[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 26 March 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

 

सामान्य अध्ययन-II

  1. पीएम-केयर्स फंड
  2. मेकेदातु जल परियोजना
  3. दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक

सामान्य अध्ययन-III

  1. निर्यात तैयारी सूचकांक 2021
  2. जीसैट 7बी और भारत के अन्य सैन्य उपग्रह
  3. नासा वोयाजर अंतरिक्ष यान
  4. जीएसएलवी-एफ10/ईओएस-03 मिशन
  5. सीसा विषाक्तता

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. आईएनएस वलसुरा
  2. रिजर्व बैंक इनोवेशन हब
  3. H2Ooooh! कार्यक्रम
  4. परीक्षा में नकल रोकने के लिए राजस्थान सरकार का कानून

 

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

पीएम केयर्स


(PM CARES)

संदर्भ:

हाल ही में,सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के ‘पीएम-केयर्स फंड’ (PM-CARES Fund)से संबंधित आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया है।इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने इस आदेश में ‘पीएम-केयर्स फंड’ की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली चुनौती को खारिज कर दिया था।

संबंधित प्रकरण:

  • उच्च न्यायालय ने ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम’, 2005 की पृष्ठभूमि में ‘पीएम-केयर्स फंड’ और ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।
  • याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था, कि ‘पीएम-केयर्स फंड’ को बिना किसी वैधानिक समर्थन के स्थापित किया गया है,और इसे ‘सूचना के अधिकार अधिनियम’ (आरटीआई अधिनियम) की अधिकार-क्षेत्र से बाहर रखा गया है।

पीएमकेयर्सफंडऔरइसकेकामकाजसे संबंधित मुद्दे:

पीएमकेयर्स फंड, अपनी घोषणाकेबादसेहीसंदेहकेघेरेमेंरहा है, और विपक्षीदलोंद्वारा इस फंडकेसंचालनमेंपारदर्शिताकीमांगकीजाती रही है।

PM-CARESके बारे में:

आपातकालीन स्थिति में प्रधान मंत्री नागरिक सहायताएवं राहत कोष(Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations Fund : PM-CARESFund) का गठन,कोविड-19 महामारी, और इसी प्रकार की अन्य आपात स्थितियों के दौरान, दान स्वीकार करने और राहत प्रदान करने के लिए किया गया था।

पीएमकेयर्सफंडकेबारेमें:

  • PM CARES फंड की स्थापना 27मार्च 2020 को ‘पंजीकरण अधिनियम, 1908’ के तहत एक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में की गयी थी।
  • यह विदेशी अंशदान से से प्राप्त दान का लाभ उठा सकता है और इस निधि में दियाजानेवाला दान100% कर-मुक्त होता है।
  • PM-CARES,‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’(PMNRF)से भिन्न है।

फंड का प्रबंधन कौन करता है?

  • प्रधानमंत्री, PM CARES फंड के पदेन अध्यक्ष और रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री, भारत सरकार निधि के पदेन न्यासी होते हैं।
  • 2021 में, केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया गया था, कि PM CARES फंड भारत सरकार का फंड नहीं है और इसके द्वारा एकत्र की गई राशि भारत के समेकित कोष में नहीं जाती है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सार्वजनिक खाता क्या है?
  2. पीएम केयर फंड का प्रबंधन कौन करता है?
  3. आरटीआई अधिनियम के दायरे से किन संगठनों को छूट दी गई है?
  4. भारत की संचित निधि के बारे में
  5. ‘धर्मार्थ ट्रस्ट’ क्या है?
  6. एनडीआरएफ के बारे में

मेंस लिंक:

PM CARESफंड को आरटीआई अधिनियम के दायरे में क्यों लाया जाना चाहिए? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

मेकेदातु जल परियोजना


(Mekedatu water project)

संदर्भ:

हाल ही में,कर्नाटक विधानसभा द्वारा ‘मेकेदातु परियोजना’ (Mekedatu project) को मंजूरी देने के लिए एक सर्वसम्मतिसे एक प्रस्ताव पारित किया गया है।

कुछ समय पूर्व,तमिलनाडु ने कर्नाटक द्वारा प्रस्तावित ‘मेकेदातु पेयजल और संतुलन जलाशय परियोजना’ के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया था।कर्नाटक ने यह प्रस्ताव, तमिलनाडु के उस प्रस्ताव की प्रतिक्रिया में पारित किया गया।

कर्नाटक की मांग:

  • कर्नाटक विधान सभा द्वारा ‘केंद्रीय जल आयोग’ और ‘पर्यावरण एवं वन मंत्रालय’ से मेकेदातु परियोजना को जल्द से जल्द मंजूरी देने का आग्रह किया गया है।
  • विधान सभासदन द्वारा केंद्रीय प्राधिकारियों से गोदावरी, कृष्णा, पेन्नार, कावेरी, वैगई और गुंडर नदी-जोड़ने की परियोजना की ‘विस्तृत परियोजना रिपोर्ट’(Detail Project Report DPR) कोतटीय राज्यों काहिस्सा तय होने तथा कर्नाटक द्वारा अपनी मंजूरी दिए जाने तक अंतिम रूप नहीं देने का आग्रह किया गया है।
  • सदन ने केंद्रीय प्राधिकारियों से तमिलनाडु की अवैध परियोजनाओं को मंजूरी नहीं देने और तमिलनाडु को उन्हें जारी रखने से रोकने का निर्देश देने का भी आग्रह किया है।

कर्नाटक द्वारा मेकेदातु परियोजना को शुरू करने के संबंध में दिए गए कारण:

‘मेकेदातु’ एक बहुउद्देशीय (जल एवं विद्युत्) परियोजना है।

  • परियोजना के तहत,कर्नाटक के रामनगर जिले में कनकपुरा के पास एक ‘संतोलन जलाशय’ (Balancing Reservoir) का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।
  • इस परियोजना का उद्देश्य, बेंगलुरू शहर और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों के लिए पीने के प्रयोजन हेतु पानी (75 टीएमसी) का भंडारण और आपूर्ति करना है। इस परियोजना के माध्यम से लगभग 400मेगावाट बिजली उत्पन्न करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
  • परियोजना की अनुमानित लागत 9,000 करोड़ रुपये है।

‘मेकेदातुपरियोजना’के बारे में अधिक जानकारी हेतु पढ़िए।

Current Affairs

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप‘कावेरी प्रबंधन योजना’के बारे में जानते हैं? इस योजना के प्रमुख घटक कौन से हैं?

प्रीलिम्स लिंक:

  1. कावेरी की सहायक नदियाँ।
  2. बेसिन में अवस्थित राज्य।
  3. नदी पर स्थित महत्वपूर्ण जलप्रपात तथा बांध।
  4. मेकेदातु कहाँ है?
  5. प्रोजेक्ट किससे संबंधित है?
  6. इस परियोजना के लाभार्थी।

मेंस लिंक:

मेकेदातु परियोजना पर एक टिप्पणी लिखिए।

https://www.google.com/amp/s/www.thehindu.com/news/national/karnataka/karnataka-assembly-adopts-unanimous-resolution-seeking-clearance-for-mekedatu-project/article65256173.ece/amp/.

स्रोत: द हिंदू।

 

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक


(Delhi Municipal Corporation (Amendment) Bill)

संदर्भ:

शीघ्र ही ‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक’ (Delhi Municipal Corporation (Amendment) Bill) संसद में पेश किया जाएगा।

  • इसका उद्देश्य, राजधानी के तीन नगर निगमों – दक्षिण, उत्तर और पूर्व – को नगर निकाय के विभाजन के दस वर्ष पूरे होने के बाद परस्पर विलय करना है।
  • वर्ष 2011 में, राज्य सरकार द्वारा बेहतर दक्षता के लिए नगर-निगम को तीन भागों में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा गया था।

आवश्यकता:

  • त्रिविभाजन की समस्याएँ: तीन नगर निकायों के बीच संपत्ति कर का असमान वितरण, अक्षम प्रबंधन और बढ़ते नुकसान आदि।
  • उपलब्ध संसाधनों में अंतर: क्षेत्रीय विभाजन, और प्रत्येक निगम की राजस्व-सृजन क्षमता के मामले में असमान त्रिविभाजन।

नगर निगमों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:

  • भारत के संविधान में, राज्य के नीति निदेशक तत्वों में ‘अनुच्छेद 40’ को शामिल करने के अलावा, ‘स्थानीय स्वशासन’ की स्थापना के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया था।
  • 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 के द्वारा संविधान में एक नया भाग IX-A सम्मिलित किया गया है, जोकि‘नगर पालिकाओं’ और ‘नगर निगमों’ के प्रशासन से संबंधित है।
  • इस भाग में अनुच्छेद 243P से 243ZG शामिल है। 74वें संशोधन अधिनियमके माध्यम से संविधान में एक नई ‘बारहवीं अनुसूची’ भी जोड़ी गयी। 12वीं अनुसूची में 18 विषय शामिल हैं।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. शहरी स्थानीय निकाय
  2. संवैधानिक प्रावधान
  3. नगर निगम
  4. दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक

मेंस लिंक:

दिल्ली के नगर निगमों के एकीकरण की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

 


सामान्य अध्ययनIII


 

विषय: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।

 

निर्यात तैयारी सूचकांक 2021


(Export Preparedness Index 2021)

संदर्भ:

हाल ही में,नीति आयोग द्वारा ‘प्रतिस्पर्धा संस्थान’(Institute of Competitiveness) के साथ साझेदारी में ‘निर्यात तैयारी सूचकांक’(EPI)2021 (Export Preparedness Index 2021)जारी किया गया है।

यह ‘निर्यात तैयारी सूचकांक’(EPI)का दूसरा संस्करण है।पहला इंडेक्स अगस्त 2020 में लॉन्च किया गया था।

सूचकांक के बारे में:

  • ‘निर्यात तैयारी सूचकांक’, भारत की निर्यात उपलब्धियों का एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
  • इसका उद्देश्य,उप-राष्ट्रीय निर्यात संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण; मूलभूत क्षेत्रों की पहचान करना है।
  • सूचकांक में,तटीय राज्यों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता के रूप में चुना गया है।

राज्यों की रैंकिंग का तरीका:

  • सूचकांक में, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का 4 मुख्य स्तंभों- नीति; व्यापार इकोसिस्टम; निर्यात इकोसिस्टम; निर्यात प्रदर्शन – के आधार पर सूची तैयार की गयी है।
  • सूचकांक ने 11 उप-स्तंभों— निर्यात प्रोत्साहन नीति; संस्थागत ढांचा; व्यापार वातावरण; आधारभूत संरचना; परिवहन संपर्क; पूंजी तक पहुंच; निर्यात आधारभूत संरचना; व्यापार समर्थन; अनुसंधान एवं विकास(आर एंड डी) आधारभूत संरचना; निर्यात विविधीकरण और विकास आकांक्षा – को भी ध्यान में रखा गया है।

सूचकांक में विभिन्न राज्यों का प्रदर्शन:

  • गुजरात ने नीति आयोग के ‘निर्यात तैयारी सूचकांक’ (ईपीआई) 2021 में लगातार दूसरी बार शीर्ष स्थान हासिल किया है।
  • सूचकांक में, महाराष्ट्र को दूसरा और कर्नाटक को तीसरा स्थान मिला है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. निर्यात तत्परता सूचकांक (EPI) कौन जारी करता है?
  2. विभिन्न श्रेणियों के तहत विभिन्न राज्यों का प्रदर्शन।
  3. राज्यों की रैंकिंग किस प्रकार की गयी है?

मेंस लिंक:

निर्यात तत्परता सूचकांक (EPI) 2021 के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

 

विषय:विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

GSAT 7Bऔर भारत के अन्य सैन्य उपग्रह


(The GSAT 7B and India’s other military satellites)

संदर्भ:

GSAT 7B उपग्रह को हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा ‘आवश्यक वस्तु के लिए स्वीकृति’ (Acceptance of Necessity – AoN)प्रदान की गयी है, यह उपग्रह भारतीय सेना के लिए एक समर्पित उपग्रह होगा।

यह उपग्रह भारतीय सेना को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी निगरानीबढ़ाने में मदद करेगा।

इस उपग्रह का महत्व:

  • जीसैट 7बी (GSAT 7B),मुख्य रूप से सेना की संचार जरूरतों को पूरा करेगा।
  • इस तरह के उपग्रह के इस्तेमाल का मतलब यह भी होगा, कि सेना के रेडियो संचार उपकरणों की विस्तृत श्रृंखला, एक ही प्लेटफ़ॉर्म के अंतर्गत आ सकती है।

जीसैट 7 उपग्रह श्रृंखला:

(GSAT 7 Satellite series)

  • ‘जीसैट 7’,रक्षा सेवाओं की संचार जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) द्वारा विकसित उन्नत उपग्रह हैं।
  • जीसैट 7 उपग्रह, हिंद महासागर क्षेत्र में लगभग 2,000 समुद्री मील की दूरी तक अपनी सेवाएं प्रदान करते है।
  • जीसैट 7 (रुक्मिणी), भारत का पहला सैन्य उपग्रह है। यह सैन्य संचार जरूरतों के लिए विभिन्न सेवाएं ​​​​प्रदान करता है, जिसमें मल्टी-बैंड संचार सहित,‘कम बिट वॉयस रेट’ से लेकर ‘हाई बिट रेट’ डेटा सुविधाएं भी शामिल हैं।
  • 2018 में लॉन्च किया गया GSAT 7A, भारतीय वायु सेना के ग्राउंड रडार स्टेशनों, एयरबेस और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट (AEW&C) के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद करता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. GSAT के बारे में
  2. GSAT 7 श्रंखला
  3. GSAT 7A
  4. GSAT 7 B

मेंस लिंक:

GSAT श्रृंखला के उपग्रहों के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय:सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

नासा वोयाजर अंतरिक्ष यान


(NASA Voyager spacecraft)

संदर्भ:

नासा के दोनों ‘वोयाजर’ अंतरिक्ष यान (NASA Voyager spacecraft), पृथ्वी से दूर जाते हुए और ‘अंतरतारकीय अंतरिक्ष’ (Interstellar Space) में गति कर रहे हैं। फिर भी हर साल, कुछ समय के लिए, दोनों अंतरिक्ष यानों की पृथ्वी से दूरी कम हो जाती है।

इसका कारण:

इसका जबाव यह है, कि हर साल कुछ महीनों के लिए, पृथ्वी अपनी कक्षा में अंतरिक्ष यानों की ओर काफी तेजी से आगे बढ़ती है और यह गति इन अंतरिक्ष यानों के पृथ्वी से दूर जाने की गति से अधिक होती है।

  • सूर्य के चारों ओर पृथ्वी,वोयाजर अंतरिक्ष यान’ की गति से अधिक, तेजी से भ्रमण करती है।
  • पृथ्वी अंतरिक्ष में67,000 मील प्रति घंटे (30 किमी/सेकंड) की गति से भ्रमण करती है। जबकि ‘वोयाजर 1’ (Voyager 1) की अंतरिक्ष में 38,210 मील प्रति घंटे (17 किमी/सेकेंड) की गति से आगे बढ़ रहा है, और वोयाजर 2 (Voyager 2) की गति 35,000 मील प्रति घंटा (15 किमी/सेकेंड) है।
  • तो, वर्ष के एक भाग में,जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती हुए उस ओर पहुँचती है, जिस ओर से अंतरिक्ष यान‘अंतरतारकीय अंतरिक्ष’ में गति कर रहे है, तो वह ‘अंतरिक्ष यानों’ के दूर जाने की गति से अधिक तेजी से उनकी ओर बढ़ती है।

इसलिए, पृथ्वी से इन अंतरिक्ष यानों’ की दूरियां कम हो जाती है, हालाँकि यह केवल अस्थायी रूप से होता है। ये अंतरिक्ष यान अपनी बाहरी गति को कभी नहीं बदलते। ये हम पृथ्वी वासी ही अपनी स्थिति बदलते रहते हैं।

इस बारे में अधिक विस्तार से समझने के लिए के लिए यहसंदर्भवीडियो देखें।

Current Affairs

‘वोयाजर मिशन’ के बारे में:

नासा का ‘वोयाजर मिशन’ (Voyager Mission)1970 के दशक में लॉन्च किया गया था। इस मिशन में नासा द्वारा अंतरिक्ष में बाहरी ग्रहों का केवल पता लगाने के ‘प्रोब’भेजे गए थे – लेकिन ये दोनों प्रोब बस अगाध अंतरिक्ष में आगे की ओर बढ़ते जा रहे हैं।

  • मिशन के तहत, ‘वोयाजर 1’ ने 5 सितंबर 1977 को पृथ्वी से प्रस्थान किया और इसके कुछ दिनों बादवायेजर 2 को पृथ्वी से छोड़ा गया था। इस दोनों अंतरिक्ष यानों ने 2013 में हमारे सौर मंडल को छोड़ दिया।
  • वोयाजर अंतरतारकीय / इंटरस्टेलर मिशन (Voyager Interstellar Mission – VIM) का मिशन उद्देश्य, नासा के सौर मंडल अन्वेषण को, बाह्य ग्रहों के निकटवर्ती क्षेत्रों से परे / आगे, हमारे सूर्य के प्रभाव क्षेत्र की बाहरी सीमाओं तक और संभवतः उससे आगे तक विस्तारित करना है।
  • वोयाजर (VOYAGER)अंतरिक्ष यान, हमारे सौर मंडल के सभी ग्रहों से आगे उड़ान भरने वाले क्रमशः तीसरे और चौथे मानव अंतरिक्ष यान है। इससे पहले ‘पायनियर 10’ और‘पायनियर 11’ सूर्य के गुरुत्वाकर्षण आकर्षण सीमा से आगे निकल गए थे, किंतु 17 फरवरी, 1998 को, वोयाजर 1, पायनियर 10 को पार करते हुए अंतरिक्ष में सबसे दूर तक पहुँचने वाली मानव निर्मित वस्तु बन गई।

अब तक की उपलब्धियां:

  • ‘वोयाजर 2’, ग्रहों की उड़ान के दौरान नेपच्यून और यूरेनस का अध्ययन करने वाला एकमात्र प्रोब है।
  • यह हमारे ग्रह से बाहर जाने वाली मानव निर्मित दूसरी वस्तु है।
  • वोयाजर 2,सभी चार गैसीय विशालकाय ग्रहों – बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून-का भ्रमण करने तथा 16 चंद्रमाओं की खोज करने वाला और साथ ही, नेप्च्यून के रहस्यमयी क्षणिक ग्रेट डार्क स्पॉट, यूरोपा के बर्फ के खोल में दरारें, और प्रत्येक ग्रह पर छल्लों जैसी विशेषताएं जैसी घटनाओं का पता लगाने वाला एकमात्र अंतरिक्ष यान है।

 इंटरस्टेलर स्पेस’ क्या है?

‘अंतरतारकीय अंतरिक्ष’ / इंटरस्टेलर स्पेस (Interstellar Space)कहां से शुरू होता है, इसे चिह्नित करने के लिए वैज्ञानिक ‘हेलियोपॉज’ (HELIOPAUSE) का उपयोग करते हैं।हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप हमारे ‘सौर मंडल’ को कैसे परिभाषित करते हैं- जोकि सूर्य से पृथ्वी की कक्षीय दूरी की तुलना में, 1,000 गुना दूर से आरंभ होने वाले ‘ऊर्ट क्लाउड’ (Oort Cloud) तक विस्तारित हो सकता है।

हेलिओस्फीयर:

हेलिओस्फीयर(Heliosphere)सूर्य के चारों ओर फैला हुआ एक बुलबुला है, जोकि सौर हवाओं के सूर्य के केंद्र से बाहर की ओर प्रवाह, तथा अंतरतारकीय हवाओं के सूर्य की ओर आने वाले प्रवाह को रोकने से निर्मित होता है।‘हेलिओस्फीयर’, सौर हवाओं के साथ आने वाले सूर्य की गत्यात्मकविशेषताओं- जैसेकि चुंबकीय क्षेत्र, ऊर्जायुक्त कण और सौर पवन प्लाज्मा आदि- से प्रभावित क्षेत्र है। ‘हेलिओपॉज़’, हेलिओस्फीयर के अंत और ‘इंटरस्टेलर स्पेस’ की शुरुआत की निशानी होते हैं।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘वोयाजर मिशन’ (Voyager Mission)
  2. वोयाजर 1
  3. वोयाजर 2
  4. हेलियोस्फीयर

मेंस लिंक:

‘वोयाजर मिशन’ (Voyager Mission)के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

GSLV-F10 प्रक्षेपण और EOS-03 उपग्रह

संदर्भ:

‘जीएसएलवी-एफ10/ईओएस-03 मिशन’ (GSLV-F10/EOS-03 mission), जिसे पिछले साल 12 अगस्त को श्रीहरिकोटा से पृथ्वी से प्रक्षेपित किया गया था- अपने प्रक्षेपण से कुछ समय बाद ही विफल हो गया था। इसकी जांच के लिए गठित एक राष्ट्रीय स्तर की ‘विफलता विश्लेषण समिति’ (Failure Analysis Committee – FAC) ने इसकी विफलता का कारण प्रक्षेपण यान के ‘क्रायोजेनिक के ऊपरी चरण’(Cryogenic Upper Stage) के ‘प्रदर्शन में विचलन’  बताया है।

‘जीएसएलवी-एफ10’, स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन के साथ ISROकी आठवीं उड़ान, GSLV की 14वींउड़ान और श्रीहरिकोटा से 79 वां प्रक्षेपण था।

EOS-03क्या है?

  1. ई.ओ.एस.-03 (EOS-3) अत्‍याधुनिक कुशल भू-प्रेक्षण उपग्रह (Earth Observation Satellite – EOS) है, जिसे GSLV-F10 के द्वारा भूतुल्‍यकाली अंतरण कक्षा (geo-synchronous orbit) में स्‍थापित किया जाना था।
  2. यह उपग्रह पृथ्वी का वास्तविक-समय प्रेक्षण एवं चित्रण करने में सक्षम है, जिसका उपयोग प्राकृतिक आपदाओं, प्रासंगिक घटनाओं और किसी भी अल्पकालिक घटनाओं की त्वरित निगरानी के लिए किया जा सकता है।
  3. इस उपग्रह को 10 वर्ष तक सेवा देने के लिए डिजाईन किया गया था।

जीएसएलवी रॉकेट क्या है?

जीएसएलवी (GSLV) का तात्पर्य ‘भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान’ (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle – GSLV) है।

  1. जीएसएलवी मार्क II (GSLV Mark II),भारत द्वारा निर्मित सबसे बड़ा प्रक्षेपण यान है।
  2. जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, यह पृथ्वी की कक्षा के साथ समकालिक कक्षाओं में भ्रमण करने वाले उपग्रहों को लॉन्च करने में सक्षम है।
  3. यह 2,500 किलोग्राम तक भार वाले उपग्रहों को प्रक्षेपित कर सकता है औरGSLV के द्वारा उपग्रहों को पहले, पृथ्वी से निकटतम दूरी अर्थात170 किमी, पर अंतरण कक्षाओं में प्रक्षेपित किया जाता है, इसके बाद उपग्रह को पृथ्वी से अधिकतम दूरी अर्थात 35,975 किमी पर स्थित भू-समकालिक कक्षा में स्थापित किया जाता है।

PSLV और GSLV के मध्य अंतर:

वर्तमान में, भारत के पास दो प्रक्षेपण यान हैं: ‘ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान’ / ’पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल’(PSLV) और ‘भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रक्षेपण वाहन’ / जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV)।

  • PSLV को ‘पृथ्वी की निचली कक्षा में परिभ्रमण करने वाले उपग्रहों’ (low-Earth Orbit satellites) को ‘ध्रुवीय एवं सूर्य तुल्यकालिक कक्षाओं’ में प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया गया था। बाद में, इस राकेट ने, भू-तुल्यकालिक, चंद्र यानों और अंतर-ग्रहीय अंतरिक्ष यानों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके अपनी बहुमुखी उपयोग क्षमता साबित की है।
  • दूसरी ओर, ‘भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रक्षेपण वाहन’ (GSLV), को इन्सैट श्रेणी के ‘भारी उपग्रहों’ को भू-तुल्यकालिक कक्षाओं में लॉन्च करने के लिए विकसित किया गया था। अपने तीसरे और अंतिम चरण में, जीएसएलवी में स्वदेशी रूप से विकसित ऊपरी चरण के क्रायोजेनिक का उपयोग उपयोग करता है।

भू-तुल्यकालिक एवं सूर्य तुल्यकालिक उपग्रहों में अंतर:

  1. पृथ्वी की सतह से लगभग 36, 000 किमी दूर पहुचने पर उपग्रह, पृथ्वी की उच्च कक्षा (High Earth orbit)में प्रवेश करते करते हैं। इस कक्षा में उपग्रह, पृथ्वी के घूर्णन के साथ समकालिक हो जाते हैं, जिससे यह आभास होता है कि उपग्रह एक ही जगह या देशांतर पर स्थिर है। इन उपग्रहों को ‘भू-तुल्यकालिक’ / जियोसिंक्रोनस (Geosynchronous) कहा जाता है।
  2. जिस तरह भू-समकालिक उपग्रहों का भूमध्य रेखा पर एक स्थान निश्चित हो जाता है, जिससे वे पृथ्वी से एक ही स्थान पर स्थिर दिखायी देते है, उसी तरह ध्रुवीय-परिक्रमा (polar-orbiting) करने वाले उपग्रहों का भी एक स्थान निश्चित होता है और ये भी एक स्थान पर दिखाई देते है। इनकी कक्षा सूर्य तुल्यकालिक/सूर्य-समकालिक (Sun-synchronous) होती है, अर्थात इस कक्षा में स्थित उपग्रह जब भी और जहाँ भी, भूमध्य रेखा को पार करता है, पृथ्वी पर स्थानीय सौर समय हमेशा एक समान होता है।Current Affairs

इंस्टा जिज्ञासु:

‘थ्री-स्टेज हैवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल’ का क्या अर्थ है? विभिन्न चरणों में प्रयुक्त होने वाले ईंधन कौन से होते?

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भू-स्थैतिक कक्षा क्या है?
  2. भू-तुल्‍यकालिककक्षा क्या है?
  3. ध्रुवीय कक्षा क्या है?
  4. अंतरण कक्षा क्या है?
  5. पीएसएलवी के बारे में

मेंस लिंक:

‘संचार उपग्रह’ क्या होते हैं? भारत के लिए इनके महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय:संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

सीसा विषाक्तता


(Lead poisoning)

संदर्भ:

हाल ही में, जाम्बिया में ‘काब्वे खदान’ (Kabwe mine) के आसपास रहने वाले हजारों बच्चों के रक्त में ‘सीसा’ का उच्च स्तर पाया गया है।

सीसा, बच्चों को किस प्रकार प्रभावित करता है?

  1. सीसा(Lead)एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन(Potent Neurotoxin)होता है जो बच्चों के दिमाग को अपूरणीय क्षति पहुंचाता है।
  2. यह विशेष रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं और बच्चों के लिए घातक होता है, क्योंकि यह उनके मस्तिष्क को पूरी तरह से विकसित होने से पूर्व ही क्षति पहुंचाता है, जिससे उन्हें आजीवन तंत्रिका-तंत्र संबंधी (Neurological), संज्ञानात्मक (Cognitive)तथा शारीरिक विकलांगता होने का संकट रहता है।
  3. बचपन में सीसा-विषाक्तता सेसंक्रमित होने कासंबध मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी समस्याओं तथा अपराध और हिंसा में वृद्धि से भी जुड़ा हुआ है।
  4. बड़े होने पर बच्चों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जिसमें उनके लिए गुर्दा फेल होने तथा हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

 

सीसा विषाक्तता सेहोने वाली आर्थिक क्षत्ति:

बचपन में सीसा-विषाक्तता से संक्रमित होने से निम्न एवं मध्यमआय वाले देशों में लगभग $ 1 ट्रिलियन अमरीकी डालर का नुकसान होता है, क्योंकि इन बच्चों की जीवन भर के लिए आर्थिक क्षमता समाप्त हो जाती है।

सीसा विषाक्तता में योगदान करने वाले कारक:

  1. लेड-एसिड बैटरियोंका अविधिवत तथा घटिया पुनर्चक्रण (Recycling)।
  2. वाहन बैटरी रीसाइक्लिंग विनियमन और अवसंरचना के बिना वाहनों की विक्री में वृद्धि।
  3. अक्सर अवैध और खतरनाक रीसाइक्लिंग कार्यों में लगे अप्रशिक्षित कारीगर बैटरियों को खुले में तोड़ते हैं, जिससे तेज़ाब और सीसे की धूल (lead dust) मिटटी में मिल जाती है और अंततः जसल स्रोतों में पहुँच जाती है।
  4. अवशिष्टसीसे को कच्ची और खुली भट्टियों में गलाया जाता है, जिससे आसपास की हवा विषाक्त हो जाती है।

 

समय की मांग:

निम्नलिखित क्षेत्रों में एक समन्वित और ठोस दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है:

  1. उचित निगरानी और रिपोर्टिंग।
  2. रोकथाम और नियंत्रण के उपाय।
  3. प्रबंधन और उपचार।
  4. जन जागरूकता और व्यवहार में परिवर्तन।
  5. क़ानून और नीतियां।
  6. वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर कार्रवाई।

 

निष्कर्ष:

रिपोर्ट में संकलित साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि सीसा विषाक्तता बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अब तक समझे जाने वाले खतरे से बहुत अधिक खतरनाक है। हालाँकि अभी और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है, किंतुतत्काल निर्णायक कार्रवाई आरंभ करने के लिए के लिए पर्याप्त आंकड़े मिल चुके हैं।

इंस्टा फैक्ट्स:

  1. मनुष्य के शरीर में सीसा (Lead) मस्तिष्क, यकृत, गुर्दे और हड्डियों में पाया जाता है। यह दांतों और हड्डियों में जमा होता है, जहां यह समय के साथ इकठ्ठा हो जाता है।
  2. गर्भावस्था के दौरान हड्डियों में पाया जाने वाला सीसा रक्त में स्रावित हो जाता है, जिससे विकासशील भ्रूण को सीसा-संक्रमण का खतरा हो सकता है।
  3. WHO ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्रमुख 10 रसायनों में सीसे को शामिल किया है।
  4. WHO ने सीसयुक्त पेंट निर्माणकी समाप्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के साथवैश्विक गठबंधन किया है।Current Affairs

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि सीसा, पृथ्वी की पपड़ी में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली जहरीली धातु है?

प्रीलिम्स लिंक:

  1. WHOद्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक घोषित प्रमुख 10 रसायन
  2. सीसयुक्त पेंट निर्माण की समाप्ति के लिए वैश्विक गठबंधन के बारे में
  3. सीसा मुख्य रूप से किस उद्योग में प्रयुक्त किया जाता है?
  4. सीसे के सबसे बड़े प्राथमिक उत्पादक
  5. भारत में सीसा उत्पादन और खपत

 

मेंस लिंक:

सीसा विषाक्तता और इसे रोकने के तरीकों पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: डाउन टू अर्थ।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 

आईएनएस वलसुरा

हाल ही में, राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने ‘आईएनएस वलसुरा’ (INS Valsura)को प्रतिष्ठित ‘प्रेसिडेंटस कलर’ (President’s Colour)यानी ‘राष्ट्रपति निशान’ प्रदान किया।

  • ‘राष्ट्रपति निशान’, शांति और युद्ध, दोनों काल में राष्ट्र को प्रदान की गई असाधारण सेवा के सम्मान में किसी सैन्य इकाई को प्रदान किया जाता है।
  • आईएनएस वलसुरा, जामनगर, गुजरात में स्थित भारतीय नौसेना का एक प्रमुख तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान है।

रिजर्व बैंक इनोवेशन हब

(Reserve Bank Innovation Hub – RBIH)

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बेंगलुरु में ‘रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब’(RBIH)का उद्घाटन किया गया।

  • RBIH की स्थापना देश में वित्तीय नवाचार को प्रोत्साहन देने के इरादे से की गई है। इस नवाचार केंद्र के जरिये वित्तीय सेवाओं एवं उत्पादों तक निम्न-आय समूह की पहुंच को बढ़ावा देने वाली पारिस्थितिकी बनाने की कोशिश की जाएगी।
  • रिजर्व बैंक ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा आठ की कंपनी के तौर पर RBIH का गठन किया है। इसके लिए शुरुआती तौर पर 100 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई गई है।
  • नई इकाई में एक स्वतंत्र बोर्ड का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष ‘एस गोपालकृष्णन’ है।
  • ‘रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब’(RBIH)का उद्देश्य, देश में निम्न आय वाली आबादी के लिए वित्तीय सेवाओं और उत्पादों तक पहुंच को बढ़ावा देने पर केंद्रित पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।

H2Ooooh!कार्यक्रम

  • H2Ooooh! कार्यक्रम, यूनेस्को द्वारा जुलाई 2021 में ‘राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन’(NMCG) और अन्य के साथ संयुक्त रूप से लॉन्च किया गया था।
  • H2Ooooh! कक्षा 1-8 तक के भारतीय स्कूली छात्रों के लिए तैयार किया गया एक अनूठा कार्यक्रम है।

उद्देश्य:

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य, पानी की सीमित उपलब्धता, इसके सतत उपयोग, इसके संरक्षण, इसके दोहन और संबंधित विषयों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
  • यह छात्रों को, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपने स्वयं के अनुभव और प्रस्तावों को साझा करने में सक्षम बनाता है।
  • तीन चरणों में विभाजित, इस कार्यक्रम का उद्देश्य रचनात्मकता को बढ़ावा देना और 6-14 वर्ष की आयु के बीच के छात्रों के लिए जल संरक्षण और इसके सतत उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना, प्रशिक्षण प्रदान करना और उन्हें एनिमेटेड लघु फिल्मों के लिए पेंटिंग और कहानी विचार प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करना है। .

परीक्षा में नकल रोकने के लिए राजस्थान सरकार का कानून

हाल ही में,राज्य सरकार ने ‘राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय) विधेयक, 2022’पेश किया गया है।

विधेयक में, सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने के लिए, 10 साल तक की कैद और जुर्माने के रूप में 10 करोड़ रुपये और संपत्ति की कुर्की / जब्तीकी सजा के सख्त प्रावधान किए गए हैं।

आवश्यकता:

  • संविधान के अनुच्छेद 16(1) के तहत अवसर की समानता के मानदंड के अधीन, पदों पर चयन हेतु एक ‘निष्पक्ष और उचित प्रक्रिया’ एक संवैधानिक आवश्यकता है।
  • अनुच्छेद 14 के तहत एक ‘निष्पक्ष और उचित भर्ती प्रक्रिया’ एक मूलभूत आवश्यकताभी है।

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