[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 22 November 2021 – INSIGHTSIAS

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विषयसूची

 

सामान्य अध्ययनI

1. राजनीतिक दलों का पंजीकरण

2. नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’: कारण, प्रक्रिया और विवाद

3. महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर इस्तांबुल अभिसमय

 

सामान्य अध्ययन-III

1. फ्लाई ऐश

2. ग्रीन हाइड्रोजन

3. यूवी-सी तकनीक

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. कोर सेक्टर इंडस्ट्रीज

2. क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप

3. राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।

राजनीतिक दलों का पंजीकरण


(Registration of political parties)

संदर्भ:

हाल ही में, कैप्टन अमरिन्दर सिंह की ओर से ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951’ की धारा 29A के तहत ‘पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी’ नामक नए राजनीतिक संगठन के पंजीकरण हेतु ‘भारतीय निर्वाचन आयोग’ के समक्ष एक आवेदन किया गया है।

आगे की कार्रवाई:

निर्वाचन आयोग के अनुसार, चुनाव आयोग के तहत पंजीकरण हेतु आवेदन करने वाले किसी भी दल को, उसके गठन की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर एक आवेदन जमा करना होता है।

यह प्रक्रिया, संविधान के अनुच्छेद 324 और ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951’ की धारा 29A द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार पूरी की जाती है।

राजनीतिक दलों का पंजीकरण:

राजनीतिक दलों का पंजीकरण (Registration of political parties) ‘लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम’ (Representation of the People Act), 1951 की धारा 29A के प्रावधानों के अंतर्गत किया जाता है।

किसी राजनीतिक दल को पंजीकरण कराने हेतु अपनी स्थापना 30  दिनों के भीतर संबंधित धारा के तहत भारतीय निर्वाचन आयोग के समक्ष, निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार आवेदन प्रस्तुत करना होता है। इसके लिए भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 324 और ‘लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम’, 1951 की धारा 29A  द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग दिशा-निर्देश जारी करता है।

दिशानिर्देश:

  1. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, आवेदक के लिए पार्टी के प्रस्तावित नाम को दो राष्ट्रीय समाचार पत्रों और दो स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित करना आवश्यक होता है।
  2. इसके प्रकाशन से 30 दिनों के भीतर, आयोग के समक्ष ‘पार्टी के प्रस्तावित पंजीकरण’ के संबंध में आपत्तियां, यदि कोई हो, प्रस्तुत करने के लिए दो दिन का समय दिया जाता है।
  3. प्रकाशन की सूचना, निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जाती है।

भारत के ‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ के लिए पात्रता:

  1. किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु किन्ही भी चार अथवा अधिक राज्यों में होने वाले आम चुनावों अथवा विधानसभा चुनावों में होने वाले कुल मतदान के न्यूनतम छह प्रतिशत वैध मतों को हासिल करना अनिवार्य होता है।
  2. इसके अलावा, इसके लिए किसी भी राज्य अथवा राज्यों से लोकसभा में न्यूनतम चार सीटों पर विजय प्राप्त करना चाहिए।
  3. राजनीतिक दल द्वारा, लोकसभा चुनावों में कुल लोकसभा सीटों की 2 प्रतिशत (543 सदस्य की वर्तमान संख्या में से 11 सदस्य) सीटों पर जीत हासिल की गयी हो तथा ये सदस्य कम-से-कम तीन अलग-अलग राज्यों से चुने गए हों।

 ‘राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के लिए पात्रता:

  1. किसी राजनीतिक दल को ‘राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त करने हेतु, राज्य में हुए लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में होने वाले मतदान के कुल वैध मतों का न्यूनतम छह प्रतिशत हासिल करना अनिवार्य है।
  2. इसके अलावा, इसके लिए संबंधित राज्य की विधान सभा में कम से कम दो सीटों पर जीत हासिल होनी चाहिए।
  3. राजनीतिक दल के लिए, राज्य की विधानसभा के लिये होने वाले चुनावों में कुल सीटों का 3 प्रतिशत अथवा 3 सीटें, जो भी अधिक हो, हासिल होनी चाहिए।

लाभ:

  1. राज्य स्तरीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी पंजीकृत दल को, संबंधित राज्‍य में अपने उम्‍मीदवारों को दल के लिये सुरक्षित चुनाव चिन्ह आवंटित करने का विशेषाधिकार प्राप्त होता है।
  2. राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी पंजीकृत दल को पूरे भारत में अपने उम्‍मीदवारों को दल के लिये सुरक्षित चुनाव चिन्‍ह आवंटित करने का विशेषाधिकार प्राप्‍त होता है।
  3. मान्‍यता प्राप्‍त राष्‍ट्रीय या राज्‍यस्‍तरीय राजनीतिक दलों के उम्‍मीदवारों को नामांकन-पत्र दाखिल करते वक्‍त सिर्फ एक ही प्रस्‍तावक की ज़रूरत होती है। साथ ही, उन्‍हें मतदाता सूचियों में संशोधन के समय मतदाता सूचियों के दो सेट नि:शुल्क पाने का अधिकार भी होता है तथा आम चुनाव के दौरान इनके उम्‍मीदवारों के लिए मतदाता सूची का एक सेट नि:शुल्क प्रदान की जाती है।
  4. इनके लिए, आम चुनाव के दौरान उन्‍हें आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रसारण की सुविधा प्रदान की जाती है।
  5. मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए आम चुनाव के दौरान स्‍टार प्रचारकों (Star Campaigner) की यात्रा का खर्च उस उम्‍मीदवार या दल के खर्च में नहीं जोड़ा जाता है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राजनीतिक दलों का पंजीकरण
  2. मान्यता प्राप्त बनाम गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल
  3. राज्य बनाम राष्ट्रीय दल
  4. मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए लाभ
  5. स्टार प्रचारक कौन होते है?
  6. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324
  7. ‘लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम’, 1951 की धारा 29A

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।

नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’: कारण, प्रक्रिया और विवाद


संदर्भ:

हाल ही में, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में वरिष्ठ और मध्य स्तर के पदों पर नियुक्ति के लिए ‘पार्श्विक भर्ती’ / ‘लेटरल एंट्री’ (Lateral Entry) के माध्यम से 31 उम्मीदवारों की सिफारिश की गयी है।

यह नौकरशाही में वरिष्ठ और मध्यम स्तर पर निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को लाने की दिशा में दूसरा प्रयास है। इससे पहले भी वर्ष 2019 में निजी क्षेत्र से, ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से नौ अधिकारियों को नियुक्त किया गया था।

विशेषज्ञों द्वारा चिन्हांकित किया गए मुद्दे:

विशेषज्ञों ने इस तरह भर्ती की प्रक्रिया को लेकर आगाह किया है।

  • इनका कहना हैं, उत्कृष्टता-तंत्र (Meritocracy) में पेशेवरों के चयन की भर्ती प्रक्रिया, एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से ‘योग्यता की कसौटी’ पर खरी उतरनी चाहिए।
  • सिविल सेवकों का निष्पक्ष चयन और नियुक्ति, आधुनिक योग्यता-आधारित नौकरशाही की नींव होती है।
  • इसलिए, स्थापित प्रक्रिया से किसी भी तरह विचलन किए जाने पर, इसे भर्ती हेतु उचित प्रक्रिया शर्तों को भी पूरा करना चाहिए।

समय की मांग:

  • संवैधानिक रूप से सही होने और इस कदम की वैधता में संवृद्धि करने हेतु, ‘पार्श्विक उम्मीदवारों (Lateral Candidates) को नियुक्त करने की भर्ती प्रक्रिया’ हेतु कार्रवाई संसद में शुरू की जानी चाहिए।
  • एक सविवरण विधायी प्रक्रिया, ‘लेटरल एंट्री’ भर्ती के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करने में सहायक होगी, और प्रक्रिया को वैधता प्रदान करेगी, साथ ही इस भर्ती प्रक्रिया को राजनीतिक दलों का समर्थन भी प्राप्त होगा।

सरकार में ‘लेटरल एंट्री’ / ‘पार्श्विक भर्ती’ से तात्पर्य:

  • नीति आयोग द्वारा अपने तीन वर्षीय कार्रवाई एजेंडा में ‘लेटरल एंट्री’ की अनुशंसा की गयी थी।
  • जिसके तहत, केंद्र सरकार में मध्यम और वरिष्ठ प्रबंधन स्तरों पर, कार्मिकों की नियुक्ति किए जाने का प्रावधान किया गया है।
  • लेटरल एंट्री से भर्ती होने वाले प्रवेशी कार्मिक केंद्रीय सचिवालय का हिस्सा होंगे, जिसमे आमतौर पर केवल अखिल भारतीय सेवाओं / केंद्रीय सिविल सेवाओं से चुने गए नौकरशाह होते हैं।

आवश्यकता और महत्व:

  1. लेटरल एंट्री से भर्ती होने वाले प्रवेशी, संबंधित क्षेत्र में विशेष ज्ञान और विशेषज्ञता रखते है।
  2. लेटरल एंट्री से दो उद्देश्य पूरे होते है, एक तो, सेवाओं में नयी प्रतिभायें आती हैं, तथा दूसरा श्रम-शक्ति की उपलब्धता में वृद्धि होती है।
  3. यह प्रक्रिया, निजी क्षेत्र और गैर-लाभकारी क्षेत्र जैसे हितधारकों को शासन प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्रदान करती है।
  4. इसके माध्यम से, ‘सरकारी क्षेत्र की संस्कृति’ को ‘संगठन संस्कृति’ में परिवर्तित करने में मदद मिलेगी।

लेटरल एंट्री की आलोचना:

  • इस प्रकार से की जाने वाली नियुक्तियों में कोई आरक्षण नहीं होता है।
  • इसके लिए, राजनीतिक दलों द्वारा अपने लोगों को खुले तौर भर्ती करने के लिए, ‘पिछले दरवाजे’ / ‘बैक डोर’ एंट्री के रूप में देखा जाता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘अनुच्छेद 321’ के तहत संसद, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)  के लिए अतिरिक्त कार्य सौंप सकती है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

अनुच्छेद 309 से 312 तक का अवलोकन।

मेंस लिंक:

सिविल सेवाओं में ‘लेटरल एंट्री’ / ‘पार्श्विक भर्ती’ लाभ तथा हानियों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर इस्तांबुल अभिसमय


संदर्भ:

हर साल, तुर्की में पुरुषों द्वारा सैकड़ों महिलाओं की हत्या किया जाना, और सोशल मीडिया पर हैशटैग ट्रेंड करना और सड़क पर विरोध प्रदर्शन दुखद रूप से आम-बात हो चुकी है।

  • इस महीने, एक विशेष रूप से खुल्लमखुल्ला हत्या ने महिला अधिकार कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। कार्यकर्ताओं द्वारा देश में लिंग-आधारित हिंसा को रोकने में, सरकार पर विफल रहने के आरोप लगाए जाते हैं।
  • कार्यकर्ताओं का कहना है कि, तुर्की ने यूरोपीय परिषद् में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने से संबधित, वर्ष 2011 में किए गए गए एतिहासिक समझौते ‘इस्तांबुल अभिसमय’ (Istanbul Convention) से अलग होकर उस रोडमैप को छोड़ दिया है, जिसका समर्थन करने वाला वह पहला देश था।

पृष्ठभूमि:

24 नवंबर, 2011 को तुर्की द्वारा ‘इस्तांबुल अभिसमय’ की पुष्टि की गई थी और यह इस ‘अभिसमय’ का अनुसमर्थन करने वाला पहला देश था। 8 मार्च 2012 को तुर्की ने ‘इस्तांबुल अभिसमय’ को अपने ‘घरेलू कानूनों’ में शामिल कर लिया था।

इस्तांबुल अभिसमय’ से तुर्की के अलग होने पर की जा रही आलोचनाओं का कारण:

तुर्की के इस निर्णय की विभिन्न क्षेत्रों से कड़ी आलोचना की जा रही है और इसके विरोध में देश भर में विरोध  हुए हैं।

  1. देश में हिंसा और स्त्री-हत्या की खतरनाक रूप से उच्च दर होने के बावजूद तुर्की, इस अभिसमय से अलग हो गया है।
  2. ‘ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट’ 2021 में, 156 देशों की सूची में तुर्की को 133 वां स्थान प्राप्त हुआ था।
  3. संयुक्त राष्ट्र ‘महिला’ (UN Women) के आंकड़ों के अनुसार, तुर्की में 38 प्रतिशत महिलाओं को अपने जीवनकाल में, अपने साथी द्वारा हिंसा का सामना करना पड़ता है।
  4. तुर्की सरकार द्वारा महिलाओं की हत्या पर कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है।

तुर्की के ‘इस्तांबुल अभिसमय’ से अलग होने के कारण:

  1. तुर्की सरकार का कहना है, कि यह अभिसमय, पारंपरिक पारिवारिक संरचना का अवमूल्यन करता है, तलाक को बढ़ावा देता है और समाज में LGBTQ के स्वीकरण को प्रोत्साहित करता है।
  2. सरकार के अनुसार, इसके अलावा भी तुर्की में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए पर्याप्त स्थानीय कानून मौजूद हैं।

चिंता का विषय:

  1. तुर्की सरकार ने या निर्णय ऐसे समय में लिया है, जब कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ घरेलू हिंसा तीव्र हो रही है।
  2. लोग इस बात से भी चिंतित हैं, कि अब तुर्की की महिलाओं के बुनियादी अधिकार और सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी।

‘इस्तांबुल अभिसमय’ क्या है?

‘इस्तांबुल अभिसमय’ (Istanbul Convention) को, ‘महिलाओं और घरेलू हिंसा के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम तथा उससे निपटने हेतु यूरोपीय समझौता परिषद’ (Council of Europe Convention on preventing and combating violence against women and domestic violence) भी कहा जाता है।

  1. यह संधि महिलाओं के खिलाफ हिंसा की रोकथाम करने और निपटने के लिए विश्व का पहला बाध्यकारी उपकरण है।
  2. इस व्यापक वैधानिक ढाँचे में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा, घरेलू हिंसा, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, महिला जननांग अंगभंग (Female Genital Mutilation- FGM), तथा सम्मान-आधारित हिंसा (Honour-Based Violence) और बलपूर्वक विवाह को रोकने के लिए प्रावधान किये गए है।
  3. किसी देश की सरकार के द्वारा अभिसमय के पुष्टि किये जाने के पश्चात वह इस संधि का पालन करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होते हैं।
  4. मार्च 2019 तक, इस संधि पर 45 देशों तथा यूरोपीय संघ द्वारा हस्ताक्षर किये गए है।
  5. इस अभिसमय को 7 अप्रैल 2011 को यूरोपीय परिषद की ‘कमेटी ऑफ़ मिनिस्टर्स’ द्वारा अपनाया गया था।
  6. इस अभिसमय में, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा से निपटने हेतु सरकारों के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित किये गए है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1979 में अपनाये गए ‘महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव-उन्मूलन पर अभिसमय’ (Convention on the Elimination of All Forms of Discrimination against Women- CEDAW) के बारे में जानते हैं? क्या भारत इस अभिसमय का एक पक्षकार है? जानने हेतु इस लेख को पढ़ें।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. इस्तांबुल- अवस्थिति
  2. इस्तांबुल अभिसमय किससे संबंधित है?
  3. यह कब हस्ताक्षरित किया गया था?
  4. अभिसमय में हस्ताक्षर करने वाला पहला देश?
  5. हाल ही में, किस देश ने अभिसमय से बाहर निकलने का फैसला किया?
  6. यूरोपीय परिषद क्या है?

मेंस लिंक:

इस्तांबुल कन्वेंशन पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययनIII


 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

फ्लाई ऐश (Fly Ash)


संदर्भ:

हाल ही में, कार्यकर्ताओं और मछुआरों द्वारा उत्तरी चेन्नई थर्मल पावर स्टेशन (NCTPS) से निकलने वाली ‘फ्लाई ऐश’ (Fly Ash) के ‘कोसस्थलैयार’ (Kosasthalaiyar) नदी बेसिन में घुसने के बारे में शिकायत की जा रही है। राख (फ्लाई ऐश) को राख-कुण्ड (Ash Pond) में ले जाने वाली पाइपलाइन में रिसाव होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो रही है।

फ्लाई ऐश’ क्या होती है?

इसे आमतौर ‘चिमनी की राख’ अथवा ‘चूर्णित ईंधन राख’ (Pulverised Fuel Ash) के रूप में जाना जाता है। यह कोयला दहन से निर्मित एक उत्पाद होती है।

फ्लाई ऐश का गठन:

यह कोयला-चालित भट्टियों (Boilers) से निकलने वाले महीन कणों से निर्मित होती है।

  • भट्टियों में जलाये जाने वाले कोयले के स्रोत तथा उसकी संरचना के आधार पर, फ्लाई ऐश के घटक काफी भिन्न होते हैं, किंतु सभी प्रकार की फ्लाई ऐश में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2), एल्यूमीनियम ऑक्साइड (Al2O3) और कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
  • फ्लाई ऐश के सूक्ष्म घटकों में, आर्सेनिक, बेरिलियम, बोरोन, कैडमियम, क्रोमियम, हेक्सावलेंट क्रोमियम, कोबाल्ट, सीसा, मैंगनीज, पारा, मोलिब्डेनम, सेलेनियम, स्ट्रोंटियम, थैलियम, और वैनेडियम आदि पाए जाते है। इसमें बिना जले हुए कार्बन के कण भी पाए जाते है।

स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संबंधी खतरे:

  • विषाक्त भारी धातुओं की उपस्थति: फ्लाई ऐश में पायी जाने वाली, निकल, कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम, लेड, आदि सभी भारी धातुएं प्रकृति में विषाक्त होती हैं। इनके सूक्ष्म व विषाक्त कण श्वसन नालिका में जमा हो जाते हैं तथा धीरे-धीरे विषाक्तीकरण का कारण बनते रहते हैं।
  • विकिरण: परमाणु संयंत्रो तथा कोयला-चालित ताप संयत्रों से समान मात्रा में उत्पन्न विद्युत् करने पर, परमाणु अपशिष्ट की तुलना में फ्लाई ऐश द्वारा सौ गुना अधिक विकिरण होता है।
  • जल प्रदूषण: फ्लाई ऐश नालिकाओं के टूटने और इसके फलस्वरूप राख के बिखरने की घटनाएं भारत में अक्सर होती रहती हैं, जो भारी मात्रा में जल निकायों को प्रदूषित करती हैं।
  • पर्यावरण पर प्रभाव: आस-पास के कोयला आधारित विद्युत् संयंत्रों से उत्सर्जित होने वाले राख अपशिष्ट से मैंग्रोव का विनाश, फसल की पैदावार में भारी कमी, और कच्छ के रण में भूजल के प्रदूषण को अच्छी तरह से दर्ज किया गया है।

फ्लाई ऐश के उपयोग:

  1. कंक्रीट उत्पादन, रेत तथा पोर्टलैंड सीमेंट हेतु एक वैकल्पिक सामग्री के रूप में।
  2. फ्लाई-ऐश कणों के सामान्य मिश्रण को कंक्रीट मिश्रण में परिवर्तित किया जा सकता है।
  3. तटबंध निर्माण और अन्य संरचनात्मक भराव।
  4. सीमेंट धातुमल उत्पादन – (चिकनी मिट्टी के स्थान पर वैकल्पिक सामग्री के रूप में)।
  5. नरम मिट्टी का स्थिरीकरण।
  6. सड़क निर्माण।
  7. ईंट निमार्ण सामग्री के रूप में।
  8. कृषि उपयोग: मृदा सुधार, उर्वरक, मिट्टी स्थिरीकरण।
  9. नदियों पर जमी बर्फ पिघलाने हेतु।
  10. सड़कों और पार्किंग स्थलों पर बर्फ जमाव नियंत्रण हेतु।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

कोयला दहन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसों के साथ बड़ी मात्रा में राख का निर्माण होता है। इन गैसों के साथ ऊपर उठने वाली महीन कणों वाली राख को फ्लाई या फ्लू ऐश के रूप में जाना जाता है, जबकि भारी कणों वाली राख, जो ऊपर नहीं उठती है उसे बॉटम ऐश कहा जाता है; सामूहिक रूप से इनके लिए ‘कोयले की राख’ के रूप में जाना जाता है। इस प्रक्रिया के बारे अधिक जानकारी के लिए पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. फ्लाई ऐश क्या है?
  2. स्रोत
  3. प्रदूषक
  4. संभावित अनुप्रयोग

मेंस लिंक:

फ्लाई ऐश क्या होती है? मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

‘ग्रीन हाइड्रोजन’


संदर्भ:

नरेंद्र मोदी सरकार के ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन’ के तहत, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOCL) के साथ मिलकर उत्तर भारत में दो बड़ी रिफाइनरियों में ‘हरित हाइड्रोजन’ / ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ (Green Hydrogen) उत्पादन इकाइयां स्थापित करने के लिए एक वैश्विक निविदा जारी की जा रही है।

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOCL),  भारत का सबसे बड़ा वाणिज्यिक उपक्रम है, और यह देश में सर्वाधिक अधिक रिफाइनरियों का संचालन करता है।

हरित हाइड्रोजन / ग्रीन हाइड्रोजन क्या होता है?

नवीकरणीय / अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके ‘विद्युत अपघटन’ (Electrolysis) द्वारा उत्पादित हाइड्रोजन को ‘हरित हाइड्रोजन’ (Green Hydrogen) के रूप में जाना जाता है। इसमें कार्बन का कोई अंश नहीं होता है।

  • वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले हाइड्रोजन को जीवाश्म ईंधनों से निर्मित किए जाता है, जोकि ईंधन के प्रमुख स्रोत हैं।
  • रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से हाइड्रोजन को मुक्त करने के लिए जीवाश्म ईंधन और बायोमास जैसी जैविक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।

ग्रीन हाइड्रोजन का महत्व:

  • भारत के लिए अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (Nationally Determined Contribution- INDC) लक्ष्यों को पूरा करने तथा क्षेत्रीय और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, पहुंच और उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ ऊर्जा काफी महत्वपूर्ण है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा के अंतराल को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
  • परिवहन के संदर्भ में, शहरों के भीतर या राज्यों के मध्य लंबी दूरी की यात्रा या माल ढुलाई के लिए, रेलवे, बड़े जहाजों, बसों या ट्रकों आदि में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग किया जा सकता है।

ग्रीन हाइड्रोजन के अनुप्रयोग:

  1. अमोनिया और मेथनॉल जैसे हरित रसायनों का उपयोग सीधे मौजूदा ज़रूरतों जैसे उर्वरक, गतिशीलता, बिजली, रसायन, शिपिंग आदि में किया जा सकता है।
  2. व्यापक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए CGD नेटवर्क में 10 प्रतिशत तक ग्रीन हाइड्रोजन मिश्रण को अपनाया जा सकता है।

लाभ:

  • ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा भंडारण के लिए खनिजों और दुर्लभ-पृथ्वी तत्व-आधारित बैटरी पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।
  • जिस अक्षय ऊर्जा को ग्रिड द्वारा संग्रहीत या उपयोग नहीं किया जा सकता है, उसका हाइड्रोजन-उत्पादन करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

हरित हाइड्रोजन के उत्पादन हेतु भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  1. फरवरी 2021 में बजट भाषण के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अक्षय स्रोतों से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन शुरू करने की घोषणा की गई थी।
  2. उसी महीने, राज्य के स्वामित्व वाली ‘इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन’ द्वारा हाइड्रोजन पर उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence on Hydrogen: CoE-H) स्थापित करने हेतु ‘ग्रीनस्टैट नॉर्वे’ (Greenstat Norway) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
  3. इसके तहत, नॉर्वेजियन और भारतीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों/विश्वविद्यालयों के बीच ‘ग्रीन’ और ‘ब्लू हाइड्रोजन’ के उत्पादन के लिए अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
  4. हाल ही में, भारत और अमेरिका ने वित्त जुटाने और हरित ऊर्जा विकास को गति देने हेतु ‘सामरिक स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी’ (Strategic Clean Energy Partnership SCEP) के तत्वावधान में एक टास्क फोर्स का गठन किया है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

हाइड्रोजन ईंधन को विभिन्न पद्धतियों से उत्पादित किया जा सकता है। इनके बारे में जानने हेतु पढ़ें

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में
  2. इसका उत्पादन किस प्रकार किया जाता है?
  3. अनुप्रयोग
  4. लाभ
  5. हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के बारे में

मेंस लिंक:

ग्रीन हाइड्रोजन के लाभों की विवेचना कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

UV-C तकनीक


(UV-C technology)

संदर्भ:

यूवी-सी जल शोधन (UV-C water purification) या ‘पराबैंगनी-सी’ (Ultraviolet-C) कीटाणुशोधन तकनीक, जल को कीटाणुरहित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। इस तकनीक में, विशेष “कीटाणुनाशक” यूवी-सी लैंप, उच्च-तीव्रता वाले पराबैंगनी प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं और पर्यावरण के लिए हानिकारक कठोर रसायनों के उपयोग के बिना पानी को शुद्ध करते हैं।

‘पराबैगनी विकिरण’ क्या होता है?

‘पराबैगनी विकिरण’ (UV radiation), ‘एक्स-रे’ और ‘दृश्य प्रकाश’ (Visible Light) के बीच ‘विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम’ का हिस्सा होता है।

 

सूर्य का प्रकाश, पराबैगनी विकिरण का सबसे आम रूप है, जिसमे मुख्यतः तीन प्रकार की अल्ट्रावायलेट किरणें उत्पन्न होती हैं:

  1. UVA
  2. UVB
  3. UVC

प्रमुख तथ्य:

  • UVA किरणों की तरंग दैर्ध्य सर्वाधिक लंबी, इसके बाद UVB किरणों तथा UVC किरणों की तरंग दैर्ध्य सबसे छोटी होती हैं।
  • UVA और UVB किरणों का संचरण वायुमंडल के माध्यम होता है। जबकि, पृथ्वी की ओजोन परत द्वारा सभी UVC तथा कुछ UVB किरणें अवशोषित हो जाती हैं। इस प्रकार, हम जिन अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आते हैं, उनमे अल्प मात्रा में UVB किरणों सहित अधिकांशतः UVA किरणें होती है।

अल्ट्रावायलेट किरणों का उपयोग:

पराबैगनी विकिरण (UV radiations), का प्रयोग सामान्यतः सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए किया जाता है।

  • पराबैंगनी रोगाणुनाशक विकिरण (Ultraviolet germicidal irradiation -UVGI), जिसे UV-C भी कहा जाता है, एक कीटाणुशोधन (disinfection) विधि है।
  • UVGI में लघु-तरंग दैर्ध्य पराबैंगनी प्रकाश का प्रयोग सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने अथवा निष्क्रिय करने के लिए किया जाता है, इसके दवारा सूक्ष्मजीवों के न्यूक्लिक एसिड को नष्ट कर दिया जाता है अथवा यह उनके DNA को भंग कर देता है जिस कारण सूक्ष्मजीव आवश्यक कोशिकीय क्रियाएं करने में तथा वृद्धि करने में अक्षम हो जाते हैं।
  • UVGI का प्रयोग भोजन, हवा तथा जल शोधन, जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है।

क्या यह मनुष्यों के लिए सुरक्षित है?

शोध अध्ययनों के अनुसार, इस उपकरण को विशेष रूप से निर्जीव चीजों को कीटाणुरहित करने के लिए विकसित किया गया है। इसलिए, इस उपकरण में प्रयुक्त यूवी-सी विकिरण जीवित प्राणियों की त्वचा और आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘प्रकाश’ भी विद्युत चुम्बकीय विकिरण का एक रूप होता है। विद्युत चुम्बकीय विकिरण के अन्य रूपों के बारे में जानने हेतु पढ़ें

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का अवलोकन
  2. पराबैगनी किरणों के बारे में
  3. इनके प्रकार
  4. विशेषताएं

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


कोर सेक्टर इंडस्ट्रीज

प्रमुख क्षेत्र (core sector) के आठ उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और विद्युत् सम्मिलित हैं।

  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production – IIP) में शामिल वस्तुओं में आठ प्रमुख उद्योगों का भारांक लगभग 40% है।
  • भारांक के घटते क्रम में आठ प्रमुख उद्योग: रिफाइनरी उत्पाद> विद्युत् > इस्पात> कोयला> कच्चा तेल> प्राकृतिक गैस> सीमेंट> उर्वरक हैं।

 

क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप

(Credit default swap)

  • यह एक ऋण से व्युत्पन्न लेनदेन का एक उदाहरण है जहां ऋण सुरक्षा खरीदी और बेची जाती है।
  • क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (CDS) में, एक पक्ष ‘क्रेडिट इवेंट प्रोटेक्शन’ प्राप्त करने के बदले में किसी अन्य पार्टी को समय-समय पर निर्धारित भुगतान करने के लिए सहमत होता है।
  • विशिष्ट क्रेडिट इवेंट्स में दिवालियापन, भुगतान करने में विफलता, पुनर्गठन और पुनर्वित्त / अधिस्थगन सम्मिलित होते हैं।

राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद

(National Productivity Council- NPC)

  • 1958 में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित, ‘राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद’ (NPC) एक स्वायत्त, बहुपक्षीय, गैर-लाभकारी संगठन है।
  • NPC टोक्यो आधारित ‘एशियाई उत्पादकता संगठन’ / ‘एशियन प्रोडक्‍टिविटी आर्गेनाईज़ेशन’ (APO) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसका भारत एक संस्‍थापक सदस्‍य है।

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