[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 22 February 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-I

1. गंगूबाई काठियावाड़ी

 

सामान्य अध्ययन-II

1. सार्वजनिक व्यवस्था: स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने हेतु एक संवैधानिक प्रावधान

2. चुनाव चिह्न

3. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स

 

सामान्य अध्ययन-III

1. नेपाल में भारत की ‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ (यूपीआई) प्रणाली का प्रयोग

2. नासा का परसिवरेंस रोवर

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. कर्नाटक में ‘कट वेस्ट टास्क फोर्स’ का गठन

2. LGBTQIA+ समुदाय को पुलिस उत्पीड़न से बचाने हेतु तमिलनाडु में नए नियम

3. म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन

 


सामान्य अध्ययन-I


 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

गंगूबाई काठियावाड़ी


संदर्भ:

अभिनेत्री आलिया भट्ट अभिनीत एक फिल्म को कानूनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि मुख्य पात्र, ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ (Gangubai Kathiawadi) के परिवार के सदस्य होने का दावा करने वाले व्यक्तियों द्वारा फिल्म में उनके चित्रण पर आपत्ति जताई गयी है।

गंगूबाई काठियावाड़ी कौन थी?

पूरा नाम: गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी

मूल स्थान: गुजरात

ख्याति: 50 और 60 के दशक में मुंबई के प्रसिद्ध और प्रभावशाली वेश्यालय मालिकों में से एक। इन्होने  यौनकर्मियों के कल्याण और अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी।

उनके जीवन का संक्षिप्त इतिहास:

  • कहा जाता है, कि ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ को उसके पति ने एक वेश्यालय के मालिक को बेच दिया था।
  • बाद में, गंगूबाई ने धीरे-धीरे अपना खुद का वेश्यालय शुरू कर दिया।
  • उन्हें व्यावसायिक यौनकर्मियों के अधिकारों की पैरवी करने के लिए भी जाना जाता है।
  • जाहिर है, गंगूबाई ने इस मुद्दे पर राजनेताओं के साथ अपने पक्ष में जनमत तैयार किया।

उनके जीवन पर आधारित फिल्म का विरोध क्यों किया जा रहा है?

  • ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ की दत्तक संतानों ने फिल्म में उनके चित्रण पर आपत्ति जताई है और इसकी रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है।
  • याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फिल्म में उन्हें ‘वेश्या’ और ‘माफिया क्वीन’ के रूप में दिखाया गया है।
  • इनका दावा है, कि फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद उनकी प्रतिष्ठा प्रभावित हुई है और कमाठीपुरा के रेडलाइट इलाकों में रहने वाली उनके परिवार की महिला सदस्यों को पुरुषों के आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणियों का शिकार होना पड़ा है।

यौनकर्मियों / सेक्स वर्कर्स के समक्ष चुनौतियां:

  • यौनकार्यों (Sex work) को “वैध कार्य” के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है।
  • यौनकर्मी, सरकार द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्यक्रमों से लाभ पाने के पात्र नहीं होते हैं।

यौनकर्मियों के संरक्षण संबंधी प्रावधान:

  • वर्ष 1956 में, ‘महिलाओं और बच्चों का अनैतिक व्यापार रोकथाम अधिनियम’ (The Suppression of Immoral Traffic in Women and Children Act) अधिनियमित किया गया था।
  • बाद में, इस कानून में संशोधन किए गए और अधिनियम का नाम बदलकर ‘अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम’ (Immoral Traffic (Prevention) Act) कर दिया गया।
  • वर्तमान में, यह भारत में ‘सेक्स वर्क’ को नियंत्रित करने वाला कानून है।

संविधान के अनुच्छेद 23(1) के प्रावधानों के अनुसार, मानव का दुर्व्यापार और बेगार तथा इसी प्रकार का अन्य बलातश्रम प्रतिषिद्ध किया जाता है और इस उपबंध का कोई भी उल्लंघन अपराध होगा जो विधि के अनुसार दंडनीय होगा।

अनुच्छेद 23(2)  में कहा गया है, कि इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए अनिवार्य सेवा अधिरोपित करने से निवारित नहीं करेगी। ऐसी सेवा अधिरोपित करने में राज्य केवल धर्म, मूलवंश, जाति या वर्ग या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।

वेश्यावृत्ति को वैध बनाने के पक्ष और विपक्ष में तर्क:

लाभ:

  • यदि वेश्यावृत्ति को वैध कर दिया जाता है, तो वेश्यालय के प्रबंधन की जिम्मेदारी राज्य की होगी और राज्य अधिकृत व्यक्तियों को लाइसेंस जारी करके इस दायित्व को पूरा कर सकता है।
  • राज्य इस संदर्भ में, वेश्याओं की उम्र, ग्राहकों के डेटाबेस, वेश्याओं को पर्याप्त पारिश्रमिक और चिकित्सा सुविधाओं के संबंध में दिशा-निर्देश भी तैयार करेगा।
  • इस तरीके से, वेश्याओं को चिकित्सा देखभाल, अपने बच्चों की शिक्षा, शोषण और बलात्कार के खिलाफ सुरक्षा आदि जैसे कुछ अधिकार प्राप्त हो सकते हैं।
  • यह विधि, सेक्स रैकेट संचालन, छुपी हुई और सड़क पर वेश्यावृत्ति, वेश्याओं के साथ दुर्व्यवहार आदि के उन्मूलन में सहायक हो सकती है।
  • अपनी आजीविका खो चुकी वेश्याओं तथा वेश्यावृत्ति के लिए विवश की गयी किंतु इस पेशे से निकलने की इच्छुक वेश्याओं के लिए सुरक्षा गृह स्थापित किए जाने चाहिए।
  • साथ ही, सरकार इन वेश्याओं को प्रशिक्षण और बुनियादी शिक्षा प्रदान कर सकती है ताकि वे पैसा कमाने और अपनी आजीविका चलाने के लिए अन्य साधन अपना सकें।

दोष:

  • दूसरी ओर, ‘वेश्यावृत्ति को वैध किए जाने’ को गलत तरीके से वेश्यावृत्ति को मान्यता दिए जाने के रूप में समझा जा सकता है।
  • वेश्यावृत्ति के वैधीकरण से वेश्याओं के लिए धन कमाने का आसान मार्ग प्रशस्त हो सकता है, जिससे अधिक महिलाओं को वेश्यावृत्ति करने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है।
  • इस बात की बहुत अधिक संभावना है, कि यह सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न करने वाला उद्योग बन सकता है।

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि किताब “माफिया क्वींस ऑफ मुंबई” में ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के जीवन और उनके संघर्षों के बारे में उल्लेख किया गया है?

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

सार्वजनिक व्यवस्था: स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने हेतु एक संवैधानिक प्रावधान


(Public Order: A Constitutional Provision For Curbing Freedoms)

संदर्भ:

कर्नाटक उच्च न्यायालय में ‘शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने वाले छात्रों पर राज्य सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध’ की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

पिछली सुनवाई में, न्यायाधीशों के समक्ष इस तर्क पर बहस हुई कि, ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ (Public Order) का उल्लंघन करने के आधार पर क्या राज्य अपने द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को उचित ठहरा सकता है?

सार्वजनिक व्यवस्था’ या ‘लोक व्यवस्था’ क्या है?

संविधान का अनुच्छेद 25 के अंतर्गत ‘लोक व्यवस्था’, सदाचार और स्वास्थ्य के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने के समान अधिकार की गारंटी प्रदान की गयी है।

  • अतः, लोक व्यवस्था (सार्वजनिक व्यवस्था) उन तीन आधारों में से एक है जिन पर राज्य द्वारा धर्म की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित किया जा सकता है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अन्य मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित करने संबंधी आधारों में से एक है।

लोक व्यवस्था के पहलुओं पर कानून बनाने की शक्ति:

लोक व्यवस्था को आम तौर पर सार्वजनिक शांति और सुरक्षा के बराबर समझा जाता है। संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 2 के अनुसार, सार्वजनिक व्यवस्था के पहलुओं पर कानून बनाने की शक्ति राज्यों के पास है।

हिजाब प्रतिबंध, लोक व्यवस्था से किस प्रकार संबंधित है?

हल ही में, राज्य सरकार द्वारा ‘कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983’ के तहत एक आदेश जारी किया गया है।

  • इसके अनुसार, “एकता” और “अखंडता” के साथ-साथ “लोक व्यवस्था” भी, शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों को हिजाब (Headscarf) पहनने की अनुमति नहीं देने का एक कारण है।
  • हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने राज्य से यह साबित करने के लिए कहा है, कि केवल छात्रों द्वारा हिजाब पहनने से सार्वजनिक व्यवस्था का मुद्दा कैसे बन सकता है। यह कोई ऐसा मामला नहीं है जिसमे किसी धार्मिक प्रक्रिया के तहत सार्वजनिक रूप से लोग इकट्ठे होते हों या खतरनाक हथियारों का प्रदर्शन किया जाता है।

न्यायालयों द्वारा ‘लोक व्यवस्था’ की व्याख्या:

  • न्यायालयों ने मोटे तौर पर ‘लोक व्यवस्था’ की व्याख्या, कुछ व्यक्तियों की बजाय बड़े पैमाने पर किसी समुदाय को प्रभावित करने वाली घटनाओं या कार्यों के रूप में की गयी है।
  • राम मनोहर लोहिया बनाम बिहार राज्य (1965) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ के मामले में, समुदाय या जनता को बड़े पैमाने पर किसी विशेष कार्रवाई से प्रभावित होना आवश्यक है।

कर्नाटक का मामला:

कर्नाटक में जारी हिज़ाब-प्रतिबंध संबंधी प्रकरण को समझने के लिए तीन संकेंद्रीय वृत्तों की कल्पना करनी होगी, जिसमे सबसे बड़ा वृत्त ‘कानून और व्यवस्था’ का प्रतिनिधित्व करता है, अगला ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ का प्रतिनिधित्व करता है और सबसे छोटा ‘राज्य की सुरक्षा’ का प्रतिनिधित्व करता है।”

Current Affairs

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. हिजाब प्रतिबंध प्रकरण के बारे में
  2. सार्वजनिक / लोक व्यवस्था क्या है?
  3. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
  5. धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के अपवाद

मेंस लिंक:

भारत में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित मुद्दों की व्याख्या कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

चुनाव चिन्ह


(Election symbols)

संदर्भ:

हाल ही में, उत्तर प्रदेश में एक चुनावी भाषण के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 2008 के अहमदाबाद विस्फोटों और समाजवादी पार्टी के बीच- ‘चुनाव चिन्ह- साइकिल’ की वजह से- एक संबंध होने का संकेत देते हुए दिखाई दिए।

संबंधित प्रकरण:

  • वर्ष 2006 के मालेगांव विस्फोटों में, बम ले जाने वाले वाहक के रूप में पहली बार साइकिल को इस्तेमाल किया गया था। विस्फोट करने वालों ने अलग-अलग साइकिलों पर दो बम बांधकर कस्बे में रख दिए।
  • दुनिया भर में आतंकवादी समूहों द्वारा बम लगाने के लिए लंबे समय से साइकिल का इस्तेमाल किया जाता रहा है। साइकिल को दुनिया में कहीं भी आसानी से और सस्ते में खरीदा जा सकता है, और विस्फोट के पश्चात् इसके छर्रे और धातु के नोकीले टुकड़े विस्फोट के प्रभाव को बढ़ा देते हैं।

राजनीतिक दलों को प्रतीक चिन्हों का आवंटन:

निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार- किसी राजनीतिक दल को चुनाव चिह्न का आवंटन करने हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:

  • नामांकन पत्र दाखिल करने के समय राजनीतिक दल / उम्मीदवार को निर्वाचन आयोग की प्रतीक चिह्नों की सूची में से तीन प्रतीक चिह्न प्रदान किये जाते हैं।
  • उनमें से, राजनीतिक दल / उम्मीदवार को ‘पहले आओ-पहले पाओ’ आधार पर एक चुनाव चिह्न आवंटित किया जाता है।
  • किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के विभाजित होने पर, पार्टी को आवंटित प्रतीक/चुनाव चिह्न पर निर्वाचन आयोग द्वारा निर्णय लिया जाता है।

निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ:

चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के अंतर्गत निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने और प्रतीक चिह्न आवंटित करने का अधिकार दिया गया है।

  • आदेश के अनुच्छेद 15 के तहत, निर्वाचन आयोग, प्रतिद्वंद्वी समूहों अथवा किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के गुटों द्वारा पार्टी के नाम तथा प्रतीक चिह्न संबंधी दावों के मामलों पर निर्णय ले सकता है।
  • निर्वाचन आयोग, राजनीतिक दलों के किसी विवाद अथवा विलय पर निर्णय लेने हेतु एकमात्र प्राधिकरण भी है। सर्वोच्च न्यायालय ने सादिक अली तथा अन्य बनाम भारत निर्वाचन आयोग (ECI) मामले (1971) में इसकी वैधता को बरकरार रखा।

चुनाव चिह्नों के प्रकार:

‘निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) (संशोधन) आदेश, 2017 (Election Symbols (Reservation and Allotment) (Amendment) Order, 2017) के अनुसार, राजनीतिक दलों के प्रतीक चिह्न निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं:

  1. आरक्षित (Reserved): देश भर में आठ राष्ट्रीय दलों और 64 राज्य दलों को ‘आरक्षित’ प्रतीक चिह्न प्रदान किये गए हैं।
  2. स्वतंत्र (Free): निर्वाचन आयोग के पास लगभग 200 ‘स्वतंत्र’ प्रतीक चिह्नों का एक कोष है, जिन्हें चुनावों से पहले अचानक नजर आने वाले हजारों गैर-मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों को आवंटित किया जाता है।

पार्टी का विभाजन होने पर ‘चुनाव चिन्ह’ संबंधी विवाद में निर्वाचन आयोग की शक्तियां:

विधायिका के बाहर किसी राजनीतिक दल का विभाजन होने पर, ‘निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) आदेश’, 1968 के पैरा 15 में कहा गया है:

“निर्वाचन आयोग जब इस बात इस संतुष्ट हो जाता है, कि किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल में दो या अधिक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह हो गए हैं और प्रत्येक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह, उस ‘राजनीतिक दल’ पर दावा करता है, तो ऐसी स्थिति में, निर्वाचन आयोग को, इनमे से किसी एक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह को ‘राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता देने, अथवा इनमे से किसी को भी मान्यता नहीं देने संबंधी निर्णय लेने की शक्ति होगी, और आयोग का निर्णय इन सभी प्रतिद्वंद्वी वर्गों या समूहों के लिए बाध्यकारी होगा”।

  • यह प्रावधान ‘मान्यता प्राप्त’ सभी राष्ट्रीय और राज्यीय दलों (इस मामले में लोजपा की तरह) में होने वाले विवादों पर लागू होता है।
  • पंजीकृत, लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों में विभाजन होने पर, निर्वाचन आयोग आमतौर पर, संघर्षरत गुटों को अपने मतभेदों को आंतरिक रूप से हल करने या अदालत जाने की सलाह देता है।

कृपया ध्यान दें, कि वर्ष 1968 से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा ‘चुनाव आचरण नियम’, 1961 के तहत अधिसूचना और कार्यकारी आदेश जारी किए जाते थे।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप एक मान्यता प्राप्त ‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ और एक ‘राज्य राजनीतिक दल’ के बीच अंतर जानते हैं?

साइकिल बम का सबसे पहला उल्लेख वर्ष 1939 में मिलता है, जब आयरिश रिपब्लिकन आर्मी ने एक साइकिल की टोकरी में रखे बम में विस्फोट होने से यूनाइटेड किंगडम में कोवेंट्री नामक नगर में पांच लोगों की मौत हो गई थी।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने हेतु प्रक्रिया।
  2. राज्य दल और राष्ट्रीय दल क्या हैं?
  3. मान्यता प्राप्त दलों को प्राप्त लाभ।
  4. पार्टी प्रतीक चिह्न किसे कहते हैं? प्रकार क्या हैं?
  5. राजनीतिक दलों के विलय से जुड़े मुद्दों पर निर्णय कौन करता है?
  6. अनुच्छेद 226 किससे संबंधित है?

मेंस लिंक:

राजनीतिक दलों को प्रतीक चिन्हों का आवंटन किस प्रकार किया जाता हैं? चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

वित्तीय कार्रवाई कार्यबल


(Financial Action Task Force)

संदर्भ:

पेरिस में जारी ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’ / ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (Financial Action Task Force – FATF) की बैठकों के दौरान, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूहों के नेताओं की जांच और मुकदमा चलाने संबंधी पाकिस्तान के प्रयासों का आकलन किया जाएगा।

यह बहुपक्षीय वित्तीय निगरानी संस्था, पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ अथवा ‘अतिरिक्त निगरानी वाले देशों की सूची’ में रखे जाने पर निर्णय लेगी।

विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि, पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रखा जाना तय है और देश के “ब्लैक लिस्ट” में शामिल होने की बहुत कम संभावना है। किसी देश को ‘ब्लैक लिस्ट’ में रखने के लिए कठोर आर्थिक प्रतिबंध और वित्तीय लेनदेन की अधिक सघन जांच आवश्यक होती है। फिलहाल वर्तमान में, केवल उत्तर कोरिया और ईरान ही ‘ब्लैक लिस्ट’ में शामिल हैं।

पृष्ठभूमि:

पेरिस स्थित ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’ (FATF) द्वारा जून 2018 में पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल किया गया था। उस समय से ही पाकिस्तान, इस सूची से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है।

पाकिस्तान ने, वर्ष 2018 में 27 एक्शन पॉइंट लागू करने के लिए एक समयसीमा निर्धारित की गई थी, जिसमे से यह अभी तक 26 एक्शन पॉइंट को लागू कर चुका है।

 

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के बारे में:

  • FATF का गठन 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था। यह एक अंतर-सरकारी निकाय है।
  • यह एक ‘नीति-निर्माणक निकाय’ है जो विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर विधायी एवं नियामक सुधार करने हेतु आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति उत्पन्न करने के लिए कार्य करता है।
  • इसका सचिवालय पेरिस में ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (Economic Cooperation and Development- OECD) मुख्यालय में स्थित है।

भूमिका एवं कार्य:

  1. शुरुआत में FATF को मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने संबंधी उपायों की जांच करने तथा इनका विकास करने के लिए स्थापित किया गया था।
  2. अक्टूबर 2001 में, FATF द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने संबंधी प्रयासों को शामिल करने हेतु अपने अधिदेश का विस्तार किया गया।
  3. अप्रैल 2012 में, इसके द्वारा सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार हेतु वित्तपोषण पर रोक लगाने को अपने प्रयासों में सम्मिलित किया गया।

संरचना:

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ / फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) वर्त्तमान में 39 सदस्य सम्मिलित हैं। इसके सदस्य विश्व के अधिकांश वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें 2 क्षेत्रीय संगठन – गल्फ ऑफ कोऑपरेशन कौंसिल (GCC) तथा यूरोपियन कमीशन (EC)- भी सम्मिलित हैं।

इसमें पर्यवेक्षक और सहयोगी सदस्य भी शामिल होते हैं।

ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट:

ब्लैक लिस्ट (Black List): आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों का समर्थन करने वाले तथा इन गतिविधियों पर रोक लगाने संबंधी वैश्विक प्रावधानों के साथ सहयोग नहीं करने वाले देशों (Non-Cooperative Countries or Territories- NCCTs) को ‘ब्लैक लिस्ट’ में रखा जाता है।

FATF द्वारा नियमित रूप से ब्लैकलिस्ट में संशोधन किया जाता है, जिसमे नयी प्रविष्टियों को शामिल किया जाता है अथवा हटाया जाता है।

ग्रे लिस्ट (Grey List): जिन देशों को आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों के लिए सुरक्षित माना जाता है, उन्हें FATF द्वारा ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया जाता है।

‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल देशों को निम्नलिखित स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है:

  1. आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी से आर्थिक प्रतिबंध।
  2. आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी और अन्य देशों से ऋण प्राप्त करने में समस्या।
  1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कमी।
  2. अंतर्राष्ट्रीय बहिष्कार।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप FATF की तरह कार्य करने वाली एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संस्था ‘एशिया/पैसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग’ (APG) के बारे में जानते हैं? इसके उद्देश्यों और कार्यों के बारे में जानकारी के लिए पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. जी-7, जी-8 तथा जी- 20 में अंतर
  2. ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट
  3. क्या FATF के निर्णय सदस्य देशों पर बाध्यकारी हैं?
  4. FATF का प्रमुख कौन है?
  5. इसका सचिवालय कहाँ है?

मेंस लिंक:

फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) का अधिदेश तथा उद्देश्य क्या हैं? भारत – पाकिस्तान संबंधों के लिए FATF के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

नेपाल में भारत की ‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ (यूपीआई) प्रणाली का प्रयोग


संदर्भ:

हाल ही में, ‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम’ (National Payments Corporation of India – NPCI) द्वारा की गयी घोषणा के अनुसार, पड़ोसी देश नेपाल, भारत का ‘यूपीआई सिस्टम’ अर्थात ‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ (Unified Payment Interface – UPI) प्रणाली अपनाने वाला पहला विदेशी देश होगा।

UPI क्या है?

‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ या ‘यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI) एक त्वरित रियल-टाइम भुगतान प्रणाली है। यह प्रणाली, उपयोगकर्त्ताओं को अपने बैंक खाते का विवरण दूसरे पक्ष को बताए बिना कई बैंक खातों में रियल-टाइम आधार पर धन-अंतरण करने की अनुमति देती है।

  • वर्तमान में ‘यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI),  नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH), तत्काल भुगतान सेवा (IMPS), आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS), भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS), रुपे (RuPay) आदि सहित ‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम’ (NPCI) द्वारा संचालित सभी प्रणालियों में सबसे बड़ी प्रणाली है।
  • शीर्ष UPI ऐप में, फ़ोनपे (PhonePe), पेटीएम (Paytm), गूगल पे (Google Pay), अमेज़न पे (Amazon Pay) और सरकार द्वारा संचालित भीम (BHIM) एप्लीकेशन शामिल हैं।

 

एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ (UPI) को ‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम’ (NPCI) द्वारा वर्ष 2016 में 21 सदस्य बैंकों के साथ लॉन्च किया गया था।

भीम (BHIM) क्या है?

भारत इंटरफेस फॉर मनी (BHIM), ‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस’ (UPI) के माध्यम से काम करने वाला भारत का एक ‘डिजिटल पेमेंट एप्लिकेशन’ है। ‘यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (UPI) सिस्टम में कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन से संचालित किया जा सकता है।

  • BHIM एप्प को ‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम’ (National Payments Corporation of India – NPCI) द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह रियल-टाइम धन-अंतरण किए जाने की सुविधा प्रदान करता है।
  • इसे दिसंबर, 2016 में लॉन्च किया गया था।

BHIM ऐप में प्रमाणीकरण के तीन स्तर होते हैं:

  1. पहला, यह ऐप किसी डिवाइस की आईडी और मोबाइल नंबर से जुड़ जाती है।
  2. दूसरा, उपयोगकर्ता को लेन-देन करने के लिए बैंक खाते (UPI या गैर- UPI सक्षम) को समकालिक (sync) करना होगा।
  3. तीसरा, किसी उपयोगकर्ता से अपनी डिवाइस में BHIM ऐप शुरू करते समय एक ‘PIN’ बनाने के लिए कहा जाता है, यह ‘PIN’ ऐप में ‘लॉग इन’ करने के लिए आवश्यक होती है। उपयोगकर्ता के लिए कोई लेनदेन करने हेतु अपने बैंक खाते से जुडी ‘UPI PIN’ का उपयोग करना आवश्यक है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम’ (National Payments Corporation of India – NPCI) भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन हेतु एक अम्ब्रेला संस्था है। इसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा भारत में भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (The Payment and Settlement Systems Act, 2007) के प्रावधानों के तहत एक मज़बूत भुगतान और निपटान अवसंरचना के विकास हेतु स्थापित किया गया है। क्या आप इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में जानते हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. हमारे देश में एटीएम को कौन नियंत्रित करता है?
  2. UPI क्या है?
  3. नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) क्या है?
  4. राष्ट्रीय वित्तीय स्विच क्या है?
  5. BHIM ऐप में प्रमाणीकरण के तीन स्तर

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

नासा का परसिवरेंस रोवर


(Nasa’s Perseverance rover)

संदर्भ:

नासा के परसिवरेंस रोवर (Nasa’s Perseverance rover) ने 19 फरवरी, 2021 को मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद ग्रह पर ‘पृथ्वी के एक वर्ष’ का समय पूरा कर लिया है।

लाल ग्रह पर इस अवधि के दौरान, रोवर ने अपनी महत्वाकांक्षी कार्य-सूची में से कई कार्य पहली बार पूरे किए हैं:

  1. किसी अन्य ग्रह से चट्टानों की कोर के नमूनों का संग्रह।
  2. ‘इंजेन्युटी’ (Ingenuity) हेलीकॉप्टर के लिए बेस स्टेशन के रूप में कार्य।
  3. मंगल ग्रह की विरल हवा से ऑक्सीजन का निष्कर्षण।
  4. इसने 14 फरवरी को लगभग 320 मीटर की यात्रा पूरी करके, एक ही दिन में मंगल ग्रह पर रोवर द्वारा तय की गई सबसे अधिक दूरी का रिकॉर्ड तोड़ा।
  5. लाल ग्रह पर पहले ‘प्रोटोटाइप ऑक्सीजन जनरेटर’ का परीक्षण किया, जिसे MOXIE (मार्स ऑक्सीजन इन-सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट) कहा जाता है।

‘परसिवरेंस रोवर’ के बारे में:

नासा के परसिवरेंस रोवर (Perseverance rover) द्वारा मंगल ग्रह के ‘जेज़ेरो क्रेटर’ (Jezero Crater) का अन्वेषण किया जा रहा है, और साथ ही यह, ग्रह की सतह से चट्टानों का पहला नमूना एकत्र करने का प्रयास कर रहा है।

परसिवरेंस रोवर (Perseverance rover) को, जुलाई 2020 में ‘यूनाइटेड लॉन्च अलायंस एटलस V’ (Atlas V) से लॉन्च किया गया था।

मिशन का महत्व:

  1. परसिवरेंस रोवर में MOXIE अथवा मार्स ऑक्सीजन ISRU एक्सपेरिमेंट नामक एक विशेष उपकरण लगा है, जो मंगल ग्रह पर कार्बन-डाइऑक्साइड-समृद्ध वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके पहली बार आणविक ऑक्सीजन का निर्माण करेगा। (ISRU- In Situ Resource Utilization, अर्थात स्व-स्थानिक संशाधनो का उपयोग)
  2. इस मिशन पर एक, ‘इंजेन्युटी’ (Ingenuity) नामक एक हेलीकॉप्टर भी भेजा गया है, यह मंगल ग्रह पर उड़ान भरने वाला पहला हेलीकॉप्टर होगा।
  3. यह मिशन, पृथ्वी पर परिष्कृत प्रयोगशालाओं में विश्लेषण करने हेतु, मंगल ग्रह से चट्टान के नमूनों को लाने का पहला नियोजित प्रयास है। इसका उद्देश्य मंगल ग्रह पर प्राचीन सूक्ष्मजीवीय जीवन के खगोलीय साक्ष्यों की खोज तथा वर्तमान या अतीत में जीवन-संकेतों की खोज करना है।

मिशन के कुछ प्रमुख उद्देश्य:

  • प्राचीन सूक्ष्मजीवीय जीवन के खगोलीय साक्ष्यों की खोज करना।
  • वापसी में पृथ्वी पर लाने के लिए चट्टानों तथा रेगोलिथ (Reglolith) के नमूने एकत्र करना है।
  • मंगल ग्रह पर एक प्रयोगात्मक हेलीकाप्टर उतारना।
  • मंगल ग्रह की जलवायु और भूविज्ञान का अध्ययन करना।
  • भविष्य के मंगल मिशनों के लिए प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना।

मंगल ग्रह के बारे में हालिया रुचि का कारण:

  • मंगल ग्रह, पृथ्वी के काफी नजदीक (लगभग 200 मिलियन किमी दूर) पर स्थित है।
  • यह एक ऐसा ग्रह है, जिस पर मनुष्य, भ्रमण करने या अधिक समय तक रहने की इच्छा कर सकता है।
  • मंगल ग्रह पर अतीत में बहता हुए पानी और वातावरण होने के साक्ष्य मिले हैं; और संभवतः इस ग्रह पर कभी जीवन के लिए उपयुक्त स्थितियां भी मौजूद थी।
  • यह ग्रह, व्यावसायिक यात्रा के लिए भी उपयुक्त हो सकता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप मंगल ग्रह के वायुमंडल की संरचना, इतिहास, वातावरण, गुरुत्वाकर्षण के बारे में जानते हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. मंगल मिशन
  2. पर्सविरन्स रोवर – उद्देश्य
  3. पर्सविरन्स रोवर पर उपकरण
  4. UAE के ‘होप’ मिशन तथा चीन के तियानवेन -1 अंतरिक्ष यान के बारे में
  5. पाथफाइंडर मिशन

मेंस लिंक:

परसिवरेंस रोवर’ मिशन के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


कर्नाटक में ‘कट वेस्ट टास्क फोर्स’ का गठन

पूर्व मुख्य सचिव टी एम विजय भास्कर की अध्यक्षता में गठित ‘कर्नाटक प्रशासनिक सुधार आयोग -2’ (Karnataka Administrative Reforms Commission-2 KARC-2) ने राज्य सरकार, बोर्डों और निगमों के विभिन्न विभागों द्वारा किए गए फिजूलखर्ची को कम करने के लिए एक ‘कट वेस्ट टास्क फोर्स’ (Cut Waste Task Force) के गठन की सिफारिश की है।

  • आयोग द्वारा ‘भूमि अधिग्रहण’ के मुआवजे के समय पर भुगतान, और अधिकारियों तथा कर्मचारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किए जाने की भी सिफारिश की गयी है।
  • ‘कट वेस्ट टास्क फोर्स’ जनता, आंतरिक और बाहरी हितधारकों से उन क्षेत्रों पर सुझाव प्राप्त कर सकती है, जहां सरकार सार्वजनिक सेवाओं के वितरण और अपने दिन-प्रतिदिन के कामकाज में कचरे को कम कर सकती है और बचत को प्रभावित कर सकती है।
  • यह मॉडल 2003 से सिंगापुर सरकार द्वारा अपनाया जा रहा है, और लागू होने के तीन वर्षों के भीतर, यह स्वीकृत सुझावों के कार्यान्वयन से सार्वजनिक संसाधनों के 11.4 मिलियन डॉलर से अधिक की बचत करने में सफल रहा है।

 

LGBTQIA+ समुदाय को पुलिस उत्पीड़न से बचाने हेतु तमिलनाडु में नए नियम

तमिलनाडु सरकार ने LGBTQIA+ समुदाय के सदस्यों और समुदाय के कल्याण के लिए काम करने वाले लोगों के खिलाफ उत्पीड़न को रोकने के लिए पुलिस अधिकारियों के आचरण नियमों में संशोधन किया है।

  • नियम के अनुसार, कोई भी पुलिस अधिकारी LGBTQIA (समलैंगिक, समलैंगिक, उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स, अलैंगिक) + समुदाय और समुदाय के कल्याण के लिए काम करने वाले लोगों के किसी भी व्यक्ति के उत्पीड़न के किसी भी कार्य में शामिल नहीं होगा। .
  • इस नियम के उद्देश्य को पूरा करने हेतु, ‘उत्पीड़न’ में कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार जांच करने का पुलिस का अधिकार शामिल नहीं किया गया है।
  • महत्व: यह संशोधन, पुलिस द्वारा उत्पीड़न का सामना करने वाले एक समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर की गयी सुरक्षा याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय के एक निर्देश के बाद किया गया है।

 

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन

हाल ही में, जर्मनी में ‘म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन’ (Munich Security Conference) का आयोजन किया जा रहा है, जिसमे भारत भी भाग ले रहा है।

  • ‘म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन’ ‘अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति’ पर एक वार्षिक सम्मेलन है, जिसे 1963 से हर साल म्यूनिख, बवेरिया, जर्मनी में आयोजित किया जाता है।
  • यह सम्मेलन प्रतिवर्ष फरवरी माह में आयोजित किया जाता है।
  • पिछले चार दशकों में ‘म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन’ अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नीति निर्णयकर्ताओं द्वारा विचारों के आदान-प्रदान के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्वतंत्र मंच बन गया है।
  • प्रत्येक वर्ष, यह सम्मलेन वर्तमान और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों पर गहन बहस में शामिल होने के लिए दुनिया भर के 70 से अधिक देशों के लगभग 350 वरिष्ठ हस्तियों को एक मंच पर लाता है।

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