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HINDI Puucho STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
लघु चित्रों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इन्हें दिल्ली सल्तनत द्वारा विशाल दीवार चित्रों की प्रतिक्रिया के रूप में पेश किया गया था।
- ये केवल कागज और ताड़ के पत्तों पर चित्रित किए गए थे।
- मुगल लघु चित्रों में समृद्ध रंगों का उपयोग किया गया था।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: c)
लघु चित्र सूक्ष्म विवरण के साथ लघु पेंटिंग होती हैं। कागज, ताड़ के पत्तों और कपड़े सहित उन्हें अक्सर किताबों या एल्बमों पर चित्रित किया जाता था।
लगभग विशाल दीवार चित्रों की प्रतिक्रिया के रूप में विकसित, लघु चित्रकला की कला 8वीं और 12वीं शताब्दी के बीच विकसित हुई।
दिल्ली सल्तनत से पहले पेंटिंग की दो प्रमुख शैलियाँ थी: पाल शैली और अपभ्रंश शैली।
मुगल चित्रों ने फ़ारसी प्राकृतिक शैली को बढ़ावा दिया।
चमकीले रंगों के उपयोग के कारण इन चित्रों को अद्वितीय माना जाता था।
Incorrectउत्तर: c)
लघु चित्र सूक्ष्म विवरण के साथ लघु पेंटिंग होती हैं। कागज, ताड़ के पत्तों और कपड़े सहित उन्हें अक्सर किताबों या एल्बमों पर चित्रित किया जाता था।
लगभग विशाल दीवार चित्रों की प्रतिक्रिया के रूप में विकसित, लघु चित्रकला की कला 8वीं और 12वीं शताब्दी के बीच विकसित हुई।
दिल्ली सल्तनत से पहले पेंटिंग की दो प्रमुख शैलियाँ थी: पाल शैली और अपभ्रंश शैली।
मुगल चित्रों ने फ़ारसी प्राकृतिक शैली को बढ़ावा दिया।
चमकीले रंगों के उपयोग के कारण इन चित्रों को अद्वितीय माना जाता था।
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Question 2 of 5
पाल कला के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह दक्षिणी बिहार के मगध क्षेत्र में लघु चित्रों के रूप में विकसित हुई।
- प्रारंभिक पाल-काल के अधिकांश अवशेष बौद्ध से संबंधित हैं।
- यह एक प्राकृतिक शैली है जो समकालीन कांस्य और प्रस्तर मूर्तिकला के आदर्श रूपों से मिलती जुलती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correctउत्तर: d)
- पाल वंश ने लगभग 750 A.D. में सत्ता प्राप्त की। पाल कला पहली बार बौद्ध धर्म के उद्गम केंद्र दक्षिणी बिहार के मगध क्षेत्र में विकसित हुई थी। आश्चर्य नहीं कि आरंभिक पाल-काल के अधिकांश अवशेष बौद्ध से सम्बंधित हैं।
- पाल पेंटिंग में लहरदार रेखाओं और कई रंगों का उपयोग किया गया है। यह एक प्राकृतिक शैली है जो समकालीन कांस्य और प्रस्तर मूर्तिकला के आदर्श रूपों से मिलती जुलती है और अजंता की शास्त्रीय कला की कुछ विशेषताओं को दर्शाती है।
- 13वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा बौद्ध मठों के विनाश के बाद पाल कला का अचानक अंत हो गया। कुछ भिक्षु और कलाकार नेपाल चले गए, जिससे वहां की मौजूदा कला परंपराओं को मजबूत करने में मदद मिली।
Incorrectउत्तर: d)
- पाल वंश ने लगभग 750 A.D. में सत्ता प्राप्त की। पाल कला पहली बार बौद्ध धर्म के उद्गम केंद्र दक्षिणी बिहार के मगध क्षेत्र में विकसित हुई थी। आश्चर्य नहीं कि आरंभिक पाल-काल के अधिकांश अवशेष बौद्ध से सम्बंधित हैं।
- पाल पेंटिंग में लहरदार रेखाओं और कई रंगों का उपयोग किया गया है। यह एक प्राकृतिक शैली है जो समकालीन कांस्य और प्रस्तर मूर्तिकला के आदर्श रूपों से मिलती जुलती है और अजंता की शास्त्रीय कला की कुछ विशेषताओं को दर्शाती है।
- 13वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा बौद्ध मठों के विनाश के बाद पाल कला का अचानक अंत हो गया। कुछ भिक्षु और कलाकार नेपाल चले गए, जिससे वहां की मौजूदा कला परंपराओं को मजबूत करने में मदद मिली।
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Question 3 of 5
फड़ पेंटिंग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह एक प्रकार की स्क्रॉल पेंटिंग है जो मुख्यतः आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पाई जाती है।
- ये एक किसान, ग्रामीण जीवन, पशु और पक्षियों, वनस्पतियों और जीवों के दैनिक जीवन को दर्शाते हैं।
- फड़ चित्रों की अनूठी विशेषताएं मोटी रेखाएं और खण्डों में व्यवस्थित संपूर्ण रचना के साथ चित्रों का द्वि-आयामी चित्रण हैं।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: b)
यह एक प्रकार की स्क्रॉल पेंटिंग है जो मुख्य रूप से भीलवाड़ा जिले में पाई जाती है। फड़ चित्रों के मुख्य विषय देवताओं और उनकी किंवदंतियों एवं पूर्व महाराजाओं की कहानियों को दर्शाते हैं।
इसमें एक वीर की वीरता, एक किसान के दैनिक जीवन, ग्रामीण जीवन, पशु और पक्षियों, वनस्पतियों और जीवों का चित्रण किया जाता है।
इस पेंटिंग में चटकीले रंगों और सूक्ष्म रंगों का उपयोग किया जाता है। पहले चित्रों की रूपरेखा को काले रंग से बनाया जाता है और बाद में इमने रंग भरे जाते हैं।
इन चित्रों के लिए कच्चे रंगों का उपयोग किया जाता है। फड़ चित्रों की अनूठी विशेषताएं मोटी रेखाएं और खण्डों में व्यवस्थित संपूर्ण रचना के साथ चित्रों का द्वि-आयामी चित्रण हैं।
Incorrectउत्तर: b)
यह एक प्रकार की स्क्रॉल पेंटिंग है जो मुख्य रूप से भीलवाड़ा जिले में पाई जाती है। फड़ चित्रों के मुख्य विषय देवताओं और उनकी किंवदंतियों एवं पूर्व महाराजाओं की कहानियों को दर्शाते हैं।
इसमें एक वीर की वीरता, एक किसान के दैनिक जीवन, ग्रामीण जीवन, पशु और पक्षियों, वनस्पतियों और जीवों का चित्रण किया जाता है।
इस पेंटिंग में चटकीले रंगों और सूक्ष्म रंगों का उपयोग किया जाता है। पहले चित्रों की रूपरेखा को काले रंग से बनाया जाता है और बाद में इमने रंग भरे जाते हैं।
इन चित्रों के लिए कच्चे रंगों का उपयोग किया जाता है। फड़ चित्रों की अनूठी विशेषताएं मोटी रेखाएं और खण्डों में व्यवस्थित संपूर्ण रचना के साथ चित्रों का द्वि-आयामी चित्रण हैं।
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Question 4 of 5
बूंदी चित्रकला शैली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- बूंदी चित्रकला शैली भारतीय लघु चित्रकला की एक राजस्थानी शैली है।
- बूंदी चित्रकला में दरबार के दृश्यों, जुलूस, कुलीनों के जीवन और भगवान कृष्ण के जीवन के दृश्यों पर बल दिया गया है।
- बूंदी शैली का मुगल शैली से घनिष्ठ संबंध है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: c)
बूंदी चित्रकला शैली भारतीय लघु चित्रकला की एक राजस्थानी शैली है जो 17वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के अंत तक विकसित हुयी।
बूंदी शैली में वनस्पतियों, रात्रि आकाश और भंवर के साथ जल का चित्रण किया गया है।
यह मूल रूप से बूंदी रियासत और कोटा रियासत में मौजूद थी।
बूंदी चित्रकला में शिकार, दरबार के दृश्य, जुलूस, कुलीनों के जीवन, प्रेमियों, जानवरों, पक्षियों और भगवान कृष्ण के जीवन के दृश्यों पर बल दिया गया है।
बूंदी शैली का मुगल शैली से घनिष्ठ संबंध है।
Incorrectउत्तर: c)
बूंदी चित्रकला शैली भारतीय लघु चित्रकला की एक राजस्थानी शैली है जो 17वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के अंत तक विकसित हुयी।
बूंदी शैली में वनस्पतियों, रात्रि आकाश और भंवर के साथ जल का चित्रण किया गया है।
यह मूल रूप से बूंदी रियासत और कोटा रियासत में मौजूद थी।
बूंदी चित्रकला में शिकार, दरबार के दृश्य, जुलूस, कुलीनों के जीवन, प्रेमियों, जानवरों, पक्षियों और भगवान कृष्ण के जीवन के दृश्यों पर बल दिया गया है।
बूंदी शैली का मुगल शैली से घनिष्ठ संबंध है।
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Question 5 of 5
मधुबनी पेंटिंग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- परंपरागत रूप से महिलाओं को मधुबनी पेंटिंग बनाने की अनुमति नहीं है।
- आम तौर पर चित्र प्रजनन क्षमता और जीवन के प्रसार को दर्शाती हैं।
- मधुबनी पेंटिंग को आधिकारिक मान्यता प्राप्त है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correctउत्तर: c)
मधुबनी पेंटिंग / मिथिला पेंटिंग पारंपरिक रूप से नेपाल और भारत के मिथिला क्षेत्र में ब्राह्मण, दुसाध और कायस्थ समुदायों की महिलाओं द्वारा बनाई जाती थी।
मूल रूप से चित्रों में कमल के पौधे, बांस के पेड़ों, मछलियों, पक्षियों और सांपों की प्रतीकात्मक छवियों को दर्शाया गया है। ये छवियां प्रजनन क्षमता और जीवन के प्रसार को दर्शाती हैं।
मधुबनी पेंटिंग को 1975 में तब आधिकारिक मान्यता मिली, जब भारत के राष्ट्रपति ने मधुबनी के पास जितवारपुर गांव की जगदंबा देवी को पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किया था।
Incorrectउत्तर: c)
मधुबनी पेंटिंग / मिथिला पेंटिंग पारंपरिक रूप से नेपाल और भारत के मिथिला क्षेत्र में ब्राह्मण, दुसाध और कायस्थ समुदायों की महिलाओं द्वारा बनाई जाती थी।
मूल रूप से चित्रों में कमल के पौधे, बांस के पेड़ों, मछलियों, पक्षियों और सांपों की प्रतीकात्मक छवियों को दर्शाया गया है। ये छवियां प्रजनन क्षमता और जीवन के प्रसार को दर्शाती हैं।
मधुबनी पेंटिंग को 1975 में तब आधिकारिक मान्यता मिली, जब भारत के राष्ट्रपति ने मधुबनी के पास जितवारपुर गांव की जगदंबा देवी को पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किया था।
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