[ad_1]
विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
1. गुरु नाभा दास
सामान्य अध्ययन-II
1. प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना
2. संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार
3. संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक
सामान्य अध्ययन-III
1. कोयला गैसीकरण
2. संवर्धित चावल
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. हर गोबिंद खुराना
2. शतअरबपति / सेंटीबिलियनेयर क्लब
3. स्थायी जमा सुविधा
4. सीमा दर्शन परियोजना
5. पाम संडे / खजूर रविवार
सामान्य अध्ययन–I
विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।
गुरु नाभा दास
(Guru Nabha Dass)
संदर्भ:
हाल ही में, पंजाब सरकार द्वारा 16वीं सदी के संत गुरु नाभा दास (Guru Nabha Dass) की जयंती पर ‘राजपत्रित अवकाश’ की घोषणा की गयी है।
‘गुरु नाभा दास’ के बारे में:
- ‘गुरु नाभा दास’ का जन्म 8 अप्रैल, 1537 को वर्तमान तेलंगाना के खम्मम जिले में गोदावरी नदी के तट पर भद्राचलम गांव में हुआ था।
- धार्मिक गुरु – अग्रदास और कील दास।
- इनका ताल्लुक ‘महाशा’ (Mahasha) समुदाय से था, जिसे डोम या डुमना समुदाय के रूप में भी जाना जाता है। यह वर्तमान के अनुसूचित जाति समुदायों में से एक है।
- इस समुदाय के लोगों को नाभादसिया के नाम से भी जाना जाता है। वे बांस से टोकरी और अनाज भंडार करने के कंटेनर बनाने के लिए जाने जाते हैं।
रचनाएँ:
गुरु नाभादास की तीन कृतियाँ उपलब्ध हैं – ‘भक्तमाल’, ‘अष्टयाम’, ‘रामभक्ति संबंधी स्फुट पद’।
- ‘भक्तमाल’ की रचना अनुमानतः 1585 में की गयी थी और इसमें लगभग दो सौ भक्तों का चरित्रगान है।
- ‘अष्टयाम’ ब्रजभाषा गद्य और पद्य दोनों में पृथक्-पृथक् उपलब्ध है।
- ‘राम संबधी स्फुट पदों’ का उल्लेख शोध रिपोर्टों में मिलता है।
पंजाब से संबंध:
- ‘गुरु नाभा दास’ प्रायः गुरदासपुर जिले के गांव पंडोरी में आते-जाते रहते थे। इस गाँव में मुख्यतः डोम समुदाय के लोग रहते हैं।
- इस समुदाय के कुछ गुरु भी इसी गाँव में निवास किया करते थे।
- पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और जम्मू में भी इस समुदाय की एक बड़ी आबादी निवास करती है।
- गुरु नाभा दास के निर्देश पर इन राज्यों में ‘कुल्लू दशहरा’ नामक त्यौहार एक सप्ताह तक मनाया जाता है।
‘महाशा समुदाय’ के करीब 30 लाख लोग पंजाब में निवास करते हैं, जिनमें से एक लाख की आबादी केवल पठानकोट में ही रहती है।
प्रीलिम्स लिंक:
- कुल्लू दशहरा
- गुरु नाभा दास
- भक्तमाल
मेंस लिंक:
गुरु नाभा दास पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन–II
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना
(Pradhan Mantri Dakshta Aur Kushalta Sampann Hitgrahi (PM-DAKSH) Yojana)
संदर्भ:
युवाओं को अपने शैक्षिक पिछड़ेपन के कारण, अल्पकालिक कौशल पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद भी अच्छे मेहनताने के साथ रोजगार प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।
इस पृष्ठभूमि में, सरकार ने ‘प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना’ (Pradhan Mantri Dakshta Aur Kushalta Sampann Hitgrahi (PM-DAKSH) Yojana) की आवश्यकता और महत्व पर प्रकाश डाला है।
योजना के बारे में:
- पीएम-दक्ष योजना का क्रियान्वयन ‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय’ द्वारा वर्ष 2020-21 से किया जा रहा है।
- इस योजना के तहत पात्र लक्षित समूह को ‘अप-स्किलिंग/री-स्किलिंग’, ‘अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम’, दीर्घकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम और उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) के जरिये ‘कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम’ उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
- ये प्रशिक्षण कार्यक्रम सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा गठित क्षेत्रीय कौशल परिषदों और अन्य प्रामाणिक संस्थानों के माध्यम से कार्यान्वित किए जा रहे हैं।
पात्रता: अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों, गैर-अधिसूचित / विमुक्त जनजातियां, कचरा बीनने वाले, हाथ से मैला ढोने वाले, ट्रांसजेंडर और अन्य समान श्रेणियों के स्वच्छता कार्यकर्ता।
योजना का महत्व और आवश्यकता:
- लक्षित समूहों के अधिकांश व्यक्तियों के पास आर्थिक संपत्ति न्यूनतम होती है; अतःत हाशिए पर रहने वाले इन लक्षित समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण / उत्थान के लिए प्रशिक्षण का प्रावधान और उनकी दक्षताओं को बढ़ाना आवश्यक है।
- लक्षित समूह के कई व्यक्ति ग्रामीण कारीगरों की श्रेणी से संबंधित हैं, जो बाजार में बेहतर तकनीकों के आने के कारण हाशिए पर चले गए हैं।
- लक्षित समूहों में ‘महिलाओं’ को सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है, जो अपनी समग्र घरेलू मजबूरियों के कारण, मजदूरी रोजगार में शामिल नहीं हो सकती हैं, क्योंकि इसमें आम तौर पर लंबे समय तक काम करने की जरूरत होती है और कभी-कभी दूसरे शहरों में प्रवास करना पड़ता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- पात्रता।
- प्रमुख विशेषताएं।
- योजना के लाभ।
मेंस लिंक:
पीएम दक्ष योजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार
(UN Reforms)
संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधारों – विशेष रूप से सुरक्षा परिषद की भूमिका- को लेकर लंबे समय से चल रही बहस अचानक तीव्र हो गई है। सुरक्षा परिषद के बारे में कहा जा रहा है, कि यह आज की दुनिया का प्रतिनिधित्व नहीं करती है और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को रोकने में विफल रही है।
हाल ही में, यूक्रेन के राष्ट्रपति ‘वलोडिमिर ज़ेलेंस्की’ ने संयुक्त राष्ट्र से रूस को सुरक्षा परिषद से बाहर करने के लिए एक कटु स्वर में मांग की है और स्पष्ट रूप से पूछा, “क्या आप संयुक्त राष्ट्र को बंद करने और और अंतरराष्ट्रीय कानून का परित्याग करने के लिए तैयार हैं”। “यदि आपका जबाब ‘नहीं’ है, तो आपको तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता है।”
संबंधित प्रकरण:
वीटो शक्तियां: संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘सुरक्षा परिषद’ के पांच स्थायी, वीटो-धारक सदस्यों को तारतम्यहीन शक्ति प्रदान की गयी है। इस प्रकार की शक्ति, इन सदस्यों को अपने हितों की रक्षा करने तथा अन्य वैश्विक मामलों में कड़ा रूख अपनाने की सहूलियत प्रदान करती है।
- इस प्रकार, 2011 के बाद से, मास्को ने अपने सहयोगी देश ‘सीरिया’ पर किए जाने वाले मतदानों में लगभग 15 बार सुरक्षा परिषद के वीटो पॉवर (VETO POWER) का प्रयोग किया है।
- ‘वीटो पॉवर’ इस बात की गारंटी प्रदान करती है कि ‘स्थायी सदस्यों’ को सुरक्षा परिषद से कभी नहीं हटाया जा सकता है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुच्छेद 6 में प्रवधान किया गया है, कि किसी सदस्य को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘सुरक्षा परिषद’ की सिफारिश पर ही ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ से बाहर किया जा सकता है।
- सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच अंतरराष्ट्रीय संतुलन की कमी: ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ में किसी भी अफ्रीकी या लैटिन अमेरिकी देश को ‘स्थायी सीट’ नहीं दी गयी है।
सुझाए गए सुधार:
- सुरक्षा परिषद का विस्तार: सुरक्षा परिषद में ‘स्थायी’ और ‘अस्थायी’ दोनों सदस्यों को अधिक संख्या में शामिल किया जाना चाहिए।
- ‘वीटो पॉवर’ के प्रयोग को अधिक अनुशासित होना चाहिए: इसका उद्देश्य “प्रगति को अवरुद्ध करने के लिए” नहीं होना चाहिए, बल्कि “पांचो स्थायी सदस्यों को एक साथ बैठने और सभी के लिए स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए बाध्य करना” होना चाहिए।
- “सामूहिक अपराधों” के मामलों में वीटो के प्रयोग को सीमित किया जाना चाहिए।
- स्पष्टीकरण: किसी भी राष्ट्र द्वारा ‘वीटो’ का प्रयोग किए जाने पर, महासभा के समक्ष इसका कारण स्पष्ट किया जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर:
संयुक्त राष्ट्र चार्टर (UN Charter) पर 26 जून, 1945 को सैन फ्रांसिस्को में हस्ताक्षर किए गए और यह 24 अक्टूबर, 1945 को लागू हुआ था।
- यह संयुक्त राष्ट्र की ‘आधारभूत संधि’ है।
- उद्देश्य: भविष्य की पीढ़ियों को युद्ध के संकट से बचाने के साधन के रूप में सर्वोपरि के रूप में परिकल्पित ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर’ में संयुक्त राष्ट्र संघ को, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने; सामाजिक प्रगति और जीवन के बेहतर मानकों को बढ़ावा देने; अंतरराष्ट्रीय कानून को मजबूत करने; और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए कहा गया है।
- एक चार्टर के रूप में, यह एक निर्वाचक संधि (Constituent Treaty) है और सभी सदस्य इसके अनुच्छेदों से बंधे हुए हैं। चार्टर के अनुच्छेद 103 में कहा गया है, कि संयुक्त राष्ट्र के प्रति दायित्व- अन्य सभी संधियों से संबंधित दायित्वों पर प्रबल होते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के चार प्रमुख लक्ष्य:
- अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना।
- राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना।
- अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना।
- इन सामान्य लक्ष्यों की प्राप्ति में राष्ट्रों के कार्यों में सामंजस्य स्थापित करने के केंद्र में होना।
पिछले 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों और विफलताओं के बारे में जानकारी हेतु पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रमुख बिंदु
- यह कब से लागू हुआ?
- संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंग
- मौन प्रक्रिया (Silence process) का अर्थ
- फाइव आईज
स्रोत: द हिंदू।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक
(UN peacekeepers)
संदर्भ:
कनाडा और सहयोगी देश, यूक्रेन में ‘शांति स्थापना मिशन’ के लिए, चीन को शामिल करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्यों के बीच सहयोग करने हेतु मिलकर काम करने की योजना बना रहे हैं।
समय की मांग:
रूस के आक्रमण का विरोध करने वाले देशों को ‘मानवीय गलियारों’ को खुला रखने के लक्ष्य के साथ यूक्रेन में एक शांति मिशन के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा से सिफारिश लेनी होगी।
संयुक्त राष्ट्र शांति सुरक्षा अभियानों का वित्त पोषण:
- यद्यपि, शांति सुरक्षा अभियानों को शुरू करने, जारी रखने या विस्तार करने के बारे में निर्णय, सुरक्षा परिषद द्वारा लिए जाते हैं, किंतु इन संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों का वित्तपोषण, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों की सामूहिक जिम्मेदारी होती है।
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 17 के प्रावधानों के अनुसार, प्रत्येक सदस्य राष्ट्र शांति अभियानों के लिए निर्धारित राशि का भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है।
वर्ष 2020-2021 के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों हेतु आकलन किए गए योगदान के शीर्ष 5 प्रदाता देश निम्नलिखित हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका (27.89%)
- चीन (15.21%)
- जापान (8.56%)
- जर्मनी (6.09%)
- यूनाइटेड किंगडम (5.79%)
‘शांति अभियान’ क्या है?
- संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान (UN Peacekeeping), ‘डिपार्टमेंट ऑफ़ पीस ऑपरेशन’ तथा ‘डिपार्टमेंट ऑफ़ ऑपरेशनल सपोर्ट’ का एक संयुक्त प्रयास है।
- प्रत्येक ‘शांति सुरक्षा अभियान’ को ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ द्वारा मंजूरी प्रदान की जाती है।
संरचना:
- संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षकों में सैनिक, पुलिस अधिकारी और नागरिक कर्मी सम्मिलित हो सकते हैं।
- सदस्य देशों द्वारा स्वैच्छिक आधार पर शांति सैनिको का योगदान दिया जाता है।
- शांति अभियानों के नागरिक कर्मचारी, अंतर्राष्ट्रीय सिविल सेवक होते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र सचिवालय द्वारा भर्ती और तैनात किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान तीन बुनियादी सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होते है:
- पक्षकारों की सहमति
- निष्पक्षता
- अधिदेश की सुरक्षा और आत्मरक्षा के अलावा बल प्रयोग नहीं किया जाएगा।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि 2007 में, भारत, संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में ‘महिला दल’ को तैनात करने वाला पहला देश था? वर्तमान में जारी 13 शांति अभियानों के बारे में जानिए।
प्रीलिम्स लिंक:
- शांति अभियानों का वित्त पोषण किसके द्वारा किया जाता है?
- UNSC की भूमिका
- शांतिरक्षकों की संरचना?
- शांति सैनिकों को ब्लू हेल्मेट क्यों कहा जाता है?
- संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के मार्गदर्शक सिद्धांत
- वर्तमान में जारी शांति अभियान
मेंस लिंक:
संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान और उसके महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन–III
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
कोयला गैसीकरण
(Coal Gasification)
संदर्भ:
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (JSPL) द्वारा छत्तीसगढ़ में स्थित अपने रायगढ़ संयंत्र में एक कोयला गैसीकरण (Coal Gasification) संयंत्र स्थापित करने की योजना है। यह इस प्रकार का देश में दूसरा संयंत्र होगा।
महत्व:
भारत 2030 तक बिजली संयंत्रों में कोयले की खपत को आधा करने और इसके समग्र कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘कोयला गैसीकरण’ को भट्टियों में जीवाश्म ईंधन को जलाने का एक हरित विकल्प माना जाता है।
‘कोयला गैसीकरण’ क्या है?
- कोयला गैसीकरण (Coal Gasification) कोयले को संश्लेषित गैस (Synthesis Gas), जिसे सिनगैस (syngas) भी कहा जाता है, में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है।
- इस प्रक्रिया में कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोजन (H2), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), प्राकृतिक गैस (CH4), और जल वाष्प (H2O) के मिश्रण से सिनगैस का निर्माण लिया जाता है।
- गैसीकरण के दौरान, कोयले को उच्च दबाव पर गर्म करते हुए ऑक्सीजन तथा भाप के साथ मिश्रित किया जाता है।
- इस अभिक्रिया के दौरान, ऑक्सीजन और जल के अणु कोयले का ऑक्सीकरण करते हैं और सिनगैस का निर्माण करते हैं।
गैसीकरण के लाभ:
- गैस का परिवहन, कोयले के परिवहन की तुलना में बहुत सस्ता होता है।
- स्थानीय प्रदूषण समस्याओं का समाधान करने में सहायक होता है।
- पारंपरिक कोयला दहन की तुलना में अधिक दक्ष होती है क्योंकि इसमें गैसों का प्रभावी ढंग से दो बार उपयोग किया जा सकता है: कोयला गैसें पहले अशुद्धियों को साफ करती है और विद्युत् उत्पादन हेतु टरबाइन में इनका उपयोग किया जाता है। गैस टरबाइन से उत्सर्जित होने वाली ऊष्मा का उपयोग ‘भाप टरबाइन-जनरेटर’ में भाप उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।
चिंताएँ और चुनौतियाँ:
- कोयला गैसीकरण ऊर्जा उत्पादन के अधिक जल-गहन रूपों में से एक है।
- कोयला गैसीकरण से जल संदूषण, भूमि-धसान तथा अपशिष्ट जल के सुरक्षित निपटान आदि के बारे मे चिंताएं उत्पन्न होती हैं।
भारत की कोयले पर निर्भरता:
भारत वर्तमान में, कोयले का दूसरा सबसे बड़ा आयातक, उपभोक्ता और उत्पादक देश है, और इसके पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार है।
कोयला क्षेत्र में हालिया सुधार:
- कोयले के वाणिज्यिक खनन को अनुमति प्रदान की गयी है, जिसके तहत निजी क्षेत्र को 50 ब्लॉक की पेशकश की जाएगी।
- बिजली संयंत्रों को ” प्रक्षालित / धुला हुआ” कोयले का उपयोग करने की अनिवार्यता संबंधी विनियमन को हटा कर ‘प्रवेश मानदंडों’ को उदार बनाया जाएगा।
- निजी कंपनियों को निश्चित लागत के स्थान पर राजस्व बंटवारे के आधार पर कोयला ब्लॉकों की पेशकश की जाएगी।
- कोल इंडिया की कोयला खदानों से ‘कोल बेड मीथेन’ (CBM) निष्कर्षण अधिकार नीलाम किए जाएंगे।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने ‘राष्ट्रीय कोयला सूचकांक’ के बारे में सुना है? यह उपयोगी क्यों है? इस बारे में जानकारी हेतु पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- कोयला गैसीकरण क्या है?
- प्रक्रिया
- उपोत्पाद (Byproducts)
- गैसीकरण के लाभ?
- भूमिगत कोयला गैसीकरण क्या है?
- कोयला द्रवीकरण क्या है?
- द्रवीकरण के लाभ
मेंस लिंक:
कोयला गैसीकरण एवं द्रवीकरण पर एक टिप्पणी लिखिए, तथा इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस।
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।
संवर्धित चावल
(Fortified rice)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सरकारी कार्यक्रमों के तहत ‘संवर्धित / फोर्टिफाइड चावल’ (Fortified rice) वितरित करने की योजना को मंजूरी प्रदान कर दी गयी है।
इस संबंध में सरकार के प्रयास:
- भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियों ने आपूर्ति और वितरण के लिए पहले ही 88.65 एलएमटी (लाख टन) संवर्धित चावल की खरीद की जा चुकी है।
- वर्ष 2019 में, केंद्र सरकार द्वारा 2019-2020 से लेकर आगामी तीन साल की अवधि के लिए चावल के फोर्टिफिकेशन के लिए केंद्र प्रायोजित पायलट योजना को मंजूरी दी गयी थी। यह योजना विभिन्न राज्यों के 15 जिलों में लागू की जा रही है।
- वर्ष 2020 में, स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए वर्ष 2024 तक हर सरकारी कार्यक्रम के तहत उपलब्ध कराए गए चावल को ‘संवर्धित’ किए जाने की घोषणा की थी।
- सरकार द्वारा पिछले साल ‘एकीकृत बाल विकास योजना’ (अब सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 0) के तहत आंगनवाड़ियों में, तथा स्कूलों में लागू ‘मध्याह्न भोजन योजना’ (पीएम पोषण) के तहत ‘संवर्धित चावल’ के वितरण में तेजी लाई गयी है।
चिंताएं:
- सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हालांकि कुपोषण से लड़ने के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में चावल-संवर्धन पर चिंता जताई है और कहा है, कि इसकी अपेक्षा आहार का विविधीकरण किया जाना अधिक महत्वपूर्ण होगा।
- कई विशेषज्ञों का यह भी तर्क है, कि लौह तत्व से संवर्धित चावल तथा आयरन की खुराक प्रदान करने वाली अन्य सरकारी योजनाओं के अंतर्गत दी जाने वाली आयरन पोषक तत्व की अत्यधिक मात्रा से मधुमेह, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल का खतरा हो सकता है।
‘चावल संवर्धन’ (Rice fortification) की आवश्यकता:
- चूंकि, देश में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण का स्तर काफी अधिक है, इसे देखते हुए यह घोषणा काफी महत्वपूर्ण है।
- खाद्य मंत्रालय के अनुसार, देश में हर दूसरी महिला रक्ताल्पता से पीड़ित (anemic) है और हर तीसरा बच्चा अविकसित या नाटेपन का शिकार है।
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI), भारत, 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर है और इसे भुखमरी से संबंधित ‘गंभीर श्रेणी’ में रखा गया है।
- गरीब महिलाओं और गरीब बच्चों में कुपोषण और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, उनके विकास में बड़ी बाधा है।
‘खाद्य-संवर्धन’ / ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के द्वारा, किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने हेतु उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अर्थात् विटामिन और खनिज तत्वों की मात्रा में वृद्धि की जाती है।
देश में खाद्य पदार्थों के लिए मानकों का निर्धारण करने वाली संस्था ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण’ (Food Safety and Standards Authority of India – FSSAI) के अनुसार, ‘खाद्य-संवर्धन’ (Food Fortification), ‘किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने के लिए उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अर्थात् विटामिन और खनिज तत्वों, की मात्रा में वृद्धि करने की प्रकिया होती है।
- इसका उद्देश्य आपूर्ति किए जाने वाले खाद्यान्न की पोषण गुणवत्ता में सुधार करना तथा न्यूनतम जोखिम के साथ उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना है।
- यह आहार में सुधार और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का निवारण करने हेतु एक सिद्ध, सुरक्षित और लागत प्रभावी रणनीति है।
संवर्धित चावल (Fortified rice):
खाद्य मंत्रालय के अनुसार, आहार में विटामिन और खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिए चावल का संवर्धन (fortification) किया जाना एक लागत प्रभावी और पूरक रणनीति है।
- FSSAI द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार, 1 किलो संवर्धित चावल में आयरन (28 mg-42.5 mg), फोलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम) और विटामिन B-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम) होगा।
- इसके अलावा, चावल को सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ, एकल या संयोजन में, जस्ता (10 मिलीग्राम -15 मिलीग्राम), विटामिन A (500-750 माइक्रोग्राम आरई), विटामिन बी-1 (1 मिलीग्राम-5 मिलीग्राम), विटामिन बी-2 (1.25 mg-1.75 mg), विटामिन B3 (12.5 mg-20 mg) और विटामिन B6 (1.5 mg-2.5 mg) प्रति किग्रा के साथ भी संवर्धित किया जाएगा।
‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के लाभ:
चूंकि, ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के तहत व्यापक रूप से सेवन किए जाने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की वृद्धि की जाती है, अतः आबादी के एक बड़े भाग के स्वास्थ्य में सुधार करने हेतु यह एक उत्कृष्ट तरीका है।
- ‘फोर्टिफिकेशन’ व्यक्तियों के पोषण में सुधार करने का एक सुरक्षित तरीका है और भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों को मिलाए जाने से लोगों के स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं होता है।
- इस पद्धति में लोगों की खान-पान की आदतों और पैटर्न में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है, और यह लोगों तक पोषक तत्व पहुंचाने का सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य तरीका है।
- ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ से भोजन की विशेषताओं-स्वाद, अनुभव, स्वरूप में कोई बदलाव नहीं होता है।
- इसे जल्दी से लागू किया जा सकता है और साथ ही अपेक्षाकृत कम समय में स्वास्थ्य में सुधार के परिणाम भी दिखा सकते हैं।
- यदि मौजूदा तकनीक और वितरण प्लेटफॉर्म का लाभ उठाया जाता है तो यह काफी लागत प्रभावी विधि साबित हो सकती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
जैव संवर्धन (Biofortification) क्या होता है? यह ‘फोर्टिफिकेशन’ से किस प्रकार भिन्न होता है?
प्रीलिम्स लिंक:
- जैव फोर्टिफिकेशन बनाम आनुवंशिक परिवर्तन
- सूक्ष्म पोषक बनाम वृहद पोषक तत्व
- भारत में जैव उर्वरक और जीएम फसलों के लिए स्वीकृति
- भारत में अनुमति प्राप्त जीएम फसलें
मेंस लिंक:
किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने से आप क्या समझते हैं? इसके फायदों के बारे में चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
हर गोबिंद खुराना
वर्ष 2022 में नोबेल पुरस्कार विजेता रसायनज्ञ ‘हर गोबिंद खुराना’ (Har Gobind Khorana) का 100वां जन्मदिन है।
जन्म: 9 जनवरी, 1922, रायपुर, भारत (अब रायपुर, पाकिस्तान)।
अनुसंधान और योगदान:
- उन्होंने सर अलेक्जेंडर टॉड के तहत कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1951) में एक फेलोशिप के दौरान न्यूक्लिक एसिड पर शोध शुरू किया।
- उन्होंने 1970 में अपनी टीम की सहायता से ‘खमीर के जीन’ (yeast gene) की पहली कृत्रिम प्रतिलिपि को संश्लेषित करने में सफलता हासिल कर आनुवंशिकी विज्ञान में एक अन्य योगदान दिया।
- बाद के शोध में उन्होंने ‘कशेरुकी जीवों’ में दृष्टि के ‘कोशिका संकेत मार्ग’ में अंतर्निहित आणविक तंत्र का पता लगाया।
- उनका अध्ययन मुख्य रूप से ‘रोडोप्सिन’ (Rhodopsin) नामक प्रोटीन की संरचना और कार्य से संबंधित था। यह प्रकाश-संवेदनशील प्रोटीन, कशेरुकी जीवों की आंख के रेटिना में पाया जाता है।
- उन्होंने ‘रोडोप्सिन’ में उत्परिवर्तन की भी जांच की। यह उत्परिवर्तन, रतौंधी के कारक ‘रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा’ से संबंधित होता है।
पुरस्कार एवं सम्मान:
- डाक्टर खुराना की महत्वपूर्ण खोज के लिए उन्हें अन्य दो अमरीकी वैज्ञानिकों – मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग और रॉबर्ट डब्ल्यू होली- के साथ, फिजियोलॉजी अथवा चिकित्सा क्षेत्र में सन् 1968 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। यह पुरस्कार उन्हें जेनेटिक कोड और प्रोटीन संश्लेषण में इसकी भूमिका की व्याख्या के लिए दिया गया
- नोबेल पुरस्कार के अलावा, डाक्टर खुराना को ‘अल्बर्ट लास्कर बेसिक मेडिकल रिसर्च अवार्ड’ (1968) और ‘नेशनल मेडल ऑफ साइंस’ (1987) भी प्रदान किए गए।
- भारत सरकार ने 1969 में डाक्टर खुराना को पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
शतअरबपति / सेंटीबिलियनेयर क्लब
गौतम अडानी की कुल संपत्ति 100 अरब डॉलर तक पहुंच गई है.
- यह उपलब्धि इस उद्योगपति को एक ‘विशिष्ट वैश्विक समूह’ का एकमात्र भारतीय सदस्य बनाती है, जिसे सेंटीबिलियनेयर क्लब (Centibillionaire’s club) कहा जाता है।
- इस क्लब में उन लोगों को शामिल किया जाता है जिनकी शुद्ध संपत्ति $ 100 बिलियन या उससे अधिक है।
- अमेज़ॅन के संस्थापक, जेफ बेजोस की संपत्ति 2017 में 112 अरब डॉलर तक हो गयी थी। उन्हें दुनिया के पहले सेंटीबिलियनेयर के रूप में जाना जाता था।
- वर्तमान में, इस क्लब में 10 सदस्य हैं, जिसमें एलोन मस्क शीर्ष स्थान पर हैं और इसके बाद क्रमशः जेफ बेजोस, बर्कशायर हैथवे के अर्नाल्ट, बिल गेट्स और वॉरेन बफेट का स्थान हैं। गौतम अडानी इस सूची में दसवें स्थान पर हैं और अपने से ठीक ऊपर के व्यक्ति, ओरेकल के मालिक लैरी एलिसन से 3 बिलियन डॉलर नीचे हैं – जिनकी शुद्ध संपत्ति 103 बिलियन डॉलर है।
स्थायी जमा सुविधा
2018 में, आरबीआई अधिनियम की संशोधित धारा 17 के तहत रिज़र्व बैंक को, बिना किसी संपार्श्विक के ‘चलनिधि’ (Liquidity) को अवशोषित करने के लिए एक अतिरिक्त उपकरण के रूप में ‘स्थायी जमा सुविधा’ (Standing Deposit Facility – SDF) शुरू करने का अधिकार दिया गया था।
- एसडीएफ दर नीतिगत रेपो दर से 25 आधार अंक (बीपीएस) कम अर्थात् 3.75 प्रतिशत होगी। और, पात्र प्रतिभागी नियत दर पर ओवरनाइट आधार पर आरबीआई के पास जमा राशि रख सकते हैं।
- हालांकि, भारतीय रिज़र्व बैंक, जब भी आवश्यकता होगी, एसडीएफ के तहत दीर्घावधि के लिए उचित मूल्य निर्धारण के साथ चलनिधि को अवशोषित करने का लचीलापन बरकरार रखता है।
सीमा दर्शन परियोजना
हाल ही में, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा गुजरात के बनासकांठा जिले में भारत-पाक सीमा पर स्थित नडाबेट में ‘सीमा दर्शन परियोजना’ का उद्घाटन किया गया है।
- ‘सीमा दर्शन परियोजना’ शुरू करने का उद्देश्य लोगों को सीमा पर बीएसएफ कर्मियों के जीवन और कार्य को जानने का एक अवसर प्रदान करना।
- परियोजना के तहत 1 करोड़ 25 लाख की लागत से सभी प्रकार की पर्यटन सुविधाओं और अन्य विशेष आकर्षणों का विकास किया गया है।
पाम संडे / खजूर रविवार
पाम संडे (Palm Sunday) एक ईसाईयों की एक जंगम / चलती-फिरती दावत होती है, यह त्यौहार ईस्टर से पहले रविवार को मनाया जाता है।
- यह पर्व, यीशु के यरुशलम में विजयी प्रवेश की स्मृति में मनाया जाता है, और यह ‘चार धार्मिक गोस्पेल’ (Gospels) में से प्रत्येक में वर्णित एक घटना है।
- पाम संडे ‘पवित्र सप्ताह’ के पहले दिन का प्रतीक होता है।
[ad_2]