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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
- जलियांवाला बाग हत्याकांड
- बिरसा मुंडा
- अल नीनो-दक्षिणी दोलन
सामान्य अध्ययन-II
- ‘स्वनिधि से समृद्धि’ कार्यक्रम
सामान्य अध्ययन-III
- इन-ट्रांस एई-II कार्यक्रम
- वैश्विक पवन रिपोर्ट 2022
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- UGC द्वारा छात्रों को फिजिकल मोड में एक साथ दो डिग्री करने की अनुमति
- राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान
- मैल्कम अदिशियाह पुरस्कार
- जूलियस न्येरेरे
सामान्य अध्ययन–I
विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।
जलियांवाला बाग हत्याकांड
(Jallianwala Bagh Massacre)
संदर्भ:
13 अप्रैल, 1919 को, ब्रिटिश सेना द्वारा जलियांवाला बाग में निहत्थे भारतीयों पर की गयी गोलीबारी में सैकड़ों लोग मारे गए थे।
13 अप्रैल, 2022 इस घटना के 103 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
घटना के बारे में:
- 13 अप्रैल, 1919 को ‘बैसाखी’ का दिन था और इस दिन अमृतसर के स्थानीय निवासियों द्वारा दो स्वतंत्रता सेनानियों ‘सत्यपाल’ और ‘सैफुद्दीन किचलू’ को कैद करने तथा ‘रौलट एक्ट’ को लागू करने के खिलाफ चर्चा और विरोध करने के लिए एक सभा आयोजित करने का फैसला किया गया था। ‘रौलट एक्ट’ के तहत ब्रिटिश सरकार को बिना किसी सुनवाई के गिरफ्तार करने की शक्ति दी गई थी।
- जलियांवाला बाग़ चारो और से दीवारों से घिरा था और इसमें आने-जाने के लिए मात्र कुछ छोटे-छोटे दरवाजे थे। अंग्रेजों के आदेश के खिलाफ, इस बाग़ में एकत्रित भीड़ में पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल थे।
- ब्रिगेडियर-जनरल रेजिनल्ड एडवर्ड हैरी डायर, एकत्रित भीड़ को सबक सिखाने के उद्देश्य से दबे पाँव बाग़ में पहुँच गया, और अपने साथ लाए 90 सैनिकों को, सभा के दौरान ही, भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया।
- भीड़ में कई लोगों ने दीवार फांद कर जान बचाने का असफल प्रयास किया, और कई लोग जान बचाने के लिए बाग़ के अंदर बने एक कुएं में कूद गए।
परिणाम:
- इस नरसंहार के बाद जनरल डायर को ‘अमृतसर का कसाई’ कहा गया और उसे कमांड से हटा कर वापस ब्रिटेन भेज दिया गया।
- इस घटना के प्रतिरोध में रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी ने क्रमशः ब्रिटिश नाइटहुड और ‘कैसर-ए-हिंद’ की अपनी उपाधियों को त्याग दिया।
- वर्ष 1922 में कुख्यात रोलेट एक्ट अंग्रेजों द्वारा निरस्त कर दिया गया।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि हाल ही में, गुजरात के ‘पाल-दढवाव नरसंहार’ (Pal-Dadhvav massacre) को 100 साल पूरे हो गए। गुजरात सरकार ने इसे “जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी बड़ा नरसंहार” बताया है।
प्रीलिम्स लिंक:
- इस घटना के दौरान भारत का वायसराय कौन था?
- घटना के परिणाम?
- रौलट एक्ट क्या है?
मेंस लिंक:
जलियांवाला बाग त्रासदी, ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर एक शर्मनाक निशान है। टिप्पणी कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।
बिरसा मुंडा
संदर्भ:
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा हाल ही में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी ‘बिरसा मुंडा’ (Birsa Munda) के जीवन पर लिखी एक किताब का विमोचन किया गया है।
- “बिरसा मुण्डा—जनजातीय नायक” नामक इस पुस्तक को गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति ‘प्रोफेसर आलोक चक्रवाल’ ने लिखा है।
- यह पुस्तक भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष और स्वतंत्रता आंदोलन में वनवासियों के योगदान को सामने लाने का एक व्यापक प्रयास है।
पुस्तक भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष और स्वतंत्रता आंदोलन में वनवासियों के योगदान को सामने लाने का एक व्यापक प्रयास है।
बिरसा मुंडा के बारे में:
बिसरा मुंडा एक लोक नायक और मुंडा जनजाति का एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे।
- उन्होंने 19 वीं शताब्दी में ब्रिटिश उपनिवेश के अधीन बिहार और झारखंड क्षेत्र में धार्मिक, सामाजिक, तथा राजनीतिक आंदोलन (Millenarian Movement) का नेतृत्व किया।
- इन्हें ‘धरती आबा‘ (Dharti Abba) या ‘जगत पिता’ के रूप में भी जाना जाता है।
बिरसाइत (Birsait)
उलगुलान के नेतृत्वकर्ता जननायक बिरसा मुंडा को झारखंड सहित छत्तीसगढ़ के लोग भगवान की तरह पूजते हैं। बिसरा मुंडा, आदिवासी समाज में सुधार करना चाहते थे और इसलिए उन्होंने लोगों से जादू टोने में विश्वास न करने और इसके बजाय प्रार्थना करने पर जोर दिया तथा शराब से दूर रहने, ईश्वर में विश्वास रखने और सही आचरण का पालन करने का आग्रह किया। इसी आधार पर उन्होंने बिरसा- धर्म की शुरुआत की और इस धर्म के अनुयायियों को ‘बिरसाइत’ (Birsait) कहा जाता है।
उपलब्धियां:
बिसरा मुंडा ने ‘उलगुलान‘ (Ulgulan) आंदोलन का आरंभ किया, इसे ‘महान विद्रोह’ (The Great Tumult) भी कहा जाता है।
आदिवासियों के शोषण और भेदभाव के खिलाफ उनका संघर्ष ब्रिटिश सरकार पर बहुत भारी पड़ा, और इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1908 में ‘छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम’ (Chotanagpur Tenancy Act) पारित किया गया, जिसके द्वारा आदिवासी लोगों से गैर-आदिवासियों के लिए भूमि के हस्तांतरण को प्रतिबंधित कर दिया गया।
मुंडा विद्रोह:
- यह सबसे महत्वपूर्ण जनजातीय आंदोलनों में से एक है।
- इस विद्रोह का नेतृत्व 1899-1900 में, रांची के दक्षिण में ‘बिरसा मुंडा’ ने किया था।
इस आंदोलन में मुंडा समुदाय के लोगों की दुर्दशा के लिए निम्नलिखित कारणों को चिह्नित किया गया था:
- अंग्रेजों की भूमि नीतियां, उनकी पारंपरिक भूमि व्यवस्था को नष्ट कर रही थीं।
- हिंदू जमींदार और साहूकार उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे थे।
- मिशनारियों द्वारा उनकी पारंपरिक संस्कृति की आलोचना की जा रही थी।
मुंडा विद्रोह का महत्व:
- इस विद्रोह ने औपनिवेशिक सरकार को एक कानून (छोटानागपुर किरायेदारी अधिनियम, 1908) बनाने और लागू करने पर विवश कर दिया, ताकि दिकू लोग (Dikus) आदिवासियों की भूमि आसानी से नहीं हथिया सकें।
- इस विद्रोह से पता चलता है, कि आदिवासी लोगों में अन्याय का विरोध करने और औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करने की क्षमता थी।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप विश्व के ‘अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस’ (International Day of the World’s Indigenous People) के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- बिरसा मुंडा का जन्म कहाँ हुआ था?
- उलगुलान क्या है?
- छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 का अवलोकन
मेंस लिंक:
बिरसा मुंडा और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके महत्वपूर्ण योगदान पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव।
एल नीनो
(El Niño)
संदर्भ:
निजी मौसम कंपनी ‘स्काईमेट’ के अनुसार, 2022 में दक्षिण-पश्चिम मानसून के “सामान्य” रहने की संभावना है, हालांकि अगस्त- दूसरे सबसे अधिक बारिश वाले महीने- में बारिश कम होने की संभावना है।
प्रमुख निष्कर्ष:
राजस्थान, गुजरात, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा राज्यों में पूरे मौसम में कम बारिश होने की संभावना है।
- पूर्वोत्तर राज्यों में आधार स्तर से उच्च वर्षा होने की संभावना है।
- दक्षिण, केरल और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में जुलाई और अगस्त के मुख्य मानसून महीनों में कम वर्षा होगी।
- दूसरी ओर, खरीफ फसल के प्रमुख क्षेत्र पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के वर्षा आधारित क्षेत्रों में “सामान्य से अधिक” वर्षा होगी।
‘सामान्य’ क्या है?
स्काईमेट के अनुसार, “सामान्य” (Normal) जून से लेकर सितंबर के बीच चार महीने के लिए 88 सेमी वर्षा के ऐतिहासिक औसत का 98% है।
‘अल-नीनो दक्षिणी दोलन (El Niño Southern Oscillation- ENSO)’ का प्रभाव:
‘अल नीनो’, जोकि मध्य प्रशांत क्षेत्र में अधिक तापमान होने और भारत में वर्षा से जुडी होती है- इस वर्ष घटित होने की संभावना नहीं है। इसके विपरीत, ‘ला नीना’ की परिघटना ने 2019 तथा 2020, दो सालो में सामान्य से अधिक और 2021 में “सामान्य” बारिश होने में मदद की थी।
‘अल नीनो’ और ‘ला नीना’ क्या हैं?
‘अल नीनो’ (El Niño) और ला नीना ‘(La Niña)’, उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में होने वाली दो प्राकृतिक जलवायु परिघटनाएं हैं, और ये संपूर्ण विश्व में मौसमी स्थितियों को प्रभावित करती हैं।
- ‘अल नीनो’ परिघटना के दौरान, ‘मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर’ में सतहीय तापमान में वृद्धि हो जाती है, और ‘ला नीना’ की स्थिति में, पूर्वी प्रशांत महासागर का सतहीय तापमान सामान्य से कम हो जाता है।
- संयुक्त रूप से इन दोनों परिघटनाओं को ‘ENSO’ या ‘अल-नीनो दक्षिणी दोलन’ (El Niño Southern Oscillation) कहा जाता है।
‘अल नीनो’ परिघटना की उत्पत्ति संबंधी कारण:
- अल नीनो की स्थिति, जलवायु प्रतिरूप (Climate Pattern) में कोई विसंगति होने पर निर्मित होती है।
- पश्चिम की ओर बहने वाली व्यापारिक हवाएं भूमध्य रेखा के समीप आने पर क्षीण हो जाती हैं और परिणामस्वरूप वायुदाब में परिवर्तन के कारण, सतही जल पूर्व दिशा में उत्तरी दक्षिण अमेरिका के तट की ओर बहने लगता है।
- मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागरीय क्षेत्रों में छह महीने से अधिक समय तक तापमान अधिक रहता है और इसके परिणामस्वरूप ‘अल नीनो’ की स्थिति पैदा हो जाती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन’ (National Supercomputing Mission– NSM) के अंतर्गत निर्मित सुपरकंप्यूटर ‘परम शिवाय’ के बारे में जानते हैं?
क्या आप मानसून को प्रभावित करने वाले ‘हिंद महासागरीय द्विध्रुव’ के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- अल-नीनो क्या है?
- ला-नीना क्या है?
- ENSO क्या है?
- ये परिघटनाएँ कब होती हैं?
- एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया पर ENSO का प्रभाव।
मेंस लिंक:
ला-नीना मौसमी परिघटना के भारत पर प्रभाव संबंधी चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन–II
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
‘स्वनिधि से समृद्धि’ कार्यक्रम
(‘SVANidhi se Samriddhi’ Program)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अतिरिक्त 126 शहरों में ‘स्वनिधि से समृद्धि’ कार्यक्रम (‘SVANidhi se Samriddhi’ Program) का शुभारंभ किया है ।
‘स्वनिधि से समृद्धि’ योजना के बारे में:
- ‘स्वनिधि से समृद्धि’, 4 जनवरी 2021 को शुरू की गयी ‘पीएम स्वनिधि’ (PM SVANidhi) की एक अतिरिक्त योजना है।
- इस कार्यक्रम को ‘आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय’ के तहत लॉन्च किया गया है।
कार्यान्वयन भागीदार: भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India – QCI)।
कार्यक्रम के पहले चरण के दौरान, इस योजना के तहत 125 शहरों को कवर किया गया था, जिसमें लगभग 35 लाख स्ट्रीट वेंडर और उनके परिवार शामिल थे।
उद्देश्य: रेहड़ी-पटरी वालों को उनके समग्र विकास और सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करना।
कार्यक्रम के तहत, भारत सरकार की 8 कल्याणकारी योजनाओं के लिए उनकी पात्रता का आकलन करने और पात्र योजनाओं की मंजूरी के लिए पीएमस्वानिधि लाभार्थियों और उनके परिवारों की सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइलिंग की जाती है।
इन आठ कल्याणकारी योजनाओं में शामिल है:
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना,
- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना,
- प्रधानमंत्री जन धन योजना,
- भवन और अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम (BOCW),
- प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना,
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) पोर्टेबिलिटी लाभ-एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (ONORC),
- जननी सुरक्षा योजना, और
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना।
पीएम स्वानिधि योजना:
यह 50 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स को 10,000 रु. तक का सस्ता ऋण प्रदान करने हेतु एक विशेष माइक्रो-क्रेडिट सुविधा योजना है। इसके अंतर्गत 24 मार्च को या उससे पहले कारोबार करने वाले रेहड़ी-पटरी वालों को ऋण प्रदान किया जायेगा।
- भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) इस योजना के कार्यान्वयन हेतु तकनीकी भागीदार है।
- सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) के माध्यम से ऋण प्रदाता संस्थानों को क्रेडिट गारंटी का प्रबंधन करेगा।
योजना के अंतर्गत ऋण:
- इस योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स 10 हजार रुपये तक की कार्यशील पूंजी ऋण ले सकते हैं जिसे एक वर्ष की अवधि में मासिक किश्तों में चुकाने होंगे।
- समय पर / जल्दी ऋण चुकाने पर 7 प्रतिशत की सालाना ब्याज सब्सिडी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में त्रिमासिक आधार पर जमा कर दी जाएगी।
- ऋण के शीघ्र पुनर्भुगतान पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।
पात्रता:
इस योजना के अंतर्गत शहरी / ग्रामीण क्षेत्रों के आस-पास सड़क पर माल बेचने वाले विक्रेताओं,सड़क किनारे ठेले या रेहड़ी-पटरी पर दुकान चलाने वाले, फल-सब्जी, लॉन्ड्री, सैलून, पान की दुकान तथा वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने वालों को ऋण प्रदान किया जायेगा।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘पीएम स्वनिधि’ (PM SVANidhi)
- आत्मानिर्भर भारत अभियान
- आर्थिक प्रोत्साहन- II
- विकास से संबंधित मुद्दे
- सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप
स्रोत: पीआईबी।
सामान्य अध्ययन–III
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
इन-ट्रांस एई-II कार्यक्रम
(InTranSE -II Program)
संदर्भ:
केंद्र सरकार द्वारा इंडियन सिटीज फेज-II कार्यक्रम के लिये ‘इंटेलीजेंट ट्रांस्पोर्ट सिस्टम्स’ प्रयास के तहत भारतीय यातायात परिदृश्य के लिए स्वदेशी ‘इंटेलीजेंट ट्रांस्पोर्ट सिस्टम्स’ (ITS) अर्थात ‘स्वदेशी कुशल यातायात प्रणाली’ समाधान का शुभारंभ किया गया है।
इन-ट्रांस एई-II (InTranSE -II) इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की एक पहल है।
हाल ही में शुरू किए गए समाधानों में शामिल हैं:
- ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम – ODAWS: इसमें चालक के नजदीक आने की निगरानी के लिये वाहन-आधारित सेंसर लगाने का प्रावधान है। साथ ही चालक की सहायता के लिये वाहन के आसपास सुनने और नजर आने वाले अलर्ट भी इसमें शामिल हैं।
- बस सिग्नल प्राथमिकता प्रणाली: बस सिग्नल प्रायोरिटी सिस्टम परिचालन रणनीति है, जो सामान्य यातायात सिग्नल संचालन को बेहतर बनाने के लिये है, ताकि सार्वजनिक वाहनों को सिग्नल द्वारा नियंत्रित चौराहों पर आराम से निकाला जा सके।
- कॉमन स्मार्ट आई-ओटी कनेक्टिव (Common SMart IoT Connectiv – CoSMiC) सॉफ़्टवेयर: यह मिडिलवेयर सॉफ्टवेयर है, जो वन-एम2एम आधारित वैश्विक मानक का पालन करते हुये आईओटी की तैनाती करता है। CoSMiC सॉफ़्टवेयर, एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) मानचित्र में IoT इकाइयों, उत्पादों, अनुप्रयोगों और इसके लाइव डेटा को दर्शाने वाला एक डैशबोर्ड पेज उपलब्ध कराता है।
InTranSe क्या है?
- ‘इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम एंडेवर’ (Intelligent Transportation System Endeavour – InTranSe)” भारतीय शहरों के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का सहयोगात्मक अनुसंधान और विकास कार्यक्रम है।
- यह कार्यक्रम संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग’ (DeitY), सं द्वारा वित्त पोषित है।
- उद्देश्य: InTranSe का उद्देश्य इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (ITS) से संबंधित उत्पादों और प्रौद्योगिकियों का विकास, प्रदर्शन, परिनियोजन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और व्यावसायीकरण करना है।
- कार्यक्रम का समग्र उद्देश्य, देश को इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (आईटीएस) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार बनने की क्षमता प्रदान करना है।
प्रीलिम्स लिंक:
- इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (आईटीएस)
- कॉमन स्मार्ट आईओटी कनेक्टिव (CoSMiC) सॉफ्टवेयर
- बस सिग्नल प्राथमिकता प्रणाली
- ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम
- InTranSE -II कार्यक्रम
मेंस लिंक:
InTranSE -II कार्यक्रम के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
वैश्विक पवन रिपोर्ट 2022
(Global Wind Report 2022)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘वैश्विक पवन ऊर्जा परिषद’ (Global Wind Energy Council – GWEC) द्वारा ‘वैश्विक पवन रिपोर्ट’ 2022 / ‘ग्लोबल विंड रिपोर्ट’ (Global Wind Report 2022) जारी की गयी है।
GWEC के बारे में:
2005 में स्थापित, ‘वैश्विक पवन ऊर्जा परिषद’ / ‘ग्लोबल विंड एनर्जी कौंसिल’ (GWEC) ‘पवन ऊर्जा उद्योग’ के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संघ’ है। यह परिषद् विश्व स्तर पर ‘उद्योग’ की संगठित आवाज का प्रतिनिधित्व करती है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए, प्रति वर्ष विश्व भर में पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों को इस दशक के भीतर, 2021 में स्थापित 94 GW की क्षमता को चौगुना करना होगा।
- आवश्यक प्रवर्धन के बिना, ग्लोबल वार्मिंग को पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित लक्ष्य अर्थात पूर्व-औद्योगिक स्तरों पर 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना और 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
- 2022 में नए अपतटीय प्रतिष्ठानों की स्थापना- मुख्य रूप से चीन में प्रतिष्ठानों की स्थापना कम होने के कारण- वर्ष 2019 – 2020 के स्तर तक कम होने की संभावना है।
- बाजार वृद्धि में वर्ष 2023 से पुनः गति पकड़ने की उम्मीद है, और यह अंततः 2026 में 30GW के निशान को पार कर जाएगी।
- अपतटीय पवन ऊर्जा उत्पादन, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के साथ-साथ निवेश पर प्रतिफल को भी बढ़ाता है।
विकास के लिए चुनौतियां:
- अल्पकालिक राजनीतिक उद्देश्यों पर केंद्रित असंगत नीतिगत वातावरण।
- खराब तरीके से डिजाइन किए गए बाजार, जिसकी वजह से बैंक को स्वीकार्य ‘अक्षय ऊर्जा परियोजनाएँ’ शुरू नहीं हो पाती हैं।
- अवसंरचना और पारेषण बाधाएं (Transmission Bottlenecks)।
- अक्षय प्रौद्योगिकियों से संबंधित पर्याप्त औद्योगिक और व्यापार नीतियों की कमी;तथा शत्रुतापूर्ण राजनीतिक या गलत सूचना अभियान।
भारत में संभावनाएं:
- 2021 में 1.4 GW से अधिक पवन उर्जा स्थापित की गयी थी, जोकि पिछले वर्ष के दौरान 1.1 GW की पवन उर्जा स्थापना से अधिक थी।
- केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने 2022 तक 5 गीगावॉट अपतटीय क्षमता और 2030 तक 30 गीगावॉट स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। भारत ने अभी तक अपनी अपतटीय पवन ऊर्जा सुविधा विकसित नहीं की है।
- भारत अपनी 7,600 किमी की तटरेखा के साथ 127 GW अपतटीय पवन ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
समय की मांग:
- सरकारों को नियोजन संबंधी बाधाओं और ग्रिड कनेक्शन चुनौतियों जैसे मुद्दों से निपटने की आवश्यकता है।
- पवन आधारित उत्पादन क्षमता में वृद्धि को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए, नीति निर्माताओं को भूमि आवंटन और ग्रिड कनेक्शन परियोजनाओं सहित परमिट प्रदान करने की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने पर ध्यान देना चाहिए।
- बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा के नियोजन हेतु ‘कार्यबल की योजना’ मुख्य नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिए और ‘ग्रिड संबंधी परियोजनाओं’ में निवेश 2030 तक मौजूदा स्तर से तिगुना होना चाहिए।
- ऊर्जा तंत्र में वार्षिक संक्रमण-संबंधी निवेश, 2019 के स्तर से 2.7 गुना बढ़कर 2030 तक 5.69 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष किया जाना चाहिए।
- “पवन आपूर्ति श्रृंखला की नई भू-राजनीति” का सामना करने के लिए अधिक से अधिक सार्वजनिक-निजी सहयोग की भी आवश्यकता है।
- वस्तुओं और महत्वपूर्ण खनिजों के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दूर करने के लिए एक मजबूत ‘अंतरराष्ट्रीय नियामक ढांचे’ की आवश्यकता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
- भारत में, सबसे अधिक पवन ऊर्जा क्षमता गुजरात राज्य में है, इसके बाद राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश का स्थान है।
- भारत में वर्तमान में 39.25 GW की कुल स्थापित क्षमता के साथ दुनिया में चौथी सबसे अधिक पवन उर्जा क्षमता है।
- तमिलनाडु राज्य, लगभग 9,000 मेगावाट प्रति वर्ष के वार्षिक पवन ऊर्जा उत्पादन के साथ सूची में सबसे ऊपर है; इसके बाद गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान का स्थान है।
प्रीलिम्स लिंक:
- वैश्विक पवन ऊर्जा परिषद’ (GWEC) के बारे में
- वैश्विक पवन रिपोर्ट 2022
- प्रमुख बिंदु
- भारत में पवन ऊर्जा
मेंस लिंक:
भारत के लिए पवन ऊर्जा के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: डाउन टू अर्थ।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
UGC द्वारा छात्रों को फिजिकल मोड में एक साथ दो डिग्री करने की अनुमति
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission – UGC) ने पहली बार छात्रों को एक ही विश्वविद्यालय या विभिन्न विश्वविद्यालयों से फिजिकल मोड में दो पूर्णकालिक और समान स्तर के डिग्री कार्यक्रमों को एक साथ करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
- यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जितना संभव हो उतना लचीलापन प्रदान करना है ताकि छात्र बहु-विषयक शिक्षा प्राप्त कर सकें।
- भारत का ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’, ‘यूजीसी अधिनियम’, 1956 के प्रावधानों के तहत एक वैधानिक निकाय है।
- ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’, उच्च शिक्षा के मानकों के समन्वय, निर्धारण और निगरानी के लिए जिम्मेदार है।
- यह भारत में विश्वविद्यालयों को मान्यता प्रदान करता है, और मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को धन वितरित करता है।
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान
(Rashtriya Gram Swaraj Abhiyan – RGSA)
‘आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति’ द्वारा, हाल ही में, 2025-26 तक ‘पंचायती राज संस्थाओं’ की शासन संबंधी क्षमताओं को विकसित करने के लिए संशोधित केंद्र प्रायोजित योजना- ‘राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान’ (Rashtriya Gram Swaraj Abhiyan – RGSA) को जारी रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है।
- इस अभियान की शुरुआत 2018-19 में हुई थी।
- इस योजना के तहत ‘गरीबी मुक्त और आजीविका के संसाधनों में वृद्धि वाले गांव, स्वस्थ गांव, बच्चों के अनुकूल गांव, स्वच्छ और हरित गांव, गांव में आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा, सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव, सुशासन वाला गांव, और गांव में महिला-पुरुष समानता आधारित विकास को मुख्य रूप से प्राथमिकता दी जाएगी।
मैल्कम अदिशियाह पुरस्कार
(Malcolm Adiseshiah Award)
प्रख्यात भारतीय अर्थशास्त्री और राजनीतिक टिप्पणीकार प्रभात पटनायक को इस वर्ष ‘मैल्कम अदिशियाह पुरस्कार’ (Malcolm Adiseshiah Award) के प्राप्तकर्ता के रूप में नामित किया गया है।
- यह पुरस्कार ‘मैल्कम और एलिजाबेथ अदिशियाह ट्रस्ट’ द्वारा प्रतिवर्ष ‘विकास अध्ययन में विशिष्ट योगदान’ के लिए एक उत्कृष्ट सामाजिक वैज्ञानिक को दिया जाता है।
- मैल्कम सथियानाथन अदिशियाह (1910 – 1994), एक भारतीय विकास अर्थशास्त्री और शिक्षक थे। 1976 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
जूलियस न्येरेरे
(Julius Nyerere)
- पीएम मोदी ने, हाल ही में, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति ‘जूलियस कम्बरागे न्येरेरे’ को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि प्रदान की।
- 13 अप्रैल, 1922 को जन्मे ‘जूलियस न्येरेरे’ तंजानिया के उपनिवेश-विरोधी कार्यकर्ता थे।
- उन्होंने 1964 से 1985 तक तंजानिया के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
- वैचारिक रूप से, उन्होंने ‘उजामा’ (Ujamaa) नामक एक राजनीतिक दर्शन को बढ़ावा दिया।
‘उजामा विचारधारा’ में सांप्रदायिक जीवन और भाईचारे की प्रथाओं पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है। हालांकि तंजानिया का एक स्वतंत्र अर्थव्यवस्था बनना जरूरी था, अतः उजामा की स्थानीय प्रथाओं ने समुदायों पर निर्भरता को बढ़ावा दिया। उजामा विचारधारा के अनुसार समाज का सबसे महत्वपूर्ण अंग ‘समुदाय’ होता है।
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