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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
- सुशासन सूचकांक 2021
सामान्य अध्ययन-II
- ‘भुलाए जाने का अधिकार’
सामान्य अध्ययन-III
- टोकनाइजेशन और आरबीआई के नए दिशानिर्देश
- नासा का डार्ट मिशन
- नागालैंड से AFSPA को हटाए जाने की संभावना का अध्ययन करने हेतु एक समिति
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- आर्कबिशप डेसमंड टूटू
- गोलन हाइट्स
- ‘जन गण मन’ के सार्वजनिक रूप से पहली बार गायन की 110 वीं वर्षगांठ
सामान्य अध्ययन-I
विषय: सामाजिक सशक्तीकरण, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद और धर्मनिरपेक्षता।
सुशासन सूचकांक 2021
संदर्भ:
25 दिसंबर को ‘सुशासन दिवस’ (Good Governance Day) के अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा ‘सुशासन सूचकांक’ (Good Governance Index – GGI) 2021 जारी किया गया है।
‘सुशासन सूचकांक’ (GGI) के बारे में:
यह सूचकांक ‘प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग’ (DARPG) द्वारा तैयार किया गया है।
- ‘सुशासन सूचकांक’ (GGI) राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में शासन की स्थिति तथा ऐसी सरकारों द्वारा किए गए प्रशासनिक हस्तक्षेपों के प्रभाव का आकलन करने की एक व्यवस्था है।
- GGI का उद्देश्य सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के शासन की तुलना करने के लिए मात्रात्मक डेटा प्रदान करना और इसके माध्यम से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को, परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण और प्रशासन में बदलाव के लिए उपयुक्त रणनीति लागू करने में सक्षम बनाना है।
सुशासन सूचकांक (जीजीआई) 2021 के ढांचे में दस क्षेत्र और 58 संकेतक शामिल किए गए हैं।
GGI 2021 के क्षेत्र हैं:
- कृषि और संबद्ध क्षेत्र,
- वाणिज्य और उद्योग,
- मानव संसाधन विकास,
- सार्वजनिक स्वास्थ्य,
- सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और उपयोगिताएं,
- आर्थिक शासन,
- समाज कल्याण और विकास,
- न्यायिक और सार्वजनिक सुरक्षा,
- पर्यावरण और
- नागरिक-केंद्रित शासन।
सुशासन सूचकांक 2020-21 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। ये श्रेणी हैं:
- अन्य राज्य – समूह ए,
- अन्य राज्य – समूह बी,
- उत्तर-पूर्व व पहाड़ी राज्य और
- केंद्रशासित प्रदेश।
विभिन्न राज्यों का प्रदर्शन:
- 10 क्षेत्रों को कवर करते हुए गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा ‘समग्र रैंकिंग’ में शीर्ष स्थान पर हैं।
- सुशासन सूचकांक- 2021 के अनुसार 20 राज्यों ने जीजीआई- 2019 तुलना में अपने समग्र GGI स्कोर में सुधार किया है।
- केंद्रशासित प्रदेशों की श्रेणी में दिल्ली ‘समग्र रैंकिंग’ में शीर्ष स्थान पर है।
- उत्तर प्रदेश ने सभी क्षेत्रों के बीच ‘वाणिज्य व उद्योग’ में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है।
- उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में मिजोरम व जम्मू और कश्मीर ने GGI 2019 की तुलना में क्रमशः 4 प्रतिशत और 3.7 प्रतिशत की समग्र बढ़ोतरी दर्ज की है।
सुशासन सूचकांक की सीमाएं:
- सूचकांक की सीमाएं, बड़े पैमाने पर डेटा की उपलब्धता से निर्धारित होती हैं, किंतु डेटा प्रामाणिक और विश्वसनीय सरकारी स्रोतों से उपलब्ध हो जाता है अतः इस सीमा को समय के साथ दूर किया जा सकता है।
- इनपुट और प्रक्रिया आधारित संकेतकों के महत्व से सहमति जताते हुए भी, सुशासन सूचकांक फ्रेमवर्क केवल परिणाम/आउटपुट आधारित संकेतकों पर ध्यान केंद्रित करने तक सीमित है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है?
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘सुशासन सूचकांक’ (GGI) के बारे में
- मुख्य विशेषताएं
- सूचकांक के नवीनतम संस्करण में विभिन्न राज्यों का प्रदर्शन
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन–II
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
‘भुलाए जाने का अधिकार’
संदर्भ:
पिछले हफ्ते, केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित करते हुए कहा कि ‘भुलाए जाने का अधिकार’ (Right to be Forgotten) ‘निजता के मौलिक अधिकार’ का हिस्सा है, लेकिन इस मामले में इसकी कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं है।
विभिन्न अदालतों में दायर याचिकाओं में इस “अधिकार” को लागू करने की मांग की गयी है। ‘भुलाए जाने का अधिकार’ – एक कानूनी सिद्धांत है, जिसे अभी तक भारत में क़ानून द्वारा समर्थन नहीं है।
‘भुलाए जाने का अधिकार’ क्या है?
‘भुलाए जाने का अधिकार’ के तहत किसी व्यक्ति को इंटरनेट से उसकी निजी जानकारी को हटाने का अधिकार प्राप्त होता है। इस अवधारणा को विदेशों में कुछ न्यायालयों, विशेष रूप से यूरोपीय संघ में मान्यता मिली हुई है।
भारतीय संदर्भ में ‘भुलाए जाने का अधिकार‘:
- ‘भुलाए जाने का अधिकार’ (Right to be Forgotten), व्यक्ति के ‘निजता के अधिकार’ के दायरे में आता है।
- वर्ष 2017 में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने एक ऐतिहासिक फैसले (पुत्तुस्वामी मामले) में ‘निजता के अधिकार’ को एक ‘मौलिक अधिकार’ (अनुच्छेद 21 के तहत) घोषित कर दिया गया था।
- अदालत ने उस समय कहा था कि “निजता का अधिकार ‘अनुच्छेद 21’ के तहत ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार’ के अंतर्भूत हिस्से के रूप में, और संविधान के भाग III द्वारा गारंटीकृत ‘स्वतंत्रता’ के एक भाग के रूप में रक्षित है।”
इसको मान्यता दिए जाने की आवश्यकता:
इंटरनेट से निजी जानकारी, पिछले दोषसिद्धि और कार्यवाही के अदालती रिकॉर्ड और पिछली घटनाओं की समाचार रिपोर्ट को हटाने की मांग से संबंधित कम से कम आठ याचिकाएं दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं। और इस संदर्भ में, अदालतों से अब तक कुछ ही लोगों को ही राहत मिल पाई है।
इस प्रकार के कानून किन देशों में लागू हैं?
- यूरोपीय संघ में ‘सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन’ (General Data Protection Regulation- GDPR)
- 2015 में रूस ने एक कानून बनाया गया, जिसके तहत, उपयोगकर्ताओं को अप्रासंगिकता, अशुद्धि और ‘कानून के उल्लंघन’ के आधार पर व्यक्तिगत जानकारी के लिंक को हटाने के लिए एक सर्च इंजन को विवश करने की अनुमति दी गयी है।
- ‘भुलाए जाने के अधिकार’ को कुछ हद तक तुर्की और साइबेरिया में भी मान्यता प्राप्त है, जबकि स्पेन और इंग्लैंड की अदालतों ने इस विषय पर कुछ निर्णय दिए गए है।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘भुलाए जाने का अधिकार’ के बारे में।
- ‘निजता का अधिकार’ क्या है?
- ‘निजी डेटा संरक्षण विधेयक’ की मुख्य विशेषताएं।
मेंस लिंक:
‘भुलाए जाने का अधिकार’ के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन-III
विषय: समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।
टोकनाइजेशन और आरबीआई के नए दिशानिर्देश
संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘कार्ड-ऑन-फाइल’ (CoF) टोकननाइजेशन मानदंडों (Tokenisation Norms) के कार्यान्वयन की तारीख छह महीने बढ़ाकर 30 जून, 2022 कर दी है।
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, ऑनलाइन व्यवसायियों को अपने प्लेटफॉर्म पर संग्रहीत किसी भी क्रेडिट और डेबिट कार्ड डेटा को हटाना होगा और उपभोक्ताओं के कार्ड विवरण सुरक्षित करने के लिए डेटा को ‘टोकन’ में परिवर्तित करना होगा।
हितधारकों द्वारा टोकननाइजेशन मानदंडों के कार्यान्वयन की समय-सीमा में विस्तार की मांग:
एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक सहित अधिकांश प्रमुख बैंक इस ‘पदांतरण’ / ‘स्विचओवर’ के लिए तैयार हैं, किंतु अन्य हितधारकों, जिनमे से अधकांश व्यापारी है, का तर्क है कि उनकी तंत्र प्रणाली अभी तक नई व्यवस्था को अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं और उन्होंने नए मानदंडों को प्रभावी करने हेतु और समय की मांग की है।
- यदि वर्तमान स्थिति में नए मानदंडों लागू किया जाता है, तो यह नया अधिदेश, बड़े व्यवधान और विशेष रूप से व्यापारियों के लिए राजस्व की हानि का कारण बन सकता है।
- इस प्रकार के व्यवधान, डिजिटल भुगतान में विश्वास को कम करते हैं और उपभोक्ता को वापस नकद-आधारित भुगतानों की ओर प्रवृत्त कर सकते हैं।
टोकनाइजेशन क्या है?
‘टोकनाइजेशन’ (Tokenisation) का तात्पर्य, एक वास्तविक कार्ड के संवेदनशील विवरण को एक यूनिक कोड वाले टोकन (token) में परिवर्तित करना है। यह एक कार्ड, एवं ‘टोकन अनुरोधकर्ता’ और डिवाइस का अनोखा संयोजन होता है।
महत्व:
‘टोकनकृत कार्ड’ (Tokenised Card) से लेनदेन को सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इसमें लेनदेन प्रक्रमण के दौरान ‘वास्तविक कार्ड’ के विवरण को व्यापारी के साथ साझा नहीं किया जाता है।
जिन ग्राहकों के पास ‘टोकनाइजेशन’ की सुविधा नहीं है, उन्हें हर बार ऑनलाइन ऑर्डर करने पर अपना नाम, 16 अंकों का कार्ड नंबर, समाप्ति तिथि और CVV दर्ज करना होगा। और यह काफी बोझिल प्रक्रिया हो जाती है।
‘टोकनाइजेशन’ के सुचारू कार्यान्वयन के लिए तीन चरणों को पूरा करना होगा:
- टोकन प्रावधान (Token Provisioning): उपभोक्ता का कार्ड नंबर एक टोकन में परिवर्तनीय होना चाहिए, जिसका अर्थ है कि ‘कार्ड नेटवर्क’ को संबंधित बुनियादी ढांचे के साथ तैयार रहना होगा।
- टोकन प्रक्रमण (Token processing): उपभोक्ताओं को टोकन के माध्यम से अपना लेनदेन सफलतापूर्वक पूरा करने में सक्षम होना चाहिए।
- एकाधिक उपयोग के लिए सक्षम: उपभोक्ता को रिफंड, ईएमआई, आवर्ती भुगतान, ऑफ़र, प्रचार, अतिथि चेकआउट आदि जैसी गतिविधियों के लिए टोकन का उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
नासा का DART मिशन
संदर्भ:
नासा के ‘डबल एस्ट्रॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट’ (DART) अंतरिक्ष यान के, प्रक्षेपण के ठीक दो सप्ताह बाद कैमरे “आंख” (EYE) ने अपना कारू आरंभ कर दिया है, और हाल ही में अंतरिक्ष की छवियां पृथ्वी पर वापस भेजी हैं। अंतरिक्ष यान और DART टीम के लिए यह परिचालन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
DART अंतरिक्ष यान अपने गंतव्य पर 26 सितंबर, 2022 तक पहुंच जाएगा।
DART मिशन के बारे में:
‘डबल एस्ट्रॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट’ (DART) मिशन का मुख्य उद्देश्य नई तकनीक का परीक्षण करना है, जो एक अंतरिक्ष यान को किसी क्षुद्रग्रह से टकराकर उसकी दिशा को बदलने के लिए विकसित की गयी है।
- ‘DART’ एक कम लागत वाला अंतरिक्षयान है, जिसका वजन प्रक्षेपण के समय लगभग 610 किलोग्राम और टकराव के दौरान 550 किलोग्राम होगा।
- इसमें लगभग 10 किलोग्राम ‘ज़ेनॉन’ (Xenon) भी होगा, जिसका उपयोग नए थ्रस्टर्स को प्रदर्शित करने के लिये किया जाएगा, जिसे ‘नासा इवोल्यूशनरी ज़ेनॉन थ्रस्टर-कमर्शियल (NEXT-C)) कहा जाता है।
- इस अंतरिक्षयान में एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजर लगाया गया है जिसे ‘डिडिमोस रिकोनिसेंस एंड एस्ट्रॉयड कैमरा फॉर ऑप्टिकल नेविगेशन’ (DRACO) कहा जाता है।
- ‘DRACO’ से प्राप्त छवियों को वास्तविक समय में पृथ्वी पर भेजी जाएगा और ये ‘डिमोर्फोस’ नामक लक्षित क्षुद्रग्रह के टकराव स्थल और सतह का अध्ययन करने में मदद करेंगी।
- साथ ही ‘DART’ मिशन अपने साथ ‘लाइट इटालियन क्यूबसैट फॉर इमेजिंग ऑफ एस्ट्रॉयड’ (LICIACube) नामक एक छोटा उपग्रह या क्यूबसैट भी ले जाएगा। ‘LICIACube’ से टक्कर के परिणामस्वरूप उत्पन्न प्रभाव और इससे निर्मित क्रेटर की छवियों को कैप्चर करेगा। यह टकराव के दौरान बने किसी भी धूल के बादल की छवियों को भी कैप्चर कर सकता है।
किस क्षुद्रग्रह को विक्षेपित किया जाएगा?
- ‘DART’ अंतरिक्ष यान का लक्ष्य ‘डिमोर्फोस’ (Dimorphos) – ग्रीक भाषा में ‘दो रूपों वाला’ – नामक एक मूनलेट (moonlet) है। इसका व्यास लगभग 160 मीटर है और इसके पृथ्वी से 11 मिलियन किलोमीटर दूर अंतरिक्ष यान से टकराने की आशंका है।
- डिमोर्फोस, ‘डिडिमोस’ (“जुड़वां” के लिए ग्रीक) नामक एक बड़े क्षुद्रग्रह की परिक्रमा करता है जिसका व्यास 780 मीटर है।
कार्य-योजना:
‘DART’ अंतरिक्ष यान, डिमोर्फोस’ मूनलेट तक यात्रा करेगा और लगभग 6.6 किलोमीटर प्रति सेकंड या 24,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उससे टकराएगा। यह टकराव 26 सितंबर से 1 अक्टूबर 2022 के बीच होने की संभवना है।
इंस्टा जिज्ञासु:
संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह (Potentially Hazardous Asteroids – PHAs) क्या हैं? संदर्भ: इसे पढ़ें।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट’ (NEO) क्या हैं?
- क्षुद्रग्रहों का वर्गीकरण
- मंगल और बृहस्पति के बीच क्षुद्रग्रह पेटी में सबसे अधिक क्षुद्रग्रह क्यों पाए जाते हैं?
- संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह क्या हैं? उनका वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
- नासा के DART मिशन का अवलोकन।
मेंस लिंक:
उल्कापिंड और क्षुद्रग्रह के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।
सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम
संदर्भ:
केंद्र सरकार द्वारा राज्य से ‘सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम’ (Armed Forces (Special Powers) Act) अर्थात AFSPA को हटाए जाने की संभावना का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है।
- इस समिति की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (पूर्वोत्तर) करेंगे और इसमें नागालैंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक शामिल होंगे।
- यह समिति 45 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
- इस समिति की सिफारिशों के आधार पर नागालैंड से “अशांत क्षेत्र” अधिसूचना और AFSPA को हटाए जाने पर निर्णय लिया जाएगा।
संबंधित प्रकरण:
हाल ही में, नागालैंड में अपने गांव लौट रहे दिहाड़ी मजदूरों का एक समूह, 21 पैरा कमांडो यूनिट के जवानों द्वारा मार दिया गया था। बताया जाता है, कि सेना को इस क्षेत्र से NSCN(K) आतंकवादियों के गुजरने की सूचना मिली थी।
नागालैंड में 14 नागरिकों की हत्या के बाद, मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने ‘सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम’ (Armed Forces (Special Powers) Act – AFSPA) को निरस्त करने की मांग की है।
- श्री रियो ने हर साल नागालैंड के लिए “अशांत क्षेत्र” टैग का विस्तार करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना भी की है।
- उन्होंने केंद्र सरकार का, इस “कठोर अधिनियम” की वजह से विश्व स्तर पर होने वाली भारत की आलोचना की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।
केंद्र सरकार की इस घटना पर प्रतिक्रिया:
एक ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ द्वारा सीधे तौर पर ‘ओटिंग घटना’ (Oting incident) में शामिल सेना की यूनिट और सेना के जवानों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी। ‘जांच किए जाने वाले चिन्हित व्यक्तियों’ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जाएगा।
- प्रत्येक मृतक के परिजन को राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरी दी जाएगी।
- यह सरकारी नौकरी, अनुकंपा के आधार पर पात्रता के हिसाब से दी जाएगी।
- पृष्ठभूमि:
- जून 2021 में, गृह मंत्रालय ने, पूरे नागालैंड राज्य को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (Armed Forces (Special Powers) Act – AFSPA) के तहत अगले छह महीने के लिए लिए अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है।
- गृह मंत्रालय के अनुसार, संपूर्ण नागालैंड राज्य की सीमा के भीतर आने वाला क्षेत्र ऐसी अशांत और खतरनाक स्थिति में है जिससे वहां नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का प्रयोग करना आवश्यक है।
- AFSPA का तात्पर्य:
- साधारण शब्दों में, सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) के तहत सशस्त्र बलों के लिए ‘अशांत क्षेत्रों’ में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने की शक्ति प्राप्त होती है।
सशस्त्र बलों को प्राप्त शक्तियां:
- इसके तहत सशस्त्र बलों को किसी क्षेत्र में पाँच या अधिक व्यक्तियों के जमावड़े को प्रतिबंधित करने अधिकार होता है, इसके अलावा, इन्हें किसी व्यक्ति द्वारा कानून का उल्लंघन करने संबंधी शंका होने पर उचित चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग करने अथवा गोली चलाने की भी शक्ति प्राप्त होती है।
- यदि उचित संदेह होने पर, सेना किसी व्यक्ति को बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है; बिना वारंट के किसी भी परिसर में प्रवेश और जांच कर सकती है, तथा आग्नेयास्त्र रखने पर प्रतिबंध लगा सकती है।
- गिरफ्तार किए गए या हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति को एक रिपोर्ट तथा गिरफ्तारी के कारणों से संबधित विवरण के साथ निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को सौंपाजा सकता है।
‘अशांत क्षेत्र’ और इसे घोषित करने की शक्ति
- अशांत क्षेत्र (disturbed area) को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) की धारा 3 के तहत अधिसूचना द्वारा घोषित किया जाता है। विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषा या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच मतभेद या विवाद के कारण किसी क्षेत्र को अशांत घोषित किया जा सकता है।
- केंद्र सरकार, या राज्य के राज्यपाल या केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के पूरे या हिस्से को अशांत क्षेत्र घोषित कर सकते हैं।
AFSPA अधिनियम की समीक्षा:
19 नवंबर, 2004 को केंद्र सरकार द्वारा उत्तर पूर्वी राज्यों में अधिनियम के प्रावधानों की समीक्षा करने के लिए न्यायमूर्ति बी पी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की गयी थी।
समिति ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 2005 में प्रस्तुत की, जिसमें निम्नलिखित सिफारिशें शामिल थीं:
- AFSPA को निरस्त किया जाना चाहिए और विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act), 1967 में उचित प्रावधान सम्मिलित किये जाने चाहिए;
- सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों की शक्तियों को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करने के लिए विधिविरूद्ध क्रियाकलाप अधिनियम को संशोधित किया जाना चाहिए और
- सशस्त्र बलों को तैनात किए जाने वाले प्रत्येक जिले में शिकायत सेल स्थापित किए जाने चाहिए।
लोक व्यवस्था पर दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की 5 वीं रिपोर्ट में भी AFSPA को निरस्त करने की सिफारिश की गयी है।
नागा हत्याओं से AFSPA के खतरों की ओर संकेत:
सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA), सशस्त्र बलों को हत्या करने का लाइसेंस देता है। और जब सशस्त्र बल, स्थानीय पुलिस को शामिल किए बगैर, जैसा कि लंबे समय से चल रहा है, इस तरह के शर्मनाक ऑपरेशन करते हैं, तो यह संदेश देता है कि केंद्र को नागालैंड में शांति प्रक्रिया की कोई परवाह नहीं है।
AFSPA के उपयोग के लिए दिशानिर्देश:
‘नागा पीपुल्स मूवमेंट फॉर ह्यूमन राइट्स बनाम भारत संघ’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1997 के फैसले में AFSPA के उपयोग के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए गए है:
- संविधान पीठ ने 1997 के फैसले में कहा है, कि AFSPA की धारा 4(a) के तहत घातक बल का उपयोग करने की शक्ति, केवल “कुछ परिस्थितियों” में ही प्रयुक्त की जानी चाहिए।
- अदालत ने कहा कि “मृत्यु कारित करने की शक्ति, किसी अशांत क्षेत्र में सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव से संबंधित है और इसका निश्चित परिस्थितियों में ही प्रयोग किया जाना चाहिए”।
- इन पूर्व-शर्तों में एक उच्च-स्तरीय प्राधिकरण द्वारा किसी क्षेत्र को “अशांत” करने की घोषणा शामिल है। संबंधित अधिकारी इस बात का निर्णय करेगा, कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर घातक बल प्रयोग करना “आवश्यक” है। लेकिन उसे घातक बल का प्रयोग करने से पहले “उचित चेतावनी” देनी होगी।
- जिन व्यक्तियों के खिलाफ सशस्त्र बलों द्वारा कार्रवाई की जाने वाली हो, उनके द्वारा घोषित “अशांत क्षेत्र में कुछ समय के लिए लागू किसी भी कानून या व्यवस्था का उल्लंघन किया होन चाहिए”।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि पूर्वोत्तर में, असम, नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों, और असम की सीमा से लगे राज्य के आठ पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में AFSPA लागू है?
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
आर्कबिशप डेसमंड टूटू
देश के नैतिक दिशा-सूचक के रूप में विख्यात, दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी आइकन आर्कबिशप डेसमंड टूटू (Archbishop Desmond Tutu) का हाल ही में निधन हो गया।
- उन्हें उनके सहज हास्य और विशिष्ट मुस्कान – और सबसे बढ़कर सभी रंगों के प्रति होने वाले अन्याय के खिलाफ उनकी अथक लड़ाई के लिए याद किया जाता था।
- आर्कबिशप को दक्षिण अफ्रीका में श्वेत अल्पसंख्यक शासन का मुकाबला करने के लिए 1984 में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था।
- जब नेल्सन मंडेला 1994 में देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने, तब उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की व्याख्या करने के लिए इसे “इंद्रधनुषी राष्ट्र” (Rainbow Nation) का नाम दिया।
- देश के पहले अश्वेत नेता, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने टूटू को “नैतिक दिशा-सूचक” (Moral Compass) कह कर सम्मानित किया।
- दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने उन्हें “असाधारण बुद्धि, अखंडता और रंगभेद की ताकतों के खिलाफ अजेय” व्यक्ति कहा।
गोलन हाइट्स
‘गोलन हाइट्स’ (Golan Heights) दक्षिण-पश्चिमी सीरिया में ‘इज़राइल और सीरिया’ के बीच की सीमा पर 1,800 किमी² के क्षेत्रफल में विस्तारित एक चट्टानी पठार है।
1967 के संघर्ष में इज़राइल ने गोलान हाइट्स को सीरिया से छीनकर लिया था और 1981 में अपने राज्य में शामिल कर लिया था। इज़राइल के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है।
गोलन हाइट्स पर अंतर्राष्ट्रीय मान्यता:
- यूरोपीय संघ का कहना है, कि गोलन हाइट्स की स्थिति पर उसकी राय अभी तक अपरिवर्तित है, और यूरोपीय संघ ने इस क्षेत्र पर इजरायल की संप्रभुता को मान्यता नहीं दी है।
- अरब लीग का कहना है कि इज़राइल का कदम “पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कानून के विरुद्ध है”। विदित हो कि, अरब लीग ने गृह युद्ध शुरू होने के बाद वर्ष 2011 में सीरिया को निलंबित कर दिया था।
- मिस्र का कहना है कि वह अभी भी गोलन हाइट्स को इजराइल अधिकृत सीरियाई क्षेत्र के रूप में मानता है। मिस्र और इज़राइल के बीच वर्ष 1979 में शांति समझौता हुआ था।
- भारत ने भी गोलान हाइट्स को इजराइल क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं दी है, और गोलान हाइट्स को सीरिया के लिए वापस करने की मांग की है।
- 2019 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की थी, कि अमेरिका गोलान हाइट्स पर इजरायल की संप्रभुता को मान्यता दे सकता है।
चर्चा का कारण:
इजरायल के प्रधान मंत्री नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) ने हाल ही में कहा था, कि उनकी सरकार, इजरायल-नियंत्रित गोलन हाइट्स में बसने वाले लोगों की संख्या को दोगुना करने पर विचार कर रही है। इस क्षेत्र पर इजरायल की पकड़ को और मजबूत करने के लिए एक कई-मिलियन डॉलर की योजना पर कार्य किया जा रहा है।
‘जन गण मन’ के सार्वजनिक रूप से पहली बार गायन की 110 वीं वर्षगांठ
27 दिसंबर 1911 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में, भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ को पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया गया था। इस वर्ष इसकी 110 वीं वर्षगांठ हैं।
- बाद में, जन गण मन को 24 जनवरी, 1950 को भारत की संविधान सभा द्वारा राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था।
- रवींद्रनाथ टैगोर ने ‘भारत भाग्य बिधाता’ की रचना की थी। इस रचना का पहला पद, जन गण मन, वर्तमान में हमारा राष्ट्रगान है।
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