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विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
- विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा
- यूएई गोल्डन वीजा
सामान्य अध्ययन-III
- राष्ट्रीय गणित दिवस
- फ्लेक्स ईंधन वाहन
- बॉटम ट्रॉलिंग
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- पी एन पणिकर
- अभ्यास
- ओलिव रिडले कछुए
- ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ का संकल्प 2615
- प्रलय मिसाइल
- वर्नाक्युलर इनोवेशन प्रोग्राम
- तोलकाप्पियम
सामान्य अध्ययन-II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार ने लोकसभा को सूचित करते हुए कहा है, कि आंध्र प्रदेश को ‘विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा’ (Special Category Status – SCS) के बदले एक विशेष पैकेज दिया गया है।
विशेष पैकेज के अंतर्गत प्रदान की गई सहायता:
-
- आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत ₹19,846.19 करोड़ की राशि।
- संबंधित वित्त आयोगों की सिफारिशों के अनुसार, 2015-20 के लिए ₹22,112 करोड़ का राजस्व घाटा अनुदान और 2020-21 के लिए ₹5,897 करोड़ जारी किया गया था।
महत्व:
यदि केंद्र प्रायोजित योजनाओं (Centrally Sponsored Schemes) के वित्त पोषण को, केंद्र और राज्य सरकार के मध्य 90:10 के अनुपात में साझा किया जाए तो, यह ‘विशेष सहायता उपाय’ वर्ष 2015-16 से 2019-20 के दौरान राज्य को प्राप्त होने वाले अतिरिक्त केंद्रीय हिस्से के बराबर होगा।
संबंधित प्रकरण:
कुछ समय से आंध्र प्रदेश ने ‘विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा’ संबंधी अपनी मांग फिर से शुरू कर दी है।
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- राज्य के विभाजन के समय आंध्रप्रदेश को ‘विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा’ (SCS) दिए जाने का वादा किया गया था, और 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, किसी राज्य को ‘विशेष श्रेणी का दर्जा’ देने की शक्ति केंद्र सरकार के पास है।
- वर्ष 2014 में केंद्र में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश को SCS का वादा करने के पश्चात् ही, तेलंगाना का निर्माण हुआ था।
- तत्कालीन विपक्षी दल बीजेपी ने भी इसके लिए सहमति व्यक्त की, और यह भी कहा था, कि यदि वह सत्ता में आती है तो /विशेष श्रेणी के दर्जे’ और पांच साल के लिए बढ़ा दिया जाएगा।
‘विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा’ क्या है?
संविधान में किसी राज्य को ‘विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा’ (Special Category Status – SCS) देने से संबंधित कोई प्रावधान नहीं है; केंद्र सरकार द्वारा अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिकूल परिस्थितियों वाले राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
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- यह दर्जा, भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे राज्यों के विकास में सहायता हेतु केंद्र सरकार द्वारा किया गया एक वर्गीकरण है।
- यह वर्गीकरण वर्ष 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था।
यह वर्गीकरण गाडगिल फार्मूले पर आधारित था, जिसमें विशेष श्रेणी के राज्य के दर्जे के लिये निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किये गए थे:
- पहाड़ी क्षेत्र;
- कम जनसंख्या घनत्व और/या जनजातीय जनसंख्या का बड़ा हिस्सा;
- पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं की सामरिक स्थिति;
- आर्थिक और बुनियादी अवसंरचना का पिछड़ापन; तथा
- राज्य वित्त की अव्यवहार्य प्रकृति।
‘विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा’ प्राप्त करने के लिए कुछ प्रमुख दिशानिर्देश:
- राज्य, खराब बुनियादी ढांचे के साथ आर्थिक रूप से पिछड़ा होना चाहिए।
- राज्यों को पहाड़ी और चुनौतीपूर्ण इलाकों में स्थित होना चाहिए।
- राज्यों का जनसंख्या घनत्व कम और जनजातीय आबादी अधिक होनी चाहिए।
- राज्य, रणनीतिक रूप से पड़ोसी देशों की सीमाओं के समीप स्थित होना चाहिए।
‘विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा’ कौन प्रदान करता है?
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- पहले, ‘राष्ट्रीय विकास परिषद’ द्वारा ‘योजना सहायता के लिये’ विशेष श्रेणी का दर्जा उन राज्यों को प्रदान किया गया था, जिन्हें विशेष रूप से ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
- अब, ऐसे राज्यों को केंद्र द्वारा ‘विशेष श्रेणी राज्य’ का दर्जा दिया जाता है।
लाभ:
करों से छूट और अन्य लाभों के अलावा, ‘विशेष श्रेणी दर्जा’ वाले राज्य के लिये केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर कुल व्यय का 90% केंद्रीय अनुदान के रूप में भुगतान किया जाता है, तथा शेष 10% भी शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण के रूप में दिया जाता है।
संबंधित चिंताएं:
किसी भी नए राज्य को ‘विशेष दर्जा’ देने पर विचार करने से, अन्य राज्यों की मांगें बढ़ेंगी और परिणामस्वरूप, इससे मिलने वाले लाभों में और कमी आएगी। राज्यों के लिए ‘विशेष दर्जा’ की मांग करना आर्थिक रूप से भी फायदेमंद नहीं है क्योंकि वर्तमान व्यवस्था के तहत इसके लाभ काफी कम हैं। इसलिए, विशेष समस्याओं का सामना कर रहे राज्यों के लिए ‘विशेष पैकेज की मांग करना’ बेहतर होगा।
वर्तमान परिदृश्य:
14वें वित्त आयोग द्वारा पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों के लिए ‘विशेष श्रेणी का दर्जा’ खत्म कर दिया गया है।
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- इसके स्थान पर, आयोग ने सुझाव दिया कि प्रत्येक राज्य के ‘संसाधन अंतर’ को ‘कर हस्तांतरण’ के माध्यम से भरा जाए, और केंद्र सरकार से कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी को 32% से बढ़ाकर 42% करने का आग्रह किया, जिसे वर्ष 2015 से लागू किया गया है।
प्रीलिम्स लिंक:
- विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा
- 14वां वित्त आयोग
- वित्त आयोग
- गाडगिल फॉर्मूला
मेंस लिंक:
राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिए जाने से संबंधित मुद्दों की चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय:
भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
संयुक्त अरब अमीरात का गोल्डन वीजा
(UAE’s Golden Visa)
संदर्भ:
हाल ही में, बॉलीवुड अभिनेता तुषार कपूर को ‘संयुक्त अरब अमीरात’ (United Arab Emirates- UAE) सरकार द्वारा ‘गोल्डन वीजा’ (Golden Visa) प्रदान किया गया है।
इसके साथ ही वह, ‘संयुक्त अरब अमीरात’ में 10 साल के लिए निवास-परमिट पाने वाले मोहनलाल और शाहरुख खान सहित भारतीय फिल्म सितारों की सूची में शामिल हो गए हैं।
वर्ष 2019 में, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा ‘दीर्घकालिक निवास वीजा’ जारी करने के लिए एक नई प्रणाली लागू की गयी थी, जिसके तहत विदेशी नागरिकों को, बिना किसी स्थानीय प्रायोजक के ‘संयुक्त अरब अमीरात’ में रहने, काम करने और अध्ययन करने की सुविधा प्रदान की जाती है। इसके अलावा, इस नई व्यवस्था के तहत विदेशी नागरिकों को 100 प्रतिशत स्वामित्व के साथ अपना व्यवसाय करने की भी सुविधा उपलब्ध होती है।
‘गोल्डन वीज़ा’ के तहत दिए जाने वाले प्रस्ताव:
गोल्डन वीज़ा प्रणाली, मुख्यतः निवेशक, उद्यमी, उत्कृष्ट प्रतिभा वाले व्यक्ति जैसे शोधकर्ता, चिकित्सा पेशेवर, विज्ञान एवं अन्य ज्ञान-क्षेत्रों से संबंधित व्यक्ति तथा असाधारण छात्र समूहों से संबंधित व्यक्तियों को दीर्घकालिक निवास (5 और 10 वर्ष) के लिए अवसर प्रदान करती है।
पात्रता हेतु आवश्यकताएँ: (संक्षिप्त अवलोकन करें; रटने की आवश्यकता नहीं है)
निवेशकों के लिए:
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- न्यूनतम 10 मिलियन AED (संयुक्त अरब अमीरात दिरहम) के सार्वजनिक निवेश के बराबर, किसी निवेश कोष या कंपनी के रूप में पूंजी जमा।
- किए जाने वाले कुल निवेश का 60% गैर-अचल संपत्तियों के रूप में होना चाहिए।
- निवेश की जाने वाली राशि, ऋण के रूप में नहीं दी जानी चाहिए, अन्यथा संपत्ति संबंधी मामलों में सारी जिम्मेवारी निवेशकों की होगी।
- निवेशक के लिए, न्यूनतम तीन साल तक निवेश को प्रतिधारित करने में सक्षम होना चाहिए।
- व्यापार में भागीदारों को शामिल करने के लिए ‘गोल्डन वीजा’ का विस्तार किया जा सकता है, बशर्ते कि प्रत्येक भागीदार 10 मिलियन AED का योगदान करे।
- ‘गोल्डन वीजा’ धारक के पति या पत्नी और बच्चों के साथ-साथ एक कार्यकारी निदेशक और एक सलाहकार भी इस वीजा सुविधा में शामिल हो सकते हैं।
विशिष्ट प्रतिभा वाले व्यक्तियों के लिए:
इस श्रेणी में डॉक्टर, शोधकर्ता, वैज्ञानिक, निवेशक और कलाकारों को शामिल किया गया है। इन व्यक्तियों को उनके संबंधित विभागों और क्षेत्रों द्वारा दी गई मान्यता के बाद, 10 साल का वीजा प्रदान किया जा सकता है। इस वीजा में उनके जीवनसाथी और बच्चों भी शामिल होंगे।
5 साल के वीजा के लिए पात्रता:
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- निवेशक को न्यूनतम 5 मिलियन AED के सकल मूल्य की संपत्ति में निवेश करना होगा।
- अचल संपत्ति में निवेश की गई राशि ऋण के आधार पर नहीं होनी चाहिए।
- संपत्ति को कम से कम तीन साल के लिए बरकरार रखा जाना चाहिए।
उत्कृष्ट छत्रों के लिए:
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- सरकारी और निजी माध्यमिक विद्यालयों में न्यूनतम 95% ग्रेड हासिल करने वाले उत्कृष्ट छात्र।
- देश के और विदेशी विश्वविद्यालयों के छात्रों का स्नातक स्तर पर कम से कम 75 का GPA होना चाहिए।
इस कदम के पीछे कारण:
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- संयुक्त अरब अमीरात की अर्थव्यवस्था को कोविड -19 महामारी और तेल की गिरती कीमतों की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसकी वजह से कई प्रवासियों को देश छोड़ना पड़ा है।
- UAE सरकार के कदम का उद्देश्य, इन प्रवासियों को वापस लाना और खाड़ी देश में ‘प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट मष्तिष्क वाले व्यक्तियों’ को रखने और राष्ट्र निर्माण में मदद करना है।
- सरकार द्वारा दी जा रही ये छूटें, विभिन्न विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों के प्रतिभाशाली पेशेवरों को आकर्षित करेंगी और दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली दिमागों के लिए संयुक्त अरब अमीरात में करियर बनाने की अपील के साथ नवाचार, रचनात्मकता और अनुप्रयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहित करेंगी।
भारत के लिए महत्व:
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- यह नए नियम, खाड़ी देशों में अधिक भारतीय पेशेवरों और व्यापारियों को आकर्षित करेंगे और इससे भारत-यूएई संबंधों को मजबूत होंगे।
- यह नियम, कोविड-19 से संबंधित प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद फिर से काम शुरू इच्छुक भारतीयों की खाड़ी देश में वापस जाने की सुविधा भी प्रदान करेंगे। ज्ञातव्य है, कि भारत ने नवंबर 2020 की शुरुआत में ‘खाड़ी सहयोग परिषद’ (GCC) के सदस्य देशों से इसके लिए अनुरोध भी किया था।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप भारत और पाकिस्तान के मध्य संयुक्त अरब अमीरात द्वारा मध्यस्थता के बारे में जानते हैं? इसके बारे में अधिक जानकारी हेतु पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- मध्य पूर्व के महत्वपूर्ण देश और उनकी अवस्थिति
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात- द्विपक्षीय व्यापार और कच्चे तेल की आपूर्ति
- संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय प्रावासी- संख्या और महत्व
- गोल्डन वीजा क्या है?
- पात्रता
- लाभ
मेंस लिंक:
यूएई गोल्डन वीजा योजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन–III
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ
राष्ट्रीय गणित दिवस
संदर्भ:
भारत में प्रतिवर्ष 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day) मनाया जाता है।
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- इस दिवस का आयोजन महान गणितज्ञ ‘श्रीनिवास रामानुजन’ (Srinivasa Ramanujan) की जयंती और गणित के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद रखने किया जाता है, इन्होने गणितीय विश्लेषण, संख्या सिद्धांत, अपरिमित श्रृंखला (Infinite Series), क्रमागत भिन्नों (Continued Fractions) के बारे में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- 22 दिसंबर 2021 को डॉ रामानुजन की 134वीं जयंती थी।
श्रीनिवास रामानुजन के जीवन की प्रमुख बातें:
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- वर्ष 1911 में, रामानुजन ने इंडियन मैथमेटिकल सोसाइटी के जर्नल में अपना पहला लेख प्रकाशित किया।
- वर्ष 1914 में रामानुजन इंग्लैंड पहुंचे, वहां प्रसिद्ध विद्वान हार्डी ने उन्हें पढ़ाया और रामानुजन के साथ कुछ शोधों में सहयोग किया।
- उन्होंने रीमैन श्रृंखला (Riemann series), दीर्घवृत्तीय समाकलन (elliptic integrals), हाइपरज्यामितीय श्रेणी (hypergeometric series), जीटा फ़ंक्शन के कार्यात्मक समीकरण और विचलन श्रेणी (divergent series) के अपने सिद्धांत पर काम किया।
- हार्डी ने देखा कि रामानुजन के कार्यों में मुख्यतः अब तक अन्य विशुद्ध गणितज्ञों के लिए भी अज्ञात क्षेत्र शामिल थे।
- हार्डी द्वारा अस्पताल में भर्ती रामानुजन से मिलने के लिए प्रसिद्ध यात्रा के बाद 1729 संख्या को हार्डी-रामानुजन संख्या के रूप में जाना जाता है।
- रामानुजन के गृह राज्य, तमिलनाडु में 22 दिसंबर को ‘राज्य आईटी दिवस’ रूप में मनाया जाता है।
2015 में गणितज्ञ रामानुजन पर देव पटेल-अभिनीत ‘द मैन हू नो इन्फिनिटी’ (The Man Who Knew Infinity) बायोपिक बनाई गयी थी।
इंस्टा जिज्ञासु:
तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा वर्ष 2012 में 22 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था।
प्रीलिम्स लिंक और मेंस लिंक:
- श्री रामानुजन की प्रमुख उपलब्धियां और योगदान
- राष्ट्रीय गणित दिवस।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
फ्लेक्स ईंधन वाहन
संदर्भ:
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, लंबे समय से भारत में बेची जाने वाली कारों और मोटरसाइकिलों में ईंधन के रूप में ‘फ्लेक्सिबल फ्यूल’ / ‘फ्लेक्स-फ्यूल’ (flex-fuel) का इस्तेमाल किए जाने की वकालत करते रहे हैं।
हाल ही में, एक औद्योगिक कार्यक्रम में, परिवहन मंत्री ने देश में सभी कार निर्माताओं को अपने वाहनों में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन की शुरुआत करने संबंधी एक परामर्श / एडवाइजरी जारी की गई है।
सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार:
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- कार निर्माताओं को ‘फ्लेक्स-फ्यूल इंजन’ (flex-fuel engines) का उपयोग करने के लिए छह महीने का समय दिया जाता है।
- निर्माताओं को ‘फ्लेक्स फ्यूल स्ट्रांग हाइब्रिड वाहनों’ का उत्पादन करना होगा और दोनों प्रकार के वाहनों को बीएस-6 उत्सर्जन मानदंडों का पालन करना होगा।
‘फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल’ (FFVs) के बारे में:
FFV वाहनों का एक संशोधित प्रारूप है, जो विभिन्न स्तर के इथेनॉल मिश्रण सहित गैसोलीन और मिश्रित पेट्रोल दोनों पर चल सकते हैं।
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- ‘फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल’, सभी प्रकार के मिश्रित ईधनों का उपयोग करने और बिना मिश्रित ईंधन, दोनों पर चलने में सक्षम होंगे।
- FFV में 84 प्रतिशत से अधिक इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल पर चलने में सक्षम इंजन लगा होता है।
लाभ:
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- ‘फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल’ (FFVs) का उद्देश्य प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना और हानिकारक उत्सर्जन को कम करना है।
- वर्तमान में वैकल्पिक ईंधन, इथेनॉल, के कीमत 60-62 रुपये प्रति लीटर है, जबकि पेट्रोल की कीमत देश के कई हिस्सों में 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक है। अतः इसलिए इथेनॉल का उपयोग करने से भारतीयों को 30-35 रुपये प्रति लीटर की बचत होगी।
- भारत में, FFVs का एक अन्य विशेष लाभ होगा, क्योंकि ये वाहनों को, देश के विभिन्न हिस्सों में उपलब्ध इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के विभिन्न मिश्रणों का उपयोग करने में सक्षम करेगा।
- इसके अलावा, ये वाहन जनवरी 2003 में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम का तार्किक विस्तार हैं।
- चूंकि भारत में मक्का, चीनी और गेहूं का उत्पादन अधिशेष मात्रा में होता है, इसलिए इथेनॉल कार्यक्रम के अनिवार्य सम्मिश्रण से किसानों को उच्च आय हासिल होने में मदद मिलेगी।
- चूंकि, भारत में कच्चे तेल की 80 प्रतिशत से अधिक आवश्यकताओं को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है, अतः समग्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए, इथेनॉल का अधिक उपयोग से ऑटोमोबाइल ईंधन के आयात पर होने वाली लागत बचाने में मदद मिलेगी।
FFVs उपयोग करने के नुकसान/चुनौतियाँ:
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- ग्राहकों की स्वीकृति (Customer acceptance) एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि इन वाहनों को खरीदना और इनको चलाने की लागत, 100 प्रतिशत पेट्रोल वाहनों की तुलना में बहुत अधिक होने वाली है।
- 100 प्रतिशत इथेनॉल (E100) के साथ वाहन चलाने पर, इसकी लागत (कम ईंधन दक्षता के कारण) 30 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी।
- फ्लेक्स फ्यूल इंजन की कीमत अधिक होती है क्योंकि इथेनॉल में, पेट्रोल की तुलना में बहुत भिन्न रासायनिक गुण होते हैं। इथेनॉल का ऊष्मीय मान / Calorific value (40 प्रतिशत), गैसोलीन की तुलना में काफी कम, तथा वाष्पीकरण की ‘गुप्त ऊष्मा’ काफी उच्च होती है।
- इथेनॉल, एक विलायक के रूप में भी कार्य करता है और इंजन के अंदर की सुरक्षात्मक तेल परत को नष्ट कर सकता है जिससे इंजन में टूट-फूट हो सकती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘सीटिल अल्कोहल’ (cetyl-alcohol) के बारे में जानते हैं? संक्षेप में इसके उपयोगों के बारे में बताइये।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल’ (FFVs) के बारे में
- इथेनॉल क्या है?
- इथेनॉल सम्मिश्रण के बारे में
मेंस लिंक:
पारंपरिक ईंधन के साथ एथेनॉल सम्मिश्रण किए जाने वाले लाभों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
बॉटम ट्रॉलिंग और संबंधित मुद्दे
संदर्भ:
18 से 20 दिसंबर के बीच श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा क्षेत्रीय जल में “अवैध मत्स्यन” करने के आरोप में 10 नौकाओं को जब्त कर लिया गया था, जिससे मछुआरों के भविष्य के बारे में फिर से चिंता उत्पन्न हो गयी है।
संबंधित प्रकरण:
तमिलनाडु के मछुआरों का गिरफ्तार किया जाना और बाद में रिहा किया जाना एक नियमित मामला बन गया है, लेकिन इस दौरान कुछ मौतों के मामले भी सामने आए हैं।
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- दोनों देशों के बीच विवाद की जड़, तमिलनाडु के मछुआरों द्वारा ‘बॉटम ट्रॉलर’ (Bottom Trawlers) का इस्तेमाल किया जाना है। श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में ‘बॉटम ट्रॉलर’ के इस्तेमाल का इस आधार पर विरोध किया जाता है, कि इससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचता है।
- श्रीलंका में मत्स्यन की इस पद्धित पर प्रतिबंध लगा हुआ है, और इस कानून को सख्ती से लागू करने के लिए कई बार आंदोलन किए गए हैं।
भारत की ओर से भी वर्ष 2010 और 2016 में, दो बार ‘ट्रॉलिंग पद्धित’ को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की गयी थी, हालांकि अभी तक यह प्रणाली खत्म नहीं हुई है।
‘बॉटम ट्रॉलिंग’ के साथ समस्या:
बॉटम ट्रालिंग (Bottom-Trawling), मत्स्यन की पारिस्थितिक रूप से विनाशकारी पद्धति है। इस पद्धति में, बड़े आकार के मत्स्यन पोत (Trawlers) मछली पकड़ने के जालों में वजन बांधकर समुद्र की तली में फेंक देते है, जिससे सभी प्रकार के समुद्री जीव जाल में फंस जाते है और क्षेत्र में मत्स्यन संसाधनों का अभाव हो जाता है।
बॉटम ट्रॉलिंग में, अल्पविकसित मछलियां भी फंस जाती है, जिससे समुद्री संसाधन भी समाप्त होने लगते हैं और समुद्री संरक्षण के प्रयास भी प्रभावित होते है। यह पद्धति, पाक की खाड़ी में तमिलनाडु के मछुआरों द्वारा शुरू की गई थी और बाद में श्रीलंका में गृहयुद्ध के दौरान काफी तेजी से इस पद्धति का प्रयोग किया गया था।
‘बॉटम ट्रालिंग’ समस्या का समाधान: ‘गहरे समुद्र में मत्स्यन योजना’ के बारे में:
‘बॉटम ट्रालिंग’ की समस्या का समाधान, ‘ट्रॉलिंग’ की बजाय ‘गहरे समुद्र में मत्स्यन’ किए जाने में निहित है।
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- समुद्र/महासागर के भीतरी भागों में रहने वाली मछलियों को पकड़ने की गतिविधियों को गहरे समुद्र में मत्स्यन’ या ‘डीप सी फिशिंग’ कहा जाता है।
- इसके लिए नौकाओं को इस तरह से डिजाइन किया जाता है, जिससे मछुआरों को समुद्र के भीतरी हिस्सों और मछली प्रजातियों तक पहुंचने में आसानी हो सके।
- यह पद्धति दुनिया भर में, विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में प्रचलित है और इसमें पारिस्थितिक तंत्र को किसी प्रकार की क्षति भी नहीं पहुँचती है।
- जिन क्षेत्रों में पानी की गहराई न्यूनतम 30 मीटर होती है, उन्हें ‘गहरे समुद्र में मत्स्यन’ क्षेत्र माना जाता है।
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सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास- पाक खाड़ी योजना:
‘पाक खाड़ी योजना’ (Palk Bay scheme) की शुरुआत ‘नीली क्रांति कार्यक्रम’ के तहत जुलाई 2017 में की गयी थी।
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- इस योजना को, लाभार्थीयों की भागीदारी सहित केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।
- इसके अंतर्गत, राज्य के मछुआरों को तीन साल में 2,000 जहाज उपलब्ध कराए जाने और इनको ‘बॉटम ट्रालिंग (Bottom Trawling) पद्धति को छोड़ने के लिए प्रेरित की परिकल्पना की गयी थी।
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
पी एन पणिकर
भारत के राष्ट्रपति ने हाल ही में, तिरुवनंतपुरम के पूजापुरा में श्री ‘पी एन पणिकर’ (P.N. Panicker) की प्रतिमा का अनावरण किया।
पी एन पणिकर (1909-1995):
‘पुथुवायिल नारायण पणिक्कर’ को केरल के पुस्तकालय आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता है।
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- वर्ष 1996 से उनकी पुण्यतिथि – 19 जून को केरल में ‘वायनादिनम’ (Vayanadinam) अर्थात ‘पठन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- 2017 में, प्रधान मंत्री ने 19 जून (केरल के पठन दिवस) को भारत में ‘राष्ट्रीय पठन दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया था, इसके आगे महीने भर की अवधि को, भारत में ‘राष्ट्रीय पठन माह’ (National Reading Month) के रूप में मनाया जाता है।
- ‘पणिक्कर’ ने 1945 में 47 ग्रामीण पुस्तकालयों सहित ‘तिरुविथामकूर ग्रंथशाला संघम’ / त्रावणकोर लाइब्रेरी एसोसिएशन (Thiruvithaamkoor Granthasala Sangham) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ‘पढ़ो और बढ़ो’ इस संघ का नारा था।
- ‘ग्रंथशाला संघम’ को वर्ष 1975 में यूनेस्को द्वारा प्रतिष्ठित ‘कृपसकाया पुरस्कार’ (Krupsakaya Award) प्रदान किया गया था।
अभ्यास
हाल ही में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (High-Speed Expendable Aerial Target – HEAT) ‘अभ्यास’ (Abhyas) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
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- ‘अभ्यास’ एक स्वदेशी मानवरहित हवाई लक्ष्य प्रणाली है।
- वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE), बेंगलुरु स्थित DRDO प्रयोगशाला ने अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के साथ भारतीय सशस्त्र बलों के एरियल टारगेट्स की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इस स्वदेशी मानव रहित हवाई टारगेट प्रणाली को विकसित किया है।
ओलिव रिडले कछुए
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के शोधकर्ताओं द्वारा ‘ओलिव रिडले’ (Olive Ridley) कछुओं की तीन सामूहिक प्रजनन स्थलों – गहिरमाथा, देवी नदी के मुहाने और रुशिकुल्या पर टैगिंग (Tagging) की जा रही है।
इस टैगिंग से प्रजनन स्थलों पर इकठ्ठे होने और प्रजनन करने के बाद, ‘ओलिव रिडले कछुओं’ के प्रवसन मार्ग तथा इनके गन्तव्य स्थानों के बारे में जानकारी मिलेगी।
महत्वपूर्ण तथ्य:
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- ओलिव रिडले कछुए (Olive ridley turtles) विश्व में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सर्वाधिक संख्या में हैं।
- ये प्रशांत, अटलांटिक और भारतीय महासागरों के उष्ण जल में निवास करते हैं।
- ओलिव रिडले कछुए, तथा इसी प्रजाति के केमप्स रिडले कछुए (Kemps ridley turtle), अपने विशिष्ट सामूहिक घोसलों के लिए जाने जाते हैं , इन घोसलों को अरिबाड़ा (Arribada) कहा जाता है।
- समुद्र तट पर इन घोसलों में मादा ओलिव रिडले कछुए हजारों की संख्या में एक साथ अंडे देने के लिए हर साला आती हैं।
- ओडिशा के गंजम जिले में रुशिकुल्या नदी तट, गहिरमाथा तट और देबी नदी का मुहाना, ओडिशा में ओलिव रिडले कछुओं द्वारा अंडे देने के प्रमुख स्थल हैं।
संरक्षण स्थिति:
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- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची- 1
- IUCN रेड लिस्ट: संवेदनशील (Vulnerable)
- CITES: परिशिष्ट- I
हर साल, 1980 के दशक की शुरुआत से भारतीय तटरक्षक बल द्वारा “ऑपरेशन ओलिविया” (Operation Olivia) चलाया जाता है, जिसके दौरान नवंबर से दिसंबर तक ‘घोसला बनाने और प्रजनन करने’ हेतु ओडिशा तट पर एकत्र होने वाले ओलिव रिडले कछुओं की रक्षा करने में मदद की जाती है।
‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ का संकल्प 2615
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) द्वारा ‘संकल्प 2615’ (Resolution 2615) सर्वसम्मति से पारित किया गया है। इसमें, अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए तालिबान के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने संबंधी प्रावधान किए गए हैं।
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- इस प्रस्ताव में, अफ़ग़ानिस्तान में बुनियादी मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने हेतु, आवश्यक मानवीय सहायता और अन्य गतिविधियों को शामिल किया गया है।
- संकल्प (2615) में हर छह महीने में इन छूटों की समीक्षा करना अनिवार्य किया गया है।
- इसमें आपातकालीन राहत समन्वयक से ‘सहायता के वितरण और कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं’ के बारे में हर छह महीने में ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ को को जानकारी देने को कहा गया है।
- इसमें मानवाधिकारों का सम्मान करने और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने के लिए “सभी पक्षों से आह्वान” भी किया गया है।
प्रलय मिसाइल
DRDO ने हाल ही में स्वदेशी रूप से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल ‘प्रलय’ (Pralay) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया।
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- प्रलय’ भारत की पहली पारंपरिक अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है। एक अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल का प्रक्षेपवक्र कम होता है, और चूंकि यह काफी हद तक बैलिस्टिक जैसी ही होता है, अतः यह उड़ान में पैंतरेबाज़ी करने में सक्षम है।
- मिसाइल को इस तरह से विकसित किया गया है, कि यह इंटरसेप्टर मिसाइलों को निष्फल करने में सक्षम है और हवा में एक निश्चित दूरी के बाद अपना मार्ग बदलने में भी सक्षम है।
- प्रलय मिसाइल, एक ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर और कई नई तकनीकों से संचालित है।
- रेंज: मिसाइल की रेंज 150-500 किलोमीटर है और इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है।
- भारतीय सेना की शस्त्र-सूची में ‘प्रलय’ सतह से सतह पर मार करने वाली ‘सबसे लंबी दूरी’ की मिसाइल होगी।
वर्नाक्युलर इनोवेशन प्रोग्राम
हाल ही में, अटल इनोवेशन मिशन (AIM) द्वारा 22 मातृभाषाओं में नवोन्मेषकों, उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए वर्नाक्युलर इनोवेशन प्रोग्राम (Vernacular Innovation Program – VIP) शुरू किया गया है।
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- नीति आयोग के तहत, ‘अटल इनोवेशन मिशन’ का अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है, जो देश में नवोन्मेषकों और उद्यमियों को भारत सरकार की 22 अनुसूचित भाषाओं में नवाचार इको-सिस्टम तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाएगा।
- कार्यान्वयन: VIP के लिए आवश्यक क्षमता निर्माण को लेकर, एआईएम 22 अनुसूचित भाषाओं में से प्रत्येक की पहचान के बाद एक वर्नाक्युलर टास्क फोर्स (VTF) को प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
- यह कार्यक्रम भारतीय नवाचार तथा उद्यमिता इको-सिस्टम की यात्रा में एक कदम होगा जो युवा तथा महत्वाकांक्षी दिमागों में संज्ञानात्मक एवं डिजाइन से संबंधित सोच को मजबूत करेगा।
- अटल इनोवेशन मिशन की यह अनूठी पहल, भाषा की बाधाओं को दूर करने और देश के सबसे दूर के क्षेत्रों में इनोवेटरों को सशक्त बनाने में मदद करेगी।
आवश्यकता:
2011 की जनगणना के अनुसार, केवल 10.4 प्रतिशत भारतीय ही अंग्रेजी बोलते हैं, जबकि ज्यादातर अपनी दूसरी, तीसरी या चौथी भाषा के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं।
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- केवल 02 प्रतिशत भारतीय ही अपनी पहली भाषा के रूप में अंग्रेजी बोलते हैं।
- अटल इनोवेशन मिशन (AIM) का उद्देश्य किसी की भाषा और संस्कृति में सीखने की पहुंच प्रदान करके स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक नवाचार को बढ़ावा देना है।
तोलकाप्पियम
हाल ही में, शिक्षा राज्य मंत्री द्वारा तोलकाप्पियम (Tolkāppiyam) के हिंदी अनुवाद और शास्त्रीय तमिल साहित्य की 9 पुस्तकों के कन्नड़ अनुवाद का विमोचन किया गया।
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- तमिल साहित्य, संगम युग से संबंधित है, जिसका नाम कवियों की सभा (संगम) के नाम पर रखा गया है।
- तोल्काप्पियम की रचना ‘तोल्काप्पियार’ द्वारा की गयी थी और इसे तमिल साहित्यिक कृतियों में सबसे प्रारंभिक माना जाता है।
- हालांकि यह रचना तमिल व्याकरण से संबंधित है, किंतु यह उस समय की राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर भी अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है।
- तमिल परंपरा में कुछ लोग, इस रचना को सहस्राब्दी ईसा पूर्व या उससे पहले के ‘पौराणिक दूसरे संगम’ में रखते हैं।
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