[इनसाइट्स सिक्योर MISSION – 2022] दैनिक सिविल सेवा मुख्य परीक्षा उत्तर लेखन अभ्यास: 8 मार्च 2022 – INSIGHTSIAS

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How to Follow Secure Initiative?

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MISSION – 2022: YEARLONG TIMETABLE

 


सामान्य अध्ययन– I


 

विषय: महिलाओं एवं महिला संगठन की भूमिका।

1. स्वयं सहायता समूह (SHGs) महिला सशक्तिकरण की एक एजेंसी के रूप में अपरिहार्य हो गए हैं लेकिन उनकी क्षमता का पूर्ण रूप से उपयोग किया जाना शेष है क्योंकि यह विभिन्न कारकों से बाधित है। विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: मध्यम

सन्दर्भ: Live Mint

 निर्देशक शब्द:

 विश्लेषण कीजिएऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिए।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

स्वयं सहायता समूह को परिभाषित कीजिए एवं भारत में स्वयं सहायता समूह आंदोलन की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।

 विषय वस्तु:  

महिला सशक्तिकरण में स्वयं सहायता समूहों द्वारा निभाई गई भूमिका का उल्लेख कीजिए।

उन विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए, जिन्होंने स्वयं सहायता समूहों को अपनी पूरी क्षमता का एहसास करने से रोक दिया है। इन कारकों को नियंत्रित करने के लिए उपायों का  सुझाव दीजिए।

निष्कर्ष:

आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 


सामान्य अध्ययन– II


 

विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

2. वर्तमान में, संसद में महिला कानून निर्माताओं की संख्या ऐतिहासिक ऊंचाई पर है। हालांकि, अन्य देशों की तुलना में यह संख्या अभी भी कम है। विधायी निकायों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार के उपायों का सुझाव दीजिए। (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: मध्यम

सन्दर्भ: Indian Express

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

महिला सांसदों की ऐतिहासिक उच्च संख्या का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।

विषय वस्तु:

अन्य प्रमुख लोकतंत्रों के साथ-साथ वैश्विक औसत के साथ भारतीय महिला कानून निर्माताओं की संख्या की तुलना कीजिए।

विधायिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार के लाभों का उल्लेख कीजिए।

विधायी निकायों में महिलाओं की भागीदारी में सुधार के लिए आवश्यक उपायों का सुझाव दीजिए।

निष्कर्ष:

आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 


सामान्य अध्ययन– III


 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

3. चिकित्सा में नैनो प्रौद्योगिकी के असंख्य अनुप्रयोग हैं और साथ ही यह आधुनिक चिकित्सा में क्रांति लाने योग्य कुछ रोमांचक संभावनाएं प्रदान करती है। चर्चा कीजिए। (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: मध्यम

 सन्दर्भ: Indian Express

निर्देशक शब्द:

 चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

नैनो-प्रौद्योगिकी एवं इसके विभिन्न अनुप्रयोगों को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।

 विषय वस्तु:

चिकित्सा के उन क्षेत्रों का सोदाहरण उल्लेख कीजिए, जहां नैनो तकनीक लागू की जा रही है।

उन संभावित उपचारों के बारे में लिखिए, जहां नैनो तकनीक के प्रयोग से आधुनिक चिकित्सा में क्रांति आएगी।

निष्कर्ष:

आधुनिक चिकित्सा में नैनो-प्रौद्योगिकी के दायरे को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

4. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कार्यों की व्याख्या कीजिए। भारतीय रिजर्व बैंक को ‘अंतिम उपाय के ऋणदाता’ के रूप में क्यों जाना जाता है? (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: सरल

सन्दर्भ: Insights on India

 निर्देशक शब्द:

 व्याख्या कीजिए- प्रश्न में पूछी गई जानकारी को सरल भाषा में व्यक्त कीजिए।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

भारतीय रिजर्व बैंक एवं भारत की मौद्रिक नीति में इसकी भूमिका के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।

 विषय वस्तु:

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों का उल्लेख कीजिए।

आरबीआई को ‘अंतिम उपाय के ऋणदाता’ के रूप में क्यों जाना जाता है? उल्लेख कीजिए।

निष्कर्ष:

उपर्युक्त को सारांशित करते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

5. मौद्रिक नीति क्या है? भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में 2016 के संशोधन द्वारा अपने घोषित अधिदेश को प्राप्त करने में मौद्रिक नीति समिति के प्रदर्शन का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: कठिन

सन्दर्भ:  Insights on India

 निर्देशक शब्द:

 व्याख्या कीजिए- प्रश्न में पूछी गई जानकारी को सरल भाषा में व्यक्त कीजिए।

उत्तर की संरचना:

 परिचय:

मौद्रिक नीति को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:

मौद्रिक नीति के विभिन्न घटकों के बारे में संक्षेप में लिखिए।

मौद्रिक नीति समिति (MPC), इसके लक्ष्य एवं उद्देश्यों के बारे में लिखिए।

सम्बंधित सांख्यिकी का उल्लेख करते हुए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने एवं विकास के लिए अनुकूल माहौल बनाने में मौद्रिक नीति समिति की सफलताओं एवं इसकी सीमाओं का उल्लेख कीजिए।

 निष्कर्ष:

उपर्युक्त सीमाओं को पार करने के लिए आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 


सामान्य अध्ययन– IV


 

विषय: नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व।

6. वे कौन से कारक हैं, जिन पर मानव क्रिया की नैतिकता निर्भर करती है? (150 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: मध्यम

सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिवृत्ति के प्रति एक व्यावहारिक दृष्टिकोण: डी. के. बालाजी

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

यह समझाते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए कि मानव क्रिया स्वतंत्र इच्छा पर नहीं बल्कि विभिन्न कारकों द्वारा निर्धारित होती है।

 विषय वस्तु:

किसी व्यक्ति की कार्रवाई नैतिकता परिस्थिति के अनुसार कैसे बदलती है? स्पष्ट कीजिए।

इसके विभिन्न निर्धारकों का उल्लेख कीजिए।

उपरोक्त की बेहतर प्रस्तुति के लिए फ्लो-चार्ट का प्रयोग कीजिए।

 निष्कर्ष:

निष्कर्ष निकालिए कि एक निश्चित नैतिक निर्माण वाले व्यक्ति को अनेक बाधाओं से गुजरना पड़ता है, जो उसकी कार्रवाई को पूर्ण रूप से बदल सकती हैं।

 

विषय: नीतिशास्त्र के आयाम।

7. पर्यावरणीय नैतिकता से आप क्या समझते हैं? समकालीन समय में नैतिकता की एक शाखा के रूप में इसके महत्व की व्याख्या कीजिए। (150 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: मध्यम

 निर्देशक शब्द:

 व्याख्या कीजिए- प्रश्न में पूछी गई जानकारी को सरल भाषा में व्यक्त कीजिए।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

नैतिकता के दृष्टिकोण की मानव-केंद्रित प्रकृति का वर्णन करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।

 विषय वस्तु:

समझाइए कि हाल ही के कुछ वर्षों में लोगों, सरकारों एवं संस्थाओं का ध्यान पर्यावरण नैतिकता की ओर आकृष्ट हुआ है।

पर्यावरण की उपेक्षा के प्रभावों का उल्लेख कीजिए।

 निष्कर्ष:

निष्कर्ष निकालिए कि जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में पर्यावरणीय नैतिकता अब पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।

 


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