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विषयसूची
सामान्य अध्ययन–I
1. रानी गाइदिन्ल्यू
सामान्य अध्ययन-II
1. वाहन कबाड़ नीति
2. फिलीपींस एवं चीन के मध्य ‘दक्षिण चीन सागर विवाद’
सामान्य अध्ययन-III
1. सामरिक पेट्रोलियम भंडार (एसपीआर) कार्यक्रम
2. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप
3. क्रिप्टोकरेंसी संबंधी नया विधेयक
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. अल साल्वाडोर का बिटकॉइन सिटी
2. ताइवान जलडमरूमध्य
3. ‘भारत गौरव’ योजना
सामान्य अध्ययन–I
विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।
रानी गाइदिन्ल्यू
संदर्भ:
मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के लुआंगकाओ गांव (प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रानी गैडिनल्यू की जन्मस्थली) में रानी गाइदिन्ल्यू आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय (Rani Gaidinliu Tribal Freedom Fighters Museum) का निर्माण किया जा रहा है।
इस संग्रहालय में, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई के विभिन्न चरणों जैसे एंग्लो-मणिपुरी युद्ध, कुकी-विद्रोह, नागा-राज आंदोलनों में शामिल मणिपुर के जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों से जुडी वस्तुओं को संरक्षित एवं प्रदर्शित किया जाएगा।
‘रानी गाइदिन्ल्यू’ के बारे में:
रानी गाइदिन्ल्यू (Rani Gaidinliu) एक नागा आध्यात्मिक एवं राजनीतिक नेता थीं।
- रानी गाइदिन्ल्यू का जन्म 26 जनवरी 1915 हुआ था, और वे मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में जेलियांग्रांग जनजाति के रोंगमेई कबीले से संबंधित थीं।
- मात्र 13 साल की उम्र मे, वह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और धार्मिक नेता ‘हाईपोउ जादोनांग’ (Haipou Jadonang) के साथ जुड़ गईं, और उनके सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक आंदोलन में उनकी लेफ्टिनेंट बन गईं।
- जादोनांग भी रोंगमेई कबीले के सदस्य थे, और उन्होंने अपने पैतृक नागा धर्म पर आधारित ‘हेराका आंदोलन’ (Heraka Movement) शुरू किया था। इस आंदोलन का लक्ष्य था, क्षेत्र में दोबारा एक स्वतंत्र नागा साम्राज्य (या नागा-राज) स्थापित करना और अंग्रेज़ों को अपनी मिट्टी से खदेड़ना।
- जादोनांग के संपर्क में आने के पश्चात् रानी गाइदिन्ल्यू अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार हो गयीं। जदोनांग को फांसी दिए जाने के बाद आंदोलन की बागडोर रानी के हाथों में आ गई, और यह आंदोलन धीरे-धीरे धार्मिक से राजनीतिक हो गया।
- रानी गाइदिन्ल्यू ने अंग्रेजों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण गुरिल्ला युद्ध छेड़ दिया।
- 17 अक्टूबर, 1932 को रानी गाइदिनल्यू को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें हत्या, हत्या की साजिश का आरोप लगाकर उम्रकैद की सजा सुना दी गई।
- 14 साल बाद वर्ष 1947 में रानी गाइदिन्ल्यू को कैद से रिहा किया गया।
- 17 फरवरी, 1993 को रानी गाइदिन्ल्यू का उनके पैतृक गांव लुआंगकाओ में निधन हो गया।
विरासत:
अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में उनकी भूमिका को स्वीकार करते हुए, जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें “पहाड़ियों की बेटी” कहा और उन्हें “रानी” की उपाधि दी।
- रानी गाइदिन्ल्यू, उन कुछ महिला राजनीतिक नेताओं में से एक थीं, जिन्होंने सीमाओं के बावजूद, औपनिवेशिक काल के दौरान उत्कृष्ट साहस का प्रदर्शन किया।
- जादोनांग के धार्मिक दृष्टिकोण के विपरीत, रानी गाइदिन्ल्यू ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक सशस्त्र आंदोलन के लिए योजनाबद्ध तरीके से लड़ाई लड़ी।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि 1938 में, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान मणिपुर की पहली राजनीतिक पार्टी, ‘निखिल मणिपुर महासभा’ ने रानी गाइदिन्ल्यू को जेल से मुक्त करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था?
प्रीलिम्स लिंक:
- रानी गाइदिन्ल्यू के बारे में
- ‘हाईपोउ जादोनांग’
- हेराका आंदोलन
- उन्हें “पहाड़ियों की बेटी” की उपाधि किसने दी?
मेंस लिंक:
रानी गाइदिन्ल्यू की विरासत पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन–II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
वाहन कबाड़ नीति
(Vehicle Scrappage Policy)
संदर्भ:
सरकार द्वारा खरीदारों के लिए उनके पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के बाद नए वाहन खरीदने पर अतिरिक्त रियायत देने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
इस विषय पर अंतिम निर्णय (‘राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल कबाड़ नीति’ के तहत अधिक प्रोत्साहन दिए जाने संबंधी) वित्त मंत्रालय और जीएसटी परिषद द्वारा लिया जाएगा।
‘वाहन कबाड़ नीति’ के बारे में:
(Vehicle Scrappage Policy)
- इस नीति के अनुसार, पुराने वाहनों का फिर से पंजीकरण किए जाने से पहले इनके लिए एक फिटनेस टेस्ट पास करना होगा, और 15 साल से अधिक पुराने सरकारी वाहनों तथा 20 साल से अधिक पुराने निजी वाहनों को तोड़ दिया जाएगा।
- हतोत्साहन उपाय के रूप में, 15 वर्ष या इससे पुराने वाहनों का फिर से पंजीकरण करने पर, इनके शुरुआती पंजीकरण से ज्यादा शुल्क लिया जाएगा
- नीति के तहत, पुराने वाहनों के मालिकों द्वारा पुराने और अनफिट वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहन देने हेतु, निजी वाहनों पर 25% तक और व्यावसायिक वाहनों पर 15% तक रोड-टैक्स में छूट देने के लिए राज्य सरकारों से कहा जा सकता है।
महत्व:
- वाहन स्क्रैपिंग नीति / वाहन कबाड़ नीति का उद्देश्य, पर्यावरण के अनुकूल और सुरक्षित तरीके से अनुपयुक्त और प्रदूषणकारक वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने हेतु एक पारितंत्र का निर्माण करना है।
- यह पहल, एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी और आर्थिक विकास प्रक्रिया को अधिक संवहनीय और पर्यावरण के अनुकूल बनाएगी।
- यह नीति, लगभग 10,000 करोड़ रुपये का निवेश भी लाएगी और 35,000 रोजगार के अवसर पैदा करेगी।
नई नीति के साथ समस्याएं:
- ट्रक जैसे वाहनों के लिए सीमित प्रोत्साहन और खराब कीमत देने वाली अर्थनीति।
- पता लगाने योग्य अन्य वर्गों के वाहनों की कम संख्या।
- 15 साल पुरानी एक शुरुआती श्रेणी की छोटी कार को स्क्रैप करने से लगभग 70,000 रुपए का फायदा होगा, जबकि इसे बेचने पर लगभग 95,000 रुपए मिल सकते हैं। इस कारण स्क्रैपिंग करना अनाकर्षक बन जाता है।
समय की मांग:
इन सब कारणों को देखते हुए, स्क्रैपिंग नीति को पूरी तरह से लागू करने के लिए, हमें ‘जिन वाहनों का जीवन समाप्त हो चुका है, अर्थात ‘एंड ऑफ़ लाइफ व्हीकल्स’ (ELV) को सड़क से हटाने के संदर्भ में एक व्यापक योजना तैयार करनी चाहिए। माल-भाडा ट्रांसपोर्टर्स को एक पर्याप्त एवं उत्साही वित्तीय सहायता दिए जाने की आवश्यकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जब तक पुराने वाहनों के बेड़े सड़क से नहीं हटाए जाएंगे, तब तक बीएस-VI (BS-VI) वाहन लागू करने का लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पाएगा।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘जहाज पुनर्चक्रण’ से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय’ के बारे में जानते हैं? इसे ‘हांगकांग कन्वेंशन’ के रूप में भी जाना जाता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- इस नीति की मुख्य विशेषताएं
- प्रयोज्यता
- नीति के तहत दिया जाने वाला प्रोत्साहन
मेंस लिंक:
‘वाहन कबाड़ नीति’ से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
फिलीपींस एवं चीन के मध्य ‘दक्षिण चीन सागर विवाद’
संदर्भ:
फिलीपींस द्वारा दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में स्थित एक ‘प्रवाल द्वीप’ / ‘एटोल’ (दूसरा थॉमस शोल, जिसे स्थानीय रूप से अयुंगिन शोल के रूप में जाना जाता है) पर तैनात सैनिकों के लिए एक सैन्य पुन: आपूर्ति मिशन फिर से शुरू किया जा रहा है। पिछले सप्ताह चीनी तट रक्षकों द्वारा इस ‘प्रवाल द्वीप’ पर तैनात फिलीपींस के सैनिकों के लिए भेजी जाने वाली रसद सामग्री को रोक दिया गया था।
फिलीपींस के लिए अब ‘संयुक्त राज्य अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट’ का समर्थन हासिल है। कुछ समय पूर्व अमेरिका ने अपने एक बयान में, दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा की जा रही कार्रवाइयों को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा, क्षेत्रीय तनाव बढ़ने वाला तथा नौ-परिवहन की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाला बताया था।
एटोल (Atoll) का महत्व:
- वर्ष 1999 में फिलीपींस की नौसेना द्वारा एक चौकी के रूप में इस्तेमाल करने के लिए ‘अयुंगिन शोल’ (Ayungin Shoal) / ‘दूसरे थॉमस शोल’ पर ‘बीआरपी सिएरा माद्रे’ (BRP Sierra Madre) नामक द्वितीय विश्व युद्ध के के लैंडिंग पोत को तैनात किया था, उस समय से इस ‘प्रवाल द्वीप’ / ‘एटोल’ पर फिलीपीन मरीन कॉर्प्स की एक छोटी टुकड़ी का कब्जा है।
- यह प्रवाल द्वीप, पश्चिम फिलीपीन सागर में ‘पालावान’ (Palawan) से लगभग 105 समुद्री मील दूर है। ‘पालावान’ / ‘पलावन’ (Palawan), मनीला की शब्दावली में ‘दक्षिण चीन सागर’ के पूर्वी भाग के लिए कहा जाता है, यह क्षेत्र फिलीपींस के ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ (Exclusive Economic Zone – EEZ) के अंतर्गत आता है।
संबंधित मूल प्रकरण:
दक्षिणी चीन सागर में, बीजिंग द्वारा कई दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के साथ अतिव्यापी क्षेत्रीय दावा किया जाता रहा है।
- दक्षिणी चीन सागर पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम अपना दावा करते हैं, जबकि चीन, संसाधन-समृद्ध लगभग पूरे समुद्रीय क्षेत्र पर अपना प्रतिस्पर्धी दावा करता है। विदित हो कि, अरबों डॉलर सालाना का व्यापार करने वाले जहाज इस क्षेत्र से होकर गुजरते हैं।
- बीजिंग पर जहाज-रोधी मिसाइलों और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों सहित सैन्य उपकरण तैनात करने का भी आरोप लगाया गया है। इसके अलावा, चीन द्वारा वर्ष 2016 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए के एक फैसले को भी अनदेखा किया गया है, जिसमे चीन द्वारा अधिकांश जल-क्षेत्र पर किए जा रहे ऐतिहासिक दावे को बिना आधार के घोषित किया गया था।
‘दक्षिण चीन सागर’ की अवस्थिति:
दक्षिण चीन सागर, दक्षिण पूर्व एशिया में पश्चिमी प्रशांत महासागर की एक शाखा है।
- यह, चीन के दक्षिण, वियतनाम के पूर्व और दक्षिण, फिलीपींस के पश्चिम और बोर्नियो द्वीप के उत्तर में अवस्थित है।
- यह, ताइवान जलडमरूमध्य द्वारा ‘पूर्वी चीन सागर’ और ‘लूजॉन स्ट्रेट’ के माध्यम से ‘फिलीपीन सागर’ से जुड़ा हुआ है।
- सीमावर्ती देश और भू-भाग: जनवादी चीन गणराज्य, चीन गणराज्य (ताइवान), फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, सिंगापुर और वियतनाम।
सामरिक महत्व:
- ‘दक्षिणी चीन सागर’ अपनी अवस्थिति के कारण सामरिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, यह हिंद महासागर और प्रशांत महासागर (मलक्का जलसन्धि) के बीच संपर्क-कड़ी है।
- ‘संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास अभिसमय’ (United Nations Conference on Trade And Development– UNCTAD) के अनुसार, वैश्विक नौपरिवहन का एक-तिहाई भाग ‘दक्षिणी चीन सागर’ से होकर गुजरता है, जिसके द्वारा अरबों का व्यापार होता है। इस कारण भी यह एक महत्वपूर्ण भूराजनीतिक जल निकाय है।
दक्षिणी चीन सागर में अवस्थित द्वीपों पर विभिन्न देशों के दावे:
- ‘पारसेल द्वीप समूह’ (Paracels Islands) पर चीन, ताइवान और वियतनाम द्वारा दावा किया जाता है।
- स्प्रैटली द्वीप समूह’ (Spratley Islands) पर चीन, ताइवान, वियतनाम, ब्रुनेई और फिलीपींस द्वारा दावा किया जाता है।
- स्कारबोरो शोल (Scarborough Shoal) पर फिलीपींस, चीन और ताइवान द्वारा दावा किया जाता है।
- वर्ष 2010 से, चीन द्वारा निर्जन टापुओं को, ‘यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ द सी’ (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) के अंतर्गत लाने के लिए, कृत्रिम टापुओं में परिवर्तित किया जा रहा है। (उदाहरण के लिए, हेवन रीफ, जॉनसन साउथ रीफ और फेरी क्रॉस रीफ)।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘सात सागर’ (The Seven Seas) वाक्यांश का अर्थ जानते हैं?
क्या आपने समुद्रों के नामकरण और उनसे जुड़ी समस्याएं के बारे में सोचा है? इस बारे में जानकारी हेतु संक्षेप में पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘दक्षिणी चीन सागर’ में पक्षकारों के बरताव पर घोषणा के बारे में।
- विवाद में शामिल देश
- नाइ-डैश लाइन क्या है?
- इस क्षेत्र में स्थित महत्वपूर्ण खाड़ियाँ, मार्ग एवं सागर
- विवादित द्वीप और उनकी अवस्थिति
- UNCLOS क्या है?
- ताइवान स्ट्रेट और लूजॉन स्ट्रेट की अवस्थिति
मेंस लिंक:
दक्षिण चीन सागर विवाद पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
सामरिक पेट्रोलियम भंडार (एसपीआर) कार्यक्रम
(Strategic petroleum reserves (SPR) programme)
संदर्भ:
भारत द्वारा तेल की कीमतों को कम करने के लिए अमेरिका, चीन, जापान और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बाद, अपने आपातकालीन भंडार से 5 मिलियन बैरल कच्चा तेल जारी किया जाएगा।
भारत में पूर्वी और पश्चिमी तटों पर अवस्थित तीन जगहों पर भूमिगत भंडारों में 5.33 मिलियन टन या लगभग 38 मिलियन बैरल कच्चे तेल का भंडारण किया जाता है। भारत द्वारा पहली बार, इस प्रकार के उद्देश्य हेतु अपने ‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार’ से तेल को बाहर निकाला जा रहा है।
पृष्ठभूमि:
अमेरिका द्वारा पिछले हफ्ते चीन, भारत और जापान सहित कुछ सर्वाधिक तेल खपत करने वाले देशों से वैश्विक ऊर्जा कीमतों को कम करने हेतु, एक समन्वित प्रयास के तहत, कच्चे तेल के स्टॉक में से कुछ तेल को बाहर निकालने पर विचार करने के लिए एक असामान्य अनुरोध किया गया था।
‘पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन’ (OPEC) और उसके सहयोगियों द्वारा, उत्पादन में तेजी लाने हेतु बार-बार किए गए अनुरोधों को ठुकराने के बाद अमेरिका ने यह कदम उठाया था।
‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार कार्यक्रम’ (Strategic petroleum reserves (SPR) programme):
‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार’, प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध या अन्य आपदाओं की वजह से कच्चे तेल की आपूर्ति में व्यवधान के जोखिम जैसे किसी भी संकट से निपटने के लिए कच्चे तेल के विशाल भंडार हैं।
- ये पेट्रोलियम भंडार सामरिक प्रकृति के होंगे और इन भंडारों में संग्रहीत कच्चे तेल का उपयोग ‘तेल की कमी की स्थिति’ के दौरान अथवा भारत सरकार द्वारा इस प्रकार की स्थिति घोषित किए जाने पर किया जाएगा।
- सामरिक खनिज तेल भंडारण सुविधाओं के निर्माण का प्रबंधन, एक विशेष प्रयोजन कंपनी इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्वस लिमिटेड (ISPRL) द्वारा किया जा रहा है, जो ‘पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय’ के अधीन ‘तेल उद्योग विकास बोर्ड’ (OIDB) की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है।
‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार कार्यक्रम’ का पहला और दूसरा चरण:
- ‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार (एसपीआर) कार्यक्रम’ के पहले चरण के तहत, भारत सरकार द्वारा अपने विशेष उद्देश्य संवाहक (Special Purpose Vehicle- SPV) ‘इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड’ (ISPRL) के माध्यम से तीन स्थानों नामतः (i) विशाखापत्तनम (ii) मंगलुरु और (iii) पादुर (उडूपी के निकट) 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) के सामरिक खनिज तेल भंडार बनाने का निर्णय लिया गया था।
- ‘SPR कार्यक्रम’ के दूसरे चरण के तहत 6.5 मिलियन मीट्रिक टन भंडारण क्षमता की चंडीखोल (ओडिशा) और पादुर (तमिलनाडु) में दो और वाणिज्यिक-सह- सामरिक सुविधाएं स्थापित की जाएंगी।
‘सामरिक तेल भंडार’ की आवश्यकता:
- वर्ष 1990 के दौरान, पूरे पश्चिमी एशिया के खाड़ी युद्ध की चपेट में आ जाने से, भारत एक बड़े ऊर्जा संकट से जूझ रहा था। कुल मिलाकर, उस समय भारत के तेल भंडार में केवल तीन दिनों की आपूर्ति के लिए पर्याप्त तेल बचा था। हालांकि, भारत उस समय संकट को टालने में कामयाब रहा, किंतु ऊर्जा- व्यवधान का खतरा आज भी एक वास्तविक खतरे के रूप में सामने खड़ा है।
- ऊर्जा असुरक्षा को दूर करने के लिए, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998 में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार की अवधारणा पर कार्य किया था। वर्तमान में, पेट्रोलियम पदार्थों की भारत में खपत बढ़ने के साथ, इस तरह के भंडार बनाने संबधित मामला मजबूत होता जा रहा है।
प्रीलिम्स लिंक:
- सामरिक पेट्रोलियम भंडार (एसपीआर) कार्यक्रम के बारे में
- अवस्थिति
- कार्यान्वयन
मेंस लिंक:
ऊर्जा असुरक्षा को दूर करने के लिए, भारत सरकार द्वारा 1998 में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार की अवधारणा पर कार्य किया गया था। वर्तमान में इसकी मांग हर गुजरते दिन के साथ मजबूत होती जा रही है। इस तरह के रिजर्व की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन–III
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप
संदर्भ:
फ्रेंच गुयाना में ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ के प्रक्षेपण केंद्र पर दुर्घटना हो जाने की वजह से इस ‘टेलीस्कोप’ का प्रक्षेपण 22 दिसंबर तक ताल दिया गया है। ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ (James Webb Space Telescope – JWST) के प्रक्षेपण से, खगोलविद एक नए युग की शुरुआत होने की उम्मीद कर रहे हैं।
इस अंतरिक्षीय दूरबीन को, 18 दिसंबर को लॉन्च किया जाना था।
‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ (JWST) के बारे में:
जेडब्लूएसटी, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA), यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) और केनेडियन अंतरिक्ष एजेंसी (Canadian Space Agency) का एक संयुक्त उपक्रम है।
- ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’, अंतरिक्ष में परिक्रमा करती हुए एक अवरक्त वेधशाला (Infrared Observatory) है, जो लंबी तरंग दैर्ध्य कवरेज और बहुत बेहतर संवेदनशीलता के साथ ‘हबल स्पेस टेलिस्कोप’ (Hubble Space Telescope) के कार्यों में सहायक होगी तथा इसकी खोजों का विस्तार करेगी।
- इससे पूर्व, जेडब्ल्यूएसटी (JWST) को एनजीएसटी (New Generation Space Telescope – NGST) के नाम से जाना जाता था, फिर वर्ष 2002 में इसका नाम बदलकर नासा के पूर्व प्रशासक ‘जेम्स वेब’ के नाम पर कर दिया गया|
- यह 6.5 मीटर प्राथमिक दर्पण युक्त एक बड़ी अवरक्त दूरबीन होगी।
दूरबीन के उद्देश्य और कार्य:
‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ (JWST) को बिग बैंग के पश्चात् बनने वाले प्रथम तारों और आकाशगंगाओं की खोज करने तथा तारों के चारों ओर के ग्रहों के परिवेश का अध्ययन करने संबंधी कार्य करने के उद्देश्य से निर्मित किया गया है|
- यह दूरबीन, ब्रह्मांड में गहराई से अवलोकन करेगी और ‘हबल स्पेस टेलीस्कोप’ के साथ कार्य करेगी।
- दूरबीन में 22 मीटर (टेनिस कोर्ट के आकार की) की लम्बाई वाले सौर-सुरक्षाकवच (Sunshield) और 6.5 मीटर चौड़ाई के दर्पण और इन्फ्रारेड क्षमताओं से लैस उपकरण लगे होंगे।
- वैज्ञानिकों को उम्मीद है, कि यह ‘सेट-अप’ ब्रह्मांड 13.5 अरब साल पहले घटित हुई बिग बैंग की घटना के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली प्रथम आकाशगंगाओं को भी देख सकने में सक्षम होगी।
कक्षीय परिक्रमा:
- ‘हबल स्पेस टेलीस्कॉप’ लगभग 570 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता है।
- ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ वास्तव में पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करेगा, बल्कि यह 1.5 मिलियन किमी दूर पृथ्वी-सूर्य लेगरेंज़ बिंदु 2 (Earth-Sun Lagrange Point 2) पर स्थापित किया जाएगा।
- लेगरेंज़ बिंदु 2 (L 2) पर ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ का सौर-कवच, सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा से आने वाले प्रकाश को अवरुद्ध कर देगा, जिससे दूरबीन को ठंडा रहने में मदद मिलगी। किसी ‘अवरक्त दूरबीन’ के लिए ठंडा रहना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
हबल स्पेस टेलीस्कोप के बारे में जानने के लिए पढ़िए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
क्रिप्टोकरेंसी संबंधी नया विधेयक
संदर्भ:
संसद के बजट सत्र शीतकालीन सत्र में ‘क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021’ (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) पेश किया जाएगा।
प्रमुख प्रावधान:
- विधेयक में, क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने और सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज को प्रतिबंधित करने संबंधी प्रावधान किए गए हैं।
- इसमें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा हेतु सुविधाजनक ढांचा तैयार किए जाने का प्रावधान शामिल किया गया है।
अब तक, विधेयक की सटीक रूपरेखा की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी है और इस विषय पर न ही सार्वजनिक रूप से कोई परामर्श किया गया है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की वर्तमान स्थिति:
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) संबंधी मामलों पर गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा, भारत में राज्य द्वारा जारी किसी भी आभासी मुद्राओं को छोड़कर, सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की गयी है।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी बाजार में क्रिप्टोकरेंसी कारोबार पर चिंता जताई है और इसे केंद्र को अवगत कराया है।
- मार्च 2020 में पुनः, सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को, आरबीआई द्वारा वर्ष 2018 के सर्कुलर को अलग करते हुए, क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सेवाओं को बहाल करने की अनुमति दी थी। आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी संबंधित सेवाओं को (“अनुरूपता” के आधार पर) प्रतिबंधित कर दिया था।
‘क्रिप्टोकरेंसी’ क्या होती हैं?
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक प्रक्रार की डिजिटल करेंसी होती है, जिसमे मुद्रा इकाइयों के उत्पादन को विनियमित करने तथा निधियों के अंतरण को सत्यापित करने के लिए कूटलेखन (Encryption) तकनीकों का उपयोग किया जाता है, और यह बगैर किसी केंद्रीय बैंक के अधीन, स्वतन्त्र रूप से संचालित होती हैं।
यह ब्लॉकचेन तकनीक पर कार्य करती हैं। उदाहरण: बिटकॉइन, एथेरियम आदि।
सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध क्यों लगाना चाहती है?
- संप्रभु प्रत्याभूत (Sovereign guarantee): क्रिप्टोकरेंसी उपभोक्ताओं के लिए जोखिम उत्पन्न करती है। इनके पास कोई सॉवरेन गारंटी / संप्रभु प्रत्याभूत नहीं होता है और इसलिए ये वैध मुद्रा नहीं होती हैं।
- बाजार में उतार-चढ़ाव (Market volatility): इनकी प्रत्याशित प्रकृति भी इन्हें अत्यधिक अस्थिर बनाती है। उदाहरण के लिए, बिटकॉइन का मूल्य दिसंबर 2017 में 20,000 अमेरिकी डॉलर से गिरकर नवंबर 2018 में 3,800 अमेरिकी डॉलर हो गया।
- सुरक्षा जोखिम: यदि किसी प्रकार से उपयोगकर्ता की अपनी निजी कुंजी खो जाती है (पारंपरिक डिजिटल बैंकिंग खातों के विपरीत, इसे पासवर्ड रीसेट नहीं किया जा सकता है) तो उपयोगकर्ता अपनी क्रिप्टोकरेंसी तक पहुंच खो देता है।
- मैलवेयर संबंधी धमकी: कुछ मामलों में, इन निजी कुंजियों को तकनीकी सेवा प्रदाताओं (क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज या वॉलेट) द्वारा संग्रहीत किया जाता है, जो मैलवेयर या हैकिंग के प्रति संवेदनशील होते हैं।
- मनी लॉन्ड्रिंग।
इंस्टा जिज्ञासु:
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा बेंगलुरु में ‘ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी’ में उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence – CoE) स्थापित किया गया है। इसकी कार्य-पद्धति के बारे में जानकरी के लिए पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी
- विभिन्न देशों द्वारा शुरू की गई क्रिप्टोकरेंसी
- ब्लॉकचेन तकनीक क्या है?
मेंस लिंक:
क्रिप्टोकरेंसी क्या हैं? इसके विनियमन की आवश्यकता कर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
अल साल्वाडोर का बिटकॉइन सिटी
बिटकॉइन (Bitcoin) को कानूनी निविदा के रूप में मान्यता देने वाला एकमात्र देश ‘अल साल्वाडोर’, सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन पर आधारित एक पूरे शहर का निर्माण करने की योजना बना रहा है।
- अल साल्वाडोर के “बिटकॉइन सिटी” (Bitcoin city) को वित्त पोषित करने हेतु $ 1 बिलियन ‘बिटकॉइन बॉन्ड’ जारी किए जाएंगे।
- यह शहर ‘कोंचगुआ ज्वालामुखी’ (Conchagua volcano) के निकट ‘फोन्सेका की खाड़ी’ (Gulf of Fonseca) के किनारे स्थित होगा।
- अल सल्वाडोर में ‘टेकापा ज्वालामुखी’ की बगल में स्थित एक अन्य भूतापीय बिजली संयंत्र में एक पायलट ‘बिटकॉइन खनन उद्यम’ पहले से ही चल रहा है।
ताइवान जलडमरूमध्य
ताइवान जलडमरूमध्य (Taiwan Strait) एक 110 मील चौड़ा समुद्रीय चैनल है, जो ताइवान द्वीप को चीन की मुख्य भूमि से अलग करता है।
- इसे फॉर्मोसा जलडमरूमध्य या ताई-हाई (ताई सागर) के नाम से भी जाना जाता है।
- ताइवान जलडमरूमध्य, दक्षिण चीन सागर का हिस्सा है, और इसका उत्तरी भाग पूर्वी चीन सागर से जुड़ा हुआ है।
- जलडमरूमध्य, चीन के दक्षिण पूर्वी भाग के साथ सीमा बनाता है और चीन के फ़ुज़ियान प्रांत के पूर्वी भाग से लगा हुआ है।
‘भारत गौरव’ योजना
भारत की व्यापक पर्यटन संभावनाओं के दोहन करने हेतु, रेल मंत्री द्वारा ‘भारत गौरव’ (Bharat Gaurav) योजना की घोषणा की गयी है, जिसके तहत, निजी या राज्य के स्वामित्व में ऑपरेटरों द्वारा ‘रामायण एक्सप्रेस’ की तर्ज पर ‘विषय आधारित पर्यटक सर्किट ट्रेनें’ चलाई जा सकती हैं।
- सेवा प्रदाता, सिख संस्कृति के अहम स्थलों को कवर करने के लिए गुरु कृपा ट्रेन, भगवान श्रीराम से जुड़े स्थानों के लिए रामायण ट्रेन आदि जैसे विषय और सर्किट निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
- सेवा प्रदाताओं के रूप में कोई व्यक्ति, कंपनी, समाज, ट्रस्ट, संयुक्त उद्यम या संघ, इसमें भाग ले सकते हैं।
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