[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 19 April 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

  1. पदोन्नति में आरक्षण मानदंडो का निर्धारण
  2. उच्चतम न्यायालय में लंबित मामले
  3. उड़ान योजना
  4. अमेरिका द्वारा ‘आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ का दर्जा
  5. ब्रिक्स देश
  6. गाजा पट्टी

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. विद्या समीक्षा केंद्र
  2. यकृत की ‘रहस्यमय’ बीमारी
  3. सेमीकॉन इंडिया-2022 सम्मेलन

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

पदोन्नति में आरक्षण मानदंडो का निर्धारण


संदर्भ:

हाल ही में, ‘कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग’ (Department of Personnel and Training – DoPT) ने केंद्र सरकार के सभी विभागों को सरकारी कार्यालयों में ‘पदोन्नति में आरक्षण नीति’ (policy of reservation in promotion) को लागू करने से पहले, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता पर आंकड़े एकत्र करने को कहा है।

निर्दिष्ट शर्तें:

डीओपीटी के आदेश में ‘पदोन्नति में आरक्षण नीति’ को लागू करते समय (सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर) शर्तों को भी निर्दिष्ट किया गया है।

इन शर्तों में शामिल हैं:

  1. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के संबंध में ‘मात्रात्मक डेटा’ का संग्रह।
  2. प्रत्येक संवर्ग के लिए अलग से इस डेटा का अनुप्रयोग।
  3. यदि कोई रोस्टर मौजूद है, तो रोस्टर के संचालन की इकाई संवर्ग होगी या जिसे रोस्टर में रिक्तियों को भरने के संबंध में मात्रात्मक डेटा एकत्र और लागू करना होगा।

प्रमोशन / पदोन्नति में आरक्षण:

  1. इंद्रा साहनी जजमेंट (1992):

नवंबर 1992 में, इंद्रा साहनी जजमेंट में, जिसे ‘मंडल जजमेंट’ के नाम से जाना जाता है, सुप्रीम कोर्ट की नौ-न्यायाधीशों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा था, कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान नहीं है।

  1. 77वां संशोधन अधिनियम:

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का अध्यारोहण करने और पदोन्नति में आरक्षण लागू करने के लिए, संसद ने 77 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1995 के माध्यम से अनुच्छेद 16 यानी अनुच्छेद 16(4A) में एक नया उपबंध जोड़ा, जिसमें अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

  1. 85वां संशोधन अधिनियम:

पदोन्नति में आरक्षण के मामलों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को परिणामी वरिष्ठता देने के लिए 85वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2001 लाया गया था।

  1. एम. नागराज बनाम भारत संघ मामले का निर्णय (2006):

संविधान में 77वें और 85वें संशोधन को ‘सामान्य श्रेणी’ के कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष चुनौती दी थी।

  • कोर्ट ने इन संशोधनों को चुनौती देने वाली इन सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़ दिया और 2006 में एम. नागराज बनाम भारत संघ के मामले में अपना फैसला सुनाया।
  • अपने फैसले में, कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बढ़ाने तथा प्रोन्नति (पदोन्नति में आरक्षण) को शामिल करने संबंधी संसद के फैसले को विधिमान्य घोषित किया।
  1. पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने संबंधी शर्तें:

एम. नागराज मामले के फैसले में अदालत ने तीन शर्तें निर्धारित की, जिन्हें राज्य को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले पूरी करना आवश्यक होगा।

  1. सबसे पहले, राज्य को संबंधित समुदाय वर्ग के पिछड़ेपन को दिखाना होगा।
  2. दूसरा, राज्य को यह दिखाना चाहिए कि जिस पद/सेवा के लिए पदोन्नति में आरक्षण दिया जाएगा, उसमें संबंधित समुदाय वर्ग का प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है।
  3. अंत में, राज्य को दिखाना चाहिए कि ‘आरक्षण’ प्रशासन की समग्र दक्षता को प्रभावित नहीं करेगा।
  4. जरनैल सिंह जजमेंट (2018):

इन निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने ‘एम, नागराज’ के फैसले को इस सीमा तक संशोधित किया, कि राज्य को आरक्षण देने से पहले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के “पिछड़ेपन” को साबित करने के लिए मात्रात्मक डेटा का पेश करने की आवश्यकता नहीं है।

  1. 2022 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

जनवरी 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए डेटा का संग्रह पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए आवश्यक है।

  • कोर्ट ने माना, कि पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए मात्रात्मक डेटा के संग्रह के उद्देश्य से इकाई के रूप में वर्ग, समूह या संपूर्ण सेवा की बजाय मात्र “कैडर / संवर्ग” को माना जाएगा।
  • हालांकि, न्यायालय ने प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए पदोन्नति पदों पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता का आकलन करने का निर्णय राज्यों और केंद्र सरकार पर छोड़ दिया है।

इन मानदंडों का महत्व:

इस कदम से ‘केंद्रीय सचिवालय सेवा’ (CSS) के उन अधिकारियों को लाभ होने की संभावना है, जिन्हें पिछले छह वर्षों से पदोन्नत नहीं किया गया है। CSS में विभिन्न मंत्रालयों में मध्यम रैंक से वरिष्ठ प्रबंधन रैंक तक के अधिकारी शामिल हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) और 16 (4-A) में व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण का दावा करने का मौलिक अधिकार प्रदान नहीं किया गया है?

ये अनुच्छेद, राज्य को केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के पक्ष में नियुक्ति और पदोन्नति के मामलों में आरक्षण देने करने की शक्ति प्रदान करते हैं, बशर्ते यदि राज्य की राय में राज्य की सेवाओं में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अनुच्छेद 335
  2. अनुच्छेद 16(4)
  3. समानता का अधिकार
  4. एम नागराज मामला

मेंस लिंक:

पदोन्नति में आरक्षण की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले


(Pendency of cases in Supreme Court)

संदर्भ:

वर्ष 2022 में सुप्रीम कोर्ट के कई वर्तमान न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो रहे हैं, परिणामस्वरूप इस वर्ष शीर्ष अदालत में कई पद रिक्त हो जाएंगे।

संबंधित चिंताएं:

सुप्रीम कोर्ट में यह सेवानिवृतियाँ ऐसे समय में हो रही है, जब अदालत विशेष रूप से महामारी की क्रूर- लहरों के बाद खुद को स्थिर करने की प्रक्रिया में है, और अदालत में बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं।

  • भारत की कानूनी प्रणाली में, विश्व में ‘लंबित मामलों का सबसे बड़ा बैकलॉग’ अर्थात पिछले मामलों का ढेर है – लगभग 30 मिलियन मामले लंबित है। और,
  • यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जोकि स्वयं की कानूनी व्यवस्था की खामियों को दर्शाता है।
  • और इस बैकलॉग के कारण, भारत की जेलों में अधिकांश कैदी, मुकदमे की प्रतीक्षा कर रहे विचाराधीन बंदी हैं।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले:

  1. सुप्रीम कोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल, 2022 तक शीर्ष अदलत में 70,362 मामले लंबित हैं।
  2. इनमे से 19% से अधिक मामले ‘न्यायिक सुनवाई’ के लिए अदालत की पीठ के समक्ष पेश होने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि इनकी आवश्यक प्रारंभिक प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी है।
  3. 52,110 मामले अभी प्रवेश के स्तर पर ही हैं, वहीं 18,522 मामले नियमित सुनवाई से संबंधित हैं।
  4. संविधान पीठ के समक्ष मामलों (मुख्य और सम्बद्ध मामलों) की संख्या कुल 422 है।
  5. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दो साल के ‘वर्चुअल सिस्टम’ के बाद, ‘पूर्ण वास्तविक सुनवाई’ फिर से शुरू की है।

लंबित मामलों को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदम:

  • सरकार को एक कुशल और जिम्मेदार ‘वादी’ में बदलने के लिए “राष्ट्रीय मुक़दमा नीति 2010” (National Litigation Policy 2010) को लागू किया गया है।
  • ‘राष्ट्रीय मुक़दमा नीति’ 2010 के अनुरूप सभी राज्यों द्वारा ‘राज्य मुक़दमा नीतियां’ (State Litigation Policies) तैयार की गयी हैं।
  • जिन मामलों में सरकार एक पक्ष के रूप में है, उन पर नज़र रखने के उद्देश्य से 2015 में ‘कानूनी सूचना प्रबंधन और ब्रीफिंग सिस्टम’ (Legal Information Management and Briefing System – LIMBS) तैयार किया गया था।
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह दी है, कि 6 महीने या एक साल के कारावास की सजा पाने वाले अपराधियों को, पहले से ही भरी हुई जेलों पर और भार डालने के लिए भेजने के बजाय उन्हें सामाजिक सेवा कर्तव्यों का आवंटन किया जाना चाहिए।

समय की मांग:

  1. राष्ट्रीय मुक़दमा नीति को संशोधित किया जाए।
  2. मध्यस्थता को प्रोत्साहित करने के लिए ‘वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र’ को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  3. सरकार और न्यायपालिका के मध्य समन्वित कार्रवाई की जानी चाहिए।
  4. उच्च न्यायालयों पर बोझ कम करने के लिए निचली अदालतों में न्यायिक क्षमता को मजबूत किया जाना चाहिए।
  5. न्यायपालिका पर व्यय बढ़ाना चाहिए।
  6. कोर्ट केस मैनेजमेंट और कोर्ट ऑटोमेशन सिस्टम में सुधार किया जाना चाहिए।
  7. विषय-विशिष्ट ‘पीठों’ का गठन।
  8. मजबूत आंतरिक विवाद समाधान तंत्र।
  9. न्यायाधीशों को छोटे और अधिक सुस्पष्ट निर्णय लिखने चाहिए।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि जब अदालत में निर्दिष्ट संख्या की कमी होती है, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट की पीठ में नियुक्त कर सकते हैं? यह कदम केवल राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति और संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से ही उठाया जा सकता है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. कॉलेजियम प्रणाली’ क्या है?
  2. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को किस प्रकार नियुक्त और हटाया जाता है?
  3. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को किस प्रकार नियुक्त और हटाया जाता है?
  4. संबंधित संवैधानिक प्रावधान
  5. शक्तियां और कार्य।

मेंस लिंक:

न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

उड़ान योजना


(UDAN scheme)

संदर्भ:

गैर-मेट्रो टियर II और टियर III शहरों में हवाई संपर्क प्रदान करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय की प्रमुख पहल ‘उड़ान योजना’ (UDAN scheme) को ‘लोक प्रशासन 2020’ में उत्कृष्टता के लिए ‘प्रधान मंत्री पुरस्कार’ के लिए चुना गया है।

UDAN योजना (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के बारे में:

  • 2016 में शुरू की गई उड़ान’ (UDAN – Ude Desh Ka Aam Nagrik) योजना का उद्देश्य देश के दूरस्थ और क्षेत्रीय क्षेत्रों से संपर्क बढ़ाना और हवाई यात्रा को वहनीय बनाना है।
  • यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति का एक प्रमुख घटक है और इसे जून 2017 में लॉन्च किया गया था।
  • चूंकि, इस योजना का उद्देश्य अप्रयुक्त और कम उपयोग वाले हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के माध्यम से टियर -2 और टियर -3 शहरों के लिए हवाई संपर्क में सुधार करना है, अतः इसे ‘क्षेत्रीय संपर्क योजना’ (Regional Connectivity Scheme – RCS) के रूप में भी जाना जाता है।
  • इस योजना के तहत, UDAN की फ्लाइट्स में लगभग आधी सीटें रियायती किराए पर दी जाती हैं, और भाग लेने वाले कैरीएर्स को एक निश्चित राशि की ‘व्यवहार्यता अंतराल निधि’ (viability gap fundingVGF) प्रदान की जाती है, जोकि केंद्र और संबंधित राज्यों के मध्य साझा की जाती है।
  • इस योजना को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित किया जाएगा।
  • यह योजना 10 साल तक जारी रहेगी और बाद में इसे आगे बढ़ाया जा सकता है।

योजना के प्रमुख बिंदु:

  1. एयरलाइंस को बोली प्रक्रिया के माध्यम से कार्यक्रम के तहत संचालन हेतु ‘मार्ग’ प्रदान किए जाते हैं और उन्हें हवाई किराया, उड़ान के प्रति घंटे 2,500 रुपये की दर से रखना होगा।
  2. एक विमान में कुल सीटों में कम से कम 50% सीटें सस्ती दरों पर दी जाएंगी।
  3. एयरलाइनों को किफायती किराए की पेशकश करने में सक्षम बनाने के लिए उन्हें सरकार की ओर से तीन साल की अवधि के लिए सब्सिडी दी जाती है।
  4. सरकार द्वारा पहले तीन वर्षों में 50 हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के लिए 4,500 करोड़ रुपये भी निर्धारित किए गए हैं।

current affairs

 

उड़ान 4.0:

उड़ान के चौथे दौर (UDAN 4.0) को दिसंबर 2019 में पूर्वोत्तर क्षेत्रों, पहाड़ी राज्यों और द्वीपों पर विशेष ध्यान देने के साथ शुरू किया गया था।

  • भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (AAI) द्वारा पहले ही विकसित किए गए हवाई अड्डों को इस योजना के तहत व्यवहार्यता अंतराल निधि (VGF) के लिए उच्च प्राथमिकता दी गई है।
  • उड़ान 0 के तहत, हेलीकॉप्टर और सी-प्लेन के संचालन को भी शामिल किया गया है।

चुनौतियां:

  • कई छोटे, क्षेत्रीय वाहकों की खराब वित्तीय स्थिति इस योजना के लिए अभिशाप रही है।
  • योजना के कई भागीदारों के पास एक या दो से अधिक विमान नहीं होते हैं और उनका रखरखाव अक्सर खराब रहता है। इन छोटे भागीदारों के लिए नए विमान बहुत महंगे पड़ते हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘विमानन टरबाइन ईंधन’ (ATF) वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में नहीं आताहै? जीएसटी के दायरे में नहीं आने वाली वस्तुओं के बारे में अधिक जानकारी हेतु पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. UDAN योजना कब शुरू की गई थी?
  1. योजना का कार्यान्वयन और वित्त पोषण
  2. राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति का अवलोकन
  3. इस योजना के तहत, हवाई किरायों के लिए सब्सिडी देने के लिए व्यवहार्यता अंतराल निधि (VGF) कौन प्रदान करता है?
  4. योजना के तहत राज्य सरकारों की भूमिका

मेंस लिंक:

UDAN योजना के प्रदर्शन पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

अमेरिका द्वारा ‘आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ का दर्जा


(‘State Sponsor of Terrorism’ designation by US)

संदर्भ:

यूक्रेन के राष्ट्रपति ‘वलोडिमिर ज़ेलेंस्की’ ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से रूस को ‘आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ (State Sponsor of Terrorism) के रूप में अभिहित किए जाने को कहा है।

यह रूस के खिलाफ ‘संयुक्त राज्य अमेरिका’ के पास उपलब्ध प्रतिबंधों का शायद सबसे कठोर समूह है।

इस सूची में सम्मिलित देश:

‘आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ (State Sponsors of Terrorism) सूची में चार देश शामिल हैं: सीरिया (1979 में सूचीबद्ध), ईरान (1984), उत्तर कोरिया (2017) और क्यूबा।

अमेरिका की ‘आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ सूची के निहितार्थ:

अमेरिकी विदेश मंत्री के लिए, ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी कृत्यों को अक्सर समर्थन प्रदान करने वाले देशों’ को आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ घोषित करने की शक्ति प्रदान की गयी है।

‘आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ सूची में शामिल देशों पर अमेरिका चार श्रेणियों में प्रतिबंध लगा सकता है:

  1. अमेरिकी विदेशी सहायता पर प्रतिबंध
  2. रक्षा निर्यात और बिक्री पर प्रतिबंध
  3. दोहरे उपयोग की वस्तुओं के निर्यात पर नियंत्रण
  4. विविध वित्तीय और अन्य प्रतिबंध

इस सूची में ‘निर्दिष्ट देशों’ के साथ व्यापार में संलग्न देशों और व्यक्तियों पर भी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ के दर्जे का प्रभाव:

  1. आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ का दर्जा प्राप्त देश की ‘संयुक्त राज्य अमेरिका’ में अचल संपत्तियों सहित अन्य परिसंपत्तियों को फ्रीज किया जा सकता है।
  2. विश्व बैंक या अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से ऋण प्राप्त करने के लिए उस देश के प्रयासों को अमेरिका द्वारा वीटो किया जा सकता है।
  3. दोहरे उपयोग वाले निर्यातों की एक विस्तृत सूची को प्रतिबंधित किया जा सकता है।
  4. ‘आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ सूची में शामिल देश के साथ व्यापार जारी रखने वाले देशों के खिलाफ अमेरिका द्वारा आर्थिक कार्रवाई की जा सकती है।

किसी देश को इस सूची से किस प्रकार हटाया जा सकता है?

यदि अमेरिका को यह यकीन हो जाता है, कि ‘आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ सूची में शामिल देश ने अपने व्यवहार में सुधार किया है और अंतरराष्ट्रीय कानून और आचरण संबंधित शर्तों का अनुपालन करने लगा है, या देश में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है, तो उस देश को इस सूची से हटाया जा सकता है।

सूडान, इराक और दक्षिण यमन को ‘आतंकवाद प्रायोजक राष्ट्र’ सूची से हटा दिया गया है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

 ब्रिक्स देश


(BRICS)

संदर्भ:

हाल ही में, भारत ने ‘ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका’ (Brazil, Russia, India, China and South Africa – BRICS) समूह के नेताओं के एक ‘आभासी शिखर सम्मेलन’ में भाग लेने के लिए अपनी सहमति  दे दी है। यह ‘शिखर सम्मेलन’ संभवतः जून के अंत में हो सकता है।

  • इसकी मेजबानी ‘चीन’ द्वारा की जा रही है।
  • भारत द्वारा पिछले साल के ‘ब्रिक्स शिखर सम्मेलन’ की मेजबानी की गयी थी, जोकि ‘वर्चुअल प्रारूप’ में आयोजित किया गया था, और इसमें पांच नेताओं ने भाग लिया था।
  • अप्रैल 2020 में चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ द्वारा अतिक्रमण किए जाने के कारण ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ (एलएसी) पर उत्पन्न तनाव के बाद से, चीन द्वारा आयोजित यह पहला शिखर सम्मेलन है।

ब्रिक्स (BRICS) के बारे में:

ब्रिक्स, पांच प्रमुख उभरते देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (BRICS) – का एक समूह है।

  • यह समूह, कुल मिलाकर विश्व की लगभग 42 प्रतिशत जनसंख्या, 23 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद, 30 प्रतिशत क्षेत्रफल और 18 प्रतिशत वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है।
  • ब्रिक (BRIC) शब्द, संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा 21 वीं सदी में सबसे बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को व्यक्त करने के लिए, वर्ष 2001 में गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री ‘जिम ओ’नील’ द्वारा गढ़ा गया था।
  • वर्ष 2006 में, BRIC देशों द्वारा वार्ता आरंभ की गयी, जिसके तहत वार्षिक बैठकों में वर्ष 2009 तक राष्ट्राध्यक्ष और सरकार के प्रमुख भाग लेते थे।
  • वर्ष 2011 में, अफ्रीकी महाद्वीप से दक्षिण अफ्रीका के समूह में शामिल होने के साथ ही, ब्रिक्स (BRICS) अपने वर्तमान स्वरूप में स्थापित हो गया।

 

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने PARIS21 समूह के बारे में सुना है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ब्रिक्स के बारे में
  2. शिखर सम्मेलन
  3. अध्यक्षता
  4. ब्रिक्स से जुड़े संगठन और समूह

मेंस लिंक:

भारत के लिए ब्रिक्स के महत्व और प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

गाज़ा पट्टी


(Gaza Strip)

संदर्भ:

फिलिस्तीनी एन्क्लेव से इजरायल की ओर रॉकेट दागे जाने के बाद इजरायल द्वारा ‘गाज़ा पट्टी’ (Gaza Strip) पर हमले किए जा रहे हैं।

इससे पहले, ‘हमास’ की आर्मड विंग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, हमास ने इस्राइली विमानों पर हमला किया था।

‘हमास’ के बारे में:

  • हमास (Hamas) एक फिलिस्तीनी इस्लामिक राजनीतिक संगठन और आतंकवादी समूह है। इस संगठन की स्थापना वर्ष 1987 में हुई थी और तब से यह आत्मघाती बम विस्फोट और रॉकेट हमलों के माध्यम से इजरायल के विरुद्ध युद्ध छेड़े हुए है।
  • यह इजराइल की जगह एक फिलीस्तीनी राज्य की स्थापना करना चाहता है। हमास, फिलिस्तीनी प्रशासन से पृथक, स्वतंत्र रूप से गाजा पट्टी को नियंत्रित करता है।

समझौते की आवश्यकता:

गाजा पट्टी क्षेत्र पर वर्ष 2007 से इजरायल द्वारा कड़ी नाकाबंदी की जा रही है, जिसके चलते इस क्षेत्र में अधिकांश बुनियादी सामान अभी भी अत्यधिक प्रतिबंधित नियमों का सामना करने के बाद पहुँच पाता है।

‘गाजा पट्टी’ की अवस्थिति:

गाजा पट्टी (Gaza Strip) पूर्णतयः कृत्रिम रूप से निर्मित एक ‘रचना’ / ‘सृजन’ है, जिसे इज़राइल के बनने के दौरान, 1948 में फिलिस्तीन की लगभग तीन-चौथाई विस्थापित, कुछ मामलों में निष्कासित, अरब आबादी को बसाने के लिए निर्मित किया गया था।

  • इस दौरान, अधिकांश शरणार्थी, पड़ोसी देशों, जैसकि जॉर्डन, सीरिया और लेबनान में बिखरे गए।
  • कुछ शरणार्थी आबादी ‘वेस्ट बैंक’ में बस गई, जिस पर 1948 के बाद जॉर्डन ने अपना अधिकार स्थापित कर लिया।
  • विस्थापित आबादी की बड़ी संख्या ‘गाजा पट्टी’ में जाकर बस गई, जोकि मिस्र और वर्तमान इजराइल के मध्य स्थित एक संकरी सी तटीय पट्टी है।
  • वर्तमान में, गाजा पट्टी की कुल आबादी में से लगभग 70% आबादी शरणार्थी हैं।

‘गाजा पट्टी’ पर नियंत्रण:

‘हमास’ (Hamas) ने वर्ष 2007 में गाजा पट्टी पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया था। इसके तुरंत बाद, इज़राइल ने गाजा की सीमाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया और गाजा को एक दुश्मन इकाई घोषित कर दिया। गाजा को एक देश का दर्जा प्राप्त नहीं है।

‘हमास’ को इसके द्वारा आम नागरिकों पर किए गए हमलों के इतिहास को देखते हुए, इज़राइल तथा संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में देखा जाता है।

current affairs

 

वर्तमान परिदृश्य:

  • इज़राइल का अभी भी वेस्ट बैंक पर कब्जा है, हालांकि इसने गाजा पर अपना अधिकार छोड़ दिया है किंतु, संयुक्त राष्ट्र अभी भी भूमि के इस भाग को अधिकृत क्षेत्र का हिस्सा मानता है।
  • इज़राइल, पूरे यरुशलम को अपनी राजधानी होने का दावा करता है, जबकि फिलिस्तीनी, पूर्वी यरुशलम को भविष्य के फिलिस्तीनी राष्ट्र की राजधानी होने का दावा करते हैं।
  • अमेरिका, पूरे यरुशलम शहर पर इज़राइल के दावे को मान्यता देने वाले गिने-चुने देशों में से एक है।

हालिया घटनाक्रम:

  • पूर्वी यरुशलम, गाजा और वेस्ट बैंक में रहने वाले इज़राइल और फिलिस्तीनियों के बीच अक्सर तनाव में वृद्धि होती रहती है।
  • गाजा पर ‘हमास’ नामक एक फिलीस्तीनी उग्रवादी समूह का शासन है, जो कई बार इज़राइल से संघर्ष कर चुका है। ‘हमास’ को प्राप्त होने वाले हथियारों की आपूर्ति पर रोक लगाने हेतु इज़राइल और मिस्र ने गाजा की सीमाओं पर कड़ा नियंत्रण लगाया हुआ है।
  • गाजा और वेस्ट बैंक में फिलीस्तीनियों का कहना है, कि वे इज़राइल की कार्रवाइयों और प्रतिबंधों के कारण पीड़ित हैं। इज़राइल का कहना है कि वह केवल फिलिस्तीनी हिंसा से खुद को बचाने के लिए कार्रवाइयां कर रहा है।
  • अप्रैल 2021 के मध्य में रमजान के पवित्र मुस्लिम महीने की शुरुआत के बाद से पुलिस और फिलिस्तीनियों के बीच हुई झड़पों के साथ तनाव में वृद्धि हो गई है।
  • पूर्वी यरुशलम में कुछ फिलीस्तीनी परिवारों को बेदखल किए जाने की धमकी से भी आग और भड़की है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. वेस्ट बैंक कहाँ है?
  2. गाजा पट्टी
  3. गोलन हाइट्स
  4. ‘हमास’ कौन हैं?
  5. ‘अल-नकबा’ क्या है?
  6. इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के बारे में

 

मेंस लिंक:

लंबे समय से जारी इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष को समाप्त करने के उपाय सुझाएं।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 

विद्या समीक्षा केंद्र

हाल ही में, गुजरात शिक्षा विभाग द्वारा गांधीनगर में ‘कमांड एंड कंट्रोल सेंटर’ या ‘विद्या समीक्षा केंद्र’ (Vidya Samiksha Kendra) की स्थापना की गयी है।

  • इस केंद्र के माध्यम से नामांकन, उपस्थिति, सीखने के परिणामों, ड्रॉप-आउट, स्कूलों की मान्यता को ट्रैक किया जाएगा और स्कूलों, शिक्षकों और ब्लॉक और क्लस्टर संसाधन केंद्र समन्वयकों की निगरानी की जाएगी।
  • यह अत्याधुनिक डेटा संचालित केंद्र ‘राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा संरचना’ (National Digital Education Architecture) फ्रेमवर्क पर आधारित है।
  • विद्या समीक्षा केंद्र का उद्देश्य अध्ययन परिणामों में सुधार हेतु डेटा और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

 

यकृत की ‘रहस्यमय’ बीमारी

(The ‘mystery’ liver disease)

हाल ही में, यकृत / लिवर की एक रहस्यमयी बीमारी के मामले अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा स्पेन, डेनमार्क और नीदरलैंड में सामने आए हैं।

अब स्वास्थ्य अधिकारी इस रहस्यमय गंभीर बीमारी के पीछे के कारणों का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं।

इस रहस्यमयी बीमारी का कारण:

  • अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
  • स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों के अनुसार, लिवर/जिगर के ख़राब होने का सबसे प्रमुख कारण एक ‘एडेनोवायरस’ (Adenovirus) हो सकता है। इस वायरस का एक बड़ा समूह, व्यापक रूप से फैलता है और अक्सर श्वसन और आंखों के संक्रमण से जुड़ा होता है।
  • वैकल्पिक रूप से, ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी कोविड -19 संक्रमण या किसी एक नए, अनिर्धारित वैरिएंट के परिणामस्वरूप भी हो सकती है।
  • शोधकर्ताओं ने इस बीमारी के पीछे ‘जिगर की गंभीर सूजन’ के सबसे आम कारण अर्थात ‘हेपेटाइटिस’ को खारिज कर दिया है, क्योंकि बच्चों में इसका परीक्षण लगातार नकारात्मक आया है।
  • इस बात का भी कोई पुख्ता सबूत नहीं है, कि यह जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। कुछ लोगों का मानना ​​है कि इस बीमारी के पीछे कोरोनावायरस का म्यूटेशन हो सकता है।

लक्षण:

  • मूत्र का गहरा रंग
  • पतला मल
  • पीलिया (आंखों और त्वचा का पीला पड़ना)
  • खुजली वाली त्वचा
  • मतली और उल्टी
  • सुस्ती
  • पेट दर्द
  • उच्च तापमान

 

सेमीकॉन इंडिया-2022 सम्मेलन

पहला सेमीकॉन इंडिया-2022 सम्मेलन (Semicon India-2022 Conference) बेंगलुरु में आयोजित किया जाएगा।

  • सम्मेलन का आयोजन 29 अप्रैल से 1 मई तक इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।
  • इसकी थीम ‘डिजाइन एंड मैन्युफैक्चर इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड : मेकिंग इंडिया ए सेमीकंडक्टर नेशन’ होगी।
  • सेमीकॉन इंडिया – 2022 का लक्ष्य भारत को ‘वैश्विक सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला’ में एक महत्वपूर्ण प्रतिभागी बनाना है।

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