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HINDI Puucho STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- स्टैगफ्लेशन (Stagflation) एक ऐसी स्थिति है जिसमें मुद्रास्फीति की दर उच्च होती है और साथ ही आर्थिक विकास दर लगातार उच्च बनी रहती है।
- अपस्फीति (Deflation) से तात्पर्य वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में कमी से है लेकिन मुद्रास्फीति की दर शून्य से ऊपर बनी रहती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correctउत्तर: d)
स्टैगफ्लेशन बढ़ती कीमतों या मुद्रास्फीति के साथ धीमी आर्थिक वृद्धि और अपेक्षाकृत उच्च बेरोजगारी, या आर्थिक ठहराव की स्थिति होती है।
अपस्फीति से तात्पर्य वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में कमी से है साथ ही मुद्रास्फीति की दर शून्य से नीचे हो जाती है।
Incorrectउत्तर: d)
स्टैगफ्लेशन बढ़ती कीमतों या मुद्रास्फीति के साथ धीमी आर्थिक वृद्धि और अपेक्षाकृत उच्च बेरोजगारी, या आर्थिक ठहराव की स्थिति होती है।
अपस्फीति से तात्पर्य वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में कमी से है साथ ही मुद्रास्फीति की दर शून्य से नीचे हो जाती है।
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Question 2 of 5
दबावग्रस्त परिसंपत्तियां (Stressed Assets ) बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। इनमें समाविष्ट हैं-
- गैर निष्पादित परिसंपत्ति
- पुनर्गठित ऋण
- राइट ऑफ एसेट्स
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correctउत्तर: d)
एसेट क्वालिटी का सबसे महत्वपूर्ण पैमाना गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) है। लेकिन NPA अकेले बैंकों द्वारा दिए गए ऋणों की खराब परिसंपत्तियों को प्रदर्शित नहीं करता है। इसलिए एक नया वर्गीकरण दबावग्रस्त परिसंपत्तियों के रूप में किया गया है जिसमें NPA के अलावा पुनर्गठित ऋण और राइट ऑफ एसेट्स शामिल हैं।
पुनर्गठित परिसंपत्ति या ऋण वह परिसंपत्ति होती है, जिसे विस्तारित पुनर्भुगतान अवधि, ब्याज दर कम करने, ऋण के एक हिस्से को इक्विटी में परिवर्तित करने, अतिरिक्त वित्तपोषण प्रदान करने, या इन उपायों के कुछ संयोजन से प्राप्त होती है।
बैंक जब यह मान लेता है कि उसके बुक पर बने किसी लोन अकाउंट की वैल्यू बहुत कम रह गई है या समाप्त हो गई है तब उसे राइट ऑफ कर दिया जाता है। बैंक का वित्तीय विवरण यह प्रदर्शित करेगा कि राइट ऑफ लोन की भरपाई किसी अन्य तरीके से की जाएगी।
Incorrectउत्तर: d)
एसेट क्वालिटी का सबसे महत्वपूर्ण पैमाना गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) है। लेकिन NPA अकेले बैंकों द्वारा दिए गए ऋणों की खराब परिसंपत्तियों को प्रदर्शित नहीं करता है। इसलिए एक नया वर्गीकरण दबावग्रस्त परिसंपत्तियों के रूप में किया गया है जिसमें NPA के अलावा पुनर्गठित ऋण और राइट ऑफ एसेट्स शामिल हैं।
पुनर्गठित परिसंपत्ति या ऋण वह परिसंपत्ति होती है, जिसे विस्तारित पुनर्भुगतान अवधि, ब्याज दर कम करने, ऋण के एक हिस्से को इक्विटी में परिवर्तित करने, अतिरिक्त वित्तपोषण प्रदान करने, या इन उपायों के कुछ संयोजन से प्राप्त होती है।
बैंक जब यह मान लेता है कि उसके बुक पर बने किसी लोन अकाउंट की वैल्यू बहुत कम रह गई है या समाप्त हो गई है तब उसे राइट ऑफ कर दिया जाता है। बैंक का वित्तीय विवरण यह प्रदर्शित करेगा कि राइट ऑफ लोन की भरपाई किसी अन्य तरीके से की जाएगी।
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Question 3 of 5
भारत में, आमतौर पर निम्नलिखित किस हेतु घाटे की वित्त व्यवस्था (Deficit financing) का सहारा लिया जाता है
- राजस्व घाटे के वित्तीयन हेतु
- विकासात्मक व्यय हेतु
- अल्पकालिक चालू खाता घाटे (CAD) को कम करने हेतु
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correctउत्तर: a)
- भारत में, राजस्व घाटा, अधिक राजकोषीय घाटे के प्रमुख कारणों में से एक है। इसका अर्थ यह है कि सरकार अपने राजस्व संचालन को उन संसाधनों के माध्यम वित्तपोषित नहीं कर सकती है जो वह उत्पन्न करती है।
- विकासात्मक व्यय हेतु: ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि सरकार के आंतरिक संसाधन विकासात्मक व्यय के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए बाजार से धन उधार लेना पड़ता है।
- चालू खाता घाटे (CAD) को बाहरी प्रवाह अर्थात विदेशी सहायता द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। यदि सरकार विदेशों से उधार प्राप्त करती है तो इससे हमारे बाह्य पूंजीगत घाटे में वृद्धि होगी, लेकिन यह अल्पकालिक CAD को प्रभावित नहीं करेगा।
Incorrectउत्तर: a)
- भारत में, राजस्व घाटा, अधिक राजकोषीय घाटे के प्रमुख कारणों में से एक है। इसका अर्थ यह है कि सरकार अपने राजस्व संचालन को उन संसाधनों के माध्यम वित्तपोषित नहीं कर सकती है जो वह उत्पन्न करती है।
- विकासात्मक व्यय हेतु: ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि सरकार के आंतरिक संसाधन विकासात्मक व्यय के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए बाजार से धन उधार लेना पड़ता है।
- चालू खाता घाटे (CAD) को बाहरी प्रवाह अर्थात विदेशी सहायता द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। यदि सरकार विदेशों से उधार प्राप्त करती है तो इससे हमारे बाह्य पूंजीगत घाटे में वृद्धि होगी, लेकिन यह अल्पकालिक CAD को प्रभावित नहीं करेगा।
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Question 4 of 5
प्राय: समाचारों में चर्चित ‘न्यूनतम वैकल्पिक कर (Minimum Alternate Tax: MAT)’ है:
Correctउत्तर: a)
- आयकर अधिनियम (आईटी अधिनियम) के प्रावधानों के अनुसार आयकर का भुगतान किया जाता है, लेकिन कंपनियां कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अपने लाभ (लाभ और हानि खाते के माध्यम से) की गणना करती हैं।
- आईटी अधिनियम सकल आय पर कटौती के साथ कुल आय से कई प्रकार की छूट और अन्य प्रोत्साहन की अनुमति प्रदान करता है।
- आईटी अधिनियम के तहत इन छूट, कटौती और अन्य प्रोत्साहनों के परिणामस्वरूप, कंपनियां अपनी कर योग्य आय को ‘शून्य‘ या ‘नकारात्मक‘ दिखाती हैं, और इस तरह, ‘शून्य कर‘ कंपनियां को बढ़ावा मिलता हैं और शेयरधारकों को भारी लाभांश (कंपनी अधिनियम के तहत) प्रदान करने के बावजूद, वे कर का भुगतान नहीं करती हैं।
- ऐसी कंपनियों को आयकर के दायरे में लाने के लिए उसी के अनुसार MAT लगाया गया था।
Incorrectउत्तर: a)
- आयकर अधिनियम (आईटी अधिनियम) के प्रावधानों के अनुसार आयकर का भुगतान किया जाता है, लेकिन कंपनियां कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अपने लाभ (लाभ और हानि खाते के माध्यम से) की गणना करती हैं।
- आईटी अधिनियम सकल आय पर कटौती के साथ कुल आय से कई प्रकार की छूट और अन्य प्रोत्साहन की अनुमति प्रदान करता है।
- आईटी अधिनियम के तहत इन छूट, कटौती और अन्य प्रोत्साहनों के परिणामस्वरूप, कंपनियां अपनी कर योग्य आय को ‘शून्य‘ या ‘नकारात्मक‘ दिखाती हैं, और इस तरह, ‘शून्य कर‘ कंपनियां को बढ़ावा मिलता हैं और शेयरधारकों को भारी लाभांश (कंपनी अधिनियम के तहत) प्रदान करने के बावजूद, वे कर का भुगतान नहीं करती हैं।
- ऐसी कंपनियों को आयकर के दायरे में लाने के लिए उसी के अनुसार MAT लगाया गया था।
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Question 5 of 5
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) असाधारण परिस्थितियों में राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए हार्ड करेंसी को प्रिंट कर सकता है। लेकिन आरबीआई इस तरह का उपाय क्यों नहीं करता?
Correctउत्तर: d)
केवल घाटे को पूरा करने के लिए पैसे छापने से बाजार में पैसे का प्रवाह बढ़ जाता है जिससे हाइपरफ्लिनेशन की स्थिति पैदा हो जाती है। इसलिए, आरबीआई आमतौर पर ऐसा उपाय नहीं अपनाता है।
Incorrectउत्तर: d)
केवल घाटे को पूरा करने के लिए पैसे छापने से बाजार में पैसे का प्रवाह बढ़ जाता है जिससे हाइपरफ्लिनेशन की स्थिति पैदा हो जाती है। इसलिए, आरबीआई आमतौर पर ऐसा उपाय नहीं अपनाता है।
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