[ad_1]
विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
1. राजनीतिक दलों को मान्यता देना / मान्यता समाप्त करना
2. आपराधिक न्याय प्रणाली सुधार
3. NATO द्वारा पूर्वी यूरोप में विमानों एवं जहाजों की तैनाती
4. चीन-ताइवान संबंध
सामान्य अध्ययन–III
1. फूड फोर्टिफिकेशन
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. कांग्रेस का G23
2. पाकिस्तान की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट जज
3. स्मृति मंधाना को आईसीसी महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर का खिताब
सामान्य अध्ययन-II
विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।
राजनीतिक दलों को मान्यता देना / मान्यता समाप्त करना
संदर्भ:
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट में एक दायर एक याचिका में, चुनाव से पहले ‘सार्वजनिक कोष’ से “तर्कहीन मुफ्त सुविधाओं अथवा वस्तुओं” का वादा करने या वितरित करने वाले राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह जब्त करने अथवा इनका पंजीकरण रद्द करने हेतु, भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) को निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका के कहा गया है, कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए इस प्रकार के लोकलुभावन उपाय, संविधान का उल्लंघन करते हैं अतः इन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, और निर्वाचन आयोग के लिए उपयुक्त निवारक उपाय करने चाहिए।
आवश्यकता:
- याचिका में अदालत से, चुनाव से पहले सार्वजनिक कोष से तर्कहीन मुफ्त सुविधाएँ अथवा वस्तुएं दिए जाने संबंधी वादों को मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करने वाला, समान अवसरों को बिगड़ने वाला तथा चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता को खराब करने वाला, घोषित करने का आग्रह किया गया है।
- इस प्रकार के अनैतिक कार्य, सत्ता में बने रहने के लिए सरकारी खजाने से मतदाताओं को रिश्वत देने के समान है और लोकतांत्रिक सिद्धांतों और पद्धतियों को संरक्षित करने के लिए इससे बचना चाहिए।
राजनीतिक दलों का पंजीकरण:
राजनीतिक दलों का पंजीकरण (Registration of political parties) ‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम’ (Representation of the People Act), 1951 की धारा 29A के प्रावधानों के अंतर्गत किया जाता है।
किसी राजनीतिक दल को पंजीकरण कराने हेतु अपनी स्थापना 30 दिनों के भीतर संबंधित धारा के तहत भारतीय निर्वाचन आयोग के समक्ष, निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार आवेदन प्रस्तुत करना होता है। इसके लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 और ‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम’, 1951 की धारा 29A द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग दिशा-निर्देश जारी करता है।
भारत के ‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ की मान्यता हेतु पात्रता:
- किसी राजनीतिक दल को ‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ (National Political Party) के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु किन्ही भी चार अथवा अधिक राज्यों में होने वाले आम चुनावों अथवा विधानसभा चुनावों में होने वाले कुल मतदान के न्यूनतम छह प्रतिशत वैध मतों को हासिल करना अनिवार्य होता है।
- इसके अलावा, इसके लिए किसी भी राज्य अथवा राज्यों से लोकसभा में न्यूनतम चार सीटों पर विजय प्राप्त करना चाहिए।
- राजनीतिक दल द्वारा, लोकसभा चुनावों में कुल लोकसभा सीटों की 2 प्रतिशत (543 सदस्य की वर्तमान संख्या में से 11 सदस्य) सीटों पर जीत हासिल की गयी हो तथा ये सदस्य कम-से-कम तीन अलग-अलग राज्यों से चुने गए हों।
‘राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के लिए पात्रता:
- किसी राजनीतिक दल को ‘राज्य राजनीतिक दल’ (State Political Party) के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु, राज्य में हुए लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में होने वाले मतदान के कुल वैध मतों का न्यूनतम छह प्रतिशत हासिल करना अनिवार्य है।
- इसके अलावा, इसके लिए संबंधित राज्य की विधान सभा में कम से कम दो सीटों पर जीत हासिल होनी चाहिए।
- राजनीतिक दल के लिए, राज्य की विधानसभा के लिये होने वाले चुनावों में कुल सीटों का 3 प्रतिशत अथवा 3 सीटें, जो भी अधिक हो, हासिल होनी चाहिए।
लाभ:
- ‘राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी पंजीकृत दल को, संबंधित राज्य में अपने उम्मीदवारों को दल के लिये सुरक्षित चुनाव चिन्ह आवंटित करने का विशेषाधिकार प्राप्त होता है।
- ‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी पंजीकृत दल को पूरे भारत में अपने उम्मीदवारों को दल के लिये सुरक्षित चुनाव चिन्ह आवंटित करने का विशेषाधिकार प्राप्त होता है।
- मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय या राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को नामांकन-पत्र दाखिल करते वक्त सिर्फ एक ही प्रस्तावक की ज़रूरत होती है। साथ ही, उन्हें मतदाता सूचियों में संशोधन के समय मतदाता सूचियों के दो सेट नि:शुल्क पाने का अधिकार भी होता है तथा आम चुनाव के दौरान इनके उम्मीदवारों के लिए मतदाता सूची का एक सेट नि:शुल्क प्रदान की जाती है।
- इनके लिए, आम चुनाव के दौरान उन्हें आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रसारण की सुविधा प्रदान की जाती है।
- मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए आम चुनाव के दौरान स्टार प्रचारकों (Star Campaigner) की यात्रा का खर्च उस उम्मीदवार या दल के खर्च में नहीं जोड़ा जाता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को प्रतीक चिन्हों का आवंटन किस प्रकार किया जाता हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- राजनीतिक दलों का पंजीकरण
- मान्यता प्राप्त बनाम गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल
- राज्य बनाम राष्ट्रीय दल
- मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए लाभ
- स्टार प्रचारक कौन होते है?
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324
- ‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम’, 1951 की धारा 29A
स्रोत: द हिंदू।
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
आपराधिक न्याय प्रणाली सुधार
संदर्भ:
हाल ही में, विशेषज्ञों द्वारा “त्वरित न्याय सुनिश्चित करने हेतु ‘आपराधिक न्याय प्रणाली’ (Criminal Justice System) में सुधारों की धीमी गति पर गंभीर चिंता व्यक्त की गयी”।
वर्तमान चिंताएं/चुनौतियां:
- मामलों के निपटारे में देरी होने की वजह से ‘विचाराधीन कैदियों’ और ‘दोषियों’ के मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है।
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुलिस सुधारों पर दिए गए निर्देशों के बावजूद, हकीकत में शायद ही कोई बदलाव हुआ हो।
- किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने संबंधी न्यायालय के आदेशों के क्रियान्वयन में भी वर्षों का समय लग जाता है।
सुझाए गए सुधार:
- प्रत्येक पुलिस थाने में मामलों की भीड़ को कम करने हेतु, भारतीय दंड संहिता के तहत कुछ अपराधों को विशेष कानून और फास्ट ट्रैक अदालतों में निपटाया जा सकता है।
- दस्तावेजों के डिजिटलीकरण किया जाना चाहिए, इस से जांच और सुनवाई में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
- नए अपराधों का निर्माण और अपराधों के मौजूदा वर्गीकरण के नवीनीकरण को आपराधिक न्यायशास्त्र के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए जोकि पिछले चार दशकों में काफी हद तक बदल चुके हैं।
- अपराधों का वर्गीकरण इस तरह से किया जाना चाहिए , जोकि भविष्य में अपराधों के प्रबंधन के अनुकूल रहे।
- एक ही प्रकृति के अपराधों के लिए अलग-अलग सजा की मात्रा और प्रकृति को तय करने में न्यायाधीशों के निर्णय, न्यायिक उदाहरणों के सिद्धांतों पर आधारित होने चाहिए।
भारत में आपराधिक कानून:
भारत में प्रचलित आपराधिक कानून का स्रोत कई कानूनों में निहित है – भारतीय दंड संहिता, 1860, नागरिक अधिकार अधिनियम, 1955, दहेज निषेध अधिनियम, 1961 तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989।
- आपराधिक न्याय प्रणाली, स्थापित कानूनों का उल्लंघन करने वालों पर दंड लगा सकती है।
- आपराधिक कानून और आपराधिक प्रक्रिया संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची में सम्मिलित हैं।
- लॉर्ड थॉमस बबिंगटन मैकाले (Lord Thomas Babington Macaulay) को भारत में आपराधिक कानूनों के संहिताकरण का मुख्य वास्तुकार कहा जाता है।
सुधारों की आवश्यकता:
- औपनिवेशिक युग के कानून।
- प्रभावहीनता।
- अनिर्णीत मामलों की भार संख्या।
- वृहद अभियोगाधीन मामले।
आपराधिक कानून में सुधार हेतु समिति:
- गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा आपराधिक कानून में सुधार करने हेतु एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया है।
- इस समिति के अध्यक्ष रणबीर सिंह (कुलपति,नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली) हैं।
- यह समिति, सरकार को दी जाने वाली रिपोर्ट के लिए, विशेषज्ञों से ऑनलाइन परामर्श करके विचार एकत्र करेगी और उपलब्ध सामग्री का मिलान करेगी।
आपराधिक कानूनों से संबंधित पिछली समितियाँ:
- माधव मेनन समिति: इसने 2007 में CJSI में सुधारों पर विभिन्न सिफारिशों का सुझाव देते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- मलिमथ कमेटी की रिपोर्ट: इसने अपनी रिपोर्ट 2003 में आपराधिक न्याय प्रणाली (CJSI) पर प्रस्तुत की।
इंस्टा जिज्ञासु:
पुलिस सुधारों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2006 में दिए गए फैसले के बारे में यहां पढ़ें।
प्रीलिम्स लिंक:
- मलिमथ कमेटी किससे संबंधित है?
- संविधान की 7 वीं अनुसूची के तहत आपराधिक कानून।
- भारत में आपराधिक कानूनों को किसने संहिताबद्ध किया?
- विवादास्पद IPC कानून।
- रणबीर सिंह समिति किससे संबंधित है?
मेंस लिंक:
भारत में आपराधिक न्याय सुधार पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
NATO द्वारा पूर्वी यूरोप में विमानों एवं जहाजों की तैनाती
संदर्भ:
यूक्रेन की सीमा पर रूस द्वारा की जा रही सैन्य-तैनाती से बढ़ते तनाव के बीच NATO के सहयोगी राष्ट्रों ने अपनी सेनाओं को तैयार रहने का निर्देश दे दिया है और यूरोप की पूर्वी सीमा की सुरक्षा को मजबूत करने हेतु जहाजों और लड़ाकू विमानों को भेजा है।
संबंधित विवाद:
पूर्ववर्ती सोवियत संघ के भाग रह चुके ‘यूक्रेन’ और ‘रूस’, दोनों देशों के मध्य तनाव की स्थिति, वर्ष 2013 के अंत में ‘यूरोपीय संघ के साथ एक ऐतिहासिक राजनीतिक और व्यापार समझौते’ को लेकर बढ़ गई। ‘यूक्रेन’ के रूस-समर्थक तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच द्वारा समझौता वार्ता स्थगित कर दिए जाने के पश्चात, राजधानी कीव में हफ़्तों तक विरोध प्रदर्शन हुए जो बाद में हिंसा में बदल गए।
- फिर, मार्च 2014 में, रूस ने अपने हितों और रूसी भाषी नागरिकों की सुरक्षा का बहाना करते हुए, दक्षिणी यूक्रेन में अपने ताकतवर वफादारों की सहायता से, एक स्वायत्त प्रायद्वीप ‘क्रीमिया’ पर कब्जा कर लिया।
- इसके तुरंत बाद, यूक्रेन के ‘डोनेट्स्क’ और ‘लुहान्स्क’ क्षेत्रों में रूसी समर्थक अलगाववादियों ने ‘कीव’ से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी, जिसके पश्चात महीनों तक भारी लड़ाई जारी रही। वर्ष 2015 में, फ्रांस और जर्मनी की मध्यस्थता में ‘मिंस्क’ में ‘कीव’ और ‘मॉस्को’ के मध्य शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, इसके बावजूद ‘यूक्रेन’ और ‘रूस’ के बीच बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन होता रहा है।
नवीनतम घटनाक्रम:
- संयुक्त राज्य अमेरिका, नाटो और यूक्रेन के अधिकारियों द्वारा, यूक्रेन (Ukraine) की सीमा के नजदीक रूस की असामान्य सैन्य गतिविधियों को लेकर लगभग दो सप्ताह से बयान दिए जा रहे हैं।
- रूस द्वारा ‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ (North Atlantic Treaty Organization – NATO) की सदस्यता के आकांक्षी यूक्रेन के साथ लगी अपनी सीमा पर 1,00,000 से अधिक सैनिकों को तैनात कर दिया गया है।
संबंधित प्रकरण एवं रूस की मांगें:
- रूस का कहना है, यदि NATO द्वारा मई 1997 के बाद गठबंधन में शामिल हुए यूरोप के सभी देशों से अपनी सेना वापस बुला ली जाती है, तो वह भी सैन्य-वृद्धि को कम कर देगा।
- इसका प्रभावी अर्थ यह होगा कि, NATO, रूस की सीमा से लगे किसी भी बाल्टिक देश (लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया), पोलैंड, हंगरी और चेक गणराज्य जैसे मध्य यूरोपीय देशों, और क्रोएशिया और स्लोवेनिया जैसे बाल्कन देशों में अपनी कार्रवाई नहीं कर सकता है।
- रूस यह भी चाहता है, कि NATO अपने गठबंधन में किसी और ‘विस्तार’ की योजना का विचार त्याग दे, अर्थात यूक्रेन और जॉर्जिया को अपने सदस्य के रूप में शामिल नहीं करे। रूस की एक अन्य मांग यह है, कि NATO द्वारा रूस की पूर्व स्वीकृति के बिना पूर्वी यूरोप, यूक्रेन और जॉर्जिया में युद्धाभ्यास नहीं किए जाएँ।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान दिए जाने की जरूरत:
देश के पूर्वी भाग में ‘कीव’ और रूस समर्थक विद्रोहियों के बीच जारी लड़ाई में चौदह हजार लोग मारे गए हैं। ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय’ की अक्टूबर 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, मारे गए लोगों में 3,393 सामान्य नागरिक थे।
‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ (NATO):
(North Atlantic Treaty Organization)
- यह एक ‘अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन’ है।
- ‘वाशिंगटन संधि’ द्वारा स्थापित किया गया था।
- इस संधि पर 4 अप्रैल 1949 को हस्ताक्षर किए गए थे।
- मुख्यालय – ब्रुसेल्स, बेल्जियम।
- एलाइड कमांड ऑपरेशंस मुख्यालय’ – मॉन्स (Mons), बेल्जियम।
संरचना:
- NATO की स्थापना के बाद से, गठबंधन में नए सदस्य देश शामिल होते रहें है। शुरुआत में, नाटो गठबंधन में 12 राष्ट्र शामिल थे, बाद में इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 30 हो चुकी है। नाटो गठबंधन में शामिल होने वाला सबसे अंतिम देश ‘उत्तरी मकदूनिया’ था, उसे 27 मार्च 2020 को शामिल किया गया था।
- नाटो (NATO) की सदस्यता, ‘इस संधि के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने और उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान करने में योगदान करने में सक्षम किसी भी ‘यूरोपीय राष्ट्र’ के लिए खुली है’।
मिंस्क समझौता (Minsk Agreements):
पहला मिंस्क समझौता (Minsk I): यूक्रेन और रूसी समर्थित अलगाववादियों ने सितंबर 2014 में बेलारूस की राजधानी मिंस्क में 12-सूत्रीय संघर्ष विराम समझौते पर सहमति व्यक्त की।
- इसके प्रावधानों में कैदियों का आदान-प्रदान, मानवीय सहायता का वितरण और भारी हथियारों को तैनाती से हटाया जाना शामिल थे।
- दोनों पक्षों द्वारा उल्लंघन किए जाने से यह समझौता शीघ्र ही टूट गया।
दूसरा मिंस्क समझौता (Minsk II):
- वर्ष 2015 में, फ्रांस और जर्मनी की मध्यस्थता के तहत, ‘दूसरे मिंस्क शांति समझौते’ पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद एक खुला संघर्ष टल गया था।
- इस समझौते को विद्रोही क्षेत्रों में लड़ाई समाप्त करने और सीमा को यूक्रेन के राष्ट्रीय सैनिकों को सौंपने के लिए तैयार किया गया था।
इंस्टा जिज्ञासु:
जर्मनी ने रूस को चेतावनी दी है, कि अगर यूक्रेन पर आक्रमण किया गया तो नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन (Nord Stream pipeline) को रोक दिया जाएगा। नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन कहाँ है?
प्रीलिम्स लिंक:
- नाटो- स्थापना एवं मुख्यालय
- नाटो ‘एलाइड कमांड ऑपरेशन’ क्या है?
- ‘नाटो’ का सदस्य बनने हेतु शर्ते?
- वाशिंगटन संधि का अवलोकन।
- ‘उत्तरी अटलांटिक महासागर’ के आसपास के देश।
- नाटो में शामिल होने वाला अंतिम सदस्य।
मेंस लिंक:
नाटो के उद्देश्यों और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
चीन-ताइवान संबंध
(China- Taiwan relations)
संदर्भ:
चीन ने हाल ही में अपने 39 युद्धक विमानों को ताइवान की ओर उड़ान पर भेजा गया। पुराने पैटर्न को जारी रखते हुए, चीन ने नए साल में इस तरह का पहला सैन्य धावा किया था। इसके जबाव में द्वीपीय देश ताइवान ने अपने जेट विमानों को भेजा था।
इन कार्रवाईयों के पीछे मुख्य कारण:
- ताइवान द्वारा चीन को नाराज किए जाने वाले किसी काम पर, अथवा ‘लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान द्वीप के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन, विशेष रूप से ‘संयुक्त राज्य अमेरिका’ द्वारा समर्थन दिखाए जाने पर चीन, नाराजगी व्यक्त करने के लिए, अक्सर इस प्रकार की कार्रवाइयां करता रहता है। विदित हो कि, अमेरिका, ताइवान के लिए हथियारों की आपूर्ति करने वाला प्रमुख देश है।
- चीन अपनी इन कार्रवाइयों को देश की संप्रभुता की रक्षा करने और ‘ताइपे’ और वाशिंगटन के बीच “मिलीभगत” से निपटने के लिए आवश्यक बताता है।
ताइवान की सरकार द्वारा नियमित रूप से डेटा प्रकाशित करना शुरू किए जाने के बाद से, चीनी पायलट पिछले डेढ़ साल में लगभग हर रोज ताइवान की ओर उड़ान भरते हैं। पिछले अक्टूबर में, एक ही दिन में चीन के 56 युद्धक विमानों ने सबसे बड़ी सैन्य धावा किया था।
संबंधित विवाद:
चीन द्वारा ताइवान पर सैन्य दबाव लगातार बढ़ाया जा रहा है, जिसके तहत चीन, इस लोकतांत्रिक ताइवान के समीप चीनी युद्धक विमानों के अभियान चला रहा है। बीजिंग, ताइवान अपना दावा करता है और इस पर बलपूर्वक कब्ज़ा करने से इसे कोई गुरेज नहीं है।
नवीनतम घटनाक्रम:
- यूरोपीय संसद द्वारा ताइवान के लिए गठित पहले आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल ने ‘ताइवान’ का समर्थन करते हुए कहा है कि राजनयिक रूप से अलग-थलग किया गया यह द्वीपीय देश अकेला नहीं है।
- ताइपे पर बीजिंग के बढ़ते दबाव के मद्देनजर ‘यूरोपीय संसद के प्रतिनिधिमंडल’ ने यूरोपीय संघ-ताइवान संबंधों को मजबूत करने हेतु सुस्पष्ट एवं साहसिक कार्रवाइयों की मांग की है।
- वर्तमान में, ताइवान के ‘वेटिकन सिटी’ को छोड़कर किसी भी यूरोपीय राष्ट्र के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं। अब ताइवान, यूरोपीय संघ के सदस्यों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ करने का इच्छुक है।
चीन- ताइवान संबंध: पृष्ठभूमि
चीन, अपनी ‘वन चाइना’ (One China) नीति के जरिए ताइवान पर अपना दावा करता है। सन् 1949 में चीन में दो दशक तक चले गृहयुद्ध के अंत में जब ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ के संस्थापक माओत्से तुंग ने पूरे चीन पर अपना अधिकार जमा लिया तो विरोधी राष्ट्रवादी पार्टी के नेता और समर्थक ताइवान द्वीप पर भाग गए। इसके बाद से ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ ने ताइवान को बीजिंग के अधीन लाने, जरूरत पड़ने पर बल-प्रयोग करने का भी प्रण लिया हुआ है।
- चीन, ताइवान का शीर्ष व्यापार भागीदार है। वर्ष 2018 के दौरान दोनों देशों के मध्य 226 बिलियन डॉलर के कुल व्यापार हुआ था।
- हालांकि, ताइवान एक स्वशासित देश है और वास्तविक रूप से स्वतंत्र है, लेकिन इसने कभी भी औपचारिक रूप से चीन से स्वतंत्रता की घोषणा नहीं की है।
- “एक देश, दो प्रणाली” (one country, two systems) सूत्र के तहत, ताइवान, अपने मामलों को खुद संचालित करता है; हांगकांग में इसी प्रकार की समान व्यवस्था का उपयोग किया जाता है।
वर्तमान में, चीन, ताइवान पर अपना दावा करता है, और इसे एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले देशों के साथ राजनयिक संबंध नहीं रखने की बात करता है।
भारत-ताइवान संबंध:
- यद्यपि भारत-ताइवान के मध्य औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, फिर भी ताइवान और भारत विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग कर रहे हैं।
- भारत ने वर्ष 2010 से चीन की ‘वन चाइना’ नीति का समर्थन करने से इनकार कर दिया है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि चीन की आपत्तियों के कारण ताइवान आज तक WHO का सदस्य नहीं बन सका है? इस विषय के बारे में और जानने हेतु पढ़ें।
प्रीलिम्स लिंक:
- ताइवान की अवस्थिति और इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि।
- वन चाइना नीति के तहत चीन द्वारा प्रशासित क्षेत्र।
- क्या ताइवान का WHO और संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व किया गया है?
- दक्षिण चीन सागर में स्थित देश।
- कुइंग राजवंश (Qing dynasty)।
मेंस लिंक:
भारत- ताइवान द्विपक्षीय संबंधों पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन-III
विषय: भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, स्थान, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।
फूड फोर्टिफिकेशन
संदर्भ:
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के ‘फूड फोर्टिफिकेशन रिसोर्स सेंटर’ (FFRC) द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, भारत की 70% से अधिक आबादी, प्रतिदिन के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों की निर्धारित मात्रा का आधे से भी कम मात्रा का उपभोग करती है।
इस प्रकार की कमियां न केवल ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और बच्चों में पाई जाती हैं, बल्कि शहरी भारत में जनसंख्या समूहों को भी प्रभावित करती हैं।
पोषण की कमी को दूर करने की कुंजी:
- आबादी के एक वर्ग के पास पौष्टिक भोजन तक सीमित पहुंच को देखते हुए, पोषण की कमी को दूर करने के लिए ‘संवर्धन’ / ‘फोर्टिफिकेशन’ (Fortification) काफी महत्वपूर्ण है।
- देश में रक्ताल्पता (Anaemia) और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का सीधा समाधान करने के लिए, केंद्र सरकार द्वार हाल ही में “सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल का संवर्धन और इसका वितरण” (Fortification of Rice & its Distribution under Public Distribution System) पर एक पायलट योजना को मंजूरी दी है।
- आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों के सहयोग से केंद्र सरकार की ‘खाद्य-संवर्धन’ / ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ पहल पहले से ही शुरू हो चुकी है और इसके तहत ‘पायलट कार्यक्रम’ के तहत फोर्टिफाइड चावल का वितरण शुरू किया जा रहा है।
- प्रमुख खाद्य पदार्थों और मसालों का मुख्य सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ ‘सवर्धन’ करना, पोषक तत्वों की कमियों को दूर करने का एक प्रभावी तरीका है।
- सामाजिक और पोषण सुरक्षा कार्यक्रमों में फूड फोर्टिफिकेशन / खाद्य संवर्धन को ‘फोर्टीफिकेशन पहल’ के एक भाग के रूप में, समय पर अपनाना भारत में अल्पपोषण की समस्या के समाधान में में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
‘चावल संवर्धन’ (Rice fortification) की आवश्यकता:
- चूंकि, देश में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण का स्तर काफी अधिक है, इसे देखते हुए यह घोषणा काफी महत्वपूर्ण है।
- खाद्य मंत्रालय के अनुसार, देश में हर दूसरी महिला रक्ताल्पता से पीड़ित (anaemic) है और हर तीसरा बच्चा अविकसित या नाटेपन का शिकार है।
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI), भारत, 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर है और इसे भुखमरी से संबंधित ‘गंभीर श्रेणी’ में रखा गया है।
- गरीब महिलाओं और गरीब बच्चों में कुपोषण और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, उनके विकास में बड़ी बाधा है।
‘खाद्य-संवर्धन’ / ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ क्या होता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के द्वारा, किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने हेतु उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अर्थात् विटामिन और खनिज तत्वों की मात्रा में वृद्धि की जाती है।
देश में खाद्य पदार्थों के लिए मानकों का निर्धारण करने वाली संस्था ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण’ (Food Safety and Standards Authority of India – FSSAI) के अनुसार, ‘खाद्य-संवर्धन’ (Food Fortification), ‘किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने के लिए उसमे सावधानी से आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों अर्थात् विटामिन और खनिज तत्वों, की मात्रा में वृद्धि करने की प्रकिया होती है।
- इसका उद्देश्य आपूर्ति किए जाने वाले खाद्यान्न की पोषण गुणवत्ता में सुधार करना तथा न्यूनतम जोखिम के साथ उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना है।
- यह आहार में सुधार और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का निवारण करने हेतु एक सिद्ध, सुरक्षित और लागत प्रभावी रणनीति है।
संवर्धित चावल:
(Fortified rice)
खाद्य मंत्रालय के अनुसार, आहार में विटामिन और खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिए चावल का संवर्धन (fortification) किया जाना एक लागत प्रभावी और पूरक रणनीति है।
- FSSAI द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार, 1 किलो संवर्धित चावल में आयरन (28 mg-42.5 mg), फोलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम) और विटामिन B-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम) होगा।
- इसके अलावा, चावल को सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ, एकल या संयोजन में, जस्ता (10 मिलीग्राम -15 मिलीग्राम), विटामिन A (500-750 माइक्रोग्राम आरई), विटामिन बी-1 (1 मिलीग्राम-5 मिलीग्राम), विटामिन बी-2 (1.25 mg-1.75 mg), विटामिन B3 (12.5 mg-20 mg) और विटामिन B6 (1.5 mg-2.5 mg) प्रति किग्रा के साथ भी संवर्धित किया जाएगा।
‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के लाभ:
चूंकि, ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ के तहत व्यापक रूप से सेवन किए जाने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की वृद्धि की जाती है, अतः आबादी के एक बड़े भाग के स्वास्थ्य में सुधार करने हेतु यह एक उत्कृष्ट तरीका है।
- ‘फोर्टिफिकेशन’ व्यक्तियों के पोषण में सुधार करने का एक सुरक्षित तरीका है और भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों को मिलाए जाने से लोगों के स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं होता है।
- इस पद्धति में लोगों की खान-पान की आदतों और पैटर्न में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है, और यह लोगों तक पोषक तत्व पहुंचाने का सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य तरीका है।
- ‘फूड फोर्टिफिकेशन’ से भोजन की विशेषताओं-स्वाद, अनुभव, स्वरूप में कोई बदलाव नहीं होता है।
- इसे जल्दी से लागू किया जा सकता है और साथ ही अपेक्षाकृत कम समय में स्वास्थ्य में सुधार के परिणाम भी दिखा सकते हैं।
- यदि मौजूदा तकनीक और वितरण प्लेटफॉर्म का लाभ उठाया जाता है तो यह काफी लागत प्रभावी विधि साबित हो सकती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
जैव संवर्धन (Biofortification) क्या होता है? यह ‘फोर्टिफिकेशन’ से किस प्रकार भिन्न होता है?
प्रीलिम्स लिंक:
- जैव फोर्टिफिकेशन बनाम आनुवंशिक परिवर्तन
- सूक्ष्म पोषक बनाम वृहद पोषक तत्व
- भारत में जैव उर्वरक और जीएम फसलों के लिए स्वीकृति
- भारत में अनुमति प्राप्त जीएम फसलें
मेंस लिंक:
किसी खाद्यान्न को पोषणयुक्त बनाने से आप क्या समझते हैं? इसके फायदों के बारे में चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
कांग्रेस का G23
- यह कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं का एक समूह है, जो चुनावों में लगातार विफलताओं के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी में एक संगठनात्मक बदलाव की मांग कर रहा है।
- इसमें गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी आदि जैसे महत्वपूर्ण नेता शामिल हैं। उनमें से कई केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख रहे हैं।
सुधार की मांग:
कांग्रेस पार्टी का चुनावी पतन 2014 के लोकसभा चुनावों में हार के साथ शुरू हुआ था। कुछ राज्यों को छोड़कर, पूरे देश में इस पुरानी पार्टी का जनाधार कमजोर पड़ने लगा, जिसे देखते हुए कांग्रेस में आंतरिक तौर पर सुधारने की आवश्यकता के बारे में फुसफुसाहट शुरू हो गई।
पाकिस्तान की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट जज
हाल ही में, पाकिस्तान की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट जज ने राजधानी इस्लामाबाद में शपथ ग्रहण की है।
- 55 वर्षीय आयशा मलिक अब मुस्लिम बहुल देश की शीर्ष अदालत में 16 अन्य पुरुष सहयोगियों के साथ कार्य करेंगी।
- वकीलों और कार्यकर्ताओं ने इसे पाकिस्तान के पुरुष-प्रधान समाज में महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व के लिए दशकों के संघर्ष के बाद एक दुर्लभ जीत बताया है।
- ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, अब तक, यह एकमात्र दक्षिण एशियाई देश था जहां कभी भी सर्वोच्च न्यायालय की महिला न्यायाधीश नहीं रही। इसके अलावा, पाकिस्तान के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में से केवल 4% महिलाएं हैं।
स्मृति मंधाना को आईसीसी महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर का खिताब
- भारत की तेजतर्रार सलामी बल्लेबाज स्मृति मंधाना को 2021 में सभी प्रारूपों में उनके शानदार रनों के लिए ICC महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर नामित किया गया है।
- इसके अलावा, मंधाना को इंग्लैंड के टैमी ब्यूमोंट, दक्षिण अफ्रीका के लिज़ेल ली और आयरलैंड के गेबी लुईस के साथ ‘राचेल हेहो फ्लिंट ट्रॉफी पुरस्कार’ (Rachael Heyhoe Flint Trophy) के लिए भी चुना गया है।
Join our Official Telegram Channel HERE for Motivation and Fast Updates
Subscribe to our YouTube Channel HERE to watch Motivational and New analysis videos
[ad_2]