[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 15 February 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-I

1. 100 साल पुराने नाटक ‘चिंतामणि पद्य नाटकम’ पर प्रतिबंध

 

सामान्य अध्ययन-II

1. हरियाणा का धर्मांतरण-रोधी कानून

2. लासा बुखार

 

सामान्य अध्ययन-III

1. PSLV -C52/ EOS-04 मिशन

2. हेलियोस्वार्म और MUSE

3. जिओ प्लेटफॉर्म पर सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं

4. मॉडिफाइड एलिफेंट – एक हैकिंग ग्रुप

 

प्रारंभिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. वैश्विक पर्यावरण सुविधा

2. प्रशांत द्वीप समूह फोरम

3. वन ओशन समिट

 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

100 साल पुराने नाटक ‘चिंतामणि पद्य नाटकम’ पर प्रतिबंध


संदर्भ:

हाल ही में, आंध्र प्रदेश सरकार ने 100 साल पुराने नाटक ‘चिंतामणि पदया नाटकम’ (Chintamani Padya Natakam) के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

चिंतामणि पदया नाटकम्’ के बारे में:

  • यह नाटक 1920 में एक नाटककार एवं प्रसिद्ध समाज सुधारक ‘कल्लाकुरी नारायण राव’ (Kallakuri Narayana Rao) द्वारा लिखा गया था।
  • यह नाटक ‘चिंतामणि’ नामक एक गणिका (Courtesan) के बारे में है, जो भगवान कृष्ण की परम भक्त है और भजन गाकर मोक्ष प्राप्त करती है।
  • आर्य वैश्य समुदाय का एक व्यवसायी ‘सुब्बी शेट्टी’ उससे प्रणय निवेदन करता है, और चिंतामणि के प्रति आकर्षण की वजह से अपना धन और परिवार सभी गँवा देता है।
  • यह नाटक पूरे राज्य में, मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में, त्योहारों और मेलों के दौरान प्रदर्शित किया जाता है।

नाटक से संबंधित विवाद:

  • मूल नाटक, एक सामाजिक संदेश प्रदान करता था, लेकिन वर्षों के दौरान इस नाटक में संशोधन किए गए और इसे विशुद्ध रूप से मनोरंजन के लिए प्रदर्शित किया जाने लगा।
  • नाटक के संशोधित संस्करण में, लगभग पूरे नाटक में केंद्रीय पात्र ‘सुब्बी शेट्टी’ का अपने अवगुणों की खातिर अपनी सारी संपत्ति गँवा देने के लिए मजाक उड़ाया जाता है।
  • इसके अलावा, नए नाटक की सामग्री और संवाद आपत्तिजनक हो चले हैं, और केंद्रीय चरित्र को हमेशा एक छोटे और काले रंग के व्यक्ति के रूप में चित्रित किया जाता है।
  • संशोधित नाटक में, शेट्टी के चरित्र को जिस तरह से चित्रित किया जाता है, उससे पूरा समुदाय कलंकित महसूस करता है।

नाटक को प्रतिबंधित किए जाने का कारण:

आंध्रप्रदेश के आर्य वैश्य समुदाय द्वारा इस नाटक पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई वर्षों से राज्य-सरकारों से याचिका की जा रही हैं। इनका कहना है कि यह नाटक उनके समुदाय को एक नकारात्मक रोशनी में चित्रित करता है।

क्या प्रतिबंध से बचा जा सकता था?

राज्य सरकार द्वारा शेट्टी के चरित्र पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय उसे नाटक से बाहर निकालने की संभावना तलाशी गयी, किंतु विद्वानों के अनुसार, ‘शेट्टी’ ‘चिंतामणि पदया नाटकम्’ का एक केंद्रीय चरित्र है और उसे नाटक से बाहर नहीं निकाला जा सकता।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘चिंतामणि पदया नाटकम्’ के बारे में।
  2. केंद्रीय विषय
  3. आर्य वैश्य समुदाय के बारे में
  4. विवाद

मेंस लिंक:

धर्म से संबंधित मामलों में राज्य के हस्तक्षेप से संबंधित चिंताओं के बारे में चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

हरियाणा का धर्मांतरण-रोधी कानून


संदर्भ:

हरियाणा सरकार द्वारा विधिविरुद्ध धर्मांतरण को रोकने के लिए एक कानून बनाया जा रहा है।

अब तक, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश ने अवैध तरीके से किए जाने वाले धर्म-परिवर्तनों को रोकने के लिए कानून बनाए जा चुके हैं।

हरियाणा गैरकानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 के बारे में:

(Haryana Prevention of Unlawful Conversion of Religious Bill, 2022)

इस विधेयक में गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से, या विवाह के द्वारा अथवा विवाह के लिए, किए जाने वाले धर्म परिवर्तन को अपराध घोषित करने तथा इस पर रोक लगाने  का प्रस्ताव किया गया है।

सजा: विधेयक में अवयस्क, महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के संबंध में ऐसे धर्मांतरण के लिए अधिक दंड का प्रावधान किया गया है।

साबित करने का दायित्व: विधेयक में अभियुक्त पर यह साबित करने का दायित्व सौंपा गया है, कि धर्मांतरण गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके के प्रभाव से नहीं हुआ है, या धर्म- परिवर्तन विवाह के द्वारा अथवा विवाह के लिए नहीं किया गया है।

घोषणा: एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित होने वाला प्रत्येक व्यक्ति निर्धारित प्राधिकारी को एक घोषणा प्रस्तुत करेगा कि धर्म परिवर्तन गलत बयानी, बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या विवाह द्वारा या विवाह के लिए नहीं था और ऐसा प्राधिकारी ऐसे मामलों में जांच करेगा।

इस विधेयक को पेश करने के पीछे दिए गए तर्क:

भारत के संविधान के अनुच्छेद 255, 26, 27 और 28 के तहत ‘धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार’ की गारंटी दी गई है जो भारत के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है।

  • संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
  • हालाँकि, अंत:करण और धर्म की स्वतंत्रता के व्यक्तिगत अधिकार का विस्तार धर्मांतरण के सामूहिक अधिकार का अर्थ लगाने के लिए नहीं किया जा सकता है; क्योंकि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति और जिस व्यक्ति ने धर्मांतरण की मांग की है, का समान रूप से है।
  • फिर भी, सामूहिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के धर्मांतरण के कई मामले सामने आए हैं।

‘धर्मांतरण विरोधी कानूनों के अधिनियमन’ के पीछे तर्क:

  1. जबरन धर्म परिवर्तन की धमकी
  2. उकसावा या प्रलोभन की समस्या
  3. ‘धर्म परिवर्तन’ मौलिक अधिकार नहीं है।

आलोचकों का पक्ष:

कई विधि-वेत्ताओं द्वारा इस प्रकार के कानूनों की कड़ी आलोचना की गई है, इनका तर्क है, कि ‘लव जिहाद’ की अवधारणा का कोई संवैधानिक या कानूनी आधार नहीं है।

  • इन्होने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा है, संविधान, व्यक्तियों को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के अधिकार की गारंटी देता है।
  • साथ ही, अनुच्छेद 25 के तहत भी सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और अपनी पसंद के धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने, प्रचार करने, और किसी भी धर्म का पालन न करने के अधिकार की गारंटी दी गयी है।

विवाह और धर्मांतरण पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले:

  1. भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने कई निर्णयों में यह कहा गया है, कि किसी वयस्क को अपना जीवन साथी चुनने संबंधी मामले में पूर्ण अधिकार होता है, और इस पर राज्य और अदालतों का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है।
  2. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने, लिली थॉमस और सरला मुद्गल, दोनों मामलों में यह पुष्टि की है, कि धार्मिक विश्वास के बिना और कुछ कानूनी लाभ प्राप्त करने के एकमात्र उद्देश्य के लिए किए गए धर्म-परिवर्तन का कोई आधार नहीं है।
  3. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वर्ष 2020 के ‘सलामत अंसारी-प्रियंका खरवार’ मामले में निर्णय सुनाते हुए कहा कि, किसी साथी को चुनने का अधिकार अथवा अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार, नागरिकों के ‘जीवन और स्वतंत्रता संबंधी मूल अधिकार’ (अनुच्छेद 21) का भाग है।

समय की मांग:

  1. एकरूपता की आवश्यकता: मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) के अनुच्छेद 18 के अनुसार, सभी व्यक्तियों को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है, जिसमे उनका धर्म परिवर्तन करने का अधिकार भी शामिल है। चूंकि यह राज्य का विषय है, इसलिए केंद्र सरकार इस विषय पर, अनुबंध खेती पर मॉडल कानून आदि जैसा कोई एक मॉडल कानून बना सकती है।
  2. धर्मांतरण विरोधी कानून बनाते समय राज्यों को, अपनी इच्छा से धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति के लिए कोई अस्पष्ट या अनेकार्थी प्रावधान नहीं करना चाहिए।
  3. धर्मांतरण विरोधी कानूनों में, अल्पसंख्यक समुदाय संस्थानों द्वारा धर्मांतरण के लिए कानूनी चरणों का उल्लेख करने संबंधी प्रावधान को भी शामिल करने की आवश्यकता है।
  4. लोगों को जबरदस्ती धर्मांतरण, प्रलोभन या प्रलोभन आदि से संबंधित प्रावधानों और तरीकों के बारे में भी शिक्षित करने की आवश्यकता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘विशेष विवाह अधिनियम,’ 1954 (SMA) अलग-अलग धर्मों को मानने वाले जोड़ों के विवाह की सुविधा के लिए बनाया गया था?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अनुच्छेद 21 के बारे में
  2. अनुच्छेद 25
  3. ‘विशेष विवाह अधिनियम’ (SMA) के बारे में
  4. किन राज्यों द्वारा धर्मांतरण रोधी कानून पारित किए जा चुके हैं।

मेंस लिंक:

जीवन साथी को चुनने का अधिकार अथवा अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार, नागरिकों के ‘जीवन और स्वतंत्रता संबंधी मूल अधिकार’ का भाग है। चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

लासा बुखार


(Lassa fever)

संदर्भ:

‘लासा बुखार’ (Lassa fever) नामक गंभीर बीमारी से नाइजीर‍िया में प‍िछले माह 40 लोगों की मौत हुई और 200 से ज्‍यादा लोग संक्रम‍ित पाए गए।

ब्रिटेन में भी ‘लासा फीवर’ से तीन लोग संक्रम‍ित पाए गए ज‍िनमें से एक शख्‍स की मौत हो गई है। ये तीनों व्‍यक्‍त‍ि अफ्रीका से यात्रा के बाद ब्रिटेन लौटे थे।

‘लासा / लस्सा’ क्या है?

  • लासा वायरस (Lassa virus) का नामकरण नाइजीरिया के लासा नामक एक शहर के नाम पर किया गया है जहां 1969 में सबसे पहले इस प्रकार के मामले देखे गए थे।
  • यह रोग, मुख्य रूप से सिएरा लियोन, लाइबेरिया, गिनी और नाइजीरिया सहित पश्चिम अफ्रीका के देशों में पाया जाता है। इन देशों में यह स्थानिक रोग है।

संचरण:

  • ‘लासा बुखार’ या ‘लासा फीवर’ मुख्यतः चूहों से फैलता है।
  • इस वायरस के ‘व्यक्ति-से-व्यक्ति संचरण’ की भी संभावना है।

लक्षण:

  • ‘लासा फीवर’ से संक्रमित होने पर हल्के लक्षणों में हल्का बुखार, थकान, कमजोरी और सिरदर्द शामिल हैं, और अधिक गंभीर लक्षणों में रक्तस्राव, सांस लेने में कठिनाई, उल्टी, चेहरे की सूजन, छाती, पीठ और पेट में दर्द और झटके लगना आदि शामिल हैं।
  • ‘लासा फीवर’ से जुड़ी सबसे आम समस्या ‘बहरापन’ है।
  • यद्यपि, इस बीमारी से जुड़ी ‘मृत्यु दर’ काफी कम, लगभग एक प्रतिशत है। किंतु, कुछ व्यक्तियों- जैसेकि छह माह से अधिक का गर्भ धारण करने वाली गर्भवती महिलाओं – के लिए मृत्यु दर अधिक होती है।

रोकथाम / निवारण:

इस बीमारी से संक्रमित होने से बचने का सबसे अच्छा तरीका चूहों के संपर्क से बचना है।

इस प्रकार के संक्रामक रोगों / महामारियों से निपटने का तरीका:

इस प्रकार के संक्रामक रोगों / महामारियों से निपटने हेतु, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आने वाली पीढ़ियों की रक्षा करने में सक्षम एक अधिक सशक्त वैश्विक स्वास्थ्य संरचना का निर्माण करने के लिए “महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया हेतु एक नई अंतर्राष्ट्रीय संधि की दिशा में” एक साथ काम करना चाहिए।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

महामारियों और संक्रामक रोगों की सूचना के लिए WHO केंद्र (WHO Hub for Pandemic and Epidemic Intelligence), महामारियों और संक्रामक रोगों की सूचना देने, महत्वपूर्ण बहु-क्षेत्रीय डेटा तक साझा और नेटवर्क तक पहुंच बनाने, डेटा-विश्लेषण में नवाचार करने तथा दुनिया भर में स्वास्थ्य संबंधी खतरों के प्रति आगाह करने, भविष्यवाणी, रोकथाम आदि के लिए एक वैश्विक मंच होगा।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. लासा वायरस के बारे में।
  2. प्रसार
  3. संचरण
  4. लक्षण

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

PSLV -C52/ EOS-04 मिशन


संदर्भ:

हाल ही में इसरो (ISRO) द्वारा भू-प्रेक्षण उपग्रह ‘EOS-04’ तथा दो अन्य उपग्रहों (INSPIRE SAT-1 और INS-2TD) को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया है।

इन उपग्रहों को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के प्रथम प्रमोचन पैड से ‘ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक रॉकेट’ (PSLV- C52) को प्रक्षेपित किया गया है।

महत्व:

  • इसरो द्वारा वर्ष 2022 में किया जाना पहला प्रक्षेपण है।
  • अगस्त 2021 में GSLV F10 मिशन की विफलता के बाद इसरो का यह पहला मिशन था।
  • एस सोमनाथ की अध्यक्षता में अंतरिक्ष एजेंसी का यह पहला मिशन था।

कक्षा: तीनों उपग्रहों को 529 किमी की सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में सफलतापूर्वक अंतःक्षेपित किया गया है।

ईओएस-04 के बारे में:

EOS-04 एक रेडार प्रतिबिंबन / इमेजिंग (Imaging) उपग्रह है, जिसे कृषि, वानिकी एवं पौधारोपण, मृदा नमी एवं जल विज्ञान तथा बाढ़ मानचित्रण, जैसे अनुप्रयोगों के लिए सभी मौसम स्थितियों में उच्च गुणवत्ता युक्त प्रतिबिंबों को उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है।

उपग्रह का मिशन जीवन-काल 10 वर्ष है।

 

ऑप्टिकल उपकरणों की अपेक्षा रडार इमेजिंग के लाभ:

रडार इमेजिंग में मौसम, बादल, कोहरे अथवा सौर-प्रकाश की कमी आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह सभी परिस्थितियों में और हर समय उच्च-गुणवत्ता वाले चित्र प्रदान कर सकता है।

आईएनएस-2डीटी:

आईएनएस-2डीटी (INS-2DT) प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करने वाला एक उपग्रह है, जिसमें एक ‘थर्मल इमेजिंग कैमरा’ लगा हुआ है और यह वनस्पति मानचित्रण के अलावा भूमि और पानी की सतह के तापमान के आकलन में मदद करने में सक्षम है।

इंस्पायरसैट-1 उपग्रह:

इंस्पायरसैट-1 सॅटॅलाइट (InspireSat-1 satellite) में ‘आयनोस्फीयर गतिकी’ (Ionosphere Dynamics) और ‘सूर्य के कोरोना की उष्मन प्रक्रिया’ (Sun’s Coronal Heating Process) का अध्ययन करने के लिए दो उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।

PSLV और GSLV के मध्य अंतर:

वर्तमान में, भारत के पास दो प्रक्षेपण यान हैं:  ‘ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान’ / ’पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल’ (PSLV) और ‘भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रक्षेपण वाहन’ / जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV)।

  • PSLV को ‘पृथ्वी की निचली कक्षा में परिभ्रमण करने वाले उपग्रहों’ (low-Earth Orbit satellites) को ‘ध्रुवीय एवं सूर्य तुल्यकालिक कक्षाओं’ में प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया गया था। बाद में, इस राकेट ने, भू-तुल्यकालिक, चंद्र यानों और अंतर-ग्रहीय अंतरिक्ष यानों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके अपनी बहुमुखी उपयोग क्षमता साबित की है।
  • दूसरी ओर, ‘भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रक्षेपण वाहन’ (GSLV), को इन्सैट श्रेणी के ‘भारी उपग्रहों’ को भू-तुल्यकालिक कक्षाओं में लॉन्च करने के लिए विकसित किया गया था। अपने तीसरे और अंतिम चरण में, जीएसएलवी में स्वदेशी रूप से विकसित ऊपरी चरण के क्रायोजेनिक का उपयोग उपयोग करता है।

अंतरिक्ष में भारत के उपग्रहों की संख्या:

  • वर्तमान में भारत के 53 उपग्रह कार्यरत हैं, जिनमें से 21 भू-प्रेक्षण उपग्रह (Earth Observation Satellites) पृथ्वी अवलोकन वाले हैं और अन्य 21 उपग्रह संचार आधारित हैं।
  • EOS-4 लॉन्च PSLV रॉकेट की 54वीं उड़ान होगी, और इसके छह स्ट्रैप-ऑन बूस्टर वाले सबसे शक्तिशाली XL-संस्करण की 23वीं उड़ान है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप इसरो के बेंगलुरु में स्थित ‘टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क’ (ISTRAC) के बारे में जानते हैं है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. रडार इमेजिंग क्या है?
  2. भू-प्रेक्षण उपग्रह क्या हैं?
  3. जीएसएलवी और पीएसएलवी के बीच अंतर।
  4. EOS-04 के अनुप्रयोग
  5. पृथ्वी की निचली कक्षा और भूस्थिर कक्षाओं के बीच अंतर।

मेंस लिंक:

पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) दुनिया के सबसे विश्वसनीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों में से एक क्यों है? यह भारत को व्यावसायिक और तकनीकी रूप से कैसे मदद कर रहा है?

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

हेलियोस्वार्म और MUSE मिशन


संदर्भ:

हाल ही में, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सूर्य की गतिशीलता, सूर्य एवं पृथ्वी के मध्य संबंध, और लगातार बदलते अंतरिक्ष वातावरण को लेकर हमारी समझ बढ़ाने के लिए दो विज्ञान मिशनों- ‘मल्टी-स्लिट सोलर एक्सप्लोरर’ (Multi-slit Solar Explorer – MUSE) और ‘हेलियोस्वार्म’ (HelioSwarm)-  की घोषणा की है।

ये दोनों मिशन हमें ब्रह्मांड का प्रति गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करेंगे और अंतरिक्ष यात्रियों, उपग्रहों तथा GPS जैसे संचार संकेतों की सुरक्षा में मदद करने हेतु महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

 

MUSE के बारे में:

  • ‘मल्टी-स्लिट सोलर एक्सप्लोरर’ (MUSE) मिशन, वैज्ञानिकों को सूर्य के कोरोना को गर्म करने वाले कारकों और इसके बाहरी क्षेत्र में होने वाले विस्फोटों को समझने में मदद करेगा। ये विस्फोट अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • MUSE मिशन, सूर्य के अत्यधिक पराबैंगनी विकिरण का अवलोकन करने के लिए ‘मल्टी-स्लिट स्पेक्ट्रोमीटर’ के रूप में ज्ञात एक शक्तिशाली उपकरण का उपयोग करके सौर वातावरण की भौतिकी के बारे गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा तथा ‘सौर संक्रमण क्षेत्र’ और कोरोना की अब तक की उच्चतम रिज़ॉल्यूशन वाली छवियों को उपलब्ध कराएगा।

हेलियोस्वार्म:

हेलियोस्वार्म (HelioSwarm) मिशन, नौ अंतरिक्षयानों का एक समूह है, जो चुंबकीय क्षेत्र में उतार-चढ़ाव के पहले मल्टीस्केल इन-स्पेस मापन एवं सौर पवन अस्थिरता के रूप में ज्ञात ‘सोलर विंड’ की गति को समझने में मदद करेगा।

  1. सूर्य की सबसे बाहरी वायुमंडलीय परत, हेलियोस्फीयर (Heliosphere), सौर मंडल के एक विशाल क्षेत्र को घेरती है।
  2. सौर हवाएं हेलिओस्फीयर से होकर फैलती हैं, और ग्रहों के ‘मैग्नेटोस्फीयर’ के साथ इनकी अभिक्रिया तथा ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ जैसे व्यवधान इसके वायुमंडलीय विक्षोभ को प्रभावित करते हैं।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. रेडियो तरंगें क्या हैं?
  2. सूर्य की विभिन्न परतें?
  3. सोलर फ्लेयर्स क्या हैं?
  4. सनस्पॉट क्या हैं?

मेंस लिंक:

‘सौर हवाएं’ क्या हैं? चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।

जिओ प्लेटफ़ॉर्म पर सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं


संदर्भ:

जिओ (Jio) ने पूरे भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं देने के लिए लक्ज़मबर्ग स्थित SES के साथ एक संयुक्त उपक्रम हेतु समझौता किया है।

विवरण:

इस संयुक्त उपक्रम के तहत, संपूर्ण भारत और निकटवर्ती क्षेत्रों के उद्यमों, मोबाइल बैकहॉल और खुदरा ग्राहकों के लिए मल्टी-गीगाबिट लिंक और लंबाई में क्षमता प्रदान करने में सक्षम, भू-स्थैतिक विषुवतीय कक्षा (Geostationary Equatorial Orbit – GEO) तथा मध्यम भू कक्षा/ मीडियम अर्थ ऑर्बिट (Medium Earth Orbit – MEO) में स्थित सैटेलाइट समूह के ‘मल्टी-ऑर्बिट स्पेस नेटवर्क’ का उपयोग किया जाएगा।

यह उपक्रम स्टारलिंक या वनवेब से किस प्रकार भिन्न है?

एसईएस (SES) के उपग्रह मुख्यतः भू-स्थैतिक विषुवतीय कक्षा (GEO) तथा मध्यम भू कक्षा (MEO) में स्थित हैं, जबकि एलोन मस्क के नेतृत्व वाले स्टारलिंक (Starlink) और भारती समूह के वनवेब (OneWeb) के उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit LEO) में स्थित हैं।

  • जबकि GEO उपग्रह 36,000 किमी की ऊंचाई पर स्थित हैं, MEO और LEO क्रमशः 5,000-20,000 किमी और 500-1,200 किमी से कम ऊंचाई पर स्थित होते हैं।
  • उपग्रह की ऊंचाई, पृथ्वी के उस क्षेत्र के समानुपाती होती है जिसे वह कवर करता है। इसलिए, एक उपग्रह जितना अधिक ऊँचाई पर होता है, वह उतना ही बड़ा क्षेत्र कवर करता है।

GEO, MEO और LEO उपग्रहों के मध्य अंतर:

कवरेज:

  • भू-स्थैतिक विषुवतीय कक्षा (GEO) उपग्रह एक बड़ा कवरेज प्रदान करते हैं और इसलिए केवल तीन उपग्रह पूरी पृथ्वी को कवर कर सकते हैं।
  • जबकि, बड़े क्षेत्र में कवरेज प्रदान करने के लिए सैकड़ों ‘पृथ्वी की निचली कक्षा’ (LEO) उपग्रहों की आवश्यकता होती है।

लागत:

  • LEO उपग्रह छोटे होते हैं और GEO या MEO की तुलना में लॉन्च करने के लिए सस्ते होते हैं।
  • लेकिन, LEO आधारित उपग्रहों में जोखिम अधिक होता है, उदाहरण के लिए हाल ही में हुई ‘स्टारलिंक घटना’। हाल ही में, सौर लपटों के परिणामस्वरूप ‘स्पेसएक्स’ के उपग्रह कक्षा से बाहर गिर कर नष्ट हो गए थे।

 

LEO उपग्रहों की आलोचनाएँ:

  1. चूंकि, इन परियोजनाओं को अधिकांशतः निजी कंपनियों द्वारा संचालित किया जा रहा है, अतः शक्ति संतुलन, देशों से हटकर कंपनियों में स्थानांतरित हो गया है। इन निजी परियोजनाओं में कई राष्ट्रों की भागेदारी भी होती है, इसे देखते हुए इन कंपनियों को नियंत्रित करने से संबंधित सवाल उत्पन्न हो रहे हैं।
  2. जटिल नियामक ढांचा: इन कंपनियों में विभिन्न देशों के हितधारक शामिल होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक देश में इन सेवाओं के संचालन हेतु अपेक्षित लाइसेंस प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  3. प्राकृतिक उपग्रहों को कभी-कभी रात के समय आसमान में देखा जा सकता है, इन कृत्रिम उपग्रहों की वजह से खगोलविदों के लिए मुश्किलें हो सकती हैं।
  4. निचली कक्षा में भ्रमण करने वाले उपग्रह, अपने ऊपर परिक्रमा करने वाले उपग्रहों की आवृत्तियों को बाधित कर सकते हैं।
  5. बोलचाल की भाषा में ‘स्पेस जंक’ कहे जाने वाले पिंडों से अंतरिक्ष यानो को क्षति पहुंचने या अन्य उपग्रहों से टकराने की संभावना रहती है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

आप कितने प्रकार की अंतरिक्षीय कक्षाओं (Space Orbits) के बारे में जानते हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. LEO के बारे में।
  2. स्टारलिंक परियोजना
  3. LEO उपग्रह आधारित इंटरनेट के लाभ

मेंस लिंक:

उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाओं से जुड़ी चिंताओं पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

 मॉडिफाइड एलिफेंट – एक हैकिंग ग्रुप


(ModifiedElephant – a hacking group)

संदर्भ:

हाल ही में, एक अमेरिकी एजेंसी की खोज के अनुसार, ‘मॉडिफाइड एलीफेंट’ (ModifiedElephant) नाम के एक ‘हैकिंग ग्रुप’ द्वारा भारतीय पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार रक्षकों, शिक्षाविदों और वकीलों के निजी उपकरणों में कथित तौर पर फ़साने वाले सबूत प्लांट किए गए थे।

‘मॉडिफाइड एलीफेंट’ के बारे में:

मॉडिफाइड एलीफेंट ऑपरेटर, स्पीयरफिशिंग (Spearphishing) ईमेल के माध्यम से दुर्भावनापूर्ण फ़ाइल अटैचमेंट करके अपने लक्षित शिकार के निजी उपकरणों को संक्रमित करते हैं।

‘स्पीयरफ़िशिंग’ का तात्पर्य लक्षित व्यक्तियों को इस प्रकार की ईमेल भेजने से होता है, जोकि किसी विश्वसनीय स्रोत से भेजी गयी प्रतीत होती हैं। इस प्रकार की ईमेल किसी महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा करने वाली लगती है, या इनके कंप्यूटर सिस्टम पर विभिन्न प्रकार के मैलवेयर इंस्टाल कर देती हैं।

क्रियाविधि:

  • ईमेल के जरिए यह हैकिंग ग्रुप अपने टारगेट को मैलवेयर डिलीवर करता है।
  • ‘नेटवायर’ (NetWire) और ‘डार्ककॉमेट’ (DarkComet), सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दो रिमोट एक्सेस ट्रोजन (Remote Access Trojans RATs), मॉडिफाइड एलीफेंट द्वारा विकसित किए गए पहले प्रमुख मैलवेयर थे।
  • यह हैकिंग ग्रुप अपने शिकार व्यक्तियों को ‘एंड्राइड मैलवेयर’ भी भेजता है।

मैलवेयर, ट्रोजन, वायरस और वर्म में अंतर:

मैलवेयर (Malware), कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से अवांछित अवैध कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया सॉफ़्टवेयर होता है। इसे दुर्भावनापूर्ण इरादे वाले सॉफ़्टवेयर के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।

मैलवेयर को उनके निष्पादन, प्रसार और कार्यों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। इसके कुछ प्रकारों की चर्चा नीचे की गई है।

  1. वायरस (Virus): यह एक प्रोग्राम होता है, जो कंप्यूटर के अन्य प्रोग्रामों को, उनमे अपनी ही एक संभावित विकसित प्रतिलिपि शामिल करके, संशोधित और संक्रमित कर सकता है।
  2. वर्म्स (Worms): यह कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से प्रसारित होते हैं। यह, कंप्यूटर वर्म्स, वायरस के विपरीत, वैध फाइलों में घुसपैठ करने के बजाय एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में खुद को कॉपी करते हैं।
  3. ट्रोजन (Trojans): ट्रोजन या ट्रोजन हॉर्स एक ऐसा प्रोग्राम होते है, जो आमतौर पर किसी सिस्टम की सुरक्षा को बाधित करते है। ट्रोजन का उपयोग, सुरक्षित नेटवर्क से संबंधित कंप्यूटरों पर बैक-डोर बनाने के लिए किया जाता है ताकि हैकर सुरक्षित नेटवर्क तक अपनी पहुंच बना सके।
  4. होक्स (Hoax): यह एक ई-मेल के रूप में होता है, और उपयोगकर्ता को, उसके कंप्यूटर को नुकसान पहुचाने वाले किसी सिस्टम के बारे में चेतावनी देता है। इसके बाद, यह ई-मेल संदेश, उपयोगकर्ता को नुकसान पहुंचाने वाली सिस्टम को ठीक करने के लिए एक ‘प्रोग्राम’ (अक्सर डाउनलोड करने के लिए) चालू करने का निर्देश देता है। जैसे ही यह प्रोग्राम चालू या ‘रन’ किया जाता है, यह सिस्टम पर हमला कर देता है और महत्वपूर्ण फाइलों को मिटा देता है।
  5. स्पाइवेयर (Spyware): यह कंप्यूटर पर हमला करने वाले प्रोग्राम होते हैं, और, जैसा कि इसके नाम का तात्पर्य है, ये बिना सहमति के उपयोगकर्ता की गतिविधियों पर नज़र रखते है। ‘स्पाइवेयर’ आमतौर पर वास्तविक ई-मेल आईडी, गैर-संदेहास्पद ई-मेल के माध्यम से अग्रेषित किए जाते हैं। स्पाइवेयर, दुनिया भर में लाखों कंप्यूटरों को संक्रमित करते रहते हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने ‘गूगल  प्रोजेक्ट ज़ीरो’ के बारे में सुना है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. मॉडिफाइड एलीफेंट
  2. स्पीयरफिशिंग
  3. स्पाइवेयर के बारे में
  4. पेगासस के बारे में
  5. स्पाइवेयर, मैलवेयर और ट्रोजन के बीच अंतर

मेंस लिंक:

‘जीरो-क्लिक अटैक’ क्या है? इसके बारे में चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


वैश्विक पर्यावरण सुविधा

वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility GEF) की स्थापना 1992 के ‘रियो अर्थ समिट’ के दौरान की गई थी।

  • यह वाशिंगटन, डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है।
  • GEF का प्रबंधन संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
  • दुनिया भर में पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करने के लिए नागरिक समाज संगठनों (CSOs), अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, निजी क्षेत्र आदि के साथ साझेदारी में, ‘वैश्विक पर्यावरण सुविधा’ (GEF) में 183 राष्ट्र शामिल हैं।
  • यह विकासशील देशों और संक्रमण अर्थव्यवस्थाओं को जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, ओजोन परत आदि से संबंधित परियोजनाओं के लिए राशि प्रदान करता है।

एक स्वतंत्र रूप से संचालित वित्तीय संगठन के रूप में, ‘वैश्विक पर्यावरण सुविधा’ निम्नलिखित छह मुख्य क्षेत्रों को संबोधित करता है:

  1. जैव विविधता
  2. जलवायु परिवर्तन
  3. अंतर्राष्ट्रीय जल
  4. ओजोन रिक्तीकरण
  5. भूमि क्षरण
  6. दीर्घस्थायी कार्बनिक प्रदूषक (Persistent Organic Pollutants)

GEF निम्नलिखित अभिसमयों के लिए एक वित्तीय तंत्र के रूप में भी कार्य करता है:

  1. जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCBD)
  2. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC)
  3. मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCCD)
  4. दीर्घस्थायी जैविक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम अभिसमय (POPs)
  5. पारा (मरकरी) पर मिनामाता अभिसमय

यद्यपि ‘वैश्विक पर्यावरण सुविधा’, औपचारिक रूप से ‘ओजोन परत को समाप्त करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल’ से नहीं जुड़ी है, किंतु यह परिवर्तन-चरण से गुजरने वाली अर्थव्यवस्थाओं में इसके कार्यान्वयन का समर्थन करता है।

 

प्रशांत द्वीप समूह फोरम

पहले ‘साउथ पैसिफिक फोरम’ (1971-2000) के नाम से ज्ञात ‘पैसिफिक आइलैंड्स फोरम’ (Pacific Islands Forum) संगठन की स्थापना 1971 में दक्षिण प्रशांत महासागर के स्वतंत्र और स्वशासी राज्यों के सामने आने वाले आम मुद्दों और समस्याओं पर चर्चा करने हेतु सरकार के प्रमुखों के लिए एक समायोजन प्रदान करने के लिए की गई थी।

  • इसमें 18 सदस्य शामिल हैं: ऑस्ट्रेलिया, कुक आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, फिजी, फ्रेंच पोलिनेशिया, किरिबाती, नाउरू, न्यू कैलेडोनिया, न्यूजीलैंड, नीयू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, मार्शल आइलैंड्स गणराज्य, समोआ, सोलोमन आइलैंड्स, टोंगा , तुवालु, और वानुअतु।
  • 2000 में फोरम के नेताओं ने क्षेत्रीय राजनीतिक अस्थिरता की प्रतिक्रिया में ‘बिकेतावा घोषणा’ (Biketawa Declaration) को अपनाया था। इसके तहत, खुले, लोकतांत्रिक और स्वच्छ सरकार को बढ़ावा देने, और साथे ही साथ ही बिना किसी लिंग, जाति, रंग, पंथ, या राजनीतिक विश्वास की परवाह किए नागरिकों के लिए समान अधिकारों हेतु, सदस्यों के लिए ‘सिद्धांतों और कार्यों’ का एक ढांचा सामने रखा गया था।

 

वन ओशन समिट

हाल ही में, फ्राँस द्वारा संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के सहयोग से फ्राँस के ब्रेस्ट शहर में ‘वन ओशन समिट’ (One Ocean Summit) का आयोजन किया गया।

  • भारत ने भी इस आयोजन में भाग लिया।
  • ‘वन ओशन समिट’ का लक्ष्य समुद्री मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की महत्वाकांक्षा के सामूहिक स्तर को ऊपर उठाना है।

‘संयुक्त राष्ट्र’ द्वारा घटते समुद्री जीवन को बहाल करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए 2021 और 2030 के बीच के दशक को ‘सतत विकास के लिए महासागर विज्ञान का दशक’ के रूप में घोषित किया गया है।


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