[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 11 March 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-I

1. न्यायपालिका में महिलाएं।

2. राजनीतिक दलों का पंजीकरण

 

सामान्य अध्ययन-III

1. आरबीआई द्वारा 5 बिलियन डॉलर मूल्य के ‘डॉलर-रुपया स्वैप’ का तात्पर्य

2. “प्रजाति समृद्धि” सर्वेक्षण

3. भारत में बाघों का घनत्व

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. धर्म गार्जियन-2022

2. मांकडिंग नियम

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।

न्यायपालिका में महिलाएं


(Women in Judiciary)

संदर्भ:

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित 37 में से केवल 17 महिलाओं को उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है, जबकि शेष अनुशंसाएं अभी भी सरकार के पास लंबित हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया है।

‘भारत के मुख्य न्यायाधीश’ द्वारा दिए गए सुझाव:

  • महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति को केवल “प्रतीकात्मक” संकेतों तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए।
  • महिला न्यायाधीश, न्याय के संदर्भ में समृद्ध अनुभव का योगदान करती हैं और पुरुषों और महिलाओं, दोनों पर कुछ कानूनों के अलग-अलग प्रभावों की सूक्ष्म समझ को न्यायपटल पर लाती हैं।

भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं की स्थिति:

  • सुप्रीम कोर्ट के 71 वर्षों के इतिहास में, अब तक केवल 11 महिला न्यायाधीश (स्रोत: विकिपीडिया) शीर्ष अदालत में नियुक्त की गयी हैं। सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला न्यायाधीश ‘फातिमा बीवी’ थीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट की स्थापना से 39 साल के लंबे अंतराल के बाद शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत किया गया था।
  • राज्यों के 25 उच्च न्यायालयों में नियुक्त 677 न्यायाधीशों में से 81 महिलाएं हैं – और इनमें से पांच उच्च न्यायालयों में एक भी महिला न्यायाधीश नहीं हैं।

सर्वोच्च न्यायालय में विविधता और लैंगिक प्रतिनिधित्व के लाभ:

  1. न्यायपालिका में पारदर्शिता, समावेशिता और प्रतिनिधित्व में वृद्धि।
  2. अपनी उपस्थिति मात्र से, महिला न्यायाधीश अदालतों की वैधता में वृद्धि करती हैं, एक सशक्त संकेत भेजती हैं कि अदालतें, न्याय की शरण में आने वालों के लिए खुली है और सुलभ हैं।
  3. महिला न्यायाधीश, न्याय की संभावना में सुधार करने के अलावा, कहीं अधिक योगदान कर सकती हैं: वे निर्णय लेने की गुणवत्ता में भी महत्वपूर्ण योगदान देकर, न्याय की गुणवत्ता में भी योगदान देती हैं।
  4. कानून और निर्णय किस तरह लैंगिक रूढ़ियों पर आधारित हो सकते हैं, अथवा इनका महिलाओं और पुरुषों पर अलग-अलग प्रभाव किस तरह पड़ सकता है, इसको स्पष्ट करते हुए ‘लैंगिक परिप्रेक्ष्य’ न्यायनिर्णयन की निष्पक्षता में वृद्धि करता है।
  5. महिला न्यायाधीश, अपने साथ बीते हुए अनुभवों का अपने न्यायिक कार्यों के उपयोग में लाती हैं, ऐसे अनुभव, अधिक व्यापक और समानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण की ओर प्रवृत्त करते हैं।
  6. यौन हिंसा से जुड़े मामलों में, न्यायिक प्रक्रिया में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार, अधिक संतुलित और समानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण की दिशा में अति महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

 

न्यायपालिका में महिलाओं के प्रवेश संबंधी चुनौतियाँ:

  • जिला न्यायाधीशों के रूप में महिलाओं की भर्ती में, प्रवेश परीक्षा के लिए पात्रता मानदंड एक प्रमुख बाधा हैं।
  • न्यायाधीश बनने हेतु, वकीलों के लिए सात साल की निरंतर कानूनी प्रैक्टिस, और 35-45 की आयु वर्ग में होना आवश्यक होता है।
  • यह शर्त, महिलाओं के लिए नुकसान-देह है, क्योंकि इस उम्र में कई महिलाओं की शादी हो जाती है।
  • इसके अलावा, कानूनी क्षेत्र में लंबे और कड़े काम के घंटे, पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ, कई महिलाओं को कानूनी प्रैक्टिस छोड़ने के लिए मजबूर कर देते हैं और जिससे वे निरंतर प्रैक्टिस की अनिवार्यता को पूरा करने में विफल रहती हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि वर्तमान में, सर्वोच्च न्यायालय के अब तक के इतिहास में सर्वाधिक महिला न्यायाधीश हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. कॉलेजियम क्या है?
  2. सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति कैसे की जाती है?
  3. सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति
  4. संबंधित संवैधानिक प्रावधान
  5. शक्तियां और कार्य

मेंस लिंक:

न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।

राजनीतिक दलों का पंजीकरण


(Registration of political parties)

संदर्भ:

आम आदमी पार्टी (AAP) हाल ही में हुए चुनावों में भाजपा के अलावा एकमात्र बड़ी विजेता बन कर उभरी है। रुझानों के अनुसार, पार्टी 91 सीटों पर बढ़त के साथ पंजाब में सरकार बनाने, और 6% का वोट शेयर सहित गोवा में दो सीटों के साथ अपना खाता खोलने के लिए तैयार है।

क्या ‘आम आदमी पार्टी’ राष्ट्रीय पार्टी होने का दावा कर सकती है?

अभी नहीं।

किसी पार्टी को ‘राष्ट्रीय पार्टी’ (National Party) के रूप में पहचाने जाने के लिए तीन निर्धारित मानदंडों में से एक को पूरा करने की आवश्यकता होती है – और अभी AAP उनमें से किसी को भी पूरा नहीं करती है।

राजनीतिक दलों का पंजीकरण:

राजनीतिक दलों का पंजीकरण (Registration of Political Parties) ‘लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम’ (Representation of the People Act), 1951 की धारा 29A के प्रावधानों के अंतर्गत किया जाता है।

किसी राजनीतिक दल को पंजीकरण कराने हेतु अपनी स्थापना 30  दिनों के भीतर संबंधित धारा के तहत भारतीय निर्वाचन आयोग के समक्ष, निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार आवेदन प्रस्तुत करना होता है। इसके लिए भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 324 और ‘लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम’, 1951 की धारा 29A  द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग दिशा-निर्देश जारी करता है।

भारत के ‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ के लिए पात्रता:

  1. राजनीतिक दल द्वारा, लोकसभा चुनावों में कुल लोकसभा सीटों की 2 प्रतिशत (543 सदस्य की वर्तमान संख्या में से 11 सदस्य) सीटों पर जीत हासिल की गयी हो तथा ये सदस्य कम-से-कम तीन अलग-अलग राज्यों से चुने गए हों।
  2. चार अथवा अधिक राज्यों में होने वाले आम चुनावों अथवा विधानसभा चुनावों में होने वाले कुल मतदान के न्यूनतम छह प्रतिशत वैध मतों को हासिल करना अनिवार्य होता है।
  3. चार या अधिक राज्यों में ‘राज्य पार्टी’ के रूप में मान्यता प्राप्त होनी चाहिए। इसके अलावा, इसके लिए किसी भी राज्य अथवा राज्यों से लोकसभा में न्यूनतम चार सीटों पर विजय हासिल करनी चाहिए।

 

‘राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के लिए पात्रता:

  1. किसी राजनीतिक दल को ‘राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु, राज्य में हुए लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में होने वाले मतदान के कुल वैध मतों का न्यूनतम छह प्रतिशत हासिल करना अनिवार्य है।
  2. इसके अलावा, इसके लिए संबंधित राज्य की विधान सभा में कम से कम दो सीटों पर जीत हासिल होनी चाहिए।
  3. राजनीतिक दल के लिए, राज्य की विधानसभा के लिये होने वाले चुनावों में कुल सीटों का 3 प्रतिशत अथवा 3 सीटें, जो भी अधिक हो, हासिल होनी चाहिए। या
  4. राजनीतिक दल द्वारा राज्य विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव के दौरान, प्रत्येक 25 लोकसभा सीटों से एक सांसद या राज्य में कुल मतों का आठ प्रतिशत हासिल किए गए हों।

लाभ:

  1. राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी पंजीकृत दल को, संबंधित राज्‍य में अपने उम्‍मीदवारों को दल के लिये सुरक्षित चुनाव चिन्ह आवंटित करने का विशेषाधिकार प्राप्त होता है।
  2. राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी पंजीकृत दल को पूरे भारत में अपने उम्‍मीदवारों को दल के लिये सुरक्षित चुनाव चिन्‍ह आवंटित करने का विशेषाधिकार प्राप्‍त होता है।
  3. मान्‍यता प्राप्‍त राष्‍ट्रीय या राज्‍यस्‍तरीय राजनीतिक दलों के उम्‍मीदवारों को नामांकन-पत्र दाखिल करते वक्‍त सिर्फ एक ही प्रस्‍तावक की ज़रूरत होती है। साथ ही, उन्‍हें मतदाता सूचियों में संशोधन के समय मतदाता सूचियों के दो सेट नि:शुल्क पाने का अधिकार भी होता है तथा आम चुनाव के दौरान इनके उम्‍मीदवारों के लिए मतदाता सूची का एक सेट नि:शुल्क प्रदान की जाती है।
  4. इनके लिए, आम चुनाव के दौरान उन्‍हें आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रसारण की सुविधा प्रदान की जाती है।
  5. मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए आम चुनाव के दौरान स्‍टार प्रचारकों (Star Campaigner) की यात्रा का खर्च उस उम्‍मीदवार या दल के खर्च में नहीं जोड़ा जाता है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राजनीतिक दलों का पंजीकरण
  2. मान्यता प्राप्त बनाम गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल
  3. राज्य बनाम राष्ट्रीय दल
  4. मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए लाभ
  5. स्टार प्रचारक कौन होते है?
  6. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324
  7. ‘लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम’, 1951 की धारा 29A

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

आरबीआई द्वारा 5 बिलियन डॉलर मूल्य के ‘डॉलर-रुपया स्वैप का तात्पर्य


(What does RBI’s $5 billion dollar-rupee swap mean?)

संदर्भ:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा अपनी ‘चलनिधि प्रबंधन पहल’ (Liquidity Management Initiative)  के हिस्से के रूप में 5 बिलियन डॉलर मूल्य के ‘डॉलर-रुपया स्वैप’ अर्थात ‘अदला-बदली’ (Dollar-Rupee Swap Auction) की नीलामी का आयोजन किया गया। जिसके परिणामस्वरूप, वित्तीय प्रणाली में डॉलर का प्रवाह हुआ है एवं रुपये को वित्तीय प्रणाली से बाहर निकाला गया है।

‘डॉलर-रुपया स्वैप’ नीलामी के बारे में:

  • ‘डॉलर-रुपया स्वैप’ नीलामी (Dollar–Rupee Swap auction) एक ‘विदेशी मुद्रा उपकरण’ (Forex Tool) है, जिसके द्वारा केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा का उपयोग किसी अन्य मुद्रा को खरीदने या अन्य मुद्रा से अपनी मुद्रा को बदलने की कार्रवाई करते हैं।
  • डॉलर-रुपया खरीद/बिक्री स्वैप में, केंद्रीय बैंक द्वारा भारतीय रुपये (INR) के बदले में बैंकों से डॉलर (अमेरिकी डॉलर या USD) खरीदे जाते हैं और इसके तुरंत बाद, किसी बाद की तारीख में डॉलर बेचने का वादा करने वाले बैंकों के साथ एक ‘विपरीत सौदा’ अर्थात ‘डॉलर के बदले रुपए’ खरीदने का समझौता किया जाता है।

केंद्रीय बैंकों के इस प्रक्रिया में शामिल होने के कारण:

  • विदेशी मुद्रा स्वैप (Forex swaps) ‘चलनिधि प्रबंधन’ में मदद करते हैं।
  • यह प्रक्रिया, एक सीमित तरीके से, मुद्रा दरों को नियंत्रण में रखने में भी मदद करती है।
  • ‘डॉलर-रुपया खरीद/बिक्री स्वैप’ (Dollar–Rupee Buy/Sell Swap) में बैंकिंग प्रणाली से डॉलर बाहर निकालता है और भारतीय रुपए को प्रविष्ट करता है, और ‘डॉलर-रुपया बिक्री/ खरीद स्वैप’ (Dollar–Rupee Sell/Buy Swap) में इसके विपरीत होता है, अर्थात बैंकिंग प्रणाली से भारतीय रुपया बाहर निकालता है और डॉलर को प्रविष्ट होता है।

वर्तमान में आरबीआई द्वारा इस उपकरण के इस्तेमाल का कारण:

हाल ही में, बैंकिंग प्रणाली में ‘अधिशेष चलनिधि /तरलता’ 7.5 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए इस ‘चलनिधि अधिशेष’ को कम करने की जरूरत है।

  • आमतौर पर, ऐसी स्थिति में, केंद्रीय बैंक द्वारा ‘रेपो दर’ बढ़ाने या ‘नकद आरक्षित अनुपात’ (CASH RESERVE RATIO – CRR) बढ़ाने जैसे पारंपरिक साधनों का उपयोग किया जाता है, किंतु वर्तमान में इसका अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • इसलिए, आरबीआई द्वारा पिछले वर्ष एक अन्य उपकरण / टूलकिट – ‘परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो नीलामी’ (Variable Rate Reverse Repo Auction – VRRR) का इस्तेमाल किया गया।

प्रभाव:

‘विदेशी मुद्रा स्वैप’ का अभिप्राय ‘चलनिधि प्रबंधन’ (Liquidity Management) करना होता है। इसलिए, मुद्रा पर उनका प्रभाव केवल ‘प्रांसगिक’ (Incidental) होता है।

  • आरबीआई द्वारा दो चरणों में अमेरिकी डॉलर की बिक्री, रुपये की अस्थिरता पर नियंत्रण रखेगी और कुछ हद तक इसके मूल्यह्रास को रोकने में भी सहायक होगी।
  • बांड बाजार (Bond Market) पर इस प्रक्रिया का स्पष्ट प्रभाव पड़ सकता है।
  • ‘बांड प्रतिफल’ (Bonds yields) पहले से ही ढलान की ओर प्रवृत्त है। स्वैप के माध्यम से ‘चलनिधि हस्तक्षेप’, आरबीआई द्वारा ‘पारंपरिक उपकरणों के बजाय एक अलग ‘टूलकिट’ का उपयोग किए जाने की योजना को इंगित करता है, और यह केंद्रीय बैंक के लिए जरूरत पड़ने पर ‘बांड खरीदने’ के लिए अवसर छोड़ देता है। नतीजतन, इस रणनीति में सकारात्मक ‘बॉन्ड यील्ड’ की प्राप्ति भी शामिल होगी।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘करेंसी स्वैप’ क्या है?
  2. प्रभाव
  3. आरबीआई मौद्रिक नीति उपकरण
  4. बॉन्ड यील्ड
  5. बॉन्ड यील्ड कर्व

मेंस लिंक:

आरबीआई करेंसी स्वैप के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

“प्रजाति समृद्धि” सर्वेक्षण


(“Species Richness” Survey)

संदर्भ:

पंजाब के ‘वन और वन्यजीव संरक्षण विभाग’ (Department of Forests and Wildlife Preservation) द्वारा प्रतिवर्ष  ‘छह प्रमुख और सर्वाधिक जैव विविधता युक्त आर्द्रभूमि स्थलों’ में ‘जलपक्षी गणना प्रक्रिया’ (Waterbirds Census Exercise) का आयोजन किया जाता है।

  • इन छह आद्र्भूमि स्थलों में ‘नंगल वन्यजीव अभयारण्य, रोपड़ संरक्षण रिजर्व, हरिके वन्यजीव अभयारण्य, कांजली वेटलैंड, केशोपुर-मीअनी सामुदायिक रिजर्व (Keshopur–Miani Community Reserve) और रंजीत सागर संरक्षण रिजर्व शामिल हैं।
  • हालांकि, इस साल घने कोहरे की वजह से जनगणना नहीं हो सकी। अतः इसके स्थान पर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के सहयोग से ‘वन और वन्यजीव संरक्षण विभाग’ द्वारा “प्रजाति समृद्धि” सर्वेक्षण (“Species Richness” Survey) किया गया था।

 

जलपक्षियों के बारे में:

‘वेटलैंड्स इंटरनेशनल’ (Wetlands International) के अनुसार, जलपक्षी / वाटरबर्ड्स (Waterbirds) को पारिस्थितिक रूप से आर्द्रभूमि पर निर्भर पक्षियों की प्रजातियों के रूप में परिभाषित किया गया है। इन पक्षियों को किसी क्षेत्र की आर्द्रभूमि का एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संकेतक माना जाता है।

सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदु:

  • सर्वेक्षण के दौरान, राज्य की छह संरक्षित आर्द्रभूमियों में जलपक्षियों की 91 प्रजातियां दर्ज की गईं।
  • ‘हरिके वन्यजीव अभयारण्य’ में वाटरबर्ड की संख्या सबसे अधिक पायी गयी, इसके बाद केशोपुर-मिआनी सामुदायिक रिजर्व, रोपड़ संरक्षण रिजर्व और नंगल वन्यजीव अभयारण्य का स्थान रहा।
  • ‘केशोपुर- मिआनी’ और ‘शालपट्टन’ (Shallpattan) जैसी आर्द्रभूमि पंजाब में एकमात्र ऐसी आर्द्रभूमि है, जहां ‘कॉमन क्रेन’ की प्रवासी आबादी और ‘सारस क्रेन’ की निवासी आबादी (Resident Population), दोनों पायी जाती है।
  • रोपड़ और नंगल आर्द्रभूमि में ‘पोडिसिपिडिडे (Podicipedidae) परिवार’ की तीन प्रवासी जल प्रजातियां, अर्थात ‘काली गर्दन वाले ग्रीबे’ (Black-Necked Grebe), हॉर्नड ग्रीबे और ग्रेटर क्रेस्टेड ग्रीबे और निवासी जल प्रजाति ‘लिटिल ग्रीबे’ पायी जाती है।
  • ‘यूरेशियन कूट’ (Eurasian Coot), सर्वेक्षण के दौरान पंजाब के लगभग सभी संरक्षित आर्द्रभूमियों में पाए जाने वाले सबसे आम जलपक्षियों में से एक था।

सर्वेक्षण के दौरान दर्ज की गयी ‘संरक्षण हेतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रजातियों’ में शामिल हैं:

बोनेली ईगल, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, नॉर्दर्न लैपविंग, पेरेग्रीन फाल्कन, स्टेपी ईगल, वेस्टर्न ब्लैक-टेल्ड गॉडविट, ब्लैक-हेडेड आइबिस, सारस क्रेन, पेंटेड स्टॉर्क, वूली-नेकेड स्टॉर्क, कॉमन पोचार्ड, कॉमन क्रेन, फेरुगिनस पोचार्ड, पल्लीड हैरियर, रिवर टर्न, इंडियन स्पॉटेड ईगल, रिवर लैपविंग, ओरिएंटल डार्टर और यूरेशियन कर्लेव।

‘मध्य एशियाई फ्लाईवे’ के बारे में:

हर साल सर्दियों के दौरान, बहुत सारे पक्षी ‘मध्य एशियाई फ्लाईवे’ (Central Asian flyway – CAF) के रास्ते से भारत में आते हैं। इस ‘फ्लाईवे’ के अंतर्गत, आर्कटिक और हिंद महासागरों के मध्य यूरोप-एशिया के एक बड़ा महाद्वीपीय क्षेत्र आता है।

‘प्रवासन’ एवं इसका महत्व:

प्रवासन (Migration), पक्षियों को मौसम की प्रतिकूलताओं और ठंडे क्षेत्रों में भोजन की अनुपलब्धता से उबरने में मदद करने के लिए एक ‘अनुकूलन तंत्र’ होता है।

  • पक्षियों के प्रवासन का पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले महत्व को अच्छी तरह से साबित हो चुका है।
  • प्रवासी पक्षियों को बचाने का अर्थ, आर्द्रभूमियों, स्थलीय आवासों और पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना तथा आर्द्रभूमियों पर निर्भर समुदायों को लाभ पहुंचाना है।

प्रवासी पक्षियों के सामने आने वाली चुनौतियाँ:

  1. पिछले दशक के दौरान विश्व स्तर पर इनके आवासों का लगातार नष्ट होना।
  2. जल निकायों, आर्द्रभूमियों, प्राकृतिक घास के मैदानों और जंगलों के अंतर्गत क्षेत्रफल में कमी।
  3. बढ़ती हुई मौसम परिवर्तनशीलता और जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप प्रवासी पक्षियों के लिए आवश्यक ‘जैव विविधता’ का नुकसान हुआ है।

उड़ान-मार्ग / ‘फ्लाईवे’ क्या है?

उड़ान-मार्ग (Flyway), वह भौगोलिक क्षेत्र होता है, जिसके भीतर कोई प्रवासी पक्षी या प्रवासी प्रजातियों के समूह, प्रजनन, पंखो को झाड़ने (Moulting), ठहरने और गैर-प्रजनन जैसी गतिविधियों का अपना वार्षिक चक्र पूरा करते हैं।

 

‘मध्य एशियाई फ्लाईवे’ के बारे में:

मध्य एशियाई फ्लाईवे (CAF) के अंतर्गत, आर्कटिक और हिंद महासागरों के मध्य यूरेशिया के एक बड़ा क्षेत्र आता है।

  • मध्य एशियाई फ्लाईवे के अंतर्गत भारत सहित 30 अन्य देश आते हैं।
  • ‘मध्य एशियाई फ्लाईवे’ में जलपक्षियों के कई महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग भी आते हैं, जिनमें से अधिकांश प्रवास मार्ग, साइबेरिया में फैले हुए सबसे उत्तरी प्रजनन मैदान से लेकर, पश्चिम एशिया, भारत, मालदीव और ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र में फैले हुए दक्षिणी शीतकालीन गैर-प्रजनन गतिविधियों वाले मैदानों तक विस्तारित हैं।

उड़ान-मार्गों की रक्षा करने की आवश्यकता:

  • विश्व की 11,000 पक्षी प्रजातियों में प्रति पांच में से लगभग एक पक्षी प्रजाति सालाना प्रवास करती है, जिनमे से कुछ प्रजातियाँ बहुत लंबी दूरी तय करती हैं। प्रवासी पक्षियों के संरक्षण हेतु देशों और राष्ट्रीय सीमाओं के बीच पूरे फ्लाईवे के साथ सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है।
  • फ्लाईवे की सुरक्षा का अर्थ है, शिकारियों से पक्षियों की रक्षा करना तथा आर्द्रभूमियों का कायाकल्प करना आदि। आर्द्रभूमियों का बचाव करना, स्थलीय आवास पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के बड़े उद्देश्य को पूरा करने में मदद करता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि भारत पहले ही ‘मध्य एशियाई फ्लाईवे’ के साथ ही प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू कर चुका है

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. मध्य एशियाई फ्लाईवे के बारे में।
  2. भारत में प्रवासी पक्षी।
  3. प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर कन्वेंशन के बारे में।

मेंस लिंक:

भारत में जलपक्षी / वाटरबर्ड जनगणना क्या है? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

भारत में बाघ घनत्व


(Tiger Density in India)

संदर्भ:

भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा किए गए एक अध्ययन के प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, सुंदरबन में बाघों की संख्या, संभवतः मैंग्रोव वन की वहन क्षमता के उच्चतम स्तर तक पहुँच चुकी है, जिसके परिणामस्वरूप बाघों के वनक्षेत्र से बाहर जाने की प्रायः होने वाली घटनाओं और मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि हुई है।

बाघों का उच्च घनत्व, इनको नए क्षेत्रों की तलाश में जंगलों से बाहर निकलने के लिए मजबूर करेगा। हाल ही में, लगभग आठ बाघ सुंदरबन के गांवों में घुसे गए थे और जिनको बाद में पकड़कर जंगल में छोड़ दिया गया।

क्षमता:

  • तराई और शिवालिक पहाड़ियों में स्थित आवास क्षेत्र में – उदाहरण के लिए ‘जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व’, – प्रति 100 वर्ग किमी में मात्र 10-16 बाघ जीवित रह सकते हैं।
  • ‘बांदीपुर’ जैसे उत्तर-मध्य पश्चिमी घाट के रिजर्व में यह संख्या घटकर प्रति 100 वर्ग किमी में 7-11 बाघ तक पहुच सकती है।
  • 2018 की ‘अखिल भारतीय बाघ रिपोर्ट’ के अनुसार, सुंदरबन में प्रति 100 वर्ग किमी में लगभग 4 बाघों की वहन क्षमता है।

बाघों के घनत्व को निर्धारित करने वाले कारक:

  • भोजन और स्थान की उपलब्धता।
  • सहिष्णुता का स्तर: बाघ-आवास क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले स्थानीय लोगों द्वारा, प्रबंधन रणनीतियों को तय करने वाले नीति निर्माताओं के लिए ‘सहिष्णुता स्तर’ का प्रदर्शन किया जाता है।

मानव वन्यजीव संघर्ष के कारण:

भौतिक (स्थान) और जैविक (वन उत्पादकता) कारकों का, किसी अभ्यारण्य की बाघों की वहन क्षमता पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, जब विभिन्न भूमि उपयोगों का अतिव्यापन (ओवरलैप) होने लगता है, और काफी संख्या में लोग आजीविका के लिए वन संसाधनों पर निर्भर होते हैं, ऐसी स्थिति में भी ‘मानव वन्यजीव संघर्ष’ की घटनाएँ बढ़ जाती है।

बाघ घनत्व वाले क्षेत्रों में संघर्ष से बचने हेतु आगे की राह:

  • अभ्यारण्य में शिकार के ‘आधार-क्षेत्र’ को कृत्रिम रूप से बढ़ाना।
  • टाइगर कॉरिडोर: जंगलों के बीच सुरक्षित संपर्क मार्गों का निर्माण किया जाना चाहिए और बाघों को नए क्षेत्रों में सुरक्षित रूप से फैलने देना चाहिए।

बाघों की आबादी से संबंधित प्रमुख तथ्य:

  1. ‘वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर’ (WWF) के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में बाघों की संख्या 95 प्रतिशत तक कम हो गई है।
  2. भारत में ‘रॉयल टाइगर्स’ पाए जाते है, और यहाँ वर्तमान में बाघों की संख्या 2967 है, जोकि जो बाघों की कुल वैश्विक आबादी का 70 प्रतिशत है।
  3. देश में बाघों की सर्वाधिक संख्या, मध्य प्रदेश (526) में है, इसके पश्चात क्रमशः कर्नाटक (524) तथा उत्तराखंड (442) का स्थान हैं।
  4. मध्यप्रदेश का बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध है, और यहाँ भारत में बाघों का सर्वाधिक घनत्व पाया जाता है।
  5. मध्य प्रदेश का ‘कान्हा बाघ अभ्यारण्य, ‘भूरसिंह बारासिंघा’ को आधिकारिक तौर पर अपने शुभंकर के रूप में पेश करने वाला भारत का पहला बाघ अभयारण्य है।

वैश्विक तथा राष्ट्रीय स्तर पर बाघ संरक्षण के प्रयास:

  1. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority- NTCA) द्वारा वन- रक्षकों के लिए एक मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम, M-STrIPES- मॉनिटरिंग सिस्‍टम फॉर टाइगर्स इंटेंसिव प्रोटेक्‍शन एंड इकोलॉजिकल स्‍टेट्स (Monitoring system for Tigers’ Intensive Protection and Ecological Status) लॉन्च किया गया है।
  2. वर्ष 2010 में आयोजित पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में, वैश्विक स्तर पर 13 बाघ रेंज वाले देशों के नेताओं ने T X 2’ नारा देते हुए बाघों की संख्या को दोगुना करने हेतु अधिक प्रयास करने का संकल्प लिया।
  3. विश्व बैंक ने अपने ‘ग्लोबल टाइगर इनिशिएटिव’ (GTI) कार्यक्रम, के माध्यम से, अपनी उपस्थिति और संगठन क्षमता का उपयोग करते हुए, बाघ एजेंडे को मजबूत करने हेतु वैश्विक साझेदारों को एक मंच पर एकत्रित किया है।
  4. पिछले कुछ वर्षों में, ‘ग्लोबल टाइगर इनिशिएटिव’ (GTI) पहल, ‘ग्लोबल टाइगर इनिशिएटिव काउंसिल (GTIC) के संस्थागत रूप में स्थापित हो गयी है, तथा अब यह, – ग्लोबल टाइगर फोरम (Global Tiger Forum) तथा ग्लोबल स्नो लेपर्ड इकोसिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम (Global Snow Leopard Ecosystem Protection Program)- के माध्यम से बाघ संरक्षण संबंधी कार्यक्रम चला रही है।
  5. भारत में वर्ष 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की शुरुआत की गयी, जो वर्तमान में 50 से अधिक संरक्षित क्षेत्रों में, देश के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 2% के बराबर क्षेत्रफल, में सफलतापूर्वक जारी है।

 

संरक्षण स्थिति:

  1. भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
  2. अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) रेड लिस्ट: लुप्तप्राय (Endangered)
  3. लुप्तप्राय वन्यजीव तथा वनस्पति प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES): परिशिष्ट-I

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘अखिल भारतीय बाघ आकलन 2018’ के चौथे चक्र के परिणामों ने विश्व का ‘सबसे बड़ा कैमरा ट्रैप वन्यजीव सर्वेक्षण’ होने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है?

भारत के 14 बाघ अभयारण्यों को ‘अच्छे बाघ संरक्षण’ के लिए ‘ग्लोबल कंजर्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स’ (CA|TS) मान्यता प्रदान की गई है। CA|TS मान्यता क्या है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और जीवमंडल संरक्षित क्षेत्र के मध्य अंतर
  2. भारत में महत्वपूर्ण बायोस्फीयर रिजर्व
  3. M-STREIPES किससे संबंधित है?
  4. GTIC क्या है?
  5. प्रोजेक्ट टाइगर कब लॉन्च किया गया था?
  6. NTCA- रचना और कार्य
  7. अखिल भारतीय बाघ आकलन 2018 के चौथे चक्र को गिनीज रिकॉर्ड बुक में क्यों दर्ज किया गया है?
  8. सबसे ज्यादा बाघों वाला राज्य
  9. उच्चतम बाघ घनत्व वाला राज्य

मेंस लिंक:

बाघ एजेंडे को महत्व देना, हमारे पर्यावरण की संवहनीयता बनाए रखने हेतु एक पारिस्थितिक- आवश्यकता है। इस संदर्भ में, बाघों के संरक्षण के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की विवेचना कीजिए?

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 धर्म गार्जियन-2022

‘धर्म गार्जियन सैन्य अभ्यास’ (Exercise Dharma Guardian) भारतीय सेना और जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज के बीच आयोजित किया जाने वाला एक वार्षिक युद्धाभ्यास है।

  • इसका नवीनतम संस्करण हाल ही में कर्नाटक के बेलगाम में संपन्न हुआ है।
  • भारत और जापान के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने के लिए, ‘धर्म गार्जियन सैन्य अभ्यास’ का पहला संस्करण नवंबर 2018 में वैरेंगटे में भारतीय सेना के ‘काउंटर इंसर्जेंसी वारफेयर स्कूल’ में आयोजित किया गया था।

 

मांकडिंग नियम

मांकडिंग (Mankading) क्रिकेट में ‘रन आउट’ की एक विधि होती है, जिसमे एक गेंदबाज, गैर-स्ट्राइकर बल्लेबाज को क्रीज से बाहर होने पर गेंदबाजी करने से पहले गिल्ली उड़ाकर आउट कर देता है।

  • हालांकि, खिलाड़ी को आउट करने के लिए कानूनी रूप से स्वीकार्य है, लेकिन इसे खेल की भावना के खिलाफ माना जाता है।
  • इस ‘पद्धति’ का नाम महान भारतीय गेंदबाज ‘वीनू मांकड़’ (Vinoo Mankad) के नाम पर रखा गया है।

चर्चा का कारण:

हाल ही में, ‘मेरिलबोन क्रिकेट क्लब’ (Marylebone Cricket Club) द्वारा घोषित नए कानूनों में ‘मांकडिंग’ को नॉन-स्ट्राइकर को रन आउट करने का एक सामान्य तरीका बना दिया गया है।


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