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सामान्य अध्ययन– I
विषय: भारतीय समाज पर भूमंडलीकरण का प्रभाव।
1. वैश्वीकरण से असमानताओं में कमी आने की सम्भावना थी। फिर भी हमारे देश में, वास्तव में असमानताओं में वृद्धि हुई हैं एवं इसे संबोधित किये जाने की आवश्यकता है। चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: कठिन
सन्दर्भ: The Hindu , Indian Express
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारत में बढ़ती असमानताओं के बारे में आंकड़े प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।
विषय वस्तु:
समझाइए कि कैसे वैश्वीकरण से समान लाभ प्राप्त करने की अपेक्षा की गई थी लेकिन इसने बढ़ती असमानताओं को जन्म दिया है।
इसके विभिन्न कारणों एवं प्रभावों का वर्णन कीजिए।
भारत में असमानताओं को दूर करने के लिए आवश्यक विभिन्न चरणों के बारे में लिखिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।
2. महामारी के बाद बाल श्रम को रोकने के लिए आज की हमारी कार्रवाई कल बच्चों के भविष्य का निर्धारण करेगी। स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: सरल
सन्दर्भ: New Indian Express
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारत में बाल श्रम के संबंध में आँकड़े प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।
विषय वस्तु:
ड्रॉप आउट एवं बाल श्रम की बढ़ती प्रवृत्तियों पर कोविड-19 महामारी के प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
बाल श्रम को बढ़ावा देने वाले अन्य कारकों का उल्लेख कीजिए।
बच्चों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने एवं बाल श्रम के खतरे को रोकने के लिए आवश्यक उपायों के बारे में लिखिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– II
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
3. समान नागरिक संहिता क्या है? क्या आपको लगता है कि इसे लागू करने का यह सही समय है? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तथ्यों को बताते हुए अंत में एक सारगर्भित निष्कर्ष निकालना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
अनुच्छेद 44 के अनुसार समान नागरिक संहिता (UCC) को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।
विषय वस्तु:
भारत में समान नागरिक संहिता के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
भारत में समान नागरिक संहिता के तर्कों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
भारत में समान नागरिक संहिता के विरुद्ध तर्कों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
निष्कर्ष:
समान नागरिक संहिता के संबंध में एक संतुलित राय प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– III
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
4. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति द्वारा बेंचमार्क ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखने के कारकों की जांच कीजिए। क्या आपको लगता है कि यह एक सही कदम है?
प्रश्न का स्तर: मध्यम
सन्दर्भ: The Hindu , Indian Express
निर्देशक शब्द:
जांच कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति का जनादेश प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
बेंचमार्क ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखने के कारणों का उल्लेख कीजिए।
उपरोक्त कदम के लाभ एवं हानियों पर प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
यथास्थिति को जारी रखने के कदम के बारे में एक संतुलित राय प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
5. प्लास्टिक अपशिष्ट हमारे महासागरों को भर रहा है तथा समुद्री जीवन को नष्ट कर रहा है और यहां तक कि हमारे शरीर में प्रवेश करने के लिए हमारी खाद्य श्रृंखला पर आक्रमण कर रहा है। भारत में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के विभिन्न उपायों का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: सरल
सन्दर्भ: Insights on India
निर्देशक शब्द:
परीक्षण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारत एवं विश्व में प्लास्टिक प्रदूषण की सीमा के सन्दर्भ में आँकड़े प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।
विषय वस्तु:
प्लास्टिक प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों एवं इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
भारत में प्लास्टिक के निर्माण को विनियमित करने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए।
भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन से निपटने के लिए नीतिगत उपायों एवं अन्य पहलों की गणना कीजिए। उपरोक्त उपायों के प्रदर्शन की जांच कीजिए।
निष्कर्ष:
प्लास्टिक प्रदूषण के मुद्दे से समग्र रूप से निपटने के तरीकों पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
6. यह न केवल अनुपचारित सीवेज जल एवं औद्योगिक अपशिष्ट, बल्कि ठोस अपशिष्ट एवं निर्माण सामग्री भी हैं, जो भारतीय जल पारिस्थितिकी तंत्र के घुटन का कारण बना है। विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
प्रश्न का स्तर: सरल
सन्दर्भ: Insights on India
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिए– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
सार्वजनिक कल्याण के रूप में जल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भारत का 70% से अधिक सतह एवं भूजल मानव एवं अन्य अपशिष्टों से दूषित है और इसके प्रदूषित होने की संभावना है।
जल प्रदूषण के प्रमुख कारणों के बारे में लिखिए एवं उनका विश्लेषण कीजिए।
भारत में जल प्रदूषण को कम करने के उपायों का सुझाव दीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– IV
विषय: केस स्टडी।
7. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में हिरासत में मौत के 100 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 42 पुलिस हिरासत में थे। 33 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि 27 को चार्जशीट किया गया था। 48 पुलिसकर्मियों पर आरोप पत्र दायर किया गया और तीन को मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में दोषी ठहराया गया। पुलिस कर्मियों के खिलाफ कुल मिलाकर 2,005 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 1,000 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। 456 मामलों के साथ, महाराष्ट्र सूची में सबसे ऊपर है जबकि गुजरात और राजस्थान 191 और 169 मामलों के साथ क्रमशः द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर हैं; 128 कर्मियों को दोषी ठहराया गया।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2019 के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष में हिरासत में मौत के 85 मामले दर्ज किए गए, जिनमें सर्वाधिक मामले तमिलनाडु में दर्ज किए गए, इसके बाद गुजरात, पंजाब, राजस्थान और ओडिशा का स्थान है। किसी भी पुलिसकर्मी को दोषी नहीं ठहराया गया, हालांकि गुजरात के 14 कर्मियों को गिरफ्तार किया गया और आरोप पत्र दाखिल किया गया। राजस्थान में हिरासत में हुई छह मौतों के मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तीन मजिस्ट्रियल पूछताछ और दो न्यायिक जांच शुरू की गयी थीं।
हालाँकि कई पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया जाता है लेकिन यह मानने के अनेक कारण हैं कि कई लोग – रिकॉर्ड में हेरफेर करके, शिकायतकर्ताओं को धमकाकर या राजनीतिक संरक्षण देकर मुक्त हो जाते हैं। यह सुनिश्चित करना वरिष्ठ अधिकारियों पर निर्भर होता है कि क्रूर यातना का सहारा लेने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई शुरू की जाए। जब गलती करने वाले कर्मियों को तुरंत दंडित किया जाता है, तो अन्य क्रूर पुलिसकर्मियों तक यह संदेश जोर से और स्पष्ट रूप से जाता है कि कानून उन्हें पकड़ लेगा। हिरासत में हुई मौतों के मामले में दोषियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
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- भारत में हिरासत में होने वाली हिंसा से निपटने के लिए उपाय सुझाएं?
- क्या पुलिस अधीक्षकों को उनकी निगरानी में उनके द्वारा किए गए अनौचित्य के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
प्रश्न का स्तर: मध्यम
उत्तर की संरचना:
परिचय:
आप भारत में हिरासत में हिंसा के मुद्दे की गंभीरता को प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कर सकते हैं।
विषय वस्तु:
हाल की घटनाओं के आलोक में, पारदर्शिता सुनिश्चित करने, दोषियों की सुरक्षा, परिवार के सदस्यों को सूचित करने, गिरफ्तार किए गए लोगों को विधिक सहायता उपलब्ध कराने आदि के लिए उचित तंत्र सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कदमों का सुझाव दीजिए।
हिरासत में हिंसा के लिए पुलिस अधीक्षकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए या नहीं, इस पर विचार-विमर्श कीजिए।
ऐसी रिपोर्ट के पक्षों एवं विपक्षों पर प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
भारत में हिरासत में हिंसा के खतरे को समाप्त करने की आवश्यकता पर बल देते हुए निष्कर्ष निकालिए।
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