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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
- बाबू जगजीवन राम
- भूचुंबकीय तूफान
सामान्य अध्ययन-II
- निपाह वायरस
सामान्य अध्ययन-III
- ‘प्रकृति‘: प्रभावी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए हरित पहल
- हेट स्पीच
- ‘टूर ऑफ ड्यूटी‘
- विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम
सामान्य अध्ययन–I
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
बाबू जगजीवन राम
संदर्भ:
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम (Babu Jagjivan Ram) की 115वीं जयंती (5 अप्रैल) पर उन्हें श्रद्धांजलि प्रदान की।
बाबू जगजीवन राम के बारे में:
- जगजीवन राम, जिन्हें बाबूजी के नाम से जाना जाता है, एक राष्ट्रीय नेता, स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक न्याय के योद्धा, दलित वर्गों के चैंपियन, एक उत्कृष्ट सांसद, एक सच्चे लोकतंत्रवादी, एक प्रतिष्ठित केंद्रीय मंत्री, एक सक्षम प्रशासक और एक असाधारण प्रतिभाशाली वक्ता थे। .
- जगजीवन राम द्वारा कई रविदास सम्मेलनों का आयोजन किए गए और इनके द्वारा कलकत्ता (कोलकाता) के विभिन्न क्षेत्रों में गुरु रविदास जयंती मनाई गयी।
- 1934 में, उन्होंने कलकत्ता में अखिल भारतीय रविदास महासभा की स्थापना की।
- उन्होंने अखिल भारतीय शोषित वर्ग लीग (All India Depressed Classes League) की नींव की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- अक्टूबर 1935 में, बाबूजी रांची में ‘हैमंड आयोग’ के सामने पेश हुए और पहली बार दलितों के लिए मतदान के अधिकार की मांग की।
- बाबू जगजीवन राम ने स्वतंत्रता संग्राम में बहुत सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी से प्रेरित होकर, बाबूजी ने 10 दिसंबर 1940 को गिरफ्तारी दी। अपनी रिहाई के बाद, उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन और सत्याग्रह में खुद को गहराई से स्थापित किया।
- बाबूजी को 19 अगस्त 1942 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा शुरू किए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए फिर से गिरफ्तार किया गया था।
- उन्होंने भारत के उप प्रधान मंत्री के रूप में भी कार्य किया है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि बाबू जगजीवन राम की वर्ष 1925 में पंडित मदन मोहन मालवीय से मुलाकात हुई तथा उनसे बहुत अधिक प्रभावित हुए। बाद में मालवीय जी के आमंत्रण पर वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) गए। विश्वविद्यालय में जगजीवन राम को भेदभाव का सामना करना पड़ा। इस घटना ने उन्हें समाज के एक वर्ग के साथ इस प्रकार के सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ विरोध करने के लिये प्रेरित किया।
प्रीलिम्स लिंक:
- बाबू जगजीवन राम के बारे में
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान
- स्वतंत्रता के बाद का योगदान
- ‘ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेज लीग’
- गुरु रविदास
स्रोत: पीआईबी।
विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान।
भूचुंबकीय तूफान
(Geomagnetic Storms)
संदर्भ:
राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रबंधन (National Oceanic and Atmospheric Administration – NOAA) के अंतरिक्षीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र (Space Weather Prediction Center – SWPC) के अनुसार, 7 अप्रैल को पृथ्वी पर ‘भू-चुंबकीय तूफान’ (Geomagnetic Storms) आने की संभावना है।
‘जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म’ क्या होते हैं?
जब सौर-लपटों (solar flares) जैसी घटनाओं की वजह से पृथ्वी की ओर होने वाले सौर विकिरण की मात्रा सामान्य स्तर से अधिक हो जाती है, तब ‘भू-चुंबकीय तूफान’ (Geomagnetic storms) की उत्पत्ति होती है। यह विकिरण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ परस्पर अभिक्रिया करता है जिसके परिणामस्वरूप भू-चुंबकीय तूफानों की उत्पत्ति होती है।
कारण:
चुंबकीय तूफान का कारण, संभवतः ‘सूर्य के कोरोना से होने वाला द्रव्य उत्क्षेपण’ (solar coronal mass ejection -CME) या कोरोना के केंद्र से उत्पन्न होने वाली सौर-पवनों की तीव्र गति वाली धाराओं का ‘सह-घूर्णन अंतःक्रिया क्षेत्र’ (co-rotating interaction region – CIR) हो सकता है।
भू-चुंबकीय तूफानों के प्रभाव:
भू-चुंबकीय तूफान के प्रभाव की वजह से ‘उतरी धुर्वीय ज्योति’ / दक्षिणी धुर्वीय ज्योति (AURORAS) की घटनाएँ होने से लेकर, उच्च विकिरण के कारण संचार प्रणालियों में व्यवधान, आदि तक हो सकते हैं। इनकी वजह से पृथ्वी पर दूसरों के साथ संवाद करना मुश्किल हो सकता है।
भू-चुंबकीय तूफानों का वर्गीकरण:
भू-चुंबकीय तूफानों को तूफानों के प्रभाव-मापक पैमाने के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है।
- अपने सबसे सुरक्षित स्तर पर भू-चुंबकीय तूफान –1 (G1), हल्की अस्थिरता के कारण बिजली ग्रिड को प्रभावित कर सकता है, तथा उपग्रह संचालन पर मामूली प्रभाव, और उत्तरी और दक्षिणी ज्योति की घटना का कारण बन सकते हैं।
- अपने सबसे चरम पर, भू-चुंबकीय तूफान -5 (G5), कुछ ग्रिड सिस्टम के नष्ट होने या ब्लैकआउट के साथ वोल्टेज नियंत्रण समस्याओं, रेडियो तरंगें के संचार में एक से दो दिनों का अवरोध, कम आवृत्ति वाले रेडियो का कार्य में कुछ घंटों की बाधा का कारण बन सकते हैं, और इसके अलावा पांचवें स्तर के तूफान की स्थिति में सामान्य से निचले अक्षांशों पर धुर्वीय ज्योति की घटनाएँ भी देखी जा सकती हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
इस साल फरवरी में, टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलोन मस्क एलोन मस्क के ‘स्टारलिंक सॅटॅलाइट इंटरनेट कान्स्टलैशन’ के 40 उपग्रह नष्ट हो गए। यह सभी उपग्रह लॉन्च होने के एक दिन बाद ही एक ‘भू-चुंबकीय तूफान’ (Geomagnetic Storms) में फंस गए थे। इस बारे में अधिक जानकारी हेतु पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘सोलर फ्लेयर्स’ क्या हैं?
- ‘सनस्पॉट’ क्या हैं?
- ‘सौर लपटें’ पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
- सूर्य का ‘11 वर्ष का चक्र’ क्या है?
मेंस लिंक:
भू-चुंबकीय तूफान क्या हैं? इससे संबंधित चिंताओं पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन–II
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
निपाह वायरस
(Nipah Virus)
संदर्भ:
पुणे के ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ के वैज्ञानिक कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी से पकड़े गए 51 चमगादड़ों में ‘निपाह वायरस संक्रमण’ (Nipah Virus – NiV) के खिलाफ आईजीजी एंटीबॉडी (IgG antibodies) की उपस्थिति का पता लगाने में सफलता हासिल की है।
‘निपाह’ के बारे में:
- निपाह (Nipah) एक जूनोटिक वायरस है (यह जानवरों से इंसानों में फैलता है)।
- यह वायरस पहली बार 1998 और 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में फैला था।
- निपाह वायरस पहली बार घरेलू सूअरों में देखा गया था और कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों और भेड़ों सहित घरेलू जानवरों की कई प्रजातियों में पाया जा चुका है।
संचरण:
- निपाह वायरस, जानवरों से इंसानों में फैलता है और यह दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे ‘एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति’ में भी फैल सकता है।
- फ्रूट बैट्स (Fruit bats), जिसे फल चमगादड़ या ‘फ्लाईंग फॉक्स’ भी कहा जाता है, को निपाह वायरस का प्राकृतिक स्रोत माना जाता है।
लक्षण:
इस संक्रमित व्यक्ति में, तीव्र मस्तिष्क शोथ / ‘एन्सेफलाइटिस’ (Encephalitis) और श्वसन संबंधी बीमारियों के लक्षण दिखाई देते हैं।
निवारण:
वर्तमान में, निपाह वायरस की रोकथाम के लिए, मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए, कोई टीका नहीं उपलब्धहै। निपाह वायरस से संक्रमित मनुष्यों को ‘गहन चिकित्सीय देखभाल’ में रखा जाता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने ‘त्रिपक्षीय प्लस गठबंधन’ (Tripartite Plus alliance) के बारे में सुना है? इसके उद्देश्य और उपलब्धियां क्या हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- निपाह वायरस के बारे में
- प्रसार
- लक्षण
- रोकथाम
मेंस लिंक:
‘एक स्वास्थ्य’ (One Health) उपागम पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन–III
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
‘प्रकृति‘: प्रभावी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए हरित पहल
(‘Prakriti’ green initiatives for effective plastic waste management)
प्रसंग:
‘एकल उपयोग प्लास्टिक’ / ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ (Single-Use Plastic) को खत्म करने की दिशा में एक और कदम उठाते हुए, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा छोटे बदलावों के बारे में जनता के बीच अधिक जागरूकता पैदा करने, जिसे बेहतर पर्यावरण के लिए हमारी जीवन-शैली में स्थायी रूप से अपनाया जा सकता है, एक शुभंकर ‘प्रकृति‘ (Prakriti) के साथ-साथ ‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board – CPCB) द्वारा शुरू की गई विभिन्न हरित पहलों का शुभारंभ किया गया है।
आयोजन के दौरान, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए निम्नलिखित हरित पहलें शुरू की गई:
- ‘एकल उपयोग प्लास्टिक’ और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के उन्मूलन पर राष्ट्रीय डैशबोर्ड (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय):
इसका उद्देश्य ‘एकल उपयोग प्लास्टिक’ (Single-Use Plastic – SUP) के उन्मूलन और प्लास्टिक कचरे के प्रभावी प्रबंधन में प्रगति को ट्रैक करने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों सहित सभी हितधारकों को एक साथ लाना है।
- प्लास्टिक पैकेजिंग (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड – सीपीसीबी) के लिए ‘विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व’ (Extended Producer Responsibility – EPR) पोर्टल:
यह पोर्टल उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों द्वारा ईपीआर दायित्वों के अनुपालन में आसानी की रिपोर्ट करने की सुविधा को लेकर प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए जवाबदेही, पता लगाने योग्यता, पारदर्शिता में सुधार लाने जैसे कार्यों की देखरेख करेगा।
- एकल उपयोग प्लास्टिक शिकायत निवारण (CPCB) के लिए मोबाइल ऐप:
यह ऐप नागरिकों को अपने क्षेत्र में एसयूपी की बिक्री/उपयोग/विनिर्माण की जांच करने और प्लास्टिक के खतरे से निपटने के लिए सशक्त बनाने के लिए सुविधा प्रदान करेगा।
- सिंगल यूज प्लास्टिक (CPCB) के लिए मॉनिटरिंग मॉड्यूल:
यह निगरानी मॉड्यूल, जिला स्तर पर वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में एसयूपी उत्पादन/बिक्री और उपयोग के विवरण की सूची बनाने और सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को लागू करने को लेकर स्थानीय निकायों, एसपीसीबी/पीसीसी और सीपीसीबी के लिए शुरू किया गया है।
- अपशिष्ट प्लास्टिक से ग्रैफेन का औद्योगिक उत्पादन (जी बी पंत एनआईएचई और एनआरडीसी):
यह प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल करने के उद्देश्य से आगे आने के लिए और भी अधिक उद्योगों को बढ़ावा देगा।
इस संबंध में सरकार के प्रयास:
- प्लास्टिक प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक एकल-उपयोग प्लास्टिक (SUPs) को समाप्त करने की भारत के संकल्प की घोषणा की है।
- भारत के ‘प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम’ 2016 में जुलाई 2022 से प्लास्टिक अपशिष्ट ‘सिंगल यूज प्लास्टिक’(SUPs) के आयात पर प्रतिबंध में संशोधन किया गया है।
सिंगल-यूज़ प्लास्टिक’ क्या है?
‘एकल उपयोग प्लास्टिक’ / ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ (Single-Use Plastic), निपटान-योग्य (Disposable) प्लास्टिक का एक रूप होती है, जिसे केवल एक बार इस्तेमाल करके फेंक दिया जाता है, और जिसे किराने की थैलियों, खाद्य पैकेजिंग, बोतलों और स्ट्रॉ आदि की तरह पुनर्चक्रित किया जा सकता है।
प्लास्टिक निर्मित सामग्री पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण:
चूंकि प्लास्टिक सस्ती, हल्की, और उत्पादन में आसान होती है, जिसकी वजह से पिछली शताब्दी के दौरान इसका उत्पादन में काफी तेज हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आने वाले दशकों में यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभवना है।
- किंतु, अब लगभग सभी देश अपने द्वारा उत्पन्न प्लास्टिक कचरे की मात्रा के प्रबंधन हेतु संघर्ष कर रहे हैं।
- पूरे भारत में, प्रतिदिन केवल लगभग 60% प्लास्टिक कचरा ही एकत्र किया जाता है- इसका मतलब है कि शेष 40% या 10,376 टन कचरे का एकत्रण नहीं किया जाता है।
सरकार की रणनीति:
एक सरकारी समिति द्वारा ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ (SUP) निर्मित वस्तुओं को, उनकी उपयोगिता और पर्यावरणीय प्रभाव सूचकांक के आधार पर, प्रतिबंधित करने के लिए चिह्नित किया गया है। समिति ने इसके लिए तीन चरणों में प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव पेश किया है:
- चरणबद्ध तरीके से हटाये जाने हेतु प्रस्तावित ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ निर्मित वस्तुओं की पहली श्रेणी में, गुब्बारे, झंडे, कैंडी, आइसक्रीम और ‘इअर बड्स’ (ear buds) में प्रयुक्त प्लास्टिक की डंडियां तथा सजावट में प्रयुक्त होने वाले थर्मोकोल को शामिल किया गया है।
- दूसरी श्रेणी में, प्लेट, कप, गिलास और छुरी-काँटा, चम्मच, स्ट्रॉ और ट्रे जैसी कटलरी; मिठाई के डिब्बों की पैकिंग में प्रयुक्त झिल्लियों (films); निमंत्रण पत्र; सिगरेट के पैकेट और 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैनर शामिल होंगे। इस श्रेणी की वस्तुओं को 1 जुलाई, 2022 से प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- प्रतिबंधित ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ की तीसरी श्रेणी में, 240 माइक्रोन से कम मोटाई के गैर-बुनाई दार थैलियों को शामिल किया गया है। इसे अगले साल सितंबर से शुरू करने का प्रस्ताव है।
आने वाली चुनौतियां:
- संपूर्ण भारत में प्रति दिन लगभग 26,000 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जिसमे से 10,000 टन से अधिक कचरे को एकत्र नहीं किया जाता है; इसे देखते हुए ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ को प्रतिबंधित करना, कोई आसान काम नहीं होगा।
- काफी बड़ी मात्रा में प्लास्टिक को नदियों, महासागरों और अपशिष्ट भरावक्षेत्र में फेंक दिया जाता है।
आवश्यकता:
- सरकार के लिए इससे निपटने हेतु, पहले आर्थिक और पर्यावरणीय लागत-लाभ का संपूर्ण विश्लेषण करना चाहिए।
- इस पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध की सफलता के लिए योजना को सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को ध्यान में रखना चाहिए।
- चूंकि, हमारे पास संसाधनों कमी है, अतः हमें बेहतर पुनर्चक्रण नीतियों की आवश्यकता है और इसके अलावा, एक व्यापक रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘प्लास्टिक खाने वाले बैक्टीरिया’ के बारे में जानते हैं? क्या इससे प्लास्टिक प्रदूषण की बढ़ती समस्या का समाधान हो सकता है? इस संदर्भ में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘सिंगल यूज प्लास्टिक’ क्या होती है?
- उपयोग
- भारत का लक्ष्य
- ‘सिंगल यूज प्लास्टिक’ के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की योजना बना रहे अन्य देश
स्रोत: द प्रिंट।
विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।
हेट स्पीच
संदर्भ:
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक, किसी भी समुदाय के खिलाफ ‘नफरत भरे भाषण (Hate Speeches) नहीं होनी चाहिए।
संबंधित प्रकरण:
हाल के दिनों में, ऐसी आयोजित घटनाओं पर चिंता जताई गई है, जिनमें रैलियों और नफरत भरे भाषणों की एक श्रृंखला के माध्यम से मुसलमानों के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार को लक्षित किया गया था और पत्रकारों पर भी हमला किया गया।
नफरत भरे / द्वेषपूर्ण भाषण (Hate Speech) के बारे में:
‘द्वेषपूर्ण भाषण’ (हेट स्पीच), धार्मिक विश्वासों, यौन अभिविन्यास, लिंग आदि के आधार पर हाशिए पर स्थित व्यक्तियों के विशेष समूह के खिलाफ नफरत के लिए उकसाना है।
विधि आयोग द्वारा ‘हेट-स्पीच’ पर अपनी 267 वीं रिपोर्ट में कहा कि इस तरह के बयानों में व्यक्तियों और समाज को आतंकवाद, नरसंहार और जातीय हिंसा करने के लिए भड़काने की क्षमता होती है।
हेट स्पीच’ पर लगाम लगाने की आवश्यकता के कारण:
- आंतरिक सुरक्षा: वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे एक झूठे वीडियो के कारण फैले थे, इसके द्वारा जिसने सांप्रदायिक जुनून भडकाया गया था।
- ‘द्वेषपूर्ण भाषण’ उग्रवादी भावनाओं को भड़काते है।
- मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) ।
- झूठी ख़बरें तथा भ्रामक जानकारी: दिल्ली दंगे।
उपाय:
- फेसबुक, गूगल, ट्विटर और बाइटडांस सहित विश्व की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनियां, भारत में अपने प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों को रोकने के लिए एक उद्योग-व्यापी गठबंधन तैयार करने पर विचार कर रही हैं।
- भारत के निर्वाचन आयोग के लिए फर्जी खबरों को तैयार करने वालों पहचान करने के लिए तकनीकी कंपनियों के साथ गठजोड़ करना चाहिए।
- अंतिम उपयोगकर्ताओं को शिक्षित करना चाहिए।
- सरकार के लिए इंटरनेट मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म के कारण होने वाले संभावित नुकसानों से गहन स्तर पर निपटने हेतु पर नीतिगत रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।
- जर्मनी में, यदि सोशल मीडिया कंपनियां अपने प्लेटफ़ॉर्म अनुचित सामग्री हटाने में निरंतर असफल रहती हैं तो उन पर € 50 मिलियन तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसी भांति भारत में भी जुर्माना लागू किया जा सकता है।
समय की मांग:
- हेट स्पीच, हाशिए पर रहने वाले समूहों को समाज के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों से बाहर धकेलने की एक विवाद-जनक प्रक्रिया है, जो नफरत के प्रचार प्रसार और भेदभाव को बढ़ावा देती है। अपने सबसे खतरनाक रूप में, इसे व्यापक रूप से ‘जातीय-संहार’ का प्रणेता माना जाता है।
- लोक अधिकारियों को ‘निगरानी के कर्तव्य की अवहेलना करने’ के लिए और अदालत के आदेशों का पालन न करने तथा सतर्कता समूहों’ (vigilante groups) को सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने, देश के नागरिकों के खिलाफ नफरत फैलाने, और कानूनों को अपने हाथों में लेने से रोकने के लिए कार्रवाई नहीं करने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
हेट स्पीच से संबंधित दंडात्मक प्रावधान:
- भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा 153A में ‘धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करने‘ को दंडित करने का प्रावधान है।
- आईपीसी की धारा 153B के तहत दो समूहों के बीच दुश्मनी और नफरत फैलाने वाले कृत्यों को दंडित करने का प्रावधान है।
- आईपीसी की धारा 295A, जानबूझकर या दुर्भावनापूर्ण इरादे से किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए दंडित करने से संबंधित है।
- आईपीसी की धारा 298 में ‘किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से बोलने, शब्द आदि करने‘ को दंडित करने का प्रावधान है।
- आईपीसी की धारा 505 में विभिन्न समूहों के बीच द्वेष या घृणा उत्पन्न करने वाली सामग्री के प्रकाशन और प्रसार को अपराध माना गया है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951 का भाग VII अभद्र भाषा को चुनाव के दौरान किए गए अपराध के रूप में दो श्रेणियों -भ्रष्ट आचरण और चुनावी अपराध- में वर्गीकृत करता है, तथा धारा 8 के तहत, वाक् स्वतंत्रता का अवैध उपयोग करने वाले किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया गया है।
विभिन्न समितियां और उनके विचार:
टी.के. विश्वनाथन समिति (T.K. Viswanathan Committee):
- इस समिति ने ऑनलाइन हेट स्पीच पर अंकुश लगाने तथा नफरत और उत्तेजना फैलाने के लिए साइबर स्पेस का उपयोग किए जाने के लिए कड़े कानूनों की सिफारिश करते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- समिति ने धर्म, नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, लिंग पहचान, यौन अभिविन्यास, जन्म स्थान, निवास, भाषा, विकलांगता या जनजातीयता के आधार पर अपराध करने हेतु उकसाने के लिए आईपीसी में धारा 153 C (b) और धारा 505 A शामिल करने का प्रस्ताव रखा।
बेजबरुआ समिति (Bezbaruah Committee):
- बेजबरुआ समिति का गठन केंद्र द्वारा 2014 में पूर्वोत्तर से संबंधित व्यक्तियों पर नस्लीय हमलों की एक श्रृंखला के मद्देनजर किया गया था।
- इस समिति ने आईपीसी में दो कड़े नस्लीय भेदभाव विरोधी प्रावधानों को सम्मिलित करने का प्रस्ताव किया था।
इंस्टा जिज्ञासु:
अमीश देवगन मामले में 2020 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में, हेट स्पीच को ‘एकता और बंधुत्व के उल्लंघन’ और मानवीय गरिमा के उल्लंघन से जोड़ा गया था, जोकि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक अनिवार्य पहलू है।
प्रीलिम्स लिंक:
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के बारे में
- अधिनियम की धारा 66A
- भारत के विधि आयोग के बारे में
- आईटी अधिनियम के तहत ‘हेट स्पीच’ का विनियमन
मेंस लिंक:
‘द्वेषपूर्ण भाषण’ (हेट स्पीच) क्या है? इस पर किस प्रकार अंकुश लगाया जा सकता है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।
‘टूर ऑफ़ ड्यूटी’ भर्ती मॉडल
(‘Tour of Duty’ recruitment model)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘सैन्य मामलों के विभाग’ ने सशस्त्र बलों में भविष्य में होने वाली भर्ती के लिए एक क्रांतिकारी प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया है। जिसमे, सेना पहली बार ‘टूर ऑफ ड्यूटी‘ मॉडल (‘Tour of Duty’ model) की अवधारणा को आजमाएगी, जिसके तहत कुछ सैनिकों को तीन साल की निश्चित अवधि के लिए की भर्ती किया जाएगा है।
‘टूर ऑफ ड्यूटी‘ (ToD) अवधारणा को पहली बार 2020 में प्रस्तुत किया गया था।
‘टूर ऑफ ड्यूटी‘ मॉडल क्या है?
- सेना भर्ती का यह मॉडल युवा व्यक्तियों को स्वेच्छा से तीन साल की अस्थायी अवधि के लिए सेवा करने का अवसर प्रदान करेगा।
- यह भर्ती स्वैच्छिक आधार पर होगी।
- यह प्रस्ताव उन युवाओं के लिए है जो “रक्षा सेवाओं को अपना स्थायी व्यवसाय नहीं बनाना चाहते हैं, किंतु सैन्य सेवाओं के रोमांच का अनुभव करना चाहते हैं“।
- यह प्रस्ताव सशस्त्र बलों में स्थायी सेवा / नौकरी की अवधारणा से तीन साल के लिए ‘इंटर्नशिप / अस्थायी अनुभव की ओर एक बदलाव है।
- हालांकि इस मॉडल के 2020 में प्रस्तुत मूल प्रस्ताव में ToD का विस्तार अधिकारियों के लिए भी किया गया था, किंतु फिलहाल अभी इसे जवानों तक ही सीमित रखा जा रहा है, क्योंकि अधिकारियों के पास पहले से ही ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ (SSC) का माध्यम उपलब्ध है।
सरकार के लिए लाभ:
- इससे संगठन को वेतन और ग्रेच्युटी भुगतान में कमी होने से भारी वित्तीय लाभ होंगे।
- प्रति अधिकारी तीन साल की सेवा की लागत शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के अधिकारियों पर होने वाले व्यय की तुलना में काफी कम होगी।
- 10 या 14 साल के बाद सेवानिवृत होने वाले आधिकारी पर 5 – 6.8 करोड़ रुपये का व्यय होता है, जिसमे कमीशन-पूर्व प्रशिक्षण, वेतन, भत्ते, ग्रेच्युटी, वैतनिक छुट्टियाँ आदि सम्मिलित्त होते हैं। जबकि, तीन साल की सेवा के लिए प्रति अधिकारी मात्र 80–85 लाख रुपये का व्यय होगा।
- SSC अधिकारियों के पास स्थायी रूप से सेवा में शामिल होने का विकल्प होता है, जिससे पेंशन आदि अन्य वयय में वृद्धि होती है।
- सेना में सैनिकों द्वारा आमतौर पर 17 साल तक सेवा प्रदान की जाती है, प्रति सैनिक पर आजीवन होने वाले व्यय की तुलना में तीन वर्षीय सेवा में प्रति व्यक्ति 11.5 करोड़ रुपये की बचत होगी।
नागरिकों और देश के लिए लाभ:
- यह कार्यक्रम ‘युवाओं की ऊर्जा को उनकी क्षमता के सकारात्मक उपयोग में मदद करेगा।
- कठोर सैन्य प्रशिक्षण से विकसित होने वाली आदतों से स्वस्थ नागरिक वर्ग विकसित होगा।
- तीन साल तक सैन्य सेवा में रहने वाले “प्रशिक्षित, अनुशासित, आत्मविश्वास, मेहनती और प्रतिबद्ध” युवा पुरुषों या महिलाओं से पूरे राष्ट्र को लाभ होगा।
- एक ‘प्रारंभिक सर्वेक्षण’ ने संकेत दिया है कि कॉर्पोरेट सेक्टर नए स्नातकों के बजाय इन युवाओं को नौकरी देने में वरीयता प्रदान करेगा।
आवश्यकता:
- सेना के वेतन और पेंशन व्यय में पिछले कुछ वर्षों के दौरान तेजी से वृद्धि हुई है, और सेना के कुल बजट आवंटन का 60% हिस्सा इस पर व्यय होता है।
- रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति द्वारा वर्ष 2019 में पेश की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना के अधिकारी संवर्ग में लगभग 14 प्रतिशत स्थान रिक्त थे।
- इस योजना के समर्थक ;राष्ट्रवाद और देशभक्ति के पुनरुत्थान” का भी हवाला देते हैं, और हकीकत यह है कि ‘हमारे देश में बेरोजगारी एक वास्तविकता है’।
प्रीलिम्स लिंक:
- सशस्त्र बलों में ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ बनाम स्थायी कमीशन
- नागरिकों को सशस्त्र बलों में किस प्रकार भर्ती किया जा सकता है?
मेंस लिंक:
‘टूर ऑफ़ ड्यूटी’ ToD) योजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द प्रिंट।
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।
विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम
(Unlawful Activities (Prevention) Act)
संदर्भ:
24 मार्च को, दिल्ली के एक सत्र न्यायालय ने उमर खालिद को आमतौर पर “दिल्ली दंगों के मामलों” के रूप में प्रचलित मामलों के एक हिस्से के रूप में शामिल होने के आरोप में जमानत देने से इनकार कर दिया है।
संबंधित प्रकरण:
पुलिस द्वारा पेश किए गए मामले के अनुसार, उमर खालिद दिल्ली में फरवरी 2020 में हुई हिंसा के पीछे साजिशकर्ताओं में से एक थे, जिसमें 50 से अधिक लोगों की जान गई थी।
- इसके लिए, उमर खालिद सहित कई अन्य लोगों पर, को ‘विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’, 1967 (Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967 – UAPA), के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था, और विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में बंद कर दिया गया था। उमर खालिद 500 दिनों से अधिक समय से जेल में हैं, और अभी तक इनके ऊपर मुकदमे की सुनवाई शुरू नहीं हुई है।
विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम के बारे में:
1967 में पारित, विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act-UAPA) का उद्देश्य भारत में गैरकानूनी गतिविधि समूहों की प्रभावी रोकथाम करना है।
- यह अधिनियम केंद्र सरकार को पूर्ण शक्ति प्रदान करता है, जिसके द्वारा केंद्र सरकार किसी गतिविधि को गैरकानूनी घोषित कर सकती है।
- इसके अंतर्गत अधिकतम दंड के रूप में मृत्युदंड तथा आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
UAPA के तहत, भारतीय और विदेशी दोनों नागरिकों को आरोपित किया जा सकता है।
- यह अधिनियम भारतीय और विदेशी अपराधियों पर समान रूप से लागू होता है, भले ही अपराध भारत के बाहर विदेशी भूमि पर किया गया हो।
- UAPA के तहत, जांच एजेंसी के लिए, गिरफ्तारी के बाद चार्जशीट दाखिल करने के लिए अधिकतम 180 दिनों का समय दिया जाता है, हालांकि, अदालत को सूचित करने के बाद इस अवधि को और आगे बढ़ाया जा सकता है।
वर्ष 2019 में किए गए संशोधनों के अनुसार:
- यह अधिनियम राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के महानिदेशक को, एजेंसी द्वारा मामले की जांच के दौरान, आतंकवाद से होने वाली आय से निर्मित संपत्ति पाए जाने पर उसे ज़ब्त करने की शक्ति प्रदान करता है।
- यह अधिनियम राज्य में डीएसपी अथवा एसीपी या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी के अतिरिक्त, आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच करने हेतु ‘राष्ट्रीय जाँच एजेंसी’ के इंस्पेक्टर या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों को जांच का अधिकार प्रदान करता है।
- अधिनियम में किसी व्यक्ति को आतंकवादी के रूप में अभिहित करने का प्रावधान भी शामिल है।
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा UAPA की परिभाषित रूपरेखा:
जून 2021 में, विधिविरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act- UAPA), 1967 की एक अन्य रूप से “अस्पष्ट” धारा 15 की रूपरेखा को परिभाषित करते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा, अधिनियम की धारा 18, 15, 17 को लागू करने पर कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत निर्धारित किए गए थे।
UAPA की धारा 15, 17 और 18:
- अधिनियम की धारा 15, ‘आतंकवादी कृत्यों’ से संबंधित अपराधों को आरोपित करती है।
- धारा 17 के तहत आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाने पर दण्डित करने का प्रावधान किया गया है।
- धारा 18, के अंतर्गत ‘आतंकवादी कृत्य करने हेतु साजिश आदि रचने‘ या आतंकवादी कृत्य करने हेतु तैयारी करने वाले किसी भी कार्य‘ संबंधी अपराधों के लिए आरोपित किया जाता है।
अदालत द्वारा की गई प्रमुख टिप्पणियां:
- “आतंकवादी अधिनियम” (Terrorist Act) को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
- अदालत ने ‘हितेंद्र विष्णु ठाकुर मामले’ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि, ‘आतंकवादी गतिविधियां’ वे होती है, जिनसे निपटना, सामान्य दंड कानूनों के तहत कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता से बाहर होता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- विधिविरूद्ध क्रियाकलाप की परिभाषा
- अधिनियम के तहत केंद्र की शक्तियां
- क्या ऐसे मामलों में न्यायिक समीक्षा लागू है?
- 2004 और 2019 में संशोधन द्वारा किए गए बदलाव।
- क्या विदेशी नागरिकों को अधिनियम के तहत आरोपित किया जा सकता है?
मेंस लिंक:
क्या आप सहमत हैं कि विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन अधिनियम मौलिक अधिकारों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है? क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्वतंत्रता का बलिदान करना न्यायसंगत है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
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