[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 15 April 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

  1. महिलाओं के लिए विवाह की विधिक आयु में वृद्धि
  2. उइगरों के खिलाफ मानवाधिकारों का उल्लंघन
  3. ‘लिंचिंग’ को ‘फ़ेडरल हेट क्राइम’ घोषित करने संबंधी विधेयक पर अमेरिकी राष्ट्रपति की मुहर

 

सामान्य अध्ययन-III

  1. फ्लेक्स ईंधन वाहन
  2. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. गोलन हाइट्स
  2. तोलकाप्पियम
  3. वर्नाक्युलर इनोवेशन प्रोग्राम

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

महिलाओं के लिए विवाह की विधिक आयु में वृद्धि


(Raising legal age of marriage for women)

संदर्भ:

हाल ही में, ‘बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021’ (Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021’) को समीक्षा के लिए गठित ‘संसदीय स्थायी समिति’ की बैठक हुई थी। इस संशोधन विधेयक में महिलाओं के लिए विवाह हेतु कानूनी उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रावधान किया गया है।

  • जनवरी 2022 में इस ‘संसदीय स्थायी समिति’ को विधेयक का अध्ययन करने का कार्य सौंपा गया था और इसके तीन महीने का समय दिया गया था। बाद में, इस समय-सीमा में तीन महीने का विस्तार करते हुए ‘समिति’ अपना कार्य समाप्त करने के लिए जून 2022 तक का समय दिया गया।
  • इस विधेयक की ‘नागरिक समाज’ द्वारा आलोचना की जारी है।

इस कानून को लाने के पीछे तर्क:

विवाह की आयु सभी धर्मों, जातियों, पंथों के लिए और महिलाओं के साथ भेदभाव करने वाले किसी भी रिवाज या कानून को अध्यारोही करते हुए, एक समान रूप से लागू होनी चाहिए।

यह विधेयक निम्नलिखित कानूनों में भी संशोधित करेगा:

  1. भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1972
  2. पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936
  3. मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937
  4. विशेष विवाह अधिनियम, 1954
  5. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955
  6. विदेशी विवाह अधिनियम, 1956

 

 

कार्यबल (Task force):

पिछले वर्ष, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अपने बजट भाषण में मातृ मृत्यु दर कम करने और पोषण स्तर में सुधार के लिए ‘मातृत्व धारण करने के लिए लड़की की आयु’ निर्धारण हेतु एक समिति गठित किए जाने का प्रस्ताव किया गया था।

लेकिन, जब टास्क फोर्स नियुक्त करने के निर्णय की घोषणा की गई, तो इसके विचारणार्थ विषयों (Terms of referenceToR) में ‘माताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्थिति, तथा ‘विवाह एवं मातृत्व की उम्र के परस्पर संबंध’ की जांच करना’ भी शामिल कर दिया गया था।

महत्वपूर्ण अनुशंसाएं:

  • विवाह के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष किया जाना चाहिए।
  • सरकार को लड़कियों की स्कूलों और कॉलेजों तक पहुंच बढ़ाने पर, तथा दूर-दराज के क्षेत्रों से शिक्षा संस्थानों तक आने-जाने हेतु लड़कियों के परिवहन पर ध्यान देना चाहिए।
  • स्कूलों में कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण, तथा यौन शिक्षा को शामिल किए जाने की भी सिफारिश की गई है।
  • इन सिफारिशों को प्राथमिकता में रखा जाना चाहिए, क्योंकि जब तक इन्हें लागू नहीं किया जाएगा और महिलाओं को सशक्त नहीं किया जाता है, तब तक विवाह-आयु संबंधी कानून अपेक्षित रूप से प्रभावी नहीं होगा।

 

आलोचना:

  • महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस सुझाव का विरोध किया है और कई प्रमाणों का उद्धरण देते हुए यह साबित किया है, कि इस तरह की कार्यवाही का इस्तेमाल, माता-पिता की सहमति के बिना विवाह करने वाले युवा वयस्कों को ‘कैद करने’ के लिए किया जा सकता है।
  • साथ ही, इस कदम से कानून के लागू होने के बाद, बड़ी संख्या में होने वाले विवाहों का ‘अपराधीकरण’ हो जाएगा, अर्थात बड़ी संख्या में होने बाले विवाह ‘अपराध’ माने जाएंगे।

इस संदर्भ में वैधानिक प्रावधान:

वर्तमान में, कानून के अनुसार, पुरुष तथा महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु क्रमशः 21 और 18 वर्ष निर्धारित है।

विवाह हेतु निर्धारित न्यूनतम आयु, व्यस्क होने की आयु से भिन्न होती है। वयस्कता, लैंगिक रूप से तटस्थ होती है।

  1. भारतीय वयस्कता अधिनियम, 1875 के अनुसार, कोई व्यक्ति 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर ‘व्यस्क’ हो जाता है।
  2. हिंदुओं के लिए, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 (iii), में वधू न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा वर के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है। बाल विवाह गैरकानूनी नहीं है किंतु विवाह में किसी नाबालिग (वर अथवा वधू) के अनुरोध पर विवाह को शून्य घोषित किया जा सकता है।
  3. इस्लाम में, नाबालिग के यौवन प्राप्त कर लेने के पश्चात विवाह को मुस्लिम पर्सनल लॉ, के तहत वैध माना जाता है।
  4. विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अंतर्गत क्रमशः महिलाओं और पुरुषों के लिए विवाह के लिए सहमति की न्यूनतम आयु के रूप में 18 और 21 वर्ष निर्धारित की गयी है।

इस कानून पर पुनर्विचार किए जाने के कारण:

महिलाओं में प्रारंभिक गर्भावस्था के जोखिमों को कम करने तथा ‘लैंगिक-तटस्थता’ लाने हेतु महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने के पक्ष में कई तर्क दिए जाते रहे हैं।

  • प्रारंभिक गर्भावस्था का संबंध बाल मृत्यु दर में वृद्धि से होता है तथा यह माँ के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
  • विवाह के लिए न्यूनतम आयु की अनिवार्यता तथा नाबालिग के साथ यौन संबंध बनाने को अपराध घोषित किये जाने के बाद भी, देश में बाल विवाह का काफी प्रचलन है।
  • इसके अलावा, एक अध्ययन के अनुसार, किशोर माताओं (10-19 वर्ष) से जन्म लेने वाले बच्चों में युवा-वयस्क माताओं (20-24 वर्ष) से पैदा होने वाले बच्चों की तुलना में 5 प्रतिशत तक कद में बौने रह जाने की संभावना होती है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. जया जेटली समिति का गठन किस उद्देश्य के लिए किया गया था?
  2. भारत में पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु से संबंधित कानूनी प्रावधान
  3. विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के प्रमुख प्रावधान
  4. बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 का अवलोकन
  5. संसदीय समिति तथा मंत्रिमंडलीय समिति के मध्य अंतर
  6. स्थायी बनाम तदर्थ बनाम वितीय समितियां
  7. इन समितियों के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
  8. मात्र लोकसभा सदस्यों से गठित की जाने वाली समितियां
  9. सदन के अध्यक्ष द्वारा अध्यक्षता की जाने वाली समितियां

मेंस लिंक:

क्या आपको लगता है कि पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु सीमा में वृद्धि की जानी चाहिए? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।

उइगरों के खिलाफ मानवाधिकारों का उल्लंघन


(Human Rights Violations against Uygurs)

संदर्भ:

समाचार पत्रों और गैर सरकारी संगठनों के विवरण के साथ-साथ राजनयिकों द्वारा शोध के आधार पर, अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में, चीन का इसके शिनजियांग प्रांत में उइगर सहित जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ दुर्व्यवहार के लिए अलग से उल्लेख किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, कि चीनी सरकार शिनजियांग में अन्य अल्पसंख्यक समूहों, मुख्य रूप से मुस्लिम उइगरों के खिलाफ, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध करना जारी रखे हुए है।

संबंधित प्रकरण:

कई देशों ने ‘शिनजियांग प्रांत’ में ‘मुस्लिम उइगर समुदाय’ के लिए, चीन से “कानून के शासन का पूर्ण सम्मान सुनिश्चित करने” की मांग की है।

विश्वसनीय रिपोर्टों से संकेत मिलता है, कि शिनजियांग में एक लाख से अधिक लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है तथा उइगरों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को अनुचित रूप से लक्षित करते हुए व्यापक निगरानी की जा रही है, और उइघुर संस्कृति तथा मौलिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित किया गया है।

चीन की प्रतिक्रिया:

पर्याप्त सबूतों के बावजूद, चीन, उइगरों के साथ दुर्व्यवहार से इनकार करता है, और जोर देकर, केवल चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किए गए “व्यावसायिक प्रशिक्षण” केंद्र चलाने की बात करता है।

current affairs

 

उइगर कौन हैं?

उइगर (Uighurs) मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्की नृजातीय समूह हैं, जिनकी उत्पत्ति के चिह्न ‘मध्य एवं पूर्वी एशिया’ में खोजे जा सकते हैं।

  • उइगर समुदाय, तुर्की भाषा से मिलती-जुलती अपनी भाषा बोलते हैं, और खुद को सांस्कृतिक और नृजातीय रूप से मध्य एशियाई देशों के करीब मानते हैं।
  • चीन, इस समुदाय को केवल एक क्षेत्रीय अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता देता है और इन्हें देश का मूल-निवासी समूह मानने से इंकार करता है।
  • वर्तमान में, उइगर जातीय समुदाय की सर्वाधिक आबादी चीन के शिनजियांग क्षेत्र में निवास करती है।
  • उइगरों की एक बड़ी आबादी पड़ोसी मध्य एशियाई देशों जैसे उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान में भी पाई जाती है।

दशकों से उइगर मुसलमानों पर चीनी सरकार द्वारा आतंकवाद और अलगाववाद के झूठे आरोपों के तहत, उत्पीड़न, जबरन हिरासत, गहन-जांच, निगरानी और यहां तक ​​​​कि गुलामी जैसे दुर्व्यवहार किये जा रहे हैं।

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप चीन की ‘वन कंट्री टू सिस्टम पॉलिसी’ के बारे में जानते हैं? इस नीति के तहत किन क्षेत्रों का प्रशासन किया जाता है?  

प्रीलिम्स लिंक:

  1. उइघुर / उइगर कौन हैं?
  2. शिनजियांग कहाँ है?
  3. हान चीनी कौन हैं?
  4. शिनजियांग प्रांत की सीमा से लगे भारतीय राज्य।

मेंस लिंक:

उइघुर कौन हैं? हाल ही में इनके समाचारों में होने संबंधी कारणों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

‘लिंचिंग’ को ‘फ़ेडरल हेट क्राइम’ घोषित करने संबंधी विधेयक पर अमेरिकी राष्ट्रपति की मुहर


संदर्भ:

हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति ‘जो बिडेन’ ने लिंचिंग को एक ‘संघीय घृणा अपराध’ (Federal Hate Crime) बनाने के लिए एक विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके पश्चात्, इस तरह के कानून को पहली बार प्रस्तावित किए जाने के 100 से अधिक वर्षों बाद, यह विधेयक एक ‘क़ानून’ में परिवर्तित हो गया है।

इस क़ानून का नाम ‘एम्मेट टिल एंटी-लिंचिंग एक्ट’ (Emmett Till Anti-Lynching Act) उस अश्वेत किशोरी के नाम पर रखा गया है, जिसकी 1955 की गर्मियों में मिसिसिपी में हत्या ‘नागरिक अधिकारों’ के युग में एक प्रेरक क्षण बन गई थी।

विवरण:

  • नए क़ानून में, किसी हेट क्राइम को अंजाम देने के षड्यंत्र में किसी की मौत होने अथवा गंभीर शारीरिक चोट लगने पर, अपराध को ‘लिंचिंग’ के रूप में मुकदमा चलाने की अनुमति दी गयी है।
  • इस कानून में अधिकतम 30 साल की जेल और जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।

भारत में मॉब लिंचिंग की हालिया घटनाएं:

  • 2021 में, असम में एक 23 वर्षीय छात्र नेता की भीड़ ने कथित तौर पर हत्या कर दी थी।
  • अक्टूबर 2021 में, एक व्यक्ति की कथित रूप से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई, उसके अंगों को काट दिया गया और ‘तीन कृषि कानूनों’ के खिलाफ किसानों के विरोध स्थल, सिंघू बॉर्डर पर उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया।
  • अगस्त 2021 में, इंदौर में एक चूड़ी विक्रेता को कथित तौर पर अपनी पहचान छिपाने पर भीड़ ने पीटा था। वह व्यक्ति किसी तरह जीवित बच गया और बाद में उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
  • मई 2021 में, गुरुग्राम के एक 25 वर्षीय व्यक्ति दवा खरीदने के लिए बाहर गया था, उसी दौरान कथित तौर पर उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।
  • दिसंबर 2021 में, सिख संगत (सिख धर्म के भक्तों) द्वारा अमृतसर के श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा (स्वर्ण मंदिर) में सिख धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का अनादर करने का कथित रूप से प्रयास करने पर एक व्यक्ति की ‘पीट-पीटकर हत्या’ (Lynching) कर दी गई।

‘लिंचिंग’ का तात्पर्य:

धर्म, जाति, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, खान-पान, यौन-अभिरुचि, राजनीतिक संबद्धता, जातीयता अथवा किसी अन्य संबंधित आधार पर भीड़ द्वारा नियोजित अथवा तात्कालिक हिंसा या हिंसा भड़काने वाले कृत्यों आदि को मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) कहा जाता है।

इसमें अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी दोषी को उसके किये अपराध के लिये या कभी-कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही बिना अपराध किये भी तत्काल सज़ा दी जाए अथवा उसे पीट-पीट कर मार डाला जाता है।

इस प्रकार के मामलों से किस प्रकार निपटा जाता है?

  • मौजूदा ‘भारतीय दंड-विधान संहिता’ (IPC) के तहत, इस प्रकार घटनाओं के लिए “कोई अलग” परिभाषा नहीं है। लिंचिंग की घटनाओं से ‘आईपीसी’ की धारा 300 और 302 के तहत निपटा जाता है।
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के अनुसार, जो कोई भी किसी व्यक्ति की हत्या करता है, तो उसे मृत्यु दंड या आजीवन कारावास और साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा। ‘हत्या करना’ एक गैर-जमानती, संज्ञेय और गैर-शमनीय अपराध है।

इस संबंध में उच्चत्तम न्यायालय के दिशानिर्देश:

  1. लिंचिंग एक ‘पृथक अपराध’ होगा तथा ट्रायल कोर्ट अभियुक्तों को दोषी ठहराए जाने पर अधिकतम सजा का प्रावधान कर मॉब लिंचिंग करने वाली भीड़ के लिए कड़ा उदहारण स्थापित करें।
  2. राज्य सरकारें, प्रत्येक ज़िले में मॉब लिंचिंग और हिंसा को रोकने के उपायों के लिये एक सीनियर पुलिस अधिकारी को प्राधिकृत करें। राज्य सरकारें उन ज़िलों, तहसीलों, गाँवों को चिन्हित करें जहाँ हाल ही में मॉब लिंचिंग की घटनाएँ हुई हैं।
  3. नोडल अधिकारी मॉब लिंचिंग से संबंधित ज़िला स्तर पर समन्वय के मुद्दों को राज्य के DGP के समक्ष प्रस्तुत करेगें।
  4. केंद्र तथा राज्य सरकारों को रेडियो, टेलीविज़न और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह प्रसारित कराना होगा कि किसी भी प्रकार की मॉब लिंचिंग एवं हिंसा की घटना में शामिल होने पर विधि के अनुसार कठोर दंड दिया जा सकता है।
  5. केंद्र और राज्य सरकारें, भीड़-भाड़ और हिंसा के गंभीर परिणामों के बारे में रेडियो, टेलीविजन और अन्य मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित करेंगी।
  6. राज्य पुलिस द्वारा किए गए उपायों के बावजूद, मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएँ होने पर संबंधित पुलिस स्टेशन तुरंत एफआईआर दर्ज करेगा।
  7. राज्य सरकारें मॉब लिंचिंग से प्रभावित व्यक्तियों के लिये क्षतिपूर्ति योजना प्रारंभ करेगी।
  8. यदि कोई पुलिस अधिकारी या जिला प्रशासन का कोई अधिकारी अपने कर्तव्य को पूरा करने में विफल रहता है, तो यह जानबूझकर की गई लापरवाही माना जाएगा।

समय की मांग:

  • हर बार ऑनर किलिंग, घृणा-अपराधों, डायन-हत्या अथवा मॉब लिंचिंग की घटनाओं के होने पर  इन अपराधों से निपटने के लिए विशेष कानून की मांग उठायी जाती हैं।
  • लेकिन, तथ्य यह है कि यह  अपराध हत्याओं के अलावा और कुछ नहीं हैं तथा IPC और सीआरपीसी (CrPC) के तहत मौजूदा प्रावधान ऐसे अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त हैं।
  • पूनावाला मामले में निर्धारित दिशा-निर्देशों के साथ, हम मॉब लिंचिंग से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम हैं। इन अपराधों से निपटने के लिए मौजूदा कानूनों और प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है।

 

इस सन्दर्भ में विभिन्न राज्यों द्वारा किये गए प्रयास:

  • मणिपुर सरकार द्वारा वर्ष 2018 में इस संदर्भ में कुछ तार्किक और प्रासंगिक उपबंधो को सम्मिलित करते हुए एक विधेयक पारित किया गया।
  • राजस्थान सरकार द्वारा अगस्त 2019 में लिंचिंग के खिलाफ एक विधेयक पारित किया गया।
  • पश्चिम बंगाल सरकार ने भी मॉब लिंचिंग के विरूद्ध कठोर प्रावधानों सहित एक विधेयक पेश किया।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘हेट स्पीच’ पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘रणनीति’ और ‘कार्य योजना’ जैसा कोई उपाय किया गया है? इस बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए

प्रीलिम्स लिंक:

  1. मॉब लिंचिंग के विरुद्ध किन राज्यों कानून पारित किये हैं?
  2. ’पूनावाला मामला’ क्या है?
  3. आईपीसी के तहत मॉब लिंचिंग के खिलाफ कौन से प्रावधान उपलब्ध हैं?

मेंस लिंक:

मॉब लिंचिंग भारत में एक अक्सर होने वाली घटना बन गई है जो धार्मिक और जातिगत अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हुए नफरत व हिंसा को बढ़ा रही है। इसके कारक- कारणों को समझाएं तथा  इससे निपटने के तरीके सुझाइए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययनIII


 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

फ्लेक्स ईंधन चालित वाहन


(Flex Fuel Vehicles)

संदर्भ:

हाल ही में, ‘इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन’ (ISMA) ने 20 फीसदी ‘एथेनॉल ब्लेंडिंग’ हासिल करने के लिए सरकार से ‘फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल्स’ (Flex-Fuel Vehicles – FFVs) को शीघ्र लॉन्च किए जाने की मांग की है।

‘फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल’ (FFVs) के बारे में:

FFV वाहनों का एक संशोधित प्रारूप है, जो विभिन्न स्तर के इथेनॉल मिश्रण सहित गैसोलीन और मिश्रित पेट्रोल दोनों पर चल सकते हैं।

  • ‘फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल’, सभी प्रकार के मिश्रित ईधनों का उपयोग करने और बिना मिश्रित ईंधन, दोनों पर चलने में सक्षम होंगे।
  • FFV में 84 प्रतिशत से अधिक इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल पर चलने में सक्षम इंजन लगा होता है।

लाभ:

  • ‘फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल’ (FFVs) का उद्देश्य प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना और हानिकारक उत्सर्जन को कम करना है।
  • वर्तमान में वैकल्पिक ईंधन, इथेनॉल, के कीमत 60-62 रुपये प्रति लीटर है, जबकि पेट्रोल की कीमत देश के कई हिस्सों में 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक है। अतः इसलिए इथेनॉल का उपयोग करने से भारतीयों को 30-35 रुपये प्रति लीटर की बचत होगी।
  • भारत में, FFVs का एक अन्य विशेष लाभ होगा, क्योंकि ये वाहनों को, देश के विभिन्न हिस्सों में उपलब्ध इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के विभिन्न मिश्रणों का उपयोग करने में सक्षम करेगा।
  • इसके अलावा, ये वाहन जनवरी 2003 में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम का तार्किक विस्तार हैं।
  • चूंकि भारत में मक्का, चीनी और गेहूं का उत्पादन अधिशेष मात्रा में होता है, इसलिए इथेनॉल कार्यक्रम के अनिवार्य सम्मिश्रण से किसानों को उच्च आय हासिल होने में मदद मिलेगी।
  • चूंकि, भारत में कच्चे तेल की 80 प्रतिशत से अधिक आवश्यकताओं को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है, अतः समग्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए, इथेनॉल का अधिक उपयोग से ऑटोमोबाइल ईंधन के आयात पर होने वाली लागत बचाने में मदद मिलेगी।

FFVs उपयोग करने के नुकसान/चुनौतियाँ:

  • ग्राहकों की स्वीकृति (Customer acceptance) एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि इन वाहनों को खरीदना और इनको चलाने की लागत, 100 प्रतिशत पेट्रोल वाहनों की तुलना में बहुत अधिक होने वाली है।
  • 100 प्रतिशत इथेनॉल (E100) के साथ वाहन चलाने पर, इसकी लागत (कम ईंधन दक्षता के कारण) 30 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी।
  • फ्लेक्स फ्यूल इंजन की कीमत अधिक होती है क्योंकि इथेनॉल में, पेट्रोल की तुलना में बहुत भिन्न रासायनिक गुण होते हैं। इथेनॉल का ऊष्मीय मान / Calorific value (40 प्रतिशत), गैसोलीन की तुलना में काफी कम, तथा वाष्पीकरण की ‘गुप्त ऊष्मा’ काफी उच्च होती है।
  • इथेनॉल, एक विलायक के रूप में भी कार्य करता है और इंजन के अंदर की सुरक्षात्मक तेल परत को नष्ट कर सकता है जिससे इंजन में टूट-फूट हो सकती है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप ‘सीटाइल अल्कोहल’ (cetyl-alcohol) के बारे में जानते हैं? संक्षेप में इसके उपयोगों के बारे में बताइये।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल’ (FFVs) के बारे में
  2. इथेनॉल क्या है?
  3. इथेनॉल सम्मिश्रण के बारे में

मेंस लिंक:

पारंपरिक ईंधन के साथ एथेनॉल सम्मिश्रण किए जाने वाले लाभों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप


संदर्भ:

पिछले साल के अंतिम महीनों में प्रक्षेपित किए जाने के बाद, नासा का क्रांतिकारी ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ (James Webb Space Telescope – JWST) आखिरकार अपने कई सुनहरे दर्पणों को सुदूर स्थित लक्ष्यों पर केंद्रित करने के लिए तैयार हो रहा है।

  • सबसे पहले, यह टेलिस्कोप हमारे अपने तारा मंडल के ‘प्रतिष्ठित गैसीय विशालकाय ग्रह बृहस्पति / ज्यूपिटर (Jupiter) का अवलोकन करगा।
  • ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ (JWST) बृहस्पति के चंद्रमाओं – आईओ और गेनीमेड- पर भी करीब से नज़र रखेगा। गेनीमेड (Ganymede) एकमात्र ऐसा ज्ञात चंद्रमा है जिसका अपना मैग्नेटोस्फीयर है।.

Current Affairs

 

‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ (JWST) के बारे में:

जेडब्लूएसटी, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA), यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) और केनेडियन अंतरिक्ष एजेंसी (Canadian Space Agency) का एक संयुक्त उपक्रम है।

  • ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’, अंतरिक्ष में परिक्रमा करती हुए एक अवरक्त वेधशाला (Infrared Observatory) है, जो लंबी तरंग दैर्ध्य कवरेज और बहुत बेहतर संवेदनशीलता के साथ ‘हबल स्पेस टेलिस्कोप’ (Hubble Space Telescope) के कार्यों में सहायक होगी तथा इसकी खोजों का विस्तार करेगी।
  • इससे पूर्व, जेडब्ल्यूएसटी (JWST) को एनजीएसटी (New Generation Space Telescope – NGST) के नाम से जाना जाता था, फिर वर्ष 2002 में इसका नाम बदलकर नासा के पूर्व प्रशासक ‘जेम्स वेब’ के नाम पर कर दिया गया|
  • यह 5 मीटर प्राथमिक दर्पण युक्त एक बड़ी अवरक्त दूरबीन होगी।

Current Affairs

 

दूरबीन के उद्देश्य और कार्य:

‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ (JWST) को बिग बैंग के पश्चात् बनने वाले प्रथम तारों और आकाशगंगाओं की खोज करने तथा तारों के चारों ओर के ग्रहों के परिवेश का अध्ययन करने संबंधी कार्य करने के उद्देश्य से निर्मित किया गया है|

  1. यह दूरबीन, ब्रह्मांड में गहराई से अवलोकन करेगी और ‘हबल स्पेस टेलीस्कोप’ के साथ कार्य करेगी।
  2. दूरबीन में 22 मीटर (टेनिस कोर्ट के आकार की) की लम्बाई वाले सौर-सुरक्षाकवच (Sunshield) और 5 मीटर चौड़ाई के दर्पण और इन्फ्रारेड क्षमताओं से लैस उपकरण लगे होंगे।
  3. वैज्ञानिकों को उम्मीद है, कि यह ‘सेट-अप’ ब्रह्मांड 5 अरब साल पहले घटित हुई बिग बैंग की घटना के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली प्रथम आकाशगंगाओं को भी देख सकने में सक्षम होगी।

Current Affairs

 

कक्षीय परिक्रमा:

  • ‘हबल स्पेस टेलीस्कॉप’ लगभग 570 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता है।
  • ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ वास्तव में पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करेगा, बल्कि यह 5 मिलियन किमी दूर पृथ्वी-सूर्य लेगरेंज़ बिंदु 2 (Earth-Sun Lagrange Point 2) पर स्थापित किया जाएगा।
  • लेगरेंज़ बिंदु 2 (Lagrange Point 2- L 2) पर ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ का सौर-कवच, सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा से आने वाले प्रकाश को अवरुद्ध कर देगा, जिससे दूरबीन को ठंडा रहने में मदद मिलगी। किसी ‘अवरक्त दूरबीन’ के लिए ठंडा रहना बहुत महत्वपूर्ण होता है।

इंस्टा जिज्ञासु:

हबल स्पेस टेलीस्कोप के बारे में जानने के लिए पढ़िए

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 गोलन हाइट्स

‘गोलन हाइट्स’ (Golan Heights) दक्षिण-पश्चिमी सीरिया में ‘इज़राइल और सीरिया’ के बीच की सीमा पर 1,800 किमी² के क्षेत्रफल में विस्तारित एक चट्टानी पठार है।

1967 के संघर्ष में इज़राइल ने गोलान हाइट्स को सीरिया से छीनकर लिया था और 1981 में अपने राज्य में शामिल कर लिया था। इज़राइल के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है।

गोलन हाइट्स पर अंतर्राष्ट्रीय मान्यता:

  • यूरोपीय संघ का कहना है, कि गोलन हाइट्स की स्थिति पर उसकी राय अभी तक अपरिवर्तित है, और यूरोपीय संघ ने इस क्षेत्र पर इजरायल की संप्रभुता को मान्यता नहीं दी है।
  • अरब लीग का कहना है कि इज़राइल का कदम “पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कानून के विरुद्ध है”। विदित हो कि, अरब लीग ने गृह युद्ध शुरू होने के बाद वर्ष 2011 में सीरिया को निलंबित कर दिया था।
  • मिस्र का कहना है कि वह अभी भी गोलन हाइट्स को इजराइल अधिकृत सीरियाई क्षेत्र के रूप में मानता है। मिस्र और इज़राइल के बीच वर्ष 1979 में शांति समझौता हुआ था।
  • भारत ने भी गोलान हाइट्स को इजराइल क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं दी है, और गोलान हाइट्स को सीरिया के लिए वापस करने की मांग की है।
  • 2019 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की थी, कि अमेरिका गोलान हाइट्स पर इजरायल की संप्रभुता को मान्यता दे सकता है।

 

तोलकाप्पियम

हाल ही में, शिक्षा राज्य मंत्री द्वारा तोलकाप्पियम (Tolkāppiyam) के हिंदी अनुवाद और शास्त्रीय तमिल साहित्य की 9 पुस्तकों के कन्नड़ अनुवाद का विमोचन किया गया।

  • तमिल साहित्य, संगम युग से संबंधित है, जिसका नाम कवियों की सभा (संगम) के नाम पर रखा गया है।
  • तोल्काप्पियम की रचना ‘तोल्काप्पियार’ द्वारा की गयी थी और इसे तमिल साहित्यिक कृतियों में सबसे प्रारंभिक माना जाता है।
  • हालांकि यह रचना तमिल व्याकरण से संबंधित है, किंतु यह उस समय की राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर भी अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है।
  • तमिल परंपरा में कुछ लोग, इस रचना को सहस्राब्दी ईसा पूर्व या उससे पहले के ‘पौराणिक दूसरे संगम’ में रखते हैं।

 

वर्नाक्युलर इनोवेशन प्रोग्राम

हाल ही में, अटल इनोवेशन मिशन (AIM)  द्वारा 22 मातृभाषाओं में नवोन्मेषकों, उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए वर्नाक्युलर इनोवेशन प्रोग्राम (Vernacular Innovation Program – VIP) शुरू किया गया है।

  • नीति आयोग के तहत, ‘अटल इनोवेशन मिशन’ का अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है, जो देश में नवोन्मेषकों और उद्यमियों को भारत सरकार की 22 अनुसूचित भाषाओं में नवाचार इको-सिस्टम तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाएगा।
  • कार्यान्वयन: VIP के लिए आवश्यक क्षमता निर्माण को लेकर, एआईएम 22 अनुसूचित भाषाओं में से प्रत्येक की पहचान के बाद एक वर्नाक्युलर टास्क फोर्स (VTF) को प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
  • यह कार्यक्रम भारतीय नवाचार तथा उद्यमिता इको-सिस्टम की यात्रा में एक कदम होगा जो युवा तथा महत्वाकांक्षी दिमागों में संज्ञानात्मक एवं डिजाइन से संबंधित सोच को मजबूत करेगा।
  • अटल इनोवेशन मिशन की यह अनूठी पहल, भाषा की बाधाओं को दूर करने और देश के सबसे दूर के क्षेत्रों में इनोवेटरों को सशक्त बनाने में मदद करेगी।

आवश्यकता:

2011 की जनगणना के अनुसार, केवल 10.4 प्रतिशत भारतीय ही अंग्रेजी बोलते हैं, जबकि ज्यादातर अपनी दूसरी, तीसरी या चौथी भाषा के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं।

  • केवल 02 प्रतिशत भारतीय ही अपनी पहली भाषा के रूप में अंग्रेजी बोलते हैं।
  • अटल इनोवेशन मिशन (AIM) का उद्देश्य किसी की भाषा और संस्कृति में सीखने की पहुंच प्रदान करके स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक नवाचार को बढ़ावा देना है।

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