[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 01 December 2021 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययनII

1. वीर सावरकर

 

सामान्य अध्ययन-II

1. जम्मू-कश्मीर का रोशनी अधिनियम

2. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी

 

सामान्य अध्ययन-III

1. “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली एवं सेवाओं (ACROSS)” योजना

2. हाइड्रोजन-समृद्ध संपीडित प्राकृतिक गैस

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र

2. महिला वैज्ञानिकों के लिए POWER योजना

3. गिरनार पर्वत

 


सामान्य अध्ययनI


 

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।

वीर सावरकर


संदर्भ:

हाल ही में, हिंदुत्व की राजनीतिक विचारधारा के प्रणेता माने जाने वाले ‘विनायक दामोदर सावरकर’ के व्यक्तित्व को ‘‘भारत रत्न’’ से ऊपर बताते हुए ‘केंद्रीय सूचना आयुक्त’ (CIC) उदय माहूरकर ने कहा, कि यदि सावरकर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान नहीं भी मिलता है, तो भी उनका कद अप्रभावित रहेगा क्योंकि देश में ‘सावरकर युग’ का आगमन पहले ही हो चुका है।

संबंधित प्रकरण:

सावरकर का बताया जाने वाला एक ‘उद्धरण’ प्रायः अकादमिक गोष्ठियों में चर्चा का विषय रहता है, इसके अनुसार, सावरकर ने जिन्ना के ‘दो राष्ट्र सिद्धांत’ का समर्थन किया था।

  • हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है, कि जहां जिन्ना देश का विभाजन चाहते थे, वही सावरकर भारत की क्षेत्रीय अखंडता के पक्षधर थे।
  • जिन्ना, अल्पसंख्यकों का शासन-व्यवस्था में प्रतिनिधित्व चाहते थे, जबकि सावरकर बहुसंख्यकों का शासन चाहते थे।
  • जिन्ना, राज्य की ‘अवशिष्ट शक्तियां’ प्रांतों को दिए जाने के पक्ष में थे, किंतु सावरकर इन शक्तियों के लिए ‘केंद्र’ को सौंपना चाहते थे।
  • जिन्ना, सिविल/लोक सेवा भर्ती में आरक्षण दिए जाने की बात करते थे, जबकि सावरकर चाहते थे कि लोक सेवाओं में भर्ती के लिए योग्यता ही एकमात्र मानदंड हो।

सावरकर के बारे में:

विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में भागुर शहर में हुआ था।

राष्ट्रवाद और सामाजिक सुधार:

  • विनायक सावरकर और गणेश सावरकर ने 1899 में नासिक में एक क्रांतिकारी युवा संगठन- मित्र मेला की शुरुआत की थी। इस संगठन को राष्ट्रीय और क्रांतिकारी विचारों के प्रसार के लिए स्थापित किया गया था।
  • वह विदेशी वस्तुओं का विरोध और ‘स्वदेशी’ के विचार का समर्थन करते थे। 1905 में, उन्होंने दशहरे के अवसर पर सभी विदेशी सामानों को अलाव में जला दिया।
  • वह नास्तिकता और तार्किकता का समर्थन करते थे और उन्होंने रूढ़िवादी हिंदू विचारों का खंडन किया। वस्तुतः, उन्होंने गाय की पूजा को भी अंधविश्वास कह कर खारिज कर दिया था।
  • विनायक सावरकर, वर्ष 1937 से 1943 के दौरान हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे।
  • 22 अक्टूबर 1939 को कांग्रेस मंत्रालयों द्वारा त्यागपत्र दिए जाने के बाद, इनके नेतृत्व में हिंदू महासभा ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सिंध, बंगाल और पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत (NWFP) प्रांतों में सरकार बनाने के लिए सहयोग किया।
  • सावरकर ने, पुणे में, “अभिनव भारत समाज” नामक संगठन की स्थापना की।
  • इन्होने, लोकमान्य तिलक की स्वराज पार्टी की सदस्यता भी ग्रहण की।
  • इन्होंने ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की। इस सोसायटी के द्वारा त्योहारों, स्वतंत्रता आंदोलन संबंधी प्रमुख घटनाओं सहित भारतीय कैलेंडर की महत्वपूर्ण तिथियों को मनाया जाता था और यह भारतीय स्वतंत्रता के संदर्भ में विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित थी।
  • इनका मानना था, कि भारत को अंग्रेजों से मुक्त करने के लिए हथियारों के इस्तेमाल की जरूरत है, और इन्होने इंग्लैंड में हथियारों से लैस भारतीयों का एक नेटवर्क बनाया।

महत्वपूर्ण रचनाएं:

  1. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास (‘द हिस्ट्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’)
  2. मॉर्ले-मिंटो सुधार के खिलाफ एक सशस्त्र विद्रोह (An armed revolt against the Morley-Minto reform)
  3. ‘हिंदुत्व’ नामक अपनी पुस्तक में दो राष्ट्र सिद्धांत की स्थापना

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. मित्रा मेला, अभिनव भारत सोसाइटी और फ्री इंडिया सोसाइटी की स्थापना किसने की थी? इनके उद्देश्य क्या थे?
  2. सावरकर द्वारा लिखित पुस्तकें?
  3. सावरकर की पुस्तक, जो मैडम भीकाजी कामा द्वारा प्रकाशित की गई थी?
  4. मॉर्ले-मिंटो सुधार: प्रमुख प्रावधान
  5. भारत को आज़ाद करने के लिए हथियारों के इस्तेमाल पर सावरकर के विचार
  6. हिंदू महासभा- प्रमुख उपलब्धियां

मेंस लिंक:

देश में होने वाले सामाजिक सुधारों में वीर सावरकर के योगदान पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

जम्मू-कश्मीर का ‘रोशनी अधिनियम’


(J&K’s Roshni Act)

संदर्भ:

उच्च न्यायालय द्वारा ‘रोशनी अधिनियम’ (Roshni Act) को रद्द किए जाने के एक साल बाद, जम्मू और कश्मीर सरकार ने अब लाभार्थियों को इस अधिनियम के तहत दी गई भूमि को पुनः प्राप्त करने की कवायद शुरू कर दी है।

पृष्ठभूमि:

‘जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (कब्जाधारकों के लिए स्वामित्व अधिकार) अधिनियम’ (Jammu and Kashmir States Land (vesting of ownership to the occupants) Act), को ‘रोशनी अधिनयम’ के नाम से भी जाना जाता है। प्रायः, इस अधिनियम के कार्यान्वयन में अनियमितताओं से संबंधित आरोप लगाए जाते रहे है। यह अधिनियम अब अमान्य घोषित किया जा चुका है।

1 नवंबर, 2020 को, केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा ‘रोशनी अधिनियम, 2001’ के तहत, सरकारी भूमि पर कब्ज़ा करने वालों के स्वामित्व अधिकारों को रद्द कर दिया गया था।

‘रोशिनी अधिनियम’ के बारे में:

इस अधिनियम को वर्ष 2001 में लागू किया गया था, इसका उद्देश्य अनधिकृत भूमि को नियमित करना था।

इस अधिनियम में, सरकार द्वारा निर्धारित की गयी कीमत चुकाए जाने के पश्चात, राज्य की भूमि पर तत्कालीन कब्जाधारकों के लिए स्वामित्व अधिकारों को हस्तांतरित करने का प्रावधान किया गया था।

  • सरकार द्वारा, इस प्रकार प्राप्त होने वाले राजस्व को पनबिजली परियोजनाएं शुरू करने पर, व्यय करने का विचार किया गया था, इसीलिये इस अधिनियम का नाम ‘रोशनी’ रख दिया गया।
  • इसके अलावा, संशोधनों के माध्यम से, सरकार द्वारा किसानों को अधिकृत कृषि भूमि पर मुफ्त में स्वामित्व अधिकार प्रदान किये गए, इसके लिए मात्र 100 रुपये प्रति कनाल, प्रलेखन शुल्क लिया गया।

इस अधिनियम को ‘रद्द’ किए जाने संबंधी कारण

  • वर्ष 2009 में, राज्य सतर्कता संगठन द्वारा कई सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, इन अधिकारियों पर, रोशनी अधिनियम के तहत मानदंडो को पूरा नहीं करने वाले कब्जाधारकों को गैरकानूनी तरीके से भूमि के स्वामित्व अधिकार प्रदान करने की आपराधिक साजिश करने के आरोप लगाए गए थे।
  • वर्ष 2014 में, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2007 से वर्ष 2013 के बीच, अतिक्रमित भूमि के हस्तांतरण से 25,000 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया था, किंतु मात्र 76 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई थी। इस प्रकार इस क़ानून का उद्देश्य ही निष्फल हो गया।
  • रिपोर्ट में, राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए, ‘स्थायी समिति’ द्वारा तय की गई कीमतों में मनमानी ढंग से कमी किये जाने संबंधी अनियमितताओं को दोषी ठहराया गया था।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. रोशनी अधिनियम क्या है?
  2. अधिनियम की विशेषताएं
  3. अधिनियम में संशोधन

मेंस लिंक:

जम्मू-कश्मीर का ‘रोशनी अधिनियम’ क्या है? हाल ही में इसे क्यों समाप्त कर दिया गया? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी


(Central bank digital currency)

संदर्भ:

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ (Central Bank Digital Currency – CBDC) को चरणबद्ध तरीके से शुरू करने संबंधी कार्यान्वयन रणनीति पर कार्य किया जा रहा है। इस डिजिटल मुद्रा को इस साल के अंत तक प्रायोगिक तौर पर लॉन्च किया जा सकता है।

वित्तीय सलाहकार सेवा फर्म द्वारा भारतीय संदर्भ में सीबीडीसी (CBDC) के चार प्रमुख उपयोगों को सूचीबद्ध किया है। इनमे शामिल है:

  1. किसी देश में सामाजिक लाभ और अन्य लक्षित भुगतानों के लिए उपयोग हेतु उद्देश्य के लिए उपयुक्त’ धन (‘Fit-for-Purpose’ Money)। ऐसे मामलों में, केंद्रीय बैंक द्वारा आशयित लाभार्थीयों के लिए पूर्व-क्रमादेशित (Pre-Programmed) सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का भुगतान किया जा सकता है, जो केवल एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए मान्य होगी।
  2. विदेशों से देश में शीघ्रता से रकम भेजने के लिए (Remittance Payments), CBDC का उपयोग किया जा सकता है। भारत सहित दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से ‘सीबीडीसी’ के हस्तांतरण और परिवर्तन हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचा और तंत्र का निर्माण किया जा सकता है।
  3. ‘सीबीडीसी’ के माध्यम से किए जाने वाले भुगतान के लेनदेन हेतु ‘भुगतान उपकरण’ उपलब्ध कराए जा सकते हैं। इसके अलावा, सीबीडीसी तक सार्वभौमिक रूप से पहुँच बनाने के लिए, इसकी कार्य-प्रणाली में ‘ऑफ़लाइन भुगतान’ को भी शामिल किया जा सकता है।
  4. सीबीडीसी की मदद से भारत में ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों’ (MSMEs) को तत्काल ऋण देना भी संभव हो सकता है।

सीबीडीसी की आवश्यकता:

  1. एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा, बिना किसी इंटर-बैंक सेटलमेंट के ‘रियल-टाइम भुगतान’ को सक्षम करते हुए मुद्रा प्रबंधन की लागत को कम करेगी।
  2. भारत का काफी उच्च मुद्रा-जीडीपी अनुपात, सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) का एक और लाभ है- इसके माध्यम से, काफी हद तक नकदी के उपयोग को CBDC द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है तथा कागज़ी मुद्रा की छपाई, परिवहन और भंडारण की लागत को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  3. चूंकि, इस व्यवस्था के तहत, व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को मुद्रा-अंतरण केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी होगी, अतः ‘अंतर-बैंक निपटान’ / ‘इंटर-बैंक सेटलमेंट’ की जरूरत समाप्त हो जाएगी।

CBDC या ‘राष्ट्रीय डिजिटल मुद्रा’ क्या है?

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), या राष्ट्रीय डिजिटल करेंसी, किसी देश की साख मुद्रा का डिजिटल रूप होती है। इसके लिए, कागजी मुद्रा या सिक्कों की ढलाई करने के बजाय, केंद्रीय बैंक इलेक्ट्रॉनिक टोकन जारी करता है। इस सांकेतिक टोकन को, सरकार का पूर्ण विश्वास और साख का समर्थन हासिल होता है।

एस सी गर्ग समिति की सिफारिशें (2019)

  1. किसी भी रूप में क्रिप्टोकरेंसी का खनन, स्वामित्व, लेन-देन या सौदा करने को प्रतिबंधित किया जाए।
  2. समिति के द्वारा, डिजिटल मुद्रा में विनिमय या व्यापार करने पर एक से 10 साल तक के कारावास का दंड की सिफारिश की गयी थी।
  3. समिति ने, सरकारी खजाने को हुए नुकसान या क्रिप्टोकरेंसी उपयोगकर्ता द्वारा अर्जित किए गए लाभ, जो भी अधिक हो, के तीन गुना तक मौद्रिक दंड का प्रस्ताव किया गया था।
  4. हालांकि, समिति ने सरकार से ‘भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा क्रिप्टोकरेंसी जारी करने की संभवना’ पर अपना दिमाग खुला रखने की सलाह भी दी गयी थी।

राष्ट्रीय डिजिटल मुद्रा शुरू करने में चुनौतियाँ:

  1. संभावित साइबर सुरक्षा खतरा
  2. आबादी में डिजिटल साक्षरता का अभाव
  3. डिजिटल मुद्रा की शुरूआत से, विनियमन, निवेश और खरीद पर नज़र रखने, व्यक्तियों पर कर लगाने आदि से संबंधित विभिन्न चुनौतियाँ भी उत्पन्न होती हैं।
  4. निजता के लिए खतरा: डिजिटल मुद्रा के लिए किसी व्यक्ति की कुछ बुनियादी जानकारी एकत्र करनी आवश्यक होती है, ताकि व्यक्ति यह साबित कर सके कि वह उस डिजिटल मुद्रा का धारक है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने ‘IOTA उलझन’ (IOTA Tangle) के बारे में सुना है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ब्लॉकचेन क्या है?
  2. क्रिप्टोकरेंसी क्या हैं?
  3. किन देशों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी जारी की गई है?
  4. बिटकॉइन क्या है?

मेंस लिंक:

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के लाभ और हानियों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: लाइवमिंट।

 


सामान्य अध्ययनIII


 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली एवं सेवाओं (ACROSS)” योजना


संदर्भ:

हाल ही में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली एवं सेवाओं” (Atmosphere & Climate Research-Modelling Observing Systems & Services – ACROSS) की समग्र योजना को अगले पांच साल अर्थात 2021-2026 तक जारी रखने को अपनी मंजूरी दे दी है।

इस योजना के सफल कार्यान्वयन से नागरिकों को क्या हासिल होगा?

  1. यह योजना मौसम, जलवायु एवं समुद्र के बारे में बेहतर तरीके से पूर्वानुमान एवं सेवाएं और अन्य जोखिम संबंधी सेवाएं प्रदान करेगी। इसमें चक्रवात, तूफानी लहरों, हीट वेव और तड़ित झंझा से संबंधित चेतावनी शामिल होगी।
  2. पूर्वानुमान से जुड़ी सूचनाओं को तैयार करने से लेकर इनके वितरण तक की पूरी प्रक्रिया में हर स्तर पर काफी संख्या में श्रमशक्ति की जरूरत होती है, जिससे कई लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
  3. यह योजना, बड़ी संख्या में उपलब्ध वैज्ञानिक और तकनीकी प्रतिभाओं के उपयोग किए जाने तथा इसे बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण प्रशासनिक सहायता प्रदान करेगी।

एक्रॉस (ACROSS) योजना:

  • “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली एवं सेवाओं (ACROSS)” योजना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के वायुमंडलीय विज्ञान कार्यक्रमों से संबंधित है।
  • यह योजना मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाओं के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देती है।
  • इनमें से प्रत्येक पहलू को “एक्रॉस” की समग्र योजना के तहत आठ उप-योजनाओं के रूप में शामिल किया गया है और इनका कार्यान्वयन उपरोक्त चार संस्थानों के माध्यम से एकीकृत तरीके से किया जाता है।

कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:

एक्रॉस योजना के तहत आने वाली आठ उप-योजनाएं अपनी प्रकृति में बहुआयामी हैं, और निम्नलिखित आठ योजनाओं के माध्यम से उपरोक्त कार्यों को पूरा करने में प्रत्येक संस्थान की एक निर्दिष्ट भूमिका है:

  1. पोलारिमेट्रिक डॉपलर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) की शुरुआत
  2. पूर्वानुमान प्रणाली का उन्नयन
  3. मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाएं
  4. वायुमंडलीय प्रेक्षण नेटवर्क
  5. मौसम एवं जलवायु की संख्यात्मक मॉडलिंग
  6. मानसून मिशन III
  7. मानसून संवहन, बादल और जलवायु परिवर्तन (एमसी4)
  8. उच्च प्रदर्शन वाली कंप्यूटिंग प्रणाली

योजना के लाभ:

  1. यह योजना बेहतर तरीके से मौसम, जलवायु एवं समुद्र के बारे में पूर्वानुमान एवं सेवाएं और अन्य जोखिम संबंधी सेवाएं प्रदान करेगी, ताकि अंतिम उपयोगकर्ता को सार्वजनिक मौसम सेवा, कृषि-मौसम विज्ञान सेवाओं, विमानन सेवाओं, पर्यावरण निगरानी सेवाओं, जल-मौसम विज्ञान सेवाओं, जलवायु सेवाओं, आदि से संबंधित लाभ पर्याप्त रूप से सुनिश्चित हो।
  2. इसके तहत, अपेक्षित प्रशासनिक सहायता सहित बड़ी संख्या में वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मचारियों के लिए रोजगार मिलेगा।
  3. अंतिम उपयोगकर्ता को मौसम आधारित सेवाओं की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए, ICAR के कृषि विज्ञान केंद्रों, विश्वविद्यालयों और स्थानीय नगर पालिकाओं, जैसी बड़ी संख्या में एजेंसियों को योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है। इस प्रकार कई लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

कार्यान्वयन:

यह योजना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF), भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) जैसी इकाइयों के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है।

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

हाइड्रोजन-समृद्ध संपीडित प्राकृतिक गैस


संदर्भ:

भारत में ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन’ के तहत “हाइड्रोजन-समृद्ध संपीडित प्राकृतिक गैस” (Hydrogen-enriched compressed natural gas: HCNG)” को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। जिसके तहत, उर्वरक, इस्पात और पेट्रोकेमिकल उद्योगों में ‘हरित / ग्रीन हाइड्रोजन’ के उपयोग को अनिवार्य भी किया जा सकता है।

पृष्ठभूमि:

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा ईंधन के रूप में मोटरवाहन उद्देश्यों के लिए ‘हाइड्रोजन समृद्ध संपीड़ित प्राकृतिक गैस’ (H-CNG) विनिर्देशों (आईएस 17314:2019) को तैयार किया गया है।

HCNG क्या है?

हाइड्रोजन को ‘संपीडित प्राकृतिक गैस’ (CNG) के साथ मिश्रित किए जाने पर प्राप्त गैस को ‘हाइड्रोजन-मिश्रित सीएनजी’ (HCNG) कहा जाता है।

इसका उपयोग गैसोलीन, डीजल ईंधन और प्रोपेन (C3H8) / LPG के स्थान पर किया जा सकता है और इसके दहन से अवांछनीय गैसों के उत्सर्जन में कमी आती है।

HCNG के लाभ:

  • ‘हाइड्रोजन-मिश्रित सीएनजी’ (HCNG), कार्बन मोनोक्साइड (CO) के उत्सर्जन को 70% तक कम करता है।
  • ईंधन में 5% तक की बचत करने में सक्षम है।
  • भविष्य की ‘हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था’ की ओर पहला कदम है।
  • कम मात्रा में नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) उत्सर्जन के लिए इंजनों को अंशशोधित किया जा सकता है।
  • इंजनों को HCNG चालित बनाने के लिए न्यूनतम संशोधन की आवश्यकता होती है।
  • उच्च भार वाले कार्यों और भारवाही वाहनों के लिए आदर्श ईंधन है।
  • हाइड्रोजन की उच्च ऑक्टेन रेटिंग के कारण बेहतर प्रदर्शन देता है।

HCNG का उपयोग करने में चुनौतिया:

  • सर्वाधिक अनुकूलित H2/NG (प्राकृतिक गैस) अनुपात का निर्धारण करना कठिन होता है।
  • HCNG तैयार करने के लिए नए बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है।
  • बड़े पैमाने पर इसका व्यावसायीकरण करने के लिए कई कदम उठाए जाने की जरूरत है।
  • हाइड्रोजन गैस की वर्तमान लागत, ‘प्राकृतिक गैस’ की लागत से अधिक है। अतः HCNG की लागत भी सीएनजी से अधिक हो जाती है।

स्रोत: पीआईबी।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र

सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (Information Management and Analysis Centre – IMAC) समुद्री डेटा संलयन के लिए नोडल एजेंसी है।

  • इसे 26/11 में हुए मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद स्थापित किया गया था।
  • वर्ष 2012 में रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया।
  • वर्ष 2014 से कार्य करना आरंभ किया और यह गुरुग्राम में स्थित है।
  • यह नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस सिस्टम (NC3I) का नोडल केंद्र है।
  • इसे नौसेना के परिचालन केंद्रों और नौसेना तथा देश के समुद्र तट पर फैले कोस्ट गार्ड के निचले अधिकारियों में संपर्क स्थापित करने हेतु गठित किया गया था।

 

महिला वैज्ञानिकों के लिए POWER योजना

“पावर” (महिलाओं के लिए अनुसंधान में अवसरों को प्रोत्साहन) अर्थात (POWER- Promoting Opportunities for Women in Exploratory Research)।

  • यह भारतीय शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी कार्यक्रमों में विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान के वित्तपोषण में लैंगिक असमानता को कम करने की एक योजना है।
  • इस योजना को ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग’ (DST) के एक सांविधिक निकाय, ‘विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड’ (SERB) द्वारा शुरू किया गया है।
  • पावर योजना के दो घटक हैं: (1) एसईआरबी-पावर फैलोशिप (छात्रवृत्ति); (2) एईआरबी- पावर रिसर्च ग्रांट (शोध अनुदान)।

current affairs

 

गिरनार पर्वत

यह पर्वत गुजरात में जूनागढ़ के पास अवस्थित है।

  • भगवान दत्तात्रेय ने गिरनार पर्वत की चोटी पर तपस्या की थी।
  • इसी स्थान पर 22 वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ ने निर्वाण भी प्राप्त किया था।

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