[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 8 March 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-I

1. सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले

2. महिला दिवस 2022

3. ‘कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ योजना

 

सामान्य अध्ययन-II

1. राज्यपाल का अभिभाषण

2. पेंशन दान पहल

 

सामान्य अध्ययन-III

1. देश में अंतर्देशीय जलमार्गों को प्रोत्साहन

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. हूती विद्रोही

 


सामान्य अध्ययन-I


 

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।

सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले


संदर्भ:

हाल ही में, महाराष्ट्र के प्रसिद्ध समाज सुधारक दंपत्ति ‘ज्योतिराव एवं सावित्रीबाई फुले’ के ऊपर एक टिप्पणी करने पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा को आलोचना का सामना करना पड़ा है।

एक वीडियो में राज्यपाल को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि, “सावित्रीबाई की शादी 10 साल की उम्र में हो गई थी और उस वक्त उनके पति की उम्र 13 साल थी। अब जरा सोचिए कि शादी के बाद लड़कियां और लड़के क्या सोच रहे होंगे।”

सावित्रीबाई फुले के बारे में:

  • ‘सावित्रीबाई फुले’ का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में नायगांव गांव में हुआ था। इन्हें व्यापक रूप से, ब्रिटिश राज के ज़माने में ‘समान शिक्षा के अवसर सुनिश्चित करने’ में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘भारत की पहली पीढ़ी की आधुनिक नारीवादियों’ में से एक माना जाता है।
  • वह 1848 में भारत की पहली महिला शिक्षिका बनीं, और उन्होंने अपने पति, समाज सुधारक ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला।
  • इस दंपत्ति ने जाति-आधारित पहचान के आधार पर होने वाले भेदभाव के खिलाफ भी कारू किए, जिसका पुणे में समाज के रूढ़िवादी वर्गों द्वारा जोरदार विरोध किया गया।
  • इस दंपत्ति ने गर्भवती विधवाओं और बलात्कार पीड़ितों की सुरक्षा के लिए एक बाल-देखभाल केंद्र बाल्यता प्रतिबंदक गृह (Balyata Pratibandak Gruha) की स्थापना की।
  • हाशिए पर स्थित निचली जातियों के लिए समान अधिकार प्राप्त करने के उद्देश्य से उनके पति द्वारा गठित ‘सत्यशोधक समाज’ के कार्य को निर्देशित करने में भी सावित्रीबाई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • ‘सत्यशोधक समाज’ का विस्तार करते हुए, उन्होंने ‘सत्य शोधक विवाह’ का आरंभ किया, जहां शादी करने वाले जोड़े को ‘शिक्षा एवं समानता’ को बढ़ावा देने का संकल्प लेना होता है।
  • सावित्रीबाई ने सदी के अंत तक पूरे महाराष्ट्र में फैल चुके बुबोनिक प्लेग के पीड़ितों के लिए वर्ष 1897 में एक क्लिनिक भी खोला।
  • इन्होने विधवाओं के सिर मुंडवाने की परंपरा के खिलाफ, नाइयों द्वारा ‘बहिष्कार’ का आयोजन किया।
  • उनके सम्मान में, पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर 2015 में ‘सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय’ कर दिया गया।

ज्योतिराव फुले के बारे में:

  • महात्मा ज्योतिराव फुले का जन्म वर्ष 1827 में महाराष्ट्र के सतारा जिले हुआ था।
  • फुले को महात्मा की उपाधि, महाराष्ट्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता विट्ठलराव कृष्णजी वांडेकर द्वारा, 11 मई, 1888 को प्रदान की गयी थी।

उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ:

  • तृतीय रत्न (1855), गुलामगिरि (1873), शेतकरायचा आसुद, या कल्टीवेटर व्हिपकॉर्ड (1881), सत्यशोधक समाजोत्कल मंगलाष्टक सर्व पूजा-विधि (1887)।

 

समय की मांग:

भारत में पूर्ण ‘महिला सशक्तिकरण’ अभी भी एक दूर का सपना है। सावित्रीबाई फुले की विरासत का जश्न मनाते हुए, हमें महिलाओं और निचली जातियों के लोगों के लिए समानता का सपना देखने वाले उनके पति ज्योतिबा राव के योगदान को भी याद रखना चाहिए।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. महात्मा फुले की महत्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ।
  2. उन्हें फुले की उपाधि किसने दी?
  3. सत्यशोधक समाज के उद्देश्य।
  4. किस राज्य ने ज्योतिराव फुले पर एक योजना शुरू की है और यह किससे संबंधित है?
  5. सावित्रीबाई फुले का उल्लेखनीय योगदान।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022


संदर्भ:

संपूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष 8 मार्च को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ (International Women’s Day – IWD) मनाया जाता है।

IWD 2022 का विषय:

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 2022 (IWD 2022) की थीम ‘एक चिरस्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता’  (Gender Equality today for a Sustainable Tomorrow) है।

इस विषय में, “दुनिया भर में सभी के लिए एक अधिक संधारणीय भविष्य का निर्माण करने हेतु जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, शमन और प्रतिक्रिया को लेकर आंदोलनों का नेतृत्व करने वाली महिलाओं और लड़कियों के योगदान को मान्यता देने” का प्रयास किया गया है।

IWD 2022 अभियान का विषय: #पूर्वाग्रह तोड़ो (#BreakTheBias) है।

इसका उद्देश्य “पूर्वाग्रह, रूढ़ियों और भेदभाव से मुक्त” एक ‘लैंगिक रूप से समान विश्व’ को बढ़ावा देना है। “एक ऐसी दुनिया जो विविधतापूर्ण, न्यायसंगत और समावेशी हो, और जहां “भिन्नताओं को महत्व दिया जाता हो और उनकी सराहना की जाती हो”।

इतिहास और महत्व:

‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ (IWD) को एक सदी से अधिक समय से मनाया जा रहा है, लेकिन बहुत से लोग अभी भी इसे विशुद्ध रूप से नारीवादी आंदोलन मानते हैं। यद्यपि, इसकी जड़ें श्रमिक आंदोलन में पाई जाती हैं। और इसे पहली बार 1911 में 20 वीं सदी की शुरुआती मार्क्सवादी, जर्मनी की ‘क्लारा ज़ेटकिन’ (Clara Zetkin) द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस’ (International  Working Women’s Day) के रूप में मनाया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के ‘प्रतीकात्मक रंग’:

बैंगनी, हरा और सफेद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के ‘प्रतीक रंग’ हैं।

  • बैंगनी रंग (Purple): न्याय और गरिमा का प्रतीक है।
  • हरा रंग (Green): आशा का प्रतीक है।
  • सफेद रंग (White): एक विवादास्पद अवधारणा के बावजूद ‘सफेद रंग’ शुद्धता का प्रतिनिधित्व करता है।

इन रंग प्रतीकों की उत्पत्ति 1908 में यूनाइटेड किंगडम के ‘महिला सामाजिक और राजनीतिक संघ’ (WSPU) से हुई थी।

 

‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ की आवश्यकता:

विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, यह दुख की बात है कि हममें से कोई भी अपने जीवनकाल में लैंगिक समानता नहीं देख पाएगा, और न ही हमारे कई बच्चों द्वारा इसे देख जाने की संभावना होगी। वर्तमान व्यवस्था के मद्देनजर, लगभग एक सदी तक ‘लैंगिक समानता’ हासिल नहीं हो पाएगी।

  • महिलाएं, विशेष रूप से युवा महिलाएं, दुनिया के सभी हिस्सों में सामाजिक न्याय, जलवायु परिवर्तन और समानता के लिए ऑनलाइन और सड़कों पर विविध और समावेशी आंदोलनों में सबसे आगे बढ़कर नेतृत्व कर रही हैं।
  • फिर भी, पूरे विश्व में 30 वर्ष से कम उम्र की महिला सासंदों की संख्या 1 प्रतिशत से भी कम है।
  • यही कारण है कि, इस वर्ष का अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अभियान का नारा #पूर्वाग्रह तोड़ो तथा ‘एक चिरस्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता’ है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न दिवसों का संक्षिप्त विवरण।
  2. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 2022 की थीम।
  3. भारत और दुनिया भर में महिलाओं के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान।
  4. भारत में महिलाओं के लिए योजनाएं

मेंस लिंक:

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ योजना


संदर्भ:

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा स्कूल छोड़ चुकी किशोरियों को औपचारिक शिक्षा/या कौशल प्रणाली की ओर, वापस स्कूल लाने के लिये एक अभूतपूर्व अभियान ‘कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ (Kanya Shiksha Pravesh Utsav) का शुभारंभ किया गया है।

इस योजना के प्रमुख बिंदु:

  • इस योजना का आरंभ शिक्षा मंत्रालय और यूनीसेफ की साझेदारी में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया गया है।
  • यह योजना, स्कूल छोड़ चुकी लड़कियों को वापस ‘शिक्षा प्रणाली’ में लाने संबंधी ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ में निर्धारित लक्ष्य को भी पूरा करेगी।

महिला शिक्षा से संबंधित मुद्दे:

  • उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्कूली शिक्षा में अंतराल: हालांकि 1990 के दशक से महिला नामांकन में तेजी से वृद्धि हुई है, फिर भी महिलाओं की उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्कूली शिक्षा में पर्याप्त अंतराल मौजूद है।
  • बीच में शिक्षा छोड़ने की उच्च दर: महिलाओं के नामांकन की बढ़ती दर, लड़कों के सापेक्ष लड़कियों के अधिक संख्या में पढाई बीच में छोड़ने तथा कक्षा में कम उपस्थिति की वजह से अप्रभावी हो जाती है। स्कूल न जाने वाले बच्चों में लड़कियों की संख्या सर्वाधिक है।
  • अंतर-राज्यीय भिन्नताएं: देश में विभिन्न राज्यों के बीच ‘लैंगिक समानता’ के संदर्भ में काफी भिन्नताएं पायी जाती हैं। हालांकि, बिहार और राजस्थान जैसे सबसे अधिक शैक्षिक रूप से पिछड़े राज्यों में महिला नामांकन में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई है, फिर भी इन राज्यों को केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश जैसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों के समकक्ष आने में अभी भी एक लंबा सफर तय करना शेष है।
  • पुत्र को वरीयता: कुछ अध्ययनों से पता चलता है- कि सरकारी स्कूलों में लड़कियों का प्रतिनिधित्व लड़कों की अपेक्षा काफी अधिक है, जोकि पुत्र को लगातार वरीयता देने की प्रवृति को प्रदर्शित करता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018 के अनुसार, लड़कों को (कथित) बेहतर गुणवत्ता वाले निजी और बेहतर स्कूलों में पड़ने के लिए भेजा जाता है।

भारत में महिला शिक्षा की दिशा में किए जा रहे विभिन्न सरकारी प्रयास:

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना: इसका उद्देश्य जागरूकता पैदा करना और बालिकाओं के लिए कल्याणकारी सेवाओं की दक्षता में सुधार करना है। अभियान का मुख्य उद्देश्य, लगातार कम हो रहे ‘बाल लिंग अनुपात’ में सुधार करना था, लेकिन इसमें बालिकाओं की शिक्षा, उत्तरजीविता और सुरक्षा का प्रचार-प्रसार करना भी शामिल है।
  • डिजिटल लैंगिक मानचित्र (Digital Gender Atlas): मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा भारत में लड़कियों की शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए एक ‘डिजिटल जेंडर एटलस’ तैयार किया गया है।
  • माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों को प्रोत्साहन देने हेतु राष्ट्रीय योजना (National Scheme of Incentive to Girls for Secondary Education – NSIGSE): इस योजना का उद्देश्य स्कूल छोड़ने वालों की संख्या कम करने और माध्यमिक विद्यालयों में बालिकाओं के नामांकन को बढ़ावा देने के लिए एक सक्षम वातावरण निर्मित करना है।
  • सर्व शिक्षा अभियान: प्रारंभिक शिक्षा में लड़कियों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, सर्व शिक्षा अभियान के तहत लड़कियों के लिए विभिन्न हस्तक्षेप किए जाने का लक्ष्य है, जिसमें स्कूल खोलना, अतिरिक्त महिला शिक्षकों की नियुक्ति, लड़कियों के लिए अलग शौचालय, शिक्षकों के संवेदीकरण कार्यक्रम आदि शामिल हैं। इसके अलावा, शैक्षिक रूप से पिछड़े प्रखंडों (Educationally Backward Blocks – EBBs) में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय भी खोले गए हैं।
  • राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA): इसमें प्रत्येक बस्ती से उचित दूरी के भीतर एक माध्यमिक विद्यालय उपलब्ध कराके शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाने, माध्यमिक स्तर पर दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, लैंगिक, सामाजिक-आर्थिक और विकलांगता जैसी बाधाओं को दूर करने की परिकल्पना की गई है।
  • उड़ान (Udaan): सीबीएसई ने ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा की छात्राओं को तैयारी के लिए मुफ्त ऑनलाइन संसाधन उपलब्ध कराने के लिए ‘उड़ान’ योजना का आरंभ किया है। इस योजना का विशेष ध्यान प्रतिष्ठित संस्थानों में छात्राओं के कम नामांकन अनुपात में सुधार में सुधार करना है।
  • STEM शिक्षा: STEM शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आईआईटी और एनआईटी में अतिरिक्त सीटों का सृजन किया गया है।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

राज्यपाल का अभिभाषण


संदर्भ:

हाल ही में, राज्य विधानसभा के बजट सत्र के उद्घाटन के दिन प्रथागत ‘राज्यपाल का अभिभाषण’ (Governor’s Address) पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में विवादों में घिर गया था।

पश्चिम बंगाल की घटना:

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को, नारेबाजी, अव्यवस्था और विरोध के बीच ‘बजट सत्र’ के पहले दिन विधानसभा में अपना अभिभाषण देने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

तेलंगाना में हुई घटना:

तेलंगाना में, राज्य विधानसभा का बजट सत्र की शुरुआत ‘राज्यपाल के प्रथागत अभिभाषण’ के बगैर हुई, और निवर्तमान राज्यपाल ‘तमिलिसाई सुंदरराजन’ ने सत्र की शुरुआत में ‘राज्यपाल का अभिभाषण’ नहीं कराए जाने संबंधी राज्य सरकार के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया।

राज्यपाल का विशेष अभिभाषण:

भारत के संविधान के अनुच्छेद 176(1) के अनुसार, राज्यपाल, विधान सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के आरंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में विधान सभा में या ‘विधान परिषद’ वाले राज्य की दशा में, एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और विधान-मण्डल को उसके आह्वान के कारण बताएगा।

राज्यपाल के अभिभाषण की विषय-वस्तु:

राज्यपाल के अभिभाषण में पिछले वर्ष के दौरान सरकार की गतिविधियों और उपलब्धियों की समीक्षा और महत्वपूर्ण आंतरिक समस्याओं के संबंध में सरकार की नीति तथा सत्र के लिए सरकारी कामकाज के कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण शामिल होता है।

राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा:

  • राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा शुरू होने के पहले दिन, राज्यपाल के अभिभाषण की एक प्रति सदन के पटल पर रखी जाती है।
  • विधानसभा अध्यक्ष द्वारा ‘कार्य मंत्रणा समिति’ के परामर्श से, राज्यपाल के अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों पर चर्चा के लिए समय आवंटित किया जाता है।
  • अभिभाषण के लिए राज्यपाल को धन्यवाद देते हुए एक सदस्य द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया जाता है और दूसरे सदस्य द्वारा उसका समर्थन किया जाता है।
  • सदस्यों को अभिभाषण में संदर्भित विषयों एवं प्रशासन के किसी भी पहलू के संबंध में सामान्य चर्चा का अवसर प्रदान किया जाता है।
  • इसके उपरांत, सदस्यों द्वारा ऐसे प्रारूप में, जिसे विधानसभा अध्यक्ष उचित समझे, धन्यवाद प्रस्ताव में संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है।

क्या आप ‘राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव’ के बारे में जानते हैं?

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि, यदि राष्ट्रपति अपने भाषण की विषयवस्तु से असहमत होता हैं, तो क्या वह इसे पढ़ने के लिए बाध्य होता हैं? इस बारे में जानकारी हेतु पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राष्ट्रपति अभिभाषण के बारे में
  2. संवैधानिक प्रावधान
  3. पहला संवैधानिक संशोधन
  4. राष्ट्रपति के अभिभाषण हेतु प्रकियाएं
  5. यदि राष्ट्रपति अपने भाषण की विषयवस्तु से असहमत होता हैं, तो क्या वह इसे पढ़ने के लिए बाध्य होता हैं?
  6. ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ क्या है?

मेंस लिंक:

‘मोशन ऑफ थैंक्स’ / ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ क्या होता है? इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।

पेंशन दान पहल


(Donate a Pension initiative)

संदर्भ:

हाल ही में, श्रम मंत्रालय द्वारा एक ‘पेंशन दान पहल’ / ‘डोनेट- ए- पेंशन’ पहल (Donate a Pension initiative) का आरंभ किया गया है।

कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:

  • इस कार्यक्रम का आरंभ, ‘प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन’ (Pradhan Mantri Shram Yogi Maan-Dhan : PM-SYM) के तहत लोगों को उनके सहायक कर्मचारियों के ‘पेंशन फंड’ में योगदान करने हेतु किया गया है।
  • इसके तहत भारत के नागरिक अपने घर या प्रतिष्ठान में अपने तत्काल सहायक कर्मचारियों जैसे घरेलू कामगारों ड्राइवरों, हेल्परों, देखरेख करने वालों, नर्सों के लिए प्रमुखता से योगदान कर सकते हैं।

‘प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना’ के बारे में:

‘प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना’ (PM-SYM) एक 50:50 के अनुपात आधार पर एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें लाभार्थी एक निर्धारित आयु-विशिष्ट योगदान देता है और केंद्र सरकार उसके अनुरूप राशि लाभार्थी के खाते में जमा करती है।

कार्यान्वयन: इस योजना की निगरानी एवं देख-रेख ‘श्रम एवं रोजगार मंत्रालय’ द्वारा की जाएगी और इसे  भारतीय जीवन बीमा निगम और ‘जन सेवा केंद्र ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड’ (CSC eGovernance Services India Limited – CSC SPV) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।

पात्रता: इस योजना के तहत, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 18-40 वर्ष के आयु वर्ग के श्रमिक अपना पंजीकरण करा सकते हैं और अपनी उम्र के आधार पर हर साल न्यूनतम 660 से 2400 रुपये जमा कर सकते हैं।

लाभार्थी व्यक्ति को ‘नई पेंशन योजना’ (New Pension Scheme – NPS), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (Employees’ State Insurance Corporation – ESIC) और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation – EPFO) के लाभ के अंतर्गत कवर न किया गया हो, तथा उसे आयकर दाता नहीं होना चाहिये।

लाभ: 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद लाभार्थी को प्रति माह 3,000 रुपये की न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन प्रदान की जाएगी।

लाभार्थी:

असंगठित कामगार, घर से काम करने वाले श्रमिक, स्ट्रीट वेंडर, मिड डे मील श्रमिक, सिर पर बोझ ढोने वाले श्रमिक, ईंट-भट्टा मज़दूर, चर्मकार, कचरा उठाने वाले, घरेलू कामगार, धोबी, रिक्शा चालक, भूमिहीन मज़दूर, खेतिहर मज़दूर, निर्माण मज़दूर, बीड़ी मज़दूर, हथकरघा मज़दूर, चमड़ा मज़दूर, ऑडियो-वीडियो श्रमिक तथा इसी तरह के अन्य व्यवसायों में काम करने वाले ऐसे श्रमिक होंगे जिनकी मासिक आय 15,000 रुपए या उससे कम है।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

देश में अंतर्देशीय जलमार्गों को प्रोत्साहन


संदर्भ:

हाल ही में, पहली बार राष्ट्रीय जलमार्ग के माध्यम से, पटना से खाद्यान्नों को बांग्लादेश होते हुए गुवाहाटी के ‘पांडु’ तक भेजा गया। इसके लिए ब्रह्मपुत्र (NW2) को ‘इंडो बांग्लादेश प्रोटोकॉल’ (Indo Bangladesh Protocol – IBP) मार्ग के माध्यम से गंगा (राष्ट्रीय जलमार्ग -1) से जोड़ा गया है, और इस तरह से असम में अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए नए युग की शुरुआत हुई है।

  • एमवी लाल बहादुर शास्त्री जल पोत ने ‘भारतीय खाद्य निगम’ (FCI) के लिए 200 मीट्रिक टन खाद्यान्न लेकर पटना से गुवाहाटी तक की पहली प्रायोगिक यात्रा पूरी की।
  • इस जल पोत द्वारा, राष्ट्रीय जलमार्ग -1 (गंगा नदी) के भागलपुर, मनिहारी, साहिबगंज, फरक्का, ट्रिबेनी, कोलकाता, हल्दिया, हेमनगर से होते हुए यात्रा करेगा। इससे आगे यह इंडो बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) के खुलना, नारायणगंज, सिराजगंज, चिलमारी और राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या -2 के धुबरी व जोगीघोपा होते हुए 2,350 किलोमीटर की दूरी तय की गयी।

भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग:

(Inland waterways in India)

  • देश में अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत 111 ‘अंतर्देशीय जलमार्ग’ को ‘राष्ट्रीय जलमार्ग’ घोषित किया गया है।
  • भारत सरकार द्वारा, अंतर्देशीय जल परिवहन को देश में रेल और सड़क परिवहन के एक किफायती, पर्यावरण के अनुकूल पूरक साधन के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है।

क्या आप जानते हैं, कि:

संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत ‘संघ सूची’ की प्रविष्टि 24 के तहत केंद्र सरकार को, संसद द्वारा कानून के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में वर्गीकृत किए गए अंतर्देशीय जलमार्गों पर नौवहन और नौपरिवहन संबंधी कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है।

 

भारत के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय जलमार्ग:

राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (National Waterway 1):

इलाहाबाद से हल्दिया तक (1620 किमी की दूरी)।

  1. राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (NW1), गंगा, भागीरथी और हुगली नदी प्रणाली से होकर गुजरता है। और इस मार्ग पर हल्दिया, फरक्का और पटना में ‘स्थायी टर्मिनल’ (fixed terminals) बने हुए हैं।
  2. इस जल मार्ग पर कोलकाता, भागलपुर, वाराणसी और इलाहाबाद जैसे नदी-तटवर्ती शहरों में ‘फ्लोटिंग टर्मिनल’ (Floating terminals) बने हुए हैं।
  3. यह भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय जलमार्ग है।

राष्ट्रीय जलमार्ग 2 (National Waterway 2):

  • असम राज्य में ‘सादिया से धुबरी तक’ ब्रह्मपुत्र नदी के जल मार्ग को ‘राष्ट्रीय जलमार्ग 2’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • NW2 देश का तीसरा सबसे लंबा जलमार्ग है, इसकी कुल लंबाई 891 किमी है।

राष्ट्रीय जलमार्ग 3 (National Waterway 3):

  • केरल राज्य में ‘कोल्लम से कोट्टापुरम तक’ बहने वाली ‘वेस्ट कोस्ट कैनाल’ को NW3 के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • 205 किमी लंबी ‘वेस्ट कोस्ट कैनाल’, सर्वकालिक नौपरिवहन सुविधा वाला भारत का पहला जलमार्ग है।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग 3 (NW3), ‘वेस्ट कोस्ट कैनाल’, चंपाकारा नहर और उद्योगमंडल नहर से मिलकर बना है।
  • यह जलमार्ग कोट्टप्पुरम, चेरथला, थ्रीकुन्नपुझा, कोल्लम और अलाप्पुझा से होकर गुजरता है।

राष्ट्रीय जलमार्ग 4 (National Waterway 4):

  • राष्ट्रीय जलमार्ग 4 (NW4) काकीनाडा को पांडिचेरी से जोड़ता है।
  • यह भारत का दूसरा सबसे लंबा जलमार्ग है।
  • आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से होकर गुजरने वाले इस जलमार्ग की कुल लंबाई 1095 किमी है।

राष्ट्रीय जलमार्ग 5(National Waterway 5):

  • राष्ट्रीय जलमार्ग 5 (NW5) ओडिशा को पश्चिम बंगाल से जोड़ता है।
  • यह ब्राह्मणी नदी, पूर्वी तट नहर, मताई नदी और महानदी नदी की जलधाराओं से होकर गुजरता है।
  • 623 किमी लंबी यह नहर प्रणाली, कोयला, उर्वरक, सीमेंट और लोहे जैसे कार्गो के यातायात को संभालती है।

राष्ट्रीय जलमार्ग 6 (National Waterway 6):

  • राष्ट्रीय जलमार्ग 6 (NW6) असम में प्रस्तावित एक जलमार्ग है।
  • यह बराक नदी के माध्यम से लखीपुर को भांगा से जोड़ेगा।
  • 121 किलोमीटर लंबे जलमार्ग से सिलचर (असम) से मिजोरम के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप NW 1 और NW 2 की अवस्थिति के बारे में जानते हैं? राष्ट्रीय जलमार्ग 1 के माध्यम से कौन से राज्य जुड़े हुए हैं? इस बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. महत्वपूर्ण जलमार्ग
  2. उनकी अवस्थिति
  3. JMVP के बारे में
  4. IWAI के बारे में

मेंस लिंक:

राष्ट्रीय जलमार्गों के महत्व की विवेचना कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 हूती विद्रोही

हूती (Houthi), ‘जैदी शिया संप्रदाय’ (Zaidi Shia sect) से संबंधित एक सशस्त्र विद्रोही समूह हैं जो यमन की सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। परंपरागत रूप से, हूती समुदाय के लोग ‘यमन’ के उत्तर-पश्चिम में स्थित ‘सादा प्रांत’ (Saada Province) में केंद्रित रहे हैं।

 

 


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