[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 9 March 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-I

1. पाल-दढवाव हत्याकांड

 

सामान्य अध्ययन-II

1. सुप्रीम कोर्ट द्वारा वीवीपीएटी पर तत्काल सुनवाई से इंकार

2. समकारी लेवी

3. खाद्य तेल की कीमतें

4. मोटर वाहन समझौता

 

सामान्य अध्ययन-III

1. सूर्य के संपूर्ण वर्णमण्डल में उत्पन्न होने वाली प्लाज्मा की तीव्र धाराओं का वैज्ञानिक कारण

 

सामान्य अध्ययन-IV

1. डिजिटल मीडिया के संदर्भ में आचार संहिता और प्रक्रिया, एवं संरक्षोपाय

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. स्लाइनक्स नौसेना अभ्यास

2. स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमशीलता कार्यक्रम

3. इंटरनेशनल इलेक्शन विजिटर्स प्रोग्राम

4. “समर्थ” महिलाओं के लिए विशेष उद्यमिता प्रोत्साहन अभियान

 


सामान्य अध्ययन-I


 

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।

पाल-दढवाव हत्याकांड


(Pal-Dadhvav massacre)

संदर्भ:

7 मार्च को गुजरात में हुए ‘पाल-दढवाव नरसंहार’ (Pal-Dadhvav massacre) को 100 साल पूरे हो गए। गुजरात सरकार ने इसे “जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी बड़ा नरसंहार” बताया है।

पाल-दढवाव हत्याकांड के बारे में:

यह हत्याकांड 7 मार्च, 1922 को, साबरकांठा जिले के पाल, चितरिया और दढवाव गाँवों में हुआ था, उस समय ये गाँव ‘इडर रियासत’ (Idar State) (वर्तमान गुजरात) का हिस्सा थे।

  • मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में ‘एकी आंदोलन’ के हिस्से के रूप में पाल, दढवाव और चितरिया के ग्रामीण ‘वारिस नदी’ के तट पर एकत्र हुए थे।
  • यह आंदोलन अंग्रेजों और सामंतों द्वारा किसानों पर लगाए गए भू-राजस्व कर (लगान) के विरोध में किया जा रहा था।
  • ब्रिटिश अर्धसैनिक बल काफी समय से ‘तेजावत’ की तलाश में थे। इस सभा के बारे में पता चलने पर ये बल तत्काल मौके पर पहुंच गए।
  • तेजावत के नेतृत्व में लगभग 2000 भीलों ने अपने धनुष-बाण उठा लिए और लगान नहीं चुकाने का नारा लगाने लगे। इस पर अंग्रेजो के कमांडर एच जी सट्टन (HG Sutton) ने ग्रामीणों पर गोलियां चलने का आदेश दे दिया, और इस अंधाधुंध गोलाबारी में लगभग 1,000 आदिवासी (भील) मारे गए।
  • हालांकि मोतीलाल तेजावत इस गोलीबारी में बच गए, और बाद में उन्होंने लौटकर इस जगह को ‘वीरभूमि’ का नाम दिया।

विरासत:

इस नरसंहार की शताब्दी पर गुजरात सरकार द्वारा जारी एक विज्ञप्ति ने इस घटना को “1919 के जलियावाला बाग हत्याकांड से भी अधिक क्रूर” बताया गया है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

  • गुजरात की कुल आबादी में लगभग 14 प्रतिशत आदिवासी है, जो मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के जिलों की सीमा से लगे ‘पूर्वी पट्टी’ कहे जाने वाले, राज्य के उत्तरी-पूर्वी हिस्से में निवास करती है।
  • इस क्षेत्र की आबादी में भील प्रमुख जनजाति हैं, जो अरावली, साबरकांठा, बनासकांठा, पंचमहल, छोटा उदयपुर, महिसागर, नर्मदा, दाहोद, तापी, नवसारी और डांग जिलों में पाई जाती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा वीवीपीएटी पर तत्काल सुनवाई से इंकार


(Supreme Court declines urgent hearing on VVPAT)

संदर्भ:

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। इस याचिका में, पांच राज्यों में 10 मार्च को होने वाली मतगणना के लिए, ईवीएम-वीवीपीएटी (EVM-VVPAT) सत्यापन हेतु बूथों की संख्या, 2019 में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार, प्रति निर्वाचन क्षेत्र पांच से बढ़ाकर 25 या उससे अधिक करने की मांग की गई थी।

वीवीपैट सत्यापन हेतु सुप्रीम कोर्ट का 18 अप्रैल, 2019 का निर्देश:

  • आम चुनावों के मामले में, संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों की भौतिक रूप से गणना की जाएगी।
  • राज्य विधानसभा चुनावों में, वीवीपैट सत्यापन प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच यादृच्छिक ईवीएम तक विस्तारित होगा।

ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन के लिए बूथों की संख्या बढ़ाने से जुड़ी चुनौतियां:

VVPAT पर्ची की गिनती विशेष रूप से बनाए गए VVPAT मतगणना बूथों में रिटर्निंग ऑफिसर की कड़ी निगरानी और पर्यवेक्षक की प्रत्यक्ष निगरानी में की जाती है। वीवीपैट पर्चियों की गिनती बढ़ाने के लिए, व्यापक प्रशिक्षण और क्षेत्र में चुनाव अधिकारियों के क्षमता निर्माण की आवश्यकता होगी।

VVPAT क्या है?

मतदाता सत्यापन पर्ची ऑडिट ट्रेल (VVPAT), इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग करने वाले मतदाताओं को प्रतिपुष्टि प्रदान करने का एक तरीका है।

  • VVPAT से अभिप्राय, एक स्वतंत्र सत्यापन प्रणाली से है, जिसे मतदाताओं के लिए यह सत्यापित करने हेतु डिज़ाइन किया गया है कि उनका वोट सही ढंग से डाला गया है। इसके अलावा यह संग्रहीत इलेक्ट्रॉनिक परिणामों का लेखा सत्यापन करने हेतु के लिए एक माध्यम भी प्रदान करती है।
  • इसमें, जिसके पक्ष में मतदान किया गया था, उस उम्मीदवार का नाम तथा दल अथवा उम्मीदवार का चुनाव चिह्न दर्ज होता है।

vvpat

 

VVPATs का महत्व और आवश्यकता:

  • VVPAT, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में खराबी अथवा संभावित चुनाव धोखाधड़ी का पता लगाने में मदद करती है।
  • यह संग्रहीत इलेक्ट्रॉनिक परिणामों का लेखा सत्यापन करने हेतु के लिए एक माध्यम प्रदान करती है। यह वोटों को बदलने या नष्ट करने के लिए एक बाधक के रूप में भी कार्य करती है।
  • VVPAT प्रणाली से युक्त EVM पूरी पारदर्शिता के साथ मतदान प्रणाली की परिशुद्धता सुनिश्चित करती हैं और मतदाताओं के विश्वास को बहाल करती हैं।
  • ईवीएम और वीवीपैट से चुनाव प्रक्रिया में तेजी आती हैं क्योंकि ईवीएम पर वोटों की गणना में, मतपत्रों की गणना की तुलना में, बहुत कम समय लगता है।

समय की मांग:

हालांकि, ईवीएम के गलत होने के संबंध में अभी भी आशंकाएं बनी हुई है और इस प्रकार लोकतांत्रिक राजनीति की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता- चुनाव- के बारे में किसी भी आशंका को दूर करने के लिए एक गहन जांच किए जाने की आवश्यकता है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. VVPAT के बारे में
  2. विशेषताएं
  3. EVM क्या हैं?
  4. मतदान के अधिकार के बारे में

मेंस लिंक:

चुनावों में वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

समकारी लेवी


(Equalisation Levy)

संदर्भ:

बहुराष्ट्रीय उद्यमों द्वारा आपूर्ति की जाने वाली सेवाओं पर, भारत द्वारा लगाए गए 2 प्रतिशत समकारी लेवी Equalisation Levy) को सही ठहराते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है, कि यह देश में ‘व्यवसायिक गतिविधियों’ से कर राजस्व अर्जित का एक संप्रभु अधिकार है।

समकारी लेवी के बारे में:

भारत, वर्ष 2016 में 6 प्रतिशत ‘समकारी लेवी’ (Equalisation Levy) लगाने की शुरुआत करने वाले पहले देशों में से एक था, हालांकि यह लेवी उस समय केवल ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं तक ही सीमित थी।

यद्यपि, भारत में ग्राहकों को ऑनलाइन सामान और सेवाएं बेचने वाली, तथा 2 करोड़ रुपये से अधिक की वार्षिक आय दिखाने वाली विदेशी कंपनियों पर अप्रैल 2020 से डिजिटल टैक्स लागू है।

प्रयोज्यता:

भारत द्वारा पिछले कुछ वर्षों के दौरान, देश के बाहर स्थित डिजिटल इकाइयों पर कर लगाने हेतु ‘समकारी लेवी’ के दायरे का विस्तार किया गया है।

  • हालाँकि, समकारी लेवी वर्ष 2019-20 तक 6 प्रतिशत की दर से केवल डिजिटल विज्ञापन सेवाओं पर लागू होती थी, फिर सरकार ने अप्रैल 2020  में, 2 करोड़ रुपए से अधिक का सालाना कारोबार करने वाली गैर-निवासी ई-कॉमर्स कंपनियों पर 2 प्रतिशत कर लगाने हेतु इस डिजिटल टैक्स का दायरा बढ़ा दिया था।
  • ई-कॉमर्स आपूर्ति या सेवाओं को कर-दायरे में लाने के लिए, वित्त अधिनियम 2021-22 में, डिजिटल टैक्स का दायरा और विस्तारित किया गया।
  • मई 2021 से, डिजिटल टैक्स के दायरे में, भारत में व्यवस्थित ढंग से और लगातार, 3 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ व्यापार करने वाली सभी ईकाइयों को शामिल कर दिया गया है।

किन स्थितयों में इस टैक्स से छूट दी जाएगी?

  • भारतीय इकाई के माध्यम से बिक्री करने वाली अपतटीय ई-कॉमर्स फर्मों को इस टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा।
  • इसका मतलब यह है, कि यदि विदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेची जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का स्वामित्व, किसी भारतीय निवासी या भारत में स्थित प्रतिष्ठान के पास है, तो इनके लिए 2 प्रतिशत ‘समकारी लेवी’ का भुगतान नहीं करना होगा।

इसे लागू करने का कारण:

‘समकारी लेवी’ को, ‘भारत में कर-भुगतान करने वाले भारतीय व्यवसायों और भारत में व्यापार करने वाली, किंतु यहाँ कोई आयकर नहीं देने वाली विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के मध्य समान अवसर देने के लिए लागू किया गया था।

दूसरे किन देशों में डिजिटल विक्रेताओं पर इस प्रकार का शुल्क लगाया जाता है?

  1. फ्रांस में तीन प्रतिशत डिजिटल सेवा कर लगाया जाता है।
  2. आसियान क्षेत्र में, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया द्वारा डिजिटल सेवा कर लगाया जाता है, और हाल ही में थाईलैंड ने विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं पर कर लगाने संबंधी योजनाओं की घोषणा की है।
  3. इंटरनेट अर्थव्यवस्थाओं के तेजी से विकास को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय कर नियमों में बदलाव हेतु 140 देशों के मध्य ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (OECD) में वार्ता जारी है।

संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) द्वारा डिजिटल टैक्स को भेदभावपूर्ण बताए जाने का कारण:

  1. सबसे पहले, USTR का कहना है, कि ‘डिजिटल सेवा कर’ (DST) अमेरिकी डिजिटल व्यवसायों के साथ भेदभाव करता है, क्योंकि इसमें विशेष रूप से अपने घरेलू (भारतीय) डिजिटल व्यवसायों को कर के दायरे में नहीं लाया गया है।
  2. USTR यह भी कहता है, कि DST, गैर-डिजिटल सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली समान सेवाओं पर लागू नहीं होता है।

भारत द्वारा डिजिटल सेवा कर को गैर-भेदभावपूर्ण बताए जाने का तर्क एवं इसकी आवश्यकता:

  • अनिवासी डिजिटल सेवा प्रदाताओं द्वारा नियोजित व्यापार मॉडल, भारत में व्यवसाय की भौतिक रूप से मौजूदगी की जरूरत को खत्म कर देते हैं और यहां से अर्जित होने वाले लाभ पर आयकर देने से आसानी से बच सकते हैं। इसलिए, इस तरह का कराधान आवश्यक है।
  • बदलती हुई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था: भारत जैसे देश, जो डिजिटल कारपोरेशंस के लिए बड़े बाजार उपलब्ध कराते हैं, उन्हें उनके देश में अर्जित की जाने वाले आय पर कर लगाने का अधिकार होंना चाहिए।

संबद्ध चिंताएं:

  • अंत में, डिजिटल उपभोक्ताओं के लिए यह कर एक बोझ बन सकता है।
  • इसके परिणामस्वरूप, भारत पर भी प्रतिकार शुल्क (जैसेकि अमेरिका द्वारा घोषित हालिया टैक्स) लगाए जा सकते हैं। कुछ समय पूर्व अमेरिका द्वारा इसी तरह के टैरिफ फ्रांस पर लगाए गए थे।
  • यह दोहरे कराधान में भी परिवर्तित हो सकता है।

क्या आप जानते हैं?

अक्टूबर 2021 में, G20 देशों द्वारा 15 प्रतिशत न्यूनतम कॉर्पोरेट कर लागू करने तथा बड़े लाभ वाले बहुराष्ट्रीय उद्यमों (MNEs) पर, उन देशों को – जहाँ ये कारोबार करते है – कर लगाने का अधिकार देने संबंधी एक वैश्विक समझौते को मंजूरी प्रदान की गयी थी।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

अवधारणाओं को स्पष्ट करने के लिए विचार कीजिए:

B2B लेनदेन में, जहां सेवा प्रदाता भारत से बाहर है और सेवा प्राप्तकर्ता भारत के अंदर है, ‘कर चुकाने’ के लिए उत्तरदायी ईकाई कौन होगा? इस बारे में अधिक जानकारी हेतु पढ़िए।

क्या आपने विश्व बैंक की ‘ट्रेड वॉच रिपोर्ट’ के बारे में सुना है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. समकारी लेवी के बारे में।
  2. प्रयोज्यता
  3. अपवाद
  4. समान कर लगाने वाले अन्य देश
  5. OECD के बारे में

मेंस लिंक:

समकारी लेवी के कार्यान्वयन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

खाद्य तेल की कीमतें


(Edible Oil Prices)

 

संदर्भ:

सरकार द्वारा उठाए गए सख्त कदमों की वजह से, कोविड की स्थिति के बावजूद, पिछले दो साल से खाद्य तेल की कीमतें नियंत्रण में रही है।

हालांकि, यूक्रेन में जारी युद्ध की वजह से, खाद्य तेलों सहित कई वस्तुओं की कीमतों में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है।

संबंधित प्रकरण:

भारत में सूरजमुखी के तेल का घरेलू उत्पादन मांग के एक चौथाई से भी कम है, और इसकी अधिकांश आपूर्ति यूक्रेन से होती है। यूक्रेन के युद्ध प्रभावित होने की वजह से, यह पूर्ति पूरी तरह से ठप हो गई है।

सूरजमुखी तेल की आपूर्ति कम होने के कारण, उपभोक्ता मूंगफली और ताड़ के तेल की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे इनकी कीमतें भी बढ़ती जा रही हैं।

खाद्य तेल की कीमतों में हालिया वृद्धि:

पिछले साल, छह खाद्य तेलों- मूंगफली, सरसों, वनस्पति, सोया, सूरजमुखी और ताड़ / पाम तेल की खुदरा कीमतों में 48 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई थी। इसके निम्नलखित कारण थे:

  • वैश्विक कीमतों में उछाल, और सोयाबीन का कम घरेलू उत्पादन। सोयाबीन, भारत की सबसे बड़ी तिलहन फसल है।
  • चीन द्वारा खाद्य तेल की अत्यधिक खरीद।
  • कई प्रमुख तेल उत्पादकों द्वारा आक्रामक रूप से जैव ईंधन नीतियों का अनुसरण किया जा रहा है, और इसके लिए खाद्य तेल फसलों का उपयोग ‘जैव ईंधन’ उत्पादन हेतु किया जा रहा है।
  • भारत में खाद्य तेलों के खुदरा मूल्य में सरकारी करों और शुल्कों का भी एक बड़ा हिस्सा रहता है।

खाद्य तेल के आयात पर भारत की निर्भरता:

  • भारत, विश्व का सबसे बड़ा वनस्पति तेल आयातक देश है।
  • भारत अपनी खाद्य तेल जरूरतों का लगभग 60% आयात करता है, जिससे देश में खाद्य तेल की खुदरा कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं।
  • देश में, मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल, ब्राजील और अर्जेंटीना से सोया तेल और रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात किया जाता है।

 

खाद्य तेलों के बारे में प्रमुख तथ्य:

खाद्य तेल के प्राथमिक स्रोत, सोयाबीन,  सफ़ेद सरसों (रेपसीड) और सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, कुसुम और नाइजर होते हैं। खाद्य तेल के द्वितीयक स्रोत, ‘ताड़ का तेल’, नारियल, चावल की भूसी, कपास के बीज और वृक्ष-उत्पादित तिलहन (Tree Borne Oilseeds) होते हैं।

भारत में तिलहन उत्पादन में प्रमुख चुनौतियाँ:

  • तिलहन का उत्पादन, मुख्य रूप से ‘वर्षा आधारित’ क्षेत्रों (लगभग 70% क्षेत्र) में किया जाता है,
  • बीजों की काफी अधिक कीमत (मूंगफली और सोयाबीन),
  • सीमित संसाधनों के साथ छोटी जोतें,
  • कम बीज प्रतिस्थापन दर और कम उत्पादकता।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

हाल ही में, सरकार द्वारा घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और देश को ‘खाना पकाने के तेल’ में आत्मनिर्भर बनाने हेतु ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन’-ताड़ तेल’ (National Mission on Edible Oil-Oil Palm – NMEO-OP) की घोषणा की गयी है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘खाद्य तेल’ के बारे में
  2. खाद्य तेल के प्राथमिक और द्वितीयक स्रोत
  3. प्रमुख खाद्य तेल आयातक देश
  4. ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ताड़ तेल’ (NMEO-OP) और इसके प्रावधानों के बारे में

मेंस लिंक:

भारत को खाद्य तेलों का आयात क्यों करना पड़ता है? सरकार के खजाने पर खाद्य तेलों के आयात का कितना बोझ है? खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हम क्या कर सकते हैं? विस्तार से चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।

उप-क्षेत्रीय बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) समूह का मोटर वाहन समझौता


(Motor Vehicles Agreement (MVA) of the sub-regional Bangladesh-Bhutan-India-Nepal (BBIN) grouping)

संदर्भ:

हाल ही में, तीन देशों – बांग्लादेश, भारत और नेपाल – के बीच वस्तुओं एवं व्यक्तियों की मुक्त आवाजाही हेतु ‘उप-क्षेत्रीय बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) समूह के ‘मोटर वाहन समझौता’ (Motor Vehicles Agreement (MVA) of the sub-regional Bangladesh-Bhutan-India-Nepal (BBIN) grouping) के संचालन में अगले कदमों पर चर्चा करने हेतु तीनों देशों की एक बैठक आयोजित की गई थी।

भूटान पहले ही इस समझौते पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं होने की घोषणा कर चुका है।

हालिया बैठक के परिणाम:

  • कोविड-19 महामारी फैलने के बाद से, ‘मोटर वाहन समझौता’ (MVA) पर चर्चा करने हेतु BBIN समूह की यह पहली बैठक है। पिछली बैठक फरवरी 2020 में नई दिल्ली में हुई थी।
  • बैठक के दौरान प्रतिनिधियों ने बीबीआईएन एमवीए (BBIN MVA) के कार्यान्वयन के लिए यात्री और कार्गो प्रोटोकॉल को शीघ्रता से अंतिम रूप देने के लिए विशिष्ट कदमों और समयसीमा पर सहमति व्यक्त की।

‘मोटर वाहन समझौता’ (MVA) के बारे में:

मूल ‘बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल – मोटर वाहन समझौता’ (Bangladesh-Bhutan-India-Nepal – Motor Vehicles Agreement अर्थात BBIN MVA) पर जून 2015 में सभी चार देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे, किंतु संधारणीयता और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को लेकर भूटान में की गयी आपत्तियों के बाद, भूटानी संसद ने योजना का अनुसमर्थन नहीं करने का फैसला किया।

  • समझौते के अनुसार, सदस्य देशों द्वारा अन्य देशों में पंजीकृत वाहनों को कुछ नियमों और शर्तों के तहत अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। सीमा शुल्क और कर, संबंधित देशों द्वारा तय किए जाएंगे और इन्हें द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय मंचों पर अंतिम रूप दिया जाएगा।
  • एशियाई विकास बैंक द्वारा अपने ‘दक्षिण एशियाई उपक्षेत्रीय आर्थिक सहयोग कार्यक्रम’ के हिस्से के रूप में इस परियोजना का समर्थन किया जा रहा है।

भूटान के इस परियोजना से बाहर रहने संबधी कारण:

भूटान ने कहा है, कि देश के “मौजूदा बुनियादी ढांचे” और “कार्बन-नकारात्मक” देश बने रहने की सर्वोच्च प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए, ‘मोटर वाहन समझौता’ (MVA) में शामिल होने पर विचार करना संभव नहीं होगा।

महत्व:

यात्री और कार्गो प्रोटोकॉल पर सहमति होने के उपरांत, ‘मोटर वाहन समझौता’ (MVA) का कार्यन्वयन, उप-क्षेत्रीय सहयोग में अधिक वृद्धि करते हुए, ‘बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल’ (BBIN) देशों के बीच व्यापार और व्यक्तियों के बीच संपर्क-संबधों की पूरी क्षमता का उपयोग करने में सहायक होगा।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

सूर्य के संपूर्ण वर्णमण्डल में उत्पन्न होने वाली प्लाज्मा की तीव्र धाराओं का वैज्ञानिक कारण


(The science behind jets of plasma occurring all over Sun’s chromosphere)

संदर्भ:

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने सूर्य के संपूर्ण वर्णमण्डल अर्थात ‘क्रोमोस्फीयर’ (Chromosphere) में उत्पन्न होने वाली, विद्युत आवेशित कणों से निर्मित ‘पदार्थ की चौथी अवस्था’ (Fourth State of Matter) – ‘प्लाज्मा की तीव्र धाराओं’ अर्थात ‘जेट्स ऑफ़ प्लाज्मा’ (Jets of Plasma)  के पीछे के विज्ञान को उजागर किया है। सौर वर्णमण्डल अर्थात ‘क्रोमोस्फीयर’, सूर्य की दृश्य सतह के ठीक ऊपर की वायुमंडलीय परत होती है।

‘जेट्स ऑफ़ प्लाज्मा’ (Jets of Plasma) के बारे में:

जेट्स अथवा ‘सुई जैसी नुकीली चीज’ (Spicules), पतली घास जैसी ‘प्लाज्मा संरचनाओं’ के रूप में दिखाई देती हैं, जो लगातार सतह से ऊपर उठती रहती हैं और फिर गुरुत्वाकर्षण की वजह से नीचे गिरती रहती हैं।

इन जेट्स या स्पिक्यूल्स में उपस्थित ऊर्जा और संवेग की क्षमता, सौर और प्लाज्मा खगोल भौतिकी में जिज्ञासा का मूल कारण है।

Current Affairs

 

इनका निर्माण एवं हालिया निष्कर्ष:

हाल ही में, ‘भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान’ के खगोलविदों द्वारा इस ‘जेट्स ऑफ़ प्लाज्मा’ के पीछे के विज्ञान को समझने के लिए एक प्रयोग किया गया है।

  • इन वैज्ञानिको ने पाया, कि एक स्पीकर को तेज आवाज में बजाने पर उस पर ‘पेंट’ की गयी जेट्स में अंतर्निहित भौतिकी, ‘सौर प्लाज़्मा जेट्स’ के समान होती है।
  • जब किसी तरल पदार्थ को एक स्पीकर के ऊपर रखा जाता है, और संगीत चालू होता है, तो तरल पदार्थ की ‘मुक्त सतह’ एक विशेष आवृत्ति से आगे ‘अस्थिर’ हो जाती है और कंपन करना शुरू कर देती है।

इसके आधार पर शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि, इन पेंट जेट के पीछे का भौतिक विज्ञान, सौर प्लाज्मा जेट के अनुरूप होना चाहिए।

वैज्ञानिकों ने विस्तार से बताते हुए कहा है कि, दृश्यमान सौर सतह (फोटोस्फीयर) के ठीक नीचे का प्लाज्मा हमेशा संवहन की स्थिति में होता है, और काफी हद तक तली पर गर्म किए गए बर्तन में उबलते पानी की तरह होता है।

  • यह प्लाज्मा, अंततः गर्म-गहन कोर में उत्सर्जित परमाणु ऊर्जा द्वारा संचालित होता है। ‘संवहन’ की क्रिया लगभग आवधिक रूप से कार्य करती है, किंतु ‘सौर क्रोमोस्फीयर’ में प्लाज्मा को उद्द्वेलित करने के लिए अन्य सशक्त कारक / प्रक्षेप मौजूद होते हैं।
  • सूर्य क्रोमोस्फीयर, सौर-सतह (Photosphere) में उपस्थित प्लाज्मा से 500 गुना हल्का होता है। इसलिए, निचली सतह से लगने वाले ये मजबूत प्रक्षेप या किक, ‘क्रोमोस्फेरिक प्लाज्मा’ को पतली धाराओं या स्पिक्यूल्स के रूप में ‘अल्ट्रासोनिक गति’ से बाहर की ओर प्रक्षेपित करते हैं।

Current Affairs

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सूर्य की सतह के बारे में
  2. परमाणु संलयन ऊर्जा
  3. क्रोमोस्फीयर
  4. सोलर फ्लेयर्स
  5. सूर्य का कोरोना

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन-IV


 

विषय: नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि

डिजिटल मीडिया के संदर्भ में आचार संहिता और प्रक्रिया, एवं संरक्षोपाय


(The code of ethics and procedure, and safeguards in relation to the digital media)

संदर्भ:

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B Ministry) द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के ‘सूचना और जनसंपर्क निदेशालय’ (DIPR) से उनके अधिकारियों को ‘डिजिटल मीडिया के संदर्भ में आचार संहिता और प्रक्रिया, एवं संरक्षोपाय’ के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू करने हेतु संपर्क किया गया है।

नियमों का अवलोकन:

इन नियमों के तहत,

  1. डिजिटल समाचार प्रकाशकों और ओटीटी प्लेटफार्मों द्वारा पालन की जाने वाली आचार संहिता का निर्धारण किया गया है।
  2. एक त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र का प्रावधान किया गया है, जिसमें प्रथम स्तर पर प्रकाशकों द्वारा स्व-विनियमन, प्रकाशकों के स्व-विनियमन निकायों द्वारा स्व-विनियमन, और केंद्र सरकार द्वारा एक निगरानी तंत्र की स्थापना शामिल है।
  3. ओटीटी प्लेटफार्मों के लिए आवश्यक जानकारी प्रस्तुत करने की प्रक्रिया।
  4. महत्वपूर्ण सोशल मीडिया कंपनियों के लिए ‘एक मुख्य अनुपालन अधिकारी’ (Chief Compliance Officer) की नियुक्ति करना अनिवार्य होगा, इसके साथ ही ये कंपनियां एक नोडल संपर्क अधिकारी भी नियुक्त करेंगी, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियां कभी भी संपर्क कर सकेंगी।
  5. शिकायत अधिकारी (Grievance Officer): सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, एक शिकायत अधिकारी को भी नियुक्त करेंगे, जो 24 घंटे के भीतर कोई भी संबंधित शिकायत दर्ज करेगा और 15 दिनों में इसका निपटारा करेगा।

‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ’ के बारे में:

नए मानदंडों के अनुसार, 50 लाख से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं वाली ‘सोशल मीडिया कंपनियों’ को ‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ’ (Significant Social Media Intermediaries) माना जाएगा।

नियमों का अनुपालन न करने की स्थिति में:

  • फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप मैसेंजर जैसे सोशल मीडिया दिग्गजों को नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का पालन नहीं करने पर प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है।
  • यदि वे संशोधित नियमों का पालन नहीं करते हैं तो इनको “मध्यस्थ” के रूप में अपनी स्थिति खोने का जोखिम भी है और वे आपराधिक कार्रवाई के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं।

संबंधित चिंताएं:

  1. विभिन्न औद्योगिक निकायों ने, विशेष रूप से महामारी को देखते हुए, सरकार को एक साल की अनुपालन खिड़की प्रदान करने के लिए लिखा है।
  2. नए नियमों के तहत आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत मध्यस्थों को दी गई ‘सेफ हार्बर’ की संभावित अनुपलब्धता पर भी चिंता व्यक्त की गई है।
  3. उन्होंने नए नियमों के एक अनुच्छेद पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है, जिसके तहत मध्यस्थों द्वारा गैर-अनुपालन करने पर कर्मचारियों के ऊपर आपराधिक दायित्व डाला जा सकता है। इन औद्योगिक निकायों ने, व्यवसाय करने में सुगमता को ध्यान में रखते हुए इसे निरस्त करने का आग्रह किया है।
  4. एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म में ‘ओरिजिनेटर ट्रैसेबिलिटी मैंडेट’ प्लेटफॉर्म के सुरक्षा तंत्र को कमजोर कर सकता है। यह सभी नागरिकों को, शत्रु-कर्मियों द्वारा किए जाने वाले साइबर हमले के प्रति अतिसंवेदनशील बना सकता है।
  5. इसके अतिरिक्त, मौजूदा डेटा प्रतिधारण अधिदेश में सुरक्षा जोखिमों और तकनीकी जटिलताओं के अलावा भारत और विदेशों में उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता को जोखिम में पड़ सकती है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि 25 फरवरी, 2021 को, केंद्र सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 87 (2) के तहत शक्तियों के प्रयोग करते हुए और पूर्व के सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ) नियम, 2011 का निवर्तन करते हुए, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 तैयार किए गए थे।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. नए नियमों का अवलोकन
  2. परिभाषा के अनुसार ‘मध्यस्थ’ कौन हैं?
  3. ‘सेफ हार्बर’ संरक्षण क्या है?
  4. नए नियमों के तहत ‘शिकायत निवारण तंत्र’

मेंस लिंक:

नए आईटी नियमों के खिलाफ क्या चिंता जताई जा रही है? इन चिंताओं को दूर करने के तरीकों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 स्लाइनक्स नौसेना अभ्यास

(SLINEX)

  • भारत – श्रीलंका द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास का नौवां संस्करण श्रीलंका-भारत नौसेना अभ्यास ‘स्लाइनेक्स’ (Sri Lanka–India Naval Exercise – SLINEX) विशाखापत्तनम में आयोजित किया जा रहा है।
  • ‘स्लाइनेक्स’ का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच बहुआयामी समुद्री संचालन के लिए अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाना, आपसी समझ को बेहतर करना और सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं एवं प्रक्रियाओं का आदान-प्रदान करना है।

क्या आप भारत और श्रीलंका के बीच अन्य अभ्यासों के बारे में जानते हैं?

  1. ‘मित्र शक्ति’ (सैन्य अभ्यास)।
  2. ‘दोस्ती’ त्रिपक्षीय अभ्यास (भारत, मालदीव और श्रीलंका के तट रक्षक बलो के मध्य)।

 

स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमशीलता कार्यक्रम

स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमशीलता कार्यक्रम (SVEP), दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) का उप-घटक है, जिसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2016 में उप-योजना के रूप में शुरू किया गया था।

  • योजना का फोकस: उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय सामुदायिक संवर्ग बनाते समय वित्तीय सहायता और व्यवसाय प्रबंधन और सॉफ्ट स्किल्स में प्रशिक्षण के साथ स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना।
  • भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (EDII), अहमदाबाद SVEP का तकनीकी सहायता भागीदार है।
  • SVEP व्यक्तिगत और समूह दोनों उद्यमों को बढ़ावा देता है, मुख्य रूप से विनिर्माण, व्यापार और सेवा क्षेत्रों पर उद्यमों को स्थापित और बढ़ावा देता है।

सामुदायिक संसाधन व्यक्ति:

इस कार्यक्रम का एक अन्य उद्देश्य ‘सामुदायिक संसाधन व्यक्ति’ – उद्यम संवर्धन (Community Resource Persons – Enterprise Promotion – CRP-EP) का एक पूल विकसित करना है। यह पूल स्थानीय लोगो का एक समूह होगा, जो ग्रामीण उद्यमों की स्थापना करने वाले उद्यमियों को सहयोग प्रदान करेंगे।

चर्चा का कारण:

हाल ही में, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के अधीन स्वायत्तशासी संगठन ‘राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान’ (NIESBUD) ने स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमशीलता कार्यक्रम (Startup Village Entrepreneurship Programme – SVEP) पहल के जरिये मैदानी स्तर पर उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने के लिये एक सतत स्वरूप विकसित करने के वास्ते ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

 

इंटरनेशनल इलेक्शन विजिटर्स प्रोग्राम

  • भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा लगभग 32 देशों के चुनाव प्रबंधन संगठनों (EMB) और चार अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लिए इंटरनेशनल इलेक्शन विजिटर्स प्रोग्राम (IEVP) की वर्चुअल माध्यम से मेजबानी की गयी।
  • भारत 2012 के चुनावों से ही इंटरनेशनल इलेक्शन विजिटर्स प्रोग्राम (आईईवीपी) की मेजबानी कर रहा है, जहां अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को मतदान केंद्रों के भ्रमण के लिए आमंत्रित किया जाता है और उन्हें मौजूदा चुनावी प्रक्रियाओं से व्यक्तिगत रूप से अवगत कराया जाता है।

Current Affairs

“समर्थ” महिलाओं के लिए विशेष उद्यमिता प्रोत्साहन अभियान

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के अवसर पर, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) मंत्री द्वारा ‘महिलाओं के लिए एक विशेष उद्यमिता प्रोत्साहन अभियान’ – “समर्थ” (Special Entrepreneurship Promotion Drive for Women -“SAMARTH”) का शुभारंभ किया गया।

मंत्रालय की समर्थ पहल के अंतर्गत, इच्छुक और मौजूदा महिला उद्यमियों को निम्नलिखित लाभ उपलब्ध होंगे:

  • मंत्रालय की कौशल विकास योजनाओं के अंतर्गत आयोजित मुफ्त कौशल विकास कार्यक्रमों में 20 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आवंटित की जाएंगी। इससे 7500 से अधिक महिलाएं लाभान्वित होंगी।
  • मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विपणन सहायता के लिए योजनाओं के अंतर्गत घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भेजे गए एमएसएमई व्यापार प्रतिनिधिमंडल का 20 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसएमई को समर्पित होगा।
  • एनएसआईसी की वाणिज्यिक योजनाओं पर वार्षिक प्रसंस्करण शुल्क पर 20 प्रतिशत की छूट।
  • उद्यम पंजीकरण के अंतर्गत महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसएमई के पंजीकरण के लिए विशेष अभियान।

Current Affairs


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