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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
1. करेवा निक्षेप
सामान्य अध्ययन-II
1. फिलीपींस में ‘ऐज ऑफ़ कंसेंट’ में वृद्धि
2. राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम
3. खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम में संशोधन
4. अस्थायी सुरक्षा निदेश, 2001
सामान्य अध्ययन-III
1. यूपीआई123पे
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. परम गंगा
2. WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन
3. नारी शक्ति पुरस्कार
सामान्य अध्ययन-I
विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान।
करेवा निक्षेप
संदर्भ:
जम्मू-कश्मीर में, विकास के नाम पर कश्मीर की अत्यधिक उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी जिसे ‘करेवा’ (Karewas) कहा जाता है, को नष्ट किया जा रहा है।
इसके कृषि और पुरातात्विक महत्व के बावजूद, ‘करेवा मिट्टी’ को निर्माण कार्यों में इस्तेमाल करने के लिए खोदा जा रहा है।
‘करेवा’ क्या हैं?
कश्मीरी बोली में करेवा (Karewa) शब्द का अर्थ है “ऊपर उठी हुए समतल भूमि”।
- इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 1859 में ‘गॉडविन ऑस्टिन’ द्वारा किया गया था, और बाद में 1878 में इसका प्रयोग ‘लिडेकर’ (Lydekker) द्वारा ‘अर्ध-समेकित रेत-चिकनी मिट्टी संपिंडन’ (Semi-Consolidated Sand Clay Conglomerate) के अनुक्रम के व्यक्त करने हेतु किया गया था।
- कश्मीरी भाषा में करेवा का स्थानीय बोली में “वुद्र” (Vudr) कहा जाता है।
करेवा हिमाच्छादित मृदा और हिमोढ़ युक्त अन्य पदार्थों के मोटे निक्षेप होते हैं। ये गैर-समेकित सरोवारीय या झीलीय निक्षेप (lacustrine deposits) होते हैं।
कश्मीर घाटी में ‘करेवा मैदानों’ का निर्माण:
कश्मीर घाटी, महान हिमालय और कश्मीर हिमालय की पीर पंजाल श्रेणियों के बीच अवस्थित है। पहले के समय में, जब पीर पंजाल पर्वतमाला का उत्थान हुआ, तब इस क्षेत्र में बहने वाली नदियों का प्रवाह अवरुद्ध हो गया।
- जिसके परिणामस्वरूप, पूरी कश्मीर घाटी एक बड़ी झील में परिवर्तित हो गयी। धीरे-धीरे, इस झील में हिमनदीय निक्षेपों का जमाव हो गया। और, इस प्रकार एक विशाल झीलीय मैदान (lacustrine plain) का निर्माण हो गया।
- बाद में, इस झीलीय मैदान से पानी निकल गया और मैदान में असंगठित निक्षेप जमाव शेष रह गया। इन गैर-समेकित महीन कंकड़ों और गाद के जमाव को ‘करेवा-निर्माण’ के रूप में जाना जाता है।
करेवा मैदानों का आर्थिक महत्व:
- करेवा निक्षेपों में, रेत, मिट्टी, गाद, शेल, मिट्टी, लिग्नाइट और लोएस जैसी भिन्न-भिन्न मृदाएँ और अवसाद पाए जाते हैं। अतः, ये कृषि और बागवानी गतिविधियों के लिए बहुत उपयोगी होते हैं।
- करेवा मैदान, जफरान की खेती के लिए काफी उपयोगी होते हैं। ‘ज़फ़रान’ (Zafran) कश्मीर घाटी में उत्पादित होने वाले केसर की एक स्थानीय किस्म है।
- साथ ही, ये मृदाएँ बादाम, अखरोट, सेब और बागों की खेती के लिए भी महत्वपूर्ण होती हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- करेवा निक्षेप
- गठन
- अवस्थिति
- महत्व
मेंस लिंक:
करेवा संरचनाओं के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन-II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
फिलीपींस में ‘ऐज ऑफ़ कंसेंट’ में वृद्धि
(Raising the age of consent in the Philippines)
संदर्भ:
फिलीपींस में, ‘यौन सहमति’ के लिए निर्धारित आयु को 12 साल से बढ़ाकर 16 साल कर दिया गया है।
- यह कानून लैंगिक रूप से तटस्थ है, और पुरुष एवं महिला बच्चों तथा अपराधियों दोनों पर लागू होता है।
- अब तक, फिलीपींस में ‘यौन सहमति’ के लिए निर्धारित आयु विश्व में सबसे कम थी, और देश में लगभग हर पांच में से एक बच्चे को यौन हिंसा का सामना करना पड़ता था।
भारत में ‘सम्मति आयु’ अथवा “ऐज ऑफ़ कंसेट” संबंधी प्रावधान:
भारत में, ‘बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम’2012 अर्थात ‘पॉक्सो अधिनियम’ (Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012 – POCSO) के अंतर्गत 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को ‘बालक’ (CHILD) के रूप में परिभाषित किया गया है, तथा ‘बालक’ के साथ यौन गतिविधि में शामिल होना ‘यौन हमला’ माना जाता है।
भारत में ‘सम्मति आयु’ की समीक्षा की मांग:
तथ्य यह है, कि पुलिस को (पॉक्सो एक्ट और अन्य कानूनों के तहत) रिपोर्ट किए गए, 16-18 साल के बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के आधिकांश मामले, आम तौर पर ‘प्रकृति में सहमति से बनाए गए यौन संबंधों’ के होते हैं। जोकि आमतौर पर किशोरों के आचरण से नाखुश, लड़की के माता-पिता के कहने पर दर्ज किए जाते हैं।
- इसलिए, सबसे प्रासंगिक सवाल यह है कि क्या इस उम्र की किशोर लड़की या लड़के में “स्वतंत्र सहमति” (Free Consent) देने की क्षमता होती है।
- रिकॉर्ड बताते हैं, कि इस आयु वर्ग में ज्यादातर मामलों में, लड़कियां प्रतिकूल हो जाती हैं क्योंकि यौन-संबंध उनकी इच्छा के विरुद्ध नहीं बनाए गए होते है, और उन्हें यौन-क्रियाओं में शामिल होने के लिए प्रेरित अथवा प्रलोभित नहीं किया गया था।
- यह भी देखा गया है, कि हाल के दशकों में सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण में बदलाव के कारण किशोर अपने आचरण के निहितार्थों को समझने के लिए पर्याप्त समझदार भी हुए हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘जया जेटली समिति’ के गठन का उद्देश्य
- भारत में पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु से संबंधित कानूनी प्रावधान।
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के प्रमुख प्रावधान।
- बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 का अवलोकन
मेंस लिंक:
क्या आपको लगता है, कि पुरुषों और महिलाओं के लिए निर्धारित ‘विवाह की न्यूनतम उम्र’ में वृद्धि की जानी चाहिए? चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।
राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम
(National Land Monetization Corporation)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ (National Land Monetization Corporation – NLMC) का गठन करने की मंजूरी प्रदान की गयी है।
- 5000 करोड़ रुपये की प्रारंभिक अधिकृत शेयर पूंजी और 150 करोड़ रुपये की चुकता शेयर पूंजी के साथ ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ (NLMC) भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी होगी।
- NLMC द्वारा ‘केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों’ (Central Public Sector Enterprises – CPSEs) के स्वामित्व वाली अतिरिक्त भूमि और भवनों का मुद्रीकरण किया जाएगा।
- सरकार का यह प्रस्ताव, बजट 2021-22 की घोषणाओं के अनुरूप है।
‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ (NLMC) के प्रमुख कार्य:
- ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ द्वारा बंद हो चुके ‘केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों’ (CPSEs) तथा रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया के अधीन सरकार के स्वामित्व वाले CPSE की अतिरिक्त भूमि और भवन परिसंपत्तियों का स्वामित्व प्राप्त करेगा, प्रबंधन करेगा और मुद्रीकरण किया जाएगा।
- इससे ‘केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों’ को बंद करने की प्रक्रिया में तेजी आएगी, तथा सरकार की स्वामित्व वाले CPSE के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
- प्रबंधन और मुद्रीकरण के उद्देश्य से, इन परिसंपत्तियों का स्वामित्व ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ को हस्तांतरित किया जा सकता है।
- ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’, अन्य सरकारी कंपनियो (सीपीएसई समेत) को, अपनी गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों की दक्षता के साथ चिह्नित करने, मुद्रीकरण करने और अधिकतम मूल्य प्राप्त करने हेतु परामर्श व सहयोग प्रदान करेगा।
- इन मामलों में, ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ (NLMC), अधिशेष भूमि संपत्ति मुद्रीकरण का कार्य एक एजेंसी के रूप में करेगा।
- उम्मीद है कि NLMC भूमि मुद्रीकरण के बेहतर तौर-तरीकों को अपनाते हुए कार्य करेगा, तथा परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम को लागू करने में सरकार की सहायता करने के साथ तकनीकी परामर्श भी देगा।
‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ की संरचना:
- ‘केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों’ (CPSEs) और अन्य सरकारी एजेंसियों के बदले में कार्य करते हुए ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ (NLMC) भूमि परिसंपत्तियों का प्रबंधन और मुद्रीकरण करेगा और इस कार्य के लिए निगम के पास आवश्यक तकनीकी दक्षता भी होगी।
- NLMC के निदेशक मंडल में केन्द्र सरकार के अधिकारी और प्रमुख विशेषज्ञ होंगे जो कंपनी का बेहतर तरीके से परिचालन एवं प्रबंधन करेंगे।
- NLMC के अध्यक्ष और गैर-सरकारी निदेशकों की नियुक्ति मेधा आधारित चयन प्रक्रिया के माध्यम से की जाएगी।
आवश्यकता:
वर्तमान में, ‘केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों’ (CPSEs) के पास बड़ी मात्रा में गैर-उपयोगी या आंशिक उपयोग वाली भूमि और परिसंपत्तियां मौजूद हैं।
- रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया के अधीन या बंद होने के कगार पर पहुंच चुके ऐसे CPSEs के लिए इन अतिरिक्त भूमि और गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण, उनके मूल्य निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ इन परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करेगा और इस प्रक्रिया में सहयोग करेगा।
लाभ:
- गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के माध्यम से उपयोग में नहीं या आंशिक उपयोग वाली परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करके सरकार राजस्व प्राप्त करेगी।
- आंशिक उपयोग वाली इन परिसंपत्तियों के उत्पादन आधारित उपयोग से निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और आर्थिक व सामाजिक अवसंरचना के लिए वित्तीय संसाधन प्राप्त होंगे।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ (NLMC)
- संरचना
- कार्य
- शक्तियां
मेंस लिंक:
‘राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम’ (NLMC) की भूमिकाओं और कार्यों के बारे में चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
खदान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम में संशोधन
(Amendment to Mines and Minerals (Development and Regulation) Act)
संदर्भ:
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुएं (Platinum Group of Metals – PGM), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम जैसे कुछ खनिजों के सम्बन्ध में रॉयल्टी की दर को स्पष्ट करने के लिये ‘खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957’ (Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957) की दूसरी अनुसूची में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गयी है।
महत्व:
इस मंजूरी से ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुओं, एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम के सम्बन्ध में खनिज ब्लॉकों की नीलामी सुनिश्चित होगी, जिसके परिणामस्वरूप इन खनिजों के आयात में कमी आयेगी, खनन सेक्टर में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और निर्माण सेक्टर, समाज के सबसे बड़े वर्ग के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने में सक्षम होगा।
क्या आप जानते हैं?
- ग्लौकोनाइट (Glauconite) और पोटाश, जैसे खनिजों का उपयोग कृषि में उर्वरक के रूप में किया जाता है।
- प्लेटिनम ग्रुप ऑफ मेटल्स (PGM) काफी महंगी धातुएं हैं, जिनका उपयोग विभिन्न उद्योगों और नए नवीन अनुप्रयोगों में किया जाता है।
- अंडालूसाइट, मोलिब्डेनम जैसे खनिज औद्योगिक अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण खनिज हैं।
इस कदम के निहितार्थ:
- इन खनिजों के स्वदेशी खनन को प्रोत्साहित करना राष्ट्रीय हित में है जिससे पोटाश उर्वरकों और अन्य खनिजों के आयात में कमी आएगी।
- इस मंजूरी से उन कई खनिजों के आयात का विकल्प तैयार होगा, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिये जरूरी हैं। इस तरह मूल्यवान विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।
- खनिजों के स्थानीय उत्पादन के जरिये दूसरे देशों पर देश की निर्भरता कम होगी।
- इस मंजूरी से देश में पहली बार ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लेटिनम समूह की धातुएं, एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिबडेनम के सम्बन्ध में खनिज ब्लॉकों की नीलामी सुनिश्चित होगी।
- इस कदम से खनन क्षेत्र में रोजगार के सृजन में भी वृद्धि होने की उम्मीद है।
- यह डाउनस्ट्रीम उद्योगों के लिए खनिजों की उपलब्धता में वृद्धि सुनिश्चित करेगा और कृषि के लिए सहयोग मिलेगा।
पिछले संशोधन:
खनिज रियायतों के नये कानूनी दौर में प्रवेश के लिये अधिनियम में 2015 में संशोधन किया गया था। यह काम नीलामी के जरिये किया गया था, ताकि देश की खनिज सम्पदा के आबंटन में पारदर्शिता और भेदभाव रहित प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके। नीलामी पद्धति तब से अब तक परिपक्व हो चुकी है।
खनिज क्षेत्र में और तेजी लाने के लिये अधिनियम को 2021 में फिर संशोधित किया गया। सुधारों के तहत, सरकार द्वारा खनिज ब्लॉकों की नीलामी को बढ़ावा दिया गया, उत्पादन में वृद्धि हुई, देश में व्यापार सुगमता में सुधार किया गया और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खनिज उत्पादन के योगदान को बढ़ाया गया।
खदान एवं खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2021 (Mines and Minerals (Development and Regulation) Amendment Bill), 2021 के बारे में अधिक जानकारी हेतु पढ़िए।
इंस्टा जिज्ञासु:
खनन से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
- भारत के संविधान में अनुसूची II (राज्य सूची) के क्रम संख्या 23 में प्रविष्टि में राज्य सरकार को अपनी सीमाओं के भीतर स्थित खनिजों को अपने स्वामित्व में लेने का अधिदेश दिया गया है।
- अनुसूची I (केंद्रीय सूची) के क्रमांक 54 में प्रविष्टि में केंद्र सरकार को भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर खनिजों को अपने स्वामित्व में लेने का अधिदेश दिया गया है।
- इस प्रावधान के अनुसरण में, ‘खदान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957’ (MMDR Act of 1957) को अधिनियमित किया गया था।
केंद्र सरकार के पास, सभी अपतटीय खनिजों (अर्थात, भारतीय समुद्री क्षेत्रों में, जैसे प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ और विशेष आर्थिक क्षेत्र के समुद्र या समुद्र तल से निकाले गए खनिज) पर स्वामित्व का अधिकार है।
प्रीलिम्स लिंक:
- प्रमुख और गौण खनिज कौन से होते हैं?
- इन्हें किस प्रकार विनियमित किया जाता है?
- इनके खनन हेतु अनुमति कौन देता है?
मेंस लिंक:
खान एवं खनिज कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
अस्थायी सुरक्षा निदेश, 2001
(Temporary Protection Directive of 2001)
संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees) के अनुसार, रूस-यूक्रेन लड़ाई के पहले 10 दिनों में 1.5 मिलियन से अधिक लोग यूक्रेन से पलायन कर चुके हैं।
- उच्चायुक्त द्वारा इस विस्थापन को “द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे तेजी से बढ़ते शरणार्थी संकट” के रूप में वर्णित किया गया है।
- इस संकट के जवाब में, 3 मार्च को यूरोपीय संघ के सदस्य देशों द्वारा 20 जुलाई 2001 को पारित ‘यूरोपीय संघ परिषद’ के निदेश संख्या 2001/55/EC को लागू किए जाने का अभूतपूर्व निर्णय लिया गया था। इस निदेश को ‘अस्थायी सुरक्षा निदेश (Temporary Protection Directive – TPD) के रूप में जाना जाता है।
- यूरोपीय संघ द्वारा ‘अस्थायी सुरक्षा निदेश (TPD) को पहली बार ‘यूक्रेन युद्ध’ के दौरान लागू किया गया है। इसे रूस के खिलाफ यूरोपीय एकता के एक और संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
‘अस्थायी सुरक्षा निदेश’ (TPD) के बारे में:
- यूरोपीय आयोग द्वारा ‘अस्थायी सुरक्षा निदेश (TPD) के तहत “अस्थायी सुरक्षा” (Temporary Protection) की व्याख्या,”गैर-यूरोपीय संघ के देशों से विस्थापित व्यक्तियों और अपने मूल देश में लौटने में असमर्थ लोगों को तत्काल और अस्थायी सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशिष्ट उपाय” के रूप में की गयी है।
- जब “किसी ‘मानक शरणस्थल प्रणाली’ के समक्ष, शरणार्थियों के प्रवाह की वजह से, शरण पाने के इच्छुक दावों के संशाधन पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव से उभरने में संघर्ष करने का जोखिम उत्पन्न हो जाता है” तब ऐसी स्थिति में ‘अस्थायी सुरक्षा निदेश’ लागू किया जाता है।
मानक स्थापित करने का महत्व:
- बड़े पैमाने पर शरणार्थी प्रवाह होने की स्थिति में, उचित मानक मौजूद होने से यूरोपीय संघ (EU) देशों की नीतियों के बीच संभावित शरणार्थियों का समाधान करने में असमानता कम हो जाएगी।
- इस प्रकार के मानक, कम अवधि में बड़ी संख्या में विस्थापित व्यक्तियों को स्वीकार करने, और ऐसे व्यक्तियों को स्वीकार करने के परिणामों के संबंध में यूरोपीय संघ के देशों के बीच, भार-साझाकरण को भी बढ़ावा देते हैं।
‘अस्थायी सुरक्षा निदेश’ की उत्पत्ति:
शीत युद्ध की समाप्ति और USSR के विघटन के बाद, यूरोप में कई सशस्त्र संघर्ष हुए। इन संघर्षों के कारण बहुत से लोग विस्थापित हुए और दूसरे देशों में शरण ली। इस प्रकार, यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा विस्थापित व्यक्तियों के बड़े पैमाने पर प्रवाह की स्थिति से निपटने के लिए 2001 में ‘अस्थायी सुरक्षा निदेश’ पारित किए गए।
यूरोपीय संघ के देशों पर दायित्व:
- यह निदेश, अस्थायी सुरक्षा के लाभार्थियों को कुछ अधिकार प्रदान करते है। जिनमे शामिल है:
- सुरक्षा की अवधि (1-3 वर्ष) के लिए निवास परमिट।
- नौकरी, आवास, सामाजिक कल्याण, चिकित्सा उपचार, नाबालिगों के लिए शिक्षा तक पहुंच।
- कुछ परिस्थितियों में परिवारों के पुनर्मिलन के अवसर।
- सामान्य शरण प्रक्रिया तक पहुंच की गारंटी।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन-III
विषय: समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।
यूपीआई123पे
(UPI123Pay)
संदर्भ:
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिए ‘यूनिफ़ाइड इंटरफ़ेस पेमेंट्स’ (UPI) के विकल्प के रूप में ‘UPI123Pay’ नामक भुगतान समाधान का आरंभ किया गया है।
UPI123Pay के बारे में:
यूपीआई ‘123पे’ (UPI123Pay), उपयोगकर्ताओं के लिए भुगतान सेवाओं को शुरू करने और निष्पादित करने के लिए एक तीन-चरणीय विधि है, जो एक साधारण फोन पर कार्य करेगी।
- यह सुविधा, ग्राहकों को स्कैन के माध्यम से भुगतान को छोड़कर, लगभग सभी प्रकार से लेनदेन हेतु फीचर फोन का उपयोग करने का अवसर प्रदान करेगी।
- इस सुविधा के तहत, लेनदेन के लिए इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता नहीं है। इस सुविधा का उपयोग करने के लिए ग्राहकों को अपने बैंक खाते को फीचर फोन से लिंक करना होगा।
नई UPI भुगतान प्रणाली उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट कनेक्टिविटी के बिना भुगतान करने के लिए चार विकल्प प्रदान करती है:
- इंटर-एक्टिव वॉयस रिस्पांस (Interactive Voice Response- IVR): पूर्व-निर्धारित आईवीआर नंबरों के माध्यम से यूपीआई भुगतान के लिए उपयोगकर्ताओं को अपने फीचर फोन से एक पूर्व निर्धारित नंबर पर सुरक्षित कॉल करके यूपीआई ऑन-बोर्डिंग औपचारिकताओं को पूरा करना होगा, ताकि वे इंटरनेट कनेक्शन के बिना वित्तीय लेनदेन आरंभ कर सकें।
- ऐप-आधारित कार्यक्षमता: फीचर फोन पर एक ऐप इंस्टॉल किया जाएगा जिसके माध्यम से स्मार्टफोन पर उपलब्ध कई यूपीआई फ़ंक्शन, स्कैन और भुगतान सुविधा को छोड़कर, फीचर फोन पर भी उपलब्ध होंगे।
- मिस्ड कॉल सुविधा: यह, फीचर फोन उपयोगकर्ताओं को अपने बैंक खाते का एक्सेस करने और मर्चेंट आउटलेट पर प्रदर्शित नंबर पर मिस्ड कॉल देकर नियमित लेनदेन जैसे धन प्राप्त करना, धन अंतरित करना, नियमित खरीददारी, बिल भुगतान आदि करने की अनुमति देगा। ग्राहक को यूपीआई पिन डालकर लेनदेन को प्रमाणित करने के लिए एक इनकमिंग कॉल प्राप्त होगी।
- सामीप्य ध्वनि आधारित भुगतान (Proximity sound-based payments): यह किसी भी डिवाइस पर संपर्क रहित, ऑफ़लाइन और सामीप्य डेटा संचार को सक्षम करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है।
महत्व:
केंद्रीय बैंक के अनुसार, इस प्रणाली के माध्यम से उपयोगकर्ता अपने दोस्तों और परिवार को भुगतान करने, अपने उपयोगिता बिलों का भुगतान करने, फास्टैग रिचार्ज करने, मोबाइल बिलों का भुगतान करने और अपने खाते की शेष राशि की जांच करने में सक्षम होंगे, साथ ही ग्राहक अपने बैंक खातों को जोड़ने, यूपीआई पिनसेट करने या बदलने में भी सक्षम होंगे।
UPI क्या है?
‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ या ‘यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI) एक त्वरित रियल-टाइम भुगतान प्रणाली है। यह प्रणाली, उपयोगकर्त्ताओं को अपने बैंक खाते का विवरण दूसरे पक्ष को बताए बिना कई बैंक खातों में रियल-टाइम आधार पर धन-अंतरण करने की अनुमति देती है।
- वर्तमान में ‘यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI), नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH), तत्काल भुगतान सेवा (IMPS), आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS), भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS), रुपे (RuPay) आदि सहित ‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम’ (NPCI) द्वारा संचालित सभी प्रणालियों में सबसे बड़ी प्रणाली है।
- शीर्ष UPI ऐप में, फ़ोनपे (PhonePe), पेटीएम (Paytm), गूगल पे (Google Pay), अमेज़न पे (Amazon Pay) और सरकार द्वारा संचालित भीम (BHIM) एप्लीकेशन शामिल हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम’ (National Payments Corporation of India – NPCI) और इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- हमारे देश में एटीएम को कौन नियंत्रित करता है?
- UPI क्या है?
- नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) क्या है?
- राष्ट्रीय वित्तीय स्विच क्या है?
- BHIM ऐप में प्रमाणीकरण के तीन स्तर
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
परम गंगा
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (National Supercomputing Mission – NSM) के तहत 1.66 पेटाफ्लॉप्स की सुपरकंप्यूटिंग क्षमता के साथ आईआईटी रुड़की में एक सुपर कंप्यूटर ‘‘परम गंगा’’ (PARAM Ganga) की तैनाती की गयी है।
- यह प्रणाली, राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) की चरण-2 की निर्माण पहुंच के तहत सी-डैक द्वारा डिजाइन और चालू की गई है।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM):
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeiTY) एवं विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित तथा सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक) और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- इस मिशन (एनएसएम) के चार प्रमुख स्तम्भ हैं जिनके नाम बुनियादी ढांचा, अनुप्रयोग, अनुसंधान एवं विकास, मानव संसाधन विकास हैं।
WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बीच एक मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर के साथ गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (WHO GCTM) की स्थापना को स्वीकृति दे दी है।
- आयुष मंत्रालय के तहत जामनगर में डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम की स्थापना की जाएगी।
- यह दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए प्रथम और एकमात्र आउटपोस्टिड वैश्विक केंद्र (कार्यालय) होगा।
नारी शक्ति पुरस्कार
वर्ष 1999 में आरंभ।
- यह पुरस्कार हर साल 8 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
- इन राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों की घोषणा, महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रतिष्ठित महिलाओं, संगठनों और संस्थानों के लिए की गयी।
- नारी शक्ति पुरस्कार में, 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और व्यक्तियों और संस्थानों के लिए एक प्रमाण पत्र दिया जाता है।
पात्रता मापदंड:
- महिला सशक्तिकरण की दिशा में उत्कृष्ट कार्य के लिए व्यक्तियों, समूहों और संस्थानों के लिए प्रदान किए जाते हैं।
- व्यक्तिगत आवेदक की आयु कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए।
- संस्थानों के पास कम से कम 5 साल का प्रासंगिक अनुभव होना चाहिए।
संस्थागत श्रेणियां:
इस पुरुस्कार की छह संस्थागत श्रेणियों में से, प्रत्येक का नाम भारतीय इतिहास की एक प्रतिष्ठित महिला के नाम पर रखा गया है।
देवी अहिल्या बाई होल्कर पुरस्कार: मालवा साम्राज्य की 18वीं शताब्दी की शासक अहिल्याबाई होल्कर के नाम पर महिलाओं के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए सर्वश्रेष्ठ निजी क्षेत्र के संगठन/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के लिए प्रदान किया जाता है।
सर्वश्रेष्ठ राज्य के लिए कन्नगी देवी पुरस्कार: बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) में काफी सुधार करने वाले राज्य को प्रदान किया जाता है। इसका नाम तमिल महाकाव्य सिलपथिकारम के केंद्रीय चरित्र कन्नगी के नाम पर रखा गया है।
माता जीजाबाई पुरस्कार: महिलाओं को सेवाएं और सुविधाएं प्रदान करने के लिए सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय के लिए माता जीजाबाई पुरस्कार। इस प्रकार की स्थापना शिवाजी की मां माता जीजाबाई के नाम पर की गयी है।
रानी गैडिन्लियू जेलियांग पुरस्कार: महिलाओं के कल्याण और कल्याण के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले सर्वश्रेष्ठ नागरिक समाज संगठन (सीएसओ) के लिए रानी गैडिन्लियू जेलियांग पुरस्कार। इस पुरस्कार का नामकरण 20वीं सदी की नागा आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता रानी गैडिन्लियू के नाम पर रखा गया।
रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार: महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान के लिए रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार।
रानी रुद्रम्मा देवी पुरस्कार: जिला पंचायतों और ग्राम पंचायतों के लिए रानी रुद्रम्मा देवी पुरस्कार। इस पुरुस्कार का नामकरण दक्कन के पठार की 13वीं शताब्दी की शासक रुद्रमा देवी के नाम पर किया गया है।
संदर्भ: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 29 उत्कृष्ट व्यक्तियों को 2020 और 2021 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किए।
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