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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. सरकार को तीन राजधानियों के लिए कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं: हाई कोर्ट
2. रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया
3. एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक
सामान्य अध्ययन-III
1. सौर संयोजन घटना
2. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा का ‘प्लास्टिक प्रदूषण संकल्प’
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. ‘वाट्स ऑन द मून’ चैलेंज
2. कोणार्क मंदिर शहर: शत प्रतिशत सौर शहर
3. को-लोकेशन या सह-स्थान
4. समर्थ रामदास
5. जम्मू में ‘ग्राम रक्षा समूह’
सामान्य अध्ययन-II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
सरकार को तीन राजधानियों के लिए कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं: हाई कोर्ट
संदर्भ:
हाल ही में, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा राज्य की राजधानी के रूप में ‘अमरावती’ का विकास किए जाने का आदेश दिया गया है और कहा है, कि सरकार को राज्य की तीन राजधानियों के लिए नए कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं है।
अदालत की टिप्पणी:
राज्य विधायिका के लिए, ‘आंध्र प्रदेश कैपिटल सिटी लैंड पूलिंग स्कीम नियम, 2015’ के तहत जमा की गई भूमि, और ‘आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2014 (Andhra Pradesh Capital Region Development Authority Act, 2014 – APCRDA) की धारा 3 के तहत राजधानी को स्थानांतरित करने, विभाजित करने या तीन भागों में विभाजित करने तथा उच्च न्यायालय सहित सरकार के तीन अंगों से संबंधित विभागों के मुख्यालयों को अधिसूचित राजधानी शहर के अलावा किसी भी क्षेत्र में स्थानांतरित करने के लिए कोई कानून बनाने की शक्ति नहीं है।
- संविधान के अनुच्छेद 4 में नियोजित भाषा के अनुसार, राज्य में विधायिका, कार्यकारिणी और न्यायिक अंगों की स्थापना संबंधी मामलों में निणर्य लेने की शक्ति केवल संसद के पास है।
- अनुच्छेद 4 के अनुसार, कि नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना (अनुच्छेद 2 के तहत) और नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों के परिवर्तन (अनुच्छेद 3 के तहत) हेतु बनाए गए कानूनों को अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन के रूप में नहीं समझा जाएगा।
संबंधित प्रकरण:
नवंबर 2021 में, आंध्रप्रदेश सरकार ने यह कहते हुए तीन राजधानियां बनाए जाने से संबंधित कानून को निरस्त कर दिया कि, सरकार द्वारा इस संदर्भ में कोई कानूनी बाधा नहीं आए यह सुनिश्चित करने के लिए एक नया फुल-प्रूफ कानून लाया जाएगा। लेकिन अदालत ने, सरकार के निरसित किए जा चुके क़ानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी।
- आंध्र प्रदेश विधानसभा द्वारा ‘आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण एवं सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास अधिनियम (P. Decentralisation and Inclusive Development of All Regions Act), 2020 (तीन राजधानियों की स्थापना के उद्देश्य से), तथा ‘आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (निरसन) अधिनियम, 2020’ (Capital Region Development Authority (CRDA) Repeal Act of 2020) को निरसित करने के लिए एक विधेयक पारित किया गया था।
- पहले पारित किए जा चुके इन अधिनियमों को निरसित करने का उद्देश्य, विकेंद्रीकरण की नीति को और अधिक स्पष्टता प्रदान करना और लोगों के सभी वर्गों को एक विस्तृत विवरण प्रदान करना है।
तीन राजधानियों से संबंधित विवाद:
31 जुलाई को राज्य सरकार द्वारा ‘आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण एवं सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास अधिनियम, 2020 तथा आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (निरसन) अधिनियम, 2020 को अधिसूचित किए गए थे।
यह अधिनियम आंध्रप्रदेश राज्य के लिए तीन राजधानियों का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
- अमरावती- विधायी राजधानी।
- विशाखापत्तनम- कार्यकारी राजधानी।
- कुर्नूल – न्यायिक राजधानी।
तीन राजधानियों की आवश्यकता:
राज्य सरकार का कहना है कि वह राज्य के अन्य हिस्सों की उपेक्षा करते हुए एक विशाल राजधानी शहर बनाने के विरुद्ध है। प्रदेश की तीन राजधानियाँ होने से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का समान रूप से विकास सुनिश्चित होगा।
इस विचार को लागू करने में समस्या:
- समन्वय और क्रियान्वयन संबधी आशंका: अलग-अलग शहरों में स्थित विधायिका तथा कार्यपालिका का मध्य समन्वय स्थापित करना, कहने के लिए आसान परन्तु करने के लिए काफी मुश्किल साबित होगा, तथा, इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा इस संदर्भ में किसी योजना का विवरण नहीं दिया गया है, इससे अधिकारी तथा आम नागरिक सभी, इसके कार्यान्वयन को लेकर आशंकित हैं।
- परिवहन लागत और समय: कार्यकारी राजधानी विशाखापत्तनम, न्यायिक राजधानी कुर्नूल से 700 किमी तथा विधायी राजधानी अमरावती से 400 किमी की दूरी पर स्थित है। अमरावती तथा कुर्नूल के मध्य 370 किमी की दूरी है। तीन राजधानियां होने से यात्रा में लगने वाला समय तथा लागत काफी महंगी साबित होगी।
इंस्टा जिज्ञासु:
एक से अधिक राजधानी वाले भारतीय राज्य:
- महाराष्ट्र: की दो राजधानियाँ हैं- मुंबई तथा नागपुर (राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र)।
- हिमाचल प्रदेश: की शिमला और धर्मशाला (शीतकालीन) दो राजधानियाँ हैं।
- पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर की श्रीनगर तथा जम्मू (शीतकालीन) दो राजधानियाँ थी।
प्रीलिम्स लिंक:
- जनहित याचिका याचिका क्या है?
- किन भारतीय राज्यों में एक से अधिक राजधानियाँ हैं?
- आंध्र प्रदेश की प्रस्तावित राजधानियाँ
- भारतीय संविधान के तहत विभिन्न याचिकाएं
मेंस लिंक:
राज्य में कई राजधानियों की उपयुक्तता पर चर्चा कीजिए। यह किस प्रकार राज्य के शासन को प्रभावित कर सकती है? उपयुक्त उदाहरण सहित बताइए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया
(Defence Acquisition Procedure)
संदर्भ:
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए नए सिरे से जोर देते हुए, सरकार ने कई स्वदेशी रक्षा परियोजनाओं, जिनमे उद्योग द्वारा डिजाइन और विकास भी शामिल होगा- को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है।
- रक्षा मंत्रालय द्वारा इस प्रकार की नौ परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी है: जिनमे से चार परियोजनाएं, रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 की ‘मेक-I’ श्रेणी और पांच परियोजनाएं ‘मेक -2’ श्रेणियों के तहत स्वीकृत की गयी हैं।
- स्वीकृत परियोजनाओं, में हल्के टैंक, भारतीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ संचार उपकरण, जमीन-आधारित प्रणाली के साथ एयरबोर्न इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल पॉड और एयरबोर्न स्टैंड-ऑफ जैमर का विकास किया जाना शामिल है।
DAP 2020 के बारे में:
रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 (Defence Acquisition Procedure- DAP 2020) को इसी वर्ष सितंबर में जारी किया गया था।
- 1 अक्टूबर से, नई नीति के द्वारा ‘रक्षा खरीद प्रक्रिया’- 2016 को समाप्त कर दिया गया।
- ‘रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया’ (DAP) में तटरक्षक बलों सहित सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण हेतु ‘रक्षा मंत्रालय’ के पूंजी बजट से खरीद और अधिग्रहण संबंधी नीतियां और प्रक्रियाएं शामिल की गयी हैं।
नई नीति के प्रमुख बिंदु:
- 1. स्वदेशी फर्मों के लिए आरक्षण:
नीति में स्वदेशी फर्मों के लिए कई खरीद श्रेणियां आरक्षित की गयी हैं।
DAP 2020 में ‘भारतीय विक्रेता’ को ऐसी कंपनी के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसका स्वामित्व और नियंत्रण निवासी भारतीय नागरिकों के पास है और जिसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 49 प्रतिशत से अधिक नहीं है।
- नई खरीद (भारत में वैश्विक-विनिर्माण) श्रेणी:
इसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित भारत में विनिर्मित करने के आशय से की गयी विदेशी खरीद के समग्र अनुबंध मूल्य के कम से कम 50 प्रतिशत भाग का स्वदेशीकरण किए जाना अनिवार्य किया गया है।
- अधिकतम स्वदेशी सामग्री का उपयोग:
इसमें लाइसेंस के तहत भारत में निर्मित उपकरणों सहित हथियारों और सैन्य खरीद के उपकरणों में अथिकतम स्वदेशी सामग्री के उपयोग को बढ़ावा दिया गया है। अधिकांश अधिग्रहण श्रेणियों में, रक्षा खरीद प्रक्रिया (DAP) 2016 की तुलना में DAP-2020 में 10 प्रतिशत अधिक स्वदेशीकरण के अनुबंध शामिल हैं।
- आयात प्रतिषेध सूची (Import embargo list):
विगत माह में सरकार द्वारा प्रवर्तित 101 वस्तुओं की ‘आयात प्रतिषेध सूची’ को रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 में भी विशेष रूप से शामिल किया गया है। (व्यापार प्रतिषेध एक सरकारी आदेश होता है, जिसमे किसी निर्दिष्ट देश से व्यापार अथवा विशिष्ट वस्तुओं के आदान-प्रदान को प्रतिबंधित किया जाता है।)
- ऑफसेट देयता (Offset liability):
सरकारी निर्णय के अनुसार- यदि अंतर–सरकारी समझौते (IGA), सरकार–से–सरकार अथवा प्रारंभिक एकल विक्रेता के माध्यम से सौदा किया जाता है, तो सरकार रक्षा उपकरणों की खरीद में ऑफसेट क्लॉज का प्रावधान नहीं रखेगी।
ऑफसेट क्लॉज़ के प्रावधान के तहत विदेशी विक्रेता के लिए ‘अनुबंध मूल्य’ के एक भाग का निवेश भारत में करना आवश्यक होता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा फ़रवरी 2021 में, सशस्त्र बलों के उप-प्रमुख के पद से नीचे के वरिष्ठ अधिकारियों को ‘पूंजीगत खरीद’ हेतु अधिक वित्तीय शक्तियाँ सौंपे जाने संबंधी मंजूरी दी गयी थी।
रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 की अन्य पूंजीगत खरीद प्रक्रिया के तहत:
- सेना के कमांडरों, अन्य सेवाओं के समकक्ष क्षेत्रीय और भारतीय तटरक्षक कमांडरों को 100 करोड़ रुपये तक की वित्तीय शक्तियां सौंपी गई हैं।
- डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (CD &S), मास्टर जनरल सस्टेनेंस (MGS), चीफ ऑफ मैटेरियल (COM), एयर ऑफिसर मेंटेनेंस (AOM), डिप्टी चीफ ऑफ़ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (DCIDS), अतिरिक्त महानिदेशक तटरक्षक बल, के लिए 200 करोड़ रुपये तक की वित्तीय शक्तियां सौंपी गई हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- ऑफसेट देयता क्या है?
- बेस कंट्रोल प्राइस क्या है?
- क्या DAP 2020 तटरक्षक बलों के लिए लागू है?
- धीरेन्द्र सिंह कमेटी किससे संबंधित है?
मेंस लिंक:
नीति के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक
(Asian Infrastructure Investment Bank)
संदर्भ:
एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक / एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) द्वारा वर्तमान में, यूक्रेन में जारी युद्ध के मद्देनजर रूस और बेलारूस से संबंधित सभी गतिविधियों को रोक दिया गया है और इन्हें समीक्षा के तहत रख दिया है।
एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) द्वारा इस स्थिति को “यूक्रेन में युद्ध” (war in Ukraine) के रूप में व्यक्त किया गया है, जोकि चीनी सरकार से संबद्ध किसी भी संस्था द्वारा अब तक पूर्वी यूरोपीय देश की स्थिति का वर्णन करने के लिए प्रयुक्त किया गया “आक्रमण” (Invasion) शब्द से सर्वाधिक मिलता-जुलता शब्द है।
इस प्रकार के प्रतिबंधों का प्रभाव:
- बढ़ती हुई एवं वैश्विक रूप से जुड़ी अर्थव्यवस्था में वर्षों तक जीवन गुजरने के बाद, अब रूसी नागरिक खुद को एक ऐसे देश में पाते हैं जो दुनिया से तेजी से अलग-थलग होता जा रहा है।
- राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण किए जाने के बाद, यूरोपीय संघ और अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों की झड़ी और देश से विदेशी कंपनियों एवं निवेशकों के पलायन ने, संयुक्त रूप से, रूस को अलग-थलग और आर्थिक रूप से सीमित कर दिया है।
- कई दिनों तक, इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के विफल होने की आशंकाओं के बीच रूस में लोग नकदी – विदेशी मुद्रा और रूबल दोनों- निकालने के लिए दौड़ पड़े है और ‘एटीएम’ के समीप लंबी कतारें लगने लगी हैं।
- रूबल की कीमत, 1 सेंट (1 cent) से भी कम के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गयी है, और लोग अपनी बचत को नष्ट होते हुए देख रहे हैं।
- क्रेमलिन (Kremlin) द्वारा सभी रूसियों को अन्य देशों में ‘विदेशी मुद्रा स्थानांतरित’ करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है और निर्यातकों को अपनी ‘विदेशी मुद्रा आय’ का 80% रूबल में बदलने का आदेश दिया है।
- सोशल मीडिया पर, रूसी खरीदार कुछ उत्पादों, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरणों की कीमतों में वृद्धि देख रहे हैं।
- विदेशी कंपनियों के लिए काम करने वाले बहुत से रूसी लोग, अपना वेतन प्राप्त करने में सक्षम होने के बारे में चिंतित हैं, क्योंकि प्रमुख रूसी बैंकों के पहले बैच को, तेल और गैस से होने वाले मुनाफे को लक्षित करने के लिए, इंटरबैंक SWIFT सिस्टम से बाहर निकाल दिया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों और सांस्कृतिक संगठनों द्वारा भी रूस पर अपने-अपने प्रतिबंध लगाए गए हैं।
- तेल की कीमतों पर प्रभाव: रूस, विश्व का (अमेरिका और सऊदी अरब के बाद) तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक और दूसरा (अमेरिका के बाद) सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस उत्पादक देश है। साथ ही, यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा (ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के बाद) कोयला निर्यातक देश भी है। यह विश्व में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश भी है।
AIIB के बारे में:
‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ (Asian Infrastructure Investment Bank – AIIB) एक बहुपक्षीय विकास बैंक है। यह एशिया और उसके बाहर के सामाजिक और आर्थिक परिणामों में सुधार हेतु एक मिशन के रूप में कार्य करता है।
- शुरुआत में, समझौते में शामिल पक्षकार (57 संस्थापक सदस्य) देश इस बैंक के सदस्य थे।
- इसका मुख्यालय बीजिंग में है।
- AIIB में जनवरी 2016 से कार्य करना शुरू किया था।
उद्देश्य:
इसका उद्देश्य, स्थायी बुनियादी ढाचों और अन्य उत्पादक क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से, लोगों, सेवाओं और बाजारों को परस्पर सम्बद्ध करना है, जिससे, समय के साथ अरबों व्यक्तियों का जीवन प्रभावित होगा तथा एक बेहतर भविष्य का निर्माण होगा।
सदस्यता:
- वर्तमान में इसके 103 अनुमोदित सदस्य हैं।
- फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूनाइटेड किंगडम सहित G-20 समूह के चौदह देश ‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक’ के सदस्यों में शामिल हैं।
मताधिकार:
- ‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक’ में चीन की शेयरधारिता सर्वाधिक है, इसके पास 61% वोटिंग शेयर है, इसके बाद भारत (7.6%), रूस (6.01%) और जर्मनी (4.2%) शेयरों के साथ सबसे बड़े शेयरधारक है।
- बैंक में, क्षेत्रीय सदस्यों की कुल मतदान शक्ति 75% हैं।
एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के विभिन्न अंग:
बोर्ड ऑफ गवर्नर्स: गवर्नर्स बोर्ड में प्रत्येक सदस्य देश द्वारा नियुक्त एक गवर्नर तथा एक वैकल्पिक गवर्नर होते हैं।
निदेशक मंडल: बैंक के सामान्य संचालन के लिए गैर-निवासी निदेशक मंडल (Non-resident Board of Directors) जिम्मेदार होता है, इस निदेशक मंडल को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा सभी शक्तियां प्रदान की जाती है। इनके कार्यों में बैंक की रणनीति बनाना, वार्षिक योजना और बजट को मंजूरी देना, नीति-निर्माण; बैंक संचालन से संबंधित निर्णय लेना; और बैंक के प्रबंधन और संचालन की देखरेख और एक निगरानी तंत्र स्थापित करना आदि सम्मिलित है।
अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति: AIIB द्वारा बैंक की रणनीतियों तथा नीतियों के साथ-साथ सामान्य परिचालन मुद्दों पर बैंक के अध्यक्ष और शीर्ष प्रबंधन की सहायता हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति (International Advisory Panel- IAP) का गठन किया गया है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल वर्तमान में ‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक’ (AIIB) के उपाध्यक्ष हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- AIIB बनाम ADB बनाम विश्व बैंक
- एआईआईबी के सदस्य
- शीर्ष शेयरधारक
- मतदान की शक्तियां
- भारत में AIIB समर्थित परियोजनायें
मेंस लिंक:
एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन-III
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
सौर संयोजन परिघटना
(Solar Conjunction)
संदर्भ:
हाल ही में, ISRO की विभिन्न इकाइयों के वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा ‘सौर कोरोना’ का अध्ययन करने और सूर्य के उस क्षेत्र जहां तापमान अचानक बढ़ जाता है, का पता लगाने के लिए, भारत के मार्स ऑर्बिटर ‘मंगलयान’ से भेजे गए ‘एस-बैंड’ रेडियो संकेतों का इस्तेमाल किया गया है।
इस बारे में अधिक विवरण अभी प्रकाशित किया जाना बाकी है।
अध्ययन का महत्व:
- वैज्ञानिकों द्वारा ‘सौर संयोजन’ या ‘सौर युति’ (Solar Conjunction) परिघटना का उपयोग, पृथ्वी और मंगल के सूर्य के विपरीत दिशा में, किंतु एक एक रेखा में होने पर किया गया।
- मंगल ग्रह के लिए ‘संयोजन’ या ‘युति’ की स्थिति दो साल में एक बार घटित होती है, इस दौरान मंगलयान से भेजे जाने वाले रेडियो सिग्नल, सौर कोरोना – लगभग 10 सौर त्रिज्या (10 solar radii) या सूर्य के केंद्र से लगभग 69,57,000 किमी- से होकर गुजरते हैं ।
- यह स्थिति, वैज्ञानिकों को सौर गतिकी का अध्ययन करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। प्रत्येक सौर त्रिज्या (Solar Radii) की लंबाई लगभग 6,95,700 किमी होती है।
‘सौर संयोजन’ या ‘सौर युति’ के बारे में:
‘सौर युति’ (Solar Conjunction) वह अवधि होती है, जिसमे पृथ्वी और मंगल, सूर्य के चारों ओर अपने अनन्त परिक्रमण काल के दौरान, सूर्य के अग्निमय बिंब के बीच में आ जाने से एक-दूसरे की दृष्टि से ओझल हो जाते हैं।
- पृथ्वी और मंगल दोनों ग्रह, नर्तकियों की तरह एक विशाल अलाव के दोनों ओर- एक दूसरे के लिए अस्थायी रूप से अदृश्य हो जाते हैं।
- ‘सौर संयोजन’ की घटना प्रति दो वर्ष में एक बार घटित होती है।
इस घटना का अंतरिक्ष मिशनों पर प्रभाव:
इस घटना के होने पर, नासा की ‘जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी’ में मिशन कंट्रोलर कई तरह से प्रतिक्रिया करते हैं।
- मिशन टीम द्वारा कोई भी आवश्यक निर्देश, सौर संयोजन की घटना से पहले ही भेज दिया जाता है।
- मिशन टीम द्वारा कुछ उपकरणों को बंद कर दिया जाता है, और वे दूसरे उपकरणों से डेटा एकत्र करते हैं और उसे स्टोर करते हैं।
- कुछ मामलों में, मिशन टीम यह जानते हुए कि कुछ डेटा नष्ट हो जाएगा, पृथ्वी पर डेटा भेजना जारी रखती हैं।
- ‘सौर युति’ के दौरान, किसी के द्वारा मंगल ग्रह पर नए निर्देश भेजने का प्रयास नहीं किए जाते है।
इंस्टा जिज्ञासु:
‘महायुति’ या ‘महा संयोजन’ (Great Conjunction) के बारे में आप क्या जानते हैं?
खगोलविदों द्वारा ‘महायुति’ या ‘महा संयोजन’ (Great Conjunction) शब्द का उपयोग, सौर मंडल के दो सबसे बड़े ग्रहों- बृहस्पति और शनि – के एक-दूसरे के सबसे नजदीक और एक सीधी रेखा में आने की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
- यह घटना लगभग हर 20 साल में एक घटित होती है।
- यह संयोजन, पृथ्वी से देखे जाने पर, बृहस्पति और शनि के कक्षीय पथों के एक रेखा में आ जाने के परिणामस्वरूप होता है।
- बृहस्पति, 12 साल में सूर्य की परिक्रमा पूरी करता है, और शनि द्वारा सूर्य की परिक्रमा 29 साल में पूरी की जाती है।
- हाल ही में, यह युति 21 दिसंबर, 2020 – दिसंबर संक्रांति की तारीख- को हुई थी। यह दूरी के मामले में, 1623 के बाद, शनि और बृहस्पति का निकटतम संरेखण था। अगली बार, वर्ष 2080 में ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के इतने नजदीक होंगे।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘सौर संयोजन’ या ‘सौर युति’
- ‘महायुति’ या ‘महा संयोजन’
- संक्रांति
- सूर्य की सतह
मेंस लिंक:
‘महायुति’ (Great Conjunction) क्या है? यह महत्वपूर्ण क्यों है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा का ‘प्लास्टिक प्रदूषण संकल्प’
(UNEA plastic pollution resolution)
संदर्भ:
नैरोबी में आयोजित आयोजित पांचवीं ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा’ (United Nations Environment Assembly – UNEA-5.2) के हालिया सत्र के दौरान, एक ‘संकल्प’ में वर्ष 2024 तक ‘प्लास्टिक प्रदूषण’ को समाप्त करने और एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता बनाए जाने की मांग की गयी। इस सत्र की मेजबानी ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (UN Environment Programme) द्वारा की गई थी।
यह संकल्प, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र से भी संबंधित होगा, और इसमें सदस्य राष्ट्रों के लिए बाध्यकारी और स्वैच्छिक दृष्टिकोण दोनों शामिल किए जाएंगे।
प्लास्टिक प्रदूषण को सीमित करने हेतु ‘बाध्यकारी संकल्प’ की आवश्यकता:
पिछले दशकों में प्लास्टिक का उत्पादन तेजी से बढ़ा है और वर्तमान में यह दर लगभग 400 मिलियन टन प्रति वर्ष तक पहुँच चुकी है – यह आंकड़ा वर्ष 2040 तक दोगुना हो जाएगा।
- प्लास्टिक के संपर्क में आने से मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है, और संभावित रूप से प्रजनन क्षमता, हार्मोनल, चयापचय और तंत्रिका संबंधी गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक को खुले में जलाने से वायु प्रदूषण में भी वृद्धि होती है।
- वर्ष 2050 तक प्लास्टिक उत्पादन, उपयोग और निपटान से संबंधित ‘ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन’, ग्लोबल वार्मिंग को 5 डिग्री सेल्सियस (34.7 डिग्री फारेनहाइट) तक सीमित करने के लक्ष्य के तहत अनुमत उत्सर्जन का 15 प्रतिशत होगा।
- अंतर्ग्रहण (Ingestion), उलझाव और अन्य खतरों के कारण, 800 से अधिक समुद्री और तटीय प्रजातियां प्लास्टिक प्रदूषण से प्रभावित हैं।
- लगभग 11 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा प्रतिवर्ष महासागरों में प्रवाहित होता है। यह मात्रा वर्ष 2040 तक तीन गुना हो सकती है।
एक वृत्ताकार अर्थव्यवस्था में बदलाव किए जाने से महासागरों में प्रविष्ट होने वाले प्लास्टिक की मात्रा 2040 तक 80 प्रतिशत से अधिक कमी; अछूती प्लास्टिक उत्पादन में 55 प्रतिशत की कमी; सरकारों को 2040 तक 70 अरब अमेरिकी डॉलर की बचत; ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 25 प्रतिशत तक की कटौती की जा सकती है और मुख्य रूप से वैश्विक दक्षिण में 700,000 अतिरिक्त रोजगार सृजित किए जा सकते हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण का अंत करने के विषय पर इस बैठक के परिणाम:
- विश्व के सभी पर्यावरण मंत्री, प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता तैयार करने हेतु एक ‘अंतर सरकारी वार्ता समिति’ (Intergovernmental Negotiating Committee – INC) का गठन करने के लिए सहमत हुए है।
- इस ‘अंतर सरकारी वार्ता समिति’ (INC) द्वारा, वर्ष 2024 के अंत तक वैश्विक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते के मसौदे को पूरा करने के अधिदेश के साथ, वर्ष 2022 में अपना कार्य शुरू किया जायेगा।
- प्रदूषण के समाधान से संबधित इस क्रमागत उन्नति को 2015 के पेरिस समझौते के बाद से सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय समझौता माना जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ के बारे में:
- ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (UNEP), पर्यावरण संबंधी मामलों पर अग्रणी वैश्विक आवाज है।
- ‘‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (United Nations Environment Programme – UNEP) की स्थापना ‘मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र के ऐतिहासिक सम्मेलन’ के पश्चात् वर्ष 1972 में हुई थी।
- UNEP की परिकल्पना, पर्यावरण की स्थिति की निगरानी, ‘वैज्ञानिक जानकारी के साथ नीति निर्माण’ और ‘विश्व की पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रति प्रतिक्रिया का समन्वय’ करने के लिए की गई थी।
- UNEP, भविष्य की पीढ़ियों से समझौता किए बिना राष्ट्रों और लोगों को उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रेरित, सूचित और सक्षम करके पर्यावरण की देखभाल करने में भागीदारी को प्रोत्साहित करता है, और नेतृत्व प्रदान करता है।
UNEP के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़िए।
‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा’ के बारे में:
‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा’ (United Nations Environment Assembly – UNEA), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का शासी निकाय है।
- यह पर्यावरण संबंधी मामलों पर विश्व का सर्वोच्च स्तरीय निर्णय लेने वाला निकाय है।
- ‘पर्यावरण सभा’ में संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देश होते हैं, और वैश्विक पर्यावरण शासन-प्रणाली को आगे बढ़ाने के लिए प्रति दो वर्ष में इसके सत्र का आयोजन किया जाता है।
- इसका गठन, जून 2012 में आयोजित ‘संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सम्मेलन’ के दौरान किया गया था। इस सम्मलेन को ‘रियो+20’ भी कहा जाता है।
स्रोत: UNEP
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
‘वाट्स ऑन द मून’ चैलेंज
नासा द्वारा शुरू किए गए ‘वाट्स ऑन द मून चैलेंज’ (Watts on the Moon Challenge) का उद्देश्य, ऊर्जा वितरण, प्रबंधन और/या भंडारण के लिए ऐसे समाधान खोजना है, जो नासा के प्रौद्योगिकी अंतराल का समाधान करने में सक्षम हों और इसे चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष उड़ान भरने तथा भविष्य के अन्य कार्यक्रमों के लिए विकसित भी किया जा सके।
- महत्व: ये नवीन समाधान, न केवल चंद्र अन्वेषण और अंतरिक्ष अन्वेषण में क्रांति ला सकते हैं, बल्कि नासा के ‘वाट्स ऑन द मून’ प्रतियोगिता के दौरान खोजी गई प्रौद्योगिकियां पृथ्वी पर नए ऊर्जा विकल्पों को सुविधाजनक बनाने में मदद भी कर सकती हैं।
- इस चैलेंज का प्रबंधन क्लीवलैंड में स्थित नासा के ‘ग्लेन रिसर्च सेंटर’ द्वारा किया जा रहा है और यह चैलेंज, अलबामा के हंट्सविले स्थित एजेंसी के ‘मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर’ पर आधारित शताब्दी चैलेंज का हिस्सा है।
कोणार्क मंदिर शहर: शत प्रतिशत सौर शहर
ओडिशा सरकार द्वारा ‘तटीय मंदिर शहर’ को ‘शत प्रतिशत सौर शहर’ (100 Per Cent Solar Town) बनाने की योजना बनाई गयी है; और इसे भारत के शून्य उत्सर्जन वाले पहले कुछ शहरों या कस्बों में भी शामिल किया गया है।
सूर्य मंदिर के बारे में:
- 13 वीं शताब्दी में निर्मित, कोणार्क मंदिर की परिकल्पना सूर्य देव के विशाल रथ के रूप में की गई है। 12 जोड़ी सूक्ष्मतापूर्वक अलंकृत पहियों वाले इस रथ के लिए सात घोड़े खींच रहे हैं।
- इसका निर्माण गंग वंश के महान शासक राजा नरसिम्हदेव प्रथम द्वारा कराया गया था।
- इस मंदिर को, इसकी स्थापत्य महत्ता तथा प्रचुर एवं परिष्कृत मूर्तिकला के लिए वर्ष 1984 में यूनेस्को के ‘विश्व धरोहर स्थल’ में शामिल किया गया था।
- यह मंदिर, कलिंग वास्तुकला, विरासत, आकर्षक समुद्र तट और विशिष्ट प्राकृतिक सुंदरता का एक आदर्श मिश्रण है।
- यह भारत के राष्ट्रीय फ्रेमवर्क के अंतर्गत, प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains– AMASR), 1958 तथा इसके नियमों (1959) द्वारा संरक्षित है।
- कोणार्क, ओडिशा के स्वर्ण त्रिभुज की तीसरी कड़ी है। इस स्वर्ण त्रिभुज की पहली कड़ी, जगन्नाथ पुरी तथा दूसरी कड़ी, भुवनेश्वर (ओडिशा की राजधानी) है।
- इस मंदिर को इसके गहरे रंग के कारण ‘ब्लैक पैगोडा‘ के नाम से भी जाना जाता है और इसका उपयोग ओडिशा के प्राचीन नाविकों द्वारा एक नौवहन स्थल के रूप में किया जाता था। इसी प्रकार, पुरी के जगन्नाथ मंदिर को “सफेद पैगोडा” कहा जाता है।
- यह हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, और यहाँ हर साल फरवरी महीने के आसपास चंद्रभागा मेले के लिए इकट्ठा होते हैं।
को-लोकेशन या सह-स्थान
को-लोकेशन या सह-स्थान (Co-location), अतिरिक्त शुल्क के भुगतान करने पर ब्रोकर्स (दलालों) को अपने सर्वर के करीब कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है।
- को-लोकेशन सुविधा, सर्वर स्थापित करने और डेटा के भंडारण के लिए विद्युत् की आपूर्ति, बैंडविड्थ और कूलिंग जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करती है।
- चूंकि, को-लोकेशन सुविधा, एक्सचेंज सर्वर के निकट स्थापित होता है,जिसकी वजह से डेटा ट्रांसमिशन में कम समय लगता है, और ब्रोकर्स को दूसरों पर लाभ प्राप्त करने में मदद करता है।
- इस सुविधा का लाभ नहीं उठाने वाले व्यक्तियों के मुकाबले में, सुविधा का लाभ उठाने वाले व्यक्तियों के ऑर्डर, एक्सचेंज सर्वर तक तेजी से पहुंचते हैं।
चर्चा का कारण:
एक रहस्यमय ‘योगी’ के कथित प्रभाव के तहत, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व एमडी और सीईओ के द्वारा लिए गए फैसलों को मंजूरी देने वाले ‘बाजार के नियामक द्वारा जारी किए गए नवीनतम आदेश’ के मद्देनजर को-लोकेशन का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
समर्थ रामदास
महाराष्ट्र के राज्यपाल ‘बी एस कोश्यारी’ द्वारा ‘समर्थ रामदास’ पर हाल ही में की गयी एक टिप्पणी पर कई राजनेताओं ने अपनी असहमति व्यक्त की है। राज्यपाल ने एक समारोह के दौरान, ‘समर्थ रामदास’ को छत्रपति शिवाजी महाराज का गुरु बताया था।
- समर्थ रामदास को संत रामदास या रामदास स्वामी के नाम से भी जाना जाता है।
- वह एक भारतीय मराठी हिंदू संत, कवि, दार्शनिक, लेखक और आध्यात्मिक गुरु थे।
- वह हिंदू देवताओं, राम और हनुमान के भक्त थे और पहले नारायण के नाम से प्रसिद्ध थे।
- उनका जन्म, वर्तमान में महाराष्ट्र के जालना जिले के ‘जाम्ब’ (Jamb) नामक एक गाँव में हुआ था।
- उनकी साहित्यिक कृतियों में, करुणाष्टक, दासबोध, युद्धकांड, सुंदरकांड, पूर्वार्भ, अंतरभाव, चतुर्थमन, आत्माराम, पंचमन, पंचसमासी, मनपंचक, जनस्वभावगोसवी आदि शामिल हैं।
- रामदास ने 19वीं और 20वीं सदी के कई भारतीय विचारकों, इतिहासकारों और समाज सुधारकों के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य किया, जिनमें बाल गंगाधर तिलक, राजवाड़े, केशव हेडगेवार और रामचंद्र रानाडे शामिल थे।
जम्मू में ‘ग्राम रक्षा समूह’
केंद्र शासित प्रदेश की परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने से पहले, जम्मू और कश्मीर के गांवों के निवासियों को स्थानीय सुरक्षा के लिए नामांकित किया जाएगा। सरकार ने ग्राम रक्षा समूहों (Village Defence Groups – VDG) के गठन को मंजूरी दे दी है।
- इन ‘ग्राम रक्षा समूहों’ का गठन, जिन क्षेत्रों में स्थानीय पुलिस की उपस्थिति कम होती है, वहां खतरों का जवाब देने के लिए किया जाएगा।
- प्रत्येक ‘ग्राम रक्षा समूह’ (VDG) में समान रैंक और वेतन पर 8 से 10 सदस्य भर्ती किए जाएंगे, और सरकार द्वारा हर महीने उनके खातों उनके वेतन को जमा किया जाएगा।
- ‘ग्राम रक्षा समूह’ में 1 या 2 विशेष पुलिस अधिकारियों को तैनात करने की मौजूदा व्यवस्था को बंद कर दिया जाएगा।
- ‘ग्राम रक्षा समूह’ कश्मीर घाटी के कुछ हिस्सों में भी कार्य करेंगे।
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