[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 24 January 2022 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-I

1. सुभाष चंद्र बोस

 

सामान्य अध्ययनII

1. अवमानना कार्यवाही हेतु महान्यायवादी की सहमति

2. जिला सुशासन सूचकांक

3. ‘पैंगोंग त्सो’ झील पर चीन के निर्माणाधीन पुल का सामरिक महत्व

 

सामान्य अध्ययनIII

1. बाघ संरक्षण पर चौथा एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन

2. सरस्वती नदी का पुनरुद्धार

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. ककड़ी और खीरे का सबसे बड़ा निर्यातक

2. अबाइड विद मी

3. जीवित जड़ों से निर्मित पुल

4. बेसल स्टेम रोट से जुड़ी कवक की दो प्रजातियां

5. केरल की पहली वैज्ञानिक पक्षी एटलस

 


सामान्य अध्ययन-I


 

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।

सुभाष चंद्र बोस


संदर्भ:

हाल ही में, सरकार द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में और साल भर चलने वाले समारोह के एक भाग के रूप में इंडिया गेट पर उनकी एक भव्य प्रतिमा स्थापित की गयी है।

‘सुभाष चंद्र बोस’ के बारे में:

  • सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का जन्म 23 जनवरी 1897 को तत्कालीन बंगाल प्रांत, की उड़ीसा डिवीजन के कटक शहर में हुआ था।
  • उनका जन्मदिन 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
  • सुभाष चंद्र बोस, दो बार हरिपुर अधिवेशन 1938 तथा त्रिपुरी अधिवेशन 1939 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे।
  • उन्होंने 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और बंगाल में कांग्रेस के भीतर ‘अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक’ का गठन किया।
  • वर्ष 1919 में, उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (ICS) परीक्षा उत्तीर्ण की थी, हालांकि बाद में बोस ने इस नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
  • वे विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे।
  • चित्तरंजन दास उनके राजनीतिक गुरु थे।

आजाद हिंद सरकार:

  • वर्ष 1943 में बोस के पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पहुचने पर जापान ने ‘आजाद हिंद सरकार’ उन्हें सौंप दी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इन द्वीपों पर जापान ने कब्जा कर लिया था।
  • वर्ष 1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जापानी कब्जे वाले सिंगापुर में आज़ाद हिंद की अस्थायी सरकार के गठन की घोषणा की थी।
  • ‘आर्जी हुकुमत-ए-आज़ाद हिंद’ के (Arzi Hukumat-e-Azad Hind) रूप में जानी जाने वाले इस सरकार का धुरी राष्ट्रों; इम्पीरियल जापान, नाजी जर्मनी, इटालियन सोशल रिपब्लिक और उनके सहयोगियों द्वारा शक्तियों द्वारा समर्थन किया गया था।
  • उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के उत्तरार्ध-काल में एक अनंतिम निर्वासित-सरकार के बैनर तले भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए संघर्ष शुरू किया।

आजाद हिंद सरकार की संरचना:

  • सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित अनंतिम आजाद हिंद सरकार में, विदेशों में रहने वाले भारतीय शामिल हो गए थे। मलय (वर्तमान मलेशिया) और बर्मा (अब म्यांमार) में भारतीय प्रवासी आबादी से पूर्व कैदियों और हजारों नागरिक स्वयंसेवक ‘आजाद हिंद फ़ौज’ में शामिल हो गए।
  • अस्थाई सरकार के अंतर्गत, सुभाष चन्द्र बोस ने राज्य के प्रमुख, प्रधान मंत्री और युद्ध और विदेशी मामलों के मंत्री का कार्यभार संभाला था।
  • कैप्टन लक्ष्मी सहगल ने महिलाओं के संगठन का नेतृत्व किया और एस ए अय्यर ने प्रचार तथा प्रसार का दायित्व संभाला।
  • क्रांतिकारी नेता रासबिहारी बोस को सरकार के सर्वोच्च सलाहकार के रूप में नामित किया गया था।

सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार:

आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में देश में व्यक्तिगत स्तर पर तथा संगठनों के अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को पहचान देने और उन्हें सम्मानित करने के लिए, भारत सरकार द्वारा सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के नाम से वार्षिक पुरस्कार स्थापित किया गया है।

  • इस पुरस्कार की घोषणा हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है।
  • पुरस्कार के रूप में संस्थान को 51 लाख रुपये नकद तथा एक प्रमाण पत्र एवं व्यक्तिगत स्तर पर 5 लाख रुपये नकद तथा एक प्रमाण पत्र प्रदान किये जाते हैं।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. बोस और आजाद हिन्द फ़ौज।
  2. बोस और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस।
  3. आजाद हिंद सरकार का गठन।
  4. आजाद हिंद सरकार में विभिन्न विभागों का वितरण।

मेंस लिंक:

आज़ाद हिंद सरकार पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: पीआईबी।

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

अवमानना कार्यवाही हेतु महान्यायवादी की सहमति


विषय:

हाल ही में, भारत के महान्यायवादी ‘के के वेणुगोपाल’ ने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर ‘धर्म संसद’ के नेता यति नरसिंहानंद के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति प्रदान कर दी है।

सहमति की आवश्यकता:

अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 के अनुसार, शीर्ष अदालत के समक्ष आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही को शुरू करने के लिए भारत के महान्यायवादी अथवा सॉलिसिटर जनरल की अनुमति लेना एक आनिवार्य शर्त है।

अदालत की अवमानना’ से संबंधित कानून:

अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 (Contempt of Courts Act, 1971) में सिविल अवमानना तथा आपराधिक अवमानना को परिभाषित किया गया है, तथा अवमानना ​​के मामले में दोषियों को दण्डित करने हेतु अदालत की शक्तियाँ एवं प्रक्रिया निर्धारित की गयी है।

  • अदालत की अवमानना का अर्थ, अदालत की गरिमा, न्याय और इसके प्राधिकार का विरोध अथवा अवज्ञा करने वाले व्यवहार से किसी न्यायालय तथा इसके अधिकारियों की अवहेलना करना तथा उसके अधिकारों के प्रति अनादर प्रदर्शित करना है।

अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने हेतु महान्यायवादी (अटार्नी जनरल) की सहमति की आवश्यकता:

किसी शिकायत को संज्ञान में लेने से पहले, अटॉर्नी जनरल की सहमति आवश्यक किए जाने का उद्देश्य अदालत का समय बचाना है।

  • अवमानना कार्यवाही शुरू करने हेतु, अदालत पहला मंच होती है, यदि सार-हीन याचिकाएं दायर की जाती हैं, तो अदालतों का कीमती समय बर्बाद होता है।
  • अटार्नी जनरल सहमति का उद्देश्य सार-हीन याचिकाओं पर रोक लगाना है। ऐसा माना जाता है, कि अदालत के अधिकारी के रूप में, अटार्नी जनरल स्वतंत्र रूप शिकायतों की वैधता संबंधी जांच करेगा।

किन परिस्थितियों में अटार्नी जनरल की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है?

  • जब कोई प्राइवेट सिटीजन, किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ अदालत की अवमानना कार्यवाही शुरू करना चाहता है, तो इसके लिए अटार्नी जनरल की सहमति अनिवार्य होती है।
  • हालाँकि, जब अदालत द्वारा स्वयं ही अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की जाती है, तो अटार्नी जनरल की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है।
  • ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भारतीय संविधान में अदालत को अवमानना कार्यवाही शुरू करने शक्ति प्रदान की गयी है, और अदालत अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अटार्नी जनरल की सहमति पर निर्भर नहीं है।

अटार्नी जनरल द्वारा सहमति देने से मना करने की स्थिति में:

  • यदि अटार्नी जनरल सहमति देने से इनकार करता है, तो मामला इसके साथ ही खत्म हो जाता है।
  • हालांकि, शिकायतकर्ता, इस मामले को अलग से अदालत के संज्ञान में ला सकता है और अदालत से इस मामले पर संज्ञान लेने का आग्रह कर सकता है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 129 और 215 में क्रमशः सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय को न्यायालय की अवमानना ​​के लिए दोषी व्यक्तियों को दंडित करने की शक्ति प्रदान की गयी है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

सिविल अवमानना’ का मतलब किसी भी अदालत के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करना है। यह आपराधिक अवमानना से किस प्रकार भिन्न है?  इस विषय की जानकारी के लिए पढ़िए।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अवमानना के संदर्भ में उच्चत्तम न्यायालय तथा उच्च न्यायलय की शक्तियां
  2. इस संबंध में संवैधानिक प्रावधान।
  3. न्यायलय की अवमानना (संशोधन) अधिनियम, 2006 द्वारा किये गए परिवर्तन
  4. सिविल बनाम आपराधिक अवमानना
  5. अनुच्छेद 19 के तहत अधिकार
  6. अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 10 किससे संबंधित है?

मेंस लिंक:

भारत में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अवमानना मामलों को किस प्रकार हल किया जाता है? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय।

जिला सुशासन सूचकांक


(District Good Governance Index)

संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू और कश्मीर में ‘जिला सुशासन सूचकांक’ (District Good Governance Index – DGGI) जारी किया गया।

जम्मू और कश्मीर, इस तरह का सूचकांक जारी करने वाला भारत का पहला केंद्र शासित प्रदेश है।

‘जिला सुशासन सूचकांक’ (DGGI) के बारे में:

  • यह सूचकांक जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों के लिए जारी किया गया है।
  • इस सूचकांक को जम्मू और कश्मीर सरकार की सहभागिता में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) ने तैयार किया है।
  • सूचकांक के तहत, केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियां, योजनाएं और कार्यक्रमों की मॉनीटरिंग को इस इन्डेक्स में समाहित किया गया है।

सूचकांक का महत्व:

  • जम्मू-कश्मीर में शुरुआत होने के बाद इस सूचकांक का प्रसार धीरे-धीरे अन्य सभी राज्यों में हो जाएगा और, देशभर के ज़िलों के बीच भी लोकाभिमुख सुशासन देने की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का आरंभ होगा।
  • जम्मू-कश्मीर ज़िला सुशासन सूचकांक में शासन के 10 क्षेत्रों और 58 संकेतकों को शामिल किया गया है।
  • इस सुशासन सूचकांक के ज़रिए केंद्र-शासित प्रदेश के ज़िलों के बीच जो स्पर्धा होगी इससे बहुत बड़ा फ़ायदा जम्मू-कश्मीर की आम जनता को होगा। इससे सेवाओं का स्तर भी सुधरेगा और इससे जम्मू-कश्मीर में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।

सूचकांक के महत्वपूर्ण बिंदु:

  • ‘जिला सुशासन सूचकांक’ (DGGI) की समग्र रैंकिंग में ‘जम्मू जिले’ को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है, इसके बाद जम्मू संभाग के डोडा और सांबा जिले आते हैं।
  • इसके बाद, श्रीनगर संभाग का पुलवामा जिला चौथे स्थान पर और श्रीनगर जिला पांचवें स्थान पर रहा।
  • राजौरी जिले को सूचकांक में अंतिम स्थान प्राप्त हुआ है, जबकि पुंछ और शोपियां जिले भी रैंकिंग में सबसे निचले स्थानों पर रहे हैं।
  • ‘सार्वजनिक अवसंरचना और उपयोगिता क्षेत्र’ में श्रीनगर जिले को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।
  • ‘कश्मीर संभाग’ में श्रीनगर जिला ‘सुशासन सूचकांक’ की समग्र रैंकिंग में 313 अंकों के साथ शीर्ष 5 जिलों में शामिल है।
  • ‘कृषि और संबद्ध क्षेत्र’ में किश्तवाड़ जिला शीर्ष स्थान रहा।
  • ‘मानव संसाधन विकास’ क्षेत्र में ‘पुलवामा’ जिला, ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य’ क्षेत्र में रियासी जिला, ‘समाज कल्याण और विकास’ क्षेत्र में रामबन जिला तथा ‘वित्तीय समावेशन’ क्षेत्र में ‘गांदरबल’ जिले को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है।

‘राष्ट्रीय सुशासन सूचकांक’ में जम्मू-कश्मीर का प्रदर्शन:

इससे पहले पिछले साल 25 दिसंबर को केंद्र सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय सुशासन सूचकांक’ (National Good Governance Index) जारी किया गया था।

  • सुशासन सूचकांक- 2021 के अनुसार जम्मू और कश्मीर ने 2019 से 2021 की अवधि में सुशासन संकेतकों में 7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है।
  • वाणिज्य व उद्योग, कृषि व इससे संबद्ध क्षेत्र, सार्वजनिक अवसंरचना व उपयोगियताओं, न्यायपालिका और सार्वजनिक सुरक्षा क्षेत्रों में राज्य का ठोस प्रदर्शन देखा गया है।

‘राष्ट्रीय सुशासन सूचकांक’ के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सुशासन सूचकांक’ (GGI) के बारे में
  2. महत्वपूर्ण बिंदु
  3. सूचकांक के नवीनतम संस्करण में विभिन्न राज्यों का प्रदर्शन

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।

‘पैंगोंग त्सो’ झील पर चीन के निर्माणाधीन पुल का सामरिक महत्व


संदर्भ:

‘पैंगोंग त्सो’ (Pangong Tso) झील पर चीन द्वारा एक पुल का निर्माण किया जाना, भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध की श्रंखला में चीन की नवीनतम कार्रवाई है।

चीन के निर्माणाधीन पुल की अवस्थित:

  • चीन द्वारा यह पुल, ‘पैंगोंग त्सो झील’ के उत्तरी तट पर, तथा दक्षिण तट पर स्थित चुशुल सब-सेक्टर में बनाया जा रहा है।
  • यह पुल भारत द्वारा दावा किए जाने वाले क्षेत्र के भीतर स्थित है, हालांकि इस क्षेत्र पर 1958 से चीन का नियंत्रण है।

भारत के लिए इस पुल का महत्व:

  • यह पुल, ‘पैंगोंग त्सो झील’ के दोनों किनारों के मध्य सबसे नजदीकी बिंदुओं में से एक बिंदु पर ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ (PLA) के सैनिकों की त्वरित लामबंदी में मदद करेगा।
  • कैलाश पर्वत श्रेणी इस ‘पुल’ से लगभग 35 किमी पश्चिम में अवस्थित है। पुल का निर्माण होने जाने पर, चीनी सैनिक ‘कैलाश पर्वत श्रेणी’ को आसानी से पार करने में सक्षम हो जाएंगे तथा इसे पार करने में लगने वाला लगभग 12 घंटे का समय घटाकर लगभग चार घंटे का हो जाएगा।
  • इससे इस क्षेत्र में बीजिंग द्वारा किए जाने अपने अधिकार के दावे को मजबूती मिलेगी।

पैंगोंग त्सो के बारे में

पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) का शाब्दिक अर्थ “संगोष्ठी झील” (Conclave Lake) है। लद्दाखी भाषा में पैंगोंग का अर्थ है, समीपता और तिब्बती भाषा में त्सो का अर्थ झील होता है।

  • पैंगोंग त्सो, लद्दाख में 14,000 फुट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित एक लंबी संकरी, गहरी, स्थलरुद्ध झील है, इसकी लंबाई लगभग 135 किमी है।
  • इसका निर्माण टेथीज भू-सन्नति से हुआ है।
  • यह एक खारे पानी की झील है।
  • काराकोरम पर्वत श्रेणी, जिसमे K2 विश्व दूसरी सबसे ऊंची चोटी सहित 6,000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली अनेक पहाड़ियां है तथा यह ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन और भारत से होती हुई पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर समाप्त होती है।
  • इसके दक्षिणी तट पर भी स्पंगुर झील (Spangur Lake) की ओर ढलान युक्त ऊंचे विखंडित पर्वत हैं।
  • इस झील का पानी हालाँकि, एकदम शीशे की तरह स्वच्छ है, किंतु ‘खारा’ होने की वजह से पीने योग्य नहीं है।

इस स्थान पर विवाद का कारण:

वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control– LAC) – सामान्यतः यह रेखा पैंगोंग त्सो की चौड़ाई को छोड़कर स्थल से होकर गुजरती है तथा वर्ष 1962 से भारतीय और चीनी सैनिकों को विभाजित करती है। पैंगोंग त्सो क्षेत्र में यह रेखा पानी से होकर गुजरती है।

  • दोनों पक्षों ने अपने क्षेत्रों को चिह्नित करते हुए अपने- अपने क्षेत्रों को घोषित किया हुआ है।
  • भारत का पैंगोंग त्सो क्षेत्र में 45 किमी की दूरी तक नियंत्रण है, तथा झील के शेष भाग को चीन के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

फिंगर्स क्या हैं?

पैंगोंग त्सो झील में, ‘चांग चेन्मो रेंज’ (Chang Chenmo range) की पहाड़ियां आगे की ओर निकली हुई (अग्रनत) हैं, जिन्हें ‘फिंगर्स’ (Fingers) कहा जाता है।

इनमे से 8 फिंगर्स विवादित है। इस क्षेत्र में भारत और चीन के बीच LAC को लेकर मतभेद है।

  • भारत का दावा है कि LAC फिंगर 8 से होकर गुजरती है, और यही पर चीन की अंतिम सेना चौकी है।
  • भारत इस क्षेत्र में, फिंगर 8 तक, इस क्षेत्र की संरचना के कारण पैदल ही गश्त करता है। लेकिन भारतीय सेना का नियंत्रण फिंगर 4 तक ही है।
  • दूसरी ओर, चीन का कहना है कि LAC फिंगर 2 से होकर गुजरती है। चीनी सेना हल्के वाहनों से फिंगर 4 तक तथा कई बार फिंगर 2 तक गश्त करती रहती है।

पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण का कारण:

पैंगोंग त्सो झील रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चुशूल घाटी (Chushul Valley) के नजदीक है। वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान चीन द्वारा मुख्य हमला चुशूल घाटी से शुरू किया गया था।

  • चुशूल घाटी का रास्ता पैंगोंग त्सो झील से होकर जाता है, यह एक मुख्य मार्ग है, चीन, इसका उपयोग, भारतीय-अधिकृत क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए कर सकता है।
  • चीन यह भी नहीं चाहता है, कि भारत LAC के आस पास कहीं भी अपने बुनियादी ढांचे को विस्तारित करे। चीन को डर है, कि इससे अक्साई चिन और ल्हासा-काशगर (Lhasa-Kashgar) राजमार्ग पर उसके अधिकार के लिए संकट पैदा हो सकता है।
  • इस राजमार्ग के लिए कोई खतरा, लद्दाख और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में चीनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं के लिए बाधा पहुचा सकता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने लद्दाख के ‘बर्फ के स्तूपों’ (Ice Stupas of Ladhak) के बारे में सुना है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. दोनों सेनाओं के बीच विवादित सभी क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति
  2. इन क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएं, जैसे: नदियाँ, पर्वत घाटियाँ आदि।

मेंस लिंक:

2020 में हुए सीमा तनाव को कम करने के लिए चीन और भारत द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

बाघ संरक्षण पर चौथा एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन


संदर्भ:

हाल ही में, मलेशिया सरकार और ग्लोबल टाइगर फोरम (Global Tiger Forum – GTF) द्वारा ‘बाघ संरक्षण पर चौथा एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन’ (4th Asia Ministerial Conference on Tiger Conservation) आयोजित किया गया था।

यह सम्मेलन ‘वैश्विक बाघ पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम’ (ग्लोबल टाइगर रिकवरी प्रोग्राम) और बाघ संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धताओं की प्रगति की समीक्षा को लेकर महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।

परिणाम: इस सम्मलेन में ‘कुआलालंपुर संयुक्त वक्तव्य’ (Kuala Lumpur Joint Statement) को अपनाया गया।

शिखर सम्मेलन में भारत का वक्तव्य:

  • भारत, इस साल के अंत में रूस के व्लादिवोस्तोक में होने वाले ग्लोबल टाइगर समिट (वैश्विक बाघ सम्मेलन) के लिए नई दिल्ली घोषणा पत्र को अंतिम रूप देने में टाइगर रेंज देशों को सुविधा प्रदान करेगा।
  • 2010 में नई दिल्ली में एक “प्री टाइगर समिट” बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें ग्लोबल टाइगर समिट के लिए बाघ संरक्षण पर मसौदा घोषणा को अंतिम रूप दिया गया था।

बाघ संरक्षण हेतु भारत के प्रयास:

  • भारत ने लक्षित वर्ष 2022 से 4 साल पहले 2018 में ही बाघों की आबादी को दोगुना करने की उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल कर ली है।
  • भारत में बाघ प्रबंधन की सफलता का मॉडल अब शेर, डॉल्फिन, तेंदुए, हिम तेंदुए और अन्य छोटी जंगली बिल्लियों जैसे अन्य वन्यजीवों के लिए दोहराया जा रहा है।
  • बाघ संरक्षण के लिए बजटीय आवंटन 2014 के 185 करोड़ रुपये से बढाकर 2022 में 300 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
  • भारत में 14 टाइगर रिजर्व को पहले ही अंतरराष्ट्रीय सीए/टीएस मान्यता (CA|TS accreditation) से सम्मानित किया जा चुका है और अधिक टाइगर रिजर्व को सीए/टीएस मान्यता दिलाने के प्रयास जारी हैं।
  • भारत में 51 टाइगर रिजर्व द्वारा लगभग 3 मिलियन मानव-दिवस रोजगार सृजित किए जा रहे हैं और प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) से धन का उपयोग टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्रों से स्वैच्छिक गांव पुनर्वास को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।
  • भारत, टाइगर रेंज कंट्रीज के एक अंतर सरकारी मंच ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ (GTF) के संस्थापक सदस्यों में से एक है और और इन वर्षों में GTF ने भारत सरकार, तथा भारत के बाघ आबादी वाले राज्यों और टाइगर रेंज देशों के साथ मिलकर काम करते हुए कई विषयगत क्षेत्रों पर अपने कार्यक्रमों का विस्तार किया है।
  • ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ बाघ संरक्षण हेतु कार्य करने वाला एकमात्र अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय निकाय है। इसकी स्थापना बाघ संरक्षण में अभिरुचि रखने वाले सदस्य देशों द्वारा बाघों की सुरक्षा हेतु एक वैश्विक अभियान शुरू करने के लिए की गई है।

भारत में बाघों की पुनर्प्राप्ति (टाइगर रिकवरी) को सफल बनाने हेतु दो कानूनी उपकरण:

  1. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972।
  2. वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980। इस अधिनियम के तहत ‘बाघ परियोजना’ (प्रोजेक्ट टाइगर) को सुदृढ़ किया गया था।

बाघ की संरक्षण स्थिति:

  1. भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध।
  2. अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) रेड लिस्ट: लुप्तप्राय (Endangered)।
  3. लुप्तप्राय वन्यजीव तथा वनस्पति प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) की परिशिष्ट-I में सूचीबद्ध।

कंजर्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS) क्या है?

CA|TS को को टाइगर रेंज कंट्रीज (TRCs) के वैश्विक गठबंधन द्वारा मान्यता संबंधी उपकरण के रूप में स्वीकार किया गया है और इसे बाघों एवं संरक्षित क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है।

  • इसे आधिकारिक तौर पर वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था।
  • यह मानक लक्षित प्रजातियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करता है और प्रासंगिक संरक्षित क्षेत्रों में इन मानकों के मूल्यांकन को प्रोत्साहित करता है।
  • CA|TS, विभिन्न मानदंडों का एक सेट है, जो बाघ से जुड़े स्थलों को इस बात को जांचने का मौका देता है कि क्या उनके प्रबंधन से बाघों का सफल संरक्षण संभव होगा।

बाघ संरक्षण पर काम करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ (GTF), और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड इंडिया, भारत में CA|TS मूल्यांकन के लिए ‘राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण’ के दो कार्यान्वयन भागीदार हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘वैश्विक बाघ दिवस’ 29 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिवस की घोषणा 2010 में आयोजित ‘सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट’ में की गयी थी।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और जीवमंडल संरक्षित क्षेत्र के मध्य अंतर
  2. भारत में महत्वपूर्ण बायोस्फीयर रिजर्व
  3. M-STREIPES किससे संबंधित है?
  4. GTIC क्या है?
  5. प्रोजेक्ट टाइगर कब लॉन्च किया गया था?
  6. NTCA- रचना और कार्य
  7. अखिल भारतीय बाघ आकलन 2018 के चौथे चक्र को गिनीज रिकॉर्ड बुक में क्यों दर्ज किया गया है?
  8. सबसे ज्यादा बाघों वाला राज्य
  9. उच्चतम बाघ घनत्व वाला राज्य

मेंस लिंक:

बाघ एजेंडे को महत्व देना, हमारे पर्यावरण की संवहनीयता बनाए रखने हेतु एक पारिस्थितिक- आवश्यकता है। इस संदर्भ में, बाघों के संरक्षण के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की विवेचना कीजिए?

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

सरस्वती नदी का पुनरुद्धार


(Rivival of Saraswati river)

संदर्भ:

हाल ही में, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों द्वारा यमुनानगर जिले के ‘आदि बद्री’ (Adi Badri) नामक एक स्थान पर एक बांध बनाने के लिए एक समझौता किया गया है। इस समझौते का उद्देश्य अन्य बातों के अलावा, ‘पौराणिक सरस्वती नदी’ को फिर से जीवंत करना है।

हिमाचल प्रदेश की सीमा के नजदीक, हरियाणा में स्थित ‘आदि बद्री’ सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।

Current Affairs

पौराणिक सरस्वती नदी के अध्ययन हेतु समिति:

  • केंद्र सरकार द्वारा 2021 में आगामी दो वर्षो में पौराणिक ‘सरस्वती’ नदी के अध्ययन हेतु योजना बनाने के लिए एक सलाहकार समिति का पुनर्गठन किया गया था। इसके पहले गठित समिति का कार्यकाल वर्ष 2019 में समाप्त हो गया था।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इस विषय पर अध्ययन हेतु 28 दिसंबर, 2017 को पहली बार दो वर्ष की अवधि के लिए एक समिति का गठन किया था।

‘सरस्वती नदी’ के बारे में:

  • ऐसा माना जाता है कि, सरस्वती नदी का उद्गम हिमालय में कैलाश पर्वत के पश्चिम में स्थित कपाल तीर्थ से हुआ था और यह अपने उद्गम स्थल से दक्षिण में मानसरोवर तक बहती थी, इसके पश्चात पश्चिम की ओर मुड़कर प्रवाहित होती थी।
  • यह नदी हरियाणा, राजस्थान और उत्तर गुजरात से होकर प्रवाहित होती थी तथा कच्छ के रण से होकर पश्चिमी सागर से मिलने से पहले पाकिस्तान से भी होकर गुजरती थी। सरस्वती नदी की कुल लंबाई लगभग 4,000 किमी मानी जाती है।

सरस्वती नदी की दो शाखाएँ थीं: पश्चिमी और पूर्वी।

  • हिमालयन से उद्गमित ‘अतीत की’ सतलुज, जो वर्तमान की घग्गर-पटियालीवाली धाराओं के माध्यम से होकर बहती थी,  को प्राचीन सरस्वती नदी की पश्चिमी शाखा माना जाता है।
  • दूसरी ओर, मार्कंड और सरसुती, सरस्वती नदी की पश्चिमी शाखा का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे टोंस-यमुना के नाम से जाना जाता है।
  • इन शाखाओं का संगम, पटियाला से 25 किमी दक्षिण में ‘शुतराणा’ नामक स्थान के निकट होता था। और फिर एकाएक, यह रेगिस्तान (कच्छ के रण) को पार करती हुई पश्चिमी समुद्र की खाड़ी में मिल जाती थी।

Current Affairs

 

ऐतिहासिक साक्ष्य:

  • सरस्वती नदी, प्रमुख ऋग्वैदिक नदियों में से एक है और इसका उल्लेख ऋग्वेद तथा बाद के वैदिक और उत्तर वैदिक ग्रंथों में मिलता है।
  • ऋग्वेद के छठवें भाग में ‘नदीस्तुति सूक्त’ नाम से स्तोत्र दिए गए हैं, जिनमे सरस्वती नदी की ‘पूर्णकालिक मां, अद्वितीय नदी तथा सर्वोच्च देवी’ के रूप में स्तुति की गयी है।
  • 6000 ईसा पूर्व और 4000 ईसा पूर्व के मध्य, 2000 वर्षों तक सरस्वती एक महान नदी के रूप में बहती थी।

Current Affairs

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सरस्वती नदी के बारे में।
  2. इसकी उत्पत्ति, बेसिन राज्य और सहायक नदियाँ।
  3. अन्य हिमालयी नदियाँ।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


ककड़ी और खीरे का सबसे बड़ा निर्यातक

भारत दुनिया में ककड़ी और खीरे (Cucumber and Gherkins) का सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है।

  • इसे खीरे का अचार बनाने के तौर पर वैश्विक स्तर पर गेरकिंस (Gherkins) या कॉर्निचन्स के रूप में जाना जाता है।
  • खीरे को दो श्रेणियों ‘ककड़ी और खीरे’ के तहत निर्यात किया जाता है जिन्हें सिरका या एसिटिक एसिड के माध्यम से तैयार और संरक्षित किया जाता है, ककड़ी और खीरे को अनंतिम रूप से संरक्षित किया जाता है।
  • खीरे की खेती, प्रसंस्करण और निर्यात की शुरूआत भारत में 1990 के दशक में कर्नाटक में एक छोटे से स्तर के साथ हुई थी और बाद में इसका शुभारंभ पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी हुआ।
  • विश्व की खीरा आवश्यकता का लगभग 15% उत्पादन भारत में होता है।

 

अबाइड विद मी

‘अबाइड विद मी’ (Abide With Me) एक ईसाई भजन है।

  • यह गीत प्री-मॉर्डन वर्ल्ड में स्कॉटलैंड के एंगलिकन मिनिस्टर हेनरी फ्रांसिस लाइट (Henry Francis Lyte) ने लिखा था। यह एक तरह से चर्च में गाया जाने वाला धार्मिक गीत है, जिसे हिम (Hymn) कहा जाता है।
  • यह विशेष स्तुति गीत, सादगी और दुखी अवसर पर गाए जाने वाला भजन है, जो अक्सर अंग्रेजी संगीतकार विलियम हेनरी मोंक की धुन पर गाया जाता है। यही गीत 1950 से भारतीय बीटिंग रिट्रीट समारोह में बजाया जाता रहा है।
  • कवि अल्लामा इकबाल द्वारा रचित ‘सारेजहाँ से अच्छा’ की धुन पर सैनिकों के रायसीना हिल से नीचे उतरने से पहले ‘ब्रास बैंड’ द्वारा बजाया जाने वाला यह गीत बीटिंग रिट्रीट हमेशा आखिरी अंश होता है।
  • हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा ‘अबाइड विद मी’ गीत को ‘बीटिंग रिट्रीट समारोह’ से हटा दिया गया है।
  • ‘अबाइड विद मी’ की जगह कवि प्रदीप की मौलिक कृति ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को बजाया जाएगा। इस गीत की रचना कवि प्रदीप ‘भारत-चीन युद्ध’ के दौरान की गई थी, जोकि भारतीय राष्ट्रवाद की एक झांकी बन बन गया।
  • इस गीत को पहली बार 27 जनवरी, 1963 को सी रामचंद्र द्वारा बनाई गयी धुन पर लता मंगेशकर द्वारा गाया गया था।

‘बीटिंग रिट्रीट समारोह’ के बारे में:

  • यह आधिकारिक तौर पर गणतंत्र दिवस उत्सव के अंत को दर्शाता है।
  • यह गणतंत्र दिवस के तीसरे दिन 29 जनवरी की शाम को आयोजित किया जाता है।
  • इसका आयोजन रक्षा मंत्रालय के ‘अनुभाग डी’ द्वारा किया जाता है।

 

जीवित जड़ों से निर्मित पुल

(Living root bridges)

  • जीवित जड़ों से निर्मित पुलों को ‘जिंग कींग जरी’ (Jing Kieng Jri) के नाम में भी जाना जाता है।
  • ये भारतीय रबर के पेड़ (फिकस इलास्टिका – Ficus Elastica) की जड़ों को बुनकर तैयार किए गए हवाई पुल होते हैं।
  • ये पुल मेघालय में पीढ़ियों से ‘दो स्थानों को जोड़ने’ का (Connectors) का कार्य कर रहे हैं।
  • सदियों में निर्मित होने वाले ये पुल, मुख्य रूप से नदियों और धाराओं को पार करने का एक साधन तथा विश्व प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण भी बन गए हैं।

संदर्भ:

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण ने ‘यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल’ का टैग पाने के लिए मेघालय के ‘जीवित जड़ों से निर्मित पुल’ (Living root bridges) के लिए कुछ हरित नियमों का निर्धारण किया है।

 

बेसल स्टेम रोट से जुड़ी कवक की दो प्रजातियां

  • हाल ही में, केरल के शोधकर्ताओं ने कवक की जीनस ‘गनोडर्मा’ (Ganoderma) से जुडी दो नई प्रजातियों की पहचान की है। ये प्रजातियाँ नारियल के ‘तने के सड़न रोग’ से संबंधित हैं।
  • इन दोनों कवक प्रजातियों का नाम गनोडर्मा केरलेंस और गनोडर्मा स्यूडोएप्लानेटम रखा गया है।

भारत के विभिन्न भागों में ‘नारियल के मूल तने’ (basal stem rot of coconut) को कई नामों से जाना जाता है:

  1. आंध्र प्रदेश में गनोडर्मा विल्ट।
  2. कर्नाटक में अनाबरोगा।
  3. तमिलनाडु में तंजावुर विल्ट।

 

केरल की पहली वैज्ञानिक पक्षी एटलस

केरल बर्ड एटलस (Kerala Bird Atlas – KBA) के सहयोग से, भारत में अपनी तरह का पहला ‘राज्य स्तरीय पक्षी एटलस’ तैयार किया गया है।

  • KBA को भौगोलिक विस्तार की दृष्टि से एशिया का सबसे बड़ा पक्षी एटलस कहा जाता है।
  • केबीए को विज्ञान संचालित नागरिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था जिसमें बर्डवॉचिंग समुदाय के 1,000 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया।

 


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