के परिसर में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के एक पूजा समारोह में भाग लेने पर विवाद छिड़ गया है। ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण’ द्वारा इसे नियमों का उल्लंघन बताया गया है।
एएसआई का तर्क है कि ‘प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम (एएसआई) के नियमों’ के अनुसार, ऐसे किसी कार्यक्रम के लिए ‘पूर्व अनुमति’ मांगी जानी चाहिए थी।
मंदिर के बारे में:
- आठवीं शताब्दी का ‘मार्तंड मंदिर’ भारत के सबसे पुराने सूर्य मंदिरों में से एक है और अमूल्य प्राचीन आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।
- 8 वीं शताब्दी ईस्वी में ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा निर्मित ‘मार्तंड सूर्य मंदिर’ कश्मीरी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है और कश्मीरी पंडितों के लिए सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है।
- 14वीं शताब्दी ईस्वी में ‘सिकंदर शाह मिरी’ द्वारा इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था और अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खंडहरों को “राष्ट्रीय महत्व के स्थल” के रूप में चिह्नित किया गया है।
पैंटानल आर्द्रभूमि
दक्षिण अमेरिका में स्थित विश्व की सबसे बड़ी आर्द्रभूमि, जिसे पैंटानल (Pantanal) के नाम से जाना जाता है, नष्ट होने की कगार पर पहुँच गयी है।
- पैंटानल आर्द्रभूमि (Pantanal wetland) की स्थिति, स्थानीय और छोटे-छोटे प्रतीत होने वाले फैसलों की वजह से हुई है। ये फैसले, पृथ्वी के सबसे जैव विविधता वाले पारिस्थितिक तंत्रों में से एक ‘पैंटानल’ पर अपने संचयी प्रभाव के लिए जिम्मेदार हैं।
- ‘पैंटानल’ विश्व का सबसे बड़ा बाढ़ग्रस्त घास का मैदान भी है।
- इसके पराग्वे नदी और सहायक नदियों के माध्यम से जलापूर्ति होती है।
- इसे ब्राजील के संविधान द्वारा एक ‘राष्ट्रीय विरासत’ और एक ‘प्रतिबंधित-उपयोग क्षेत्र’ नामित किया गया है।
प्राप्ति पोर्टल
- ‘प्राप्ति’ (PRAAPTI) का पूरा नाम ‘पेमेंट रेटीफीकेशन एंड एनालिसिस इन पॉवर प्रोक्योरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपेरेंसी इन इनवॉइसिंग ऑफ जनरेटर्स’ (Payment Ratification And Analysis in Power procurement for bringing Transparency in Invoicing of generators) है।
- PRAAPTI पोर्टल को मई 2018 में, बिजली उत्पादकों और डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए लॉन्च किया गया था।
चर्चा का कारण:
- पोर्टल के अनुसार, बिजली वितरण कंपनियों पर बिजली उत्पादकों का कुल बकाया मई 2022 में सालाना आधार पर 4.04 प्रतिशत बढ़कर 1,21,765 करोड़ रुपये (1.21 ट्रिलियन रुपये) हो गया है।
- मई 2021 में DISCOMs पर बिजली उत्पादन फर्मों का कुल 1,17,026 करोड़ रुपये बकाया था।
ऑपरेशन दुधी
(Operation Dudhi)
जम्मू-कश्मीर में 30 साल पहले ‘ऑपरेशन दुधी’ (Operation Dudhi) में 72 विद्रोहियों को मार गिराने और 13 अन्य को जिंदा पकड़ने वाले 7वीं बटालियन असम राइफल्स के आठ जीवित कर्मियों को सोमवार को शिलांग में अर्धसैनिक बल द्वारा हाल ही में सम्मानित किया गया।
‘ऑपरेशन दुधी’ के बारे में:
5 मई, 1991 को नायब सूबेदार पदम बहादुर छेत्री की कमान के तहत में असम राइफल्स की 7 वीं बटालियन के 15 सैनिकों की एक टीम ने जम्मू-कश्मीर में 14,000 फीट की ऊंचाई पर 72 पाकिस्तान-प्रशिक्षित चरमपंथियों को मार गिराया था और 13 अन्य को पकड़ लिया था।
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