[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 23 February 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-II

1. मूल कर्तव्यों को लागू किए जाने के संबंध में याचिका

2. पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम

 

सामान्य अध्ययन-III

1. आंकड़ा सुलभता नीति

2. रामानुजन पुरस्कार

3. भारत के समक्ष TRIPS के तहत छूट से बाहर रखे जाने का जोखिम

 

प्रारंभिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. कुकी जनजाति

2. राष्ट्रीय साधन-सह-मेधा छात्रवृत्ति

3. चार चिनार

4. वन्नियार

5. समुद्री खीरा

6. नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन

7. देउचा पंचमी कोयला ब्लॉक

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

 मूल कर्तव्यों को लागू किए जाने के संबंध में याचिका


संदर्भ:

व्यापक और अच्छी तरह से परिभाषित कानूनों के माध्यम से ‘भारतीय संविधान’ के तहत ‘मूल कर्तव्यों’ (Fundamental Duties) को लागू किए जाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।

शीर्ष अदालत ने इस विषय में केंद्र सरकार और राज्यों से उनकी प्रतिक्रिया माँगी है।

आवश्यकता:

सरकार को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए विवश करने के लिए सड़क और रेल मार्गों को अवरुद्ध करके, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में प्रदर्शनकारियों द्वारा विरोध-प्रदर्शन की एक नई अवैध प्रवृत्ति अपनाए के कारण देश में ‘मूल कर्तव्यों’ को लागू करने की आवश्यकता सामने दिखाई देती है।

  • नागरिकों को यह याद दिलाना भी आवश्यक है, कि ‘मूल कर्तव्य’ भी संविधान के अंतर्गत ‘मूल अधिकारों’ की तरह ही महत्वपूर्ण होते हैं।
  • रंगनाथ मिश्रा मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला: इस मामले में फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की थी, कि मूल कर्तव्यों को न केवल कानूनी प्रतिबंधों से बल्कि सामाजिक प्रतिबंधों द्वारा भी लागू किया जाना चाहिए। आखिरकार, अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे से सह-संबंधित होते है।

इस मांग के पीछे तर्क:

  • याचिका में ‘कर्तव्य’ के महत्व पर भगवद् गीता का उल्लेख किया गया है। भगवान कृष्ण अर्जुन का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों / चरणों में कर्तव्यों के महत्व पर शिक्षा प्रदान करते हैं।
  • याचिका में तत्कालीन सोवियत संविधान का भी उल्लेख किया गया है, जिसमे अधिकारों और कर्तव्यों को एक ही पायदान पर रखा गया था।
  • मूल कर्तव्य “राष्ट्र के प्रति सामाजिक जिम्मेदारी की गंभीर भावना” पैदा करते हैं। इसलिए, इन्हें लागू किया जाना चाहिए।

प्रभाव:

  • मूल कर्तव्यों का प्रवर्तन, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करेगा और उसे अक्षुण्ण बनाए रखेगा।
  • मूल कर्तव्य, नागरिकों को देश की रक्षा करने और आवश्यकता पड़ने पर इस प्रकार की राष्ट्रीय सेवा प्रदान करने हेतु तैयार करते हैं।
  • मूल कर्तव्य, एक महाशक्ति के रूप में चीन के उदय के बाद भारत की एकता को बनाए रखने हेतु राष्ट्रवाद की भावना का प्रसार करने और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं।

Current Affairs

 

मूल कर्तव्य:

मूल संविधान में ‘मूल कर्तव्यों’ (Fundamental Duties – FD) से संबंधित कोई प्रावधान नहीं किया गया था।

  • भारत के संविधान में इस खंड को ‘42वें संशोधन अधिनियम’ के माध्यम से ‘स्वर्ण सिंह समिति’ की सिफारिशों के आधार पर जोड़ा गया था। वर्ष 2002 में, इस सूची में एक और मूल कर्तव्य को जोड़ा गया।
  • इस खंड की अवधारणा ‘सोवियत संघ’ के संविधान से ली गयी थी।
  • अन्य लोकतांत्रिक राष्ट्रों में संभवतः एकमात्र ‘जापानी संविधान’ में अपने नागरिकों के कर्तव्यों से संबंधित प्रावधान शामिल किए गए हैं।
  • राज्य के नीति-निदेशक तत्त्वों (Directive Principles of State Policy – DPSP) की भांति ‘मूल कर्तव्य’ भी प्रकृति में गैर-न्यायोचित (Non-Justiciable) होते हैं।

मूल कर्तव्यों का महत्व:

  • मूल कर्तव्य, नागरिकों को यह याद दिलाने का कार्य करते हैं, कि अपने अधिकारों का प्रयोग करते समय उन्हें अपने देश, समाज और अपने साथी नागरिकों के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होना चाहिए।
  • मूल कर्तव्य राष्ट्र विरोधी एवं समाज विरोधी गतिविधियों जैसे राष्ट्रीय ध्वज को जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने आदि के खिलाफ चेतावनी के रूप में कार्य करते हैं।
  • मूल कर्तव्य, नागरिकों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं और उनमें अनुशासन और प्रतिबद्धता की भावना को बढ़ावा देते हैं।
  • मूल कर्तव्य, यह सोच उत्पन्न करते हैं कि नागरिक केवल दर्शक नहीं हैं बल्कि राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्रिय भागीदार हैं।

मूल कर्तव्यों की आलोचना:

  • मूल कर्तव्यों को प्रकृति में गैर-न्यायोचित (Non-Justiciable) बनाया गया है।
  • इस खंड में शामिल कर्तव्यों की सूची पूर्ण नहीं है, क्योंकि इसमें कुछ महत्वपूर्ण कर्तव्य जैसे मतदान, कर-अदायगी, परिवार नियोजन आदि समाहित नहीं हैं।
  • कुछ कर्तव्य अस्पष्ट, बहुअर्थी एवं आम आदमी के लिए समझने में कठिन है।
  • कुछ आलोचकों द्वारा संविधान में ‘मूल कर्तव्यों’ को शामिल किए जाने को अतिरेक (फालतू) बताया गया है, क्योंकि इन्हें शामिल न किए जाने पर भी आम तौर पर इनका पालन किया जाएगा।
  • संविधान के उपांग के रूप में शामिल करना ‘मूल कर्तव्यों’ के मूल्य एवं महत्व को कम करता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

मूल कर्तव्य, केवल नागरिकों पर लागू होते हैं और विदेशियों पर लागू नहीं होती है। ऐसे कौन से अन्य  अधिकार हैं जो केवल देश के नागरिकों पर लागू होते हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. स्वर्ण सिंह समिति।
  2. महत्वपूर्ण मूल कर्तव्य
  3. मूल अधिकार बनाम कर्तव्य
  4. मूल कर्तव्यों में संशोधन

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।

पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम


(PM CARES for Children scheme)

संदर्भ:

हाल ही में, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना’ (PM CARES for Children scheme) को 28 फरवरी, 2022 तक बढ़ा दिया है। पहले यह योजना 31 दिसम्‍बर, 2021 तक वैध थी।

‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के बारे में:

यह योजना कोविड से प्रभावित बच्चों की सहायता और सशक्तिकरण के लिए मई 2021 में शुरू की गई थी।

पात्रता:

  • कोविड 19 के कारण माता-पिता दोनों या माता-पिता में से किसी जीवित बचे अभिभावक या कानूनी अभिभावक/दत्तक माता-पिता को खोने वाले सभी बच्चों को ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के तहत सहायता दी जाएगी।
  • योजना के तहत सहायता पाने का पात्र होने के लिए बच्चों की आयु, अपने माता-पिता की मृत्यु के समय 18 वर्ष से कम होनी चाहिए।

इस योजना के प्रमुख बिंदु:

  1. बच्चे के नाम पर सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट): 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले प्रत्येक बच्चे के लिए 10 लाख रुपये का एक कोष गठित किया जाएगा।
  2. स्कूली शिक्षा: 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए नजदीकी केंद्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे स्कॉलर के रूप में प्रवेश दिलाया जाएगा।
  3. स्कूली शिक्षा: 11 -18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए केंद्र सरकार के किसी भी आवासीय विद्यालय जैसेकि सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय आदि में प्रवेश दिलाया जाएगा।
  4. उच्च शिक्षा के लिए सहायता: मौजूदा शिक्षा ऋण के मानदंडों के अनुसार भारत में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों / उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण दिलाने में बच्चे की सहायता की जाएगी।
  5. स्वास्थ्य बीमा: ऐसे सभी बच्चों को ‘आयुष्मान भारत योजना’ (PM-JAY) के तहत लाभार्थी के रूप में नामांकित किया जाएगा, जिसमें 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर होगा।

(नोट: हमने यहां केवल योजना के प्रमुख बिन्दुओं को किया हैं। पूर्ण विवरण के लिए, कृपया देखें)

इन उपायों की आवश्यकता:

  • भारत, वर्तमान में कोविड-19 महामारी की दूसरी प्रचंड लहर से जूझ रहा है और इस महामारी के कारण कई बच्चों के माता-पिता की मृत्यु होने के मामलों में वृद्धि हो रही है।
  • इसके साथ ही, इन बच्चों को गोद लेने की आड़ में बाल तस्करी की आशंका भी बढ़ गई है।
  • कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान ‘बाल विवाह’ संबंधी मामलों में भी वृद्धि हुई है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप ‘समर्थ’ (SAMARTH) पहल के बारे में जानते हैं?

‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ (PMNRF) योजना ‘पीएम केयर्स’ (PM CARES) से किस प्रकार भिन्न है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘सार्वजनिक खाता’ क्या होता है?
  2. PM CARES फंड का संचालन कौन करता है?
  3. किन संगठनों को आरटीआई अधिनियम के दायरे से छूट दी गई है?
  4. भारत की समेकित निधि क्या है?
  5. चैरिटेबल ट्रस्ट क्या है?
  6. पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन- कोविड प्रभावित बच्चों का सशक्तिकरण- पात्रता और लाभ।

मेंस लिंक:

PM CARES फंड को आरटीआई अधिनियम के दायरे में क्यों लाया जाना चाहिए? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

 आंकड़ा सुलभता नीति


(Data Accessibility Policy)

संदर्भ:

हाल ही में, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा ‘आंकड़ा सुलभता’ / डेटा एक्सेसिबिलिटी एवं उपयोग नीति (Data Accessibility and Use policy) का मसौदा तैयार किया गया है।

नीति के प्रमुख बिंदु:

  • ‘आंकड़ा सुलभता एवं उपयोग नीति’ (Data Accessibility and Use policy) के अंतर्गत, जारी दशक की वर्तमान और उभरती प्रौद्योगिकी मांगों के अनुरूप डेटा उपलब्धता, गुणवत्ता और उपयोग में सुधार करने का प्रस्ताव किया गया है।
  • कोई भी डेटा साझाकरण (Data Sharing) भारत के कानूनी ढांचे, इसकी राष्ट्रीय नीतियों और कानून के साथ-साथ मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों के भीतर होगा।
  • केंद्र सरकार और अधिकृत एजेंसियों द्वारा सृजित, निर्मित, एकत्रित या संग्रहीत सभी डेटा और जानकारी को इस नीति के तहत कवर किया जाएगा।
  • प्रयोज्यता: डेटासेट की नकारात्मक सूची के तहत वर्गीकृत डेटा, तथा संबंधित मंत्रालय या विभाग द्वारा परिभाषित, नियंत्रित पहुँच एवं केवल विश्वसनीय उपयोगकर्ताओं के साथ साझा किए जाने वाले डेटा को छोड़कर, सभी सरकारी डेटा खुला रहेगा और साझा करने योग्य होगा।

नीति के तहत प्रस्तावित महत्वपूर्ण निकाय:

  • इंडिया डेटा ऑफिस (IDO):‘आंकड़ा सुलभता एवं उपयोग नीति’ के तहत, सरकार और अन्य हितधारकों के बीच डेटा सुलभता/ अभिगम्यता और साझाकरण को सुव्यवस्थित और एकीकृत करने के लिए ‘इंडिया डेटा ऑफिस’ (India Data Office – IDO) की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है।
  • संस्थागत ढांचे के मामले में, मसौदे में कहा गया है कि प्रत्येक मंत्रालय या विभाग में मुख्य डेटा अधिकारियों की अध्यक्षता में डेटा प्रबंधन इकाइयां होनी चाहिए, जो इस नीति के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए आईडीओ के साथ मिलकर काम करेंगी।
  • इंडिया डेटा काउंसिल – इसमें आईडीओ और मुख्य डेटा अधिकारी शामिल होंगे। इसका गठन मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों के बीच विचार-विमर्श की आवश्यकता वाले कार्यों को करने के उद्देश्य से किया जाएगा।

अपेक्षित नीतिगत परिणाम:

  • संपूर्ण अर्थव्यवस्था में उच्च-मूल्य वाले डेटा को अनलॉक करना।
  • एक अनुकूल और सशक्त शासन रणनीति को सुगम बनाना।
  • एक ‘इंटरऑपरेबल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर’ को साकार करना।
  • डेटा कौशल और डेटा-संचालित संस्कृति का निर्माण करना।

संबंधित चिंताएं:

परामर्श और प्रारूपण प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव: नीति तैयार करने के दौरान ‘परामर्श की प्रक्रिया’ पारदर्शी नहीं रही है।

प्रतिकूल राजस्व उद्देश्य: नीति की ‘प्रस्तावना’ में कहा गया है कि “भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षा डेटा के मूल्य का दोहन करने की उसकी क्षमता पर निर्भर करती है”। इसके अलावा, नीति का प्राथमिक उद्देश्य नागरिक डेटा की बिक्री के माध्यम से ‘राजस्व सृजन’ प्रतीत होता है।

नागरिकों की सूचनात्मक गोपनीयता पर हानिकारक प्रभाव: ‘निजी डेटा संरक्षण कानून’ की अनुपस्थिति में, सरकारी विभागों में डेटा के परिकल्पित अंतर-विभागीय साझाकरण से नागरिकों की गोपनीयता का व्यापक उल्लंघन हो सकता है।

प्रमुख अवधारणाओं के संदर्भ में स्पष्ट और संक्षिप्त परिभाषाओं का अभाव: नीति के तहत आरंभ की गई ‘नई अवधारणाओं’ को अस्पष्ट तरीके से परिभाषित किया गया है, जिससे इनकी गलत व्याख्या की जा सकती है।

उदाहरण के लिए, ‘आंकड़ा सुलभता एवं उपयोग नीति’ के तहत ‘शासन और नवाचार’ के लिए आवश्यक ‘उच्च-मूल्य वाले डेटा सेट’ की एक अलग श्रेणी का निर्माण किया गया है, जिससे इन आंकड़ों तक पहुंच में तेजी आएगी। हालाँकि, बैकग्राउंड नोट या नीति में कहीं भी इस श्रेणी को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि डेटा सुरक्षा विधेयक का स्रोत ‘न्यायमूर्ति बी.एन. श्री कृष्ण’ की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट में अंतर्निहित है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. डेटा सुरक्षा विधेयक
  2. प्रमुख प्रावधान
  3. संसदीय पैनल।
  4. पुट्टस्वामी फैसला
  5. निजता का अधिकार

मेंस लिंक:

निजी डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 के विवादास्पद प्रावधानों पर टिप्पणी कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

रामानुजन पुरस्कार


संदर्भ:

हाल ही में, युवा गणितज्ञों के लिए रामानुजन पुरस्कार (Ramanujan Prize) 22 फरवरी 2022 को एक वर्चुअल समारोह में कोलकाता में ‘भारतीय सांख्यिकी संस्थान’ की गणितज्ञ प्रोफेसर नीना गुप्ता को प्रदान किया गया।

उन्हें ‘एफाइन बीजगणितीय ज्यामिति और कम्यूटेटिव बीजगणित’ (Affine Algebraic Geometry and Commutative Algebra) में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए वर्ष 2021 का पुरस्कार दिया गया है।

‘रामानुजन पुरस्कार’ के बारे में:

यह पुरुस्कार, अंतर्राष्ट्रीय सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र (International Centre for Theoretical Physics- ICTP) और अंतर्राष्ट्रीय गणितीय संघ (International Mathematical Union) के सहयोग से भारत सरकार के ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग’ (DST) द्वारा वित्त पोषित होता है, और विकासशील देश के किसी एक शोधकर्ता को प्रतिवर्ष पुरस्कार प्रदान किया जाता है।

पात्रता: यह पुरुस्कार विकासशील देश में उत्कृष्ट शोध करने वाले, 45 वर्ष से कम आयु के युवा गणितज्ञों को दिया जाता है।

Current Affairs

 

श्रीनिवास रामानुजन के जीवन की प्रमुख बातें:

  • वर्ष 1911 में, रामानुजन ने इंडियन मैथमेटिकल सोसाइटी के जर्नल में अपना पहला लेख प्रकाशित किया।
  • वर्ष 1914 में रामानुजन इंग्लैंड पहुंचे, वहां प्रसिद्ध विद्वान हार्डी ने उन्हें पढ़ाया और रामानुजन के साथ कुछ शोधों में सहयोग किया।
  • उन्होंने रीमैन श्रृंखला (Riemann series), दीर्घवृत्‍तीय समाकलन (elliptic integrals), हाइपरज्यामितीय श्रेणी (hypergeometric series), जीटा फ़ंक्शन के कार्यात्मक समीकरण और विचलन श्रेणी (divergent series) के अपने सिद्धांत पर काम किया।
  • हार्डी ने देखा कि रामानुजन के कार्यों में मुख्यतः अब तक अन्य विशुद्ध गणितज्ञों के लिए भी अज्ञात क्षेत्र शामिल थे।
  • हार्डी द्वारा अस्पताल में भर्ती रामानुजन से मिलने के लिए प्रसिद्ध यात्रा के बाद 1729 संख्या को हार्डी-रामानुजन संख्या के रूप में जाना जाता है।
  • रामानुजन के गृह राज्य, तमिलनाडु में 22 दिसंबर को ‘राज्य आईटी दिवस’ रूप में मनाया जाता है।

2015 में गणितज्ञ रामानुजन पर देव पटेल-अभिनीत ‘द मैन हू नो इन्फिनिटी’ (The Man Who Knew Infinity) बायोपिक बनाई गयी थी।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा वर्ष 2012 में 22 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था।

 

प्रीलिम्स लिंक और मेंस लिंक:

  • श्री रामानुजन की प्रमुख उपलब्धियां और योगदान
  • राष्ट्रीय गणित दिवस।

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

भारत के समक्ष TRIPS के तहत छूट से बाहर रखे जाने का जोखिम


संदर्भ:

भारत को  विश्व व्यापार संगठन (WTO) वार्ता के दौरान, कोविड -19 से निपटने हेतु टीकों, चिकित्सीय-विधियों और निदानों पर, मुख्य रूप से पश्चिमी देशों के स्वामित्व वाले ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों’ (Intellectual Property Rights – IPR) को “अस्थायी रूप से हटाए जाने” हेतु लाये गए प्रस्ताव से बाहर होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

इस प्रस्ताव को भारत और दक्षिण अफ्रीका ने संयुक्त रूप से तैयार किया था।

भारत के वैश्विक अभियान को प्रभावित करने वाली कमजोरियां:

  1. पूरी महामारी के दौरान, भारत ने न्यायपालिका द्वारा संकेत किए जाने के बावजूद कोविड -19 चिकित्सा उत्पादों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए, शायद ही कभी ‘भारतीय पेटेंट अधिनियम’ के तहत मौजूदा लचीलेपन (Flexibilities), जैसेकि ‘अनिवार्य लाइसेंस’ (Compulsory Licences)- जोकि ट्रिप्स समझौते के अनुरूप भी है- का उपयोग किया है।
  2. ‘विश्व व्यापार संगठन’ में ‘ट्रिप्स छूट’ (TRIPS waiver) केवल एक सक्षम ढांचा है। सदस्य देशों के लिए इस ‘छूट’ को लागू करने के लिए अपने घरेलू ‘बौद्धिक संपदा कानूनों’ में संशोधन करने की जरूरत होती है। फिर भी, भारत ने WTO में ‘ट्रिप्स छूट’ को अपनाए जाने के समय, सक्रिय रूप से इसे को लागू करने के लिए कोई ‘राष्ट्रीय रणनीति’ विकसित नहीं की।
  3. यदि उस समय भारत द्वारा इस तरह की कोई ‘राष्ट्रीय रणनीति’ तैयार की गयी होती तो, वह न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करती बल्कि वार्ता को प्रभावित करने के लिए एक दबाव बिंदु के रूप में भी काम करती।
  4. सरकार, ‘भारतीय दवा उद्योग’ को अपने अभियान में साथ जोड़ने में विफल रही। कई ‘भारतीय फार्मास्युटिकल निकाय’ इस छूट के पक्ष में नहीं हैं और इस प्रकार भारत के ‘वैश्विक अभियान’ को कमजोर कर रहे हैं।

पृष्ठभूमि:

अक्टूबर 2020 में, भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा संयुक्त रूप से ‘विश्व व्यापार संगठन’ में एक प्रस्ताव को प्रायोजित किया गया था और इसे बाद में अद्यतन किया गया था, जिसमे कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों – चीन को उल्लेखनीय रूप से छोड़ते हुए- के प्रतिनिधित्व, तथा इसके दायरे में ‘सभी स्वास्थ्य उत्पादों और प्रौद्योगिकियों’ को लाने और इन पर कम से कम एक वर्ष के लिए ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों’ (IPR) से छूट दिए जाने, की मांग को शामिल किया गया।

संबंधित प्रकरण:

विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों का एक छोटा समूह, भारत और चीन के दवा निर्माताओं – विश्व स्तर पर दवाओं के दो प्रमुख आपूर्तिकर्ता- को ‘संभावित आईपीआर दायित्वों से छूट’ से बाहर करने के लिए “सुझावों पर चर्चा” कर रहा है।

  • ‘आईपीआर दायित्वों से छूट’ दिए जाने का प्रावधान, ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं’ (Trade Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) समझौते से निकला है, और सभी सदस्य इसका पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • इसके अलावा, पश्चिमी देशों के दवा निर्माता, छूट के किसी भी लाभ को केवल अफ्रीकी देशों के लिए “सीमित” करना चाहते हैं, और बड़ी उत्पादन क्षमता वाले भारतीय निर्माताओं के लिए, पश्चिमी प्रतिस्पर्धियों के बाजार को आसानी से कम करने का कोई मार्ग प्रशस्त नहीं करना चाहते हैं।

आईपीआर से छूट’ के विरोध का कारण एवं इसके खिलाफ तर्क:

  • बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) से छूट दिए जाने से, न तो टीकों के उत्पादन में वृद्धि होगी या न ही इनके वितरण में वृद्धि होगी और चूंकि ‘बौद्धिक संपदा’ (IP) कोई बाधा नहीं है, अतः ‘आईपीआर से छूट’ दिया जाना- कोविड-19 टीकों के – वायरस से लड़ने के लिए व्यावहारिक समाधान नहीं होगा।
  • ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों’ से छूट, आपूर्ति श्रृंखला में नकली टीकों के प्रवेश के लिए दरवाजे खोल सकती है, जिससे रोगी की सुरक्षा प्रभावित होगी।

समय की मांग:

वर्तमान में, हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता ‘बौद्धिक संपदा’ (IP) बाधाओं सहित, आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करना होना चाहिए, ताकि मौजूदा महामारी के उपचार, रोकथाम और नियंत्रण के लिए आवश्यक टीकों, चिकित्सीय और निदान के निर्माण को बढ़ाया जा सके।

कोविड-19 वैक्सीन हेतु ‘बौद्धिक संपदा’ छूट का तात्पर्य:

‘बौद्धिक संपदा’ छूट (Intellectual Property Waiver- IP waiver), मध्य-आय वर्ग के देशों में बड़े स्तर पर, फाइजर, मॉडर्ना, एस्ट्राजेनेका, नोवावैक्स, जॉनसन एंड जॉनसन और भारत बायोटेक द्वारा विकसित किये गए कोविड टीकों, आपातकालीन उपयोग अधिकार (emergency use authorisations- EUA) सहित, के उत्पादन करने का अवसर मिल सकता है।

वर्तमान में, इन टीकों का उत्पादन अधिकांशतः उच्च आय वाले देशों में केंद्रित है; तथा मध्यम आय वाले देशों में लाइसेंसिंग या प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों के माध्यम से इन टीकों का उत्पादन किया जा रहा है।

‘पेटेंट अधिकार’ और ‘बौद्धिक संपदा अधिकार’ क्या होते हैं?

पेटेंट (patent), एक सशक्त बौद्धिक संपदा अधिकार होता है, तथा किसी देश की सरकार द्वारा आविष्कारक के लिए एक निश्चित तथा पूर्व-निर्दिष्ट समय के लिए दिए जाने वाला विशिष्ट एकाधिकार होता है। यह, किसी दूसरे के द्वारा आविष्कार की नकल करने से रोकने के लिए एक प्रवर्तनीय कानूनी अधिकार प्रदान करता है।

पेटेंट के प्रकार:

पेटेंट, मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: प्रक्रिया पेटेंट (Process Patents) अथवा उत्पाद पेटेंट (Product Patents)।

  1. उत्पाद पेटेंट (Product Patents), अंतिम उत्पाद के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, तथा इसके तहत, निर्दिष्ट अवधि के दौरान पेटेंट धारक के अलावा किसी अन्य के द्वारा ‘पेटेंट की गई वस्तु’ का उत्पादन करने पर रोक लगाई जा सकती है, भले ही दूसरे लोग किसी अलग प्रक्रिया का प्रयोग कर रहे हों।
  2. प्रक्रिया पेटेंट (Process Patents) के तहत, पेटेंट धारक के अलावा किसी भी व्यक्ति को, विनिर्माण प्रक्रिया में कुछ संशोधन करके पेटेंट उत्पाद का निर्माण करने की अनुमति होती है।

भारत में पेटेंट व्यवस्था:

भारत, 1970 के दशक से ‘उत्पाद पेटेंट’ के बजाय ‘प्रक्रिया पेटेंट’ प्रचलित है, जिसकी वजह से, भारत वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का एक महत्वपूर्ण उत्पादक बन गया, और 1990 के दशक में सिप्ला जैसी कंपनियों के लिए अफ्रीका को एचआईवी-विरोधी दवाएं प्रदान करने की अनुमति दी जा सकी थी।

  • लेकिन TRIPS समझौते के अंतर्गत निर्धारित दायित्वों के कारण, भारत को वर्ष 2005 में पेटेंट अधिनियम में संशोधन करना पड़ा, और फार्मा, रसायन, और बायोटेक क्षेत्रों में ‘उत्पाद पेटेंट’ व्यवस्था लागू करनी पड़ी।

ट्रिप्स (TRIPS) समझौता क्या है?

‘बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलू’ (Trade Related Aspects of Intellectual Property Rights- TRIPS) समझौते पर 1995 में विश्व व्यापार संगठन में समझौता वार्ता हुई थी। इस समझौते के तहत, सभी हस्ताक्षरकर्ता देशों के लिए इस संबंध में घरेलू कानून बनाना अनिवार्य है।

  • TRIPS समझौता, बौद्धिक सुरक्षा संबंधी न्यूनतम मानकों की गारंटी प्रदान करता है। और इस तरह की कानूनी स्थिरता नवोन्मेषकों को कई देशों में अपनी बौद्धिक संपदा का मुद्रीकरण करने में सक्षम बनाती है।
  • 2001 में, विश्व व्यापार संगठन द्वारा ‘दोहा घोषणा’ पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें स्पष्ट किया गया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल में, सभी सरकारें अपने देश की कंपनियों को निर्माताओं के लिए अपने पेटेंट लाइसेंस देने के लिए मजबूर कर सकती हैं।
  • इस प्रावधान को आमतौर पर “अनिवार्य लाइसेंसिंग” कहा जाता है, और इसे  ‘ट्रिप्स समझौते’ शामिल किया गया था, और दोहा घोषणा में इसके उपयोग को स्पष्ट किया गया था।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. TRIPS क्या है?
  2. भारतीय पेटेंट अधिनियम, 2005।
  3. भारत में पेटेंट शासन।
  4. अनिवार्य लाइसेंसिंग क्या है?

मेंस लिंक:

अनिवार्य लाइसेंसिंग पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


कुकी जनजाति

(Kuki Tribe)

हाल ही में, केंद्र सरकार ने सभी ‘कुकी उग्रवादी समूहों’ (Kuki militant groups) के साथ शांति वार्ता करने तथा आगामी पांच वर्षों में उनके मुद्दे को सुलझाने का आश्वासन दिया है।

  • ‘कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन’ और ‘यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट’ जैसे उग्रवादी संगठन मणिपुर में ‘कुकी जनजाति’ के लिए एक अलग राज्य की मांग कर रहे हैं।
  • मूल रूप से, ‘कुकी समुदाय’ मिज़ोरम में मिज़ो हिल्स (पूर्ववर्ती लुशाई) के मूल निवासी तथा एक जातीय समूह हैं।
  • पूर्वोत्तर भारत में, यह समुदाय अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों में मौजूद हैं।
  • ‘1917-1919′ का ‘द कुकी राइजिंग’, – जिसे कुकी समुदाय के उपनिवेश-विरोधी स्वतंत्रता संग्राम के रूप में भी देखा जाता है – अपनी भूमि को संरक्षित करने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ा गया था। WWII के दौरान, कुकी लोग अंग्रेजों से लड़ने के लिए भारतीय सेना में शामिल हुए थे।

एक अलग राज्य की मांग: आज कुकी समुदाय को लगता है, कि अंग्रेजों के सामने कभी न झुकने के बावजूद, उपनिवेशवादियों को उखाड़ फेंकने में उनके योगदान को कभी स्वीकार नहीं किया गया, बल्कि उन्हें भारत की आजादी के बाद भी असुरक्षित छोड़ दिया गया है।

Current Affairs

 

राष्ट्रीय साधन-सह-मेधा छात्रवृत्ति

हाल ही में, शिक्षा मंत्रालय द्वारा ‘राष्ट्रीय साधन-सह-मेधा छात्रवृत्ति’ (National Means-cum-Merit Scholarship – NMMSS) को 15वें वित्त आयोग के चक्र में पांच साल की अवधि यानी 2021-22 से लेकर 2025-26 तक के लिए जारी रखने की मंजूरी प्रदान की गयी है।

  • यह 2008-09 में शुरू की गयी एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
  • इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्रों को आठवीं कक्षा में अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने (ड्रॉप-आउट) से रोकने के लिए उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान करना और उन्हें माध्यमिक स्तर पर अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना है।
  • इस योजना के तहत प्रत्येक वर्ष नौवीं कक्षा के चयनित छात्रों को 12,000/- रुपये प्रति वर्ष (1000/- रुपये प्रति माह) की एक लाख नई छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं और राज्य सरकार, सरकारी सहायता प्राप्त तथा स्थानीय निकाय के स्कूलों में अध्ययन के लिए दसवीं से बारहवीं कक्षा में उनका नामांकन जारी रखा/नवीकरण किया जाता है।

 

चार चिनार

(Char Chinar)

डल झील (श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर) के बीच में अवस्थित प्रसिद्ध ‘चार चिनार द्वीप’ (Char Chinar island) एक बार फिर सुर्खियों में है।

  • हाल ही में, ज़बरवां पहाड़ियों की पृष्ठभूमि में इस सुरम्य द्वीप पर चिनार के दो ऊंचे पेड़ लगाए गए है।
  • 2014 की बाढ़ से चिनार के दो शक्तिशाली वृक्ष नष्ट हो गए थे।
  • इस द्वीप का नाम ‘चिनार’ के वृक्षों के कारण पड़ा है; चार चिनार का अर्थ है- चार चिनार के पेड़।

Current Affairs

 

वन्नियार

वन्नियार (Vanniyars), तमिलनाडु में सबसे बड़े और सबसे समेकित पिछड़े समुदायों में से एक है। इस समुदाय के द्वारा 1980 के दशक के मध्य में राज्य में 20% आरक्षण और केंद्रीय सेवाओं में 2% की मांग करते हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया था।

चर्चा का कारण:

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए, वन्नियार समुदाय को 10.5 प्रतिशत ‘सबसे पिछड़ा समुदाय (Most Backward Community – MBC) आरक्षण को रद्द करने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ, बड़ी पीठ में सुनवाई करवाए जाने की अपील को ख़ारिज कर दिया।

 

समुद्री खीरा

(Sea cucumber)

भारत में ‘समुद्री खीरे’ (Sea cucumber) ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972’ की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध एक ‘लुप्तप्राय’ (Endangered) प्रजाति के रूप में माना जाता है।

  • समुद्र खीरा, एक अकशेरूकीय समुद्री जीव है, जो आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्री तल पर पाया जाता है। मोटे खीरे की तरह दिखने वाले, इनके असामान्य लंबोतर आकार, की वजह से इनका नाम समुद्र खीरा रखा गया है।
  • ये जीव ‘प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र’ (coral ecosystem) का एक अभिन्न अंग होते हैं क्योंकि समुद्री खीरा चयापचय के बाद मुख्य उपोत्पाद के रूप में कैल्शियम कार्बोनेट मुक्त करता है, जो कि प्रवाल भित्तियों के अस्तित्व के लिये आवश्यक होता है।
  • ‘समुद्री खीरे’, सागरीय जगत के अपशिष्ट संग्रहकर्त्ता के रूप में कार्य करते हैं और पोषक तत्त्वों को पुन: चक्रित करते हैं, इस प्रकार ये प्रवाल भित्तियों को अनुकूल स्थिति में रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में समुद्री खीरे की अत्यधिक मांग है।
  • मुख्य रूप से रामनाथपुरम और तूतीकोरिन जिलों से मछली पकड़ने के जहाजों में तमिलनाडु से श्रीलंका तक इनकी तस्करी की जाती है।
  • IUCN रेड लिस्ट: ब्राउन सी खीरा (लुप्तप्राय), ब्लैकस्पॉटेड सी खीरा (संकटमुक्त), ब्लू सी खीरा (आंकड़ों का अभाव), आदि।

Current Affairs

 

नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन

नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन (Nord Stream 2 Pipeline), 1,200 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन है जो रूस में उस्त-लुगा (Ust-Luga) से बाल्टिक सागर के रास्ते जर्मनी के ग्रिफ़्सवाल्ड (Greifswald) तक जाती है। इस पाइपलाइन से प्रति वर्ष 55 अरब घन मीटर गैस भेजी जाएगी।

  • 2015 में इस पाइपलाइन को बनाने का निर्णय लिया गया था।
  • नॉर्ड स्ट्रीम 1 सिस्टम, पहले ही पूरा हो चुका है और नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन (NS2P) के साथ मिलकर यह जर्मनी को सालाना 110 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस की आपूर्ति करेगा।

चर्चा का कारण:

रूस द्वारा पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी गणराज्यों, डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने की घोषणा के बाद जर्मनी ने रूस से ‘नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन’ को प्रमाणित करने की प्रक्रिया को रोकने के लिए कदम उठाए हैं।

Current Affairs

 

देउचा पंचमी कोयला ब्लॉक

  • बीरभूम कोलफील्ड क्षेत्र का ‘देवचा पंचमी’ कोयला ब्लॉक (Deaucha Panchami Coal Block) पश्चिम बंगाल में स्थित दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला ब्लॉक है।
  • कोयले के भंडार की संख्या के कारण, यह कोयला खदान एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान या कोयला ब्लॉक है।

चर्चा का कारण:

देउचा पंचमी को लेकर विभिन्न संगठनों द्वारा भूमि के मुद्दों पर विरोध के बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देउचा पंचमी में आदिवासियों के लिए ‘मौद्रिक पैकेज’ बढ़ा दिया है।


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